CBSE Class 10 Hindi Chapter 8 Balgobin Bhagat (बालगोबिन भगत) Question Answers (Important) from Kshitij Book
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Balgobin Bhagat NCERT Solution
प्रश्न 1 – खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ?
उत्तर – बालगोबिन भगत बेटा – पतोहू से युक्त परिवार , खेतीबारी और साफ़ – सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे , फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
प्रश्न 2 – भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी ?
उत्तर – भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम – धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं , जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत की सेवा करना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी।
प्रश्न 3 – भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं ?
उत्तर – भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर औरों की तरह शोक और मातम नहीं मानाया। वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा – परमात्मा का मिलन मानकर इससे दुखी होने के बजाए खुश होने का समय मान रहे थे। वे अपनी पुत्रवधू को भी आनंदोत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे।
प्रश्न 4 – भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – बालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले गोरे – चिट्टे इंसान थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सर्दियों में वे काली कमली ओढ़े रहते थे।
प्रश्न 5 – बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी ?
उत्तर – बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी , सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था , उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में न लाते थे। इस नियम का वे अत्यधिक बारीकी से पालन करते थे , वे दूसरे के खेत में शौच के लिए भी न बैठते थे। इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सर्दियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना , उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी।
प्रश्न 6 – पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – बालगोबिन भगत सुमधुर कंठ से इस तरह गाते थे कि कबीर के सीधे – सादे पद भी उनके मुँह से निकलकर सजीव हो उठते थे। उनके गीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे , स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते थे और काम करने वालों के कदम लय – ताल से उठने लगते थे। इसके अलावा भादों की अर्धरात्रि में उनका गान सुनकर उसी तरह चौंक उठते थे , जैसे अँधेरी रात में बिजली चमकने से लोग चौंक कर सजग हो जाते हैं।
प्रश्न 7 – कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता है –
- भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर न शोक मनाया और न उसके क्रिया – कर्म को ज्यादा तूल दिया।
- उन्होंने पुत्र को स्वयं मुखाग्नि न देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी।
- उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना।
- वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।
प्रश्न 8 – धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं ? उस माहौल का शब्द – चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – आसाढ़ मास में जब वर्षा की छोटी – छोटी बूँदें गिर रही होती है , तो पूरा गाँव अपने – अपने खेतों में उतर पड़ता है। कहीं कोई हल चल रहे हैं , तो कहीं पर धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम हो रहा है। धान के खेतों में पानी भरा हुआ है और बच्चे उन खेतों में उछल रहे हैं। औरतें सुबह का जलपान नाश्ता लेकर खेत के किनारे पर बैठी हुई हैं। आसाढ़ मास में आसमान पूरी तरह बादल से घिरा हुआ होता है और कहीं पर भी धूप का नाम नहीं होता। पूर्व से चलने वाली या आने वाली ठंडी हवाएँ चल रही है। ऐसे ही समय में जब सभी आसाढ़ मास में अपने – अपने कामों में व्यस्त होते हैं तब सबके कानों में एक स्वर – तरंग की झन – झन की ध्वनि सुनाई पड़ती है। यह ध्वनि क्या है या यह कौन है जो इस ध्वनि को उत्पन्न कर रहा है ! यह किसी को पूछने की जरुरत नहीं पड़ती क्योंकि इसके बारे में सभी को पता है। बालगोबिन भगत का पूरा शरीर कीचड़ में लिपटा हुआ है और वे भी अपने खेत में धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक – एक धान के पौधे को , एक सीध में , खेत में बिठा रही है। उनका गला संगीत के एक – एक शब्द को जुबान पर चढ़ाकर कुछ शब्दों को ऊपर , स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर भेज रहा है ! अर्थात बालगोबिन भगत के संगीत के स्वर चारों ओर गूँज रहे हैं। बच्चे खेलते हुए जब बालगोबिन भगत का संगीत सुनते हैं तो वे झूम उठते हैं ; खेतों के किनारे पर खड़ी औरतों के होंठ भी काँप उठते हैं , अर्थात वे भी बालगोबिन भगत के स्वरों के साथ गुनगुनाने लगती हैं ; हल चलाने वाले लोगों के पैर भी उन स्वरों के ताल से उठने लगते हैं ; धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम करने वालों की अँगुलियाँ भी एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं ! यह सब दृश्य देख कर एक ही प्रश्न मन में उठता है कि बालगोबिन भगत का यह संगीत है या कोई जादू है !
Class 10 Hindi Balgobin Bhagat Lesson 8– Extract Based Questions (पठित काव्यांश)
1 –
बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे – चिट्टे आदमी थे। साठ से ऊपर के ही होंगे। बाल पक गए थे। लंबी दाढ़ी या जटाजूट तो नहीं रखते थे , किन्तु हमेशा उनका चेहरा सफ़ेद बालों से ही जगमग किए रहता। कपड़े बिलकुल कम पहनते। कमर में एक लंगोटी – मात्र और सिर में कबीरपंथियों की – सी कनफटी टोपी। जब जाड़ा आता , एक काली कमली ऊपर से ओढ़े रहते। मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन , जो नाक के एक छोर से ही , औरतों के टीके की तरह , शुरू होता। गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते।
ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे। नहीं , बिलकुल गृहस्थ ! उनकी गृहिणी की तो मुझे याद नहीं , उनके बेटे और पतोहू को तो मैंने देखा था। थोड़ी खेतीबारी भी थी , एक अच्छा साफ़ – सुथरा मकान भी था।
किन्तु , खेतीबारी करते , परिवार रखते भी , बालगोबिन भगत साधु थे – साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरनेवाले। कबीर को ‘ साहब ’ मानते थे , उन्हीं के गीतों को गाते , उन्हीं के आदेशों पर चलते। कभी झूठ नहीं बोलते , खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो – टूक बात करने में संकोच नहीं करते , न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते। किसी की चीज़ नहीं छूते , न बिना पूछे व्यवहार में लाते। इस नियम को कभी – कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कुतूहल होता ! – कभी वह दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं बैठते ! वह गृहस्थ थे ; लेकिन उनकी सब चीज़ ‘ साहब ’ की थी।
प्रश्न 1 – बालगोबिन भगत देखने में किस तरह के व्यक्ति थे?
(क) मँझोले कद के गोरे – चिट्टे
(ख) उनका चेहरा सफ़ेद बालों से ही जगमग किए रहता
(ग) कमर में एक लंगोटी-मात्र और सिर में कबीरपंथियों की-सी कनफटी टोपी पहनते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – गद्यांश में दी गई जानकारी के अनुसार बालगोबिन भगत को साधु क्यों नहीं कहा जा सकता था?
(क) क्योंकि वे लंबी दाढ़ी या जटाजूट नहीं रखते थे
(ख) क्योंकि वे गृहस्थ व्यक्ति थे
(ग) क्योंकि वे मस्तक पर हमेशा चमकता हुआ रामानंदी चंदन लगाते थे
(घ) क्योंकि उनको खेतीबारी में कोई दिलचस्पी नहीं थी
उत्तर – (ख) क्योंकि वे गृहस्थ व्यक्ति थे
प्रश्न 3 – बालगोविंद भगत किसको ‘ साहब ’ मानते थे?
(क) रहीम
(ख) तुलसीदास
(ग) कबीर
(घ) अपने गुरु को
उत्तर – (ग) कबीर
प्रश्न 4 – बालगोविंद भगत कबीर जी के किन आदेशों को मानते थे?
(क) कभी झूठ नहीं बोलते , खरा व्यवहार रखते
(ख) किसी से भी दो – टूक बात करने में संकोच नहीं करते , न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते
(ग) किसी की चीज़ नहीं छूते , न बिना पूछे व्यवहार में लाते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – बालगोविंद भगत की किन बातों का लोगों को कुतूहल होता?
(क) कभी झूठ नहीं बोलना , खरा व्यवहार रखना
(ख) किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करना
(ग) किसी से खामखाह झगड़ा मोल न लेना
(घ) कबीर जी के नियमों को बारीकी से अपने जीवन में अपनाना
उत्तर – (घ) कबीर जी के नियमों को बारीकी से अपने जीवन में अपनाना
2 –
आसाढ़ की रिमझिम है। समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है। कहीं हल चल रहे हैं ; कहीं रोपनी हो रही है। धान के पानी – भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। औरतें कलेवा लेकर मेंड पर बैठी हैं। आसमान बादल से घिरा ; धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर – तरंग झंकार – सी कर उठी। यह क्या है – यह कौन है ! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े , अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक – एक धान के पौधे को , पंक्तिबद्ध , खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक – एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर , स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर ! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं ; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं , वे गुनगुनाने लगती हैं ; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं ; रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं ! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू ! भादो की वह अंधेरी अधरतिया। अभी, थोड़ी ही देर पहले मुसलधार वर्षा खत्म हुई है। बादलों की गरज , बिजली की तड़प में आपने कुछ नहीं सुना हो , किन्तु अब झिल्ली की झंकार या दादुरों की टर्र-टर्र बालगोबिन भगत के संगीत को अपने कोलाहल में डुबो नहीं सकतीं।
प्रश्न 1 – गद्यांश में किस महीने का सुंदर वर्णन किया गया है?
(क) माघ
(ख) आषाढ़
(ग) अश्विन
(घ) पोष
उत्तर – (ख) आषाढ़
प्रश्न 2 – बालगोबिन भगत किस तरह धान की रुपाई कर रहे हैं?
(क) समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े , जल्दी-जल्दी रुपए कर रहे हैं
(ख) बारिश आने के डर से जल्दी-जल्दी हाथ चला रहे हैं
(ग) समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है
(घ) गाना गाते हुए मस्ती में लोगों के साथ मिल कर धान के पौधे की रुपए कर रहे हैं
उत्तर – (ग) समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है
प्रश्न 3 – गद्यांश में बालगोबिन भगत के गाने को क्यों कहा है कि ‘यह संगीत है या जादू’?
(क) बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं
(ख) मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं , वे गुनगुनाने लगती हैं
(ग) हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं ; रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – बालगोबिन भगत के संगीत को कौन अपने कोलाहल में डुबो नहीं सकतीं?
(क) भादो की अंधेरी अधरतिया
(ख) मुसलधार वर्षा , बादलों की गरज , बिजली की तड़प
(ग) झिल्ली की झंकार या दादुरों की टर्र-टर्र
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) झिल्ली की झंकार या दादुरों की टर्र-टर्र
प्रश्न 5 – गद्यांश से बालगोविंद के बारे में क्या पता चलता है?
(क) वे खेती अपनी मर्जी से करते थे
(ख) उन्हें संगीत से बहुत प्यार था
(ग) वे कहीं भी गाना गा सकते थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) उन्हें संगीत से बहुत प्यार था
3 –
बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष उस दिन देखा गया जिस दिन उनका बेटा मरा। इकलौता बेटा था वह ! कुछ सुस्त और बोदा-सा था , किन्तु इसी कारण बालगोबिन भगत उसे और भी मानते। उनकी समझ में ऐसे आदमियों पर ही ज्यादा नज़र रखनी चाहिए या प्यार करना चाहिए , क्योंकि ये निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। बड़ी साध से उसकी शादी कराई थी , पतोहू बड़ी ही सुभग और सुशील मिली थी। घर की पूरी प्रबंधिका बनकर भगत को बहुत कुछ दुनियादारी से निवृत्त कर दिया था उसने। उनका बेटा बीमार है , इसकी खबर रखने की लोगों को कहाँ फुरसत ! किन्तु मौत तो अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है। हमने सुना , बालगोबिन भगत का बेटा मर गया। कुतूहलवश उनके घर गया। देखकर दंग रह गया। बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढाँक रखा है। वह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपते रहते , उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं ; फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है। और , उसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं ! वही पुराना स्वर , वही पुरानी तल्लीनता। घर में पतोहू रो रही है जिसे गाँव की स्त्रिायाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किन्तु , बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं ! हाँ , गाते – गाते कभी – कभी पतोहू के नज़दीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई , विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली , भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात ? मैं कभी – कभी सोचता , यह पागल तो नहीं हो गए। किन्तु नहीं , वह जो कुछ कह रहे थे उसमें उनका विश्वास बोल रहा था – वह चरम विश्वास जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।
प्रश्न 1 – बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम उत्कर्ष किस दिन देखा गया?
(क) आषाढ़ मास में
(ख) जिस दिन उनके बेटे की मृत्यु हुई
(ग) जिस दिन वे ठण्ड में भी गाना गाए जा रहे थे
(घ) जिस दिन वे लगातार सुबह से साम तक गाना गा रहे थे
उत्तर – (ख) जिस दिन उनके बेटे की मृत्यु हुई
प्रश्न 2 – कौन अपनी ओर सबका ध्यान खींचकर ही रहती है?
(क) ठण्ड
(ख) साधना
(ग) संगीत
(घ) मौत
उत्तर – (घ) मौत
प्रश्न 3 – बालगोविंद भगत किसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे थे?
(क) अपने पड़ोसियों की सभा के सामने
(ख) अपने बेटे की लाश के सिरहाने बैठ कर
(ग) अपने परिवार के सामने
(घ) बरगद के पेड़ के सामने
उत्तर – (ख) अपने बेटे की लाश के सिरहाने बैठ कर
प्रश्न 4 – बालगोविंद भगत गाते-गाते कभी-कभी किसके नज़दीक जा कर उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कह रहे थे?
(क) अपनी पत्नी
(ख) गाँव की स्त्रियों
(ग) अपनी बेटी
(घ) पतोहू
उत्तर – (घ) पतोहू
प्रश्न 5 – बालगोविंद भगत अपनी पतोहू को क्या कह कर तसल्ली दे रहे थे?
(क) जो होता है अच्छे के लिए होता है. परमात्मा किसी का बुरा नहीं करते
(ख) आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात ?
(ग) आत्मा को एक न एक दिन परमात्मा के पास जाना ही होता है, दुःख की कोई बात नहीं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात ?
4 –
बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया ; पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किन्तु ज्योंही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई , पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया , यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। इधर पतोहू रो-रोकर कहती-मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा , बीमार पड़े , तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा ? मैं पैर पड़ती हूँ , मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए ! लेकिन भगत का निर्णय अटल था। तू जा , नहीं तो मैं ही इस घर को छोड़कर चल दूँगा – यह थी उनकी आखिरी दलील और इस दलील के आगे बेचारी की क्या चलती ?
बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई। वह हर वर्ष गंगा – स्नान करने जाते। स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते , जितना संत – समागम और लोक – दर्शन पर। पैदल ही जाते। करीब तीस कोस पर गंगा थी। साधु को संबल लेने का क्या हक ? और , गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे ? अतः , घर से खाकर चलते , तो फिर घर पर ही लौटकर खाते। रास्ते भर खँजड़ी बजाते , गाते जहाँ प्यास लगती , पानी पी लेते। चार – पाँच दिन आने – जाने में लगते ; किन्तु इस लंबे उपवास में भी वही मस्ती ! अब बुढ़ापा आ गया था , किन्तु टेक वही जवानी वाली।
प्रश्न 1 – बालगोविंद भगत के बेटे को अग्नि किसने दी?
(क) बालगोविंद भगत ने
(ख) पतोहू ने
(ग) बालगोविंद भगत के पोते ने
(घ) बालगोविंद भगत की पत्नी ने
उत्तर – (ख) पतोहू ने
प्रश्न 2 – श्राद्ध की अवधि पूरी हो जाने पर बालगोविंद भगत ने पतोहू के भाई को क्यों बुलाया?
(क) ताकि पतोहू अपने भाई के साथ चली जाए
(ख) ताकि पतोहू दूसरी शादी कर सके
(ग) ताकि पतोहू अपनी जिंदगी की दूसरी शुरुआत कर सके
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – पतोहू भगत के चरणों में ही क्यों रहना चाहती थी?
(क) भगत जी वृद्ध थे। पतोहू के सिवा उनके परिवार में उनकी देखभाल के लिए कोई और नहीं था
(ख) पतोहू भगत जी की सेवा व उनकी देखभाल करना चाहती थी
(ग) वह पुत्र की विधवा के रूप में घर में रहकर भगत जी का सहारा बनना चाहती थी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – “संबल’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) सहारा
(ख) संभव
(ग) मजबूत
(घ) हैरान
उत्तर – (क) सहारा
प्रश्न 5 – ‘बुढ़ापा आ गया था किंतु टेक वही जवानी वाली’ से क्या आशय है?
(क) बालगोबिन वृद्ध हो गए थे
(ख) बालगोबिन वृद्ध हो गए थे, परंतु उनके नित-नियम में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं आया था
(ग) बालगोबिन नित-नियम में थोड़ा सा परिवर्तन आया
(घ) बालगोबिन वृद्ध तो थे, परंतु उनके नित-नियम भी बदल गए
उत्तर – (ख) बालगोबिन वृद्ध हो गए थे, परंतु उनके नित-नियम में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं आया था
Class 10 Hindi Balgobin Bhagat Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – बालगोबिन भगत का व्यक्तित्व कैसा था?
उत्तर – बालगोबिन भगत न तो बहुत लम्बे थे और न ही बहुत छोटे थे बल्कि उनका कद मध्यम था , बालगोबिन भगत का रंग भी गोरा था। बालगोबिन भगत जी को देखने से प्रतीत होता था कि उनकी उम्र साठ वर्ष से अधिक की ही होगी। क्योंकि उनके सारे बाल पक गए थे अर्थात उनके सारे बाल सफ़ेद हो गए थे। बालगोबिन भगत कोई लंबी दाढ़ी और बालों का जुड़ा तो नहीं रखते थे , परन्तु हमेशा ही उनका चेहरा सफ़ेद बालों से ही जगमग किए रहता था। वे ज्यादा कपड़े भी नहीं पहनते थे बल्कि बिलकुल कम पहनते थे चाहे कोई भी मौसम क्यों न हो। वे हमेशा ही कमर पर केवल एक लंगोटी और सिर में कबीरपंथियों के जैसी कनफटी टोपी पहना करते थे। केवल जब ठण्ड का मौसम आता या ठण्ड बढ़ जाती तो एक छोटा सा काला कम्बल ऊपर से ओढ़ लेते थे। वे मस्तक पर हमेशा रामानंदी चंदन लगाया करते थे जो चमकदार होता था और उसको लगाने का तरीका भी अनोखा होता था। वे उस चन्दन के टिके को नाक के एक छोर से ही शुरू करते थे जैसे औरतें अपने टीके को लगाती हैं। वे हमेशा ही अपने गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल बेढंगी से माला बाँधे रहते थे , जो देखने में बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती थी।
प्रश्न 2 – लेखक बालगोबिन भगत को साधु की संज्ञा क्यों नहीं दे सकते?
उत्तर – बालगोबिन भगत कोई विरक्त व्यक्ति नहीं थे , जिसने सभी भौतिक सुखों का त्याग कर दिया हो। बल्कि वे तो पत्नी और बाल–बच्चों वाले आदमी थे। उनकी पत्नी की तो लेखक को याद नहीं हैं, परन्तु उनके बेटे और बेटे की पत्नी को तो लेखक ने देखा था। बालगोबिन भगत की थोड़ी खेतीबारी भी थी और उनका एक अच्छा साफ़ – सुथरा मकान भी था। परन्तु लेखक बताते हैं कि भले ही बालगोबिन भगत खेतीबारी करते थे और परिवार वाले व्यक्ति थे।
प्रश्न 3 – बालगोबिन भगत ने विरक्त व्यक्ति की कौन सी विशेषताएं थी?
उत्तर – कहा जा सकता है कि बालगोबिन भगत विरक्त व्यक्ति थे – क्योंकि विरक्त व्यक्ति की जो भी विशेषताएँ होती हैं वे उन सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले व्यक्ति थे। बालगोबिन भगत कबीर के भक्त थे , वे कबीर को ‘ साहब ’ मानते थे , उन्हीं के गीतों को हमेशा गाते रहते थे और उन्हीं के दिए या बताए हुए आदेशों पर चलते थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे , उनका व्यवहार छल – कपट से रहित था। लेखक बताते हैं कि बालगोबिन भगत किसी से भी दो – टूक बात करने में कोई झिझक नहीं करते थे अर्थात उन्हें जो कहना होता था वे झट से कह देते थे , बालगोबिन भगत किसी से भी बिना बात के कोई झगड़ा नहीं करते थे। वे किसी की कोई भी चीज़ बिना पूछे उपयोग में नहीं लाते थे , छूना तो बहुत दूर की बात है। वे इस नियम को कभी – कभी इतनी बारीकी से अपने व्यवहार में लाते कि लोगों को आश्चर्य होता था कि कोई कैसे इतना नियमों का पालन कर सकता है ! – चाहे कितनी भी मुसीबत आन पड़े वे कभी भी दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं बैठते थे ! वह पत्नी और बाल – बच्चों वाले आदमी थे ; लेकिन उनकी सब चीज़ ‘ साहब ’ अर्थात कबीर के जैसी थी। जो कुछ भी वे मेहनत करके खेती – बाढ़ि करके खेत में आनाज पैदा करते , पहले उसे सिर पर लादकर साहब यानी कबीर के दरबार में ले जाते – जो उनके घर से चार कोस दूर पर था – कबीर के दरबार से यहाँ एक कबीरपंथी मठ से है ! वह दरबार में अपनी फ़ासल को सौगात के रूप रख लिया करते और वहाँ से वापिस आशीर्वाद के रूप में जो भी अन्न उन्हें मिलता , उसे घर लाते और उसी से अपने घर – परिवार का गुजारा चलाते थे!
प्रश्न 4 – लेखक आसाढ़ मास का वर्णन किस प्रकार करते हैं?
उत्तर – आसाढ़ मास में जब वर्षा की छोटी – छोटी बूँदें गिर रही होती है , तो पूरा गाँव अपने – अपने खेतों में उतर पड़ता है। कहीं कोई हल चल रहे हैं , तो कहीं पर धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम हो रहा है। धान के खेतों में पानी भरा हुआ है और बच्चे उन खेतों में उछल रहे हैं। औरतें सुबह का जलपान नाश्ता लेकर खेत के किनारे पर बैठी हुई हैं। आसाढ़ मास में आसमान पूरी तरह बादल से घिरा हुआ होता है और कहीं पर भी धूप का नाम नहीं होता। पूर्व से चलने वाली या आने वाली ठंडी हवाएँ चल रही है। लेखक बताते हैं कि ऐसे ही समय में जब सभी आसाढ़ मास में अपने – अपने कामों में व्यस्त होते हैं।
प्रश्न 5 – लेखक द्वारा बालगोबिन भगत के गाने का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए? उनके गाने का लोगों पर क्या असर पड़ता था?
उत्तर – बालगोबिन भगत के मधुर गान – जो वे हमेशा ही गुनगुनाते रहते थे , वे लेखक को हमेशा सुनने को मिलते थे। जब भी वे कबीर के सीधे – सादे पद गुनगुनाते थे , तो ऐसा प्रतीत होता था कि उनके कंठ से निकलकर वे पद मानो सजीव हो उठते थे। जब सभी आसाढ़ मास में अपने – अपने कामों में व्यस्त होते हैं। तब सबके कानों में एक स्वर – तरंग की झन – झन की ध्वनि सुनाई पड़ती है। यह ध्वनि क्या है या यह कौन है जो इस ध्वनि को उत्पन्न कर रहा है ! यह किसी को पूछने की जरुरत नहीं पड़ती क्योंकि इसके बारे में सभी को पता है। बालगोबिन भगत का पूरा शरीर कीचड़ में लिपटा हुआ है और वे भी अपने खेत में धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक – एक धान के पौधे को , एक सीध में , खेत में बिठा रही है। उनका गला संगीत के एक – एक शब्द को जुबान पर चढ़ाकर कुछ शब्दों को ऊपर , स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर भेज रहा है ! अर्थात बालगोबिन भगत के संगीत के स्वर चारों ओर गूँज रहे हैं। बच्चे खेलते हुए जब बालगोबिन भगत का संगीत सुनते हैं तो वे झूम उठते हैं ; खेतों के किनारे पर खड़ी औरतों के होंठ भी काँप उठते हैं , अर्थात वे भी बालगोबिन भगत के स्वरों के साथ गुनगुनाने लगती हैं ; हल चलाने वाले लोगों के पैर भी उन स्वरों के ताल से उठने लगते हैं ; धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम करने वालों की अँगुलियाँ भी एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं ! यह सब दृश्य देख कर एक ही प्रश्न मन में उठता है कि बालगोबिन भगत का यह संगीत है या कोई जादू है !
प्रश्न 6 – बालगोबिन भगत की प्रतिदिन की दिनचर्य कैसी थी?
उत्तर – जैसे ही कातिक का महीना आता है वैसे ही बालगोबिन भगत की सुबह के समय गाए जाने वाले गीत शुरू हो जाया करते थे और वे गीत फागुन महीने तक चला करते थे। इन महीनों में वे सुबह होते ही उठ जाते थे। किसी को भी यह पता नहीं चल पाता था कि वे किस वक्त जग जाया करते थे और वे हमेशा नदी – स्नान को जाते थे अर्थात वे हमेशा नदीं में ही नहाया करते थे। नदी उनके गाँव से दो मील दूर थी ! कहने का तात्पर्य यह है कि बालगोबिन भगत हर सुबह नहाने के लिए दो मील दूर नदी में जाया करते थे। वहाँ से नहा – धोकर जब वे घर लौटते थे तो घर आने से पहले गाँव के बाहर ही , एक तालाब था , वे उसके ऊँचे हिस्से पर , अपनी खँजड़ी लेकर बैठ जाया करते थे और अपने गाने गुनगुनाने लगते थे।
प्रश्न 7 – लेखक बाल गोबिन भगत के संगीत का गुणगान कैसे करते हैं?
उत्तर – लेखक बाल गोबिन भगत के संगीत का गुणगान करते हुए कहते हैं कि वे अपने घर के आँगन में हर शाम को आसन जमा कर संगीत गुनगुनाने के लिए बैठ जाया करते थे। गाँव के कुछ लोग जो उनके संगीत को पसंद करते थे वे भी हर शाम को बाल गोबिन भगत के घर के आँगन में जुट जाया करते थे। जब गीत – संगीत शुरू होता तब खंजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती थी। गीत का एक पद बालगोबिन भगत कह जाते थे तो उनकी प्रेमी – मंडली उस गीत के पद को दुहराती , तिहराती थी। जैसे – जैसे गीत – संगीत बढ़ता जाता वैसे – वैसे धीरे – धीरे गीत के स्वर भी ऊँचा होने लगते। ऐसा प्रतीत होता जैसे सभी एक निश्चित ताल , एक निश्चित गति का अनुकरण कर रहे हों। जैसे – जैसे उस गीत के ताल – स्वर में चढ़ाव होता वैसे – वैसे उस गीत को सुनने वाले लोगों के मन भी ऊपर उठने लगते। धीरे – धीरे उन लोगों का मन उनके तन पर हावी हो जाता। और लेखक बताते हैं कि यह सब होते – होते , एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच रहे होते और उनके साथ ही सबके तन और मन भी नाच उठने को होने लगते। हर शाम को बाल गोबिन भगत का सारा आँगन नृत्य और संगीत से भरा पूरा प्रतीत होता था !
प्रश्न 8 – बाल गोबिन भगत की संगीत – साधना अत्यधिक उन्नत थी उदाहरण सहित समझाएँ?
उत्तर – बाल गोबिन भगत की संगीत – साधना कितनी अधिक उन्नत है , इसका प्रमाण उस दिन देखा गया जिस दिन उनके बेटे का निधन हो गया। बाल गोबिन भगत ने अपने बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढाँक रखा था। वह कुछ फूल जिनको वे हमेशा ही रोपते रहते थे , उन फूलों में से कुछ फूल तोड़कर उन्होंने अपने बेटे की लाश पर बिखरा दिए थे ; उस पर फूल और तुलसी के पत्ते भी थे। सिरहाने के पास एक चिराग जला रखा था। और , उसके सामने ज़मीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे थे ! वही पुराना स्वर , वही पुरानी तल्लीनता। घर में पुत्र की पत्नी रो रही थी जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही थी। परन्तु , बाल गोबिन भगत गीत गाए जा रहे थे !
प्रश्न 9 – बालगोबिन भगत अपने पुत्र की पत्नी को तसल्ली देने के लिए क्या कहते हैं?
उत्तर – गाते – गाते कभी – कभी पुत्र की पत्नी के नज़दीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। और अपनी बहु को समझाते हुए कहते कि आत्मा परमात्मा के पास चली गई , विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली , भला इससे बढ़कर आनंद की कौन ही बात हो सकती है ?
प्रश्न 10 – बालगोबिन भगत की बहु अपने मायके क्यों नहीं जाना चाहती थी और भगत ने क्या कहकर उसे विवश किया?
उत्तर – जैसे ही पितरों अथवा मृत व्यक्तियों के लिए किया जाने वाला धार्मिक कर्मकांड , पिंडदान, अन्नदान आदि का समय पूरा हुआ , वैसे ही अपनी बहु के भाई को बुलाकर उसे उसके साथ कर दिया , और यह आदेश दिया कि इसकी दूसरी शादी कर देना। किन्तु उनकी बहु रो – रोकर कहती रही कि वह चली जाएगी तो बुढ़ापे में कौन बाल गोबिन भगत के लिए भोजन बनाएगा , यदि कभी बीमार पड़े , तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा ? वह बाल गोबिन भगत के पैर पड़ती रही कि वह उसे अपने चरणों से अलग न करे ! लेकिन भगत का निर्णय अटल था। उन्होंने अपनी बहस का अंत करते हुए कहा कि वह चली जाए , नहीं तो वे ही इस घर को छोड़कर चले जाएंगे। अब इस तरह की बात के आगे बेचारी की क्या चलती ? कहने का तात्पर्य यह है कि न चाहते हुए भी बाल गोबिन भगत की बहु को उन्हें बुढ़ापे में अकेले छोड़ कर जाना पड़ा।
प्रश्न 11 – बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के मुताबिक़ हुई कैसे?
उत्तर – बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के मुताबिक़ हुई। लेखक बाल गोबिन भगत के आखरी दिन का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उस दिन भी शाम के समय उन्होंने गीत गाए , किन्तु उस समय ऐसा मालूम हो रहा था जैसे कोई तागा टूट गया हो , माला का एक – एक दाना बिखरा हुआ सा लग रहा था। सुबह में लोगों ने जब गीत नहीं सुना , तब जाकर देखा तो बालगोबिन भगत नहीं रहे सिर्फ उनका मांस – त्वचा आदिx से ढके हुए शरीर की हड्डियों का ढाँचा पड़ा हुआ था !
Class 10 Hindi A Kshitij Lesson 8 Balgobin Bhagat Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – बालगोबिन भगत लगभग कितने वर्ष के थे?
(क) 50 वर्ष
(ख) 60 वर्ष
(ग) 48 वर्ष
(घ) 65 वर्ष
उत्तर – (ख) 60 वर्ष
प्रश्न 2 – बालगोबिन भगत गले में कौन सी माला पहनते थे?
(क) तुलसी के पत्तों से बनी हुई माला
(ख) तुलसी के तने से बनी हुई माला
(ग) तुलसी की जड़ों से बनी हुई माला
(घ) तुलसी की बनी हुई माला
उत्तर – (ग) तुलसी की जड़ों से बनी हुई माला
प्रश्न 3 – भगतजी “कबीरदासजी” को क्या मानते थे?
(क) आराध्य
(ख) मार्गदर्शक
(ग) गुरु
(घ) साहब
उत्तर – (घ) साहब
प्रश्न 4 – लेखक के अनुसार , बालगोबिन भगत का लोगों के प्रति व्यवहार कैसा था?
(क) वो दो टूक बात कहते थे
(ख) बिना पूछे किसी की चीज को व्यवहार में भी नही लाते थे
(ग) न झूठ बोलते और न खामखा किसी से झगड़ा मोल लेते थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – बालगोबिन भगत पाठ में लेखक ने “रोपड़ी” किसे कहा है?
(क) धान की रोपाई को
(ख) जौ की रोपाई को
(ग) मक्के की रोपाई को
(घ) चावल की रोपाई को
उत्तर – (क) धान की रोपाई को
प्रश्न 6 – भगतजी अपने खेतों में किस चीज की खेती करते थे?
(क) जौ की
(ख) मक्के की
(ग) धान की
(घ) चावल की
उत्तर – (ग) धान की
प्रश्न 7 – भगतजी गाना गाते समय क्या बजाया करते थे?
(क) खंजड़ी
(ख) ढोलक
(ग) बाँसुरी
(घ) चिमटा
उत्तर – (क) खंजड़ी
प्रश्न 8 – बालगोबिन भगत के गीतों को सुनकर सभी लोग क्या करते थे?
(क) मजाक बनाते थे
(ख) नाचने लगते थे
(ग) झूम उठते थे
(घ) गुस्सा करते थे
उत्तर – (ग) झूम उठते थे
प्रश्न 9 – बालगोबिन भगत द्वारा कौन अधिक “निगरानी और मोहब्बत” के ज्यादा हकदार होते है?
(क) कमजोर और असहाय व्यक्ति
(ख) बुद्धिमान व्यक्ति
(ग) ताकतवर व्यक्ति
(घ) समझदार व्यक्ति
उत्तर – (क) कमजोर और असहाय व्यक्ति
प्रश्न 10 – भगतजी अपने बेटे का खास ख्याल क्यों रखते थे?
(क) क्योंकि वह मानसिक रूप से कमजोर था
(ख) क्योंकि वह सुस्त था
(ग) क्योंकि वह बोदा था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 11 – लोगों ने भगतजी की संगीत साधना का चरमोत्कर्ष कब देखा?
(क) आषाढ़ मास में
(ख) उनके बेटे की मृत्यु के दिन
(ग) पोष मास की ठण्ड में
(घ) फागुन मास में
उत्तर – (ख) उनके बेटे की मृत्यु के दिन
प्रश्न 12 – बेटे के मरने के बाद , भगत जी अपनी बहू की दूसरी शादी क्यों करवाना चाहते थे?
(क) अपना बोझ उतारने के लिए
(ख) खुद को स्वतंत्र करने के लिए
(ग) उसके सुखद भविष्य के लिए
(घ) उसके दुखद भविष्य के लिए
उत्तर – (ग) उसके सुखद भविष्य के लिए
प्रश्न 13 – अपने मायके न जाने की जिद पर अड़ी बहू को उसके घर भेजने के लिए भगतजी ने कौन सी दलील दी थी?
(क) कि वे उनसे कोई रिश्ता नहीं रखेंगे
(ख) कि वे उनके मायके नहीं आएँगे
(ग) कि वे उनसे कभी बात नहीं करेंगे
(घ) कि वे खुद घर छोड़ कर चले जाएंगे
उत्तर – (घ) कि वे खुद घर छोड़ कर चले जाएंगे
प्रश्न 14 – भगतजी की बहू उन्हें छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती थी?
(क) भगतजी के गाना गाने के कारण
(ख) भगतजी के अकेले हो जाने के कारण
(ग) भगतजी के घूमने के शौक के कारण
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) भगतजी के अकेले हो जाने के कारण
प्रश्न 15 – भगतजी प्रतिवर्ष गंगा स्नान के लिए क्यों जाते थे?
(क) संत समागम के लिए
(ख) स्नान करने के लिए
(ग) घूमने जाने के लिए
(घ) सैर करने के लिए
उत्तर – (क) संत समागम के लिए
प्रश्न 16 – बालगोबिन भगत के घर से गंगा नदी लगभग कितनी कोस की दूरी में थी?
(क) 40 कोस
(ख) 20 कोस
(ग) 30 कोस
(घ) 10 कोस
उत्तर – (ग) 30 कोस
प्रश्न 17 – भगतजी द्वारा अंतिम बार गाया गया गीत लेखक को कैसा लगा?
(क) जैसे उनमें अब कोई जान न हो
(ख) जैसे वीणा का तार टूट गया हो
(ग) जैसे अब उनकी आवाज जवाब दे रही हो
(घ) जैसे अब उन्हें संगीत में कोई रुच न हो
उत्तर – (ख) जैसे वीणा का तार टूट गया हो
प्रश्न 18 – बेटे की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत अपनी बहू से क्या अपेक्षा रखते थे?
(क) वो किसी से बात न करे
(ख) वो भी गाना शुरू करे
(ग) वो उनकी सेवा करे
(घ) वो दूसरा विवाह कर ले
उत्तर – (घ) वो दूसरा विवाह कर ले
प्रश्न 19 – बालगोबिन भगत के किन कार्यों से ज्ञात होता है कि वे सामाजिक परम्पराओं को नहीं मानते थे?
(क) वो गृहस्थ होते हुए भी साधु थे
(ख) वो बेटे की मृत्यु पर भी विचलित नहीं थे
(ग) उन्होंने अपने बेटे को मुखाग्नि अपनी बहू के हाथों से दिलवाई
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 20 – आपके अनुसार भगतजी द्वारा अपनी पुत्रबधू से बेटे की चिता को मुखाग्नि दिलाना क्या सिद्ध करता है?
(क) वो समाज में व्याप्त रूढ़ीवादी परंपराओं को तोड़ना चाहते थे
(ख) वो अपनी पतोहू को अधिकार दिलाना चाहते थे
(ग) वो समाज में अपनी अलग पहचान बनाना चाहते थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) वो समाज में व्याप्त रूढ़ीवादी परंपराओं को तोड़ना चाहते थे
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