CBSE Class 10 Hindi Chapter 14 “Kartoos”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Sparsh Bhag 2 Book
कारतूस – Here is the CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Chapter 14 Kartoos Summary with detailed explanation of the lesson ‘Kartoos’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary.
- कारतूस पाठ प्रवेश
- कारतूस पाठ सार
- कारतूस पाठ की व्याख्या
- See Video Explanation of Chapter 17 Kartoos Class 10
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Class 10 Hindi Chapter 14 Kartoos
लेखक परिचय
लेखक – हबीब तनवीर
जन्म – 1923 (छत्तीसगढ़, रायपुर)
कारतूस पाठ प्रवेश
अंग्रेज इस देश में व्यापारी का भेष धारण कर के आये थे। किसी को कोई शक न हो इसलिए वे शुरू-शुरू में व्यापार ही कर रहे थे, परन्तु उनका इरादा केवल व्यापार करने का नहीं था। व्यापार के लिए उन्होंने जिस ईस्ट-इंडिया कंपनी की स्थापना की थी, उस कंपनी ने धीरे-धीरे देश की रियासतों पर अपना अधिकार स्थापित करना शुरू कर दिया। उनके इरादों का जैसे ही देशवासियों को अंदाजा हुआ उन्होंने देश से अंग्रेजों को बाहर निकालने के प्रयास शुरू कर दिए।
प्रस्तुत पाठ में भी एक ऐसे ही अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है। जिसका केवल एक ही लक्ष्य था -अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। कंपनी के हुक्म चलाने वालों की उसने नींद हराम कर राखी थी। वह इतना निडर था कि मुसीबत को खुद बुलावा देते हुए न सिर्फ कंपनी के अफसरों के बीच पहुँचा बल्कि उनके कर्नल पर ऐसा रौब दिखाया कि कर्नल के मुँह से भी उसकी तारीफ़ में ऐसे शब्द निकले जैसे किसी दुश्मन के लिए नहीं निकल सकते।
Kartoos Class 10 Video Explanation
कारतूस पाठ सार (Kartoos Summary)
प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है, जिसका केवल एक ही लक्ष्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने चार व्यक्तियों का वर्णन किया है, वे हैं – कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और सवार।
कर्नल और लेफ्टिनेंट आपस में वज़ीर अली के कारनामों की बात करते हुए कहते है कि वज़ीर अली ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा है और उसको देख कर उन्हें रॉबिनहुड की याद आ जाती है। फिर कर्नल लेफ्टिनेंट को सआदत अली यानि वज़ीर अली के चाचा के बारे में बताता है की किस तरह वो वज़ीर अली के पैदा होने से दुखी था और अंग्रेजो का मित्र बन गया था। अवध के सिंहासन पर बने रहने के लिए उसने अंग्रेजो को अपनी आधी दौलत और दस लाख रूपए दिए थे।
लेफ्टिनेंट को जब पता चलता है की हिंदुस्तान के बहुत से राजा, बादशाह और नवाब अफगानिस्तान के नवाब को दिल्ली पर हमला करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तो लेफ्टिनेंट की बातों में हामी भरते हुए कर्नल कहता है, कि अगर ऐसा हुआ तो कंपनी ने जो कुछ हिन्दुस्तान में हासिल किया है वह सब कुछ गवाना पड़ेगा।
कर्नल की बातों को सुन कर लेफ्टिनेंट कर्नल से कहता है कि वज़ीर अली की आजादी अंग्रेजों के लिए खतरा है। इसलिए अंग्रेजों को किसी भी तरह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना ही चाहिए। कर्नल कहता है कि तभी तो वह अपनी पूरी फ़ौज को ले कर उसका पीछा कर रहा है और वज़ीर अली उनको सालों से धोखा दे रहा है। वज़ीर अली बहुत ही बहादुर आदमी है। वज़ीर अली ने कंपनी के एक वकील की हत्या भी की है। कर्नल ने हत्या की घटना का वर्णन करते हुए कहा कि वजीर अली को उसके पद से हटाने के बाद अंग्रेजों ने वजीर अली को बनारस भेज दिया था, कुछ महीनो के बाद गवर्नर जनरल वजीर अली को कलकत्ता (कोलकता) में बुलाने लगा। वज़ीर अली ने कंपनी के वकील से शिकायत की कि गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता बुला रहा है। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत पर कोई गौर नहीं किया और उल्टा वज़ीर अली को ही बुरा-भला कहने लगा। वज़ीर अली के दिल में तो पहले से ही अंग्रेजों के खिलाफ नफ़रत कूट-कूटकर भरी हुई थी और वकील के इस तरह के व्यवहार ने वज़ीर अली को गुस्सा दिला दिया और उसने चाकू से वहीँ वकील की हत्या कर दी।
कर्नल लेफ्टिनेंट को समझाता है कि वज़ीर अली किसी भी तरह नेपाल पहुँचना चाहता है। वहाँ पहुँच कर उसकी योजना है कि वह अफगानिस्तान का हिन्दुस्तान पर हमले का इंतजार करेगा, अपनी ताकत को बढ़ाएगा, सआदत अली को सिंहांसन से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करेगा और अंग्रेजों को हिन्दुस्तान से निकालेगा। अंग्रेजी फ़ौज और नवाब सआदत अली खाँ के सिपाही बहुत सख्ती से वज़ीर अली का पीछा कर रहे हैं। अंग्रेजी फ़ौज को पूरी जानकारी है कि वज़ीर अली जंगलों में कहीं छुपा हुआ है।
लेफ्टिनेंट कहता है कि घोड़े पर सवार आदमी सीधा अंग्रेजों के तम्बू की ओर आता मालूम हो रहा है। घोड़े के टापों की आवाज़ बहुत नजदीक आकर रुक जाती है। सिपाही अंदर आकर कर्नल से कहता है कि वह सवार उससे मिलना चाहता है। कर्नल सिपाही से उस सवार को अंदर लाने के लिए कहता है। कर्नल सवार से आने का कारण पूछता है। सवार कर्नल से कुछ कारतूस मांगता है और कहता है कि वह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना चाहता है। यह सुन कर कर्नल सवार को दस कारतूस दे देता है और जब सवार से नाम पूछता है तो सवार अपना नाम वज़ीर अली बताता है और कहता है कि कर्नल ने उसे कारतूस दिए हैं इसलिए वह उसकी जान को बख्श रहा है। इतना कह कर वज़ीर अली बाहर चला जाता है, घोड़े के टापों की आवाजों से लगता है की वह दूर चला गया है। इतने में लेफ्टिनेंट अंदर आता है और कर्नल से पूछता है कि वह सवार कौन था । कर्नल अपने आप से कहता है कि वह एक ऐसा सिपाही था जो अपनी जान की परवाह नहीं करता और आज ये कर्नल ने खुद देख लिया था।
कारतूस पाठ की व्याख्या | Kartoos Class 10 Explanation
पाठ – पात्र – कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही, सवार
अवधि – 5 मिनट
ज़माना – 1799
समय – रात्रि का
स्थान – गोरखपुर के जंगल में कर्नल कालिंज के खेमे का अंदरूनी हिस्सा।
(दो अंग्रेज बैठे बातें कर रहे हैं, कर्नल कालिंज और एक लेफ़्टीनेंट खेमे के बाहर हैं, चाँदनी छिटकी हुई है, अंदर लैंप जल रहा है।)
शब्दार्थ –
खेमा – डेरा या तम्बू
छिटकी – फैली हुई
व्याख्या – प्रस्तुत पाठ में लेखक ने चार व्यक्तियों का वर्णन किया है, वे हैं – कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और सवार। यह सन 1799 गोरखपुर के जंगल में कर्नल कालिंज के खेमे का अंदरूनी हिस्से में रात्रि के समय की बात है। यहाँ इन सभी किरदारों की पांच मिनट की बातचीत का वर्णन किया गया है।
(दृश्य शुरू होता है कर्नल कालिंज और एक लेफ़्टीनेंट के तम्बू के बाहर से, जहाँ दो अंग्रेज बैठ कर बात कर रहे हैं, रात का समय है और चाँद की रोशनी फैली हुई है और तम्बू के अंदर लैंप जल रहा है)
पाठ – कर्नल – जंगल की ज़िंदगी बड़ी खतरनाक होती है।
लेफ़्टीनेंट – हफ्तों हो गए यहाँ खेमा डाले हुए। सिपाही भी तंग आ गए हैं। ये वज़ीर अली आदमी है या भूत, हाथ ही नहीं लगता।
कर्नल – उसके अफ़साने सुनकर रॉबिनहुड के कारनामे याद आ जाते हैं। अंग्रेजों के खिलाफ़ उसके दिल में किस कदर नफ़रत है। कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी। पर इस पाँच महीने में वो अवध के दरबार को अंग्रेजी असर से बिलकुल पाक कर देने में तक़रीबन कामयाब हो गया था।
पाक – साफ़
तक़रीबन – लगभग
अफ़साने – कहानियाँ
(यहाँ कर्नल और लेफ्टिनेंट वज़ीर अली के बारे में बात कर रहे हैं)
व्याख्या – कर्नल लेफ्टिनेंट से कह रहा है कि जंगल की जिंदगी अर्थात जंगल में रहना बहुत खतरनाक होता है। इस पर लेफ्टिनेंट भी कहता है कि उन लोगों को वहाँ जंगल में डेरा डाले हुए कई हफ्ते हो गए हैं। उनके सिपाही भी परेशान हो गए हैं। ये वजीर अली कोई आदमी है भी या कोई भूत है, जो हाथ ही नहीं लग रहा है। कर्नल आगे की बात कहता है कि इस वजीर अली की कहानियाँ सुन कर रॉबिनहुड के कारनामे याद आ जाते हैं। रॉबिनहुड की ही तरह वजीर अली के मन में भी अंग्रेजों के खिलाफ बहुत अधिक नफरत भरी पड़ी है। वजीर अली ने कोई पाँच महीने ही शासन किया होगा। परन्तु इन पाँच महीनों में ही उसने अवध के राज्य को अंग्रेजों के असर से लगभग बिलकुल साफ़ कर दिया था।
पाठ – लेफ्टिनेंट – कर्नल कालिंज ये सआदत अली कौन है ?
कर्नल – आसिफ़उद्दौला का भाई है। वजीर अली और उसका दुश्मन। असल में नवाब आसिफ़उद्दौला के यहाँ लड़के की कोई उम्मीद नहीं थी। वज़ीर अली की पैदाइश को सआदत अली ने अपनी मौत ख्याल किया।
लेफ्टिनेंट – मगर सआदत अली को अवध के तख़्त पर बिठाने में क्या मसलेहत थी ?
कर्नल – सआदत अली हमारा दोस्त है और बहुत ऐश पसंद आदमी है इसलिए हमें अपनी आधी मुमलिकत (जायदाद, दौलत) दे दी और दस लाख रूपये नगद। अब वो भी मज़े करता है और हम भी।
उम्मीद – आशा / भरोसा
पैदाइश – जन्म
तख़्त – राजसिंहासन
मसलेहत – रहस्य
ऐश पसंद – भोग-विलास को पसंद करने वाला
(यहाँ पर कर्नल लेफ्टिनेंट को सआदत अली के बारे में बता रहा है)
व्याख्या – लेफ्टिनेंट कर्नल से पूछता है कि सआदत अली कौन है । कर्नल जवाब देता हुआ कहता है कि सआदत अली आसिफ़उद्दौला का भाई है। सआदत अली वजीर अली और आसिफ़उद्दौला का दुश्मन है। नवाब आसिफ़उद्दौला के घर में लड़के के पैदा होने की आशा सब खो चुके थे परन्तु वज़ीर अली के पैदा होने को सआदत अली ने अपनी मौत ही समझ लिया था क्योंकि वज़ीर अली के पैदा होने के बाद अब वह अवध के सिंहासन को हासिल नहीं कर सकता था।
लेफ्टिनेंट कर्नल से पूछता है कि फिर अंग्रेजों का सआदत अली को अवध के सिंहासन पर बिठाने के पीछे क्या रहस्य था। कर्नल रहस्य को खोलते हुए कहता है कि सआदत अली अंग्रेजों का दोस्त है और भोग-विलास में रहना पसंद करता है। इसी कारण उसने अपनी आधी जायदाद और दौलत अंग्रेजों को दे दी और साथ ही दस लाख रुपये नगद भी दिए ताकि अंग्रेज उसको सिहांसन पर बना रहने दें। अब वो भी सिंहासन पर बैठ कर मज़े करता है और अंग्रेज भी उससे मिलने वाले रूपयों से मज़े करते हैं।
पाठ – लेफ्टिनेंट – सुना है ये वज़ीर अली अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिन्दुस्तान पर हमला करने की दावत (आमंत्रण) दे रहा है।
कर्नल – अफ़गानिस्तान को हमले की दावत सबसे पहले असल में टीपू सुल्तान ने दी फिर वजीर अली ने भी उसे दिल्ली बुलाया और फिर शमसुद्दौला ने भी।
लेफ्टिनेंट – कौन शमसुद्दौला ?
कर्नल – नवाब बंगाल का निस्बती (रिश्ते) भाई। बहुत ही खतरनाक आदमी है।
लेफ्टिनेंट – इसका तो मतलब ये हुआ कि कंपनी के ख़िलाफ़ सारे हिन्दुस्तान में एक लहर दौड़ गई है।
कर्नल – जी हाँ, और अगर ये कामयाब हो गई तो बक्सर और प्लासी के कारनामे धरे रह जाएँगे और कंपनी जो कुछ लॉर्ड क्लाइव के हाथों हासिल कर चुकी है, लॉर्ड वेल्जली के हाथों सब खो बैठेगी।
(यहाँ लेफ्टिनेंट और कर्नल बात कर रहे हैं कि अगर सारा हिंदुस्तान एक हो कर कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ दे तो क्या होगा)
व्याख्या – लेफ्टिनेंट कह रहा है कि कहीं से खबर है कि वज़ीर अली अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिन्दुस्तान पर हमला करने के लिए आमंत्रित कर रहा है। इस पर कर्नल कहता है कि असल में सबसे पहले अफ़गानिस्तान को हिन्दुस्तान पर हमला करने के लिए टीपू सुल्तान ने आमंत्रित किया था और उसके बाद वज़ीर अली ने और फिर शमसुद्दौला ने भी अफ़गानिस्तान को हिन्दुस्तान पर हमला करने के लिए आमंत्रण दिया। लेफ्टिनेंट कर्नल से पूछता है कि शमसुद्दौला कौन है । कर्नल लेफ्टिनेंट को बताता है कि शमसुद्दौला बंगाल के नवाब का भाई है और बहुत ही खतरनाक आदमी है। लेफ्टिनेंट सारी बातों को सुन कर कहता है कि इसका अर्थ तो यह हुआ कि अब सारे हिन्दुस्तान में कंपनी के खिलाफ एक लहर दौड़ रही है अर्थात सारा हिन्दुस्तान कंपनी के खिलाफ हो रहा है। कर्नल भी इस बात पर हामी भरता हुआ कहता है कि अगर सच में ऐसा हो गया तो बक्सर और प्लासी की लड़ाई इसके सामने कुछ भी नहीं होगी और कंपनी ने जो कुछ हिन्दुस्तान में लॉर्ड क्लाइव के समय में हासिल किया था, वह सब लॉर्ड वेल्जली के समय अर्थात आने वाले समय में खो देगी।
पाठ – लेफ्टिनेंट – वज़ीर अली की आज़ादी बहुत खतरनाक है। हमें किसी-न-किसी तरह इस शख्स को गिरफ्तार कर ही लेना चाहिए।
कर्नल – पूरी एक फ़ौज लिए उसका पीछा कर रहा हूँ और बरसों से वह हमारी आँखों में धूल झोंक रहा है और इन्ही जंगलों में फ़िर रहा है और हाथ नहीं आता। उसके साथ चंद जाँबाज़ हैं। मुठ्ठी भर आदमी मगर ये दमखम है।
लेफ्टिनेंट – सुना है वज़ीर अली जाती तौर से भी बहुत बहादुर आदमी है।
कर्नल – बहादुर न होता तो यूँ कंपनी के वकील को क़त्ल कर देता ?
शब्दार्थ –
बरस – साल
आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
जाँबाज़ – जान की बाज़ी लगाने वाला
मुठ्ठी भर – बहुत कम
दमखम – शक्ति और दृढ़ता
(यहाँ लेफ्टिनेंट और कर्नल वज़ीर अली की बहादुरी का वर्णन कर रहे हैं)
व्याख्या – कर्नल की बातों को सुन कर लेफ्टिनेंट कर्नल से कहता है कि वज़ीर अली की आजादी अंग्रेजों के लिए खतरा है। इसलिए अंग्रेजों को किसी भी तरह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना ही चाहिए। इस पर कर्नल कहता है कि तभी तो वह अपनी पूरी फ़ौज को ले कर उसका पीछा कर रह है और वज़ीर अली उनको सालों से धोखा दे रहा है और इन्ही जंगलों में कहीं भटक रहा है परन्तु उसकी पकड़ में नहीं आ रहा है। वज़ीर अली के साथ कुछ अपनी जान को जोख़िम में डालने वाले लोग हैं और ये इतने थोड़े से आदमी हैं परन्तु इनकी शक्ति और दृढ़ता की कोई सीमा नहीं है। लेफ्टिनेंट कर्नल से कहता है कि उसने सुना है कि वज़ीर अली बहुत ही बहादुर आदमी है। इसके उत्तर में कर्नल कहता है कि अगर वज़ीर अली बहादुर नहीं होता तो ऐसे ही वह कंपनी के वकील की हत्या नहीं कर देता।
पाठ – लेफ्टिनेंट – ये क़त्ल का क्या किस्सा हुआ था कर्नल ?
कर्नल – किस्सा क्या हुआ था उसको उसके पद से हटाने के बाद हमने वजीर अली को बनारस पहुँचा दिया और तीन लाख रूपया सालाना वज़ीफा मुकर्रर कर दिया। कुछ महीनों बाद गवर्नर जनरल ने उसे कलकत्ता (कोलकता) तलब किया। वज़ीर अली कंपनी के वकील के पास गया जो बनारस में रहता था और उससे शिकायत की कि गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता में क्यूँ तलब करता है। वकील ने शिकायत की परवाह नहीं की उल्टा उसे बुरा-भला सुना दिया। वज़ीर अली के तो दिल में यूँ भी अंग्रेजों के खिलाफ नफ़रत कूट-कूटकर भरी है उसने खंजर से वकील का काम तमाम कर दिया।
शब्दार्थ –
किस्सा – कहानी / घटना
वज़ीफा – सहायता / वृति
मुकर्रर – निश्चित
तलब – ख़ोज /तलाश
(यहाँ पर कर्नल लेफ्टिनेंट को वज़ीर अली द्वारा वकील को मरने की घटना का वर्णन कर रहा है)
व्याख्या – कर्नल के ये बताने पर की वज़ीर अली ने कंपनी के एक वकील की हत्या की है, लेफ्टिनेंट ने उस हत्या की पूरी घटना का वर्णन कर्नल से करने को कहा। कर्नल ने घटना का वर्णन करते हुए कहा कि वजीर अली को उसके पद से हटाने के बाद अंग्रेजों ने वजीर अली को बनारस भेज दिया और साल के तीन लाख रूपए सहायता या गुजारे के लिए उसे देने का निश्चय किया। कुछ महीनो के बाद गवर्नर जनरल वजीर अली को कलकत्ता (कोलकता) में याद करने लगा अर्थात बुलाने लगा। वज़ीर अली कंपनी के वकील के पास गया जो उस समय वहीं बनारस में ही रहता था और उससे शिकायत की कि गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता में क्यों याद कर रहा है अर्थात क्यों बुला रहा है। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत पर कोई गौर नहीं किया और उल्टा वज़ीर अली को ही बुरा-भला कहने लगा। वज़ीर अली के दिल में तो पहले से ही अंग्रेजों के खिलाफ नफ़रत कूट-कूटकर भरी हुई थी और वकील के इस तरह के व्यवहार ने वज़ीर अली को गुस्सा दिला दिया और उसने चाकू से वहीँ वकील का काम तमाम अर्थात हत्या कर दी।
पाठ – लेफ्टिनेंट – और भाग गया ?
कर्नल – स्कीम ये है कि किसी तरह नेपाल पहुँच जाए। अफ़गानी हमले का इंतज़ार करे, अपनी ताकत बढ़ाए, सआदत अली को उसके पद से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करे और अंग्रेजों को हिंदुस्तान से निकाल दे।
लेफ्टिनेंट – नेपाल पहुँचाना तो कोई ऐसा मुश्किल नहीं, मुमकिन है कि पहुँच गया हो।
कर्नल – हमारी फौजें और नवाब सआदत अली खाँ के सिपाही बड़ी सख्ती से उसका पीछा कर रहे हैं। हमें अच्छी तरह मालूम है कि वो इन्हीं जंगलों में है। (एक सिपाही बड़ी तेज़ी से दाखिल होता है)
शब्दार्थ –
हुक्मरां – शासक
हिफ़ाजत – देख-रेख
कारवाँ – पैदल चलने वाले यात्रियों का समूह / काफ़िला
स्कीम – योजना
(यहाँ कर्नल और लेफ्टिनेंट वज़ीर अली की योजना का वर्णन कर रहे हैं)
व्याख्या – कर्नल के ये बताने पर कि वज़ीर अली ने वकील की हत्या कैसे की, लेफ्टिनेंट ने कर्नल से पूछा कि क्या हत्या करने के बाद वज़ीर अली भाग गया था । इसके उत्तर में कर्नल ने बताया कि अपने साथियों के साथ वज़ीर अली आज़मगढ़ की तरफ़ भाग गया। आज़मगढ़ के शासकों ने उन सभी को अपनी सुरक्षा देते हुए घागरा तक पहुँचा दिया। अब उन सभी का काफ़िला बहुत सालों से इन जंगलों में भटक रहा है। लेफ्टिनेंट ने कर्नल से पूछा कि आखिरकार वज़ीर अली की योजना क्या है, वह क्या करना चाहता है। कर्नल लेफ्टिनेंट को समझाता है कि वज़ीर अली किसी भी तरह नेपाल पहुँचना चाहता है। वहाँ पहुँच कर उसकी योजना है कि वह अफगानिस्तान का हिन्दुस्तान पर हमले का इंतजार करेगा, अपनी ताकत को बढ़ाएगा, सआदत अली को सिंहांसन से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करेगा और अंग्रेजों को हिन्दुस्तान से निकालेगा।
यह सुन कर लेफ्टिनेंट कहता है कि नेपाल पहुँचाना तो कोई बड़ी बात नहीं है, हो सकता है कि वह नेपाल पहुँच भी गया हो। यहाँ पर कर्नल लेफ्टिनेंट की आशंका को मिटाते हुए कहता है कि अंग्रेजी फ़ौज और नवाब सआदत अली खाँ के सिपाही बहुत सख्ती से वज़ीर अली का पीछा कर रहे हैं। अंग्रेजी फ़ौज को पूरी जानकारी है कि वज़ीर अली इन्हीं जंगलों में कहीं छुपा हुआ है।
(कर्नल और लेफ्टिनेंट अभी बातें कर ही रहे थे कि एक सिपाही बहुत तेज़ी से उनके पास आया)
पाठ – कर्नल – (उठकर) क्या बात है ?
गोरा – दूर से गर्द उठती दिखाई दे रही है।
कर्नल – सिपाहियों से कह दो कि तैयार रहें (सिपाही सलाम करके चला जाता है)
लेफ्टिनेंट – (जो खिड़की से बाहर देखने में मसरूफ़ था) गर्द तो ऐसी उड़ रही है जैसे की पूरा एक काफ़िला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।
कर्नल – (खिड़की के पास जाकर) हाँ एक ही सवार है। सरपट घोड़ा दौड़ाए चला आ रहा है।
शब्दार्थ –
गर्द – धूल
मसरूफ़ – संलग्न / काम में लगा हुआ
काफ़िला – एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों का समूह
सरपट – तेज़ दौड़ते हुए
(यहाँ सिपाही कर्नल और लेफ्टिनेंट को बता रहा है कि दूर से बहुत सारी धूल उड़ती हुई नजर आ रही है)
व्याख्या – सिपाही के तेज़ी से आने पर कर्नल उठ खड़ा हुआ और सिपाही से पूछने लगा कि क्या बात है । उस पर सिपाही ने उत्तर दिया कि दूर से धूल उड़ती हुई दिखाई दे रही है। कर्नल ने तुरंत सिपाही से कहा कि वह दूसरे सिपाहियों से तैयार रहने के लिए कहे और सिपाही कर्नल को सलाम कर के चला गया। लेफ्टिनेंट खिड़की से बाहर देखने में व्यस्त था और कहने लगा कि धूल तो ऐसी उड़ रही है जैसे कि एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने वाले यात्रियों का समूह आ रहा हो। परन्तु दिखाई तो एक ही घुड़सवार दे रहा है। कर्नल भी खड़की के पास गया और देख कर बोला – हाँ एक ही घुड़सवार लग रहा है जो तेज़ी से घोड़े को दौड़ा कर चला आ रहा है।
पाठ – लेफ्टिनेंट -और सीधा हमारी तरफ़ आता मालूम होता है (कर्नल ताली बजाकर सिपाही को बुलाता है)
कर्नल – (सिपाही से) सिपाहियों से कहो, इस सवार पर नज़र रखें कि ये किस तरफ़ जा रहा है (सिपाही सलाम करके चला जाता है)
लेफ्टिनेंट – शुब्हे की तो कोई गुंजाइश ही नहीं तेज़ी से इसी तरफ़ आ रहा है (टापों की आवाज़ बहुत करीब आकर रुक जाती है)
सवार – मुझे कर्नल से मिलना है।
गोरा – (चिल्लाकर) बहुत खूब।
सवार – (बाहर से) सी।
गोरा – (अंदर आकर) हुज़ूर सवार आपसे मिलना चाहता है।
कर्नल – भेज दो।
शब्दार्थ –
शुब्हे – संदेह / शक
गुंजाइश – सम्भावना / स्थान
हुज़ूर – जनाब / मालिक
व्याख्या – लेफ्टिनेंट कहता है कि घोड़े पर सवार आदमी सीधा अंग्रेजों के तम्बू की ओर आता मालूम हो रहा है। लेफ्टिनेंट की बातें सुनकर कर्नल ताली बजाकर सिपाही को बुलाता है और उससे कहता है कि सभी सिपाहियों से उस सवार पर नज़र रखने को कहो ताकि मालूम हो की वह कहाँ जा रहा है। सिपाही कर्नल का आदेश सुनकर सलाम करके चला जाता है। लेफ्टिनेंट कहता है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह तेज़ी से तम्बू की ही ओर आ रहा है। घोड़े के टापों की आवाज़ बहुत नजदीक आकर रुक जाती है। सवार सिपाही से कहता है कि उसे कर्नल से मिलना है। सिपाही चिल्लाकर कहता है कि ठीक है और सवार घोड़े को सी की आवाज़ दे कर बाहर खड़ा कर देता है। सिपाही अंदर आता है और कर्नल से कहता है कि जनाब, वह सवार कह रहा है कि उसे कर्नल से मिलना है। कर्नल सिपाही को कहता है कि उस सवार को अंदर भेज दो।
Important Question Answers
पाठ – लेफ्टिनेंट – वज़ीर अली का कोई आदमी होगा हमसे मिलकर उसे गिरफ़्तार करना चाहता होगा।
कर्नल – खामोश रहो (सवार सिपाही के साथ अंदर आता है)
सवार – (आते ही पुकार उठता है) तन्हाई! तन्हाई!
कर्नल – साहब यहाँ कोई गैर आदमी नहीं है आप राज़ेदिल कह दें।
सवार – दीवार हमगोश दारद, तन्हाई।
(कर्नल, लेफ्टिनेंट और सिपाही को इशारा करता है। दोनों बाहर चले जाते हैं। जब कर्नल और सवार खेमे में तन्हा रह जाते हैं तो ज़रा वक्फ़े के बाद चारों तरफ देख कर सवार कहता है)
शब्दार्थ –
खामोश – चुप
तन्हाई – एकांत
राज़ेदिल – जो भी दिल में हो
दीवार हमगोश दारद – दीवारों के भी कान होते हैं
वक्फ़े – समय
व्याख्या – लेफ्टिनेंट कर्नल से कहता है की यह सवार जरूर ही वज़ीर अली का कोई आदमी होगा जो इनाम के लिए उसे गिरफ्तार करवाना चाहता होगा। इस पर कर्नल लेफ्टिनेंट को चुप रहने के लिए कहता है क्योंकि सिपाही सवार को अंदर ले कर आ रहा होता है। जैसे ही सवार अंदर आता है वह बोल उठता है कि एकांत! एकांत!
कर्नल सवार से कहता है की वहाँ पर उपस्थित कोई भी व्यक्ति गैर नहीं है अर्थात सभी अपने है उसे जो कुछ भी कहना है वह खुल कर कह सकता है। कर्नल की इस बात पर सवार कहता है कि दीवारों के भी कान होते हैं इसलिए एकांत में बात करना ज्यादा सही है। सवार की बातों को सुनकर कर्नल, लेफ्टिनेंट और सिपाही को बाहर जाने का इशारा करता है और दोनों बाहर चले जाते हैं। जब कर्नल और सवार तम्बू में अकेले रह जाते हैं तो कुछ समय बाद चारों ओर देखकर सवार अपनी बात कहना शुरू करता है।
पाठ – सवार – आपने इस मुकाम पर क्यों खेमा डाला है ?
कर्नल – कंपनी का हुक्म है कि वज़ीर अली को गिरफ्तार किया जाए।
सवार – लेकिन इतना लावलश्कर क्या मायने ?
कर्नल – गिरफ़्तारी में मदद देने के लिए।
सवार – वज़ीर अली की गिरफ़्तारी बहुत मुश्किल है साहब।
कर्नल – क्यों ?
सवार – वो एक जाँबाज़ सिपाही है।
कर्नल – मैंने भी यह सुन रखा है। आप क्या चाहते हैं ?
सवार – चंद कारतूस।
कर्नल – किसलिए ?
सवार – वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए।
कर्नल – ये लो दस कारतूस।
सवार – (मुस्कुराते हुए) शुक्रिया।
कर्नल – आपका नाम ?
सवार – वज़ीर अली। आपने मुझे कारतूस दिए इसलिए आपकी जान बख्शी करता हूँ। (ये कहकर बाहर चला जाता है, टापों का शोर सुनाई देता है। कर्नल एक सन्नाटे में है। हक्का-बक्का खड़ा है कि लेफ्टिनेंट अंदर आता है)
लेफ्टिनेंट – कौन था ?
कर्नल – (दबी ज़बान से अपने आप से कहता है) एक जाँबाज़ सिपाही।
शब्दार्थ –
मुकाम – जगह / स्थान
हुक्म – आदेश
लावलश्कर – सेना और उसके साथ रहने वाली तमाम सामग्री / संगी-साथी
जाँबाज़ – अपनी जान से खेल जाने वाला
चंद – थोड़े
कारतूस – पीतल और दफ़्ती आदि की एक नली जिसमे गोली तथा बारूद भरी जाती है
शुक्रिया – धन्यवाद
हक्का-बक्का – घबराया सा
(यहाँ पर कर्नल और वज़ीर अली के बीच हुई बातों का वर्णन किया गया है)
व्याख्या – जब कर्नल और सवार तम्बू में अकेले रह जाते है तो सवार कर्नल से पूछता है कि उन्होंने इस जंगल में इस जगह पर तम्बू क्यों डाल रखे हैं। कर्नल जवाब देता है कि कंपनी का आदेश है कि वज़ीर अली को जल्दी से जल्दी गिरफ़्तार करना है। सवार कहता है कि लेकिन इतने अधिक सैनिक और सामान किस लिया लाया गया है ।
CBSE Class 10 Hindi Sparsh and Sanchayan Lessons Explanation
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