मुंशी वंशीधर और पंडित अलोपीदीन का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Munshi Vanshidhar and Pandit Alopidin from CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 1 Namak ka Daroga
मुंशी वंशीधर का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Munshi Vanshidhar)
कहानी में मुंशी वंशीधर नामक पात्र ने धर्म का प्रतिनिधित्व किया है। ईमानदार कर्मयोगी मुंशी वंशीधर को खरीदने में असफल रहने के बाद पंडित अलोपीदीन अपने धन की महिमा का उपयोग कर नौकरी से निकलवा देते हैं, लेकिन अंत में सत्य के आगे उनका सिर झुक जाता है। इस पूरी कहानी में मुंशी वंशीधर के व्यक्तित्व से उनके चरित्र-चित्रण की निम्नलिखित बातों का पता चलता है –
ईमानदार – जब वंशीधर ने रात में नदी पार करने आई गाड़ियों की जांच की तो उन्हें पता चला कि गाड़ियों में नमक के बोरे भरे थे। यह जानते हुए भी कि वे गाड़ियाँ पंडित अलोपीदीन की हैं उन्होंने गाड़ियां रोक ली क्योंकि इस तरह नमक ले जाना गैरकानूनी था। पंडित अलोपीदीन ने धन के बल पर वहां से जाना चाहा किन्तु वंशीधर ने उन्हें नहीं जाने दिया।
साहसी – पंडित अलोपीदीन ने जब वंशीधर से गाड़ियों को रोकने के बारे में पूछा तो वंशीधर ने कहा कि वो सरकार के हुक्म का पालन कर रहे हैं। पंडित अलोपीदीन ने अब दरोगा जी को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से रिश्वत के जाल में फंसाने की कोशिश की। मगर वंशीधर ने उनके लालच के मायाजाल में न फंस कर सीधे ही उनको गिरफ्तार कर लिया। यानी धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला।
अपनी कार्यकुशलता , ईमानदारी और अच्छे व्यवहार से सभी अधिकारियों को अपना प्रशंसक बनाना – अपनी ईमानदारी व् सच्चाई से वंशीधर ने पंडित अलोपीदीन को भी अपनी प्रशंसा करने पर मजबूर कर दिया था। पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर के पिता को बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कई अमीरों व उच्च अधिकारियों को देखा है जिन्हें आसानी से पैसे से खरीदा जा सकता हैं। मगर अपने कर्तव्य को इतनी ईमानदारी व सच्चाई के साथ निभाने वाले व्यक्ति को उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखा। जिसने अपने कर्तव्य व धर्म को धन से बड़ा माना।
वंशीधर को उनकी कर्तव्यनिष्ठता के कारण उच्च व् सम्मानित पद मिला – वंशीधर को पंडित जी ने अपनी सारी जायजाद का स्थाई मैनेजर नियुक्त किया। यह देख जब वंशीधर ने कहा कि वह इस योग्य नहीं है, उसमें इतनी बुद्धि नहीं है कि वह इतनी बड़ी जिम्मेदारी को संभाल सके, पंडित जी ने कहा कि उन्हें विद्वान व्यक्ति नहीं बल्कि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति की आवश्यकता हैं।
मुंशी वंशीधर के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Munshi Vanshidhar)
प्रश्न 1 – मुंशी वंशीधर ने अपनी ईमानदारी का परिचय कैसे दिया?
प्रश्न 2 – मुंशी वंशीधर कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हैं। स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 3 – मुंशी वंशीधर ने अपने साहस का परिचय पाठ में किस स्थान पर दिया?
प्रश्न 4 – मुंशी वंशीधर की ईमानदारी व् कर्तव्यनिष्ठता का पंडित अलोपीदीन पर क्या असर पड़ा?
पंडित अलोपीदीन का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Pandit Alopidin)
कहानी में पंडित अलोपीदीन ने धन का प्रतिनिध्त्वि किया है। पंडित अलोपीदीन अपने धन की महिमा का उपयोग करके अपने सभी कार्य करवाने की सोच रखते हैं। कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व से उनके चरित्र-चित्रण की निम्नलिखित बातों का ज्ञान होता है –
धन को सर्वोपरि मानने वाला – पंडित अलोपीदीन एक प्रतिष्ठित मगर बहुत ही चालाक जमींदार थे। उनका व्यापार बहुत लम्बा-चौड़ा था। वो लोगों को धन कर्ज के रूप में देते थे। वंशीधर ने जब उनकी नमक के बोरों से भरी गाड़ियों को रोका तो उन पर इस बात का कुछ ख़ास असर नहीं पड़ा , क्योंकि उन्हें अपने धन के बल पर बहुत विश्वास था। वह कहते थे कि सिर्फ इस धरती पर ही नहीं बल्कि स्वर्ग में भी लक्ष्मीजी का ही राज चलता है ,वह जिसको जैसे नचाना चाहती हैं उसको वैसा ही नचा देती है।
भर्ष्टाचारी – पंडित अलोपीदीन ने जब वंशीधर से गाड़ियों को रोकने के बारे में पूछा तो वंशीधर ने कहा कि वो सरकार के हुक्म का पालन कर रहे हैं। पंडित अलोपीदीन ने अब दरोगा जी को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से रिश्वत के जाल में फंसाने की कोशिश की। दरोगा जी को धन लालच देकर गाड़ी छोड़ने के बारे में बात की। परंतु जब वंशीधर ने पैसे लेने की बजाए पंडित जी को ही गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। यह देखकर पंडित जी आश्चर्यचकित रह गए। और उन्होंने रिश्वत की रकम बढ़ा कर फिर से वंशीधर को लालच दिया। अर्थात पंडित अलोपीदीन अपने गैरकानूनी कामों को ऐसे ही अंजाम देते थे।
प्रतिष्ठित – भर्ष्टाचारी होने के बावजूद भी पंडित अलोपीदीन इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति थे कि पंडितजी को कानून की गिरफ्त में देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित थे। खैर वकीलों व गवाहों की एक पूरी फौज खड़ी थी जो पंडितजी के पक्ष में बोलने को तैयार थी। अदालत में भी भरपूर पक्षपात हुआ और मुकद्दमा शुरू होते ही समाप्त हो गया। और पंडितजी को रिहा कर दिया गया लेकिन सत्यनिष्ठ और ईमानदार वंशीधर को अदालत ने भविष्य में सतर्क रहने की हिदायत दे दी।
ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का सम्मान करने वाला व्यक्ति – पंडित अलोपीदीन ने अपने जीवन में ऐसे कई अमीरों व उच्च अधिकारियों को देखा था जिन्हें आसानी से पैसे से खरीदा जा सकता था। मगर अपने कर्तव्य को इतनी ईमानदारी व सच्चाई के साथ निभाने वाले व्यक्ति को उन्होंने अपने जीवन में पहली बार देखा। जिसने अपने कर्तव्य व धर्म को धन से बड़ा माना। इसी कारण उन्होंने वंशीधर को अपनी सारी जायजाद का स्थाई मैनेजर नियुक्त किया था। उनका कहना था कि उन्हें विद्वान व्यक्ति नहीं बल्कि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति की आवश्यकता हैं।
पंडित अलोपीदीन के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Pandit Alopidin)
प्रश्न 1 – पंडित अलोपीदीन ने पाठ में धन का गुणगान किस प्रकार किया है?
प्रश्न 2 – पंडित अलोपीदीन एक भर्ष्टाचारी व्यक्ति था। कैसे स्पष्ट करेंगे?
प्रश्न 3 – पंडित अलोपीदीन की पहुँच दूर तक थी। प्रमाणित कीजिए।
प्रश्न 4 – अपने शब्दों में वर्णन कीजिए कि अलोपीदीन ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का सम्मान करने वाला व्यक्ति था।
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