Essay on Indian Culture in Hindi

 

Hindi Essay and Paragraph Writing – Indian Culture (भारतीय संस्कृति) for classes 1 to 12

 

भारतीय संस्कृति पर निबंध – इस लेख में हम भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं और प्रमुख आधार के बारे में जानेंगे। भारत अपनी विविध आदतों और मान्यताओं के कारण एक विशाल सांस्कृतिक संगम स्थल है। भारत की संस्कृति जीवंत है, जिसने हमें आकार दिया है। भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में भारतीय संस्कृति पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में भारतीय संस्कृति पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

 

भारतीय संस्कृति पर 10 लाइन 10 lines on Indian Culture in Hindi

 

  1. भारतीय संस्कृति समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जिसका इतिहास हजारों वर्षों तक फैला हुआ है।
  2. भारतीय संस्कृति परंपराओं, भाषाओं, धर्मों और कला रूपों का एक अनूठा मिश्रण है। 
  3. भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म, जाति, समुदाय, पंथ आदि के लोगों के रहने के बाद भी इसमें विविधता में एकता है। 
  4. अनेकता में एकता, निरंतरता, सहनशीलता, वसुधैव कुटुंबकम की भावना, आध्यात्मिकता और ग्रहणशीलता भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषताएं है।
  5. भारतीय संस्कृति का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रूप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है।
  6. भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना निहित है। राष्ट्र पर जब-जब कोई संकट आया है, तब-तब भारतीयों ने एक होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है।
  7. भारतीय संस्कृति नैतिक और मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देती है, जिसमें विचार, शिष्टाचार, आदर्श, राजनीति, धर्म और बहुत कुछ शामिल है।
  8. भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने की स्वतंत्रता है।
  9. भारतीय संस्कृति संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है।
  10. अपनी प्राचीन परंपराओं से लेकर आधुनिक प्रगति तक, भारतीय संस्कृति अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है।

Short Essay on Indian Culture in Hindi भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

 

भारतीय संस्कृति पर निबंध – पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर दी जाने वाली भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन और महान संस्कृति है। यह संस्कृति सर्वाधिक संपन्न एवं समृद्ध भी है, जिसका मूल तत्व अनेकता में एकता है। इस देश में, विभिन्न जातियों, धर्मों, समुदायों, लिंगों और पंथों के लोग मिलजुल कर रहते हैं और प्रत्येक को अपनी अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखने की स्वतंत्रता है।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन एवं महान संस्कृति है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। भारतीय संस्कृति सर्वाधिक संपन्न और समृद्ध है, जो सदियों से फलती-फूलती आ रही है। होली और दिवाली जैसे ऊर्जावान त्योहारों से लेकर कथक और भरतनाट्यम जैसे पारंपरिक नृत्य रूपों तक, भारतीय संस्कृति रंगों, स्वादों और रीति-रिवाजों का मिश्रण है। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां सभी धर्म, जाति, समुदाय आदि के लोग मिलजुल कर रहते हैं और वो अपनी-अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। इसलिए, भारतीय संस्कृति विविधता, परंपरा और एकता का प्रतीक है, जो इसे वास्तव में सबसे अलग बनाती है।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

भारतीय संस्कृति प्राचीन परंपराओं से युक्त अपनी विविधता और समृद्धि के लिए जानी जाती है। इसमें विभिन्न रंगों, स्वादों और प्रथाओं का मिश्रण शामिल है। यह दिवाली और होली जैसे जीवंत त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जो क्रमशः बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक हैं। भारतीय संस्कृति के सबसे आकर्षक पहलुओं में से एक देश भर में बोली जाने वाली भाषाओं की व्यापक विविधता है, जिसमें हिंदी प्रमुख भाषा के रूप में प्रचलित है। इसके अतिरिक्त, भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, भाईचारा, सम्मान, आदर, परोपकार, सद्भाव एवं भलाई की भावना निहित है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। व्यंजन भी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बिरयानी, समोसा और साग-मक्की की रोटी जैसे व्यंजन सभी उम्र के लोगों को पसंद आते हैं। इसके अलावा, साड़ी, शेरवानी और धोती जैसे पारंपरिक परिधान भी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखते हैं। अत: भारतीय संस्कृति विविधता, परंपरा और एकता का समावेश है।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बावजूद आज भी अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है। भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत सहिष्णुता और सहनशीलता है। भारतीयों के साथ अंग्रेजी शासकों और आक्रमणकारियों द्वारा काफी क्रूर व्यवहार किया गया और उन पर असहनीय जुल्म ढाह गए, लेकिन भारतीयों ने देश में शांति बनाए रखने के लिए कई हमलावरों के अत्याचारों को सहन किया। वहीं सहनशीलता का गुण भारतीयों को उसकी संस्कृति से विरासत में मिला है। वहीं कई महापुरुषों ने भी सहिष्णुता की शिक्षा दी है। भारतीय संस्कृति, का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रूप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है। भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था एवं विश्वास है। भारतीय मूल के व्यक्ति की शिष्टता एवं अच्छे संस्कार जैसे बड़ों का आदर करना, अनुशासन में रहना, परोपकार एवं भलाई करना, जीवों के प्रति दया का भाव रखना एवं अच्छे कर्म करना ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है। अत: मनुष्य के अंदर जो भी गुण समाहित होते हैं, वो उन्हे उनकी संस्कृति से विरासत में मिलते हैं और उसे एक सामाजिक एवं आदर्श प्राणी बनाने में मदद करते हैं।

भारतीय संस्कृति पर निबंध /अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है। यूनान, मिश्र और रोम की संस्कृतियों से भी यह अति उन्नत और पुरानी है। ये सभ्यताएं काल के करालगाल में समा गई है, किन्तु भारतीय संस्कृति अनेक संकटों को झेलते आज भी अपने प्राचीन रूप में जीवित-जागृत है। हम भारतीयों को अपनी इस श्रेष्ठ संस्कृति पर गर्व है।

भारतीय संस्कृति की विशेषताएं ये हैं-

धार्मिक भावना – भारतीय संस्कृति धर्म प्रधान है। धर्म भाव ही मनुष्यों को पशुओं से भिन्न करता है। जिन नियमों से समाज का धारण होता है और जिनसे इहलौकिक तथा पारलौकिक सुख की प्राप्ति होती है, उसे ही धर्म कहते है।

सदाचार भावना – सदाचार भी मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। ‘आचार: परमो धर्म: कहकर हमारे यहाँ सदाचार को अत्यधिक महत्व दिया गया है। ब्रह्मचर्य धारण करना, इन्द्रियों और मन का संयम इसके अन्तर्गत आते है। पराई स्त्री को माँ के समान मानना, पराए धन को मिट्टी के ढेले के समान समझना और सभी प्राणियों को अपने ही समान मानना यह भी सदाचार का ही अंग है और यह भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। इन भावनाओं से मन का समस्त क्लेश दूर होता है और मानव में देवत्व के गुण आते हैं।

आध्यात्मिक भावना – भारतीय संस्कृति में भौतिक पक्ष की अपेक्षा आध्यात्मिक पक्ष को अत्यधिक महत्व दिया गया है। हमारी यह संस्कृति आत्मा को अजर-अमर मानती है । शारीरिक सुखों की अपेक्षा इसमें आत्मिक सुख को दिया गया है। उपनिषदों में कथाओं के माध्यम से आत्मा के रहस्य को समझाया गया है और कहा गया है कि आत्मा को ही सुनना चाहिए, आत्मा को ही जानना चाहिए और आत्मा का ही ध्यान करना चाहिए। आत्मज्ञान ही सब ज्ञानों में  श्रेष्ठ है। इसी को ब्रह्म विद्या भी कहा गया है। अत्यधिक भौतिक सुखों से अशान्त और त्रस्त मानवता को भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक भावना ही सुख देने में समर्थ है, अन्य कोई भावना नहीं। आत्मा में रमण करने वाले को जो सुख है, वह सुख धन और तृष्णाओं के पीछे भागने में नहीं है।

ईश्वर की भावना भी हमारी संस्कृति की विशेषता है। ईश्वर संसार के कण-कण में समाया है – जीव ईश्वर का ही अंश है, वह ईश्वर एक है, ज्ञानी उसको अनेक नामों से पुकारते हैं, यह भावना आदि दिव्य है। इसी के कारण मानव मानव में प्रेम, सहयोग और परोपकार की भावनाएँ पनपती हैं तथा सहिष्णुता को जन्म मिला है।

‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् समस्त संसार एक परिवार है। इस भावना ने मानव को मानव प्रेम करना सिखाया है। इसी प्रकार–

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग भवेत् ॥

यह प्रार्थना हमारी दिव्य संस्कृति का प्राण है। इसी के आधार पर यह आज तक टिकी है। हमें गर्व है कि हम इस श्रेष्ठ संस्कृति के पुजारी हैं।