Hindi Essay Writing – क्रिकेट (Cricket)
क्रिकेट पर निबंध – इस लेख हम क्रिकेट क्या है? क्रिकेट का इतिहास, भारत में क्रिकेट का इतिहास, क्रिकेट का विकास, महिला क्रिकेट की स्थिति ईत्यादि के बारे में जानेगे |
क्रिकेट शायद फुटबाल के बाद दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है। दिन प्रति दिन क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ रही है, जहां पहले क्रिकेट केवल द्विपक्षीय सीरीज, विश्व कप, एशिया कप और एशेज श्रृंखला तक सीमित था तो वहीं अब क्रिकेट को ओलंपिक में भी जोड़ने की योजना बनाई जा रही है। मतलब साफ है कि अब क्रिकेट को उन देशों में भी लोकप्रिय बनाने की कोशिश है जहां पर क्रिकेट अभी तक बैन था।
दुनिया में ओलंपिक से बड़ा शायद ही कोई खेल की लीग हो जहां पर लगभग हर प्रकार के खेल की प्रतियोगिता होती है, 100 से ज्यादा देश भाग लेते हैं।
आज तक क्रिकेट का ओलंपिक में आयोजन नही होता था, लेकिन पिछले साल आईसीसी और ओलंपिक संघ ने मिलकर एक फैसला लिया जो शायद क्रिकेट की लोकप्रियता को और बढ़ा दे तथा क्रिकेट का विकास अन्य सभी देशों में कर दे।
कुल मिलाकर देखा जाए तो क्रिकेट जैसी लोकप्रियता, फुटबाल को छोड़कर अन्य किसी खेल में नहीं। लेकिन क्या आप क्रिकेट के बारे में हर बात जानते हैं, अगर नहीं जानते तो आपको ये लेख पढ़ने की जरूरत है क्योंकि इस लेख में हम क्रिकेट का इतिहास, भारत में क्रिकेट की शुरुआत कैसे हुई, क्रिकेट का विकास, भारत में महिला क्रिकेट की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
संकेत सूची (Contents)
- प्रस्तावना
- क्रिकेट का इतिहास
- भारतीय क्रिकेट का इतिहास
- क्रिकेट का विकास
- भारत में महिला क्रिकेट की स्थिति
- उपसंहार
प्रस्तावना
क्रिकेट फुटबाल से भी पुराना खेल है और एशिया के ज्यादातर देशों में खेला जाता है।
यह एशिया का एक लोकप्रिय खेल है, विशेषकर भारत का। भारत में हर गली में क्रिकेट खेला और देखा जाता है। यहां हर क्रिकेट मैच को बड़े चाव से देखा जाता है और जब मैच भारत और पाकिस्तान का हो तो जोश और जुनून की सीमा ही न पूछो। भारत में क्रिकेट एक त्योहार की तरह है, पाकिस्तान से हार जाने पर टीवी फूटती हैं तो वहीं जीत जाने पर पटाखे फूटते हैं। भारतीय क्रिकेटरों को भारत के लोग भगवान जैसे मानते हैं, और भारत क्रिकेट चाहे जिस भी देश में खेले भारतीय वहां पहुंच जाते हैं और क्रिकेटर्स का हौसला अफजाई करते हैं।
क्रिकेट का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि क्रिकेट की शुरुआत संभवत: 13वीं शताब्दी में एक ऐसे खेल के रूप में हुई थी जिसमें इंग्लैंड देश में लड़के पेड़ के स्टंप पर भेड़ के बाड़े में गेंदबाजी करते थे। ऐसा माना जाता है कि इसका जन्म मध्य युग के अंत में इंग्लैंड में हुआ था। कुछ लोग मानते हैं कि क्रिकेट को पहली बार सोलहवीं शताब्दी में गिल्डफोर्ड में स्कूली बच्चों द्वारा खेले जाने वाले खेल के रूप में दर्ज किया गया था और इसे 1598 में एक इतालवी-अंग्रेज़ी शब्दकोश में दर्ज किया गया है।
गेंद, जो संभवतः एक पत्थर की होती थी, 17वीं शताब्दी के बाद से लगभग वैसी ही बनी हुई है। इसका आधुनिक वजन 5.5 और 5.75 औंस (156 और 163 ग्राम) के बीच है, जो सन् 1774 के गेंदों का भी था। उस जमाने में बल्ला निस्संदेह एक पेड़ की एक आकार की शाखा से बना होता था, जो आधुनिक हॉकी स्टिक जैसा था, लेकिन काफी लंबा और भारी होता था। सन् 1696 में पहली बार अखबारों में क्रिकेट का कोई समाचार छापा गया था।
संपूर्ण विश्व में क्रिकेट कैसे फैला
पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1844 में कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया था। 1868 में एक ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी पक्ष ने इंग्लैंड का दौरा किया और 1877 तक इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला मैच खेला और खेल की सबसे पुरानी प्रतिद्वंद्विता शुरू हो गई।
1882 में इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया से हार गया, अंग्रेजी क्रिकेट के लिए एक नकली मृत्युलेख लिखा गया और मेलबर्न की दो महिलाओं ने घंटी बजा कर, उस घंटी को एक कलश में रखकर इंग्लैंड के क्रिकेट कप्तान को भेंट की। इस प्रकार एशेज (Ashes) की शुरुआत हुई।
1889 में दक्षिण अफ्रीका टेस्ट क्रिकेट खेलने वाला तीसरा राष्ट्र बना।
1900 में क्रिकेट ओलंपिक में पहली बार शामिल हुआ।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद इंडिया, वेस्ट इंडीज और न्यूजीलैंड टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देश बने।
20वी शताब्दी के अंत में श्री लंका, जिम्बावे, बांग्लादेश और अफगानिस्तान टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देश बने।
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भारतीय क्रिकेट का इतिहास
भारत में क्रिकेट की शुरुआत अंग्रेजों ने 1700 में की थी और पहला मैच 1721 में खेला गया था। 1848 में बंबई में पारसी समुदाय ने ओरिएंटल क्रिकेट क्लब का गठन किया जो भारतीयों द्वारा स्थापित पहला क्रिकेट क्लब था।
1900 के दशक की शुरुआत में कुछ भारतीय इंग्लैंड क्रिकेट टीम के लिए खेले, जैसे रंजीत सिंह जी और दलीप सिंह जी, बाद में उनका नाम रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी के लिए इस्तेमाल किया गया और इसने भारत में क्रिकेट के इतिहास की शुरुआत की।
1911 में भारत की टीम ब्रिटिश द्वीपों के पहले आधिकारिक दौरे पर गई थी लेकिन केवल अंग्रेजी देश की टीमों के साथ खेली थी, इंग्लैंड क्रिकेट टीम के साथ नहीं।
पहला टेस्ट क्रिकेट मैच
1926 में भारत को इंपीरियल क्रिकेट काउंसिल में आमंत्रित किया गया और भारतीय टीम ने सी के नायडू के नेतृत्व में 1932 में इंग्लैंड में टेस्ट खेलने वाले देश के रूप में पदार्पण किया था। इंग्लैंड और भारत के बीच एकमात्र टेस्ट मैच लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर खेला गया। भारत यह मैच 158 रन से हार गया।
1933 में भारत ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज की मेजबानी की। स्वतंत्र देश के रूप में टीम की पहली सीरीज 1947 के अंत में थी, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ थी।
भारत ने 1952 में मद्रास में इंग्लैंड के खिलाफ 24वें मैच में अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज की। बाद में, उसी वर्ष उन्होंने अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला जीती जो पाकिस्तान के खिलाफ थी।भारत ने 1961-62 में घर में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला जीती और न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला जीती। भारत ने 1967- 68 में न्यूजीलैंड के खिलाफ उपमहाद्वीप के बाहर अपनी पहली श्रृंखला भी जीती। 1970 के दशक के दौरान भारत ने दो सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ का उदय देखा। ये खिलाड़ी 1971 में अजीत वाडेकर की कप्तानी में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में लगातार सीरीज जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।
पहला एक दिवसीय मैच 1974
पहला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय (ODI) भारत द्वारा 1974 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था। भारत ने वनडे में एक कमजोर टीम के रूप में शुरुआत की और विश्व कप के पहले दो संस्करणों में दूसरे दौर के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर पाई। 1980 के दशक के दौरान भारत ने मोहम्मद अजहरुद्दीन, दिलीप वेंगसरकर और ऑलराउंडर कपिल देव और रवि शास्त्री जैसे खिलाड़ियों ने के साथ भारतीय बल्लेबाजी अधिक आक्रामक बन गई। 1989 और 1990 में भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर और अनिल कुंबले के शामिल होने से टीम में और सुधार हुआ। 90 के दशक के दौरान सबसे महान खिलाड़ी होने के बावजूद भारत उपमहाद्वीप के बाहर अपने 33 टेस्ट में से कोई भी नहीं जीत पाया, जबकि उसने घर पर 30 में से 17 टेस्ट जीते।
2000 में गांगुली को नए कप्तान के रूप में नियुक्त किया गया और बहुत सारे विवाद हुए। अजहरुद्दीन और अजय जडेजा को मैच फिक्सिंग कांड में फंसाया गया और उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
1983 का एक दिवसीय विश्व कप
1983 में लॉर्ड्स के फाइनल में वेस्टइंडीज को हराकर भारत ने अपना पहला विश्व कप जीता और इस जीत ने भारत में क्रिकेट का इतिहास बदल दिया।
1984 में भारत ने एशिया कप जीता और 1985 में ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट की विश्व चैम्पियनशिप जीती।
21वी शताब्दी-भारतीय क्रिकेट का अपग्रेडेड रूप
सौरव गांगुली की कप्तानी और जॉन राइट के मार्गदर्शन में भारतीय टीम में बड़े सुधार हुए।
भारत ने 2001 में जीत के बाद टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना नाबाद घरेलू रिकॉर्ड कायम रखा।
2001 में भारत श्रीलंका के साथ आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का संयुक्त विजेता था और वे 2003 क्रिकेट विश्व कप में गए जहां वे फाइनल में पहुंचे लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हार गए।
एमएस धोनी का युग
2005 वह वर्ष था जब भारतीय टीम ने एमएस धोनी, सुरेश रैना, इरफान पठान और युवराज सिंह जैसे महान खिलाड़ियों का उदय देखा।
2005 में भारत ICC ODI रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंच गया।
2007 की शुरुआत महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम का पुनरुद्धार था।
2009 में भारत ने 41 साल बाद न्यूजीलैंड में पहली टेस्ट सीरीज जीत हासिल की।
दिसंबर 2009 में श्रीलंका को 2-0 से हराकर भारत दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बन गया।
2 अप्रैल 2011 को भारत ने फाइनल में श्रीलंका को हराकर 2011 विश्व कप जीता, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बाद दो बार विश्व कप जीतने वाली तीसरी टीम बन गई। भारत घरेलू सरजमीं पर विश्व कप जीतने वाली पहली टीम भी बनी।
भारत ने 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में इंग्लैंड को हराया और एमएस धोनी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में तीन प्रमुख आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले पहले कप्तान बने – आईसीसी क्रिकेट विश्व कप, आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 और आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी।
पहला ट्वेंटी ट्वेंटी मैच
2003 में क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप यानी टी20 की शुरुआत हुई और 2007 में टी20 विश्व कप का आयोजन किया गया।
सितंबर 2007 में भारत ने पाकिस्तान को हराकर ट्वेंटी-20 विश्व कप जीतने वाली पहली टीम बनी।
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क्रिकेट का विकास
19वीं शताब्दी के प्रारंभ तक सभी गेंदबाज हाथ में गेंद छुपाके गेंदबाजी किया करते थे। इसके बाद “राउंड-आर्म रेवोल्यूशन” आया, इससे विवाद उग्र रूप से भड़क उठा, और 1835 में एमसीसी ने हाथ को कंधे तक उठाने की अनुमति देने के लिए बॉलिंग कानून को फिर से परिभाषित किया। नई शैली ने गति, या गेंदबाजी की गति में काफी वृद्धि की। धीरे-धीरे गेंदबाजों ने कानून की अवहेलना करते हुए हाथ ऊपर और ऊपर उठाया। एक बार फिर यह मामला 1862 में उठा जब सरे के खिलाफ खेलने वाली इंग्लैंड की एक टीम “नो बॉल” कॉल के विरोध में लंदन के केनिंग्टन ओवल में मैदान छोड़ दिया। तर्क इस बात पर केंद्रित था कि क्या गेंदबाज को कंधे से ऊपर हाथ उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस विवाद के परिणामस्वरूप, गेंदबाज को 1864 में आधिकारिक तौर पर ओवरहैंड गेंदबाजी करने की स्वतंत्रता दी गई थी। इस बदलाव ने नाटकीय रूप से खेल को बदल दिया, जिससे बल्लेबाज के लिए गेंद को समझना और भी मुश्किल हो गया। शुरुआत में पैड, ग्लव्स और हेलमेट नहीं हुआ करते थे। न ही क्रिकेट के नियम इतने कड़े थे। पहले अगर अंपायर एक बार आउट दे दे तो बल्लेबाज को फैसले से नाखुश होते हुए भी मैदान से बाहर जाना पड़ता था लेकिन आज ऐसा नहीं है। हॉटस्पॉट और स्निकोमीटर जैसी तकनीकों के आ जाने से बल्लेबाजों को राहत मिली है। अब बल्लेबाज अगर अंपायर के फैसले से खुश नहीं है तो उसको एक बार और मौका मिलता है। 20 ओवर के प्रारूप के आ जाने से अब काफी देश अपने यहां पैसे और क्रिकेट के विकास के लिए विभिन्न लीग्स का आयोजन करते हैं, जिनमे से आईपीएल और सीपीएल जैसी लीग काफी प्रसिद्ध है।
पिछले कुछ सालों से एक नए प्रारूप के क्रिकेट की काफी लोकप्रियता बढ़ी है और वो है 10 ओवर का खेल जिसकी शुरुआत सर्वप्रथम इंग्लैंड ने t10 लीग के रूप में की। कोरोना के बाद से क्रिकेट के कुछ नियमों में बदलाव आया है, अब एक बल्लेबाज चोटिल होने के बाद रन भागने के लिए एक अतिरिक्त बल्लेबाज नही खिला सकता, न ही एक बार रिटायर हर्ट होने के बाद वह बल्लेबाज दुबारा से मैदान में खेलने आ सकता है।
अब बल्लेबाज को “बैटर” कहा जाता है न कि बैट्समैन।
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भारत में महिला क्रिकेट की स्थिति
महिला क्रिकेट के लिए एक बड़ा कदम 1975 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला जाना था। भारतीय महिला टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच 1976 में पटना में वेस्टइंडीज की महिला टीम को हराकर जीता था। भारतीय महिला टीम ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 1978 विश्व कप में खेला। भारतीय महिला टीम ने अपना पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था।
क्षेत्रीय क्रिकेट में, भारतीय महिला टीम एक वास्तविक महाशक्ति रही है। यह 50 ओवर के संस्करण (2004, 2005, 2006, 2008, 2012 और 2016) में एशिया कप के प्रत्येक संस्करण में और 20 ओवर के संस्करण (2012 और 2016) में भी चैंपियन बनी है।
भारत की महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की दो सबसे महान सदस्य मिताली राज और झूलन गोस्वामी हैं। अभी हाल ही में कुछ दिन पहले मिताली राज और झूलन गोस्वामी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले चुकी है। मिताली राज को महिला क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर बुलाते हैं। पुरुष टीम की तरह भारतीय महिला क्रिकेट टीम के मैच देखने में इतने रुचि नहीं रखते हैं। भारतीय महिला राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को अभी तक पुरुष टीम की तरह कोई भी बड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ट्रॉफी नहीं जीती है। भारत में पुरुषों की तरह महिलाओ के क्रिकेट को भी प्रोत्साहित करने हेतु आईपीएल जैसी एक लीग शुरू किए जाने की घोषणा हो चुकी है, जिसका आयोजन 2023 से होगा। न्यूजीलैंड के अलावा और किसी भी देश में महिलाओ को पुरुषों के समान सुविधाएं और वेतन भत्ता नहीं मिलता है।
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उपसंहार
1700 से 2021 तक भारतीय क्रिकेट टीम ने एक टीम के रूप में अपनी शुरुआत के बाद से कई रिकॉर्ड और पहचान हासिल किए हैं।
जहां पहले भारत अपने देश के बाहर मुश्किल से जीतती थी तो वहीं आज भारतीय क्रिकेट टीम को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक के रूप में जाना जाता है। आज भारत क्रिकेट के हर प्रारूप में दुनिया की सबसे खतरनाक टीम मानी जाती है।
विराट कोहली, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों के सुसज्जित भारतीय क्रिकेट टीम हर बार की तरह इस बार के टी20 विश्व कप में खिताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।
चाहे ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट में 36 रन में आल आउट होने के बाद सीरीज में वापसी करके ऑस्ट्रेलिया से सीरीज जीतना हो या इंग्लैंड को 39 सालों बाद उसी के घर में हराना हो, आज की भारतीय टीम से टकराने से विश्व की हर टीम डरती है, लेकिन अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का यह लक्ष्य होना चाहिए कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम का भी पुरुष टीम जैसा विश्व क्रिकेट में वर्चस्व हो इसके लिए बीसीसीआई को कुछ बड़े फैसले लेने होगें।
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