Hindi Essay Writing – टीचर्स डे (Teacher’s Day)

टीचर्स डे पर निबंध

टीचर्स डे पर निबंध-  इस लेख हम टीचर्स डे का इतिहास, भारत में टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है, समाज और एक बच्चे के जीवन में गुरु का महत्व क्या है इस के बारे में जानेगे |

शिक्षक दिवस पर 10 लाइन हिंदी में 

  1. भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है।
  2. शिक्षक दिवस अपने शिक्षकों को सम्मान देने और उनकी महत्ता का अहसास दिलाने के लिए ही मनाया जाता है। 
  3. भारत 1962 से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मना रहा है।
  4. भारतीय शिक्षा में अभूतपूर्ण योगदान देने के कारण ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के दिन ही भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 
  5. इस दिन नेता और प्रसिद्ध हस्तियां डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
  6. इस दिवस पर छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं और सम्मान के प्रतीक के रूप में उन्हें उपहार देते हैं।
  7. पूरे भारत के छात्र इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
  8. दुनिया भर में करीब सौ से ज्यादा देश शिक्षक दिवस मनाते हैं।
  9. विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  10. शिक्षक को प्राचीन भारतीय संस्कृति में “गुरु” नाम से संबोधित किया जाता था।

Short Essay on teachers day in Hindi शिक्षक दिवस पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

शिक्षक दिवस पर अनुच्छेद : दुनिया भर के कई देश शिक्षकों और समाज में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए अलग-अलग तारीखों पर शिक्षक दिवस मनाते हैं। भारत में, शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरे भारत में स्कूलों और कॉलेजों में एक उत्सव का माहौल होता है। डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे । उन्होंने भारतीय शिक्षा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

भारत शुरू से ही एक गुरुप्रधान देश रहा है चाहे कबीर हो या रैदास सब ने ही गुरु को अपना सर्वस्व माना है, इन दोनों कवियों ने गुरु को भगवान से बढ़कर बताया है। गुरु वह शख्सियत है जो किसी व्यक्ति के मन, वचन और कर्म से अज्ञान रूपी अंधेरा हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश करता है। 

शिक्षक दिवस पर अनुच्छेद – कक्षा 1, 2, और 3 के बच्चों के लिए 100 शब्दों में

हमारे शिक्षक हमारे जीवन में एक महान और सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे हमारे ज्ञान और आत्मविश्वास को बढ़ाने में हमारी सहायता करते हैं और साथ ही सफलता पाने के लिए हमें सही आकार देते हैं।

इसलिए उन्हें सम्मान देने के लिए भारत एवं संपूर्ण विश्व में टीचर्स डे नाम से एक विशेष उत्सव मनाया जाता है।  भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत में स्कूलों और कॉलेजों में एक उत्सव का माहौल होता है। बच्चे अपने शिक्षक को मान-सम्मान देने के लिए स्पीच और उपहार देते है। शिक्षक को प्राचीन भारतीय संस्कृति में “गुरु” नाम से संबोधित किया जाता था। 

शिक्षक दिवस पर अनुच्छेद – कक्षा 4 और 5 के बच्चों के लिए 150 शब्दों में

शिक्षक दिवस के दिन बच्चे अपने सभी शिक्षकों को उनके योगदान के लिए सम्मान देते है। भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। स्कूल और कॉलेजों के छात्र शिक्षक दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। छात्र अपने शिक्षकों के प्रति अपना प्यार और सम्मान देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उनके निष्ठावान योगदान के लिए छात्र उन्हें फूल और अन्य उपहार देकर अपना आभार प्रकट करते है।

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। वे एक महान शिक्षक थे। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में परास्नातक किया और बाद में, उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया, जहाँ वे छात्रों के बीच लोकप्रिय थे। पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था, जिस वर्ष राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपना पद ग्रहण किया था। राधाकृष्णन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति और राजेंद्र प्रसाद के बाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने।

शिक्षक दिवस पर अनुच्छेद – कक्षा 6, 7, और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

दुनिया भर के लगभग 100 से ज्यादा देश टीचर्स डे को मनाते हैं। सभी देश अलग-अलग तारीखों पर टीचर्स डे मनाते हैं। इस दिन अध्यापकों को सामान्य रूप से और कतिपय कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया जाता है। 

देश में शिक्षकों के योगदान का सम्मान करने के लिए भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जन्मदिन है। राधाकृष्णन शिक्षा के प्रति अत्यधिक समर्पित थे तथा उन्होंने भारत के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रमुख पदों पर कार्य किया। पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था जिस वर्ष राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपना पद ग्रहण किया था। राधाकृष्णन भारत के पहले उप-राष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। जब वे 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने, तो कुछ छात्रों ने उनसे 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। तब उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से मेरे जन्मदिन के रूप में मनाने के बजाय क्यों न इसे शिक्षक दिवस के रूप में अध्यापन पेशे के प्रति मेरे समर्पण के रूप में मनाया जाए। उनके इस बयान के बाद से पूरे भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हो गई है।

शिक्षक दिवस पर अनुच्छेद –  कक्षा 9, 10, 11, 12 और प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

शिक्षक दिवस समाज में शिक्षकों को सम्मान देने और शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रयासों को याद करने के लिए मनाया जाता है। हर देश किसी स्थानीय शिक्षक या शिक्षा के क्षेत्र में हासिल किए गए मील के पत्थर की याद में एक तारीख को शिक्षक दिवस मनाता है।

अध्यापक प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक अनसंग हीरो होता है। अध्यापक की महत्ता की तुलना हम एक कुम्हार से कर सकते हैं, जैसे एक कुम्हार बेकार मिट्टी को गढ़ के सुंदर खिलौना या बर्तन बनाता है ठीक उसी प्रकार एक अध्यापक एक बच्चे के आंतरिक अंतर्मन को गढ़ कर उसको एक आदर्श इंसान बनाता है। 

 

शिक्षक को प्राचीन भारतीय संस्कृति में “गुरु” नाम से संबोधित किया जाता था और समाज में प्राचीन काल से ही गुरु का स्थान सबसे ऊपर रहा है, स्वयं राजा महाराजाओं ने भी गुरु को खुद से ऊपर का दर्जा दिये हैं। प्राचीन काल में प्रत्येक राज्य में एक कुलगुरु रहते थे, जिनका कार्य राजाओं के बच्चों को वेद, पुराण, शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा देना होता था। 

गुरु के महत्व के बारे में जितने शब्द कहो सब कम ही पड़ जाते हैं क्योंकि भगवान जब जब धरती पर अवतरित हुए हैं तो संपूर्ण ज्ञान से परिपूर्ण होते हुए भी उनको किसी न किसी गुरु के सानिध्य में जाना ही पड़ा है, फिर चाहे वो भगवान श्री राम हो, कृष्ण जी हो या हनुमान जी हो। 

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। वह एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे, जिन्होंने भारत और दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रमुख पदों पर कार्य किया। भारतीय शिक्षा में अभूतपूर्ण योगदान देने के कारण ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के दिन ही भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन नेता और प्रसिद्ध हस्तियां डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। भारत में 1962 से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

टीचर्स डे पर निबंध 1500 Words

एक बच्चे के जीवन में माता पिता के बाद एक अध्यापक का ही स्थान होता है। 

एक छोटा बच्चा मिट्टी के पुतले के जैसा होता है, जिसको मानसिक और नैतिक रूप से एक अध्यापक ही मजबूत बनाता है। 

अध्यापक प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक अनसंग हीरो होता है। अध्यापक की महत्ता की तुलना हम एक कुम्हार से कर सकते हैं, जैसे एक कुम्हार बेकार मिट्टी को गढ़के सुंदर खिलौना या बर्तन बनाता है ठीक उसी प्रकार एक अध्यापक एक बच्चे के आंतरिक अंतर्मन को गढ़कर उसको एक आदर्श इंसान बनाता है। 

भारत शुरू से ही एक गुरुप्रधान देश रहा है चाहे कबीर हो या रैदास सब ने ही गुरु को अपना सर्वस्व माना है, इन दोनों ही कवियों ने गुरु को भगवान से बढ़कर बताया है। 

कबीर जी का एक प्रसिद्ध दोहा सबको याद ही होगा, अगर नही याद तो चलिए याद दिला देता हूं; 

“गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए”

इस दोहे का अर्थ है कि, “अगर गुरु और भगवान दोनो मेरे सामने आ जाए और पूछे कि किसके पैर आगे पड़ोगे तो मैं अपने गुरु के पैर आगे छूंगा क्योंकि अगर गुरु न होते तो मुझे कौन बताता कि इस दुनिया में भगवान हैं।”

भारत एवं संपूर्ण विश्व में ही अध्यापकों को शुक्रिया अदा करने के लिए टीचर्स डे नाम का एक विशेष पर्व मनाया जाता है, भारत में टीचर्स डे हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। 

इस लेख में हम आपको इसी टीचर्स डे का इतिहास, टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है, आदर्श गुरु के लक्षण, टीचर्स डे का महत्व और भारत में टीचर्स डे कैसे मनाया जाता है के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

संकेत बिंदु (Contents)

° प्रस्तावना
° टीचर्स डे का इतिहास
°भारत में टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है
°टीचर्स डे का महत्व
°भारत में टीचर्स डे कैसे मनाया जाता है
°उपसंहार

प्रस्तावना

अध्यापक को प्राचीन भारतीय संस्कृति में “गुरु” नाम से संबोधित किया जाता था। 

गुरु शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, गु+रु। अब इसका अगर अर्थ निकाला जाए तो इसका अर्थ बड़ा ही स्पष्ट है, गु अर्थात् अंधेरा और रु अर्थात् दूर करने वाला।  इसका संपूर्ण भावार्थ निकाला जाए तो इसका अर्थ होगा, गुरु वह शख्सियत है जो किसी व्यक्ति के मन, वचन और कर्म से अज्ञान रूपी अंधेरा हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश करता है। 

भारतीय संस्कृति और समाज मे प्राचीन काल से ही गुरु का स्थान सबसे ऊपर रहा है, स्वयं राजा महाराजाओ ने भी गुरु को खुद से ऊपर का दर्जा दिये हैं।  प्राचीन काल में प्रत्येक राज्य में एक कुलगुरू रहते थे, जिनका कार्य राजाओं के बच्चों को वेद, पुराण, शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा देना होता था।  हालांकि, पुराने समय में गुरु शब्द केवल राजाओं तक ही सीमित थे, आम लोगों को गुरु एवं शिक्षा जैसी कोई सुविधा नहीं मिलती थी। 

गुरु के महत्व के बारे में जितने शब्द कहो सब कम ही पड़ जाते हैं क्योंकि भगवान जब जब धरती पर अवतरित हुए हैं तो संपूर्ण ज्ञान से परिपूर्ण होते हुए भी उनको किसी न किसी गुरु के सानिध्य में जाना ही पड़ा है, फिर चाहे वो भगवान श्री राम हो, कृष्ण या हनुमान जी। 

हालांकि प्राचीन काल से अब की स्थिति व गुरु का स्थान और भूमिका में बदलाव आया है, पहले गुरु अपने शिष्यों से शिक्षा समाप्त होने के बाद गुरु दक्षिणा मांगते थे, तो अब हर महीने गुरु दक्षिणा के स्थान पर फीस लगती है। 

अब शिष्यों का दृष्टिकोण भी बदला है, जहां पहले गुरु चाहे जो सजा दे दे शिष्य कभी उनका विरोध नही करते थे, विरोध करना तो दूर उनके सामने हमेशा सिर नीचे करके ही खड़े रहते थे। वहीं आज ये परिदृश्य बदल चुका है, आज शिष्य अपने अध्यापकों की बेइज्जती यहां तक कि मारपीट भी करते हैं। 

टीचर्स डे अपने अध्यापकों को सम्मान देने और उनकी महत्ता का अहसास दिलाने के लिए ही मनाया जाता है। 

टीचर्स डे का इतिहास

1944 के आसपास, रयान क्रुग नाम के एक विस्कॉन्सिन के शिक्षक ने शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए एक राष्ट्रीय दिवस की आवश्यकता के बारे में राजनीतिक और शिक्षा नेताओं के साथ संवाद करना शुरू किया।  

वुडब्रिज ने एलेनोर रूजवेल्ट को एक पत्र लिखा, जिन्होंने सन् 1953 में 81वीं कांग्रेस दिवस को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित करने के लिए राजी किया।   विश्व शिक्षक दिवस मनाने के लिए, यूनेस्को और एजुकेशन इंटरनेशनल हर साल दुनिया को शिक्षकों की बेहतर समझ और छात्रों और समाज के विकास में उनकी भूमिका निभाने में मदद करने के लिए एक अभियान चलाते हैं। वे इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र, जैसे मीडिया संगठनों के साथ भागीदारी करते हैं। यह अभियान हर साल विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है। 

उदाहरण के लिए, “शिक्षकों का सशक्तिकरण” टीचर्स डे-2017 का विषय है। 

यह वह वर्ष था जब विश्व शिक्षक दिवस ने उच्च शिक्षा शिक्षण कर्मियों की स्थिति से संबंधित 1997 की यूनेस्को की सिफारिश की 20 वीं वर्षगांठ मनाई। 

2018 के लिए, यूनेस्को ने विषय को अपनाया: “शिक्षा के अधिकार का अर्थ है एक योग्य शिक्षक का अधिकार।”  यह मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (1948) की 70वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि हम प्रशिक्षित शिक्षकों के बिना शिक्षा के अधिकार को महसूस नहीं कर सकते।

भारत में टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है

दुनिया भर के लगभग 100 से ज्यादा देश टीचर्स डे को मनाते हैं। भारत भी टीचर्स डे को हर साल 5 सितंबर को मनाता है। 

पहला शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था, जिस वर्ष राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपना पद ग्रहण किया था। राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे और राजेंद्र प्रसाद के बाद देश के दूसरे राष्ट्रपति बने। 

5 सितंबर 1882 को, सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म आंध्र प्रदेश के तिरुतानी में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 

उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में परास्नातक किया और बाद में, उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया, जहाँ वे छात्रों के बीच लोकप्रिय भी थे। 

राधाकृष्णन ने आंध्र विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी कार्य किया। उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ईस्टर्न रिलीजन के प्रोफेसर, स्पाल्डिंग की जगह लेने के लिए भी बुलाया गया।

भारतीय शिक्षा में अभूतपूर्ण योगदान देने के कारण ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के दिन ही भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 

टीचर्स डे का महत्व

शिक्षक दिवस का विशेष महत्व है।  यह उन शिक्षकों के प्रयासों का सम्मान करने और उन्हें महत्व देने का दिन है जो साल भर अथक परिश्रम करते हैं।  शिक्षकों की नौकरी दुनिया की सबसे कठिन नौकरियों में से एक है क्योंकि उन्हें युवा दिमाग को पोषित करने की जिम्मेदारी दी जाती है। उन्हें छात्रों से भरी कक्षा दी जाती है। प्रत्येक छात्र अद्वितीय है और उसकी क्षमता अलग है। 

कुछ छात्र खेल में अच्छे हो सकते हैं अन्य गणित के प्रतिभाशाली हो सकते हैं जबकि अन्य अंग्रेजी में गहरी रुचि दिखा सकते हैं।  एक अच्छा शिक्षक छात्रों को उनकी रुचि का पता लगाने और उनकी क्षमताओं की पहचान करने में मदद करता है। 

वह छात्रों को उन विषयों या गतिविधियों में अपने कौशल को सुधारने के लिए प्रोत्साहित करती है जिनमें वे रुचि रखते हैं और साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अन्य विषयों या शिक्षाविदों की समग्र रूप से उपेक्षा नहीं करते हैं।

इस पेशे से जुड़े लोगों को टीचर्स डे नामक एक विशेष दिन समर्पित करने का कारण उन्हें सम्मान देना और आभार व्यक्त करना है।  शिक्षक दिवस का बहुत महत्व है।  निम्नलिखित कारणों की वजह से इसे महत्वपूर्ण माना जाता है:

आभार व्यक्त करने का तरीका

शिक्षक अपने छात्रों को अच्छी तरह से पोषित करने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करते हैं।  शिक्षक के लिए छात्र पहले आते हैं और वे यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक छात्र अच्छी आदतों और अनुशासन को विकसित करे और अकादमिक रूप से अच्छा करे।  वे उन्हें उनके सर्वांगीण विकास के लिए खेल और अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं।  

वे अपने छात्रों को विकसित करने में मदद करने की पूरी कोशिश करते हैं।  यह दिन छात्रों द्वारा उनके लिए किए गए सभी कार्यों के लिए शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका है। 

सम्मान की भावना व्यक्त करने का तरीका

शिक्षक दिवस पर, छात्र उन शिक्षकों को सम्मान देते हैं जो उनके गुरु के रूप में कार्य करते हैं और उन्हें जीवन में सही दिशा दिखाते हैं।   छात्र सम्मान के प्रतीक के रूप में अपने शिक्षकों को धन्यवाद भाषण और उपहार गुलदस्ते, कार्ड और अन्य अनुकूलित उपहार आइटम वितरित करते हैं। 

छात्र-शिक्षक बंधन को मजबूत करने का एक तरीका

शिक्षक दिवस ही एक ऐसा दिन है जो छात्र-शिक्षक बंधन को मजबूत करता है। इस कारण भी यह महत्वपूर्ण है। छात्र इस दिन शिक्षक के रूप में तैयार होते हैं और व्याख्यान देते हैं और ऐसा करने से वे शिक्षक होने की कठिनाइयों को समझते हैं।  वे अपने शिक्षकों के वास्तविक मूल्य और उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत और प्रयासों को समझते हैं। इससे उनके शिक्षकों के प्रति सम्मान बढ़ता है।

इस दिन शिक्षकों और छात्रों से जुड़े कई खेल और अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।  छात्र और शिक्षक इन्हें एक साथ खेलते हैं और इस तरह उनके बीच एक अच्छा रिश्ता बन जाता है। यह उनके बंधन को मजबूत करने का एक शानदार तरीका है। 

भारत में टीचर्स डे कैसे मनाया जाता है

भारत भर के स्कूलों में छात्र शिक्षक दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।  छात्र इस दिन अपने पसंदीदा शिक्षकों की तरह तैयार होते हैं और जूनियर कक्षाओं में जाते हैं। उन्हें अलग-अलग कक्षाएं सौंपी जाती हैं जहां वे जाते हैं और इस दिन पढ़ाते हैं।  

सीनियर विंग और जूनियर विंग दोनों के छात्रों के लिए यह बहुत मजेदार पल होता है। वे इन सत्रों के दौरान अध्ययन के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों में शामिल होते हैं।  वरिष्ठ छात्र यह सुनिश्चित करते हैं कि स्कूल का अनुशासन पूरे समय बना रहे और जूनियर उसी में उनका सहयोग करें। कई स्कूलों में, जूनियर छात्र भी विभिन्न शिक्षकों के रूप में तैयार होते हैं और उन्हें अपनी भूमिका निभाने के लिए कहा जाता है। 

प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और सबसे अच्छी पोशाक और भूमिका निभाने वाला वही जीतता है। शिक्षक दिवस के अवसर पर कई अन्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।  ये गतिविधियाँ आमतौर पर दिन के दूसरे भाग में होती हैं। पहली छमाही के दौरान, वरिष्ठ छात्र कक्षाएं लेते हैं जबकि शिक्षक आराम करते हैं और स्टाफ रूम में मस्ती करते हैं।

टीचर्स भी खूबसूरती से सजे-धजे नजर आ रहे हैं। उनमें से ज्यादातर एक साड़ी या कुछ अन्य विशेष पोशाक पहनते हैं और शानदार हेयर स्टाइल के लिए जाते हैं। उनके स्वागत के लिए स्कूलों को अच्छी तरह से सजाया जाता है। छात्र विशेष रूप से इस अवसर के लिए कक्षाओं को सजाने के लिए एक दिन पहले स्कूल के बाद वापस आ जाते हैं।  वे कक्षाओं को सजाने के लिए विभिन्न नवीन तरीकों को लागू करते हैं और दिन के लिए रचनात्मक गतिविधियों के साथ भी आते हैं। वे उसी दिन से शिक्षक दिवस समारोह की तैयारी शुरू कर देते हैं।

कई स्कूलों में, छात्र नृत्य प्रदर्शन देते हैं, नाटक करते हैं, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित करते हैं, भाषण देते हैं और कई अन्य गतिविधियों में शामिल होते हैं, जबकि शिक्षक उन्हें प्रदर्शन करते हुए देखते हैं।  कुछ स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों के लिए सामूहिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। यह सब बहुत अधिक मजेदार होता है। वे अलग-अलग खेल खेलते हैं और एक साथ विभिन्न गतिविधियों में शामिल होते हैं और उसी पर अच्छी तरह से रम जाते हैं।

छात्र इस विशेष अवसर पर अपने शिक्षकों के लिए ग्रीटिंग कार्ड, फूल और अन्य उपहार सामग्री भी लाते हैं। शिक्षकों को भी अपने छात्रों से विभिन्न प्रकार के रंगीन उपहार प्राप्त करने में खुशी होती है। 

उपसंहार

तो हमें पता चला है कि शिक्षक दिवस हर व्यक्ति के जीवन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि देश का हर व्यक्ति चाहे वह युवा हो या बूढ़ा, किसी न किसी दिन छात्र रहा है। हमें अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इस दिन को उत्साह और सम्मान के साथ मनाना चाहिए। उन्हें महंगे उपहार देना जरूरी नहीं है लेकिन उन्हें खुश करने के लिए केवल सम्मान की भावना ही काफी है। एक छात्र और शिक्षक का रिश्ता हमारे देश में सबसे महत्वपूर्ण चीज है, जो भारत को विश्वगुरु बने रहने के लिए लंबे समय तक बनाए रखने की जरूरी है। 


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