Netaji ka Chashma Question Answers

 

CBSE Class 10 Hindi Chapter 7 Netaji ka Chashma (नेताजी का चश्मा) Question Answers (Important) from Kshitij Book

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Netaji Ka Chashma NCERT Solution

प्रश्न 1 – सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर – सेनानी न होते हुए भी लोग चश्मेवाले को कैप्टन इसलिए कहते थे , क्योंकि

  • कैप्टन चश्मे वाले में नेताजी के प्रति अगाध लगाव एवं श्रद्धा भाव था।
  • वह शहीदों एवं देशभक्तों के अलावा अपने देश से उसी तरह लगाव रखता था जैसा कि फ़ौजी व्यक्ति रखते हैं।
  • उसमें देश प्रेम एवं देशभक्ति का भाव कूट-कूटकर भरा था।
  • वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर दुखी होता था। और कभी भी नेता जी की मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं रहने देता था।


प्रश्न 2 – हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा
( क ) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे ?
उत्तर – हालदार साहब इसलिए मायूस हो गए थे , क्योंकि वे सोचते थे कि कस्बे के बीचों बिच में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अवश्य ही विद्यमान  होगी , लेकिन उन की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। क्योंकि जब मास्टर ने मूर्ति बनाई तब वह बनाना भूल गया। और उसकी इस कमी को कैप्टन पूरी करता था लेकिन अब तो कैप्टन भी मर गया। देशभक्त हालदार साहब को नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उदास कर देती थी।

( ख ) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?
उत्तर – मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है। देश – भक्ति उम्र की मोहताज नहीं होती। बच्चों द्वारा किया गया कार्य स्वस्थ भविष्य का संकेत है। उनमें राष्ट्र प्रेम के बीज अंकुरित हो रहे हैं।

( ग ) हालदार साहब इतनी – सी बात पर भावुक क्यों हो उठे ?
उत्तर – हालदार साहब सोच रहे थे कि कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन होगी परंतु जब यह देखा कि मूर्ति की आँखों पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ है तो उनकी निराशा आशा में बदल गई। उन्होंने समझ लिया कि युवा पीढ़ी में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना है जो देश के लिए शुभ संकेत है। यह बात सोचकर वे भावुक हो गए।

 प्रश्न 3 – आशय स्पष्ट कीजिए –
‘‘ बार – बार सोचते , क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर – गृहस्थी – जवानी – जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। ”
उत्तर – उक्त पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। कुछ लोग उनके बलिदान की प्रशंसा न करके ऐसे देशभक्तों का उपहास उड़ाते हैं। लोगों में देशभक्ति की ऐसी घटती भावना निश्चित रूप से निंदनीय है। ऐसे लोग इस हद तक स्वार्थी होते हैं कि उनके लिए अपना स्वार्थ ही सर्वोपरि होता है। वे अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए देशभक्तों का मजाक बनाने को भी तैयार रहते हैं।

 प्रश्न 4 – पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – पानवाला अपनी पान की दुकान पर बैठा ग्राहकों को पान देने के अलावा उनसे कुछ न कुछ बातें करता रहता है। वह स्वभाव से खुशमिज़ाज , काला मोटा व्यक्ति है। उसकी तोंद निकली हुई है। वह पान खाता रहता है जिससे उसकी बत्तीसी लाल – काली हो गई है। वह जब हँसता है तो उसकी तोंद थिरकने लगती है। वह वाकपटु है जो व्यंग्यात्मक बातें कहने से भी नहीं चूकता है।

 प्रश्न 5 – “ वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल ! ”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर – “ वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल ! ” पानवाला कैप्टन चश्मेवाले के बारे में कुछ ऐसी ही घटिया सोच रखता है। वास्तव में कैप्टन इस तरह की उपेक्षा का पात्र नहीं है। उसका इस तरह मजाक उड़ाना तनिक भी उचित नहीं है। वास्तव में कैप्टन उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है जो अपने अति सीमित संसाधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है और लोगों में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करने का भरसक प्रयास भी करता है। और अंत में बच्चो द्वारा सरकंडे का चश्मा बनाने और नेता जी की मूर्ति पर रखना इस बात का संकेत है कि कैप्टन कहीं – न – कहीं सफल हुआ है।

Class 10 Hindi Netaji ka Chashma Lesson 7– Extract Based Questions (पठित काव्यांश) 

1 –
हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाजार कहा जा सके वैसा एक ही बाजार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल , एक लड़कियों का स्कूल , एक सीमेंट का छोटा – सा कारखाना , दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक ठो नगरपालिका भी थी। नगरपालिका थी तो कुछ – न – कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी , कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए , कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘ शहर ’ के मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है , बल्कि उसके भी एक छोटे – से हिस्से के बारे में। पूरी बात तो अब पता नहीं , लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफी समय उफहापोह और चिठ्ठी – पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा, और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर – मान लीजिए मोतीलाल जी – को ही यह काम सौंप दिया गया होगा , जो महीने – भर में मूर्ति बनाकर ‘ पटक देने ’ का विश्वास दिला रहे थे।

प्रश्न 1 – हालदार साहब को कितने दिनों बाद कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था?
(क) हर चौदवें दिन
(ख) हर अठारवें दिन
(ग) हर पंद्रहवें दिन
(घ) हर बारवें दिन
उत्तर – (ग) हर पंद्रहवें दिन

प्रश्न 2 – “नेताजी का चश्मा” पाठ के आधार पर बताइये कि उस कस्बे में क्या-क्या था?
(क) एक छोटी सा बाजार , लड़कों और लड़कियों का एक -एक स्कूल
(ख) एक सीमेंट का छोटा सा कारखाना
(ग) दो ओपन सिनेमा घर और एक नगरपालिका
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – नगरपालिका कस्बे में क्या काम करती रहती थी?
(क) कभी कोई सड़क पक्की करवा दी , कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए
(ख) कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया
(ग) इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘ शहर ’ के मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – प्रश्तुत गद्यांश से क्या पता चलता है कि यह कहानी किसके बारे में है?
(क) किसी प्रतिमा के बारे में
(ख) सुभाष चंद्र बोस जी की प्रतिमा में उनके चश्मे के बारे में
(ग) सुभाष चंद्र बोस जी के बारे में
(घ) लेखक के निजी अनुभवों के बारे में
उत्तर – (ख) सुभाष चंद्र बोस जी की प्रतिमा में उनके चश्मे के बारे में

प्रश्न 5 – सुभाष चंद्र बोस जी की प्रतिमा को बनाने का जिम्मा किसे दिया गया?
(क) शहर के प्रसिद्ध पेंटर-मोतीलाल जी
(ख) शहर के प्रसिद्ध ड्राइंग मास्टर-मोतीलाल जी
(ग) हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मोतीलाल जी
(घ) शहर के प्रसिद्ध मूर्तिकार-मोतीलाल जी
उत्तर – (ग) हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मोतीलाल जी

2 –
जैसा कि कहा जा चुका है , मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची। जिसे कहते हैं बस्ट। और सुंदर थी। नेताजी सुंदर लग रहे थे। कुछ – कुछ मासूम और कमसिन। फ़ौजी वर्दी में। मूर्ति को देखते ही ‘ दिल्ली चलो ’ और ‘ तुम मुझे खून दो … ’ वगैरह याद आने लगते थे। इस दृष्टि से यह सफल और सराहनीय प्रयास था। केवल एक चीज़ की कसर थी जो देखते ही खटकती थी। नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था। यानी चश्मा तो था , लेकिन संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य और सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुज़रे और चौराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुसकान फैल गई। वाह भई ! यह आइडिया भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा रियल ! जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे , और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्त्व मूर्ति के रंग – रूप या कद का नहीं , उस भावना का है वरना तो देश – भक्ति भी आजकल मजाक की चीज़ होती जा रही है।

प्रश्न 1 – टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊँची मूर्ति क्या कहलाती है?
(क) बस्ट
(ख) बेस्ट
(ग) बीस्ट
(घ) बायस्ट
उत्तर – (क) बस्ट

प्रश्न 2 – मूर्ति में नेताजी कैसे लग रहे थे?। फ़ौजी वर्दी में।
(क) सुंदर
(ख) कुछ-कुछ मासूम
(ग) कुछ-कुछ कमसिन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – नेता जी की मूर्ति में किस चीज़ की कसर थी जो देखते ही खटकती थी?
(क) नेताजी फौजी बर्दी में थे
(ख) नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था
(ग) नेताजी मासूम और कमसिन लग रहे थे
(घ) नेताजी क्रांतिकारी नहीं दिखाई देते थे
उत्तर – (ख) नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था

प्रश्न 4 – मूर्ति पत्थर की, लेकिन चश्मा रियल ! कस्बे के नागरिकों के इस प्रयास को हालदार साहब क्या समझते है?
(क) बेकार
(ख) बेमतलब
(ग) सराहनीय
(घ) दंडनीय
उत्तर – (ग) सराहनीय

प्रश्न 5 – हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुज़रे और चौराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने क्या लक्षित किया?
(क) कि मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा रियल का है
(ख) कि मूर्ति संगमरमर के पत्थर की है
(ग) कि मूर्ति पत्थर पर चश्मा रियल का है
(घ) कि कस्बे के लोग लापरवाह है
उत्तर – (क) कि मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा रियल का है

3 –
हालदार साहब को यह सब कुछ बड़ा विचित्र और कौतुकभरा लग रहा था। इन्हीं खयालों में खोए – खोए पान के पैसे चुकाकर , चश्मेवाले की देश – भक्ति के समक्ष नतमस्तक होते हुए वह जीप की तरफ चले , फिर रुके , पीछे मुडे़ और पानवाले के पास जाकर पूछा , क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है ? या आजाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही ? पानवाला नया पान खा रहा था। पान पकड़े अपने हाथ को मुँह से डेढ़ इंच दूर रोककर उसने हालदार साहब को ध्यान से देखा , फिर अपनी लाल – काली बत्तीसी दिखाई और मुसकराकर बोला – नहीं साब ! वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल ! वो देखो , वो आ रहा है। आप उसी से बात कर लो। फोटो – वोटो छपवा दो उसका कहीं।
हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल – सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी – सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत – से चश्मे लिए अभी – अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है ! हालदार साहब चक्कर में पड़ गए। पूछना चाहते थे , इसे कैप्टन क्यों कहते हैं ? क्या यही इसका वास्तविक नाम है ? लेकिन पानवाले ने साफ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं।

प्रश्न 1 – हालदार साहब किसके समक्ष नतमस्तक थे?
(क) पानवाले की देश-भक्ति के समक्ष
(ख) चश्मेवाले के समक्ष
(ग) चश्मेवाले की देश-भक्ति के समक्ष
(घ) कस्बे के लोगों की देश-भक्ति के समक्ष
उत्तर – (ग) चश्मेवाले की देश-भक्ति के समक्ष

प्रश्न 2 – चश्मेवाले के बारे में पानवाले के पास जाकर हालदार साहब ने क्या पूछा?
(क) क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है
(ख) क्या कैप्टन चश्मेवाला आजाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही
(ग) क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है ? या आजाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (ग) क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है ? या आजाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही

प्रश्न 3 – ‘वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल’ किसका कथन है?
(क) पानवाले का
(ख) कैप्टन चश्मेवाले का
(ग) हालदार साहब का
(घ) नेता जी का
उत्तर – (क) पानवाले का

प्रश्न 4 – कैप्टन चश्मेवाले का हुलिया कैसा था?
(क) एक लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए था
(ख) एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा था
(ग) एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5 – हालदार साहब सब कुछ जान कर क्या पूछना चाहते थे?
(क) पानवाला चश्मेवाले को पागल क्यों कहता है
(ख) चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहते हैं
(ग) चश्मे वाले से कौन चश्मे खरीदता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहते हैं

4 –
बार – बार सोचते , क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर – गृहस्थी – जवानी – ज़िदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुखी हो गए। पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही खयाल आया कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी , लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। … क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया। … और कैप्टन मर गया। सोचा , आज वहाँ रुकेंगे नहीं , पान भी नहीं खाएँगे , मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं , सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया , चौराहे पर रुकना नहीं , आज बहुत काम है , पान आगे कहीं खा लेंगे। लेकिन आदत से मजबूर आँखें चौराहा आते ही मूर्ति की तरफ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे , रोको ! जीप स्पीड में थी , ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते – न – रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज़ – तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गए।
मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा – सा चश्मा रखा हुआ था , जैसा बच्चे बना लेते हैं।
हालदार साहब भावुक हैं। इतनी – सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।

प्रश्न 1 – हालदार साहब के दुखी होने का क्या कारण था?
(क) वह यह देख रहे थे कि आज लोगों के मन में देशभक्तों, शहीदों के प्रति सम्मान की भावना कम होती जा रही है
(ख)वह यह देख रहे थे कि लोग स्वार्थी एवं मौकापरस्त होते जा रहे हैं
(ग) वह यह देख रहे थे कि देशभक्ति की भावना प्रायः लुप्त होती जा रही है।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – कस्बे में घुसने से पहले ही हालदार साहब को क्या खयाल आया?
(क) कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी
(ख) सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा
(ग) कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा पर चश्मा नहीं होगा, क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया और कैप्टन मर गया
(घ) कि कैप्टन मर गया
उत्तर – (ग) कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा पर चश्मा नहीं होगा, क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया और कैप्टन मर गया

प्रश्न 3 – कैप्टन के मर जाने के बाद, नेता जी की प्रतिमा को बिना चश्मे के देखने से अच्छा लेखक ने क्या सोचा?
(क) वे कस्बे में रुकेंगे नहीं , पान भी नहीं खाएँगे
(ख) वे मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं
(ग) वे मूर्ति की तरफ देखें बिना सीधे निकल जाएँगे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – हालदार साहब ने ड्राइवर से क्या कहा?
(क) चौराहे पर रुकना नहीं , आज बहुत काम है , पान आगे कहीं खा लेंगे
(ख) चौराहे पर बिना पान खाए आगे नहीं जाएंगे
(ग) आज बहुत काम है जल्दी पान खा लेंगे
(घ) चौराहे पर रुके बिना पान ले कर खा लेंगे
उत्तर – (क) चौराहे पर रुकना नहीं , आज बहुत काम है , पान आगे कहीं खा लेंगे

प्रश्न 5 – मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। इसे देखकर हालदार साहब कैसा महसूस करने लगे?
(क) हालदार साहब की आँखें गुस्से से लाल हो गई
(ख) हालदार साहब भावुक हो गए और उनकी आँखें भर आईं
(ग) हालदार साहब इस बात से चीड़ गए
(घ) हालदार साहब क्रोधित हो गए
उत्तर – (ख) हालदार साहब भावुक हो गए और उनकी आँखें भर आईं

 

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Class 10 Hindi Netaji ka Chashma Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

प्रश्न 1 – लेखक ने पाठ में कस्बे का कैसा दृश्य दिखाया है?
उत्तर – हर पंद्रहवें दिन कंपनी को कोई न कोई ऐसा काम होता था जिसके कारण हर पंद्रहवें दिन हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते थे। कस्बा उतना अधिक बड़ा नहीं था , जितने अक्सर कस्बे हुआ करते हैं। उस कस्बे में वैसे कुछ ही मकान थे जिन्हें पक्का मकान कहा जा सकता है और जिसे बाजार कहा जा सके वैसा वहाँ पर केवल एक ही बाजार था। उस कस्बे में दो स्कूल थे। जिनमें से एक लड़कों का स्कूल था और दूसरा लड़कियों का स्कूल था। उस कस्बे में एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना भी था, वहाँ दो ओपन एयर सिनेमाघर भी थे और एक दो नगरपालिकाऐं भी थी। 

प्रश्न 2 – कस्बे की नगरपालिका क्या काम करती है?
उत्तर – लेखक कहते हैं कि जहाँ नगरपालिका  होती है वहाँ पर कुछ-न-कुछ काम भी करती रहती हैं। उस कस्बे में भी कोई-न-कोई काम चला ही रहता था। कभी वहाँ कोई सड़क पक्की करवा दी जा रही होती थी, कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए जाते थे, कभी कबूतरों के लिए घर बनवा देते थे तो कभी कवि सभाएँ करवा दी जाती थी। कस्बे की उसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘ शहर ’ के मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की मूर्ति लगवा दी थी। 

प्रश्न 3 – लेखक के मुताबिक़ जो सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में कमी रह गई है उसके कौन से कारण हो सकते हैं?
उत्तर – जो कहानी लेखक हमें सूना रहे हैं वह कहानी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति के बारे में है , बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में है। लेखक के मुताबिक़ जो सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में कमी रह गई है उसके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे-जिसने भी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति बनवाई है उसको देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होगी या फिर अच्छी मूर्ति बनाने के लिए जो खर्चा लगता है और जो उन्हें मूर्ति बनाने के लिए खर्च दिया गया होगा उस से कहीं बहुत ज्यादा खर्च होने के कारण सही मूर्तिकार को उपलब्ध नहीं करवा पाए होंगे। या हो सकता है कि काफी समय भाग-दौड़ और लिखा-पत्री में बरबाद कर दिया होगा और बोर्ड के शासन करने का समय समाप्त होने की घड़ियाँ नजदीक आ गई हों और मूर्ति का निर्माण उससे पहले करवाना हो जिस कारण किसी स्थानीय कलाकार को ही मौक़ा देने का निश्चय कर लिया गया होगा, और अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही यह काम सौंप दिया गया होगा। 

प्रश्न 4 – लेखक को क्यों लगता है कि अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही मूर्ति काम सौंप दिया गया होगा?
उत्तर – लेखक को लगता है कि अंत में उस कस्बे के एक मात्र हाई स्कूल के एक मात्र ड्राइंग मास्टर को ही मूर्ति काम सौंप दिया गया होगा क्योंकि मूर्ति के निचे जिस मूर्तिकार का नाम लिखा गया है वह मोतीलाल है और लेखक ने उस मूर्तिकार को हाई स्कूल का ड्राइंग मास्टर इसलिए माना है क्योंकि कोई भी मूर्तिकार किसी महान व्यक्ति की मूर्ति बनाते हुए कोई गलती नहीं करेगा और लेखक मानते है कि उन मास्टर जी को यह काम इसलिए सौंपा गया होगा क्योंकि उन्होंने महीने-भर में मूर्ति बनाकर ‘ पटक देने ’ का विश्वास दिलाया होगा। 

प्रश्न 5 – चौक पर लगी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?
उत्तर – चौक पर लगी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति सफ़ेद रंग के एक प्रसिद्ध मुलायम पत्थर की बनी हुई थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक उस मूर्ति की लम्बाई लगभग दो फुट होगी। ऐसी मूर्तियाँ जो किसी व्यक्ति के सिर, कंधे और छाती तक बनाई जाती हैं-बस्ट कहलाती हैं। वह मूर्ति बहुत सुंदर थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस बहुत सुंदर लग रहे थे। वे बिलकुल बच्चों की तरह निश्छल और कम उम्र वाले लग रहे थे। उनकी वह मूर्ति फ़ौजी वर्दी में बनाई गई थी। मूर्ति को देखते ही नेता जी सुभाष चंद्र जी के प्रसिद्ध नारे ‘ दिल्ली चलो ’ और ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा ’  आदि याद आने लगते थे। इन सभी चीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार ने जिस प्रकार मूर्ति बनाई है उसकी कोशिश सफल और प्रशंसा के काबिल है। परन्तु उस मूर्ति में केवल एक चीज़ की कमी थी जो उस मूर्ति को देखते ही अटपटी लगती  थी। और वह कमी थी-सुभाष चंद्र बोस जी की आँखों पर चश्मा नहीं था। यह इसलिए कमी थी क्योंकि नेता जी सुभाष चंद्र बोस हमेशा चश्मा लगाए रहते थे और उनकी मूर्ति बिना चश्मे के बहुत अटपटी लग रही थी।  

प्रश्न 6 – हालदार साहब जब पहली बार कस्बे से आगे बड़ रहे थे और चौराहे पर पान खाने रुके थे तब किस चीज़ पर उनका ध्यान केंद्रित हुआ था और उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर – सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति पर चश्मा तो था, लेकिन संगमरमर का नहीं था। क्योंकि जब मूर्ति संगमरमर की है तो चश्मा भी उसी का होना चाहिए था लेकिन उस मूर्ति पर एक मामूली सा बिना किसी विशेषता वाला और असल के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से आगे बड़ रहे थे और चौराहे पर पान खाने रुके थे तभी उन्होंने इस चीज़ पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया था और यह देख कर उनके चेहरे पर एक हँसी-मज़ाक भरी मुसकान फैल गई थी। यह सब देख कर उन्होंने कहा था कि वाह भई ! यह तरीका भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा असलियत का ! पान खा लेने के बाद जब हवलदार साहब अपने काम के लिए निकले और उनकी जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते जा रहे थे, और अंत में वे इस परिणाम पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों की यह कोशिश प्रशंसा करने के काबिल कही जानी चाहिए। क्योंकि महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं है, उस चाहत का है जो इन कस्बे के नागरिकों ने दिखाई है वरना तो देश-भक्ति भी आजकल मजाक की चीज़ होती जा रही है। 

प्रश्न 7 – मूर्ति पर असली चश्में को पहनाने पर हवालदार साहब नागरिकों की देश-भक्ति की सराहना क्यों कर रहे हैं?
उत्तर – मूर्ति पर असली चश्में को पहनाने पर हवालदार साहब नागरिकों की देश-भक्ति की सराहना कर रहे हैं क्योंकि वह मूर्ति कोई आम मूर्ति नहीं थी बल्कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की थी और उस पर एक बहुत ही बड़ी कमी थी कि उस मूर्ति पर मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया था जो कहीं न कहीं नेता जी का अपमान स्वरूप देखा जा सकता है क्योंकि नेता जी ने आज़ादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व त्याग दिया था और उनकी छवि को उनके ही सादृश्य प्रस्तुत करना हर देशवासी का कर्तव्य है और कस्बे के नागरिकों ने भी अपने इसी कर्तव्य का निर्वाह करने की कोशिश की थी अतः हवलदार साहब इस घटना को देश भक्ति से जोड़ कर देख रहे हैं।  

प्रश्न 8 – दूसरी बार जब हालदार साहब को किसी काम से कस्बे से गुज़रना था तो उन्हें नेता जी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में क्या अलग दिखाई दिया?
उत्तर – दूसरी बार जब हालदार साहब को किसी काम से कस्बे से गुज़रना था तो उन्हें नेता जी सुभाष चंद्र जी की मूर्ति में कुछ अलग  दिखाई दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि हवलदार साहब को दूसरी बार में नेता जी की मूर्ति में कुछ परिवर्तन लगा। जब हवलदार साहब ने मूर्ति को ध्यान से देखा तो उन्होंने पाया कि आज मूर्ति पर लगा चश्मा दूसरा था। जब पहली बार उन्होंने मूर्ति को देखा था तब मूर्ति पर मोटे फ्रेम वाला चार कोनों वाला चश्मा था , अब तार के फ्रेम वाला गोल चश्मा था। 

प्रश्न 9 – हालदार साहब जब नहीं समझ पा रहे थे कि कैप्टन चश्मा क्यों चेंज कर देता है तो पान वाले ने कैसे उन्हें समझाया? और हालदार साहब क्या समझे?
उत्तर – हालदार साहब जब नहीं समझ पाए तो पान वाला फिर समझाते हुए कहता है कि ऐसा समझ लो कि उसके पास कोई ग्राहक आ गया होगा जिस को चौडे़ चौखट वाला चश्मा चाहिए होगा। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा ? क्योंकि वह तो उसने मूर्ति पर रख दिया होगा। तो उस चौडे़ चौखट वाले चश्मे को मूर्ति से निकाल कर उस ग्राहक को दे दिया और मूर्ति पर कोई दूसरा चश्मा बिठा दिया। लेखक बताते हैं कि पान वाले के अच्छी तरह समझाने पर अब हालदार साहब को सारी बात कुछ – कुछ समझ में आ गई कि एक चश्मे वाला है जिसका नाम कैप्टन है। जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की संगमरमर की मूर्ति बन गई और उस पर मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया और कैप्टन को नेताजी की बिना चश्मे वाली मूर्ति बुरी लगती है। आप कह सकते हैं कि नेता जी की बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टन के दिल को चोट पहुँचती है , उसे ऐसा प्रतीत होता है मानो चश्मे के बिना नेताजी को कोई परेशानी हो रही हो। इसलिए वह अपनी छोटी-सी दुकान में मौजूद थोड़े-बहुत फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है। लेकिन जब कोई ग्राहक आता है और उसे वैसे ही फ्रेम की आवश्यकता होती है जैसा कैप्टन ने मूर्ति पर लगा है और कैप्टेन के पास उसी तरह का कोई दूसरा चश्मा नहीं है तो कैप्टन चश्मे वाला मूर्ति पर लगा फ्रेम लाकर ग्राहक को दे देता है। 

प्रश्न 10 – मूर्ति संगमरमर की है तो चश्मा भी संगमरमर का होना चाहिए तो फिर वह चश्मा कहाँ गया ?
उत्तर – नेता जी का वास्तविक अर्थात संगमरमर का चश्मा मास्टर यानी मूर्तिकार बनाना भूल गया। पानवाले के लिए यह एक दिलचस्प बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए बहुत ही हैरान और परेशान करने वाली बात थी कि कोई कैसे इतनी महत्वपूर्ण चीज़ को भूल सकता है। अब हवालदार साहब को अपनी सोची हुई बात सही लग रही थी कि मूर्ति के नीचे लिखा ‘ मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल ’ सच में ही उस कस्बे का अध्यापक था। 

प्रश्न 11 – हवलदार साहब उस मास्टर मोतीलाल के चश्मा न बनाने के कारण क्या सोचते हैं?
उत्तर – हवलदार साहब को लगता है कि वह नेता जी का चश्मा नहीं बना पाया। हो सकता है बेचारे ने महीने – भर में मूर्ति बनाकर तैयार कर देने का वादा कर दिया होगा। और शायद बना भी ली होगी लेकिन पत्थर में आर – पार देखे जाने वाला चश्मा कैसे बनाया जाए या काँचवाला ही बनाया जाए – यह तय नहीं कर पाया होगा। या हो सकता है कोशिश की होगी और नाकामयाब रहा होगा। या फिर बनाते – बनाते ‘ कुछ और बारीकी ’ के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा। या उसने पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह कहीं निकल गया होगा। 

प्रश्न 12 – कैप्टन चश्मे वाले को देख कर हालदार साहब क्यों चौंक गए?
उत्तर – कैप्टन चश्मे वाले को देख कर हालदार साहब चौंक गए क्योंकि उसका व्यक्तित्व ऐसा हु था। एक हद से ज्यादा बूढ़ा कमजोर-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गांधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में एक छोटी-सा लकड़ी का संदूक और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बंद दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। उसे देख कर हवलदार साहब को बहुत बुरा लगा और वे सोचने लगे कि इस बेचारे की दुकान भी नहीं है !  फेरी लगाता है ! हालदार साहब अब और भी ज्यादा सोच में पड़ गए। 

प्रश्न 13 – जब हालदार साहब को नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं दिखा तो पूछने पर उन्हें क्या उत्तर मिला?
उत्तर -जब हालदार साहब को नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं दिखा तो उन्होंने इसके बारे में पानवाले से पूछा। उनकी बात सुनकर पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से अपनी आँखों में आए आँसुओं को पोंछता हुआ बोला कि  साहब ! कैप्टन मर गया। और अब इससे ज्यादा हालदार साहब कुछ नहीं पूछ पाए क्योंकि अब उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए थे। कुछ पल तो वे चुपचाप खड़े रहे , फिर पान के पैसे चुकाकर जीप में आ बैठे और वहाँ से अपनी मंजिल की और चले गए। 

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Class 10 Hindi A Kshitij Lesson 7 Netaji ka Chashma Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न 1 – कस्बे में कितने स्कूल थे?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) चार
(घ) केवल एक
उत्तर – (ख) दो

प्रश्न 2 – नेताजी की मूर्ति किसने बनवाई?
(क) मोतीलाल जी ने
(ख) कस्बे के एकलौते ड्रॉइंग मास्टर ने
(ग) नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने
(घ) कस्बे के प्रसिद्ध मूर्तिकार ने
उत्तर – (ग) नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने

प्रश्न 3 – सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा किस वस्तु से बनी थी और कितनी ऊँची थी?
(क) संगमरमर की बनी थी जो 2 फुट ऊँची थी
(ख) संगमरमर की बनी थी जो 6 फुट ऊँची थी
(ग) संगमरमर की बनी थी जो 3 फुट ऊँची थी
(घ) संगमरमर की बनी थी जो ढ़ाई फुट ऊँची थी
उत्तर – (क) संगमरमर की बनी थी जो 2 फुट ऊँची थी

प्रश्न 4 – नगरपालिका ने ड्राइंग मास्टर मोतीलाल से मूर्ति क्यों बनवाई?
(क) कस्बे में मूर्तिकार न होने के कारण
(ख) नगरपालिका के पास बजट कम होने के कारण
(ग) ज्यादा दिलचपी न होने के कारण
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) नगरपालिका के पास बजट कम होने के कारण

प्रश्न 5 – हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति को देखकर क्या याद आता था?
(क) “तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा” जैसे जोश भरे नारे
(ख) “दिल्ली चलो” जैसे जोश भरे नारे
(ग) “तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा” और “दिल्ली चलो” जैसे जोश भरे नारे
(घ) नेता जी की जीवन यात्रा
उत्तर – (ग) “तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा” और “दिल्ली चलो” जैसे जोश भरे नारे

प्रश्न 6 – हालदार साहब उस कस्बे में क्यों रुकते थे?
(क) नेता जी का चश्मा ढूंढने के लिए
(ख) नेता जी की मूर्ति देखने के लिए
(ग) नेता जी से मिलने के लिए
(घ) पान खाने के लिए
उत्तर – (घ) पान खाने के लिए

प्रश्न 7 – हालदार साहब पहली बार कस्बे से गुजरने पर मूर्ति को देखकर क्यों चौक पड़े?
(क) नेताजी की मूर्ति को देखकर
(ख) नेताजी का चश्मा देखकर
(ग) नेताजी की मूर्ति पर असली चश्मा देखकर
(घ) पान की दूकान देखकर
उत्तर – (ग) नेताजी की मूर्ति पर असली चश्मा देखकर

प्रश्न 8 – नेताजी की आँखों पर असली चश्मा किसने लगाया?
(क) पान वाले ने
(ख) कैप्टन चश्मे वाले ने
(ग) कस्बे के लोगों ने
(घ) छोटे बच्चों ने
उत्तर – (ख) कैप्टन चश्मे वाले ने

प्रश्न 9 – हवलदार साहब को क्या अच्छा नहीं लगा?
(क) पानवाले द्वारा नेता जी का मजाक उड़ाना
(ख) पानवाले द्वारा कस्बे का मजाक उड़ाना
(ग) पानवाले द्वारा चश्मे वाले कैप्टन का मजाक उड़ाना
(घ) पानवाले द्वारा नेता जी की मूर्ति का मजाक उड़ाना
उत्तर – (ग) पानवाले द्वारा चश्मे वाले कैप्टन का मजाक उड़ाना

प्रश्न 10 – चश्मे वाले के प्रति पान वाले के मन में कैसी भावना थी?
(क) उपेक्षा की भावना
(ख) अपेक्षा की भावना
(ग) क्रोध की भावना
(घ) प्रेम की भावना
उत्तर – (क) उपेक्षा की भावना

प्रश्न 11 – पानवाला चश्मे वाले को क्या समझता था?
(क) देशभक्त
(ख) पागल
(ग) बेकार
(घ) परेशान
उत्तर – (ख) पागल

प्रश्न 12 – कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु का समाचार देने के बाद , कौन सिर झुका कर अपनी धोती के सिरे से आंखें पोंछ रहा था?
(क) ड्राइवर
(ख) कस्बे के लोग
(ग) हालदार साहब
(घ) पानवाला
उत्तर – (घ) पानवाला

प्रश्न 13 – कैप्टन क्या कार्य करता है?
(क) नारे लगाने का
(ख) चश्मा बेचने का
(ग) देशभक्ति फैलाने का
(घ) दूसरों की मदद करता था
उत्तर – (ख) चश्मा बेचने का

प्रश्न 14 – हालदार साहब को कौन-सी आदत पड़ गई थी?
(क) चैराहे पर रुकने की
(ख) चैराहे पर रुककर पान खाने की
(ग) चैराहे पर रुककर पान खाने व नेताजी की मूर्ति देखने की
(घ) नेताजी की मूर्ति देखने की
उत्तर – (ग) चैराहे पर रुककर पान खाने व नेताजी की मूर्ति देखने की

प्रश्न 15 – चश्मे वाले को “कैप्टन” क्यों कहते थे?
(क) उसकी नेता जी के प्रति प्रेम की भावना को देखकर
(ख) उसकी देश के प्रति भावुकता को देखकर
(ग) उसकी देशप्रेम की भावना को देखकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) उसकी देशप्रेम की भावना को देखकर

प्रश्न 16 – अंतिम बार जब हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति को देखा तो उस पर कौन सा चश्मा था?
(क) गोल फ्रेम का चश्मा
(ख) सरकंडे से बना चश्मा
(ग) लोहे का बना चश्मा
(घ) संगमरमर से बना चश्मा
उत्तर – (ख) सरकंडे से बना चश्मा

प्रश्न 17 – हालदार साहब के अनुसार नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा किसने लगाया होगा?
(क) किसी चश्मे वाले ने
(ख) किसी बुजुर्ग ने
(ग) किसी सिपाही ने
(घ) किसी बच्चे ने
उत्तर – (घ) किसी बच्चे ने

प्रश्न 18 – अंत में नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर क्या लगता है?
(क) हमारी नई पीढ़ी किसी भी तरह अपने हुनर को दिखा देती है
(ख) हमारी नई पीढ़ी को कुछ भी सीखा दो वे याद रखते है
(ग) हमारी नई पीढ़ी के मन में भी देशभक्ति की भावना बरकरार है
(घ) हमारी नई पीढ़ी के मन में भी नेता जी की वही इज़्ज़त बरकरार है
उत्तर – (ग) हमारी नई पीढ़ी के मन में भी देशभक्ति की भावना बरकरार है

प्रश्न 19 – “कैप्टन चश्मे वाला”, सभी को कहानी में सबसे अधिक प्रभावित क्यों करता है?
(क) अपनी देशभक्ति के कारण
(ख) अपने स्वभाव के कारण
(ग) अपने व्यवहार के कारण
(घ) अपने व्यक्तित्व के कारण
उत्तर – (क) अपनी देशभक्ति के कारण

प्रश्न 20 – आपने अनुसार “नेताजी का चश्मा” कहानी का उद्देश्य क्या है?
(क) लोगों के मन में अमर वीर शहीदों के प्रति सम्मान बनाकर रखना
(ख) लोगों के मन में देशभक्ति की भावना को बनाये रखना
(ग) लोगों के मन में देशभक्ति की भावना के साथ अमर वीर शहीदों के प्रति सम्मान बनाये रखना
(घ) लोगों के मन में नेता जी के प्रति सम्मान जताना
उत्तर – (ग) लोगों के मन में देशभक्ति की भावना के साथ अमर वीर शहीदों के प्रति सम्मान बनाये रखना

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CBSE Class 10 Hindi Kshitij and Kritika Chapter-wise Question Answers

 

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