Character Sketch of Mian Naseeruddin

 

मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of the Miya Naseeruddin from CBSE Class 11 Hindi Aroh Book Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन

 

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मियाँ नसीरुद्दीन का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Miya Naseeruddin)

मियाँ नसीरुद्दीन अध्याय में खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के  व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्दचित्र खींचा गया है। मियाँ नसीरुद्दीन अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला और अपने खानदानी महारत के कारण प्रसिद्ध हैं। वे एक ऐसे इंसान हैं जो अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं और काम करके सीखने को असली हुनर मानते हैं। इस अध्याय में मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता है

मियां नसीरुद्दीन अखबार बनाने वाले और अखबार पढ़ने वाले, दोनों को ही निठ्ठला समझते हैं मियां नसीरुद्दीन की नज़र में अखबार बनाने वाले और अखबार पढ़ने वाले, दोनों ही निठ्ठले हैं क्योंकि उनके अनुसार वे दोनों ही बेकार बातों को छापने व् पढ़ने में समय को बरबाद करते हैं।

घमंडीमियां नसीरुद्दीन के जवाब सुनकर प्रतीत होता है कि वे कुछ घमंडी किस्म के व्यक्ति हैं क्योंकि रोटियों को बनाने के हुनर के बारे में वे लेखिका से थोड़ा उखड़ कर कहते हैं कि रोटियाँ बनाने का हुनर उन्होंने कही से नहीं सीखा। यह तो उनका खानदानी पेशा है। उन्होंने जो भी सीखा अपने पिता और दादा से सीखा। 

वो अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैंमियां नसरुद्दीन अपने काम को ही सबकुछ मानते हैं और जब लेखिका के द्वारा उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें  पिता या दादा की कोई नसीहत याद है। तो इस पर वो जवाब देते हुए कहते हैं किकाम करने से आता हैं नसीहतों से नहीं वो अपनी इस बात को एक उदाहरण के जरिए लेखिका को समझाते हुए कहते हैं कि बच्चा जब उस्ताद के साथ पढ़ने बैठता है तो वह उस्ताद की कही हुई बातों को दोहराता रहता है मगर थोड़ी सी गलती होने पर उस्ताद की मार भी खाता है। और इस तरह वह धीरेधीरे चीजों को सही तरीके से सीखता चला जाता है।

मेहनत को सर्वोपरि मानने वाला  मियां नसीरुद्दीन मेहनत करने में विश्वास रखते थे। वे लेखिका को बताते हैं कि अगर किसी बच्चे का मदरसे में जाकर सीधे तीसरी कक्षा में दाखिला करा दिया तो, वह बच्चा पहली दूसरी कक्षा की शिक्षा कैसे हासिल करेगा। पहली दूसरी कक्षाओं की शिक्षा ग्रहण करने के लिए उसे उन कक्षाओं में बैठकर पढ़ना पड़ेगा।  इसी तरह उन्होंने भी शुरुआत में बर्तन धोना, भट्टी जलाना आदि सीखा। फिर नानबाई बनने का हुनर सीखा।  वो कहते हैं कितालीम की तालीमभी बड़ी चीज होती है। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षण भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि शिक्षक शिक्षा दोनों गुणवत्तापूर्ण होंगें तो, प्रशिक्षण भी अच्छा ही होगा।

मियाँ नसीरुद्दीन को अपने खानदान खानदानी पेशे पर बहुत नाज हैं  –  लेखिका के शहर के और नानबाईयों के बारे में पूछने पर मियां नसीरुद्दीन जोश में आकर कहते हैं किशहर में हैं तो बहुत सारे नानबाई , मगर खानदानी कोई नहीं है फिर वो अपने बुजुर्गों की प्रशंशा करते हुए कहते हैं कि उनके बुजुर्गों से बादशाह सलामत ने कहा कि मियां कोई ऐसी नई चीज बना कर खिला सकते हो, जो ना तो आग में पके और ही पानी से पके लेखिका ने बड़ी हैरान से मियां नसीरुद्दीन से पूछा कि क्या आपके बुजुर्गों से ऐसी कोई चीज बनी? मियां नसीरुद्दीन बोले क्यों ना बनती साहेब, बनी भी और बादशाह सलामत ने खूब खाई और खूब सराही भी। लेखिका के बारबार उस पकवान का नाम पूछने पर वो पकवान का नाम बताने पर आनाकानी करने लगे। मियां नसीरुद्दीन ने बड़े गर्व के साथ बताया किखानदानी नानबाई तो कुँए में भी रोटी बना सकता है उनके अनुसार यह कहावत उनके बुजुर्गो के करतब पर बिल्कुल खरी उतरती हैं।

 

मियाँ नसीरुद्दीन के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Miya Naseeruddin)

प्रश्न 1 – मियाँ नसीरुद्दीन किस कारण प्रसिद्ध थे?
प्रश्न 2 – मियाँ नसीरुद्दीन के द्वारा अखबार बनाने वाले और अखबार पढ़ने वाले क्यों निठल्ले कहे गए हैं?
प्रश्न 3 – मियाँ नसीरुद्दीन द्वारा उन्होंने अपना  हुनर कहाँ से सीखा?
प्रश्न 4 – मियाँ नसीरुद्दीन मेहनत को सबसे आगे रखने वाले व्यक्ति थे। स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 5 – अध्याय के किस भाग से ज्ञात होता है कि मियाँ नसीरुद्दीन को अपने खानदान व् पेशे पर नाज़ है?

 

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