Kar Chale Hum Fida (कर चले हम फ़िदा) Summary, Explanation, Word meanings Class 10

 
Kar Chale Hum Fida Summary
 

CBSE Class 10 Hindi Chapter 6 “Kar Chale Hum Fida”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Sparsh Bhag 2 Book

 

कर चले हम फ़िदा  – Here is the CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Chapter 6 Kar Chale Hum Fida Summary with detailed explanation of the lesson ‘Kar Chale Hum Fida’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary.

 

कर चले हम फ़िदा कक्षा 10 हिंदी पाठ 6

(कविता)

Related:

 

kar

कवि परिचय

कवि – कैफ़ी आज़मी
जन्म – 1919 (उत्तर प्रदेश )
मृत्यु – 2002

Kar Chale Hum Fida Class 10 Video Explanation

 

Top

Kar Chale Hum Fida Introduction (पाठ प्रवेश)

 

जिंदगी सभी प्राणियों को प्रिय होती है। इसे कोई ऐसे ही बेमतलब गवाना नहीं चाहेगा। ऐसा रोगी जो ठीक नहीं हो सकता वो भी जीवन जीने की इच्छा करता है। जीवन की रक्षा करना अपनी सुरक्षा करना और उस जीवन को बनाये रखने के लिए प्रकृति ने सिर्फ साधन ही उपलब्ध नहीं करवाएं है बल्कि सभी जीव जंतुओं को उसे बनाने और बचाये रखने की भावना भी दी है। इसीलिए तो शांति प्रिय जीव भी अपनी जान बचाने के लिए हमला करने के लिए तैयार रहते हैं।

kar

 

लेकिन सैनिक का जीवन बिलकुल इसके विपरीत होता है। क्योंकि सैनिक उस समय सीना तान कर खड़ा हो जाता है जब उसके जीवन पर नहीं बल्कि दूसरों के जीवन और आज़ादी पर संकट आता है। जबकि ऐसी स्थिति में उसे पता होता है कि दूसरों की आज़ादी और जिंदगी भले ही बची रह सकती है परन्तु उसकी जान जाने की सम्भावना सबसे अधिक होती है।

kar

प्रस्तुत पाठ जो युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म   ‘हकीकत’ के लिए लिखा गया था, ऐसे ही सैनिकों के दिल की बात बयान करता है जिन्हें अपने किये पर नाज है। इसी के साथ उन्हें देशवासियों से कुछ आशाएँ भी हैं। जिनसे उन्हें आशाएँ हैं वो देशवासी हम और आप हैं तो इसलिए इस पाठ के जरिये हम जानेगे की हम किस हद तक उनकी आशयों पर खरे उतरे हैं।

Top

Kar Chale Hum Fida Summay  (पाठ सार)

Kar Chale hum Fida Summary – प्रस्तुत कविता में देश के सैनिकों की भावनाओं का वर्णन है। सैनिक कभी भी देश के मानसम्मान को बचाने  से पीछे नहीं हटेगा। फिर चाहे उसे अपनी जान से ही हाथ क्यों ना गवाना पड़े। भारत – चीन युद्ध के दौरान सैनिकों को गोलियाँ लगने के कारण उनकी साँसें रुकने वाली थी ,ठण्ड के कारण उनकी नाड़ियों में खून जम रहा था परन्तु उन्होंने किसी चीज़ की परवाह न करते हुए दुश्मनों का बहदुरी से मुकाबला किया और दुश्मनों को आगे नहीं बढ़ने दिया। सैनिक गर्व से कहते है कि हमें अपने सर भी कटवाने पड़े तो हम ख़ुशी ख़ुशी कटवा देंगे पर हमारे गौरव के प्रतिक हिमालय को नहीं झुकने देंगे अर्थात हिमालय पर दुश्मनों के कदम नहीं पड़ने देंगे। लेकिन देश के लिए प्राण न्योछावर करने की ख़ुशी कभी कभी किसी किसी को ही मिल पाती है अर्थात सैनिक देश पर मर मिटने का एक भी मौका नई खोना चाहते। जिस तरह से दुल्हन को लाल जोड़े में सजाया जाता है उसी तरह सैनिकों ने भी अपने प्राणों का बलिदान दे कर धरती को खून से लाल कर दिया है सैनिक कहते हैं कि हम तो देश के लिए बलिदान दे रहे हैं परन्तु हमारे बाद भी ये सिलसिला चलते रहना चाहिए। जब भी जरुरत हो तो इसी तरह देश की रक्षा के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए। सैनिक अपने देश की धरती को सीता के आँचल की तरह मानते हैं और कहते हैं कि अगर कोई हाथ आँचल को छूने के लिए आगे बड़े तो उसे तोड़ दो।अपने वतन की रक्षा के लिए तुम ही राम हो और तुम ही लक्ष्मण हो अब इस देश की रक्षा का दायित्व तुम पर है।

Top

kar

कर चले हम फ़िदा पाठ की व्याख्या (Explanation)

काव्यांश 1

कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

kar

शब्दार्थ
फ़िदा – न्योंछावर
हवाले –
सौंपना
बाँकपन –
वीरता का भाव

प्रसंग -: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘ स्पर्श भाग -2 ‘ से ली गई हैं। इसके कवि कैफ़ी आज़मी हैं। इन पंक्तियों में कवि एक वीर सैनिक का अपने देशवासियों को दिए आखरी सन्देश का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि सैनिक अपने आखिरी सन्देश में कह रहें है कि वो अपने प्राणों को देश हित के लिए न्योछावर कर रहें है ,अब यह देश हम जाते जाते आप देशवासियों को सौंप रहें हैं। सैनिक उस दृश्य का वर्णन कर रहें है जब दुश्मनों ने देश पर हमला किया था। सैनिक कहते है कि जब हमारी साँसे हमारा साथ नहीं दे रही थी और हमारी नाड़ियों में खून जमता जा रहा ,फिर भी हमने अपने बढ़ते क़दमों को जारी रखा अर्थात दुश्मनों को पीछे धकेलते गए। सैनिक गर्व से कहते है कि हमें अपने सर भी कटवाने पड़े तो हम ख़ुशी ख़ुशी कटवा देंगे पर हमारे गौरव के प्रतिक हिमालय को नहीं झुकने देंगे अर्थात हिमालय पर दुश्मनों के कदम नहीं पड़ने देंगे। हम मरते दम तक वीरता के साथ दुश्मनों का मुकाबला करते रहे अब इस देश की रक्षा का भार आप देशवासियों को सौंप रहे हैं।

 

kar

काव्यांश 2

जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुलहन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

शब्दार्थ
रुत  – मौसम
हुस्न – सुन्दरता
रुस्वा – बदनाम
खूँ – खून

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘ स्पर्श भाग -2 ‘ से ली गई हैं। इसके कवि कैफ़ी आज़मी हैं। इन पंक्तियों में कवि सैनिक के बलिदान का भावनात्मक रूप से वर्णन कर रहा।

व्याख्या सैनिक कहते हैं कि हमारे पूरे जीवन में हमें जिन्दा रहने के कई अवसर मिलते हैं लेकिन देश के लिए प्राण न्योछावर करने की ख़ुशी कभी कभी किसी किसी को ही मिल पाती है अर्थात सैनिक देश पर मर मिटने का एक भी मौका नई खोना चाहते। सैनिक देश के नौजवानों को प्रेरित करते हुए कहते हैं कि सुंदरता और प्रेम का त्याग करना सीखो क्योंकि वो सुंदरता और प्रेम ही क्या ,जवानी ही क्या जो देश के लिए अपना खून न बहा सके। सैनिक देश की धरती को दुल्हन की तरह मानते है और कहते है कि जिस तरह दुल्हन को स्वयंवर में हासिल करने के लिए राजा किसी भी मुश्किल को पार कर जाते थे उसी तरह तुम भी अपनी इस दुल्हन को दुश्मनों से बचा कर रखना। क्योंकि अब हम देश की रक्षा का दायित्व आप देशवासियों पर छोड़ कर जा रहे हैं।

kar

काव्यांश 3

राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फतह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

शब्दार्थ
कुर्बानियाँ – बलिदान
वीरान –
सुनसान
काफ़िलें  –
यात्रिओं के समूह
फतह –
जीत
जश्न –
ख़ुशी

प्रसंग –  प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘ स्पर्श भाग -2 ‘ से ली गई हैं। इसके कवि कैफ़ी आज़मी हैं। इन पंक्तियों में सैनिक देशवासियों को देश के लिए बलिदान करने के लिए तैयार रहने को कहते हैं।

व्याख्यासैनिक कहते हैं कि हम तो देश के लिए बलिदान दे रहे हैं परन्तु हमारे बाद भी ये सिलसिला चलते रहना चाहिए। जब भी जरुरत हो तो इसी तरह देश की रक्षा के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए। जीत की ख़ुशी तो देश पर प्राण न्योछावर करने की ख़ुशी के बाद दोगुनी  हो जाती है। उस स्थिति में ऐसा लगता है मनो जिंदगी मौत से गले मिल रही हो। अब ये देश आप देशवासियों को सौंप रहे हैं अब आप अपने सर पर मौत की चुनरी बांध लो अर्थात अब आप देश की रक्षा के लिए तैयार हो जाओ।

 

kar

 

काव्यांश 4

खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

शब्दार्थ
जमीं –
जमीन
लक़ीर – रेखा

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक ‘ स्पर्श भाग -2 ‘ से ली गई हैं। इसके कवि कैफ़ी आज़मी हैं। इन पंक्तियों में सैनिक देशवासियों को प्रेरित कर रहे हैं।

व्याख्या – सैनिक कहते हैं कि अपने खून से लक्ष्मण रेखा के समान एक रेखा तुम भी खींच लो और ये तय कर लो कि उस रेखा को पार करके कोई रावण रूपी दुश्मन इस पार ना आ पाय। सैनिक अपने देश की धरती को सीता के आँचल की तरह मानते हैं और कहते हैं कि अगर कोई हाथ आँचल को छूने के लिए आगे बड़े तो उसे तोड़ दो। अपने वतन की रक्षा के लिए तुम ही राम हो और तुम ही लक्ष्मण हो ।अब इस देश की रक्षा का दायित्व तुम पर है।
 

kar

Important Videos Links

Top

 

CBSE Class 10 Hindi Sparsh and Sanchayan Lessons Explanation

Chapter 1 Saakhi Chapter 2 Meera ke Pad Chapter 3 Manushyata
Chapter 4 Parvat Pravesh Mein Pavas Chapter 5 TOP Chapter 6 Kar Chale Hum Fida
Chapter 7 Atamtran Chapter 8 Bade Bhai Sahab Chapter 9 Diary ka Ek Panna
Chapter 10 Tantara Vamiro Katha Chapter 11 Teesri Kasam ka Shilpkaar Chapter 12 Ab Kaha Dusre Ke Dukh Se Dukhi Hone Wale
Chapter 13 Patjhar Me Tuti Pattiyan Chapter 14 Kartoos Chapter 1 Harihar Kaka (Sanchayan)
Chapter 2 Sapno Ke Se Din (Sanchayan) Chapter 3 Topi Shukla (Sanchayan)

Also See: