लेखक (हजारी प्रसाद द्विवेदी) का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of the Writer (Hazari Prasad Dwivedi) from CBSE Class 12 Hindi Chapter 14 शिरीष के फूल
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लेखक (हजारी प्रसाद द्विवेदी) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Writer)
पाठकों के लिए मार्गदर्शक – “शिरीष के फूल” निबंध द्वारा लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी पाठकों का मार्गदर्शन करने का प्रयत्न कर रहे हैं। इस निबंध में लेखक ने शिरीष के फूल के माध्यम से संदेश दिया है कि जिस तरह शिरीष के फूल आँधी, लू, भयंकर गर्मी आदि विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपनी कोमलता व सुंदरता को बनाए रहता है, उसी तरह हमें भी अपने जीवन की विपरीत परिस्थितियों में अपने धैर्य व संयम को बनाए रखते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। शिरीष का फूल हमें जीवन में लगातार संधर्ष करने की प्रेरणा देता हैं।
- लेखक दूसरे लेखकों व् कवियों का भी विरोध करने का साहस रखते हैं – शिरीष के फूल को संस्कृत साहित्य में बहुत ही कोमल माना गया है। यहाँ तक की कालिदास तो यह कह गए हैं कि शिरीष के फूल केवल भौंरों के पैरों का दबाव ही सहन कर सकते हैं पक्षियों के पैरों का दबाव वे सहन नहीं कर सकते। महाकवि कालिदास की इस बात से दूसरे कवियों ने यह समझ लिया कि शिरीष के पेड़ का सब कुछ ही कोमल है जबकि इसके फल बहुत मज़बूत होते हैं। वो अपना स्थान तभी छोड़ते हैं जब नए पत्तों व् फूलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती धकेला जाता है। नहीं तो सूखकर भी वो डालियों में ही खड़खड़ाते रहते हैं।
- लेखक शिरीष के फूलों के माध्यम से समाज को नैतिक ज्ञान भी देते हैं – लेखक कहते हैं कि पुरानी पीढ़ी को समय रहते ही अपने अधिकार करने के लोभ को छोड़ देना चाहिए और नई पीढ़ी के लिए स्थान बनाना चाहिए। लेखक मानते हैं कि वृद्धावस्था और मृत्यु, इस जगत के सत्य है और शिरीष के फूलों को भी यह समझ जाना चाहिए कि जब वह फूला है तो उसका झडना भी निश्चित है। लेखक शिरीष के फूलों को मुर्ख मानते हुए कहते हैं कि वे समझते हैं कि एक ही जगह पर बिना हिले–डुले रहने से मृत्यु के देवता से बचा जा सकता है जबकि हिलने–डुलने वाले कुछ समय के लिए तो बच सकते हैं पर झड़ते ही मृत्यु निश्चित है।
- लेखक को प्राचीन कवियों के बारे में भी काफी जानकारी है – लेखक कबीरदास को भी शिरीष के ही समान मस्त, बेपरवाह, सरस व् मादक मानते हैं। कर्नाट राज की प्रिया अर्थात रानी विज्जिका देवी ने केवल ब्रह्मा जिन्होंने वेदों की रचना की , बाल्मीकि जिन्होंने रामायण को रचा और व्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की, इन तीनों को ही कवि माना हैं।
- लेखक कवियों की रचनात्मकता का सम्मान करता है – लेखक का मानना है कि जिसे कवि बनना है उसे अनासक्त योगी व फक्कड़ बनने की जरूरत है। कालिदास भी किसी अनासक्त योगी की तरह शांत मन और चतुर प्रेमी थे। उनका एक–एक श्लोक मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। लेखक मानते हैं कि सिर्फ शब्द लिखने और तुकबंदी करने को कविता नही कह सकते हैं। क्योंकि शब्द तो लेखक भी लिख सकता है और तुकबंदी भी कर सकता है। इसका अर्थ यह नहीं की वह भी कालिदास बन सकता है। कालिदास ने शकुंतला के सौंदर्य का वर्णन किया हैं। परन्तु लेखक मानता है कि वास्तव में वो शकुंतला का सौंदर्य नहीं बल्कि कालिदास के ह्रदय की सुंदरता हैं। वो सुख–दुख दोनों में भाव रस खींच लिया करते थे। ऐसी प्रकृति सुमित्रानंदन पंत व रवींद्र नाथ टैगोर में भी थी।
- लेखक शिरीष का पेड़ की तरह पक्के सन्यासी बनने की प्रेरणा देता है – लेखक कहते हैं कि आज देश में चारों ओर मारकाट, आगजनी, लूटपाट आदि का बवंडर छाया है। ऐसे में क्या स्थिर रहा जा सकता है। शिरीष रह सकता है। और लेखक के अनुसार गांधीजी भी रह सके हैं। यहाँ पर लेखक ने गांधीजी को एक ऐसे सन्यासी के रूप में याद किया हैं जिसने देह बल के ऊपर आत्मबल को सिद्ध किया है। और देश को आजादी दिलाने में अहम् भूमिका अदा की। लेखक भी चाहते हैं की आज के लोग भी शिरीष के पेड़ से कुछ सीख लें और अपने आत्मबल को बढ़ावा दें।
लेखक (हजारी प्रसाद द्विवेदी) के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of the Writer)
प्रश्न 1 – लेखक जब जेठ की तपती गर्मी में शिरीष के पेड़ों के एक समूह के बीच बैठ कर लिख रहे थे तो उस समय वे क्या–क्या सोचते हैं?
प्रश्न 2 – लेखक द्वारा शिरीष को कालजयी अवधूत क्यों कहा गया है?
प्रश्न 3 – वात्स्यायन के विपरीत लेखक क्यों मानते हैं कि शिरीष के पेड़ भी झूला झूलने के लिए प्रयोग में किए जा सकते है?
प्रश्न 4 – शिरीष के पुराने फलों को देखकर लेखक को किनकी याद आती है और क्यों?
प्रश्न 5 – ‘जीवनधारा व सब कुछ अपने में विलीन करने वाले समय के बीच संघर्ष चालू है।‘ आशय स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 6 – लेखक शिरीष को एक सन्यासी की तरह मानता है क्यों? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
प्रश्न 7 – “शिरीष के फूल” निबंध हमें क्या प्रेरणा देता है?
प्रश्न 8 – लेखक लोगों को नैतिक ज्ञान भी देते हैं। पाठ के किस हिस्से से पता चलता है?
प्रश्न 9 – हर कोई कविता की रचना नहीं कर सकता। लेखक ने किस प्रकार स्पष्ट किया है?
प्रश्न 10 – लेखक कबीरदास को कवियों की किस श्रेणी में रखते हैं, क्यों?
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