Hindi Essay and Paragraph Writing – Yoga (योग) for classes 1 to 12
योग पर निबंध – इस लेख में हम योग का अर्थ, योग का इतिहास, योग का उद्देश्य, योग का महत्व और लाभ के बारे में जानेंगे। योग का शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ना। योग से मनुष्य में स्थिरता, धीरता और अनुशासन का जन्म होता है और अनुशासन से व्यक्तित्व का विकास होता है। योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक कला है। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में योग पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में योग पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।
- योग पर 10 लाइन
- योग पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
- योग पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
- योग पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
- योग पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
योग पर 10 लाइन 10 lines on Yoga in Hindi
- योग, जो अपने कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के कारण दुनिया भर में अपार लोकप्रियता हासिल की है, प्राचीन पद्धति का एक अभिन्न अंग हैं।
- योग में शारीरिक मुद्राओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जो समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है।
- ज्ञानयोग, कर्मयोग, राजयोग, मंत्रयोग, हठयोग और भक्तियोग योग की 6 शाखाएं हैं।
- योग आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देता है और मन, शरीर और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करके आंतरिक शांति की भावना पैदा करता है।
- योग के नियमित अभ्यास के माध्यम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा को लाभ मिलता है।
- शरीर के आंतरिक शुद्धिकरण के लिए ‘अनुलोम-विलोम’, ‘कपालभाति’, भ्रामरी योग, प्राणायाम आदि कई प्रकार की मुद्राओं में योगाभ्यास किया जाता है।
- शरीर के लिए सबसे लाभकारी “शीर्षासन” योग सभी योग मुद्राओं का राजा होता है।
- ‘सूर्य नमस्कार’ के रूप में योग एक ऐसा व्यायाम है जो शरीर के हर हिस्से को लाभ पहुंचाता है।
- योग तनाव, चिंता और अवसाद को कम करके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है।
- योग से होने वाले मानसिक व शारीरिक लाभ के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है।
Short Essay on Yoga in Hindi योग पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में
योग पर निबंध – योग एक प्रकार का व्यायाम है जो मन, शरीर और आत्मा को एक साथ करने में मदद करता है। यह तनाव को घटाता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है, अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और समग्र व्यक्तित्व विकास में योगदान देता है।
योग पर निबंध / अनुच्छेद – कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
योग एक प्रकार का व्यायाम है जिसमें शारीरिक मुद्राएं और कई तरह के आसन शामिल है। योग की उत्पत्ति भारत में छह हजार साल पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि पहले ऋषियों द्वारा आत्मा को स्थिर करने के लिए ध्यान किया जाता था। बाद में समय के साथ, अन्य लोगों ने स्वस्थ और मजबूत जीवनशैली बनाए रखने के लिए योग और ध्यान को अपने दैनिक दिनचर्या में शामिल करना शुरू कर दिया। योग एक पूरी तरह से सुरक्षित गतिविधि है जिसका अभ्यास कोई भी कर सकता है। हालाँकि, आज की भीड़भाड़ और व्यस्त माहौल में योग का अभ्यास दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है।
योग पर निबंध / अनुच्छेद – कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
योग अपने कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के कारण दुनिया भर में बहुत लोकप्रियता हासिल की है। इस योग में विभिन्न शारीरिक मुद्राएं, ध्यान और सांस लेने के व्यायाम शामिल है। नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से मनुष्यों को उनके शरीर के लचीलेपन, ताकत और संतुलन को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त, यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायता करता है। मन, शरीर और आत्मा को जोड़कर, योग आत्म-जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है और आंतरिक खुशी और शांति को बढ़ावा देता है। इसलिए, आधुनिक दुनिया में, अधिक से अधिक लोग अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग को अपना रहे हैं। योग बहुत सुरक्षित गतिविधि है और इसका अभ्यास कोई भी कभी भी कर सकता है, यहां तक कि बच्चे भी इसका पूरा लाभ उठा सकते हैं। यह उनके पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ा सकता है।
योग पर निबंध / अनुच्छेद – कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
योग एक व्यापक अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर बहुत लाभ प्रदान करता है। योग को अपने दैनिक दिनचर्या में शामिल करके, आप अपने समग्र स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और दैनिक जीवन के तनाव को कम कर सकते हैं। योग के भौतिक पहलू में विभिन्न योगासन शामिल हैं, जो शरीर के लचीलेपन, शक्ति और मुद्रा को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त, योग में नियंत्रित साँस लेने के व्यायाम, जिन्हें प्राणायाम के रूप में जाना जाता है, मन को शांत करने और तनाव के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। अनुलोम-विलोम’, ‘कपालभाति’, भ्रामरी योग, प्राणायाम सबसे प्रभावी साँस लेने के व्यायामों में गिना जाता है। ध्यान के माध्यम से, योग सचेतनता और आत्म-जागरूकता पैदा करता है, जिससे व्यक्तियों को खुद से और अपने आस-पास की हर चीज़ से जुड़ाव महसूस करने में मदद मिलती है।
सरल शब्दों में कहें तो योग एक ऐसी थेरेपी है जिसका नियमित अभ्यास करने पर धीरे-धीरे बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह आंतरिक शरीर में कुछ सकारात्मक परिवर्तन करता है और शरीर के अंगों के कामकाज को नियमित करता है। विभिन्न उद्देश्यों के लिए विशिष्ट योग हैं, इसलिए केवल आवश्यक योगों का ही अभ्यास किया जा सकता है। योग अभ्यास के फायदों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
योग पर निबंध / अनुच्छेद – कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
योगासन, जिन्हें योग आसन भी कहा जाता है, योग की प्राचीन पद्धति का एक अभिन्न अंग हैं। संस्कृत शब्द “योग” से लिया गया है जिसका मतलब है मिलन, और “आसन” जिसका अर्थ है बैठने की मुद्रा, योगासन में शारीरिक मुद्राओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है जो समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है। ये आसन न केवल शारीरिक फिटनेस हासिल करने में मदद करते हैं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी मदद करते हैं। शारीरिक फिटनेस को बनाए रखने में प्रत्येक योग आसन का अपना अलग महत्व है। उदाहरण के लिए, आसनों में जहां मांसपेशियों को खींचने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियाएं करनी पड़ती है, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव दूर करने वाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान दूर होती है और इसके नियमित अभ्यास से शरीर सुडौल बनता है। इसके अलावा, विभिन्न मुद्राओं में प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है, जो शरीर के भीतर ऊर्जा के प्राथमिक स्रोतों को शुद्ध करने में मदद करता है। इससे जीवन शक्ति बढ़ती है, तनाव और चिंता का स्तर कम होता है, मन शांत होता है , मानसिक शांति बढ़ती है और एकाग्रता में सुधार होता है। ध्यान (योग) के कारण शरीर की आंतरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिका ऊर्जा से भर जाती है और जैसे-जैसे शरीर की ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक पहलुओं में भी लाभ मिलता है। जैसे, तनाव से संबंधित शरीर में कम होना, उच्च रक्तचाप का कम होना, व्यग्रता का कम होना, भावनात्मक स्थिरता में सुधार, कुशाग्र बुद्धि जैसे विभिन्न विस्तारित चेतना का समन्वय पूर्णता लाता है। अत: योग एक अत्यंत मूल्यवान उपकरण है जो हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं के संदर्भ में कल्याण प्राप्त करने में मदद करता है। इन आसनों को अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल करके, हम अपने लचीलेपन, ताकत और समग्र फिटनेस स्तर को बढ़ा सकते हैं।
Hindi Essay Writing Topic – योग (Yoga)
आज के लेख में हम योग पर निबंध लिखेंगे. योग का अर्थ, योग का इतिहास, योग का उद्देश्य, योग का महत्व, योग से लाभ, विश्व योग दिवस के बारे में जानेगे |
- प्रस्तावना
- योग का अर्थ
- योग का इतिहास
- योग का उद्देश्य
- वर्तमान में प्रासंगिकता
- योग का महत्व
- योग से लाभ
- विश्व योग दिवस
- उपसंहार
प्रस्तावना
संसार के सभी व्यक्ति सुख एवं शांति चाहते है। तथा विश्व में जो कुछ भी व्यक्ति कर रहा है उसका एक ही मुख्य लक्ष्य है कि इससे उसे सुख मिलेगा । व्यक्ति ही नहीं कोई भी राष्ट्र अथवा विश्व के संपूर्ण राष्ट्र मिलकर भी इस बात पर सहमत हैं कि विश्व में शांति स्थापित होनी चाहिए । प्रति वर्ष इसी उद्देश्य से ही एक व्यक्ति को शांति स्थापित करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। परंतु यह शांति कैसे स्थापित हो ? इस बात को लेकर भी असमंजस की स्थिति में है। सभी लोग अपने-अपने विवेक अनुसार इसके लिए चिंतन करते हैं। लेकिन कोई भी एक मार्ग उपाय नहीं निकल पाता है । कोई कहता है धरती पर केवल एक धर्म हो तो शांति हो किंतु ऐसा नहीं है सबकी अपनी अपनी सीमाएं हैं। एक ऐसा रास्ता जिस पर सभी निर्भर होकर पूर्ण स्वतंत्रता के साथ चल सके और जीवन में निर्भय होकर पूर्ण सुख , शांति एवं आनंद को प्राप्त कर सकता है, वह हैं – महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग। अष्टांग योग के द्वारा ही व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर, शारीरिक और मानसिक शांति स्थापित की जा सकती है। अतः इसीलिए वर्तमान परिपेक्ष्य में योग की उपयोगिता बढ़ जाती है।
योग का अर्थ
योग का शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ना। योग शब्द संस्कृत की युज धातु से मिलकर बना हैं जिसका अर्थ है- जोड़ना। अर्थात स्वयं को उस परम शक्ति से जोड़ना जिससे यह संसार चल रहा है। योग आदि काल से भारत भूमि पर अनवरत चल रहा है। यह भारतीय संस्कृति की अनुपम देन है। योग से मनुष्य में स्थिरता, धीरता और अनुशासन का जन्म होता है और अनुशासन से व्यक्तित्व का विकास होता है। व्यक्तित्व से चरित्र का विकास होता है और चरित्र से एक नए समाज का निर्माण होता है।
योग का इतिहास
योग शब्द संस्कृत की योजनाओं से बना है, जिसका अर्थ समाधि और मिलाना है। महर्षि व्यास ने योग को समाधि का वाचक माना है। जिसमें मन को भलीभांति समाहित किया जाए । शास्त्रों के अनुसार, समाधि और आत्मा का परमात्मा से मिलन को योग कहते हैं। योग दर्शन के अनुसार चित वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। वशिष्ठ संहिता ने मन को शांत करने के उपाय को योग कहा है। कठोपनिषद में योग का लक्षण हैं- जब पांचों इंद्रियां मनसहित निश्चल हो जाती है और बुद्धि का गतिरोध भी रुक जाता है, इस स्थिति को योग कहते हैं। निश्चय से ज्ञान की उत्पत्ति और कर्म का क्षय ही योग हैं। महर्षि चरक ने मन का इंद्रियों एवं विषयों से पृथक हो, आत्मा में स्थिर ही योग बताया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है- ‘‘योग : कर्मसु कौशलम्’’ अर्थात् योग से कर्मों में कुश्लाता आती है। व्यावाहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है। अमरकोश में योग, ध्यान और संगति का वाचक माना जाता है।
योग का उद्देश्य
योग का मुख्य उद्देश उच्चतर शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक व्यक्तित्व का विकास करना है। योग एक ओर स्नायु संस्थान की कार्यप्रणाली को अति कार्यात्मक बनाता हैं। तथा दूसरी और भौतिक शरीर को रोग मुक्त रखता है। सामान्यत: योग के निम्नलिखित उद्देश्य है: –
- मानसिक शक्ति का विकास करना
- रचनात्मकता का विकास करना
- मानसिक विकास करना
- तनाव से मुक्त कराना
- प्रकृति विरोधी जीवनशैली में सुधार करना
- वृहत् दृष्टिकोण का विकास करना
- मानसिक शांति प्रदान करना
- उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना
- शारीरिक रोगों से मुक्ति प्राप्त करना
वर्तमान में प्रासंगिकता
जैसे-जैसे मनुष्य तरक्की कर रहा है, उसकी जीवन शैली में बदलाव आ रहा है। आज के समय में सोने-जागने, खाने-पीने, विश्राम करने, कुछ का भी समय निश्चित नहीं है। दौड़ भाग भरी जिंदगी में मनुष्य अपने स्वास्थ्य पर ध्यान ही नहीं दे रहा है। ऐसे में योग की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि आज के समय में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसे चिंता, तनाव ना हो । इसीलिए मनुष्य शारीरिक व मानसिक रोगों से ग्रस्त रहता है। ऐसे में योग ही है जो मनुष्य को उत्तम स्वास्थ्य और तनावमुक्त कर सकता हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान के मन की शांति खो गई है। ऐसी कोई औषधि नहीं बनी है, जो मन को शांति प्रदान कर सके। योग ही एक ऐसा साधन है जो यह सिखाता है कि किस प्रकार मन को शांति प्राप्त हो सकती है। योगासन ना केवल मानसिक शांति विकसित करता है बल्कि शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाता है। योग में सूर्य नमस्कार, शारीरिक अभ्यास, विभिन्न प्रकार के आसनों द्वारा शारीरिक शक्ति को बढ़ाया जा सकता हैं। योगाभ्यास से सामान्य रोग तो आसानी से दूर हो जाते हैं जैसे कब्ज, सिर दर्द, शरीर दर्द आदि लक्षण तो आसानी से दूर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त मधुमेह, उच्च रक्तचाप, गठिया के रोगों में भी योग, रामबाण के समान कार्य करता हैं।
योग का महत्व
योग एक ऐसी विद्या हैं जिससे हमारे दुखों की निवृत्ति होती हैं। दुःखों की निवृत्ति के साथ साथ हमें ऐसे आनंद की अनुभूति होती हैं, जो बुद्धि तथा इन्द्रियों की परिधि से सर्वथा परे है। इस आनंद के फलस्वरुप ही मनुष्य के सभी दुखों की निवृत्ति होती हैं। योग के आठ अंगों को अष्टांग कहते हैं जिससे आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है। यम, नियम, आसन, प्रणायाम, धारणा, ध्यान, प्रात्याहार, समाधि को योग के आठ अंग माना जाता है। योग में प्राणायाम का विशेष महत्त्व है। प्राण का अर्थ जीवन शक्ति एवं आयाम का अर्थ ऊर्जा पर नियंत्रण होता है। अर्थात् श्वास लेने संबंधी कुछ विशेष तकनीकों द्वारा जब प्राण पर नियंत्रण किया जाता है तो उसे प्राणायाम कहते हैं। प्राणायाम के तीन मुख्य प्रकार होते हैं- अनुलोम-विलोम, कपालभाति प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम। योग के द्वारा मानसिक क्षमता में वृद्धि होती हैं। योगाभ्यास से ना केवल शारीरिक लाभ होता हैं बल्कि अनेक मानसिक विकारों से छुटकारा भी मिलता हैं। पतंजलि द्वारा दिए गए योग सूत्र में ऐसे अनेक अभ्यास बतलाए गए हैं जिनसे मनुष्य को असीम शांति मिलती हैं। योगाभ्यास से व्यक्ति की अनेक क्षमताओं का विकास होता है शरीर बलवान बनता हैं साथ ही चिंता तनाव से मुक्ति भी मिलती है। इसीलिए हमारे जीवन में योग का अत्यधिक महत्व है। भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्त्व है। आध्यात्मिक उन्नति या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योग की आवश्यकता एवं महत्त्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक संप्रदायों द्वारा एकमत से स्वीकार किया गया है।
योग से लाभ
योग के एक नहीं अनेकों लाभ है। योग सूत्र में, हजारों ऐसे आसन बताए गए हैं, जिनसे हमारे शरीर के प्रत्येक अंग को रोग मुक्त किया जा सकता हैं। रोग व्याधियों के अनुसार लाभ देने वाले योग आसन इस प्रकार हैं :-
- सर्वांगासन – इससे मोटापा, दुर्बलता, कद वृध्दि में कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं | शारीरिक ऊँचाई बढ़ती हैं | यह आसन थायराइड को सक्रिय बनाता हैं |
- पद्मासन – ध्यान के लिए उत्तम आसन हैं | मन की एकाग्रता को बढ़ाता है | जठराग्नि को तीव्र करता हैं |
- शवासन – मानसिक तनाव, डिप्रेशन, उच्च रक्तचाप, ह्र्दय रोग तथा अनिद्रा के लिए यह सर्वोत्तम आसन हैं | इस आसन से शरीर, मन, मस्तिष्क एवं आत्मा को पूर्ण विश्राम, शक्ति उत्साह एवं आनंद मिलता है | ध्यान की स्थिति का विकास होता है |
- चक्रासन – यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। इससे कमर दर्द में राहत मिलती है । हाथ पैरों की मांसपेशियां सबल बनती है।
- धनुरासन – धनुरासन मेरुदंड को लचीला एवं स्वस्थ बनाता है । स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी विकृतियां में लाभदायक है।
- सूर्य नमस्कार– यह संपूर्ण शरीर को आरोग्य, ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करता है। इसमें कुल 12 आसन होते हैं। इससे शरीर के सभी अंग प्रत्यंग में क्रियाशीलता आती है तथा शरीर के समस्त आंतरिक ग्रंथियां सुचारू रूप से चलती है। सूर्य नमस्कार सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ है । यह संपूर्ण शरीर को आरोग्यता प्रदान करता है। हाथ ,पैर, भुजा, जांघ, कंधा आदि सभी अंगों के मांसपेशियां पुष्ट होती है । मानसिक शांति, बल, ओज में वृद्धि करता है । संपूर्ण शरीर में रक्त संचार को संपन्न करता है। इससे शरीर निरोग बनता है।
- शीषासन यह सब आसनों का राजा है। इससे शुद्ध रक्त मस्तिष्क को मिलता है । इससे आंख, नाक, कान आदि सक्रिय हो जाते हैं। पाचन तंत्र, आमाशय, यकृत सक्रिय होकर कुशलता पूर्वक कार्य करते हैं। असमय बालों का झड़ना, सफेद होना जैसी समस्याएं नहीं होती।
- ताड़ासन इससे ऊंचाई में वृद्धि होती है शरीर के स्नायु सक्रिय विकसित होते हैं।
इन आसनों के अतिरिक्त कुछ अन्य क्रियाए और षट्कर्म भी होते हैं, जिनसे शरीर की आंतरिक शुद्धि होती है। जैसे धौति, बस्ती, नेति, त्राटक नौली, कपालभाति।
योग साधना में अष्टांग के अलावा मुद्राओं का भी विशेष महत्व है आसनों के विकसित रूप है। आसनों में इंद्रियों की प्रधानता होती है। यह समस्त ब्रह्मांड पंचतत्व से निर्मित है, हमारा शरीर भी पंच तत्व से बना है। शरीर के पांच उंगलियां इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। अंगूठा अग्नि का तर्जनी वायु का मध्यम आकाश का अनामिका पृथ्वी का कनिष्ठा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है । इन पांच तत्वों की मौजूदगी से हमारा शरीर निरोग रहता है।
- एक्यूप्रेशर यह प्राचीन भारतीय गहरी मालिश का परिष्कृत रूप है। जिसका अर्थ है हाथ, पैरों, चेहरे, शरीर के कुछ खास केंद्रों पर दबाव डालकर रोगों को दूर करना। इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक रोग का उपचार शरीर को शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक इकाई मानकर किया जाता है। मानव शरीर में स्थित विशेष बिंदुओं पर उचित दबाव डालकर रोग निवारण करने की पद्धति का नाम एक्यूप्रेशर है।
- ध्यान इसे मेडिटेशन भी कहते हैं। ध्यान करने से हम अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रख सकते हैं। आजकल के व्यस्त जीवनशैली में तनाव मुक्त रहने के लिए ध्यान करना अति आवश्यक है। ध्यान के बिना जीवन अधूरा है। ध्यान के बिना हम अपने किसी भी भौतिक तथा आध्यात्मिक लक्ष्य में सफल नहीं हो सकते । ध्यान से ही हम सदा आनंदमय और शांतिमय जीवन जी सकते हैं। यद्यपि ध्यान अपने आप में बहुत बड़ी यौगिक प्रक्रिया है।
इस प्रकार आसनों के कई लाभ है किंतु केवल 1 दिन करने से इनके परिणाम दिखाई नहीं देते । आपको इन योग अभ्यास को नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में शामिल करना होता है। कुछ समय पश्चात आपको स्वत: ही शारीरिक व मानसिक बदलाव महसूस होने लगते हैं । अतः किसी भी आसन को करने से पहले कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए और समय और स्थान का विशेष ध्यान रखना चाहिए । नियमित रूप से हवा युक्त , साफ-सुथरे स्थान पर निश्चित समय में योगाभ्यास करना चाहिए।
विश्व योग दिवस
2014 में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र को 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था क्योंकि गर्मियों में सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित होता है एवं उत्तरी गोलार्द्ध में 21 जून वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन 21 जून, 2015 को किया गया था । जिसने विश्व भर में कई कीर्तिमान स्थापित किये। वर्तमान में योग भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिये प्रासांगिक विषय बना हुआ है। भारत के अलावा कई इस्लामिक देशों ने भी इसे अपनाया है।
उपसंहार
देखा जाए तो योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक कला है। जिसका लक्ष्य है- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह भौतिक और मानसिक संतुलन द्वारा शांत मन और संतुलित शरीर की प्राप्ति कराता है। तनाव और चिंता का प्रबंधन करता है। यह शरीर में लचीलापन, मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है। इसके द्वारा श्वसन, ऊर्जा और जीवन शक्ति में सुधार होता है। इससे प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार और स्वस्थ्य जीवन शैली बनाए रखने में मदद मिलती है।इस प्रकार हम कह सकते हैं कि योग हमें निरोग बनाता है बशर्ते हम इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। योग करने से शरीर बलवान तो बनता ही है साथ ही साथ पैसों की भी बचत होती है क्योंकि नियमित योग करने से हमें कोई बीमारी नहीं होती और किसी प्रकार की दवाई की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी के अनुसार, योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य, विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिये एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवनशैली में यह चेतना बनकर हमें होने वाले परिवर्तनों से निपटने में मदद कर सकता है।
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