Ek Kahani Yeh Bhi Question Answers

 

CBSE Class 10 Hindi Chapter 10 Ek Kahani Yeh Bhi (एक कहानी यह भी) Question Answers (Important) from Kshitij Book

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Ek Kahani Yeh Bhi NCERT Solution

प्रश्न 1 – लेखिका के व्यक्तित्व पर किन – किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – लेखिका के व्यक्तित्व पर मुख्यतया दो लोगों का प्रभाव पड़ा , जिन्होंने उसके व्यक्तित्व को गहराई तक प्रभावित किया। ये दोनों लोग हैं – लेखिका के पिता जी और प्राध्यापिका शीला अग्रवाल जी।
पिता जी का प्रभावलेखिका के व्यक्तित्व पर उसके पिता जी का नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों रूपों में प्रभाव पड़ा। लेखिका के पिता का स्वभाव शक्की हो गया था क्योंकि उन्होंने जिन लोगों पर आँख बंद करके भरोसा किया था उन्होंने उनके साथ विश्वासघात किया। इसका परिणाम यह हुआ कि वे परिवार के सदस्यों को भी शक की दृष्टि से देखते थे और इसका प्रभाव लेखिका के मन में भी पड़ा , क्योंकि जब कोई लेखिका के काम को ले कर उनकी तारीफ़ करता था तो लेखिका को भी शक्क होता था की कहीं वो उनका मजाक तो नहीं बना रहा है। सकारात्मक दृष्टि से देखा जाए तो लेखिका के पिता जी ने लेखिका को राजनैतिक परिस्थितियों से अवगत कराया तथा देश के प्रति जागरूक करते हुए सक्रिय भागीदारी निभाने के योग्य बनाया।
प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव – लेखिका के व्यक्तित्व को उभारने में शीला अग्रवाल का महत्त्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने लेखिका की साहित्यिक समझ का दायरा बढ़ाया और अच्छी पुस्तकों को चुनकर पढ़ने में मदद की। इसके अलावा उन्होंने लेखिका में वह साहस एवं आत्मविश्वास भर दिया जिससे उसकी रगों में बहता खून लावे में बदल गया।

प्रश्न 2 – इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘ भटियारखाना ’ कहकर क्यों संबोधित किया है?
उत्तर – इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘ भटियारखाना ’ कहकर इसलिए संबोधित किया है क्योंकि उनके पिता जी का मनना था कि रसोई में काम करने से लड़कियाँ चूल्हे – चौके तक सीमित रह जाती हैं। अगर लडकियां केवल रसोई में ही रहेंगी तो भले ही वे अच्छी गृहणी के हर कार्य में निपुण हो जाएँ पर उनके अंदर के सभी गुण और योग्यताएँ समाप्त हो जाती हैं और वे एक छोटे से दायरे तक ही सिमित रह जाती हैं। उनकी नैसर्गिक प्रतिभा उसी चूल्हे में जलकर नष्ट हो जाती है अर्थात् वह पुष्पित-पल्लवित नहीं हो पाती हैं।

प्रश्न 3 – वह कौन – सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को ने अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर ?
उत्तर – लेखिका राजनैतिक कार्यक्रमों में बढ़ – चढ़कर भाग ले रही थी। इस कारण लेखिका के कॉलेज की प्रिंसिपल ने उसके पिता जी के पास पत्र भेजा जिसमें अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बात लिखी गई थी। यह पढ़कर लेखिका के पिता जी गुस्से में आ गए थे। वे लेखिका को बुरा – भला बड़बड़ाते हुए कॉलेज गए थे। कॉलेज की प्रिंसिपल ने जब बताया कि मन्नू के एक इशारे पर लड़कियाँ कक्षाओं को छोड़ कर बाहर आ जाती हैं और नारे लगाती हुई प्रदर्शन करने लगती हैं तो लेखिका के पिता जी ने कहा कि यह तो देश की माँग है। उन्होंने घर पहुँच कर हर्ष से गदगद होकर जब यही बात लेखिका की माँ को बताई और लेखिका की माँ ने , लेखिका को , जो अपनी सहेली के घर अपने पिता जी की डाँट के डर से छुपने चली गई थी, बताई तो इस बात पर लेखिका को न तो विश्वास नहीं हो पाया और न अपने कानों पर।

प्रश्न 4 – लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – लेखिका और उसके पिता के विचारों में कुछ समानता के साथ – साथ असमानता भी थी। लेखिका के पिता में विशिष्ट बनने और बनाने की चाह थी पर वे चाहते थे कि यह सब घर की चारदीवारी में रहकर हो , जो संभव नहीं था। वे नहीं चाहते थे कि लेखिका सड़कों पर लड़कों के साथ हाथ उठा – उठाकर नारे लगाए , जुलूस निकालकर हड़ताल करे। दूसरी ओर लेखिका को अपनी घर की चारदीवारी तक सीमित आज़ादी पसंद नहीं थी। उन्हें पता था कि यदि वे अपनी जिंदगी में कुछ ख़ास करना चाहती हैं तो उन्हें घर की चारदीवारी से बाहर निकलना ही पड़ेगा। यही वैचारिक टकराहट लेखिका और उनके पिता जी के मध्य टकराव का कारण था।

प्रश्न 5 – इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
उत्तर – स्वाधीनता आंदोलन के समय ( सन् 1942 से 1947 तक ) देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति की भावना अपने चरम पर थी। आज़ादी पाने के लिए जगह – जगह हड़तालें , प्रदर्शन , जुलूस , प्रभात फेरियाँ निकाली जा रही थीं। इस आंदोलन के प्रभाव से मन्नू भी अछूती नहीं थी। वह सड़क के चौराहे पर हाथ उठा – उठाकर भाषण देतीं , हड़तालें करवाती तथा अंग्रेजों के विरुद्ध विरोध प्रकट करने के लिए दुकानें बंद करवाती। इस तरह लेखिका इस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभा रही थी।

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Class 10 Hindi Ek Kahani Yeh Bhi Lesson 10– Extract Based Questions (पठित गद्यांश) 

1 –
जन्मी तो मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में थी , लेकिन मेरी यादों का सिलसिला शुरू होता है अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के उस दो – मंज़िला मकान से , जिसकी ऊपरी मंज़िल में पिताजी का साम्राज्य था , जहाँ वे निहायत अव्यवस्थित ढंग से फैली – बिखरी पुस्तकों – पत्रिकाओं और अखबारों के बीच या तो कुछ पढ़ते रहते थे या फिर ‘ डिक्टेशन ’ देते रहते थे। नीचे हम सब भाई – बहिनों के साथ रहती थीं हमारी बेपढ़ी – लिखी व्यक्तित्वविहीन माँ … सवेरे से शाम तक हम सबकी इच्छाओं और पिता जी की आज्ञाओं का पालन करने के लिए सदैव तत्पर। अजमेर से पहले पिता जी इंदौर में थे जहाँ उनकी बड़ी प्रतिष्ठा थी , सम्मान था , नाम था। कांग्रेस के साथ – साथ वे समाज – सुधार के कामों से भी जुड़े हुए थे। शिक्षा के वे केवल उपदेश ही नहीं देते थे , बल्कि उन दिनों आठ – आठ , दस – दस विद्यार्थियों को अपने घर रखकर पढ़ाया है जिनमें से कई तो बाद में ऊँचे – ऊँचे ओहदों पर पहुँचे। ये उनकी खुशहाली के दिन थे और उन दिनों उनकी दरियादिली के चर्चे भी कम नहीं थे। एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी।

प्रश्न 1 – लेखिका का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में
(ख) अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में
(ग) मध्य प्रदेश के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में
(घ) अजमेर के भानपुरा गाँव में
उत्तर – (क) मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में

प्रश्न 2 – लेखिका जिस मकान में रहती थी वह कितनी मंजिल का था?
(क) तीन-मंजिल
(ख) एक-मंजिल
(ग) दो-मंज़िल
(घ) चार-मंजिल
उत्तर – (ग) दो-मंज़िल

प्रश्न 3 – लेखिका अपनी माँ का परिचय कैसे देती है?
(क) बेपढ़ी – लिखी
(ख) व्यक्तित्वविहीन
(ग) सवेरे से शाम तक हम सबकी इच्छाओं और पिता जी की आज्ञाओं का पालन करने के लिए सदैव तत्पर
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – अजमेर से पहले लेखिका के पिता जी कहाँ थे?
(क) इंदौर
(ख) इलहाबाद
(ग) मद्रास
(घ) जैसलमेर
उत्तर – (क) इंदौर

प्रश्न 5 – गद्यांश में लेखिका ने अपने पिता का परिचय कैसे दिया है?
(क) वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे
(ख) वे बेहद क्रोधी और अहंवादी व्यक्ति थे
(ग) एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी
(घ) एक ओर वे बेहद कोमल व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद संवेदनशील
उत्तर – (ग) एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी

2 –
अपनों के हाथों विश्वासघात की जाने कैसी गहरी चोटें होंगी वे जिन्होंने आँख मूँदकर सबका विश्वास करने वाले पिता को बाद के दिनों में इतना शक्की बना दिया था कि जब – तब हम लोग भी उसकी चपेट में आते ही रहते। पर यह पितृ – गाथा मैं इसलिए नहीं गा रही कि मुझे उनका गौरव – गान करना है , बल्कि मैं तो यह देखना चाहती हूँ कि उनके व्यक्तित्व की कौन – सी खूबी और खामियाँ मेरे व्यक्तित्व के ताने – बाने में गुँथी हुई हैं या कि अनजाने – अनचाहे किए उनके व्यवहार ने मेरे भीतर किन ग्रंथियों को जन्म दे दिया। आज भी परिचय करवाते समय जब कोई कुछ विशेषता लगाकर मेरी लेखकीय उपलब्धियों का ज़िक्र करने लगता है तो मैं संकोच से सिमट ही नहीं जाती बल्कि गड़ने – गड़ने को हो आती हूँ। शायद अचेतन की किसी पर्त के नीचे दबी इसी हीन – भावना के चलते मैं अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा नहीं कर पाती … सब कुछ मुझे तुक्का ही लगता है। पिता जी के जिस शक्की स्वभाव पर मैं कभी भन्ना – भन्ना जाती थी , आज एकाएक अपने खंडित विश्वासों की व्यथा के नीचे मुझे उनके शक्की स्वभाव की झलक ही दिखाई देती है … बहुत ‘ अपनों ’ के हाथों विश्वासघात की गहरी व्यथा से उपजा शक। होश सँभालने के बाद से ही जिन पिता जी से किसी – न – किसी बात पर हमेशा मेरी टक्कर ही चलती रही , वे तो न जाने कितने रूपों में मुझमें हैं … कहीं कुंठाओं के रूप में , कहीं प्रतिक्रिया के रूप में तो कहीं प्रतिच्छाया के रूप में। केवल बाहरी भिन्नता के आधार पर अपनी परंपरा और पीढ़ियों को नकारने वालों को क्या सचमुच इस बात का बिलकुल अहसास नहीं होता कि उनका आसन्न अतीत किस कदर उनके भीतर जड़ जमाए बैठा रहता है ! समय का प्रवाह भले ही हमें दूसरी दिशाओं में बहाकर ले जाए … स्थितियों का दबाव भले ही हमारा रूप बदल दे , हमें पूरी तरह उससे मुक्त तो नहीं ही कर सकता !

प्रश्न 1 – लेखिका के पिता को किसने शक्की बना दिया था?
(क) अपनों के हाथों विश्वासघात की जाने कैसी गहरी चोटों ने
(ख) सब पर आँख मूँद कर विश्वास करने की आदत ने
(ग) उनके साथ काम करने वालों ने
(घ) उनके परिवार के सदस्यों ने
उत्तर – (क) अपनों के हाथों विश्वासघात की जाने कैसी गहरी चोटों ने

प्रश्न 2 – गद्यांश में लेखिका अपने पिता के बारे में क्यों बता रही है?
(क) उनका गौरव – गान करने के लिए
(ख) उनके व्यक्तित्व की खूबी और खामियाँ बताने के लिए
(ग) उनके व्यक्तित्व की खूबी और खामियाँ में से कौन सी लेखिका के व्यक्तित्व में आई हैं यह बताने के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) उनके व्यक्तित्व की खूबी और खामियाँ में से कौन सी लेखिका के व्यक्तित्व में आई हैं यह बताने के लिए

प्रश्न 3 – लेखिका अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा क्यों नहीं कर पाती?
(क) आत्मविश्वास की कमी के कारण
(ख) हीन-भावना के कारण
(ग) शर्मीले स्वभाव के कारण
(घ) स्वाभिमान के कारण
उत्तर – (ख) हीन-भावना के कारण

प्रश्न 4 – लेखिका की हमेशा किससे टक्कर चलती रही?
(क) अपनी माता जी से
(ख) अपनी परम्पराओं से
(ग) अपने रीति-रिवाजों से
(घ) अपने पिता जी से
उत्तर – (घ) अपने पिता जी से

प्रश्न 5 – लेखिका के अनुसार उनके पिता किन रूपों में उनमें हैं ?
(क) कुंठाओं के रूप में
(ख) प्रतिच्छाया के रूप में
(ग) प्रतिक्रिया के रूप में
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

3 –
पाँच भाई-बहिनों में सबसे छोटी मैं। सबसे बड़ी बहिन की शादी के समय मैं शायद सात साल की थी और उसकी एक धुँधली – सी याद ही मेरे मन में है , लेकिन अपने से दो साल बड़ी बहिन सुशीला और मैंने घर के बड़े से आँगन में बचपन के सारे खेल खेले – सतोलिया , लँगड़ी – टाँग , पकड़म – पकड़ाई , काली-टीलो … तो कमरों में गुड्डे – गुड़ियों के ब्याह भी रचाए , पास – पड़ोस की सहेलियों के साथ। यों खेलने को हमने भाइयों के साथ गिल्ली – डंडा भी खेला और पतंग उड़ाने , काँच पीसकर माँजा सूतने का काम भी किया , लेकिन उनकी गतिविधियों का दायरा घर के बाहर ही अधिक रहता था और हमारी सीमा थी घर। हाँ , इतना ज़रूर था कि उस ज़माने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी, बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। आज तो मुझे बड़ी शिद्दत के साथ यह महसूस होता है कि अपनी ज़िदगी खुद जीने के इस आधुनिक दबाव ने महानगरों के फ़्लैट में रहने वालों को हमारे इस परंपरागत ‘पड़ोस-कल्चर’ से विच्छिन्न करके हमें कितना संकुचित , असहाय और असुरक्षित बना दिया है।

प्रश्न 1 – अपनी बड़ी बहन की शादी में लेखिका कितने साल की थी?
(क) छः
(ख) सात
(ग) पाँच
(घ) चार
उत्तर – (ख) सात

प्रश्न 2 – बड़ी बहिन सुशीला और लेखिका ने घर के बड़े से आँगन में बचपन के कौन से खेल खेले?
(क) सतोलिया , लँगड़ी – टाँग
(ख) पकड़म – पकड़ाई
(ग) काली – टीलो
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3 – भाइयों के साथ गिल्ली – डंडा और पतंग उड़ाने , काँच पीसकर माँजा सूतने जैसे खेलों की सीमा लेखिका के लिए कहाँ तक थी?
(क) केवल घर तक
(ख) घर के बाहर तक
(ग) पड़ोसियों के घर तक
(घ) घर की छत तक
उत्तर – (क) केवल घर तक

प्रश्न 4 – मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी क्यों नहीं थी?
(क) क्योंकि उस ज़माने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त थीं
(ख) क्योंकि उस ज़माने में घर में दीवारें ही नहीं होती थीं
(ग) क्योंकि उस ज़माने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं
(घ) क्योंकि उस ज़माने में घर की दीवारें किसी भी घर में जाती थी
उत्तर – (ग) क्योंकि उस ज़माने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं

प्रश्न 5 – अपनी ज़िदगी खुद जीने के आधुनिक दबाव ने महानगरों के फ़्लैट में रहने वालों को किस परंपरागत कल्चर को विच्छिन्न कर दिया है?
(क) सांस्कृतिक-कल्चर को
(ख) मिलनसार-कल्चर को
(ग) रूढ़िवादी-कल्चर को
(घ) पड़ोस-कल्चर को
उत्तर – (घ) पड़ोस-कल्चर को

4 –
घर में आए दिन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के जमावड़े होते थे और जमकर बहसें होती थीं। बहस करना पिता जी का प्रिय शगल था। चाय – पानी या नाश्ता देने जाती तो पिता जी मुझे भी वहीं बैठने को कहते। वे चाहते थे कि मैं भी वहीं बैठूँ , सुनूँ और जानूँ कि देश में चारों ओर क्या कुछ हो रहा है। देश में हो भी तो कितना कुछ रहा था। सन् ’ 42 के आंदोलन के बाद से तो सारा देश जैसे खौल रहा था , लेकिन विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की नीतियाँ , उनके आपसी विरोध या मतभेदों की तो मुझे दूर – दूर तक कोई समझ नहीं थी। हाँ , क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों के रोमानी आकर्षण , उनकी कुर्बानियों से ज़रूर मन आक्रांत रहता था। सो दसवीं कक्षा तक आलम यह था कि बिना किसी खास समझ के घर में होने वाली बहसें सुनती थी और बिना चुनाव किए , बिना लेखक की अहमियत से परिचित हुए किताबें पढ़ती थी। लेकिन सन् ’ 45 में जैसे ही दसवीं पास करके मैं ‘ फर्स्ट इयर ’ में आई , हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से परिचय हुआ। सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल … जहाँ मैंने ककहरा सीखा , एक साल पहले ही कॉलिज बना था और वे इसी साल नियुक्त हुई थीं , उन्होंने बाकायदा साहित्य की दुनिया में प्रवेश करवाया।

प्रश्न 1 – लेखिका के घर में आए दिन किसके जमावड़े होते थे?
(क) सांस्कृतिक पार्टियों के
(ख) राजनैतिक पार्टियों के
(ग) पारिवारिक पार्टियों के
(घ) सहपाठियों के
उत्तर – (ख) राजनैतिक पार्टियों के

प्रश्न 2 – लेखिका के पिता क्या चाहते थे?
(क) कि लेखिका यह जाने कि देश में चारों ओर क्या कुछ हो रहा है
(ख) कि लेखिका राजनैतिक पार्टियों में हिस्सा लें
(ग) कि लेखिका अपने पिता के पास बैठे, उन्हें सुने और जाने
(घ) कि लेखिका घर के सारे काम – काज करना सिख जाए
उत्तर – (क) कि लेखिका यह जाने कि देश में चारों ओर क्या कुछ हो रहा है

प्रश्न 3 – लेखिका को किसकी समझ नहीं थी?
(क) सन् ’ 42 के आंदोलन की
(ख) विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की नीतियाँ, उनके आपसी विरोध या मतभेदों की
(ग) क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों के रोमानी आकर्षण , उनकी कुर्बानियों की
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की नीतियाँ, उनके आपसी विरोध या मतभेदों की

प्रश्न 4 – लेखिका दसवीं कक्षा तक क्या करती थी?
(क) बिना किसी खास समझ के घर में होने वाली बहसें सुनती थी
(ख) बिना चुनाव किए , बिना लेखक की अहमियत से परिचित हुए किताबें पढ़ती थी
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 5 – लेखिका को साहित्य की दुनिया में किसने प्रवेश करवाया?
(क) प्राध्यापिका शीला अग्रवाल
(ख) प्राध्यापिका वीणा अग्रवाल
(ग) प्राध्यापिका शीना अग्रवाल
(घ) प्राध्यापिका सीला अग्रवाल
उत्तर – (क) प्राध्यापिका शीला अग्रवाल

5 –
यश – कामना बल्कि कहूँ कि यश – लिप्सा , पिता जी की सबसे बड़ी दुर्बलता थी और उनके जीवन की धुरी था यह सिद्धांत कि व्यक्ति को कुछ विशिष्ट बन कर जीना चाहिए … कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि समाज में उसका नाम हो , सम्मान हो , प्रतिष्ठा हो , वर्चस्व हो। इसके चलते ही मैं दो – एक बार उनके कोप से बच गई थी। एक बार कॉलिज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि पिता जी आकर मिलें और बताएँ कि मेरी गतिविधियों के कारण मेरे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए? पत्र पढ़ते ही पिता जी आग – बबूला। ” यह लड़की मुझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी … पता नहीं क्या – क्या सुनना पड़ेगा वहाँ जाकर ! चार बच्चे पहले भी पढ़े , किसी ने ये दिन नहीं दिखाया। ” गुस्से से भन्नाते हुए ही वे गए थे। लौटकर क्या कहर बरपा होगा , इसका अनुमान था , सो मैं पड़ोस की एक मित्र के यहाँ जाकर बैठ गई। माँ को कह दिया कि लौटकर बहुत कुछ गुबार निकल जाए , तब बुलाना। लेकिन जब माँ ने आकर कहा कि वे तो खुश ही हैं , चली चल , तो विश्वास नहीं हुआ। गई तो सही , लेकिन डरते – डरते। ” सारे कॉलिज की लड़कियों पर इतना रौब है तेरा … सारा कॉलिज तुम तीन लड़कियों के इशारे पर चल रहा है ? प्रिंसिपल बहुत परेशान थी और बार – बार आग्रह कर रही थी कि मैं तुझे घर बिठा लूँ , क्योंकि वे लोग किसी तरह डरा – धमकाकर , डाँट – डपटकर लड़कियों को क्लासों में भेजते हैं और अगर तुम लोग एक इशारा कर दो कि क्लास छोड़कर बाहर आ जाओ तो सारी लड़कियाँ निकलकर मैदान में जमा होकर नारे लगाने लगती हैं। तुम लोगों के मारे कॉलिज चलाना मुश्किल हो गया है उन लोगों के लिए। ” कहाँ तो जाते समय पिता जी मुँह दिखाने से घबरा रहे थे और कहाँ बड़े गर्व से कहकर आए कि यह तो पूरे देश की पुकार है … इस पर कोई कैसे रोक लगा सकता है भला? बेहद गद्गद स्वर में पिता जी यह सब सुनाते रहे और मैं अवाक। मुझे न अपनी आँखों पर विश्वास हो रहा था , न अपने कानों पर। पर यह हकीकत थी।

प्रश्न 1 – लेखिका के पिता जी की सबसे बड़ी दुर्बलता क्या थी?
(क) यश-कामना
(ख) यश-लिप्सा
(ग) यश-प्राप्ति
(घ) यश-गान
उत्तर – (ख) यश-लिप्सा

प्रश्न 2 – कॉलिज से प्रिंसिपल का पत्र किस कारण आया था?
(क) कि लेखिका के पिता जी लेखिका की पढ़ाई पर ध्यान क्यों नहीं देते
(ख) कि लेखिका की गतिविधियों के कारण उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए
(ग) कि लेखिका की गतिविधियों के कारण उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों की जाए
(घ) कि लेखिका की गतिविधियों के कारण उसके सम्मान में अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों की जाए
उत्तर – (ख) कि लेखिका की गतिविधियों के कारण उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए

प्रश्न 3 – लेखिका पड़ोस की एक मित्र के घर क्यों चली गई थी?
(क) क्योंकि उसे अपनी मित्र की याद आ रही थी
(ख) क्योंकि वह पिता जी और माता जी की डाँट से गुस्सा थी
(ग) क्योंकि उसे अंदाजा था कि कॉलेज से लौटे ही उसके पिता कैसा बर्ताव करेंगे
(घ) क्योंकि उसे अंदाजा था कि पिता जी के कॉलेज जाते ही माता जी उसे पीटेंगी
उत्तर – (ग) क्योंकि उसे अंदाजा था कि कॉलेज से लौटे ही उसके पिता कैसा बर्ताव करेंगे

प्रश्न 4 – लेखिका को अपनी माँ की किन बातों पर विश्वास नहीं हुआ?
(क) कि उसके पिता गुस्सा नहीं हैं बल्कि खुश हैं
(ख) कि उसकी माँ उस पर गुस्सा नहीं करेंगी
(ग) कि प्रिंसिपल ने उसकी तारीफ की है
(घ) कि उसकी मित्र ने ही उसकी शिकायत की थी
उत्तर – (क) कि उसके पिता गुस्सा नहीं हैं बल्कि खुश हैं

प्रश्न 5 – लेखिका के पिता खुश क्यों थे?
(क) सारे कॉलिज की लड़कियों पर लेखिका का इतना रौब है कि सारा कॉलिज उन तीन लड़कियों के इशारे पर चल रहा है
(ख) प्रिंसिपल किसी तरह लड़कियों को क्लासों में भेजते हैं और अगर लेखिका एक इशारा कर दें तो सारी लड़कियाँ निकलकर मैदान में जमा होकर नारे लगाने लगती हैं
(ग) पिता जी के अनुसार लेखिका देश की बहती हवा के साथ बह कर एक प्रकार से आज़ादी में अपना योगदान दे रही थी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) पिता जी के अनुसार लेखिका देश की बहती हवा के साथ बह कर एक प्रकार से आज़ादी में अपना योगदान दे रही थी

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Class 10 Hindi Ek Kahani Yeh Bhi Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)

 

प्रश्न 1 – लेखिका के बचपन के घर का वर्णन लेखिका ने किस प्रकार किया है?
उत्तर – लेखिका को अपने और अपने परिवार के बारे में जो भी याद है वह उनको उनके जन्म – स्थान से नहीं बल्कि जहाँ वें रहती थी वहीं से उनको सब याद है। जिस मकान में लेखिका बचपन में रहती थीं वह दो – मंज़िला मकान था। उस मकान की ऊपरी मंज़िल में लेखिका के पिताजी का साम्राज्य था। उनके पिता जी अपने कमरे में बहुत ही अधिक बेतरतीब ढंग से फैली – बिखरी हुई पुस्तकों – पत्रिकाओं और अखबारों के बीच या तो कुछ पढ़ते रहते थे या फिर कुछ सुनकर कुछ लेख या अनुलेखन लिखते रहते थे। उनकी माँ लेखिका और लेखिका के सभी भाई – बहिनों के साथ रहती थीं। 

प्रश्न 2 – लेखिका ने अपने पिता जी के कमरे को साम्राज्य क्यों बताया है?
उत्तर – लेखिका जिस मकान में रहती थी, उस मकान की ऊपरी मंज़िल में लेखिका के पिताजी का साम्राज्य था।  साम्राज्य लेखिका ने इसलिए कहा है क्योंकि जिस तरह साम्राज्य में एक विशाल राज्य के अधीन अनेक छोटे – छोटे राज्य या देश होते हैं उसी तरह लेखिका के पिता जी भी पुरे घर को अपने अधीन रखते थे।

प्रश्न 3 – लेखिका ने अपने पिता के बारे में क्या बताया है?
उत्तर – लेखिका के पिता अजमेर से पहले इंदौर में थे जहाँ उनका बहुत अधिक सम्मान और इज़्ज़त की जाती थी , उनकी बहुत प्रतिष्ठा थी और उनका नाम था। लेखिका के पिता कांग्रेस के साथ जुड़े हुए थे और साथ – ही – साथ वे समाज – सुधार के कामों से भी जुड़े हुए थे। लेखिका के पिता जी केवल शिक्षा के उपदेश ही नहीं देते थे , बल्कि उन दिनों वे आठ – आठ , दस – दस विद्यार्थियों को अपने घर रखकर पढ़ाया करते थे , और उन विद्यार्थियों में से कई तो बाद में ऊँचे – ऊँचे पदों पर पहुँचे। ये लेखिका के पिता जी की खुशहाली के दिन थे और उन दिनों उनकी दरियादिली अर्थात अति उदारता के चर्चे भी कम नहीं थे। लेखिका के अनुसार जब उनके पिता जी अजमेर में थे तब वे बहुत खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। लेखिका अपने पिता जी के दो व्यक्तित्व हमें बताती हैं। वे कहती हैं कि एक ओर तो उनके पिता जी बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और स्वयं को दूसरों से बढ़कर समझने वाले अर्थात घमंडी व्यक्ति थे।

प्रश्न 4 – लेखिका ने अपनी माँ को व्यक्तित्वविहीन क्यों कहा है?
उत्तर – लेखिका अपनी माँ को बेपढ़ी – लिखी व्यक्तित्वविहीन माँ कहती हैं क्योंकि उनकी माँ पढ़ी – लिखी नहीं थी और व्यक्तित्वविहीन इसलिए कहा है क्योंकि उनकी माँ अपने लिए कुछ भी नहीं  करती थीं , वह सवेरे से शाम तक लेखिका और लेखिका के परिवार की इच्छाओं और लेखिका के पिता जी की आज्ञाओं का पालन करने के लिए हमेशा आतुर रहती थीं।

प्रश्न 5 –  लेखिका के पिता को गिरती हुई आर्थिक स्थिति ने कैसे प्रभावित किया?
उत्तर – लेखिका गिरती आर्थिक स्थिति को कारण बताती हुई कहती हैं कि धीरे – धीरे लेखिका के पिता जी अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान हो कर अपने स्वभाव के सभी उपयोगी पहलु खोते जा रहे थे। लगातार कम होती आर्थिक – स्थिति के कारण और अपने अधिक फैले हुए उनके पिता जी का घमंड उन्हें इस बात तक की इजाज़त नहीं देता था कि वे कम – से – कम अपने बच्चों को तो अपनी आर्थिक कठिनाइयों को बता कर उन कठिनाइयों का मिलकर सामना करने में उन्हें हिस्सेदार बनाएँ। उनके पिता जी की आदतें किसी नवाब से कम नहीं थी , और उन्नति को प्राप्त करने की इच्छा के अधूरे रह जाने के कारण और साथ ही साथ हमेशा ऊँचाई पर रहने के  बाद आख़िरी छोर  पर खिसकते चले जाने की पीड़ा , क्रोध बनकर हमेशा लेखिका की माँ को कँपाती – थरथराती रहती थीं। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका के पिता जी को हमेशा उन्नति के शिखर पर रहने की इच्छा थी परन्तु अपनी गिरती आर्थिक स्थिति के कारण और सफलता से असफलता की ओर खिसकने के कारण आए ग़ुस्से को वे अपनी पत्नी अर्थात लेखिका की माँ पर निकाला करते थे।

प्रश्न 6 – लेखिका के पिता का संदेह करने वाला स्वभाव किसकी देन था?
उत्तर – लेखिका के पिता जी को किन्ही परायों ने नहीं बल्कि उनके अपनों ने ही धोखा दिया था और लेखिका अंदाजा लगाते हुए कहती हैं कि अपनों के हाथों धोखा खाने की न जाने कैसी गहरी चोटें होंगी , जिन्होंने आँख बंद करके सबका विश्वास करने वाले  उनके पिता जी को बाद के दिनों में इतना संदेह करने वाला बना दिया था कि कभी – कभी लेखिका और उनके भाई – बहन और माँ भी उसकी चपेट में आते ही रहते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका के पिता पहले सभी पर विश्वास करते थे परन्तु अपनों से धोखा खाने के बाद कभी – कभी लेखिका के पिता कुछ बातों पर अपने ही परिवार के लोगों पर भी संदेह करने लग गए थे।

प्रश्न 7 – लेखिका अपने पिता के बारे में पाठकों को क्यों बता रही है?
उत्तर – लेखिका पाठको के समक्ष अपने पिता की प्रशंसा इसलिए नहीं कर रही हैं कि उन्हें अपने पिता जी की महानता या बड़प्पन का गान गाना है , बल्कि लेखिका तो यह देखना चाहती हैं कि उनके व्यक्तित्व की कौन – सी अच्छाई या विशेषता और कौन – सी  कमियाँ या बुराइयाँ लेखिका के व्यक्तित्व के ताने – बाने में गुँथी हुई हैं या फिर अनजाने – अनचाहे किए उनके पिता जी के व्यवहार ने लेखिका के भीतर किन ग्रंथियों को जन्म दे दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखक अपने पिता जी के बारे में इसलिए बता रही हैं ताकि वे यह समझ सकें कि उनके पिता जी की कौन – कौन से अच्छाइयाँ और बुराइयाँ लेखिका के अंदर भी आ गई हैं।

प्रश्न 8 – लेखिका अपनी सफलताओं का जिक्र सुनते समय झिझक जाती हैं। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर – आज भी जब कोई लेखिका का परिचय करवाते समय जब कुछ विशेषता लगाकर लेखिका की लेखक संबंधी महत्वपूर्ण सफलताओं का ज़िक्र करने लगता है तो लेखिका झिझक और हिचकिचाहट से सिमट ही नहीं जाती बल्कि गड़ने – गड़ने को हो जाती हैं। अर्थात लेखिका अपनी सफलताओं का जिक्र सुनते समय झिझक जाती हैं। इसका कारण बताते हुए लेखिका कहती हैं कि शायद अचेतन मन में किसी पर्त के नीचे अब भी कोई हीन – भावना दबी हुई है जिसके चलते लेखिका को अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा नहीं हो पता है। सब कुछ लेखिका को ऐसा लगता है जैसे सब कुछ लेखिका को किस्मत  मिल गया है।

प्रश्न 9 – लेखिका के अनुसार लेखिका के पिता उनके अंदर किन रूपों में विध्यमान हैं?
उत्तर – लेखिका के होश सँभालने के बाद से ही जिन पिता जी से किसी – न – किसी बात पर हमेशा लेखिका की टक्कर ही चलती रही , वे तो न जाने कितने रूपों में लेखिका में हैं। वे कहीं लेखिका की फ़्रस्ट्रेशन के रूप में लेखिका के अंदर विद्यमान है , कहीं किसी कार्य या घटना के परिणाम – स्वरूप होने वाले रिएक्शन के रूप में तो कहीं परछाईं या  प्रतिबिंब के रूप में। लेखिका अपने अंदर अपने पिता जी के कई स्वभावों को अनुभव करती हैं। केवल बाहर से अलग होने के आधार पर अपने प्राचीन समय से चली आ रही रीति या ट्रैडिशन और पीढ़ियों को नकारने वालों को क्या सचमुच इस बात का बिलकुल अहसास नहीं होता कि उनका निकट या नज़दीक आया हुआ अतीत किस कदर उनके भीतर जड़ जमाए बैठा रहता है ! अर्थात लेखिका यह समझाना चाहती हैं कि हम चाहे कितना भी नकार लें हमारा अतीत हमारे साथ ही रहता है। समय का बहाव भले ही हमें दूसरी दिशाओं में बहाकर ले जाए , स्थितियों का दबाव भले ही हमारा रूप बदल दे , परन्तु समय भी हमें पूरी तरह से हमारे अतीत से मुक्त तो नहीं ही कर सकता ! कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे अतीत की झलक हमारे साथ किसी न किसी रूप में साथ रहती ही है।

प्रश्न 10 – लेखिका ने अपनी माँ का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर – लेखिका की माँ उनके पिता के ठीक विपरीत थीं अर्थात लेखिका के पिता जी का जैसा स्वाभाव था लेखिका की माँ का स्वभाव उसका बिलकुल उल्टा था। अपनी माँ के  धैर्य , शांति और सब्र की तुलना लेखिका धरती से करती हैं और धरती को सबसे ज्यादा सहनशील माना जाता है और लेखिका की माँ में भी सहनशक्ति बहुत ज्यादा थी। लेखिका की माँ उनके पिता जी के हर अत्याचार और कठोर व्यवहार को इस तरह स्वीकार करती थी जैसे वे उनके इस तरह के व्यवहार को प्राप्त करने के योग्य हो और लेखिका की माँ अपने बच्चों की हर फ़रमाइश और ज़िद को चाहे वो फ़रमाइश सही हो या नहीं , अपना फर्ज समझकर बडे़ सरल और साधारण भाव से स्वीकार करती थीं। लेखिका की माँ ने अपनी पूरी ज़िदगी में अपने लिए कभी कुछ नहीं माँगा , कुछ नहीं चाहा केवल सबको दिया ही दिया। अर्थात लेखिका की माँ हमेशा सबकी इच्छाओं को पूरा करने में लगी रहती थी कभी अपनी इच्छाओं पर ध्यान नहीं देती थी। भले ही लेखिका और उनके भाई – बहिनों का सारा लगाव उनकी माँ के साथ था लेकिन बहुत अधिक मजबूर और निराश्रय अर्थात मजबूरी में लिपटा उनका त्याग कभी लेखिका के लिए आदर्श नहीं बन सका। कहने का तात्पर्य यह है कि उनका त्याग , उनकी सहनशीलता और क्षमाशीलता लेखिका अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर सकीं।

प्रश्न 11 – लेखिका बचपन में कौन से खेल खेला करती थी?
उत्तर – लेखिका से दो साल बड़ी बहन सुशीला और लेखिका ने घर के बड़े से आँगन में बचपन के सारे खेल खेले थे। इन खेलों में सतोलिया अर्थात इस खेल को खेलने के लिए सात चपटे पत्थर ढूँढ़ने पड़ते हैं जिन्हें एक के ऊपर एक जमाया जाता है। सबसे बड़ा पत्थर नीचे और फिर ऊपर की तरफ छोटे होते हुए पत्थर लगाये जाते हैं। और दूसरे खेल जैसे – लँगड़ी – टाँग , पकड़म – पकड़ाई , काली – टीलो और पास – पड़ोस की सहेलियों के साथ कमरों में गुड्डे – गुड़ियों के ब्याह रचाना आदि। लेखिका और उनकी बहन ने भाइयों के साथ गिल्ली – डंडा भी खेला और पतंग उड़ाने , काँच पीसकर माँजा सूतने का काम भी किया।

प्रश्न 12 – उस ज़माने में लड़कियों को उतनी अधिक आज़ादी नहीं थी परन्तु उस जमाने की किस बात ने लेखिका और उनकी बहन के खेलने की रुकावट को दूर किया?
उत्तर – जहाँ लेखिका के भाइयों के खेल की गतिविधियों का दायरा घर के बाहर ही अधिक रहता था और लेखिका और उनकी बहन के खेल की गतिविधियों की सीमा घर के अंदर तक ही थी। भले ही उस ज़माने में लड़कियों को उतनी अधिक आज़ादी नहीं थी परन्तु उस जमाने की एक अच्छी बात यह थी कि उस ज़माने में एक घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी , बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। कहने का तात्पर्य यह है कि इस बात का फायदा उठा कर लेखिका और उनकी बहन घर से बाहर निकले बिना पुरे मोहल्ले में सकती थी और इस बात पर कोई उन्हें रोकता भी नहीं था।

प्रश्न 13 – लेखिका का बचपन किस तरह उनके लेखन में मददगार साबित हुआ?
उत्तर – लेखिका की कम – से – कम एक दर्जन शुरुआती कहानियों के पात्र , जो कथा – वस्तु की घटनाओं के घटक होते हैं और जिनके क्रिया – कलाप या चरित्र से कथावस्तु की सृष्टि और उसका परिपाक होता है , उसी मोहल्ले के हैं जहाँ लेखिका ने अपनी बारह से अठारह वर्ष तक की आयु गुज़ार कर अपनी यौवन अर्थात तरुण अवस्था का आरंभ किया था। एक – दो को छोड़कर उनमें से कोई भी पात्र लेखिका के परिवार का नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका ने अपने द्वारा लिखी कहानियों में जिन भी किरदारों को लिया वो सभी किरदार लेखिका के आस – पास के लोगों से ही प्रेरित थे। बस इन सभी लोगों को देखते – सुनते , इनके बीच ही लेखिका बड़ी हुई थी लेकिन इनकी छाप लेखिका के मन पर कितनी गहरी थी , इस बात का अनुभव या ख़याल तो लेखिका को  कहानियाँ लिखते समय हुआ।

प्रश्न 14 – लेखिका को कब एहसास हुआ कि उनकी कहानियो के किरदार उनके आस – पास के लोगों से प्रेरित हैं?
उत्तर – जब लेखिका अपनी कहानियों में अपने आस – पास के लोगों से प्रेरित हो कर किरदार लिखती तब लेखिका को अनुभव होता कि उनके आस – पास के लोगों का उन पर कितना अधिक प्रभाव पड़ा है। इस बात का एहसास लेखिका को और एक घटना से हुआ जब बहुत वर्ष बीत जाने के बाद या उनके अपनी जन्मभूमि से दूर होने के बाद भी उन सभी लोगों की भाव – भंगिमा , भाषा , किसी को भी समय ने धुँधला नहीं किया था और बिना किसी विशेष प्रयास के बडे़ सहज भाव से वे लेखिका की कहानियों में उतरते चले गए थे। अर्थात लेखिका बहुत आसानी से उन लोगों के व्यक्तित्व को आज भी अपनी कहानियों में लिख पाती थी। जब लेखिका अपनी कृति ‘ महाभोज ’ को लिख रही थीं तब उनके पात्र के लिए जो किरदार वो लिखना चाह रही थी वह पात्र लेखिका के बचपन के मोहल्ले में रहने वाले दा साहब से हूबहू मेल खा रहा था या कहा जा सकता है कि दा साहब को ध्यान में रख कर ही ‘ महाभोज ’ के किरदार का वर्णन लेखिका ने किया होगा।

प्रश्न 15 – लेखिका के पिता जी का ध्यान पहली बार लेखिका पर कब केंद्रित हुआ?
उत्तर – लेखिका के बचपन के समय तक लिखिका के परिवार में लड़की के विवाह के लिए अनिवार्य नितांत आवश्यक अर्थात कंपल्सरी योग्यता जो थी, वह थी लड़की की उम्र सोलह वर्ष हो जानी चाहिए और शिक्षा में उसने दसवीं पास कर ली हो। सन् ’ 44 में लेखिका से बड़ी बहन सुशीला ने यह योग्यता प्राप्त कर ली थी और उनकी शादी कर दी गई और वह शादी करके कोलकाता चली गई। लेखिका के दोनों बड़े भाई भी अपनी आगे पढ़ाई के लिए गाँव से बाहर चले गए। जब तक लेखिका अपने भाई – बहनों के साथ थी तब तक वे उनके साथ ही अपने आप को हर कार्य में अनुभव करती थीं लेकिन जैसे ही लेखिका की बहनों की शादी हो गई और लेखिका के भाई भी पढ़ाई करने के लिए लेखिका से दूर हो गए वैसे ही लेखिका ने अपने आप को एक प्रकार से स्वतंत्र अनुभव किया और यह लेखिका के लिए बिलकुल  नया था। सभी बच्चों के दूर चले जाने के बाद लेखिका के पिता जी का ध्यान भी पहली बार लेखिका पर केंद्रित हुआ।

प्रश्न 16 – दूसरी लड़कियों से अलग लेखिका के पिता लेखिका से क्या चाहते थे?
उत्तर – लड़कियों को जिस उम्र में स्कूली शिक्षा के साथ – साथ सलीकेदार गृहिणी और हर काम को श्रेष्ठ तरीके से ने में योग्य , खाना बनाने की कला में निपुण बनाने के  उपाय सिखाए जाते थे , लेखिका के पिता जी इस बात पर बार – बार ज़ोर देते रहते थे , कि लेखिका रसोई से दूर ही रहे। क्योंकि रसोई को लेखिका के पिता जी भटियारखाना कहते थे और उनके हिसाब से वहाँ रहना अपनी क्षमता और प्रतिभा को भट्टी में झोंकना था। अर्थात लेखिका के पिता जी का मानना था कि अगर लडकियां केवल रसोई में ही रहेंगी तो भले ही वे अच्छी गृहणी के हर कार्य में निपुण हो जाएँ पर उनके अंदर के सभी गुण और योग्यताएँ समाप्त हो जाती हैं और वे एक छोटे से दायरे तक ही सिमित रह जाती हैं।

प्रश्न 17 – अपने घर में आए दिन विविध प्रकार की राजनैतिक पार्टियों के लिए लोगों के समूह इकट्ठे होने पर लेखिका के पिता लेखिका को क्यों रोक देते थे?
उत्तर – लेखिका के घर में आए दिन विविध प्रकार की राजनैतिक पार्टियों के लिए लोगों के समूह इकट्ठे होते ही रहते थे और जमकर वाद – विवाद भी होते रहते थे। किसी भी बात पर वाद – विवाद करना लेखिका के पिता जी का सबसे मनपसंद शौक था।  जब लेखिका उन सभी लोगों को चाय – पानी या नाश्ता देने जाती थी तो उनके पिता जी उनको भी वहीं बैठने को कहते थे। वे चाहते थे कि लेखिका भी वहीं बैठे , वहाँ हो रहे वाद – विवादों को सुनें और यह जाने कि देश में चारों ओर क्या कुछ हो रहा है। और वह समय भी ऐसा ही था जब देश में भी हर जगह बहुत कुछ रहा था। वह समय देश को आजादी की राह पर चलाने के लिए चल रहे आंदोलनों का था , जिस कारण देश में हर जगह स्वतंत्रता संग्राम जोरों पर था।

 प्रश्न 18 – शीला अग्रवाल जी के मार्गदर्शन से लेखिका को क्या फायदा हुआ?
उत्तर – लेखिका जहाँ पहले बिना किसी समझ के केवल पढ़ती थी , शिला अग्रवाल जी से मिलने के बाद अब वह पुस्तकों को चुन कर के पढ़ने लगी। शिला अग्रवाल जी खुद चुन – चुनकर लेखिका को किताबें देती थी। और पढ़ी हुई किताबों पर वाद – विवाद भी करती थी। जहाँ पहले लेखिका केवल कुछ गिने – चुने लेखकों के बारे में जानती थी अब उन लेखकों की संख्या काफी बड़ गई थी। अब लेखिका को साहित्य की काफी समझ हो गई थी जिस कारण लेखिका किसी भी लेखक की कृति को पढ़ने पर उस कृति पर प्रश्न भी उठा पा रही थी। शीला अग्रवाल जी ने उनके साहित्य के दायरे को बढ़ाया ही था और साथ – ही – साथ लेखिका को घर की चारदीवारी के बीच बैठकर देश की स्थितियों को जानने – समझने का जो सिलसिला पिता जी ने शुरू किया था , उस सिलसिले को शिला अग्रवाल जी ने घर की चारदीवारी से खींचकर उसे भी स्थितियों की सक्रिय भागीदारी में बदल दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका जहाँ केवल पहले अपने घर में होने वाले वाद – विवादों को सुनती थी अब सिला अग्रवाल जी की सलाहों से वे उन वाद – विवादों में हिस्सा भी लेने लगीं थीं।

प्रश्न 19 – लेखिका के कॉलिज के प्रिंसिपल ने लेखिका के पिता को पत्र क्यों लिखा?
उत्तर –   एक बार लेखिका के कॉलिज के प्रिंसिपल का पत्र आया कि लेखिका के पिता जी उनसे आकर मिलें और बताएँ कि लेखिका के रहने – सहने का ढंग अथवा क्रिया – कलापों के कारण लेखिका के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए ? कहने का तात्पर्य यह है कि लेखिका का रवैया जिस तरह का था उनके कॉलिज के प्रिंसिपल के अनुसार वह अनुशासनात्मक बिलकुल नहीं था। और लेखिका को कोई सज़ा क्यों नहीं देनी चाहिए इसका कारण बताने के लिए लेखिका के पिता जी को कॉलेज बुलाया गया था। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि लेखिका के कॉलेज के प्रिंसिपल ने लेखिका की शिकायत करने के लिए लेखिका के पिता जी को कॉलेज बुलाया था।

प्रश्न 20 – पत्र पढ़ने पर और बाद में लेखिका के पिता का कैसा रवैया था?
उत्तर – पत्र पढ़ते ही लेखिका के पिता जी आग – बबूला हो गए। और लेखिका को कहने लगे कि यह लड़की उन्हें कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी। पता नहीं क्या – क्या सुनना पड़ेगा कॉलेज जाकर ! लेखिका से पहले भी उनके चार भाई – बहन पढ़े थे , किसी ने ये दिन नहीं दिखाया कि उनकी शिकायत सुनने के लिए कॉलेज जाना पड़े। लेखिका के पिता जी गुस्से से हताशा हुए ही कॉलेज गए थे। परन्तु लेखिका के पिता जी ने लेखिका को आते देख कहना शुरू किया कि सारे कॉलिज की लड़कियों पर लेखिका का दबदबा है। सारा कॉलिज लेखिका और उनकी तीन साथियों के इशारे पर चल रहा है ? प्रिंसिपल बहुत परेशान थी और बार – बार निवेदन कर रही थी कि लेखिका के पिता लेखिका को घर बिठा लें , क्योंकि अध्यापक लोग किसी तरह डरा – धमकाकर , डाँट – डपटकर लड़कियों को क्लासों में भेजते हैं और अगर लेखिका और उनकी साथी एक इशारा कर दें कि क्लास छोड़कर बाहर आ जाओ तो सारी लड़कियाँ निकलकर मैदान में जमा होकर नारे लगाने लगती हैं। कहाँ तो जाते समय उनके पिता जी मुँह दिखाने से घबरा रहे थे और कहाँ प्रिंसिपल को बड़े गर्व से कहकर आए कि यह तो पूरे देश की पुकार है। जब लेखिका के पिता जी बहुत ही भावुक स्वर में यह सब लेखिका और  उनकी माँ को सुना रहे थे , उस समय लेखिका बहुत हैरान , परेशान सब सुन रही थी।

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Class 10 Hindi A Kshitij Lesson 10 Ek Kahani Yeh Bhi Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)

 

प्रश्न 1 – जिस मकान में लेखिका बचपन में रहती थीं वह कितना मंज़िला मकान था?
(क) एक – मंज़िला
(ख) तीन – मंज़िला
(ग) दो – मंज़िला
(घ) चार – मंज़िला
उत्तर – (ग) दो – मंज़िला

प्रश्न 2 – लेखिका ने अपने पिता जी के कमरे को साम्राज्य क्यों बताया है?
(क) क्योंकि लेखिका के पिता जी पुरे घर को अपने अधीन रखते थे
(ख) क्योंकि लेखिका का घर बहुत बड़ा था
(ग) क्योंकि लेखिका के घर में बहुत से लोग रहते थे
(घ) क्योंकि लेखिका के पिता किसी राजा की तरह व्यवहार करते थे
उत्तर – (क) क्योंकि लेखिका के पिता जी पुरे घर को अपने अधीन रखते थे

प्रश्न 3 – लेखिका के अनुसार उनके पिता जी कहाँ खुशहाल जिंदगी जी रहे थे?
(क) मद्रास
(ख) इंदौर
(ग) अजमेर
(घ) जैसलमेर
उत्तर – (ग) अजमेर

प्रश्न 4 – किस कारण लेखिका के पिता इंदौर से अजमेर आ गए थे?
(क) आर्थिक झटके के कारण
(ख) राजनितिक झटके के कारण
(ग) स्वाभाविक झटके के कारण
(घ) मानसिक झटके के कारण
उत्तर – (क) आर्थिक झटके के कारण

प्रश्न 5 – लेखिका के पिता जी ने अकेले के बल – बूते और हौसले से किस अधूरे काम को आगे बढ़ाना शुरू किया?
(क) विषय पर आधारित कठिन शब्दार्थ के
(ख) विषय पर आधारित अंग्रेज़ी – हिंदी शब्दकोश के
(ग) विषय पर आधारित अंग्रेज़ी शब्दकोश के
(घ) विषय पर आधारित हिंदी शब्दकोश के
उत्तर – (ख) विषय पर आधारित अंग्रेज़ी – हिंदी शब्दकोश के

प्रश्न 6 – अपनी गिरती आर्थिक स्थिति के कारण और सफलता से असफलता की ओर खिसकने के कारण आए ग़ुस्से को लेखिका के पिता किस पर निकाला करते थे?
(क) लेखिका पर
(ख) अपनी पत्नी पर
(ग) अपने बच्चों पर
(घ) रिश्तेदारों पर
उत्तर – (ख) अपनी पत्नी पर

प्रश्न 7 – अचेतन मन में किसी पर्त के नीचे अब भी कोई हीन-भावना दबी हुई है जिसके चलते लेखिका को किस पर भरोसा नहीं हो पता है?
(क) अपनी किसी भी कविता पर
(ख) अपनी किसी भी लेख पर
(ग) अपनी किसी भी उपलब्धि पर
(घ) अपनी किसी भी विशेषता पर
उत्तर – (ग) अपनी किसी भी उपलब्धि पर

प्रश्न 8 – लेखिका अपनी माँ के धैर्य , शांति और सब्र की तुलना किससे करती हैं?
(क) धरती से
(ख) पिता जी से
(ग) अपने आप से
(घ) पानी से
उत्तर – (क) धरती से

प्रश्न 9 – लेखिका अपनी माँ की किन विशेषताओं को अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर सकीं?
(क) उनका त्याग
(ख) उनकी सहनशीलता
(ग) उनकी क्षमाशीलता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 10 – लेखिका अपने पाँच भाई – बहिनों में किस नंबर पर थी?
(क) दूसरे
(ख) तीसरे
(ग) सबसे छोटी
(घ) सबसे बड़ी
उत्तर – (ग) सबसे छोटी

प्रश्न 11 – महानगरों के फ़्लैट में रहने वालों को किससे बिलकुल अलग करके हम सभी को संकीर्ण ,असहाय और असुरक्षित बना दिया है?
(क) पड़ोस-कल्चर से
(ख) सांस्कृतिक-कल्चर से
(ग) राजनितिक-कल्चर से
(घ) मानसिक-कल्चर से
उत्तर – (क) पड़ोस-कल्चर से

प्रश्न 12 – लेखिका ने अपने द्वारा लिखी कहानियों में जिन भी किरदारों को लिया वो सभी किरदार कहाँ ही प्रेरित थे?
(क) लेखिका के परिवार के लोगों से
(ख) लेखिका के रिश्तेदारों से
(ग) लेखिका के आस-पास के लोगों से
(घ) लेखिका के पिता के शुभचिंतकों से
उत्तर – (ग) लेखिका के आस-पास के लोगों से

प्रश्न 13 – लेखिका के परिवार में लड़की के विवाह के लिए लड़की की उम्र कितनी हो जानी चाहिए थी?
(क) सोलह वर्ष
(ख) अठारह वर्ष
(ग) बारह वर्ष
(घ) तेरह वर्ष
उत्तर – (क) सोलह वर्ष

प्रश्न 14 – लेखिका के पिता जी का ध्यान कब पहली बार लेखिका पर केंद्रित हुआ?
(क) छोटी बेटी की शादी के बाद
(ख) बड़ी बेटी की शादी के बाद
(ग) सभी बच्चों के दूर चले जाने के बाद
(घ) बेटों के शहर जाने के बाद
उत्तर – (ग) सभी बच्चों के दूर चले जाने के बाद

प्रश्न 15 – लेखिका के पिता जी का सबसे मनपसंद शौक कौन सा था?
(क) किसी भी बात पर वाद-विवाद करना
(ख) लेखिका को राजनितिक पार्टियों से मिलवाना
(ग) लेखिका को देश की जानकारी दिलवाना
(घ) किसी भी बात पर अपनी राय उपस्थित करना
उत्तर – (क) किसी भी बात पर वाद-विवाद करना

प्रश्न 16 – लेखिका का मन कब उदास हो जाता था?
(क) जब क्रांतिकारियों के बारे में सुनती थी
(ख) जब किसी शहीदों के बारे में सुनती थी
(ग) जब किसी देशभक्त के बारे में सुनती थी
(घ) जब क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों के बारे में सुनती थी
उत्तर – (घ) जब क्रांतिकारियों और देशभक्त शहीदों के बारे में सुनती थी

प्रश्न 17 – लेखिका को सही ढंग से साहित्य का ज्ञान किसने दिया?
(क) सीमा अग्रवाल जी ने
(ख) शीला अग्रवाल जी ने
(ग) शोना अग्रवाल जी ने
(घ) नीना अग्रवाल जी ने
उत्तर – (ख) शीला अग्रवाल जी ने

प्रश्न 18 – लेखिका की रगों में बहते खून को लावे में किसने बदल दिया था?
(क) पिता जी की जोश से भरी हुई बातों ने
(ख) माता जी की जोश से भरी हुई बातों ने
(ग) शीला अग्रवाल जी की जोश से भरी हुई बातों ने
(घ) क्रांतिकारियों की जोश से भरी हुई बातों ने
उत्तर – (ग) शीला अग्रवाल जी की जोश से भरी हुई बातों ने

प्रश्न 19 – लेखिका के पिता जी भावुक स्वर में लेखिका की प्रशंसा क्यों कर रहे थे?
(क) क्योंकि उन्हें अपनी बेटी के कामों पर प्रसन्नता थी
(ख) क्योंकि लेखिका ने दसवीं में अच्छे अंक लिए थे
(ग) क्योंकि कॉलेज में लेखिका ने अच्छे अंक लाए थे
(घ) क्योंकि प्रिंसिपल लेखिका की प्रशंसा कर रहे थे
उत्तर – (क) क्योंकि उन्हें अपनी बेटी के कामों पर प्रसन्नता थी

प्रश्न 20 – किसके कारण लेखिका के पिता जी ने लेखिका का घर से बाहर निकलना बंद नहीं करवाया?
(क) डॉ. अंबेश्वार जी
(ख) डॉ. अंबालाल जीउत्तर
(ग) डॉ. सबालाल जी
(घ) डॉ. अरविन्दलाल जी
उत्तर – (ख) डॉ. अंबालाल जी

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CBSE Class 10 Hindi Kshitij and Kritika Chapter-wise Question Answers

 

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