NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Bhag 1 स्मृति Important Question Answers Lesson 2
Class 9 Hindi Smriti Question Answers – Looking for Smriti question answers for CBSE Class 9 Hindi Sanchayan Bhag 1 Book Lesson 2? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.
सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी संचयन भाग 1 पुस्तक पाठ 2 स्मृति प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 9 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे स्मृति प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions.
Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.
- Smriti Extract based Questions
- Smriti Multiple Choice Questions
- Smriti Short Answer Questions
- Smriti Long Answer Questions
- Extra Question Answers
- “स्मृति” Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 Summary, Explanation, Notes, NCERT Solutions
- NCERT Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 MCQs
Class 9 Hindi स्मृति Question Answers Lesson 2 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1 –
कई साथियों के साथ मैं झरबेरी के बेर तोड़–तोड़कर खा रहा था कि गाँव के पास से एक आदमी ने जोर से पुकारा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र ही घर लौट जाओ। मैं घर को चलने लगा। साथ में छोटा भाई भी था। भाई साहब की मार का डर था इसलिए सहमा हुआ चला जाता था। समझ में नहीं आता था कि कौन–सा कसूर बन पड़ा। डरते–डरते घर में घुसा। आशंका थी कि बेर खाने के अपराध में ही तो पेशी न हो। पर आँगन में भाई साहब को पत्र लिखते पाया। अब पिटने का भय दूर हुआ। हमें देखकर भाई साहब ने कहा-“इन पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ। तेज़ी से जाना, जिससे शाम की डाक में चिठियाँ निकल जाएँ। ये बड़ी जरुरी हैं।” जाड़े के दिन थे ही, जिस पर हवा के प्रकोप से कॅंप–कँपी लग रही थी। हवा मज्जा तक ठिठुरा रही थी, इसलिए हमने कानों को धोती से बाँधा। माँ ने भुँजाने के लिए थोड़े चने एक धोती में बाँध दिए। हम दोनों भाई अपना–अपना डंडा लेकर घर से निकल पड़े। उस समय उस बबूल के डंडे से जितना मोह था, उतना इस उमर में रायफल से नहीं। मेरा डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण–वाहन हो चुका था। मक्खनपुर के स्कूल और गाँव के बीच पड़ने वाले आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष उससे आम झुरे जाते थे। इस कारण वह मूक डंडा सजीव–सा प्रतीत होता था। प्रसन्नवदन हम दोनों मक्खनपुर की ओर तेजी से बढ़ने लगे। चिठियों को मैंने टोपी में रख लिया, क्योंकि कुर्ते में जेबें न थी।
प्रश्न 1 – गद्यांश में लेखक किस समय की बात बता रहा है?
(क) अपने वर्तमान की
(ख) अपने बचपन की
(ग) सर्दी के समय की
(घ) दिसंबर या जनवरी की
उत्तर – (ख) अपने बचपन की
प्रश्न 2 – जब लेखक झरबेरी के बेर तोड़–तोड़कर खा रहा था तब गाँव के पास से एक आदमी ने उसे क्या सन्देश दिया?
(क) कि लेखक को उसका भाई बुला रहा हैं
(ख) कि लेखक को शीघ्र घर लौट जाना चाहिए
(ग) कि बाग़ का माली आ गया है
(घ) कि वह लेखक की शिकायत उसके भाई से करेगा
उत्तर – (क) कि लेखक को उसका भाई बुला रहा हैं
प्रश्न 3 – लेखक अपने घर में डरते–डरते क्यों गया?
(क) क्योंकि लेखक को डर था कि बेर खाने के लिए उसे मार पड़ेगी
(ख) क्योंकि लेखक स्कूल से देरी से घर आया था
(ग) क्योंकि लेखक के परीक्षा में कम अंक आए थे
(घ) क्योंकि लेखक उस दिन स्कूल ही नहीं गया था
उत्तर – (क) क्योंकि लेखक को डर था कि बेर खाने के लिए उसे मार पड़ेगी
प्रश्न 4 – लेखक को बबूल के डंडे से अत्यधिक मोह था, क्यों?
(क) क्योंकि लेखक ने उस डंडे से अनेक सांपों को मारा था
(ख) क्योंकि लेखक ने उस डंडे की मदद से हर गर्मी के मौसम में आम तोड़े थे
(ग) केवल (ख)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 5 – लेखक ने चिठ्ठियों को अपनी टोपी में क्यों रखा?
(क) क्योंकि लेखक के कुर्ते की जेबें फटी हुई थी
(ख) क्योंकि लेखक के कुर्ते में जेबें ही नहीं थी
(ग) क्योंकि लेखक को टोपी में चिठ्ठियाँ अधिक सुरक्षित लग रही थी
(घ) क्योंकि लेखक के कुर्ते की जेबों में चने भरे हुए थे
उत्तर – (ख) क्योंकि लेखक के कुर्ते में जेबें ही नहीं थी
2 –
गाँव से मक्खनपुर जाते और मक्खनपुर से लौटते समय प्रायः प्रतिदिन ही कुएँ में ढेले डाले जाते थे। मैं तो आगे भागकर आ जाता था और टोपी को एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से ढेला फेंकता था। यह रोजाना की आदत–सी हो गई थी। साँप से फुसकार करवा लेना मैं उस समय बड़ा काम समझता था। इसलिए जैसे ही हम दोनों उस कुएँ की ओर से निकले, कुएँ में ढेला फेंककर फुसकार सुनने की प्रवृत्ति जाग्रत हो गई। मैं कुएँ की ओर बढ़ा। छोटा भाई मेरे पीछे ऐसे हो लिया जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक हो लेता है। कुएँ के किनारे से एक ढेला उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला गिरा दिया, पर मुझ पर तो बिजली–सी गिर पड़ी। साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं यह बात अब तक स्मरण नहीं। टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं। अकस्मात् जैसे घास चरते हुए हिरन की आत्मा गोली से हत होने पर निकल जाती है और वह तड़पता रह जाता है, उसी भाँति वे चिठियाँ क्या टोपी से निकल गईं, मेरी तो जान निकल गई। उनके गिरते ही मैंने उनको पकड़ने के लिए एक झपटा भी मारा;ठीक वैसे जैसे घायल शेर शिकारी को पेड़ पर चढ़ते देख उस पर हमला करता है। पर वे तो पहुँच से बाहर हो चुकी थीं। उनको पकड़ने की घबराहट में मैं स्वयं झटके के कारण कुएँ में गिर गया होता।
प्रश्न 1 – बच्चे गाँव से मक्खनपुर जाते और मक्खनपुर से लौटते समय प्रायः प्रतिदिन क्या करते थे?
(क) प्रतिदिन बेर और आम तोड़ते थे
(ख) कुएँ में पत्थर डालते थे
(ग) प्रतिदिन उछलते–कूदते खेलते थे
(घ) कुँए से पानी पीते थे
उत्तर – (ख) कुएँ में पत्थर डालते थे
प्रश्न 2 – बच्चे प्रतिदिन कुँए में पत्थर क्यों डालते थे?
(क) उन्हें ऐसा करने में मज़ा आता था
(ख) पानी में पत्थर के गिरने की आवाज सुनने के लिए
(ग) कुँए में रहने वाले साँप की फुसकार सुनने के लिए
(घ) एक दूसरे की नक़ल करने के लिए
उत्तर – (ग) कुँए में रहने वाले साँप की फुसकार सुनने के लिए
प्रश्न 3 – टोपी उतारते हुए साँप पर ढेला गिराते ही लेखक पर तो बिजली–सी गिर पड़ी, क्यों?
(क) क्योंकि साँप ने बड़ी तेज़ फुसकार मारी
(ख) क्योंकि साँप को गुस्सा आ गया था
(ग) क्योंकि लेखक की टोपी कुँए में गिर गई थी
(घ) क्योंकि लेखक को दी गई चिठ्ठियाँ कुँए में गिर गई थी
उत्तर – (घ) क्योंकि लेखक को दी गई चिठ्ठियाँ कुँए में गिर गई थी
प्रश्न 4 – छोटा भाई लेखक के पीछे किसकी तरह दौड़ पड़ा?
(क) जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक
(ख) जैसे बड़े मृग के पीछे छोटा मृग
(ग) जैसे बड़े शावक के पीछे छोटा शावक
(घ) जैसे बड़े मृग के पीछे छोटा मृगशावक
उत्तर – (क) जैसे बड़े मृगशावक के पीछे छोटा मृगशावक
प्रश्न 5 – गद्यांश में ‘अचानक‘ शब्द के लिए किस शब्द का प्रयोग किया गया है ?
(क) प्रवृत्ति
(ख) जाग्रत
(ग) अकस्मात्
(घ) अतः
उत्तर – (ग) अकस्मात्
3 –
कुएँ की पाट पर बैठे हम रो रहे थे–छोटा भाई ढाढ़ें मारकर और मैं चुपचाप आँखें डबडबाकर। पतीली में उफान आने से ढकना ऊपर उठ जाता है और पानी बाहर टपक जाता है। निराशा, पिटने के भय और उद्वेग से रोने का उफान आता था। पलकों के ढकने भीतरी भावों को रोकने का प्रयत्न करते थे, पर कपोलों पर आँसू ढुलक ही जाते थे। माँ की गोद की याद आती थी। जी चाहता था कि माँ आकर छाती से लगा ले और लाड़–प्यार करके कह दे कि कोई बात नहीं, चिठियाँ फिर लिख ली जाएँगी। तबीयत करती थी कि कुएँ में बहुत–सी मिट्टी डाल दी जाए और घर जाकर कह दिया जाए कि चिठ्ठी डाल आए, पर उस समय मैं झूठ बोलना जानता ही न था। घर लौटकर सच बोलने पर रुई की तरह धुनाई होती। मार के खयाल से शरीर ही नहीं मन भी काँप जाता था। सच बोलकर पिटने के भावी भय और झूठ बोलकर चिठियों के न पहुँचने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा मैं बैठा सिसक रहा था। इसी सोच–विचार में पंद्रह मिनट होने को आए। देर हो रही थी, और उधर दिन का बुढ़ापा बढ़ता जाता था। कहीं भाग जाने को तबीयत करती थी, पर पिटने का भय और जिम्मेदारी की दुधारी तलवार कलेजे पर फिर रही थी।
प्रश्न 1 – लेखक और लेखक का छोटा भाई कुएँ की पाट पर बैठ कर क्या कर रहे थे?
(क) वे कुँए में पत्थर फ़ेंक रहे थे
(ख) वे साँप को देखने की कोशिश कर रहे थे
(ग) वे रो रहे थे
(घ) वे पानी पी रहे थे
उत्तर – (ग) वे रो रहे थे
प्रश्न 2 – लेखक की पलकें क्या ढकने का प्रयत्न कर रही थी?
(क) आँसू
(ख) भीतरी भाव
(ग) भय
(घ) डर
उत्तर – (ख) भीतरी भाव
प्रश्न 3 – गद्यांश में लेखक को डर के कारण किसकी याद आ रही थी?
(क) माँ की
(ख) माँ की गोद की
(ग) माँ के खाने की
(घ) माँ के प्यार की
उत्तर – (ख) माँ की गोद की
प्रश्न 4 – परिस्थितियों से निकलने के लिए लेखक को क्या उपाय सूझ रहे थे?
(क) कुएँ में बहुत–सी मिट्टी डाल दी जाए और घर जाकर कह दिया जाए कि चिठ्ठी डाल आए
(ख) कुएँ में बहुत–सी मिट्टी डाल दी जाए
(ग) घर जाकर झूठ कह दिया जाए कि चिठ्ठी डाल आए
(घ) केवल (ग)
उत्तर – (क) कुएँ में बहुत–सी मिट्टी डाल दी जाए और घर जाकर कह दिया जाए कि चिठ्ठी डाल आए
प्रश्न 5 – गद्यांश में किन मुहावरों का प्रयोग हुआ है?
(क) रुई की तरह धुनाई होना
(ख) दिन का बुढ़ापा बढ़ता जाना
(ग) दुधारी तलवार कलेजे पर फिरना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
4 –
दृढ़ संकल्प से दुविधा की बेड़ियाँ कट जाती हैं। मेरी दुविधा भी दूर हो गई। कुएँ में घुसकर चिठियों को निकालने का निश्चय किया। कितना भयंकर निर्णय था! पर जो मरने को तैयार हो, उसे क्या? मूर्खता अथवा बुद्धिमता से किसी काम को करने के लिए कोई मौत का मार्ग ही स्वीकार कर ले, और वह भी जानबूझकर, तो फिर वह अकेला संसार से भिड़ने को तैयार हो जाता है। और फल? उसे फल की क्या चिंता। फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है। उस समय चिठियाँ निकालने के लिए मैं विषधर से भिड़ने को तैयार हो गया। पासा फेंक दिया था। मौत का आलिंगन हो अथवा साँप से बचकर दूसरा जन्म–इसकी कोई चिंता न थी। पर विश्वास यह था कि डंडे से साँप को पहले मार दूँगा, तब फिर चिठियाँ उठा लूँगा। बस इसी दृढ़ विश्वास के बूते पर मैंने कुएँ में घुसने की ठानी।
छोटा भाई रोता था और उसके रोने का तात्पर्य था कि मेरी मौत मुझे नीचे बुला रही है, यद्यपि वह शब्दों से न कहता था। वास्तव में मौत सजीव और नग्न रूप में कुएँ में बैठी थी, पर उस नग्न मौत से मुठभेड़ के लिए मुझे भी नग्न होना पड़ा।
प्रश्न 1 – दुविधा की बेड़ियाँ कैसे कट जाती हैं?
(क) दृढ़ संकल्प से
(ख) रोने से
(ग) माँ को याद करने से
(घ) डर का सामना करने से
उत्तर – (क) दृढ़ संकल्प से
प्रश्न 2 – लेखक की दुविधा कैसे दूर हुई?
(क) कुएँ में घुसकर साँप को मारने का निश्चय किया
(ख) कुएँ में घुसकर चिठियों को निकालने का निश्चय किया
(ग) कुएँ को मिट्टी से भरने का निश्चय किया
(घ) कुएँ में घुसकर अपने डर का सामना करने का निश्चय किया
उत्तर – (ख) कुएँ में घुसकर चिठियों को निकालने का निश्चय किया
प्रश्न 3 – चिठियाँ निकालने के लिए लेखक किससे भिड़ने को तैयार हो गया?
(क) अपने दोस्तों से
(ख) अपने भाई से
(ग) कुँए के अँधेरे से
(घ) विषधर से
उत्तर – (घ) विषधर से
प्रश्न 4 – लेखक को क्या विश्वास यह था?
(क) कि वह डंडे से साँप को पहले मार देगा
(ख) कि वह पहले चिठियाँ उठा लेगा
(ग) कि वह डंडे से साँप को पहले मार देगा, फिर चिठियाँ उठा लेगा
(घ) कि वह साँप को मारे बिना ही चिठियाँ उठा लेगा
उत्तर – (ग) कि वह डंडे से साँप को पहले मार देगा, फिर चिठियाँ उठा लेगा
प्रश्न 5 – ‘वास्तव में मौत सजीव और नग्न रूप में कुएँ में बैठी थी‘ से लेखक का इशारा किसके लिए है?
(क) कुँए में बैठे साँप की ओर
(ख) सर्दी की ठिठुरती ठण्ड की ओर
(ग) कुँए के ठंडे पानी की ओर
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) कुँए में बैठे साँप की ओर
5 –
एक धोती मेरी, एक छोटे भाई की, एक चने वाली, दो कानों से बँधी हुई धोतियाँ–पाँच धोतियाँ और कुछ रस्सी मिलाकर कुएँ की गहराई के लिए काफी हुईं। हम लोगों ने धोतियाँ एक–दूसरी से बाँधी और खूब खींच–खींचकर आजमा लिया कि गाँठें कड़ी हैं या नहीं। अपनी ओर से कोई धोखे का काम न रखा। धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा और उसे कुएँ में डाल दिया। दूसरे सिरे को डेंग (वह लकड़ी जिस पर चरस–पुर टिकता है) के चारों ओर एक चक्कर देकर और एक गाँठ लगाकर छोटे भाई को दे दिया। छोटा भाई केवल आठ वर्ष का था, इसीलिए धोती को डेंग से कड़ी करके बाँध दिया और तब उसे खूब मज़बूती से पकड़ने के लिए कहा। मैं कुएँ में धोती के सहारे घुसने लगा। छोटा भाई रोने लगा। मैंने उसे आश्वासन दिलाया कि मैं कुएँ के नीचे पहुँचते ही साँप को मार दूँगा और मेरा विश्वास भी ऐसा ही था। कारण यह था कि इससे पहले मैंने अनेक साँप मारे थे। इसलिए कुएँ में घुसते समय मुझे साँप का तनिक भी भय न था। उसको मारना मैं बाएँ हाथ का खेल समझता था।
प्रश्न 1 – लेखक और उसके भाई के पास कुल कितनी धोतियाँ थी?
(क) छः
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) सात
उत्तर – (ग) पाँच
प्रश्न 2 – कुँए में डाले रस्सी के सिरे पर लेखक ने क्या बाँधा?
(क) डंडा
(ख) धोती
(ग) पत्थर
(घ) चने
उत्तर – (क) डंडा
प्रश्न 3 – जब लेखक का छोटा भाई रोने लगा तब लेखक ने उसे क्या आश्वासन दिलाया ?
(क) कि वह कुएँ से चिठ्ठियाँ निकाल लाएगा
(ख) कि वह कुएँ के नीचे पहुँचते ही साँप को मार देगा
(ग) कि वह कुएँ से सही सलामत वापस आ जाएगा
(घ) कि वह कुएँ के नीचे पहुँचते ही चिठ्ठियाँ उठा लेगा
उत्तर – (ख) कि वह कुएँ के नीचे पहुँचते ही साँप को मार देगा
प्रश्न 4 – लेखक को क्यों विश्वास था कि वह कुँए के निचे पहुँचते ही साँप को मार देगा?
(क) क्योंकि उसके पास कोई और रास्ता नहीं था
(ख) क्योंकि वह साँप से नहीं डरता था
(ग) क्योंकि उसने पहले भी बहुत सारे साँप मारे थे
(घ) क्योंकि उसे पता था कि वह साँप बहुत छोटा है
उत्तर – (ग) क्योंकि उसने पहले भी बहुत सारे साँप मारे थे
प्रश्न 5 – ‘साँप को मारना लेखक बाएँ हाथ का खेल समझता था‘ से लेखक का क्या तात्पर्य है?
(क) साँप को मारना लेखक बहुत कठिन समझता था
(ख) साँप को मारना लेखक बहुत आसान समझता था
(ग) साँप को मारना लेखक एक खेल समझता था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) साँप को मारना लेखक बहुत आसान समझता था
6 –
डंडे को लेकर ज्यों ही मैंने साँप की दाईं ओर पड़ी चिठ्ठी की ओर उसे बढ़ाया कि साँप का फन पीछे की ओर हुआ। धीरे–धीरे डंडा चिठ्ठी की ओर बढ़ा और ज्यों ही चिठ्ठी के पास पहुँचा कि फुँकार के साथ काली बिजली तड़पी और डंडे पर गिरी। हृदय में कंप हुआ, और हाथों ने आज्ञा न मानी। डंडा छूट पड़ा। मैं तो न मालूम कितना ऊपर उछल गया। जान–बूझकर नहीं, यों ही बिदककर। उछलकर जो खड़ा हुआ, तो देखा डंडे के सिर पर तीन–चार स्थानों पर पीव–सा कुछ लगा हुआ है। वह विष था। साँप ने मानो अपनी शक्ति का सर्टिफ़िकेट सामने रख दिया था, पर मैं तो उसकी योग्यता का पहले ही से कायल था। उस सर्टिफ़िकेट की जरूरत न थी। साँप ने लगातार फूँ–फूँ करके डंडे पर तीन–चार चोटें कीं। वह डंडा पहली बार इस भाँति अपमानित हुआ था, या शायद वह साँप का उपहास कर रहा था। उधर ऊपर फूँ–फूँ और मेरे उछलने और फिर वहीं धमाके से खड़े होने से छोटे भाई ने समझा कि मेरा कार्य समाप्त हो गया और बंधुत्व का नाता फूँ–फूँ और धमाके में टूट गया। उसने खयाल किया कि साँप के काटने से मैं गिर गया। मेरे कष्ट और विरह के खयाल से उसके कोमल हृदय को धक्का लगा। भ्रातृ–स्नेह के ताने–बाने को चोट लगी। उसकी चीख निकल गई। छोटे भाई की आशंका बेजा न थी, पर उस फूँ और धमाके से मेरा साहस कुछ बढ़ गया। दोबारा फिर उसी प्रकार लिफ़ाफ़े को उठाने की चेष्टा की। अब की बार साँप ने वार भी किया और डंडे से चिपट भी गया। डंडा हाथ से छूटा तो नहीं पर झिझक, सहम अथवा आतंक से अपनी ओर को खिंच गया और गुंजल्क मारता हुआ साँप का पिछला भाग मेरे हाथों से छू गया।
प्रश्न 1 – साँप के वार से लेखक की क्या स्थिति हुई?
(क) लेखक का हृदय काँप गया
(ख) लेखक के हाथों ने उसकी आज्ञा न मानी और डंडा छूट पड़ा
(ग) लेखक बिदककर न जाने कितना ऊपर उछल गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – साँप ने अपनी शक्ति का सर्टिफ़िकेट कैसे दिया था?
(क) फुँकार भर कर
(ख) गुस्सा देखते हुए जीभ दिखा कर
(ग) हमला कर डंडे पर जहर की बुँदे गिरा कर
(घ) लेखक की आँखों में आँखे डाल कर
उत्तर – (ग) हमला कर डंडे पर जहर की बुँदे गिरा कर
प्रश्न 3 – फूँ–फूँ की आवाज और लेखक के उछलने और फिर वहीं धमाके से खड़े होने से लेखक के छोटे भाई ने क्या समझा?
(क) कि साँप बहुत गुस्से में आ गया है
(ख) कि लेखक का काम तमाम हो गया है
(ग) कि लेखक ने साँप को मार दिया है
(घ) कि लेखक और साँप की मुठभेड़ हो रही है
उत्तर – (ख) कि लेखक का काम तमाम हो गया है
प्रश्न 4 – लेखक साँप से लड़ते हुए मारा गया है ऐसा सोच कर लेखक के भाई का क्या हाल हुआ?
(क) लेखक के कष्ट और विरह के खयाल से उसके भाई के कोमल हृदय को धक्का लगा
(ख) लेखक के कष्ट और विरह के खयाल से भ्रातृ–स्नेह के ताने–बाने को चोट लगी
(ग) लेखक के कष्ट और विरह के खयाल से उसके भाई की चीख निकल गई
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – जब लेखक ने दूसरी बार लिफ़ाफ़े उठाने की कोशिश की तब क्या हुआ?
(क) साँप ने वार किया और डंडे से चिपट भी गया
(ख) लेखक के हाथ से डंडा छूटा तो नहीं पर झिझक, सहम अथवा आतंक से लेखक की ओर को खिंच गया
(ग) गुंजल्क मारता हुआ साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों से छू गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Class 9 Hindi Sanchayan Lesson 2 स्मृति बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – “स्मृति” पाठ में बच्चों का स्वभाव कैसा था?
(क) बच्चे समझदार थे
(ख) बच्चे बहुत शरारती थे
(ग) बच्चे पढ़ाकू थे
(घ) इन में से कोई नहीं
उत्तर – (ख) बच्चे बहुत शरारती थे
प्रश्न 2 – लेखक को सबसे ज्यादा प्यार किस चीज से था?
(क) अपनी टोपी से
(ख) अपनी माँ से
(ग) अपने बड़े भाई से
(घ) अपने डंडे से
उत्तर – (घ) अपने डंडे से
प्रश्न 3 – लेखक ने कुँए के धरातल पर क्या देखा?
(क) फन फैलाए हुए साँप को
(ख) अपने डंडे को
(ग) गहरे पानी को
(घ) अपनी धोती को
उत्तर – (क) फन फैलाए हुए साँप को
प्रश्न 4 – लेखक ने कुऍं की दीवार की मिट्टी निचे क्यों गिराई?
(क) गहराई मापने के लिए
(ख) सफाई करने के लिए
(ग) ताकि साँप का ध्यान बँट जाए
(घ) साँप को डराने के लिए
उत्तर – (ग) ताकि साँप का ध्यान बँट जाए
प्रश्न 5 – “स्मृति” पाठ से लेखक के बचपन के बारे में क्या पता चलता है?
(क) वह एक जिम्मेदार लड़का नहीं था
(ख) वह एक मुर्ख लड़का था
(ग) वह एक बहादुर लड़का था
(घ) वह किस्मत का बहुत धनी था
उत्तर – (ग) वह एक बहादुर लड़का था
प्रश्न 6 – लेखक को इस बात का कब एहसास हुआ कि कुँए से चिठ्ठियाँ लेना आसान नहीं होगा?
(क) जब लेखक ने कुँए की गहराई को देखा
(ख) जब लेखक को पता चला कि कुँए में साँप है
(ग) जब लेखक ने कुँए में साँप का सामना किया
(घ) जब उसे साँप की प्रजाति का पता चला
उत्तर – (ग) जब लेखक ने कुँए में साँप का सामना किया
प्रश्न 7 – लेखक हाथों के सहारे से ही कितने फुट के कुँए को पार कर गया था?
(क) 36
(ख) 26
(ग) 46
(घ) 16
उत्तर – (क) 36
प्रश्न 8 – लेखक की किस आदत ने लेखक को मुसीबत में डाल दिया था?
(क) छोटे भाई को सताने की
(ख) माँ की बात न मानने की
(ग) कुँए में रोज ढेला फेंकने की
(घ) बच्चों के साथ खेलने की
उत्तर – (ग) कुँए में रोज ढेला फेंकने की
प्रश्न 9 – लेखक का शत्रु कौन था?
(क) भाई साहब
(ख) गहरा कुआँ
(ग) विषैला साँप
(घ) खराब समय
उत्तर – (ग) विषैला साँप
प्रश्न 10 – चिठ्ठियाँ कुँए में गिर जाने पर लेखक का मन कहीं भाग जाने का कर रहा था, लेकिन वह कहीं नहीं भगा क्योंकि ……..
(क) उसका छोटा भाई अकेले रह जाता
(ख) पिटाई का भय तथा ज़िम्मेदारी रूपी दोधारी तलवार उसे डराए हुए थी
(ग) उसके पास कहीं भी जाने के लिए पैसे नहीं थे
(घ) उसका बड़ा भाई उसे कहीं से भी ढूँढ कर वापिस ला सकता था
उत्तर – (ख) पिटाई का भय तथा ज़िम्मेदारी रूपी दोधारी तलवार उसे डराए हुए थी
प्रश्न 11 – लेखक साथियों के साथ क्या तोड़–तोड़कर खा रहा था?
(क) झरबेरी के फल
(ख) झरबेरी के बेर
(ग) झरबेरी के आम
(घ) झरबेरी के झाड़
उत्तर – (ख) झरबेरी के बेर
प्रश्न 12 – लेखक को किसने बुलावा भेजा था?
(क) माँ ने
(ख) पिता ने
(ग) भाई साहब ने
(घ) दादा ने
उत्तर – (ग) भाई साहब ने
प्रश्न 13 – माँ ने रास्ते के लिए लेखक और उसके भाई को क्या दिए?
(क) चावल
(ख) चने
(ग) छोले
(घ) गुड़
उत्तर – (ख) चने
प्रश्न 14 – लेखक ने चिठ्ठियों को टोपी में क्यों रखा?
(क) क्योंकि कुर्ते की जेबें फटी हुई थी
(ख) क्योंकि लेखक को वहाँ चिठ्ठियाँ सुरक्षित लगी
(ग) क्योंकि कुर्ते की जेबों में चने थे
(घ) क्योंकि कुर्ते में जेबें ही नहीं थी
उत्तर – (घ) क्योंकि कुर्ते में जेबें ही नहीं थी
प्रश्न 15 – जब लेखक ने पहली बार मिट्टी का ढेला कुँए में फेंका तो क्या हुआ?
(क) उसकी प्रतिध्वनि सुनाई दी
(ख) फुसकार सुनाई दी
(ग) पानी की आवाज सुनाई दी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) फुसकार सुनाई दी
प्रश्न 16 – ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं यह बात अब तक लेखक को स्मरण नहीं‘ क्यों?
(क) क्योंकि टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं
(ख) क्योंकि साँप उस कुँए से चला गया था
(ग) क्योंकि लेखक के कानों पर धोती बंधी हुई थी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) क्योंकि टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं
प्रश्न 17 – दुःख की घडी में लेखक को किसकी याद आई?
(क) भाई की मार की
(ख) माँ की गोद की
(ग) पिता के स्नेह की
(घ) छोटे भाई के प्रेम की
उत्तर – (ख) माँ की गोद की
प्रश्न 18 – अंततः लेखक ने कौन सा भयानक निर्णय लिया?
(क) झूठ बोलने का
(ख) सच बोलने का
(ग) कुँए से चिठ्ठियाँ निकालने का
(घ) साँप को मारने का
उत्तर – (ग) कुँए से चिठ्ठियाँ निकालने का
प्रश्न 19 – कुँए में उतरने के लिए लेखक ने किसकी रस्सी बनाई?
(क) घास की
(ख) कपडे की
(ग) धोती की
(घ) कुँए की पुरानी रस्सी की
उत्तर – (ग) धोती की
प्रश्न 20 – लेखक ने अपने छोटे भाई को दिलासा दिलाया कि –
(क) वह साँप को मार कर चिठ्ठियाँ ले आएगा
(ख) वह भाई को सच बता देगा
(ग) वह जल्दी ही चिठ्ठियों को डाकघर में दाल देगा
(घ) वह कुँए को मिट्टी से भर देगा
उत्तर – (क) वह साँप को मार कर चिठ्ठियाँ ले आएगा
प्रश्न 21 – लेखक को कहाँ उतरना था?
(क) कुएँ के धरातल में
(ख) परिधि के बीचोंबीच
(ग) कुएँ के धरातल की परिधि के बीचोंबीच
(घ) धरातल की परिधि में
उत्तर – (ग) कुएँ के धरातल की परिधि के बीचोंबीच
प्रश्न 22 – साँप को क्या कहा जाता है?
(क) चक्षुःश्रवा
(ख) कर्णश्रवा
(ग) जीवःश्रवा
(घ) अश्रु श्रवा
उत्तर – (क) चक्षुःश्रवा
प्रश्न 23 – निम्न में से ‘आकाश–कुसुम होना‘ मुहावरे का अर्थ क्या है?
(क) आकाश जैसा फूल
(ख) आकाश का फूल
(ग) पहुँच से बाहर होना
(घ) आकाश का कुसुम
उत्तर – (ग) पहुँच से बाहर होना
प्रश्न 24 – जब लेखक को कुँए में साँप का साक्षात् हुआ तो उन्हें उनकी योजना और आशा असंभवता प्रतीत हो गई क्यों?
(क) क्योंकि वहाँ साँप नहीं था
(ख) क्योंकि डंडा चलाने के लिए स्थान ही न था
(ग) क्योंकि वहाँ बहुत पानी था
(घ) क्योंकि वहाँ चिठ्ठियाँ नहीं थी
उत्तर – (ख) क्योंकि डंडा चलाने के लिए स्थान ही न था
प्रश्न 25 – लेखक को कुँए में साँप के समक्ष कौन से दो मार्ग सूझ रहे थे?
(क) मारना या छेड़खानी करना
(ख) छेड़ना या बिलकुल छेड़खानी न करना
(ग) मारना या बिलकुल छेड़खानी न करना
(घ) दबोचना या मार डालना
उत्तर – (ग) मारना या बिलकुल छेड़खानी न करना
प्रश्न 26 – लेखक ने साँप के साथ बिलकुल छेड़खानी न करने का मार्ग क्यों चुना?
(क) क्योंकि साँप बहुत खतरनाक था
(ख) क्योंकि साँप को मारना लेखक की पहुँच से बाहर था
(ग) क्योंकि लेखक साँप से डर गया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) क्योंकि साँप को मारना लेखक की पहुँच से बाहर था
प्रश्न 27 – डंडे के सिर पर तीन–चार स्थानों पर पीव–सा कुछ लगा हुआ है। वह क्या था?
(क) दूध
(ख) पानी
(ग) थूक
(घ) विष
उत्तर – (घ) विष
प्रश्न 28 – ‘मेरे कष्ट और विरह के खयाल से उसके कोमल हृदय को धक्का लगा।‘ वाक्य से स्पष्ट है कि –
(क) लेखक का छोटा भाई उससे बहुत प्यार करता था
(ख) लेखक का छोटा भाई कोमल हृदय वाला था
(ग) लेखक का छोटा भाई डरपोक था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) लेखक का छोटा भाई उससे बहुत प्यार करता था
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Class 9 Hindi स्मृति Short Answer Type Questions 25 to 30 Words
प्रश्न 1 – गाँव के एक आदमी ने लेखक को जल्दी से घर लौटने को क्यों कहा?
उत्तर – गाँव के एक आदमी ने लेखक को जोर से आवाज लगा कर पुकारा और कहा कि लेखक के भाई लेखक को बुला रहे हैं इसलिए उसे जल्दी से ही घर लौट जाना चाहिए।
प्रश्न 2 – जिस समय गाँव के एक आदमी ने लेखक को घर लौटने को कहा उस समय लेखक क्या कर रहा था?
उत्तर – जिस समय गाँव के एक आदमी ने लेखक को घर लौटने को कहा उस समय लेखक अपने कई साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खा रहा था।
प्रश्न 3 – लेखक क्यों उदास सा घर की ओर चल रहा था?
उत्तर – लेखक के मन में उसके बड़े भाई साहब से मार पड़ने का डर था इसलिए वह उदास सा घर की ओर चल रहा था। लेखक को समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन-सी गलती हो गई है जो उसके भाई साहब ने उसे इस तरह घर बुलाया है। डरते-डरते लेखक घर में घुसा। उसे डर था कि बेर खाने के अपराध में ही कहीं उसकी खबर न ली जाए।
प्रश्न 4 – लेखक के भाई साहब ने लेखक और उसके छोटे भाई को क्या काम दिया?
उत्तर – लेखक के भाई साहब ने लेखक और उसके छोटे भाई से कहा कि उनके द्वारा लिखे गए पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर में स्थित डाकखाने में डाल आए। तेज़ी से जाना जिससे शाम की डाक में उनकी चिठियाँ निकल जाएँ ताकि ये चिठियाँ जल्दी ही वहाँ पहुँच जाए जहाँ उन्हें भेजा जाना है क्योंकि वे बहुत जरुरी थी।
प्रश्न 5 – लेखक को बबूल के डंडे से अत्यधिक प्यार क्यों था?
उत्तर – लेखक को अपने बच्चपन में उस बबूल के डंडे से इतना अधिक प्यार था, जितना लेखक आज की उम्र में रायफल से भी नहीं करता था। इसका एक कारण यह भी था कि लेखक ने न जाने कितने साँपों को उस डंडे से मारा था। मक्खनपुर के स्कूल और गाँव के बीच पड़ने वाले आम के पेड़ों से हर साल उस डंडे की सहायता से न जाने लेखक कितने आम तोड़ता था। इसी कारण से लेखक को अपना वह गूँगा डंडा भी सजीव-सा प्रतीत होता था। ऐसा लगता था जैसे उस डंडे में जान हो।
प्रश्न 6 – लेखक ने चिठ्ठियों को टोपी में क्यों रखा था?
उत्तर – चिठियों को लेखक ने अपनी टोपी में रख लिया था, क्योंकि लेखक के कुर्ते में जेबें नहीं थी।
प्रश्न 7 – ‘स्मृति’ पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर – बच्चे बाल्यावस्था में पेड़ों पर चढ़ते हैं और उस पेड़ के फल तोड़कर खाते हैं, कुछ फल फेंक देते हैं तथा बच्चों को पेड़ों से बेर आदि फल तोड़कर खाने में मजा आता है। बच्चे स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करते हुए तथा शोर करते हुए जाते हैं। तथा बच्चे जीव-जन्तुओं को तंग करके खुश होते हैं। रास्ते में कुत्ते, बिल्ली या किसी कीड़े को पत्थर मारकर सताते हैं। क्योंकि वे नासमझ होते हैं। उन्हें उनके दर्द व पीड़ा के बारे में पता नहीं चलता। वे नासमझी व बाल शरारतों के कारण ऐसा करते हैं।
प्रश्न 8 – पिटाई के डर से लेखक को माँ की गोद की याद क्यों आ रही थी?
उत्तर – पिटाई के डर से लेखक को माँ की गोद की याद आ रही थी, उसका जी चाह रहा था कि उसकी माँ आए उसे छाती से लगाए और लाड़-प्यार करके यह कह दे कि कोई बात नहीं, चिठियाँ तो फिर से लिख ली जाएँगी, रोने की कोई बात नहीं। अक्सर जब भी बच्चे किसी मुसीबत में फसते हैं तो उन्हें माँ की ही याद आती है क्योंकि बच्चे माँ के आँचल में ही सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
प्रश्न 9 – लेखक का छोटा भाई लेखक के कुँए में जाने के निर्णय पर क्यों रो रहा था?
उत्तर – लेखक का छोटा भाई लेखक के कुँए में जाने के निर्णय पर रो रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि लेखक की मौत उसे नीचे बुला रही है कहने का तात्पर्य यह है कि उसे लग रहा था कि अगर लेखक निचे कुँए में गया तो वह जरूर साँप के काटे जाने से मर जाएगा। यद्यपि वह शब्दों से कुछ नहीं कह रहा था बस वह रोए जा रहा था।
प्रश्न 10 – लेखक नीचे पहुँचते ही साँप को मार देगा, इस विश्वास का क्या कारण था?
उत्तर – लेखक नीचे पहुँचते ही साँप को मार देगा, इस विश्वास का कारण यह था कि इससे पहले भी लेखक ने अनेक साँप मारे थे। इसलिए कुएँ में घुसते समय लेखक को साँप का बिलकुल भी डर नहीं था। साँप को मारना लेखक को बाएँ हाथ का खेल लगता था। यानि साँप को मारना लेखक बहुत आसान समझता था।
प्रश्न 11 – लेखक ने कुँए में उतरने के लिए क्या उपाय किया?
उत्तर – लेखक ने दोनों हाथों से धोती पकड़े हुए ही अपने पैर कुएँ की बगल में लगा दिए। दीवार से पैर लगाते ही कुछ मिट्टी नीचे गिरी और साँप ने फू करके उस मिट्टी पर मुँह मार कर हमला किया। लेखक के पैर भी दीवार से हट गए, और लेखक की टाँगें कमर से लटकती हुई समकोण बनाती रहीं, इससे लेखक को यह फायदा हुआ कि लेखक को साँप से दूरी और कुएँ की परिधि पर उतरने का ढंग मालूम हो गया। लेखक ने झूलकर अपने पैर कुएँ की बगल से सटाए, और कुछ धक्वे देने के साथ ही वह अपने शत्रु के सामने कुँए की दूसरी ओर डेढ़ गज पर-कुएँ के धरातल पर खड़ा हो गया।
प्रश्न 12 – लेखक ने चिठ्ठियाँ उठाने के लिए कौन सा रास्ता चुना?
उत्तर – लेखक के पास केवल एक रास्ता था। डंडे से साँप की ओर से चिठियों को सरकाया जाए। यदि साँप में आक्रमण किया, तो लेखक के पास उसे मारने के अलावा कोई चारा नहीं था। लेखक के पास केवल एक कुर्ता था, और कोई कपड़ा नहीं था जिससे वह साँप के मुँह की ओर करके उसके फन को पकड़ सके। लेखक के पास मारना या बिलकुल छेड़खानी न करना-ये दो रास्ते थे। इसलिए लेखक का पहला रास्ता तो लेखक की शक्ति के बाहर था। मजबूर होकर लेखक को दूसरे रास्ते का सहारा लेना पड़ा।
प्रश्न 13 – साँप की फूँ-फूँ लेखक के उछलने के कारण लेखक का छोटा भाई क्यों रोने लगा?
उत्तर – कुँए के ऊपर फूँ-फूँ और लेखक के उछलने और फिर वहीं धमाके से खड़े होने से लेखक के छोटे भाई ने समझा कि लेखक का काम समाप्त हो गया और भाई का नाता फूँ-फूँ और धमाके में टूट गया यानि लेखक के भाई को लगा कि लेखक की साँप के काटने से मौत हो गई है। लेखक को साँप के काटने से होने वाले दर्द और लेखक से बिछुड़ जाने के खयाल से ही लेखक के छोटे भाई के कोमल हृदय को धक्का लगा। भाई के प्यार के ताने-बाने को चोट लगी। उसकी चीख निकल गई। अर्थात वह बहुत अधिक डर गया।
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Class 9 Hindi स्मृति Long Answer Type Questions 60 to 70 Words
प्रश्न 1 – लेखक और लेखक का छोटा भाई जब चिट्ठियाँ डालने जा रहे थे, तब उन्होंने रास्ते के लिए क्या प्रबंध किए?
उत्तर – लेखक और उसका छोटा भाई जब चिट्ठियाँ डालने जा रहे थे, वे दिन जाड़े के दिन तो थे। साथ ही साथ ठंडी हवा के कारण उन दोनों को कॅंप-कँपी भी लग रही थी। हवा इतनी ठंडी थी कि हड्डी के भीतर भरा मुलायम पदार्थ तक ठण्ड से ठिठुरने लगा था, इसलिए लेखक और लेखक के भाई ने ठण्ड से बचने के लिए अपने कानों को धोती से बाँधा। लेखक की माँ ने रास्ते में दोनों के खाने के लिए थोड़े से भुने हुए चने एक धोती में बाँध दिए थे। दोनों भाई अपना-अपना डंडा लेकर घर से निकल पड़े। उस समय उस बबूल के डंडे से उन लोगों को इतना प्यार था, जितना लेखक आज की उम्र में रायफल से भी नहीं करता था।
प्रश्न 2 – लेखक कुएँ से चिट्ठी निकालने का काम टाल सकता था, परन्तु उसने ऐसा नहीं किया। ‘स्मृति’ कहानी से उसके चरित्र की कौन-सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
उत्तर – लेखक के द्वारा कुएँ से चिट्ठी निकालने का काम टल सकता था। लेकिन बड़े भाई की डाँट के डर से उसने ऐसा नहीं किया। इसके साथ ही लेखक बहुत ईमानदार भी था वह अपने भाई से झूठ बोलना अथवा बहाना लगाना नहीं चाहता था। चिट्ठियों को पहुँचाने की जिम्मेदारी, कर्तव्यनिष्ठा की भावना उसे कुएँ के पास से जाने नहीं दे रही थी ।
लेखक ने पूरे साहस व सूझ-बूझ के साथ कुएँ में नीचे उतरकर एकाग्रचित हो साँप की गतिविधियों को ध्यान में रखकर चिट्ठियाँ बाहर निकाल लीं। इस तरह हमें लेखक की ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा के साथ उसके साहस, दृढ़ निश्चय, एकाग्रचित्ता व सूझ-बूझ की जानकारी भी मिलती है।
प्रश्न 3 – कभी-कभी दृढ़ संकल्प के साथ तैयार की गई योजना भी प्रभावी नहीं हो पाती है। कुएँ से चिट्ठी निकालने के लिए लेखक द्वारा बनाई गई पूर्व-योजना क्यों सफल नहीं हुई? ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर – चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाने पर लेखक बहुत भारी मुसीबत में फँस गया। पिटने का डर और जिम्मेदारी का अहसास उसे चिट्ठियाँ निकालने के लिए विवश कर रहा था। लेखक ने धोतियों में गाँठ बाँध कर रस्सी बनाकर कुएँ में उतरने की योजना बना ली। लेखक को स्वयं पर भरोसा था कि वह नीचे जाते ही डंडे से दबाकर साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ लेकर ऊपर आ जाएगा क्योंकि वह पहले भी कई साँप मार चुका था।
उसे अपनी योजना में कमी नहीं दिखाई दे रही थी, परन्तु लेखक द्वारा बनाई गई यह पूर्व योजना सफल नहीं हुई, क्योंकि योजना की सफलता परिस्थिति पर निर्भर करती है। कुएँ में स्थान की कमी थी और साँप भी व्याकुलता से उसको काटने के लिए तत्पर था। ऐसे में डंडे का प्रयोग करना संभव नहीं था।
प्रश्न 4 – ‘स्मृति’ कहानी बाल मनोविज्ञान को किस प्रकार प्रकट करती है? बच्चों के स्वभाव उनके विचारों के विषय में हमें इससे क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर – बाल मस्तिष्क हर समय सूझ-बूझ से कार्य करने में सक्षम नहीं होता। बच्चे शरारतों का ध्यान आते ही अपने चंचल मन को रोक नहीं पाते। खतरे उठाने, जोखिम लेने, साहस का प्रदर्शन करने में उन्हें आनन्द आता है वे अपनी जान को खतरे में डालने से भी नहीं चूकते। लेकिन बच्चों का हृदय बहुत कोमल होता है। बच्चे मार व डाँट से बहुत डरते हैं।
जिस तरह लेखक बड़े भाई की डाँट व मार के डर से तथा चिट्ठियों को समय पर पहुँचाने की जिम्मेदारी की भावना के कारण जहरीले साँप तक से भिड़ गयी। बच्चे अधिकतर ईमानदार होते हैं वे बड़ों की भाँति न होकर छल व कपट से दूर होते हैं। मुसीबत के समय बच्चों को सबसे अधिक अपनी माँ की याद आती है। माँ के आँचल में वे स्वयं को सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।
प्रश्न 5 – “अपनी शक्ति के अनुसार योजना बनाने वाला ही सफल होता है”–स्मृति पाठ के अनुसार इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर – लेखक ने कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने के बाद बहुत ही बुद्धिमानी, चतुरता एवं साहस का परिचय दिया। कठिन परिस्थिति में भी उसने हिम्मत नहीं हारी। कुएँ में जहरीला साँप होने के बावजूद वह साहसपूर्ण युक्ति से अपने पास मौजूद सभी धोतियों को आपस में बाँध आता है, ताकि वे नीचे तक चली जाएँ।
सर्प के डसे जाने से बचने के लिए उसने पहले कुएँ की बगल की मिट्टी गिराई। फिर डंडे से चिट्ठियों को सरकाया। डंडा छूट जाने पर उसने साँप का ध्यान दूसरी ओर बँटाया, फिर डंडे को उठा लिया। साँप का आसन बदला तो उसने चिट्ठियाँ भी उठा लीं और उन्हें धोतियों में बाँध दिया। इस प्रकार लेखक ने अपनी बुद्धि का पूरा सदुपयोग करके तथा युक्तियों का सहारा लेकर कुएँ में गिरी हुई चिट्ठियों को निकाला। यह उसकी साहसिकता का स्पष्ट परिचय देता है।
प्रश्न 6 – जब लेखक और उसका छोटा भाई उस कुएँ की ओर से निकले, जिसमें साँप गिरा हुआ था, तब उनके साथ कौन सी घटना घटी जिससे लेखक पर बिजली-सी गिर पड़ी?
उत्तर – जब लेखक और उसका छोटा भाई उस कुएँ की ओर से निकले, जिसमें साँप गिरा हुआ था तब लेखक के मन में कुएँ में पत्थर फेंककर साँप की फुसकार सुनने की उसकी इच्छा जाग गई। लेखक कुएँ पत्थर डालने के लिए कुँए की ओर बढ़ा। छोटा भाई भी लेखक के पीछे इस तरह चल पड़ा जैसे बड़े हिरन के बच्चे के पीछे छोटा हिरन का बच्चा चल पड़ता है।
लेखक ने कुएँ के किनारे से एक पत्थर उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए साँप पर पत्थर गिरा दिया, परन्तु लेखक पर तो बिजली-सी गिर पड़ी क्योंकि उस समय जो घटना घटी उस घटना के कारण लेखक को यह भी याद नहीं कि साँप ने फुसकार मारी या नहीं, पत्थर साँप को लगा या नहीं। यह घटना थी टोपी के हाथ में लेते ही तीनों चिठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर जाने की।
प्रश्न 7 – जब लेखक ने कुएँ के धरातल की ओर ध्यान से देखा तो लेखक क्यों हैरान हो गया?
उत्तर – जब लेखक ने कुएँ के धरातल की ओर ध्यान से देखा तो लेखक ने जो देखा उसे देखकर वह हैरान हो गया क्योंकि कुँए के धरातल पर साँप अपना फन फैलाए धरातल से एक हाथ ऊपर उठा हुआ लहरा रहा था। साँप की पूँछ और पूँछ के समीप का भाग ही पृथ्वी पर था, बाकी का आधा आगे का भाग हवा में ऊपर उठा हुआ था और वह साँप लेखक के निचे आने की ही प्रतीक्षा कर रहा था। धोती के नीचे डंडा बँधा था, जो लेखक के उतरने की गति से इधर-उधर हिल रहा था।
शायद उसी के कारण लेखक को उतरते देख साँप घातक चोट करने के आसन पर बैठा था अर्थात फन फैलाए लेखक को डँसने के लिए तैयार बैठा था। सँपेरा जैसे बीन बजाकर काले साँप को खिलाता है और साँप क्रोधित हो कर अपना फन फैलाकर खड़ा होता है और फुँकार मारकर चोट करता है, ठीक उसी तरह यह कुँए का साँप भी तैयार बैठा था। उसका शत्रु लेखक उससे कुछ हाथ ऊपर धोती पकड़े लटक रहा था।
प्रश्न 8 – लेखक ने भय, निराशा और उद्वेग के मन में आने तथा माँ की गोद याद आने का वर्णन किस प्रसंग में किया है? ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक अपने वर्णन में बताता है कि बच्चों की टोली स्कूल के रास्ते में पड़ने वाले सूखे कुएँ में पड़े एक साँप को ढेले मारकर उसकी फुसकार सुनने की अभ्यस्त हो गई थी। वास्तव में लेखक जब अपने बड़े भाई द्वारा दी गई चिट्ठियों को मक्खनपुर के डाकखाने में डालने के लिए अपने छोटे भाई के साथ जा रहा था, तब रास्ते में कुएँ वाले साँप को ढेले मारकर उसकी हुँफकार सुनने का विचार पुनः उसके मन में आया। लेखक के इसी प्रयास के दौरान उसकी टोपी में रखी चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरी।
लेखक का उपर्युक्त कथन इसी घटना के संदर्भ में है क्योंकि कुएँ के बहुत अधिक गहरा होने, अपनी उम्र कम होने और सबसे ज्यादा कुएँ में पड़े विषैले साँप के डर से वह चिट्ठियों को निकालने का कोई उपाय नहीं समझ पा रहा था। चिट्ठियाँ न मिलने का परिणाम बड़े भाई द्वारा दिया जाने वाला दंड था। इसलिए लेखक निराशा, भय और उद्वेग अर्थात् घबराहट के मनोभावों के बीच फंस गया था। स्वाभाविक रूप से बचपन में कोई कार्य गलत हो जाता है तो बच्चे अपने अपराध- निवारण या उससे संबंधित दंड से बचने हेतु माँ के लाड़-प्यार और उसकी गोद का आश्रय लेना स्वभावतः पसंद करते हैं। माँ की ममता बच्चों के लिए एक सुरक्षात्मक आवरण की भाँति कार्य करती है इसी कारण लेखक ने ऐसा कहा है।
प्रश्न 9 – दोनों भाइयों ने मिलकर कुएँ में नीचे उतरने की क्या युक्ति अपनाई? स्मृति पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर – कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर दोनों भाई सहम गए और डरकर रोने लगे। छोटा भाई जोर-जोर से और लेखक आँख डबडबा कर रो रहा था। तभी उन्हें एक युक्ति सूझी। उनके पास एक धोती में चने बँधे थे, दो धोतियाँ उन्होंने कानों पर बाँध रखी थीं और दो धोतियाँ वह पहने हुए थे। उन्होंने पाँचों धोतियाँ मिलाकर कसकर गाँठ बाँध कर रस्सी बनाई। धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा, तो दूसरा सिरा चरस के डेंग पर कसकर बाँध दिया और उसके चारों ओर चक्कर लगाकर एक और गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। लेखक धोती के सहारे कुएँ के बीचों-बीच उतरने लगा। छोटा भाई रो रहा था पर लेखक ने उसे विश्वास दिलाया कि वह साँप को मारकर चिट्ठियाँ ले आएगा। नीचे साँप फन फैलाए बैठा था। लेखक ने बुद्धिमतापूर्वक साँप से लड़ने या मारने की बात त्याग कर डंडे से चिट्ठियाँ सरका ली और साँप को चकमा देने में कामयाब हो गया।
Q10 – जब लेखक ने साँप को साक्षात् देखा तो उसने साँप को मारने की अपनी योजना और आशा को असंभव क्यों
उत्तर – जब लेखक ने साँप को साक्षात् देखा तो उसने साँप को मारने की अपनी योजना और आशा को असंभव पाया। क्योंकि कुँए के निचे साँप को मारने के लिए डंडा चलाने के लिए पूरी जगह ही नहीं थी। और लाठी या डंडा चलाने के लिए काफी जगह चाहिए होती है जिसमें वे घुमाए जा सकें। एक तरीका और था कि साँप को डंडे से दबाया जा सकता था, पर ऐसा करना मानो तोप के मुहाने पर खड़ा होना था। यदि फन या उसके समीप का भाग न दबा, तो फिर वह साँप पलटकर जरूर काटता, और अगर हिम्मत करके लेखक फन के पास दबा भी देता तो फिर उसके पास पड़ी हुई दो चिठियों को वह कैसे उठाता? दो चिठियाँ साँप के पास उससे सटी हुई पड़ी थीं और एक लेखक की ओर थी। लेखक तो चिठियाँ लेने ही कुँए में उतरा था। लेखक और साँप दोनों ही अपनी-अपनी स्थितियों पर डटे हुए थे।
Class 9 Hindi Sanchayan Book Chapter-wise Lesson Explanation
Class 9 Hindi स्मृति अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)
प्रश्न 1 – भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर – भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में भाई के हाथ से पिटाई होने का डर था। लेखक को लग रहा था कि बड़े भाई को बेर तोड़ने वाली बात पता चल गई होगी या उसकी किसी और शरारत का पता चल गया होगा और इसलिए वे उसे पीटने के लिए बुला रहे होंगे। पिटाई के खयाल से ही लेखक का दिल दहल उठा था।
प्रश्न 2 – मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढ़ेला क्यों फेंकती थी?
उत्तर – मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढ़ेला जरूर फेंकती थी। वे बच्चे ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें ढ़ेला फेंके जाने पर आने वाली आवाज को सुनकर बड़ा मजा आता था। उस कुएँ के अंदर एक साँप गिर गया था। ढ़ेला फेंकने पर उस साँप की फुफकार सुनाई देती थी, जिसे सुनकर सभी बच्चों को बहुत आनन्द आता था।
प्रश्न 3 – ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढ़ेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’ – यह कथन लेखक कि किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तर – जब लेखक ने ढ़ेला फेंकने के पहले अपनी टोपी उतारी तो चिट्ठियाँ कुएँ में जा गिरीं। उसके बाद तो लेखक का सारा ध्यान उन चिट्ठियों पर चला गया। उस समय वे चिट्ठियाँ उसे ढ़ेले, या कुएँ या साँप से अधिक महत्वपूर्ण थीं। लेखक का डर के मारे बुरा हाल था क्योंकि लेखक के भाई ने उन्हें उन्हीं चिठियों को जल्दी से जल्दी डाकखाने में डालने को कहा था।
प्रश्न 4 – किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर – लेखक को उसके बड़े भाई ने चिट्ठी डाकखाने में डालने का काम सौंपा था। लेखक चाहता तो चिट्ठियों को वहीं छोड़ देता और घर जाकर झूठ बोल देता। लेकिन लेखक ने तब तक झूठ बोलना नहीं सिखा था और उसकी उम्र के किसी भी निश्छल बालक की तरह था। वह हर कीमत पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करना चाहता था। इसलिए लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया।
प्रश्न 5 – साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?
उत्तर – साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाई। पहले उसने थोड़ी मिट्टी लेकर साँप की ओर फेंक दी। उसके बाद उसने डंडे से साँप का ध्यान बँटाया। इससे लेखक को कुछ सफलता जरूर मिली।
प्रश्न 6- लेखक का डर कैसे दूर हुआ?
उत्तर – लेखक को डर था कि बेर खाने के अपराध में ही कहीं उसकी खबर न ली जाए। परन्तु जब लेखक ने आँगन में भाई साहब को कोई पत्र लिखते पाया तब उसके मन से पिटने का डर दूर हो गया।
प्रश्न 7 – कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – जब लेखक ने यह निश्चय कर लिया कि वह कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालेगा फिर उसने आगे का कार्य शुरु कर दिया। उसने अपनी और अपने भाई की धोतियों को आपस में बाँध कर एक लंबी रस्सी जैसी बनाई। फिर उसने धोती के एक सिरे को कुएँ की डेंग से बाँध दिया। दूसरे सिरे पर उसने लाठी बाँध दी ताकि अंदर जाकर साँप को मार सके। लेखक धोती के सहारे धीरे-धीरे कुएँ में उतर गया। साँप अपनी पूँछ के बल पर लगभग सीधा खड़ा था और ऊपर ही देख रहा था। साँप को देखकर लेखक की हिम्मत जवाब दे रही थी।
लेखक ने अपने पैरों को कुएँ की दीवार से टिकाया तो थोड़ी मिट्टी झरकर साँप के ऊपर गिरी। फिर वह तेजी से कुएँ की सामने की दीवार की ओर झूलता हुए कुएँ के सूखे धरातल पर कूद गया। अब वह साँप से कोई डेढ़ गज की दूरी पर खड़ा था। दोनों एक दूसरे से आँखें चार कर रहे थे जैसे एक दूसरे को सम्मोहित करने की कोशिश कर रहे हों। कुएँ के अंदर इतनी जगह नहीं थी डंडे से साँप पर वार किया जा सके। ऐसे में साँप द्वारा जवाबी हमले की आशंका भी थी। इसलिए लेखक ने साँप को मारने का विचार त्याग दिया। दो चिट्ठियाँ साँप के पास थीं और एक चिट्ठी लेखक के पास। लेखक ने डंडे से साँप का ध्यान भटकाना चाहा तो साँप ने जवाब में डंडे पर तेजी से प्रहार किया और जहर की ताजा बूँदें डंडे पर चकमने लगीं।
साँप ने अपनी मारक शक्ति का नमूना डंडे पर छोड़ दिया था। लेखक ने फिर से डंडा उठाकर प्रयास किया। इस बार साँप ने फिर से डंडे पर वार किया लेकिन इस बार डंडा लेखक के हाथ से नहीं छूटा। मौका मिलते ही लेखक ने दोनों चिट्ठियाँ अपने हाथ में ले ली। इस कोशिश में लेखक के हाथ साँप के पिछले भाग से छू गये। साँप के शरीर की ठंडक ने तो लेखक के खून ही जमा दिये। लेखक ने धोती में चिट्ठियों को बाँधा और छोटे भाई को उसे खींचने का इशारा किया। उसके बाद वह अपने हाथों के बल कुएँ की दीवार चढ़ता चला गया।
प्रश्न 8 – इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
उत्तर – इस पाठ से कई बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है। बच्चे अक्सर पेड़ों से बेर, आम और अमरूद तोड़ कर खाया करते हैं। वे बिना मतलब जहाँ तहाँ ढ़ेले फेंकते हैं। वे साँप को देखकर उसे मारने निकल पड़ते हैं। लेकिन आजकल के शहरी बच्चे ऐसी शरारतें नहीं कर पाते हैं।
प्रश्न 9 – ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कहते हैं कि कभी कभी बड़ी से बड़ी योजना भी धरी रह जाती है। मनुष्य अपने अनुमान के आधार पर कुछ योजनाएँ बनाता है। लेकिन उसका अनुमान गलत होने की दशा में वह कुछ नहीं कर पाता। ऐसा ही लेखक के साथ हुआ। वह तो साँप को मारने के खयाल से कुएँ में उतरा था। लेकिन कुएँ में इतनी जगह नहीं थी कि लाठी को ठीक से चलाया जा सके। वह डंडे से साँप के फन को कुचलने की कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि निशाना चूक जाने की स्थिति में साँप के जवाबी हमले का खतरा था। लेखक के पास भागने के लिए भी कोई जगह नहीं थी। वह बड़ी ही मुश्किल स्थिति में फँसा हुआ था।
प्रश्न 10 – ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’ – पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक का लक्ष्य था किसी भी तरह से चिट्ठियों को निकाल कर जिंदा वापस लौटना। इस काम में कई अड़चनें थीं। कुएँ के अंदर जगह तंग थी। साँप एक विषधर था जिसके काटने पर जिंदा बचना नामुमकिन था। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता था कि कुएँ के अंदर असल में क्या घटने वाला था। उस होने वाली घटना पर लेखक का कोई नियंत्रण नहीं था। जो भी होना था सब भगवान भरोसे था।
प्रश्न 11 – चिठ्ठियों को कहाँ डालना था और लेखक और उसके भाई को तेजी से जाने को क्यों कहा गया?
उत्तर – जब लेखक और उसके छोटे भाई को लेखक के भाई साहब ने घर आते हुआ देखा तो भाई साहब ने उन दोनों से कहा कि उनके द्वारा लिखे गए पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर में स्थित डाकखाने में डाल आओ। उन्होंने उन दोनों को तेज़ी से जाने के लिए भी कहा, जिससे शाम की डाक में उनकी चिठियाँ निकल जाएँ ताकि ये चिठियाँ जल्दी ही वहाँ पहुँच जाए जहाँ उन्हें भेजा जाना है क्योंकि वे बहुत जरुरी थी।
प्रश्न 12 – लेखक द्वारा किए गए ठण्ड के वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए और उस ठण्ड का सामना करने के लिए क्या उपाय किए गए?
उत्तर – लेखक और लेखक का छोटा भाई जब चिट्ठियाँ डालने जा रहे थे, वे दिन जाड़े के दिन तो थे ही साथ ही साथ ठंडी हवा के कारण उन दोनों को कॅंप–कँपी भी लग रही थी। हवा इतनी ठंडी थी कि हड्डी के भीतर भरा मुलायम पदार्थ तक ठण्ड के कारण ठिठुरने लगा था, इसलिए लेखक और लेखक के भाई ने कानों को धोती से बाँधा। लेखक की माँ ने रास्ते में दोनों के खाने के लिए थोड़े से भुने हुए चने एक धोती में बाँध दिए थे।
प्रश्न 13 – पाठ में लेखक ने अपनी टोली की शरारतों के किस्सों में से एक किस्सा कौन सा सूनाया?
उत्तर – एक दिन लेखक और लेखक की टोली स्कूल से लौट रहे थे कि उनको कुएँ में पंजे के बल उचककर झाँकने की सूझी। सबसे पहले कुएँ में पंजे के बल उचककर झाँकने वाला लेखक ही था। लेखक ने कुएँ में झाँककर एक पत्थर फेंका क्योंकि उनको जानना था की उसकी आवाज कैसी होती है। उसकी आवाज को सुनने के बाद उन्होंने अपनी आवाज की गूँज को कुँए में सुनने की सोची, परन्तु कुएँ में जैसे ही पत्थर गिरा, वैसे ही एक फुसकार सुनाई पड़ी। कुएँ के किनारे खड़े हुए लेखक और लेखक की टोली के सब बालक पहले तो उस फुसकार से ऐसे हैरान हो गए जैसे हिरणों का खेलता हुआ समूह अपने बहुत नजदीक किसी कुत्ते की भौंकने से हैरान हो जाता है। उसके बाद लेखक और लेखक के सभी साथियों ने उछल–उछलकर एक–एक पत्थर कुँए में फेंका और कुएँ से आने वाली क्रोध भरी फुसकार को शांत करने में लग गए। गाँव से मक्खनपुर जाते और मक्खनपुर से लौटते समय लेखक और लेखक के साथी हर दिन अब कुएँ में पत्थर डाला करते थे। लेखक सबसे आगे भागकर जाता था और लेखक अपनी टोपी को एक हाथ से पकड़ता और दूसरे हाथ से पत्थर फेंकता था।
प्रश्न 14 – लेखक और लेखक का भाई किस तरह रो रहे थे?
उत्तर – कुएँ की सीढ़ी पर बैठे लेखक का छोटा भाई और लेखक रो रहे थे–छोटा भाई जोर–जोर से रो रहा था और लेखक चुपचाप आँखें भर कर रो रहा था। जैसे पतीली में उफान आने से ढकन ऊपर उठ जाता है और पानी बाहर टपक जाता है लेखक की आँखों से भी आँसू उसी तरह टपक रहे थे। लेखक की आँखों में निराशा, पिटने के भय और घबराहट से रोने का उफान आता था। लेखक की पलकें उसके भीतरी भावों को रोकने का प्रयास कर रही थी, परन्तु उसके गालों पर आँसू ढुलक ही जाते थे।
प्रश्न 15 – रोते समय लेखक क्या सोच रहा था?
उत्तर – रोते समय लेखक को माँ की गोद की याद आ रही थी। उसका जी चाह रहा था कि उसकी माँ आए उसे छाती से लगाए और लाड़–प्यार करके यह कह दे कि कोई बात नहीं, चिठियाँ तो फिर से लिख ली जाएँगी, रोने की कोई बात नहीं। लेखक का मन कर रहा था कि कुएँ में बहुत–सी मिट्टी डाल दें और घर जाकर यह झूठ कह दें कि वे दोनों चिठ्ठी डाल आए हैं, पर उस समय लेखक झूठ बोलना जानता ही नहीं था।
प्रश्न 16 – लेखक ने अपनी परेशानी को दूर करने के लिए क्या निर्णय लिया और वह निर्णय भयानक क्यों था?
उत्तर – लेखक के अनुसार यदि मन में किसी काम को करने का पक्का विचार कर लिया जाए तो परेशानियाँ अपने आप कम हो जाती हैं। लेखक की परेशानी भी दूर हो गई। क्योंकि लेखक ने कुएँ में घुसकर चिठियों को निकालने का निश्चय कर लिया था। यह बहुत ही भयानक निर्णय था क्योंकि निचे कुऍं में भयंकर कला साँप था। परन्तु लेखक कहता है कि जो मरने को तैयार हो, उसे किसी भी भयानक चीज़ से क्या? मूर्खता से चाहे बुद्धिमता से कोई किसी काम को करने के लिए यदि मौत का रास्ता ही स्वीकार कर ले, और वह भी जानबूझकर, तो फिर वह अकेला संसार की किसी भी परेशानी से भिड़ने को तैयार हो जाता है।
प्रश्न 17 – लेखक ने कुँए में जाने के लिए रस्सी कैसे बनाई?
उत्तर – लेखक को कुँए में जाने के लिए रस्सी की आवश्यकता थी और उनके पास अपने कपड़ों को ही रस्सी बनाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। एक धोती लेखक की, एक छोटे भाई की, एक वह जिसमें लेखक की माँ ने चने बाँधे थे, दो वह जो ठण्ड से बचने के लिए कानों से बँधी हुई थी, सब धोतियाँ मिला कर–पाँच धोतियाँ थी उन सब को और कुछ कुँए के पास पड़ी रस्सी मिलाकर कुएँ की गहराई के लिए काफी हो गई थी।
प्रश्न 18 – लेखक को क्यों विश्वास था कि वह साँप को मार देगा?
उत्तर – जब लेखक कुएँ में धोती के सहारे जाने लगा तो उसका छोटा भाई रोने लगा। लेखक ने उसे भरोसा दिलाया कि लेखक कुएँ के नीचे पहुँचते ही साँप को मार देगा और लेखक को भी यही विश्वास था कि वह नीचे पहुँचते ही साँप को मार देगा। इस विश्वास का कारण यह था कि इससे पहले भी लेखक ने अनेक साँप मारे थे। इसलिए कुएँ में घुसते समय लेखक को साँप का बिलकुल भी डर नहीं था। साँप को मारना लेखक को बाएँ हाथ का खेल लगता था। यानि साँप को मारना लेखक बहुत आसान समझता था।
प्रश्न 19 – लेखक जब कुँए में उतरा तो साँप किस स्थिति में था?
उत्तर – लेखक जब कुँए में उतर रहा था और जब कुएँ के धरातल से वह चार–पाँच गज ऊपर होगा, तब लेखक ने ध्यान से नीचे को देखा। लेखक ने जो देखा उसे देखकर लेखक हैरान हो गया। कुँए के धरातल पर साँप अपना फन फैलाए धरातल से एक हाथ ऊपर उठा हुआ लहरा रहा था। साँप की पूँछ और पूँछ के समीप का भाग ही पृथ्वी पर था, बाकी का आधा आगे का भाग हवा में ऊपर उठा हुआ था और वह साँप लेखक के निचे आने की ही प्रतीक्षा कर रहा था। धोती के नीचे डंडा बँधा था, जो लेखक के उतरने की गति से इधर–उधर हिल रहा था। शायद उसी के कारण लेखक को उतरते देख साँप घातक चोट करने के आसन पर बैठा था अर्थात फन फैलाए लेखक को डँसने के लिए तैयार बैठा था। सँपेरा जैसे बीन बजाकर काले साँप को खिलाता है और साँप क्रोधित हो कर अपना फन फैलाकर खड़ा होता है और फुँकार मारकर चोट करता है, ठीक उसी तरह यह कुँए का साँप भी तैयार बैठा था।
प्रश्न 20 – लेखक साँप को मारने के कौन–कौन से तरीके सोच रहा था और वे तरीके सफल क्यों नहीं थे?
उत्तर – जब लेखक ने साँप को साक्षात् देखा तो उसने साँप को मारने की अपनी योजना और आशा को असंभव पाया। क्योंकि कुँए के निचे साँप को मारने के लिए डंडा चलाने के लिए पूरी जगह ही नहीं थी। लेखक कहता है कि लाठी या डंडा चलाने के लिए काफी जगह चाहिए होती है जिसमें वे घुमाए जा सकें। एक तरीका और था कि साँप को डंडे से दबाया जा सकता था, पर ऐसा करना मानो तोप के मुहाने पर खड़ा होना था। यदि फन या उसके समीप का भाग न दबा, तो फिर वह साँप पलटकर जरूर काटता, और अगर हिम्मत करके लेखक फन के पास दबा भी देता तो फिर उसके पास पड़ी हुई दो चिठियों को वह कैसे उठाता? दो चिठियाँ साँप के पास उससे सटी हुई पड़ी थीं और एक लेखक की ओर थी। लेखक तो चिठियाँ लेने ही कुँए में उतरा था।
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