Informal Letter in Hindi Format, Types, Examples – अनौपचारिक पत्र पत्र लेखन प्रारूप,विषय, Hindi letter Writing (Informal Letter in Hindi)
Informal Letter in Hindi – अनौपचारिक पत्र – An informal letter, also referred to as a personal letter written to friends or relatives. Hindi Letter writing also include Informal letters – there are generally written for an invitation for some family function, to let our family and friends know what is happening in our life, to enquire about their well being, congratulate them on their achievements, wishing them a good look and much more.
Simple language is used while writing informal letters and there is no limitation of words. In this post, we have tried to let you know the types of informal letters, Format of Informal Hindi Letter Writing with examples.
Hindi Letter – Informal Letter Writing
- अनौपचारिक पत्र किसे कहते हैं – What is Informal Letter in Hindi?
- Types of informal letter in Hindi अनौपचारिक-पत्र के प्रकार
- Format of Informal Letter in Hindi
- Video of Informal Letter in Hindi
- Anaupcharik patr FAQs
Informal letter in Hindi See Video for Explanation
अनौपचारिक पत्र किसे कहते हैं – What is Informal Letter in Hindi?
अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य सम्बन्धियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते है। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है। इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है।
यह पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। अनौपचारिक पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे माता-पिता, भाई-बहन, सगे-सम्बन्धिओं और मित्रों को उनका हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में थोड़ी ढ़ील की जा सकती है। इन पत्रों में शब्दों की संख्या असीमित हो सकती है क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी समावेश होता है।
Formal Letter in Hindi – औपचारिक पत्र
यह पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। औपचारिक पत्र लेखन में मुख्य रूप से संदेश, सूचना एवं तथ्यों को ही अधिक महत्व दिया जाता है। व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है।
Types of informal letter in Hindi अनौपचारिक-पत्र के प्रकार
Types of Informal Letter in Hindi हिंदी पत्र लेखन में अनौपचारिक पत्रों में निम्नलिखित प्रकार के पत्र रखे जा सकते है
1- बधाई पत्र
2- शुभकामना पत्र
3- निमंत्रण पत्र
4- विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र
5- सांत्वना पत्र
6- किसी प्रकार की जानकारी देने के लिए
7- कोई सलाह आदि देने के लिए
अनौपचारिक-पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें :
(i) भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
(ii) पत्र लेखक तथा प्रापक की आयु, योग्यता, पद आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।
(iii) पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए।
(iv) पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
(v) भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
(vi) पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
(vii) कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
(viii) अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।
(ix) पत्र में काट छांट नही होनी चाहिए।
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Format of Informal Letter in Hindi
अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप
1. पता- सबसे ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है।
2. दिनांक- जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है, उस दिन की तारीख।
3. विषय- (सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |)
4. संबोधन- प्रापक (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है) के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग किया जाता है। (जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग किया जाता है और छोटों के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग किया जाता है।)
5. अभिवादन- जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार, जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |
6. मुख्य विषय- मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित करना चाहिए।
पहले अनुछेद की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए- “हम/मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ कुशल होंगे।”
दूसरे अनुच्छेद में जिस कारण पत्र लिखा गया है उस बात का उल्लेख किया जाता है।
तीसरे अनुछेद में समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व सबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए। जैसे कि- “मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यार
आदि”।
7. समाप्ति- अंत में प्रेषक का सम्बन्ध जैसे- आपका पुत्र, आपकी पुत्री, आपकी की भतीजी आदि”।
अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए-
(1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए-
प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि।
(2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए-
प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि।
(प्रेषक-लिखने वाले का पता)
………………
दिनांक ……………….
संबोधन ……………….
अभिवादन ……………….
पहला अनुच्छेद ………………. (कुशल-मंगल समाचार)
दूसरा अनुच्छेद ……….. (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)
तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध
प्रेषक का नाम …………….
पत्र के आरंभ में लिखने योग्य कुछ वाक्य –
(1) आपका कृपा पत्र मिला । पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई।
(2) बहुत दिनों पश्चात आपका पत्र पाकर हृदय गदगद हो गया।
(3) कार्य में अत्यंत व्यस्त रहने के कारण आपके पत्र का उत्तर न दे सका, क्षमा प्रार्थी हूँ ।
(4) आपको मेरे पत्र की इतनी प्रतीक्षा करनी पड़ी, इसके लिए मुझे हार्दिक खेद है।
(5) यह पढ़कर अत्यंत दु:ख हुआ कि . . . . ।
पत्र-समाप्ति से पूर्व लिखे जाने योग्य कुछ वाक्य –
(1) शेष शुभ।
(2) पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
(3) कष्ट के लिए क्षमा करें।
(4) कृपा के लिए धन्यवाद।
(5) धन्यवाद सहित।
(6) योग्य सेवा से सूचित करें।
(7) विशेष कृपा बनाए रखें।
(8) बड़ों को सादर प्रणाम और सभी छोटों को प्यार-आशीर्वाद ।
विशेष – छात्र इस बात पर विशेष ध्यान दें कि वे परीक्षा में पत्र लिखते समय पते के स्थान पर ‘परीक्षा भवन’ ही लिखें तथा अंत में अपना नाम न लिख कर ‘क, ख, ग, ही लिखें।
Example 1 (उदाहरण 1) – (सलाह देने के लिए पत्र)
यदि आप परीक्षा भवन में बैठकर पत्र लिख रहे हैं तो आप अपने पते की जगह परीक्षा भवन लिखेंगे उदाहरण देखिए-
अपनी बहन को पत्र लिखकर योगासन करने के लिए प्रेरित कीजिए।
परीक्षा भवन,
अ. ब. स.
दिनांक- 27 अप्रैल, 2023
प्रिय बहन,
सदा खुश रहो।
मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा है वहाँ पर भी सभी कुशल होंगें। अभी-अभी मुझे पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ और उनसे घर के सभी समाचार ज्ञात हुए। साथ ही साथ यह भी पता चला कि तुम्हारा स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखा करो।
तुम्हें तो पता ही है कि पहला सुख स्वस्थ शरीर को कहा जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि तुम हमेशा योगासन किया करो। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त रहने के कारण कोई भी स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं देता। योग एक ऐसा माध्यम है जो शरीर को स्वस्थ रखने में महत्पूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए मैं तुम्हें यही सलाह दूँगी कि तुम नियमित रूप से योगा किया करो जिससे तुम्हारा शरीर चुस्त और फुर्तीला हो जाएगा और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी।
आशा करती हूँ कि तुम मेरी इस सलाह को मानोगी तथा अपने जीवन में योग को महत्त्व दोगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम जल्द ही स्वस्थ हो जाओगी। माता-पिता को प्रणाम और भाई को मेरा प्यार देना।
तुम्हारी बहन
आशा
Example 2 (उदाहरण 2) – (संवेदना पत्र)
अपने मित्र के पिता के सीमा पर शहीद हो जाने एक समाचार प्राप्त होने पर अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए मित्र को संवेदना पत्र लिखिए।
34/160, राम नगर,
दिल्ली।
दिनांक-29.05.2023
प्रिय मित्र रमेश,
कल ही तुम्हारे पिता के सीमा पर शहीद हो जाने का समाचार प्राप्त हुआ, जिसे सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ। मैं पिछली बार जब तुम्हारे घर आया था, तब उनसे मिला था।
तुम्हारे पिता एक बहादुर सिपाही थे। जिन्होनें अपने प्राणों की परवाह न करते हुए देश में अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस समाचार को सुन कर जहाँ एक और अपार दुःख हो रहा है वही दूसरी ओर गर्व भी महसूस हो रहा है। ईश्वर के आगे किसी की भी नहीं चलती है। हमारे जीवन की डोर उन्हीं के हाथों में हैं। मुझे आभास है कि पिता जी के आकस्मिक निधन से पुरे परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है तथा जिम्मेदारी अब तुम पर आ गई है। तुम अपनी माँ तथा भाई को धीरज बाँधना साथ ही साथ स्वयं भी धैर्य के साथ कार्य करना।
मेरी ईश्वर से यह प्रार्थना है कि वह तुम्हें और तुम्हारे पुरे परिवार को दुःख की इस घड़ी में ताकत प्रदान करे। अंत में ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
तुम्हारा मित्र
सुरेश।
Example 3 (उदाहरण 3) – (विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र)
चाचा को जन्मदिन के उपहार का धन्यवाद करने के लिए पत्र लिखें-
चन्द्रशेखर हॉस्टल,
समरहिल, शिमला,
हिमाचल प्रदेश।
दिनांक 01.06.2023
चरणस्पर्श चाचा जी,
मैं यहां पर कुशल मंगल हूँ, और आशा करता हूँ कि आप भी वहां कुशल होंगे। आदरणीय चाचा जी पिछले सप्ताह मेरा जन्मदिन था और मुझे वह पत्र प्राप्त हुआ जिसमें आपने न आने का कारण बताया था, मैं उस बात को लेकर बहुत ही ज्यादा नाराज हूँ। मैं आपके आने की उम्मीद लगाकर बैठा था और आपने न आकर सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
आपने उस पत्र के साथ मेरे जन्मदिन का उपहार भी भेजा था, हालांकि कोई भी उपहार आपकी मौजूदगी से ज्यादा शायद ही मुझे खुशी देता, लेकिन यह उपहार पाकर मैं बहुत ज्यादा खुश और संतुष्ट महसूस कर रहा हूं। चाचाजी आप यह जानते हैं कि मैं समय का कितना अधिक पाबन्द हूँ और इसलिए आपने यह घड़ी मुझे भेंट स्वरूप देकर, मेरे इरादों को और भी ज्यादा मजबूत किया है। आपकी यह घड़ी मुझे अनुशासन और समय के महत्व के बारे में सदैव बताती रहेगी। मैं यह घड़ी पाकर बहुत ज्यादा खुश हूं और यह प्रार्थना करता हूं कि मेरे अगले जन्मदिन पर आप भी मौजूद रहें।
चाची जी को चरण स्पर्श कहियेगा और नेहा और अभय को मेरा बहुत सारा स्नेह दीजिएगा। छुट्टियाँ होते ही मैं आप सभी से अवश्य ही मिलने आऊँगा।
आपका आज्ञाकारी भतीजा
अनिरुद्ध
Example 4 (उदाहरण 4) – (बधाई पत्र)
मित्र को परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर बधाई पत्र
परीक्षा भवन,
अ. ब. स.
20-जून-2023
प्रिय मित्र दीपक,
सदा सुखी रहो।
मैं कुशल-मंगल हूँ और आशा करता हूँ कि वहाँ पर भी सभी कुशल-मंगल होंगें। काफी समय हो गया था न तो तुमसे बात हो पाई और न ही तुम्हारे घर पर किसी से बात कर पाया।
तुम्हारे पिता को फोन किया, तो उनसे ज्ञात हुआ की तुम बोर्ड परीक्षा में मुरादाबाद जिले में प्रथम आये हो। इस समाचार को सुनकर मन ख़ुशी से भर गया। मुझे तो पहले से ही विश्वास था की तुम प्रथम श्रेणी में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होंगे लेकिन यह जानकार की तुमने परीक्षा में प्रथम श्रेणी के साथ-साथ जिले में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया है ,मेरी प्रसन्नता की सीमा न रही। इस परीक्षा के लिए तुम्हारे परिश्रम और नियमितता ने ही वास्तव में ऊँचाई तक पहुँचाया है। मुझे पूरी आशा थी की तुम्हारा परिश्रम रंग दिखायेगा और मेरा अनुमान सच साबित हुआ। तुमने प्रथम स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया की दृढ संकल्प और कठिन परिश्रम से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।
मैं सदैव यह कामना करूँगा की तुम्हें जीवन में हर परीक्षा में प्रथम आने का सौभाग्य प्राप्त हो और तुम इसी प्रकार परिवार और विद्यालय का गौरव बढ़ाते रहो। इस प्रकार मेहनत करते रहो और सभी को प्रसन्नता प्रदान करते रहो।
तुम्हारा मित्र
आकाश
Example 5 (उदाहरण 5) – (निमंत्रण पत्र)
बहन की शादी के लिए निमंत्रण पत्र
शास्त्री नगर,
दिल्ली।
दिनांक -15-06-2023
प्रिय मित्र राहुल,
मधुर स्मृतियाँ।
मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा है वहाँ पर भी सभी कुशल होंगें। तुम्हे जानकार बड़ी खुशी होगी कि मेरी बहन रूचि का विवाह अगस्त14 को तय हुआ है। आप इस समारोह में सादर आमंत्रित है। बारात दिल्ली में 14 अगस्त को 8.00 बजे आयेगी। दुल्हन का पति एक डाक्टर है। वह स्वभाव में बहुत अच्छा है। मैं अपने सारे दोस्तों को अपनी बहन के विवाह समाहरोह में बुला रहा हूँ। हमने यह तय किया है कि विवाह समारोह को ओरचीड गार्डन में मनाये।
मैं आशा करता हूँ कि तुम इस विवाह समारोह में अपने परिवार के साथ जरूर आओगे। अंकल और आंटी को मेरी तरफ से प्रणाम कहना। दीपक को मेरा प्राय देना। मुझे तुम्हारी प्रतीक्षा रहेगी।
तुम्हारा मित्र
विनोद।
Anaupcharik patr FAQs
Q1 अनौपचारिक पत्र क्या होता है?
उतर :- अनौपचारिक पत्र वह पत्र होता है जिसके द्वारा हम अपने सगे संबंधियों, दोस्तों या परिवार को अपनी भावनाएं, विचार या महत्वपूर्ण बातें आदि लिख कर साझा करते है या उन्हें भेजते है। ये पत्र पूरी तरह से निजी अथवा व्यक्तिगत होते हैं। तथा इन पत्रों में भाषा का प्रयोग और शब्दों की संख्या लिखने वाले के ऊपर ही निर्भर करती है।
Q2 अनौपचारिक पत्र किसे लिखा जाता है ?
उतर :- अनौपचारिक पत्र उन व्यक्तियों को लिखे जाते हैं, जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है। अपने मित्रों, माता-पिता, अन्य संबंधियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक-पत्रों के अंतर्गत आते है। अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है। इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है।
Q3 अनौपचारिक पत्रों के महत्त्वपूर्ण विषय लिखिए।
उतर :- अनौपचारिक पत्रों के महत्त्वपूर्ण विषय निम्नलिखित है-
- शभु कामना पत्र
- निमंत्रण पत्र
- बधाई पत्र
- सांत्वना पत्र
- अनुमति पत्र
- आभार-प्रदर्शन पत्र
- विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र
- कोई सलाह या सुझाव आदि देने के लिए पत्र
- किसी प्रकार की जानकारी देने के लिए पत्र
Q4 अनौपचारिक पत्र में क्या लिखना चाहिए ?
उतर – अनौपचारिक पत्र में प्रेषक का पता, तिथि, प्रापक का पता और प्रापक के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग करके उनके हाल-चाल के बारे में पूछना तथा अपने बारे में भी लिखना चाहिए।
Q5 अनौपचारिक पत्र का प्रारूप दीजिये।
उतर – अनौपचारिक पत्र का प्रारूप निम्नलिखित है।
1. पता- सबसे पहले ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है।
2. दिनांक- जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है, उस दिन की तारीख।
3. संबोधन- प्रापक (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है) के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग किया जाता है। (जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग किया जाता है और छोटों के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग किया जाता है।)
4. अभिवादन- जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार, जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |
5. मुख्य विषय- मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित करना चाहिए।
- पहले अनुच्छेद की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए- “हम/मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ कुशल होंगे।”
- दूसरे अनुच्छेद में जिस कारण पत्र लिखा गया है उस बात का उल्लेख किया जाता है।
- तीसरे अनुच्छेद में समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व संबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए। जैसे कि- “मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यार आदि”।
6. समाप्ति- अंत में प्रेषक का सम्बन्ध जैसे- आपका मित्र, आपकी पत्नी, आपकी की भतीजी आदि”।
(प्रेषक-लिखने वाले का पता)
………………
दिनांक ……………….
संबोधन ……………….
अभिवादन ……………….
पहला अनुच्छेद ………………. (कुशल-मंगल समाचार)
दूसरा अनुच्छेद ……….. (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है)
तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति)
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध
प्रेषक का नाम …………….
Q6 क्या मैं अध्यापिका को अनौपचारिक पत्र लिख सकती हूँ ?
उतर – जी हां!
अध्यापिका को अगर व्यक्तिगत रूप से कुछ कहना या व्यक्त करना चाहती है तो लिख सकती है।
Q7 हम अनौपचारिक पत्र किसको लिख सकते हैं ?
उतर – हम अनौपचारिक पत्र अपने माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त, बुआ, मामा, चाचा, दादी तथा अन्य सगे संबंधियों को लिख सकते है।
Q8 कक्षा ९ में अनौपचारिक पत्र कितने अंकों के लिए पूछा जाता है ?
उतर – कक्षा 9 में अनौपचारिक पत्र का प्रश्न 6 अंक के लिए पूछा जाता है।
Q9 अनौपचारिक पत्र कितनी शब्द सीमा में लिखना होता है?
उतर – अनौपचारिक पत्र 100 शब्द सीमा में लिखना होता है।
Q10 अनौपचारिक पत्र शुरू करने के तरीके दीजिए।
उतर – अनौपचारिक पत्र प्रशस्ति और अभिवादन से शुरू करेंगे। जैसे कि-
अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए-
प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि।
अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि।
अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए-
प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि।
अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि।
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