CBSE Class 10 Hindi Chapter 9 Lakhnavi Andaz (लखनवी अंदाज़) Question Answers (Important) from Kshitij Book
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- Lakhnavi Andaz NCERT Solution
- Lakhnavi Andaz Extract Based Questions
- Lakhnavi Andaz Extra Question Answers
- Lakhnavi Andaz Multiple choice Questions
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Lakhnavi Andaz NCERT Questions
प्रश्न 1 – लेखक को नवाब साहब के किन हाव – भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं ?
उत्तर – भीड़ से बचकर यात्रा करने के उद्देश्य से जब लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ा तो देखा उसमें एक नवाब साहब पहले से बैठे थे। लेखक को देखकर उन नवाब साहब ने कुछ ऐसे हाव – भाव दिखाए जिनको देखकर लेखक ने जान लिया कि नवाब साहब उनसे बातचीत करने के इच्छुक नहीं हैं।
वे हाव – भाव थे –
- नवाब साहब के चिंतन में व्यवधान पड़ा , जिससे उनके चेहरे पर व्यवधान के भाव उभर आए।
- नवाब साहब की आँखों में असंतोष का भाव उभर आया।
- उन्होंने लेखक से बातचीत करने की पहल नहीं की।
- लेखक की ओर देखने के बजाए वे खिड़की से बाहर देखते रहे।
- कुछ देर बाद वे डिब्बे की स्थिति को देखने लगे।
प्रश्न 2 – नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा , नमक – मिर्च बुरका , अंततः सूँघ कर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा ? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है ?
उत्तर – नवाब साहब ने यत्नपूर्वक खीरा काटकर नमक – मिर्च छिड़का और सूँघ कर खिड़की से बाहर फेंक दिया। उनका ऐसा करना उनकी नवाबी ठसक दिखाता है। वे लोगों के कार्य व्यवहार से हटकर अलग कार्य करके अपनी नवाबी दिखाने की कोशिश करते हैं। उनका ऐसा करना उनके अमीर स्वभाव और नवाबीपन दिखाने की प्रकृति या स्वभाव को इंगित करता है।
प्रश्न 3 – बिना विचार , घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर – लेखक का मानना है कि बिना विचार , घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है अर्थात विचार , घटना और पात्र के बिना कहानी नहीं लिखी जा सकती है। मैं लेखक के इन विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ। वास्तव में कहानी किसी घटना विशेष का वर्णन ही तो है। इसका कारण क्या था , कब घटी , परिणाम क्या रहा तथा इस घटना से कौन – कौन प्रभावित हुए आदि का वर्णन ही कहानी है। अतः किसी कहानी के लिए विचार , घटना और पात्र बहुत ही आवश्यक हैं।
प्रश्न 4- आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे ?
उत्तर – मैं इस निबंध को दूसरा नाम देना चाहूँगा – ‘ रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई ’ या ‘ नवाबी दिखावा ‘ । इसका कारण यह कि नवाब साहब की नवाबी तो कब की छिन चुकी थी पर उनमें अभी नवाबों वाली ठसक और दिखावे की प्रवृत्ति थी।
Class 10 Hindi Lakhnavi Andaz Lesson 9– Extract Based Questions (पठित काव्यांश)
1 –
ठाली बैठे , कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है , नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफायत के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। … अकेले सफर का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खाएँ?
हम कनखियों से नवाब साहब की ओर देख रहे थे। नवाब साहब कुछ देर गाड़ी की खिड़की से बाहर देखकर स्थिति पर गौर करते रहे।
‘ ओह ’ , नवाब साहब ने सहसा हमें संबोधन किया , ‘ आदाब – अर्ज़ ’ , जनाब , खीरे का शौक फरमाएँगे ?
नवाब साहब का सहसा भाव – परिवर्तन अच्छा नहीं लगा। भाँप लिया , आप शराफत का गुमान बनाए रखने के लिए हमें भी मामूली लोगों की हरकत में लथेड़ लेना चाहते हैं। जवाब दिया , ‘ शुक्रिया , किबला शौक फरमाएँ। ’ नवाब साहब ने फिर एक पल खिड़की से बाहर देखकर गौर किया और दृढ़ निश्चय से खीरों के नीचे रखा तौलिया झाड़कर सामने बिछा लिया। सीट के नीचे से लोटा उठाकर दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया। जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत एहतियात से छीलकर फाँकों को करीने से तौलिए पर सजाते गए।
प्रश्न 1 – खाली बैठे रहने पर लेखक की क्या आदत है?
(क) दिन भर सोए रहने की
(ख) कल्पना करते रहने की पुरानी आदत
(ग) सभी को परेशान करने की
(घ) कुछ-न-कुछ लिखते रहने की
उत्तर – (ख) कल्पना करते रहने की पुरानी आदत
प्रश्न 2 – लेखक नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का क्या अनुमान करने लगे?
(क) संभव है , नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफायत के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया हो
(ख) नवाब साहब को गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे
(ग) नवाब साहब ने अकेले सफर का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खाएँ?
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – लेखक कैसे नवाब साहब की ओर देख रहे थे?
(क) कनखियों से
(ख) गौर से
(ग) बिलकुल सीधे
(घ) ऊपर से निचे
उत्तर – (क) कनखियों से
प्रश्न 4 – नवाब साहब ने लेखक से क्या पूछा?
(क) जनाब , आप कहाँ से आए हैं
(ख) जनाब , आप किसे ढूंढ रहे हैं
(ग) जनाब , खीरे का शौक फरमाएँगे
(घ) जनाब , क्या आप गलत डिब्बे में आ गए हैं
उत्तर – (ग) जनाब , खीरे का शौक फरमाएँगे
प्रश्न 5 – नवाब साहब का खीरे को खाने के लिए काटने का तरीका कैसा था?
(क) नवाब साहब ने सीट के नीचे से लोटा उठाकर दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया
(ख) नवाब साहब ने जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला
(ग) नवाब साहब ने खीरों को बहुत एहतियात से छीलकर फाँकों को करीने से तौलिए पर सजाते गए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
2 –
लखनऊ स्टेशन पर खीरा बेचने वाले खीरे के इस्तेमाल का तरीका जानते हैं। ग्राहक के लिए जीरा – मिला नमक और पिसी हुई लाल मिर्च की पुड़िया भी हाज़िर कर देते हैं। नवाब साहब ने बहुत करीने से खीरे की फाँकों पर जीरा – मिला नमक और लाल मिर्च की सुर्खी बुरक दी। उनकी प्रत्येक भाव – भंगिमा और जबड़ों के स्फुरण से स्पष्ट था कि उस प्रक्रिया में उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से प्लावित हो रहा था।
हम कनखियों से देखकर सोच रहे थे , मियाँ रईस बनते हैं , लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं।
नवाब साहब ने फिर एक बार हमारी ओर देख लिया , ‘ वल्लाह , शौक कीजिए , लखनऊ का बालम खीरा है ! ’
खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए। फाँक को सूँघा। स्वाद के आनंद में पलकें मुँद गईं। मुँह में भर आए पानी का घूँट गले से उतर गया। तब नवाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया। नवाब साहब खीरे की फाँकों को नाक के पास ले जाकर , वासना से रसास्वादन कर खिड़की के बाहर फेंकते गए। नवाब साहब ने खीरे की सब फाँकों को खिड़की के बाहर फेंककर तौलिए से हाथ और होंठ पोंछ लिए और गर्व से गुलाबी आँखों से हमारी ओर देख लिया , मानो कह रहे हों – यह है खानदानी रईसों का तरीका। नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए। हमें तसलीम में सिर खम कर लेना पड़ा – यह है खानदानी तहज़ीब , नफ़ासत और नज़ाकत !
प्रश्न 1 – लखनऊ स्टेशन पर खीरा बेचने वाले के खीरे के इस्तेमाल का तरीका क्या है?
(क) ग्राहक के लिए जीरा-मिला नमक और पिसी हुई लाल मिर्च की पुड़िया भी हाज़िर कर देते हैं
(ख) ग्राहक के लिए नमक और पिसी हुई लाल मिर्च की पुड़िया हाज़िर कर देते हैं
(ग) ग्राहक के लिए जीरा-मिला नमक की पुड़िया हाज़िर कर देते हैं
(घ) ग्राहक के लिए पिसी हुई लाल मिर्च की पुड़िया हाज़िर कर देते हैं
उत्तर – (क) ग्राहक के लिए जीरा-मिला नमक और पिसी हुई लाल मिर्च की पुड़िया भी हाज़िर कर देते हैं
प्रश्न 2 – लेखक कनखियों से देखकर नवाब साहब के बारे में क्या सोच रहे थे?
(क) मियाँ रईस बनते हैं , लेकिन शौक खीरा खाने का रखते हैं
(ख) मियाँ रईस बनते हैं , लेकिन लोगों से बात करने का कोई सलीका नहीं
(ग) मियाँ रईस बनते हैं , लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं
(घ) मियाँ रईस बनते हैं , लेकिन लोगों की नज़रों से बच कर सेकण्ड क्लास में सफ़र कर रहे हैं
उत्तर – (ग) मियाँ रईस बनते हैं , लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं
प्रश्न 3 – नवाब साहन खीरे की एक फाँक को उठाकर होंठों तक लेने, फाँक को सूँघने, स्वाद के आनंद में मुँह में भर आने पर खीरे की फाँक के साथ क्या करते थे?
(क) तब नवाब साहब ने फाँक को खा दिया
(ख) तब नवाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया
(ग) तब नवाब साहब ने फाँक को लेखक को दे दिया
(घ) तब नवाब साहब ने फाँक को वापिस तौलिए में रख दिया
उत्तर – (ख) तब नवाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया
प्रश्न 4 – नवाब साहब ने खीरे की सब फाँकों को खिड़की के बाहर फेंककर तौलिए से हाथ और होंठ पोंछ लिए और गर्व से गुलाबी आँखों से लेखक की ओर देख लिया , ऐसा कर वे क्या कहना चाह रहे थे?
(क) यह है खानदानी रईसों का तरीका
(ख) यह है रईसों द्वारा खाने का तरीका
(ग) यह है खानदानी लोगों का दिखावा करने का तरीका
(घ) यह है रईसों के दिखावे का तरीका
उत्तर – (क) यह है खानदानी रईसों का तरीका
प्रश्न 5 – नवाब साहब क्यों थककर लेट गए?
(क) लेखक को समझा-समझा कर
(ख) सफ़र की तैयारी और इस्तेमाल से
(ग) लेखक से बात करते-करते
(घ) खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से
उत्तर – (घ) खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से
Class 10 Hindi Lakhnavi Andaz Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट क्यों लिया?
उत्तर – लेखक बताते हैं कि आराम से अगर लोकल ट्रेन के सेकंड क्लास में जाना हो तो उसके लिए कीमत भी अधिक लगती है। लेखक को बहुत दूर तो जाना नहीं था। लेकिन लेखक ने टिकट सेकंड क्लास का ही ले लिया ताकि वे अपनी नयी कहानी के संबंध में सोच सके और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य का नज़ारा भी ले सकें , इसलिए भीड़ से बचकर , शोरगुल से रहित ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो , लेखक ने चुना।
प्रश्न 2 – सेकंड क्लास के डीब्बे में लेखक के अंदाज़े के विपरीत क्या घटा?
उत्तर – लेखक जिस लोकल ट्रेन से जाना चाहता था , किसी कारण थोड़ी देरी होने के कारण लेखक से वह गाड़ी छूट रही थी। सेकंड क्लास के एक छोटे डिब्बे को खाली समझकर , लेखक ज़रा दौड़कर उसमें चढ़ गए। लेखक ने अंदाज़ा लगाया था कि लोकल ट्रेन का वह सेकंड क्लास का छोटा डिब्बा खाली होगा परन्तु लेखक के अंदाज़े के विपरीत वह डिब्बा खाली नहीं था। उस डिब्बे के एक बर्थ पर लखनऊ के नवाबी परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक सफेद कपड़े पहने हुए सज्जन व्यक्ति बहुत सुविधा से पालथी मार कर बैठे हुए थे।
प्रश्न 3 – सेकंड क्लास में बैठे उन सज्जन की नाराज़गी का लेखक क्या अंदाजा लगाते हैं?
उत्तर – उन सज्जन ने अपने सामने दो ताज़े-चिकने खीरे तौलिए पर रखे हुए थे। लेखक के उस डिब्बे में अचानक से कूद जाने के कारण उन सज्जन की आँखों में जो गहराई से सोचने का भाव या कहा जा सकता है कि उसके ध्यान में बाधा या अड़चन पड़ गई थी , जिस कारण उन सज्जन की नाराज़गी साफ़ दिखाई दे रही थी। लेखक उन सज्जन की नाराज़गी को देख कर सोचने लगे कि , हो सकता है , वे सज्जन भी किसी कहानी के लिए कुछ सोच रहे हों या ऐसा भी हो सकता है कि लेखक ने उन सज्जन को खीरे – जैसी तुच्छ वस्तु का शौक करते देख लिया था और इसी हिचकिचाहट के कारण वे नाराज़गी में हों।
प्रश्न 4 – लेखक की कौन सी पुरानी आदत है?
उत्तर – लेखक की पुरानी आदत है कि जब भी वे खाली बैठे होते हैं अर्थात कोई काम नहीं कर रहे होते हैं , तब वे हमेशा ही कुछ न कुछ सोचते रहते हैं और अभी भी वे उस सेकंड क्लास की बर्थ पर उस नवाब के सामने खाली ही बैठे थे , तो वे उस नवाब साहब के बारे में सोचने लगे।
प्रश्न 5 – लेखक उस नवाब साहब के बारे में कैसे अंदाजा लगाने लगे कि उन नवाब साहब को किस तरह की परेशानी और हिचकिचाहट हो रही होगी?
उत्तर – लेखक सोचने लगे कि हो सकता है कि , नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा करने के अंदाजे से और बचत करने के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया होगा और अब उनको यह सहन नहीं हो रहा होगा कि शहर का कोई सफेद कपड़े पहने हुए व्यक्ति उन्हें इस तरह बीच वाले दर्जे में सफर करता देखे , कहने का तात्पर्य यह है कि नवाब लोग हमेशा प्रथम दर्ज़े में ही सफर करते थे और उन नवाब साहब को लेखक ने दूसरे दर्ज़े में सफ़र करते देख लिया था तो लेखक के अनुसार हो सकता है कि इस कारण उनको हिचकिचाहट हो रही हो। या फिर हो सकता है कि अकेले सफर में वक्त काटने के लिए ही उन नवाब साहब ने खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफेद कपड़े पहने हुए व्यक्ति अर्थात लेखक के सामने खीरा कैसे खाएँ , यह सोच कर ही शायद उन्हें परेशानी हो रही हो ?
प्रश्न 6 – अचानक से नवाब साहब के व्यवहार में हुए परिवर्तन से लेखक ने उनके बारे में क्या जान लिया?
उत्तर – उन नवाब साहब के अचानक से हुए व्यवहार परिवर्तन से लेखक ने यह जान लिया कि वे नवाब साहब अपने आप के शिष्ट व्यवहार के अहंकार को बनाए रखने के लिए लेखक को भी साधारण लोगों की हरकत में अपने साथ ले लेना चाहते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि उन नवाब साहब के खीरे के शौक को लेखक ने देख लिया था और खीरा एक साधारण वस्तु माना जाता है , जिस कारण नावाब साहब हिचकिचाने लगे थे और लेखक को लग रहा था कि इसी हिचकिचाहट को छुपाने के लिए और साधारण वस्तु का शौक रखने के कारण वे लेखक से खीरा खाने के बारे में पूछ रहे हैं।
प्रश्न 7 – नवाब साहब ने किस तरह खीरे को काटने की प्रक्रिया को किया?
उत्तर – नवाब साहब ने एक पल खिड़की से बाहर देखकर स्थिति पर गौर किया और दृढ़ निश्चय से खीरों के नीचे रखा तौलिया झाड़ा और अपने सामने बिछा लिया। फिर अपनी सीट के नीचे रखा हुआ लोटा उठाया और दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ कर सूखा लिया। फिर अपनी जेब से एक चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें चाकू से गोदकर उनका झाग निकाला , जिस तरह से हम भी खीरे खाने से पहले काटते हैं। यह सब करने के बाद फिर खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर लंबाई में टुकड़े करते हुए बड़े तरीक़े से तौलिए पर सजाते गए।
प्रश्न 8 – लखनऊ स्टेशन पर खीरा बेचने वाले लोगों के खीरे के इस्तेमाल का तरीका कैसा है?
उत्तर – सभी लखनऊ स्टेशन पर खीरा बेचने वाले लोगों के खीरे के इस्तेमाल का तरीका तो जानते ही हैं। वे अपने ग्राहक के लिए जीरा – मिला नमक और पिसी हुई लाल मिर्च को कागज़ आदि में विशेष प्रकार से लपेट कर ग्राहक के सामने प्रस्तुत कर देते हैं।
प्रश्न 9 – लेखक नवाब साहब के खीरे काटने के तरीके देखकर क्या सोचने लगे?
उत्तर – लेखक आँखों के कोनों से अर्थात तिरछी नज़रों से नवाब साहब को खीरे काटते हुए देखकर सोच रहे थे , मियाँ बड़े आदमी बनते हैं , लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं। अर्थात नवाब साहब ने सेकंड क्लास का टिकट ही इस ख़याल से लिया होगा ताकि कोई उनको खीरा खाते न देख लें लेकिन अब लेखक के ही सामने इस तरह खीरे को खाने के लिए तैयार करते समय अपना स्वभाविक व्यवहार कर रहे हैं।
प्रश्न 10 – दूसरी बार खीरा खाने के बारे में पूछने पर लेखक ने क्या बहाना बना कर मना किया?
उत्तर – नवाब साहब ने एक बार लेखक की ओर देख लिया और फिर उनसे एक बार खीरा खाने के लिए पूछ लिया , और साथ – ही – साथ उन खीरों की खासियत बताते हुए कहते हैं कि वे खीरे लखनऊ के सबसे प्रिय खीरें हैं। लेखक बताते हैं कि नमक – मिर्च छिड़क दिए जाने से उन ताज़े खीरे की पानी से भरे लम्बे – लम्बे टुकड़ों को देख कर उनके मुँह में पानी ज़रूर आ रहा था , लेकिन लेखक पहले ही इनकार कर चुके थे , जिस कारण लेखक ने अपना आत्मसम्मान बचाना ही उचित समझा , और उन्होंने नवाब साहब को शुक्रिया देते हुए उत्तर दिया कि इस वक्त उन्हें खीरे खाने की इच्छा महसूस नहीं हो रही है , और साथ ही साथ लेखक ने अपनी पाचन शक्ति कमज़ोर होने का बहाना बनाते हुए नवाब साहब को ही खीरे खाने को कहा।
प्रश्न 11 – नवाब साहब ने खीरे के टुकड़ों के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर – नवाब साहब ने खीरे के एक टुकड़े को उठाया और अपने होंठों तक ले गए , फिर उस टुकड़े को सूँघा , उस खीरे के स्वाद की कल्पना की ख़ुशी में लेखक की पलकें बंद हो गई। अर्थात नवाब साहब केवल खीरे को सूँघ कर उसके स्वाद का अंदाजा लगा रहे थे। खीरे के स्वाद के अंदाज़े से नवाब साहब के मुँह में भर आए पानी का घूँट उनके गले से निचे उतर गया। यह सब करने के बाद नवाब साहब ने खीरे के टुकड़े को बिना खाए ही खिड़की से बाहर छोड़ दिया। नवाब साहब ने खीरे के हर एक टुकड़े को नाक के पास ले जाकर , अपनी कल्पना में ही खीरे के रस का स्वाद ले कर खीरे के हर टुकड़े को खिड़की के बाहर फेंकते गए। लेखक बताते हैं कि नवाब साहब ने खीरे के सभी टुकड़ों को खिड़की के बाहर फेंककर तौलिए से अपने हाथ और होंठ पोंछ लिए।
प्रश्न 12 – नवाब साहब की कौन सी बात सुन कर लेखक ने मन ही मन कहा कि ये हैं नयी कहानी के लेखक ! और क्यों?
उत्तर – लेखक सोच रहे थे कि जिस तरह नवाब साहब ने खीरे का इस्तेमाल किया उससे केवल खीरे के स्वाद और खुशबू का अंदाजा ही लगाया जा सकता है , उससे पेट की भूख शांत नहीं हो सकती। परन्तु नवाब साहब की ओर से ऊँचे डकार का शब्द ऐसे सुनाई दिया , जैसे उनका पेट भर गया हो। और नवाब साहब ने लेखक की ओर देखकर कहा कि खीरा होता तो बहुत स्वादिष्ट है लेकिन जल्दी पचने वाला नहीं होता , और साथ – ही – साथ बेचारे बदनसीब पेट पर बोझ डाल देता है। नवाब साहब की ऐसी बातें सुन कर लेखक कहते हैं कि उनके ज्ञान – चक्षु खुल गए अर्थात लेखक को जो बात समझ नहीं आ रही थी अब समझ में आ रही थी ! नवाब साहब की बात सुन कर लेखक ने मन ही मन कहा कि ये हैं नयी कहानी के लेखक ! क्योंकि लेखक के अनुसार अगर खीरे की सुगंध और स्वाद का केवल अंदाज़ा लगा कर ही पेट भर जाने का डकार आ सकता है तो बिना विचार , बिना किसी घटना और पात्रों के , लेखक के केवल इच्छा करने से ही ‘ नयी कहानी ’ क्यों नहीं बन सकती ?
Class 10 Hindi A Kshitij Lesson 9 Lakhnavi Andaz Multiple Choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – लखनवी अंदाज़ पाठ के अनुसार नवाबों की प्रमुख विशेषता क्या है?
(क) खीरे को किसी दूसरे के साथ न बाँटना
(ख) खीरे को तुच्छ वस्तु समझना
(ग) अपने आप को दूसरे से बेहतर व श्रेष्ठ समझना है
(घ) अकेले ही सफ़र करना
उत्तर – (ग) अपने आप को दूसरे से बेहतर व श्रेष्ठ समझना है
प्रश्न 2 – लेखक ने लोकल ट्रेन (मुफस्सिल) के सेकंड क्लास का महंगा टिकट क्यों खरीदा?
(क) लोकल ट्रेन (मुफस्सिल) के सेकंड क्लास का आनंद लेने के लिए
(ख) भीड़ से बचने व एकांत में किसी नई कहानी के बारे में सोचने के लिए
(ग) भीड़ से बचने के लिए
(घ) एकांत में किसी नई कहानी के बारे में सोचने के लिए
उत्तर – (ख) भीड़ से बचने व एकांत में किसी नई कहानी के बारे में सोचने के लिए
प्रश्न 3 – लेखक कौन से डिब्बे को खाली समझकर उसमें चढ़ गए थे?
(क) सेकंड क्लास
(ख) फर्स्ट क्लास
(ग) फोर्थ क्लास
(घ) थर्ड क्लास
उत्तर – (क) सेकंड क्लास
प्रश्न 4 – लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे को खाली समझकर चढ़े थे, वहां पहले से कौन बैठा था?
(क) एक लखनवी मंत्री
(ख) लेखक का मित्र
(ग) एक लखनवी नवाब
(घ) सफ़ेदपोश व्यक्ति
उत्तर – (ग) एक लखनवी नवाब
प्रश्न 5 – “सफ़ेदपोश” का क्या अर्थ है?
(क) जिसने सफेद पोशाक पहनी हो
(ख) भद्रपुरुष
(ग) जो सफेद कपड़े बेचता है
(घ) वकील
उत्तर – (ख) भद्रपुरुष
प्रश्न 6 – लेखक की पुरानी आदत कौन सी थी?
(क) जब लेखक खाली बैठे होते तो वो अनेक प्रकार की कविताएँ रचने लग जाते थे
(ख) जब लेखक खाली बैठे होते तो वो अनेक प्रकार की कहानियां लिखने लग जाते थे
(ग) जब लेखक खाली बैठे होते तो वो कहीं घूमने चले जाते थे
(घ) जब लेखक खाली बैठे होते तो वो अनेक प्रकार की कल्पनाएं करने लग जाते थे
उत्तर – (घ) जब लेखक खाली बैठे होते तो वो अनेक प्रकार की कल्पनाएं करने लग जाते थे
प्रश्न 7 – लेखक के अनुसार नवाब साहब द्वारा सेकंड क्लास में यात्रा करने के क्या कारण हो सकते हैं?
(क) नवाबी शान का दिखावा करना
(ख) भीड़ से राहत पाना
(ग) शांति व सुकून से यात्रा करना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8 – लखनवी नवाब ने खीरे किसके ऊपर रखे हुए थे?
(क) एक पलेट के
(ख) एक तौलिए के
(ग) एक रुमाल के
(घ) एक कटोरी के
उत्तर – (ख) एक तौलिए के
प्रश्न 9 – लेखक को देख नवाब साहब क्यों खुश नही हुए?
(क) क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें अपना खीरा बाँटना पड़ेगा
(ख) क्योंकि उन्हें लगा कि उन्हें अपनी सीट लेखक को देनी पड़ेगी
(ग) क्योंकि वे अपने परिवार का इन्तजार कर रहे थे
(घ) क्योंकि उन्हें अपना एकांत भंग होता हुआ दिखाई दिया
उत्तर – (घ) क्योंकि उन्हें अपना एकांत भंग होता हुआ दिखाई दिया
प्रश्न 10 – लेखक, नवाब साहब की ओर कैसे देख रहे थे?
(क) कनखियों से
(ख) गुस्से से
(ग) खुशी से
(घ) सीधे सामने से
उत्तर – (क) कनखियों से
प्रश्न 11 – ट्रेन में काट करना किसने शुरु किया?
(क) किसी दूसरे यात्री ने
(ख) लेखक ने
(ग) नवाब साहब ने
(घ) किसी ने भी नहीं
उत्तर – (ग) नवाब साहब ने
प्रश्न 12 – नवाब साहब ने लेखक से क्या पूछा?
(क) खीरा खाने के लिए
(ख) बैठने के लिए
(ग) बाहर जाने के लिए
(घ) बाहर से खीरा लाने के लिए
उत्तर – (क) खीरा खाने के लिए
प्रश्न 13 – नवाब साहब ने खीरों में कौन सा नमक लगाया?
(क) सेंधा नमक
(ख) जीरा व मिर्च लगा नमक
(ग) काला नमक
(घ) सफेद नमक
उत्तर – (ख) जीरा व मिर्च लगा नमक
प्रश्न 14 – नवाब साहब द्वारा दूसरी बार खीरे खाने के लिए पूछने पर लेखक ने क्यों मना किया?
(क) क्योंकि लेखक पहले ही खीरा खाने को मना कर चुके थे
(ख) क्योंकि लेखक को खीरा खाना पसंद नहीं था
(ग) क्योंकि लेखक नवाब साहब के साथ खीरा नहीं खाना चाहते थे
(घ) क्योंकि लेखक पहले ही खीरा खा चुके थे
उत्तर – (क) क्योंकि लेखक पहले ही खीरा खाने को मना कर चुके थे
प्रश्न 15 – दुबारा क्या बहाना बनाकर लेखक ने खीरा खाने से मना कर दिया?
(क) खीरा खराब होने का बहाना
(ख) खीरे पर लगे नमक खराब होने का बहाना
(ग) पेट खराब होने का बहाना
(घ) खीरे पर लगे मिर्च का खराब होने का बहाना
उत्तर – (ग) पेट खराब होने का बहाना
प्रश्न 16 – नवाब साहब ने खीरे के टुकड़ों के साथ क्या किया?
(क) वो खीरे के टुकड़ों को उठाकर होठों तक ले गए
(ख) उन्होंने खीरे के टुकड़ों को सूंघा
(ग) वो खीरे के टुकड़ों को उठाकर होठों तक ले गए, उन्हें सूंघा और फिर खिड़की से बाहर फेंक दिया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) वो खीरे के टुकड़ों को उठाकर होठों तक ले गए, उन्हें सूंघा और फिर खिड़की से बाहर फेंक दिया
प्रश्न 17 – नवाब साहब ने खीरे के टुकड़ों को खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया?
(क) खीरे खराब होने के कारण
(ख) झूठी नवाबी शान दिखाने के खातिर
(ग) लेखक के द्वारा खीरे न खाने के कारण
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) झूठी नवाबी शान दिखाने के खातिर
प्रश्न 18 – नवाब साहब ने क्यों थक गए?
(क) सफ़र लंबा होने के कारण
(ख) बैठ-बैठ कर
(ग) खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से
(घ) लेखक से बात करने के कारण
उत्तर – (ग) खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से
प्रश्न 19 – क्या सोच कर लेखक को लगा कि “नई कहानी” भी तो लिखी जा सकती है?
(क) जब अकेले लंबा सफर किया जा सकता है
(ख) जब खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से ही पेट भर कर डकार आ सकती है
(ग) जब किसी को खीरे पसंद न होते हुए भी खाने पड़ सकते है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) जब खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से ही पेट भर कर डकार आ सकती है
प्रश्न 20 – लखनवी नवाब पाठ के आधार पर नवाब साहब कैसे व्यक्ति थे?
(क) अपनी नवाबी शान-शौकतका दिखावा करने वाले व्यक्ति
(ख) अपनी नवाबी ठाट-बाट का दिखावा करने वाले व्यक्ति
(ग) अपनी नवाबी शान-शौकत और ठाट-बाट का दिखावा करने वाले व्यक्ति
(घ) केवल (ख)
उत्तर – (ग) अपनी नवाबी शान-शौकत और ठाट-बाट का दिखावा करने वाले व्यक्ति
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