बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ सार
CBSE Class 9 Hindi Chapter 13 “Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Kshitij Bhag 1 Book
बच्चे काम पर जा रहे हैं सार – Here is the CBSE Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 Chapter 13 Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain Summary with detailed explanation of the lesson ‘Premchand Ke Phate Joote’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary
इस पोस्ट में हम आपके लिए सीबीएसई कक्षा 9 हिंदी कोर्स ए क्षितिज भाग 1 के पाठ 13 बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ सार , पाठ व्याख्या और कठिन शब्दों के अर्थ लेकर आए हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमने यहां प्रारंभ से अंत तक पाठ की संपूर्ण व्याख्याएं प्रदान की हैं क्योंकि इससे आप इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। चलिए विस्तार से सीबीएसई कक्षा 9 बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ के बारे में जानते हैं।
- बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ प्रवेश
- बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ सार
- बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ व्याख्या
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Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain (बच्चे काम पर जा रहे हैं)
लेखक – राजेश जोशी
बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ प्रवेश Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain Introduction
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं‘ कविता के कवि राजेश जोशी जी ने इस कविता के माध्यम से अपने देश की बहुत बड़ी समस्या “बाल मजदूरी” को उजागर किया है। वर्तमान समय में भी बच्चों से बाल मजदूरी कराई जाती है। यह एक गंभीर समस्या है। खेलने–कूदने, खाने–पीने और मौज–मस्ती करने की उम्र में छोटे–छोटे बच्चे अपने परिवार की जिम्मेदारी बांटने के लिए मजदूरी करने को विवश हैं। कवि का उद्देश्य इस समस्या के प्रति समाज को जागरूक करना है ताकि बच्चों का बचपन काम के बोझ तले न दबे। कवि ने कविता के माध्यम से बच्चों के बचपन के महत्व को दर्शाया है और यह बताया है कि उनका काम पर जाना, उनके सर्वांगीण विकास के खिलाफ है।
बच्चे काम पर जा रहे हैं पाठ सार Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain Summary
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं‘ कविता के कवि राजेश जोशी जी ने इस कविता के माध्यम से अपने देश की बहुत बड़ी समस्या “बाल मजदूरी” को उजागर किया है। कवि कहते हैं कि खेलने–कूदने, खाने–पीने और मौज–मस्ती करने की उम्र में छोटे–छोटे बच्चे अपने परिवार की जिम्मेदारी बांटने के लिए मजदूरी करने को विवश हैं। बच्चे मजदूरी करने के लिए या रोजी–रोटी कमाने के लिए घर से सुबह–सुबह ठण्ड में निकल कर काम पर जा रहे हैं। यह हमारे समय अर्थात वर्तमान की सबसे भयानक पंक्ति है। जिस उम्र में बच्चों को खेलना–कूदना चाहिए, स्कूल जाना चाहिए, मौज मस्ती करनी चाहिए। उस समय वो अपने गरीब मां–बाप की जिम्मेदारियों को बांटने के लिए, अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अपना बचपन कुर्बान कर रहे हैं और वो ऐसा करने के लिए विवश है, मजबूर हैं। इससे ज्यादा भयानक क्या हो सकता है। इस समस्या को किसी लेख की तरह लिखने से अथवा कागजों में आंकड़े इकठ्ठे करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। हमें यह बात किसी सवाल की तरह पूछना चाहिए कि ऐसी क्या स्थितियां बन गई कि छोटे–छोटे बच्चों को पढ़ने लिखने, खेलने कूदने की उम्र में काम पर जाना पड़ रहा है। बच्चों का बचपन खिलते हुए बीतना चाहिए, रंग–बिरंगी किताबों को पढ़ते हुए बीतने चाहिए। खिलौनों से खलते हुए बच्चे बड़े होने चाहिए। बच्चों को स्कूल जाना चाहिए, मैदानों में उछल–कूद करनी चाहिए, बाग़–बगीचों में शरारतें करनी चाहिए, घरों के आंगनों में चहल–पहल मचानी चाहिए। लेकिन ऐसा क्या हो गया है जिस वजह से इन बच्चों को अब काम पर जाना पड़ रहा है। अगर बच्चों की सारी गेंदें अंतरिक्ष में गिर गई हैं और खेल के सभी मैदान खत्म हो गए हैं या बच्चों की किताबें दीमकों ने खा ली हैं, सभी स्कूल, बाग़–बगीचे व् घरों के आँगन सभी समाप्त हो गए हैं, तो फिर दुनिया में बचा ही क्या हैं? कवि कहते हैं कि अगर यह सब सच होता , तो यह सच में बहुत भयानक होता। लेकिन इससे भी ज्यादा भयानक बात तो यह है कि सब कुछ पहले जैसा होने के बावजूद भी, इन बच्चों को काम पर जाना पड़ रहा है। यह सबसे ज्यादा भयानक बात है। विडंबना यह है कि राष्ट्र का भविष्य होते हुए भी बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं है।
बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता व्याख्या Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain Lesson Explanation
1 –
कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिख जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?
शब्दार्थ –
कोहरा – धुंध
विवरण – व्याख्या, स्पष्ट करना, वर्णन
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि सुबह–सुबह जब पूरी सड़क पर धुंध छाई हुई है और कड़ाके की ठंड पड़ रही है। उस समय बच्चे काम पर जा रहे हैं। आशय यह है कि बच्चे मजदूरी करने के लिए या रोजी–रोटी कमाने के लिए घर से सुबह–सुबह ठण्ड में निकल कर काम पर जा रहे हैं।
कवि आगे कहते हैं कि बच्चे काम पर जा रहे हैं। यह हमारे समय अर्थात वर्तमान की सबसे भयानक पंक्ति है। ऐसा कवि इसलिए कहते हैं क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को खेलना–कूदना चाहिए, स्कूल जाना चाहिए, मौज मस्ती करनी चाहिए। उस समय वो अपने गरीब मां–बाप की जिम्मेदारियों को बांटने के लिए, अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अपना बचपन कुर्बान कर रहे हैं और वो ऐसा करने के लिए विवश है, मजबूर हैं। इससे ज्यादा भयानक क्या हो सकता है।
कवि इस समस्या से भयानक इस बात को मानते हैं कि हम लोग इस समस्या को एक विवरण की तरह लिखते हैं। अर्थात इस समस्या को किसी लेख की तरह लिखने से अथवा कागजों में आंकड़े इकठ्ठे करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। हमें यह बात किसी सवाल की तरह पूछना चाहिए कि ऐसी क्या स्थितियां बन गई कि छोटे–छोटे बच्चों को पढ़ने लिखने, खेलने कूदने की उम्र में काम पर जाना पड़ रहा है। आखिर क्यों उनसे उनका बचपन छीन कर उन पर काम का बोझ डाला जा रहा है?
2 –
क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक
शब्दार्थ –
अंतरिक्ष – पृथ्वी के वातावरण से बाहर
दीमक – चींटी की जाति का सफ़ेद रंग का एक छोटा कीड़ा जो समूह में रहता है और कागज़, लकड़ी, पौधों आदि को खा जाता है
भूकंप – भूचाल, पृथ्वी की सतह का हिलना
ढह – गिरना, नष्ट होना
मदरसा – विद्यालय
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि एक साथ कई सारे सवाल करते हुए कहते हैं कि क्या बच्चों के खेलने वाली सारी गेंदें अंतरिक्ष में गिर गयी हैं या फिर उनकी रंग–बिरंगी सारी किताबों को दीमकों ने खा ली है। क्या बच्चों के सारे खिलौने किसी काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं या फिर सारे स्कूलों के भवन किसी भूकंप की कारण तहस–नहस हो गये हैं। क्या अचानक सारे खेल के मैदान, सारे बाग–बगीचे और घरों के आंगन खत्म हो गए हैं? कहने का आशय यह है कि बच्चों का बचपन खिलते हुए बीतना चाहिए, रंग–बिरंगी किताबों को पढ़ते हुए बीतने चाहिए। खिलौनों से खलते हुए बच्चे बड़े होने चाहिए। बच्चों को स्कूल जाना चाहिए, मैदानों में उछल–कूद करनी चाहिए, बाग़–बगीचों में शरारतें करनी चाहिए, घरों के आंगनों में चहल–पहल मचानी चाहिए। लेकिन ऐसा क्या हो गया है जिस वजह से इन बच्चों को अब काम पर जाना पड़ रहा है। कवि पूछते हैं कि आखिर क्यों इन बच्चों को काम पर जाना पड़ रहा है, क्या बच्चों के बचपन के सभी खेल व् जगह समाप्त हो गए हैं?
3 –
तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज़्यादा यह
कि हैं सारी चीज़ें हस्बमामूल
पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं।
शब्दार्थ –
हस्बमामूल – यथावत, हमेशा की तरह
व्याख्या – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि अगर बच्चों की सारी गेंदें अंतरिक्ष में गिर गई हैं और खेल के सभी मैदान खत्म हो गए हैं या बच्चों की किताबें दीमकों ने खा ली हैं, सभी स्कूल, बाग़–बगीचे व् घरों के आँगन सभी समाप्त हो गए हैं, तो फिर दुनिया में बचा ही क्या हैं? कवि कहते हैं कि अगर यह सब सच होता , तो यह सच में बहुत भयानक होता। लेकिन इससे भी ज्यादा भयानक बात तो यह है कि बच्चों की सारी गेंदें, खेल के सभी मैदान, बच्चों की किताबें, सभी स्कूल, बाग़–बगीचे व् घरों के आँगन, ये सब पहले जैसा ही, अपनी जगह यथावत है। अर्थात सभी कुछ मौजूद है। लेकिन सब कुछ पहले जैसा होने के बावजूद भी, इन बच्चों को काम पर जाना पड़ रहा है। यह सबसे ज्यादा भयानक बात है। दुनिया की हजारों सड़कों से, हर रोज हजारों बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। बहुत छोटे बच्चे अपना बचपन भुलाकर काम करने के लिए जा रहे हैं।
Conclusion
इस कविता में बच्चों के बचपन की दुःखद स्थिति का वर्णन किया गया है। कवि सवाल करते हैं क्या बच्चों की सारी किताबें , खिलौने , बाग–बगीचे , स्कूल , सब खत्म हो गए हैं ? अगर नहीं हुए हैं तो फिर , आखिर क्यों इन बच्चों को इस छोटी सी उम्र में काम करना पड़ रहा है। कवि का उद्देश्य समाज को जागरूक करना है ताकि बच्चों का बचपन काम के बोझ तले न दबे। कवि ने बच्चों के बचपन के महत्व को दर्शाया है और यह बताया है कि उनका काम पर जाना, उनके प्राकृतिक विकास के खिलाफ है। बच्चे राष्ट्र का भविष्य है अतः उनका ध्यान रखना अनिवार्य है। इस लेख में पाठ सार, व्याख्या, शब्दार्थ दिए गए हैं। यह लेख विद्यार्थियों को पाठ को अच्छे से समझने में सहायक है। विद्यार्थी अपनी परीक्षा के लिए इस लेख की सहायता ले सकते हैं।