Kriya Visheshan in Hindi क्या है? क्रिया विशेषण की परिभाषा, क्रियाविशेषण अर्थ, भेद, उदाहरण
Kriya Visheshan in Hindi (क्रिया-विशेषण) – इस लेख में हम क्रिया-विशेषण और क्रिया-विशेषण के भेदों को उदहारण सहित जानेंगे। क्रिया-विशेषण किसे कहते हैं? क्रिया-विशेषण के कितने भेद हैं? इन प्रश्नों को विस्तार पूर्वक हम इस लेख में जानेंगे –
क्रिया-विशेषण को जानने से पूर्व विकारी और अविकारी शब्दों के बारे में जानना आवश्यक है। ताकि पता चले की किया-विशेषण किस श्रेणी में आते हैं
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- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
- क्रिया विशेषण की परिभाषा
- क्रिया-विशेषण के भेद
- प्रयोग के आधार पर क्रियाविशेषण के भेद
शब्द के प्रकार – Type of word
(क) विकारी शब्द – Bad Words
(ख) अविकारी शब्द – Non-invasive word
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विकारी शब्द Bad Word
- जिन शब्दों में लिंग, वचन और कारक के कारण विकार उत्पन्न हो जाता है, उसे विकारी शब्द कहते हैं।
अविकारी शब्द – Non-invasive word
- जिन शब्दों में लिंग, वचन और कारक के कारण विकार उत्पन्न न हो, उसे अविकारी शब्द कहते हैं।
- क्रिया-विशेषण अविकारी शब्द का एक भेद होता है क्योंकि क्रिया-विशेषण शब्द किसी भी स्थिति में नहीं बदलते।
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क्रिया विशेषण की परिभाषा – Kriya Visheshan Definition in Hindi
- वह शब्द जो हमें क्रियाओं की विशेषता का बोध कराते हैं, वे शब्द क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
- दुसरे शब्दों में – जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है, उन शब्दों को हम क्रिया-विशेषण कहते हैं।
- जैसे – हिरण तेज़ भागता है।
- इस वाक्य में भागना क्रिया है। तेज़ शब्द हमें क्रिया कि विशेषता बता रहा है कि वह कैसे भाग रहा है। अतः तेज़ शब्द क्रिया-विशेषण है।
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क्रिया विशेषण के उदाहरण – Examples of Kriya Visheshan (Adverb)
- वह धीरे-धीरे चलता है।
- खरगोश तेज़ दौड़ता है।
- शेर धीरे-धीरे आगे बढ़ता है।
- ऊपर दिए गए उदाहरणों में धीरे-धीरे, तेज़ आदि शब्द चलना, दौड़ना, बढना आदि क्रियाओं की विशेषता बताने का काम कर रहे हैं। अतः यह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
क्रिया-विशेषण के भेद – Types of Adverb in Hindi
क्रिया-विशेषण का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया गया है –
(1) प्रयोग के आधार पर
(2) रूप के आधार पर
(3) अर्थ के आधार पर
क्रिया-विशेषण के भेद | ||
प्रयोग के आधार पर |
रूप के आधार पर |
अर्थ के आधार पर |
i. साधारण क्रिया-विशेषण | i. मूल क्रिया-विशेषण | i. स्थानवाचक क्रिया-विशेषण |
ii. संयोजक क्रिया-विशेषण | ii. यौगिक क्रिया-विशेषण | ii. कालवाचक क्रिया-विशेषण |
iii. अनुबद्ध क्रिया-विशेषण | iii. स्थानीय क्रिया-विशेषण | iii. परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण |
iv. रीतिवाचक क्रिया-विशेषण |
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प्रयोग के आधार पर क्रियाविशेषण के भेद – Difference between adverbs based on use
i. साधारण क्रिया-विशेषण – जिन क्रियाविशेषणों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से वाक्य में किया जाता है, उसे साधारण क्रिया-विशेषण कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिन क्रिया-विशेषणों का प्रयोग किसी वाक्य में स्वतंत्र रूप से होता है, वही शब्द साधारण क्रिया-विशेषण कहलाता है।
जैसे –
(i) बेटा, जल्दी आओ |
(ii) अरे! साँप कहाँ गया?
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ii. संयोजक क्रिया-विशेषण – जिन क्रिया-विशेषणों का संबंध किसी उपवाक्य से होता है, उसे संयोजक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैसे –
(i)जहाँ पर अभी समुन्द्र है, वहाँ पर कभी जंगल था।
(ii)जहाँ तुम अभी खड़े हो, वहां घर हुआ करता था।
(iii)जहां तुम जाओगे, वहीँ मैं जाऊँगा।
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iii. अनुबद्ध क्रिया-विशेषण – जिन शब्दों का प्रयोग निश्चय के किसी भी शब्द भेद के साथ हो सकता हो, उसे अनुबद्ध क्रिया-विशेषण कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – ऐसे शब्द जो निश्चय के लिए कहीं भी प्रयोग कर लिए जाते हैं, वे शब्द अनुबद्ध क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जैसे:
जैसे –
(i)यह काम तो गलत ही हुआ है।
(ii)आपके आने भर की देर है।
रूप के आधार पर क्रिया-विशेषण के भेद – Adjective distinctions by form
i. मूल क्रिया-विशेषण – जो दूसरे शब्दों में प्रत्यय लगाए बिना बनते हैं अथार्त जो शब्द दूसरे शब्दों से मिलकर नहीं बनते, उन्हें मूल क्रिया-विशेषण कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – ऐसे शब्द जो दुसरे शब्दों के मेल से नहीं बनते यानी जो दुसरे शब्दों में प्रत्यय लगे बिना बन जाते हैं, वे शब्द मूल क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे – पास, दूर, ऊपर, आज, सदा, अचानक, फिर, नहीं, ठीक आदि।
ii. यौगिक क्रियाविशेषण – जो दूसरे शब्दों में प्रत्यय या पद आदि लगाने से बनते हैं, उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – ऐसे क्रिया-विशेषण जो किसी दुसरे शब्दों में प्रत्यय या पद आदि लगाने से बनते हैं, ऐसे क्रिया-विशेषण यौगिक क्रिया-विशेषणों की श्रेणी में आते हैं।
संज्ञा से यौगिक क्रिया-विशेषण –
जैसे – सबेरे, सायं, आजन्म, क्रमशः, प्रेमपूर्वक, रातभर, मन से आदि।
सर्वनाम से यौगिक क्रियाविशेषण –
जैसे – यहाँ, वहाँ, अब, कब, इतना, उतना, जहाँ, जिससे आदि।
विशेषण से क्रियाविशेषण –
जैसे – चुपके, पहले, दूसरे, बहुधा, धीरे आदि।
क्रिया से क्रियाविशेषण
जैसे – खाते, पीते, सोते, उठते, बैठते, जागते आदि।
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iii. स्थानीय क्रिया-विशेषण – ऐसे अन्य शब्द-भेद जो बिना अपने रूप में बदलाव किये किसी विशेष स्थान पर आते हैं, वे स्थानीय क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे-
(i) वह अपना सिर पढ़ेगा।
(ii) तुम दौड़कर चलते हो।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं कि सिर, चलते आदि शब्दों के रूप में बिना बदलाव हुए ही वे विशेष स्थान पर प्रयोग किये गए हैं। अतः यह स्थानीय क्रिया-विशेषण के अंतर्गत आयेंगे।
अर्थ के आधार पर क्रिया-विशेषण के भेद
i. स्थानवाचक क्रिया-विशेषण – जिन अविकारी शब्दों से क्रिया के व्यापार के स्थान का पता चले उसे स्थानवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – वे शब्द जो क्रिया के घटित होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे – यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर, दूर, पास, अंदर, किधर, इस ओर, उस ओर, इधर, उधर, जिधर, दाएँ, बाएँ, दाहिने आदि।
उदाहरण –
(i) बच्चे ऊपर खेलते हैं।
(ii) अब वहाँ अकेला मजदूर था।
(iii) तुम बाहर बैठो।
(iv) वह ऊपर बैठा है।
ii. कालवाचक क्रिया-विशेषण – जिन अविकारी शब्दों से क्रिया के व्यापार के समय का पता चलता है, उसे कालवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – जिन शब्दों से क्रिया के घटित होने के समय का पता चले उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे – आज, कल, परसों, पहले, अब तक, अभी-अभी, लगातार, बार-बार, प्रतिदिन, अक्सर, बाद में, जब, तब, अभी, कभी, नित्य, सदा, तुरंत, आजकल, कई बार, हर बार आदि।
उदाहरण –
(i) आज बरसात होगी।
(ii) राम कल मेरे घर आएगा।
(iii) वह कल आया था।
(iv) तुम अब जा सकते हो।
iii. परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण – जिन अविकारी शब्दों से क्रिया के परिमाण और उसकी संख्या का पता चलता है, उसे परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैसे – बहुत, अधिक, पूर्णतया, कुछ, थोडा, काफी, केवल, इतना, उतना, कितना, थोडा-थोडा, एक-एक करके, जरा, खूब, बिलकुल, ज्यादा, अल्प, बड़ा, भारी, लगभग, क्रमशः आदि।
उदाहरण –
(i) अधिक पढो।
(ii) ज्यादा सुनो।
(iii) कम बोलो।
(iv) अधिक पियो।
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iv. रीतिवाचक क्रियाविशेषण – जिन अविकारी शब्दों से क्रिया की रीति या विधि का पता चलता है, उसे रीतिवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैसे – सचमुच, ठीक, अवश्य, कदाचित, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज, सच, झूठ, धीरे, ध्यानपूर्वक, हंसते हुए, तेजी से, फटाफट आदि।
उदाहरण –
(i) अचानक काले बादल घिर आए।
(ii) हरीश ध्यान पूर्वक पढ़ रहा है।
(iii) रमेश धीरे -धीरे चलता है।
(iv) वह तेज भागता है।
(v) कछुआ धीरे-धीरे चलता है।
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