Laghu Katha Lekhan Story Writing in Hindi for Class 10
- कहानी-लेखन की परिभाषा
- लघु कथा लेखन के प्रकार
- कहानी-लेखन-की-प्रमुख-विशेषताएँ
- लघु कथा लेखन की विधियाँ
- कथा लेखन के लिए टिप्स
- Story writing in Hindi Samples
- Laghu katha lekhan FAQs
- 10 Examples of Laghu Katha Lekhan
लघु कथा लेखन का प्रारूप व उदाहरण, Format of Story writing in Hindi
Story Writing in Hindi – इस लेख में हम आपको 10वीं कक्षा के लेखन कौशल के विषय ‘कहानी लेखन (लघु कथा लेखन)’ के बारे में बता रहे हैं। आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपकी ‘कहानी लेखन (लघु कथा लेखन)’ सम्बंधित सभी कठिनाइयों को दूर करने में सहायक सिद्ध होगा।
भारत में विभिन्न प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं में कहानी लेखन (लघु कथा लेखन) एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता हैं। कहानी लेखन का विषय क्या हो और हमें किसी टॉपिक या विषय पर यदि कुछ लिखना हो तो हम किस प्रकार से कहानी लेखन का कार्य कर सकते हैं इसके लिए कुछ उदाहरणों से सिखने का प्रयास कर सकते हैं – जैसे लालची राजा, सच्चा लकड़हारा, दया का शुभ फल, पिता और पुत्र, मित्र की सलाह, मक्खी का लोभ, मेल की शक्ति, सच्ची जित, मूर्खराज, खरगोश और मेढक, बादशाह और माली, नेकी का बदला, उपकार का बदला, लालची बन्दर आदि।
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नई शिक्षा पद्धति के अनुसार कहानी लेखन –
नई शिक्षा पद्धति के अनुसार कहानी लेखन के स्वरूप में भी बदलाव किया गया है। इसके फलस्वरूप कहानी चार प्रकार से पूछी जा सकती है, ये प्रकार निम्नलिखित हैं –
- लघु कथा से सम्बंधित अधिक-से-अधिक मुद्दे दे कर।
2. कहानी से सम्बंधित कुछ मुख्य मुद्दे दे कर।
3. कहानी की शुरुआत की कुछ पंक्तियाँ दे कर।
4. कहानी की अंतिम पंक्तियाँ दे कर।
नोट –
कहानी लेखन (लघु कथा लेखन) कक्षा 10 वीं के लेखन कौशल के भाग-इ में पूछा जाना वाला प्रश्न है। यह प्रश्न 5 अंकों के लिए पूछा जाता है। इस प्रश्न में आपको विकल्प दिए जाते हैं और आपको अपनी इच्छा से कोई एक विकल्प चुन कर लिखना होता है। इस प्रश्न में शब्दों की सीमा सीमित रखी जाती है जो 100 से 120 शब्दों की होती है।
‘कहानी लेखन (लघु कथा लेखन)’
कहानी-लेखन की परिभाषा – Story Writing in Hindi
जीवन की किसी एक घटना के रोचक वर्णन को ‘कहानी’ कहते हैं।
कहानी सुनने, पढ़ने और लिखने की एक लम्बी परम्परा हर देश में रही है; क्योंकि यह सबके लिए मनोरंजक होती है। बच्चों को कहानी सुनने का बहुत चाव होता है। दादी और नानी की कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। इन कहानियों का उद्देश्य मुख्यतः मनोरंजन होता है किन्तु इनसे कुछ-न-कुछ शिक्षा भी मिलती है।
कहानी लिखना एक कला है। हर कहानी-लेखक अपने ढंग से कहानी लिखकर उसमें विशेषता पैदा कर देता है। वह अपनी कल्पना और वर्णन-शक्ति से कहानी के कथानक, पात्र या वातावरण को प्रभावशाली बना देता है। लेखक की भाषा-शैली पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है कि कहानी कितनी अच्छी लिखी गई है।
लघु कथा लेखन के प्रकार – Types of Story Writing in Hindi
आकार की दृष्टि से ये कहानियाँ दोनों तरह की हैं- कुछ कहानियाँ लम्बी हैं जबकि अन्य कुछ कहानियाँ छोटी। आधुनिक कहानी मूलतः छोटी होती है।
कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए
(i) दी गई रूपरेखा अथवा संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करना चाहिए।
(ii) कहानी में विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों को संतुलित विस्तार देना चाहिए। किसी प्रसंग को न बहुत अधिक संक्षिप्त लिखना चाहिए, न अनावश्यक रूप से बहुत अधिक बढ़ाना चाहिए।
(iii) कहानी का आरम्भ आकर्षक होना चाहिए ताकि कहानी पढ़ने वाले का मन उसे पढ़ने में लगा रहे।
(iv) कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लम्बे वाक्य नहीं होनी चाहिए।
(v) कहानी को उपयुक्त एवं आकर्षक शीर्षक देना चाहिए।
(vi) कहानी को प्रभावशाली और रोचक बनाने के लिए मुहावरों व् लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
(vii) कहानी हमेशा भूतकाल में ही लिखी जानी चाहिए।
(viii) कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।
(ix) अंत में कहानी से मिलने वाली सीख स्पष्ट व् संक्षिप्त होनी चाहिए।
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कहानी लेखन की प्रमुख विशेषताएँ – Key feature of Story Writing
कहानी लेखन की निम्नलिखित विशेषताएँ है-
(1) आज कहानी का मुख्य विषय मनुष्य है, देव या दानव नहीं। पशुओं के लिए भी कहानी में अब कोई जगह नहीं रही। हाँ, बच्चों के लिए लिखी गयी कहानियों में देव, दानव, पशु-पक्षी, मनुष्य सभी आते हैं। लेकिन श्रेष्ठ कहानी उसी को कहते है, जिसमें मनुष्य के जीवन की कोई समस्या या संवेदना व्यक्त की गई होती है।
(2) पहले कहानी शिक्षा और मनोरंजन के लिए लिखी जाती थी, आज इन दोनों के स्थान पर कौतूहल जगाने में जो कहानी सक्षम हो, वही सफल समझी जाती है। फिर भी, मनोरंजन आज भी साधारण पाठकों की माँग है।
(3) आज का मनुष्य यह जानने लगा है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है, वह किसी के हाथ का खिलौना नहीं। इसीलिए आज की कहानियों का आधार मनुष्य के जीवन का संघर्ष है।
(4) आज की कहानी का लक्ष्य विभिन्न प्रकार के चरित्रों की सृष्टि करना है। यही कारण है कि आज कहानी में चरित्र-चित्रण का महत्त्व अधिक बढ़ा है।
(5) पहले जहाँ कहानी का लक्ष्य घटनाओं का जमघट लगाना होता था, वहाँ आज घटनाओं को महत्त्व न देकर मानव-मन के किसी एक भाव, विचार और अनुभूति को व्यक्त करना है। प्रेमचन्द ने इस सम्बन्ध में स्पष्ट लिखा है, ”कहानी का आधार अब घटना नहीं, अनुभूति है।”
(6) प्राचीन कहानी समष्टिवादी थी। सबके हितों को ध्यान में रखकर लिखी जाती थी। आज की कहानी व्यक्तिवादी है, जो व्यक्ति के ‘मनोवैज्ञानिक सत्य’ का उद्घाटन करती है।
(7) पहले की उपेक्षा आज की कहानी भाषा की सरलता पर अधिक बल देती है; क्योंकि उसका उद्देश्य जीवन की गाँठों को खोलना है।
(8) पुरानी कहानियों का अंत अधिकतर सुखद होता था, किन्तु आज की कहानियाँ मनुष्य की दुःखान्तक कथा को, उसकी जीवनगत समस्याओं और अन्तहीन संघर्षों को अधिक-से-अधिक प्रकाशित करती हैं।
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लघु कथा लेखन की विधियाँ – Story Writing Format
कहानी का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार होने के कारण छात्रों से भी आशा की जाती है कि वे भी इस ओर ध्यान दें और कहानी लिखने का अभ्यास करें; क्योंकि इससे उनमें सर्जनात्मक शक्ति जगती है। इसके लिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे चार विधियों से कहानी लिखने का अभ्यास करें
(1) कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखना
(2) रूपरेखा के सहारे कहानी लिखना
(3) अधूरी या अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना
(4) चित्रों की सहायता से कहानी का अभ्यास करना।
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(1) कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखना –
मूल कहानी को ध्यान से पढ़कर कहानी लिखने का अभ्यास किया जाना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि कहानी को खूब ध्यान से पढ़ा जाए, उसकी प्रमुख बातों या चरित्रों या घटनाओं को अलग कागज पर संकेत-रूप में लिख लिया जाए और फिर अपनी भाषा में मूल कहानी को इस तरह लिखा जाए कि कोई भी महत्त्वपूर्ण बात या घटना या प्रसंग छूटने न पाए। इस प्रकार की कहानी लिखते समय छात्रों को निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
(i) कहानी का आरम्भ आकर्षक ढंग से हो
(ii) संवाद छोटे-छोटे हों
(iii) कहानी का क्रमिक विकास हो(iv) उसका अन्त स्वाभाविक हो
(v) कहानी का शीर्षक मूल कहानी का शीर्षक हो
(vi) भाषा सरल और सुबोध हो।
इनके आधार पर छात्रों से कहानी लिखने का अभ्यास कराया जाना चाहिए।
(2) रूपरेखा (संकेतों) के सहारे कहानी लिखना –
रूपरेखा या दिए गये संकेतों के आधार पर कहानी लिखना कठिन भी है, सरल भी। कठिन इसलिए कि संकेत अधूरे होते हैं। इसके लिए कल्पना और मानसिक व्यायाम करने की आवश्यकता पड़ती है। सरल इसलिए कि कहानी के संकेत पहले से दिए रहते हैं। यहाँ केवल खानापुरी करनी होती है। लेकिन, इस प्रकार की कहानी लिखने के लिए कल्पना से अधिक काम लेना पड़ता है। ऐसी कहानी लिखने में वे ही छात्र अपनी क्षमता का परिचय दे सकते है, जिनमें सर्जनात्मक और कल्पनात्मक शक्ति अधिक होती है। इसके लिए छात्र को संवेदनशील और कल्पनाप्रवण होना चाहिए। एक उदाहरण इस प्रकार है-
संकेत
एक किसान के लड़के लड़ते, किसान मरने के निकट, सबको बुलाया, लकड़ियों को तोड़ने को दिया, किसी से न टूटा, एक-एक कर लकड़ियों तोड़ी, शिक्षा। उपर्युक्त संकेतों को पढ़ने और थोड़ी कल्पना से काम लेने पर पूरी कहानी इस प्रकार बन जाएगी-
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एकता में बल –
एक था किसान। उसके चार लड़के थे। पर उन लड़कों में मेल नहीं था। वे आपस में बराबर लड़ते-झगड़ते रहते थे। एक दिन किसान बहुत बीमार पड़ा। जब वह मृत्यु के निकट पहुँच गया, तब उसने अपने चारों लड़कों को बुलाया और मिल-जुलकर रहने की शिक्षा दी।
किन्तु लड़कों पर उसकी बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तब किसान ने लकड़ियों का गट्ठर माँगवाया और लड़कों को तोड़ने को कहा। किसी से वह गट्ठर न टूटा। फिर, लकड़ियाँ गट्ठर से अलग की गयीं।
किसान ने अपने सभी लड़कों को बारी-बारी से बुलाया और लकड़ियों को अलग-अलग तोड़ने को कहा। सबने आसानी से लकड़ियों को तोड़ दिया। अब लड़कों की आँखें खुलीं। तभी उन्होंने समझा कि आपस में मिल-जुलकर रहने में कितना बल है।
(3) अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना
छात्रों में कल्पना-शक्ति जगाने के लिए ऐसी कहानी लिखने का भी अभ्यास कराया जाता है, जो अधूरी या अपूर्ण है। उसको पूरा करना है। इसके लिए आवश्यक है कि अपूर्ण कहानी को ध्यान से पढ़ाया जाए, उसके क्रमों को समझाया जाए और उनमें परस्पर सम्बन्ध बनाते हुए सर्जनात्मक कल्पना के सहारे अधूरी कहानी को पूरा करने का अभ्यास कराया जाए। एक उदाहरण इस प्रकार है-
कौए ने गाना सुनाने के लिए ज्योंही अपनी चोंच खोली, रोटी का टुकड़ा उसके मुँह से गिर गया। रोटी का टुकड़ा ले लोमड़ी हँस-हँसकर खाने लगी और कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा।
अब अगर दूसरी बार कौआ मांस का टुकड़ा ले आए, तो लोमड़ी क्या करेगी? इस अपूर्ण कहानी को पूरा करें। यहाँ छात्र को कल्पना-शक्ति के सहारे शेष कहानी को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। शेष कहानी के अनेक रूप हो सकते है। यह छात्रों की कल्पना पर छोड़ा जा सकता है।
(4) चित्रों की सहायता से कहानी लिखना –
चित्र भाव या विचार को जगाते हैं इनसे हमारी कल्पना-शक्ति जगती है। छात्रों में भाव और कल्पना-शक्ति को जगाने के लिए दिए गए चित्रों की सहायता से पूरी कहानी तैयार करने का अभ्यास कराया जाना चाहिए। एक उदाहरण इस प्रकार है-
मूर्ख बन्दर –
एक सेठ था। उसने एक बन्दर पाला था। बन्दर सेठ से बहुत अधिक मिल कर रहता था। सेठ बन्दर को बहुत बुद्धिमान समझता था, पर बन्दर तो बन्दर ही ठहरा। एक दिन की बात है। गर्मी के दिन में सेठ गहरी नींद सो रहा था। बन्दर उसे पंखा हिला रहा था। एक मक्खी उड़कर आयी और सेठ के नाक पर बैठ गयी। बन्दर बार-बार उस मक्खी को पंखे से उड़ाता, पर मक्खी बार-बार सेठ के नाक पर बैठ जाती। अन्त में बन्दर से नहीं रहा गया। बाहर से वह पत्थर का एक बड़ा-सा टुकड़ा ले आया। इस बार मक्खी सेठ की नाक पर बैठी तो बन्दर ने उसी समय पत्थर के टुकड़े से उसे जोर से मारा। मक्खी तो उड़ गयी, पर बेचारे सेठ की नाक टूट गयी।
कथा लेखन के लिए टिप्स:
- रोचक विषय चुनें।
- शुरुआत में आकर्षक परिचय दें।
- कथा में संघर्ष दिखाएं।
- संरचना तैयार करें: परिचय, संघर्ष, परिवर्तन, समाधान।
- विभिन्न पात्रों को विकसित करें: गुण, भावनाएं, व्यक्तित्व।
- वर्णन का उपयोग करें: जीवंत दृश्य बनाएं।
- टेंशन और उत्तेजना जोड़ें।
- कथा को संक्षेप में लिखें।
Story writing in Hindi Samples
लघु कथा लेखन Examples
रुपरेखा के आधार पर लघु कहानियों के कुछ उदाहरण –
1.
संकेत –
(दो भाई घर में अकेले, फाइल में आतंकियों की जानकारी, आतंकियों का घर में घुसना, फ़ाइल ढूंढ़ना, कमरे में बंद, आतंकी गिरफ्तार)
चतुर अर्जुन
एक दिन अर्जुन और उसका छोटा भाई करण दोनों घर में अकेले थे। उनके पिताजी एक पुलिस अधिकारी थे। वे एक लाल रंग की फाइल घर लाए थे। उसमें सभी कुख्यात आतंकवादियों के बारे में जानकारी थी।
अर्जुन जानता था कि पापा ने वह फाइल एक अलमारी में सुरक्षित रखी हुई है। अर्जुन और करण खेल रहे थे कि तभी दो आतंकवादी उनके घर में घुस आए और बोले, “लाल फाइल कहाँ है?” अर्जुन बड़ा चालाक था।
वह बोला, “शयनकक्ष की अलमारी में ऊपर रखी गई है। मैं वहाँ तक नहीं पहुँच सकता।” दोनों आतंकवादी लाल फाइल को हासिल करने के लिए उस कमरे में गए। जब वे अलमारी में फाइल ढूँढ रहे थे, तब अर्जुन ने धीरे-से उस कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पिताजी को भी फोन कर दिया जल्दी ही उसके पिताजी पुलिस लेकर वहाँ पहुँच गए।
दोनों आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार अर्जुन ने अपनी चतुराई से दोनों आतंकवादियों को पकड़वा दिया। सभी ने उनकी खूब सराहना की।
शिक्षा – सूझ-भूझ से किसी भी मुसीबत से निपटा जा सकता है।
2. संकेत –
(बारिश का आभाव, एक भेड़िया, चरागाह में भेड़ों का झुंड, सारा पानी भी पी जाना, भेड़ें वहाँ से भाग गई)
भेड़िए की योजना
एक बार पूरे देश में सूखा पड़ गया। बारिश के अभाव में सभी नदी-नाले सूख गए। कहीं पर भी अन्न का एक दाना नहीं उपजा। बहुत से जानवर भूख और प्यास से मर गए। पास ही के जंगल में एक भेड़िया रहता था।
उस दिन वह अत्यधिक भूखा था। भोजन न मिलने की वजह से वह बहुत दुबला हो गया था। एक दिन उसने जंगल के पास स्थित चरागाह में भेड़ों का झुंड देखा। चरवाहा उस समय वहाँ पर नहीं था।
वह अपनी भेड़ों के लिए पीने के पानी की बाल्टियाँ भी छोड़कर गया था। भेड़ों को देखकर भेड़िया खुश हो गया और सोचने लगा, ‘मैं इन सब भेड़ों को मारकर खा जाऊँगा और सारा पानी भी पी जाऊँगा।
फिर वह उनसे बोला, “दोस्तो, मैं अत्यधिक बीमार हूँ और चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। क्या तुम में से कोई मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी दे सकता है।” उसे देखकर भेड़ें सतर्क हो गई। तब उनमें से एक भेड़ बोली,“क्या तुम हमें बेवकूफ समझते हो? हम तुम्हारे पास तुम्हारा भोजन बनने के लिए हरगिज नहीं आएँगे।” इतना कहकर भेड़ें वहाँ से भाग गई। इस प्रकार भेड़ों की सतर्कता के कारण भेड़िए की योजना असफल हो गई और बेचारा भेड़िया बस हाथ मलता ही रह गया।
शिक्षा – बुद्धि सबसे बड़ा धन है।
3. संकेत – (आलसी लड़का, पैसों से भरा एक थैला, बिना प्रयास के ही इतने सारे पैसे, व्यर्थ खर्च, कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं, कद्र और उपयोगिता)
मेहनत की कमाई
सोनू एक आलसी लड़का था। वह अपना समय यूँ ही आवारागदी करने में व्यतीत करता था। इस कारण वह हमेशा कार्य करने से जी चुराता था। एक दिन उसे पैसों से भरा एक थैला मिला।
वह अपने भाग्य पर बहुत खुश हुआ। वह यह सोच-सोचकर खुश हो रहा था कि उसे मिल गए। सोनू ने कुछ पैसों से मिठाई खरीदी, कुछ पैसों से कपड़े व अन्य सामान खरीदा।
इस प्रकार उसने पैसों को व्यर्थ खर्च करना प्रारंभ कर दिया। तब उसकी माँ बोली, “बेटा, पैसा यूँ बर्बाद न करो। इस पैसे का उपयोग किसी व्यवसाय को शुरू करने में करो।” सोनू बोला, “माँ मेरे पास बहुत पैसा है।
इसलिए मुझे कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।” धीरे-धीरे सोनू ने सारा पैसा खर्च कर दिया अब उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी। इस तरह वह एक बार फिर अपनी उसी स्थिति में आ गया। सोनू को एहसास हुआ कि यदि उसने वह धन परिश्रम से कमाया हुआ होता तो उसने अवश्य उसकी कद्र और उपयोगिता समझी होती।
शिक्षा – धन की उपयोगिता तभी समझ आती है जब वह मेहनत से कमाया हुआ हो।
4. संकेत – (आश्रम, नटखट शिष्य, दीवार फाँदना, उसके गुरुजी यह बात जानते थे, दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी, नीचे उतरने में मदद, गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचन, गलती के लिए क्षमा)
सबक
एक समय की बात है। एक आश्रम में रवि नाम का एक शिष्य रहता था। वद बहुत अधिक नटखट था। वह प्रत्येक रात आश्रम की दीवार फाँदकर बाहर जाता था परन्तु उसके बाहर जाने की बात कोई नहीं जानता था।
सुबह होने से पहले लौट आया। वह सोचता था कि उसके आश्रम से घूमने की बात कोई नहीं जानता लेकिन उसके गुरुजी यह बात जानते थे। वे रवि को रंगे हाथ पकड़ना चाहते थे। एक रात हमेशा की तरह रवि सीढ़ी पर चढ़ा और दीवार फॉदकर बाहर कूद गया।
उसके जाते ही गुरुजी जाग गए। तब उन्हें दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी। कुछ घंटे बाद रवि लौट आया और अंधेरे में दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने लगा। उस वक्त उसके गुरुजी सीढ़ी के पास ही खड़े थे। उन्होंने रवि की नीचे उतरने में मदद की और बोले, “बेटा, रात में जब तुम बाहर जाते हो तो तुम्हें अपने साथ एक गर्म साल अवश्य रखनी चाहिए।
गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचनों का रवि पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी गलती के लिए क्षमा माँगी। साथ ही उसने गुरु को ऐसी गलती दोबारा न करने का वचन भी दिया।
शिक्षा – प्रेमपूर्ण वचनों का सबक जिंदगी भर याद रहता है।
5.
संकेत – (पालतु चिड़िय, ताजा पानी और दाना, चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची, स्वास्थ्य परीक्षण, बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं, दुश्मन बिल्ली, मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई)
चालाक चिड़िया
एक व्यक्ति ने अपने पालतु चिड़ियों के लिए एक बड़ा-सा पिंजरा बनाया उस पिंजरे के अंदर चिड़िया आराम से रह सकती थीं। वह व्यक्ति प्रतिदिन उन चिड़ियों को ताजा पानी और दाना देता।
एक दिन उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में एक चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची और बोली, “मेरे प्यारे दोस्तो पिंजरे का दरवाजा खोलो। मैं एक डॉक्टर हूँ और तुम सब के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए यहाँ आई हूँ।”
समझदार चिड़ियाएँ बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं। वे उससे बोली, “तुम हमारी दुश्मन बिल्ली हो। हम तुम्हारे लिए दरवाजा हरगिज नहीं खोलेंगे। यहाँ से चली जाओ।” तब बिल्ली बोली,“नहीं, नहीं। मैं तो एक डॉक्टर हूँ। तुम मुझे गलत समझ रहे हो। मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगी। कृपया दरवाजा खोल दो।” लेकिन चिड़िया उसकी बातों में नहीं आई। उन्होंने उससे स्पष्ट रूप से मना कर दिया। आखिरकार मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई।
शिक्षा – समझदारी किसी भी मुसीबत को टाल सकती है।
Laghu katha lekhan FAQs
Q1 लघु कथा लेखन क्या है ?
उतर – लघुकथा लेखन गद्य साहित्य की सबसे रोचक विधा है। यह विधा अपने एकांकी स्वरूप में किसी भी एक विषय, एक घटना या एक क्षण पर आधारित होती है। जो अपने सीमित दायरे में ही स्वतः पूर्ण एवं प्रभावशाली होते हैं।
Q2 लघु कथा के २ उदाहरण दीजिये।
उतर – लघु कथा के दो उदाहरण निम्नलिखित है।
i. शीर्षक के आधार पर लघु कथा
शीर्षक – अभ्यास की शक्ति
लघु कथा-
प्राचीन भारत में एक बालक था। वह पढ़ाई-लिखाई में बहुत कमजोर था। जब वह पाँच वर्ष का था, तभी वह गुरुकुल शिक्षा के लिए आ गया। दस वर्ष बीत जाने के बाद भी वह आगे नहीं बढ़ पाया। सभी साथी उसका मजाक उड़ाते हुए उसे वरदराज, (बैलों का राजा) कहा करते थे। एक दिन गुरु जी ने उसे अपने पास बुलाया और कहा, “बेटा वरदराज” तुम किसी और काम में ज्यादा सक्षम हो सकते हो, इसलिए अपना समय नष्ट मत करो और घर जाओ। कुछ और काम करो।” गुरु जी की बात से वरदराज को बहुत ही दुख पहुँचा। उसने विद्या विहीन होने से जीवन को खत्म करना बेहतर समझा। यह गुरुकुल से चला गया और आत्महत्या करने का उपाय सोचने लगा। रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वहाँ महिलाएँ रस्सी से पानी निकाल रही थी। वह वहीं बैठ गया। तब उसने देखा कि रस्सी के आने-जाने के कारण पत्थर पर निशान पड़ गए हैं। वरदराज ने सोचा कि जब इतना कठोर पत्थर, कोमल रस्सी के बार-बार रगड़ने से घिस सकता है, तो परिश्रम करने से मुझे विद्या क्यों नहीं प्राप्त हो सकती? उसने आत्महत्या का विचार त्याग दिया और गुरुदेव के पास लौट आया। उसने गुरुदेव से कुछ दिन और रखकर शिक्षा देने को प्रार्थना की। सरल हृदय से गुरुदेव राजी हो गए। अब वरदराज ने मन लगाकर अध्ययन करना आरंभ किया। उसमें ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा इतनी प्रबल हो गई थी कि उसे न अपने खाने-पीने का ध्यान रहता और न ही समय का।
यही वरदराज आगे चलकर संस्कृत के महान विद्वान बनें। लोगों को संस्कृत आसानी से समझ में आए इस बात को ध्यान में रखकर उन्होंने “लघु सिद्धांत कौमुदी’ की रचना की, जो संस्कृत का महान ग्रंथ है। यह ग्रंथ पाणिनि के व्याकरण का संक्षिप्त सार है। वरदराज की कहानी से निम्नलिखित लोकोक्ति प्रचलित हो गई जो कहानी की शिक्षा को चरितार्थ करती है-
करत-करत अभ्यास के जड्मति होत सुजाना
रसरी आवत-जात ते, सिल पर परत निसान॥
शिक्षा- अभ्यास सफलता का मूलमंत्र है।
ii. संकेत-बिंदु के आधार पर लघु कथा
संकेत
एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन दोपहर को वह एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। अचानक एक
चूहा उसके ऊपर आकर कूदने लगा। इससे शेर की नींद टूट गई। अपने ऊपर चूहे को देखकर वह बहुत क्रोधित हुआ और गरजकर बोला-“ तेरी यह हिम्मत! मैं अभी तुझे जान से मार दूँगा।”
बेचारा चूहा भय से काँपने लगा। उसने शेर से विनती की ………….।
लघु कथा-
एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन दोपहर को वह एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। अचानक एक
चूहा उसके ऊपर आकर कूदने लगा। इससे शेर की नींद टूट गई। अपने ऊपर चूहे को देखकर वह बहुत क्रोधित हुआ और गरजकर बोला-“ तेरी यह हिम्मत! मैं अभी तुझे जान से मार दूँगा।”
बेचारा चूहा भय से काँपने लगा। उसने शेर से विनती की-“ महाराज, मुझे मत मारिए। मुझे छोड़ दीजिए। वैसे तो मैं बहुत छोटा और दुर्बल हूँ, मगर मैं वादा करता हूँ कि आपका एहसान जीवन भर न भूलूँगा। कभी मौका मिला तो आपकी मदद अवश्य करूँगा।” उसकी बात पर शेर हँसते हुए बोला-“तुम जैसा बहुत ही कमजोर और छोटा जीव, मेरी क्या मदद करेगा? चलो तुम कह रहे हो तो मैं तुम्हें माफ करता हूँ।” यह कहकर शेर ने चूहे को छोड़ दिया। एक दिन की बात है, किसी शिकारी ने जंगल में जाल बिछा रखा था। शेर शिकार की तलाश में जंगल में भटक रहा था कि शिकारी के जाल में फँस गया। घबराकर वह दहाड़ने लगा। मगर जाल बहुत मजबूत था। बेचारे शेर की एक न चली। जाल तोड़कर बाहर निकलना उसके लिए संभव नहीं था। चूहे ने दूर से शेर की दहाड़ सुनी तो वह भागकर शेर के पास पहुँचा और उसने देखते-ही-देखते उस जाल को कुतर दिया। जाल के कटते ही शेर उससे आज़ाद हो गया। जाल से बाहर आकर शेर ने चूहे का आभार व्यक्त किया और उसे धन्यवाद दिया। फिर वे दोनों शिकारी के आने से पहले वहाँ से चले गए।
शीर्षक – शेर और चूहा
शिक्षा – कभी किसी भी जीव को छोटा और कमजोर नहीं समझना चाहिए। हर प्राणी की कोई-न-कोई उपयोगिता होती है।
Q3 क्लास १० में लघु कथा के कितने अंक हैं ?
उतर – क्लास 10 में लघु कथा के 5 अंक हैं।
Q4 क्या लघु कथा में चॉइस आती है ?
उतर – जी हां! लघु कथा में चॉइस आती है ।
Q5 लघु कथा लिखते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उतर – लघु कथा लिखते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
- दी गई रूपरेखा या संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करना चाहिए।
- कहानी में विभिन्न घटनाओं एवं प्रसंगों का संतुलित विस्तार होना चाहिए। किसी भी प्रसंग को बहुत संक्षेप में नहीं लिखना चाहिए और न ही उसे अनावश्यक रूप से बहुत अधिक विस्तार देना चाहिए।
- कहानी का आरम्भ आकर्षक होना चाहिए ताकि पाठक की रुचि इसे पढ़ने में लगी रहें।
- कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक और प्रभावशाली होनी चाहिए, कठिन शब्दों और लंबे वाक्यों के अत्यधिक प्रयोग से बचना चाहिए।
- कहानी को उपयुक्त एवं आकर्षक शीर्षक दिया जाना चाहिए।
- मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करके कहानी को प्रभावशाली और रोचक बनाया जा सकता है।
- कहानी हमेशा भूतकाल का उपयोग करके लिखी जानी चाहिए।
- कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।
- अंत में कहानी से मिलने वाली सीख स्पष्ट व संक्षिप्त होनी चाहिए।
Q6 लघु कथा कितने प्रकार की है ?
उतर – लघु कथा एक प्रकार की कहानी है जो आकार में छोटी होती है। लघु कथा के प्रकार नहीं हैं।
Q7 क्या लघु कथा में फुल मार्क्स आ सकते हैं ? कैसे?
उतर – जी हां! लघु कथा में फुल मार्क्स आ सकते हैं।
लघु कथा लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे-
- दी गई रूपरेखा या संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करें।
- कहानी की शुरुआत आकर्षक होनी चाहिए ताकि पढ़ने वाले का मन उसे पढ़ने में लगा रहे।
- कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक और प्रभावशाली होनी चाहिए।
- कहानी हमेशा भूतकाल का उपयोग करके लिखी जानी चाहिए।
- अंत में कहानी से मिलने वाली सीख स्पष्ट व संक्षिप्त होनी चाहिए।
Q8 लघु कथा कितने शब्दों में लिखनी चाहिए ?
उतर – लघु कथा 100-120 शब्दों में लिखनी चाहिए।
Q9 लघु कथा को इंग्लिश में क्या कहते हैं ?
उतर – लघु कथा को इंग्लिश में शॉर्ट स्टोरी राइटिंग (Short Story Writing) कहते हैं।
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