CBSE Class 10 Hindi Chapter 12 Sanskriti (संस्कृति) Question Answers (Important) from Kshitij Book
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- Sanskriti NCERT Solution
- Sanskriti Extract Based Questions
- Sanskriti Extra Question Answers
- Sanskriti Multiple choice Questions
Sanskruti NCERT Solution
प्रश्न 1 – लेखक की दृष्टि में ‘ सभ्यता ’ और ‘ संस्कृति ’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है ?
उत्तर – लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति शब्दों की सही समझ अब तक इसलिए नहीं बन पाई है क्योंकि लोग सभ्यता और संस्कृति शब्दों का प्रयोग तो खूब करते हैं पर वे इनके अर्थ के बारे में भ्रमित रहते हैं। वे इनके अर्थ को जाने – समझे बिना मनमाने ढंग से इनका प्रयोग करते हैं। इन शब्दों के जो अर्थ उन्हें पहले समझ में आते भी हैं , वे बाद में इन शब्दों के साथ भौतिक और आध्यात्मिक जैसे विशेषण लगाकर और भी गलत – सलत लगने लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में लोग इनका अर्थ अपने – अपने विवेक से लगा लेते हैं। इससे स्पष्ट है कि इन शब्दों के सही अर्थ की समझ अब तक नहीं बन पाई है।
प्रश्न 2 – आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे ?
उत्तर – आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज इसलिए मानी जाती है क्योंकि एक तो इससे मनुष्य की जीवन शैली और खानपान में बहुत अधिक बदलाव आया है। और दूसरा , मनुष्य के पेट की ज्वाला अधिक सुविधाजनक ढंग से शांत होने लगी है। इससे मनुष्य का भोजन स्वादिष्ट बन गया तथा उसे सर्दी भगाने का साधन मिल गया। इसके अलावा प्रकाश और आग का भय दिखाने से जंगली जानवरों के खतरे में कमी आई। आग ने मनुष्य के सभ्य बनने का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसकी खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत पेट की ज्वाला , सर्दी से मुक्ति , प्रकाश की चाहत तथा जंगली जानवरों के खतरे में कमी लाने की चाहत रही होगी।
प्रश्न 3 – वास्तविक अर्थों में ‘ संस्कृत व्यक्ति ’ किसे कहा जा सकता है ?
उत्तर – वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जा सकता है जो अपना पेट भरा होने तथा तन ढका होने पर भी निठल्ला नहीं बैठता है। वह अपने विवेक और बुद्धि से किसी नए तथ्य का दर्शन करता है और समाज को अत्यंत उपयोगी आविष्कार देकर उसकी सभ्यता का मार्ग प्रशस्त करता है। उदाहरणार्थ न्यूटन संस्कृत व्यक्ति था जिसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज की। इसी तरह सिद्धार्थ ने मानवता को सुखी देखने के लिए अपनी सुख – सुविधा छोड़कर जंगल की ओर चले गए थे। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि वास्तविक अर्थों में ‘ संस्कृत व्यक्ति ’ वह है जो अपनी बुद्धि , अपनी समझ और अपनी क्षमता से किसी ऐसे नए तथ्य का आविष्कार करे जो सभी के लिए कल्याणकारी हो।
प्रश्न 4 – न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं ? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते , क्यों ?
उत्तर – न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे यह तर्क दिया गया है कि न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत संबंधी नए तथ्य का दर्शन किया और इस सिद्धांत की खोज किया। नई चीज़ की खोज करने के कारण न्यूटन संस्कृत मानव था।
कुछ लोग जो न्यूटन के पीढ़ी के हैं , वे न्यूटन के सिद्धांत को जानने के अलावा अन्य बहुत – सी उन बातों का ज्ञान रखते हैं जिनसे न्यूटन सर्वथा अनभिज्ञ था , परंतु उन्हें संस्कृत मानव इसलिए नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने न्यूटन की भाँति किसी नए तथ्य का आविष्कार नहीं किया। ऐसे लोगों को संस्कृत मानव नहीं बल्कि सभ्य मानव कहा जा सकता है।
प्रश्न 5 – किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई – धागे का आविष्कार हुआ होगा ?
उत्तर – सुई – धागे का आविष्कार जिन दो महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया गया होगा। वे हैं –
अपने शरीर को सर्दी और गर्मी के मौसम से सुरक्षित रखने के लिए कपड़े सिलने के कारण।
मनुष्य द्वारा सुंदर दिखने की चाह में अपने शरीर को सजाने के लिए क्योंकि इससे पूर्व वह छाल एवं पेड़ के पत्तों से यह कार्य किया करता था।
प्रश्न 6 – “ मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है। ” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब –
( क ) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
उत्तर – समय – समय पर ऐसी कुचेष्टाएँ की गईं हैं जब मानव – संस्कृति को धर्म और संप्रदाय में बाँटने का प्रयास किया गया। कुछ असामाजिक तत्व तथा धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने हिंदू – मुस्लिम सांप्रदायिकता का जहर फैलाने का प्रयासकर मानव संस्कृति को बाँटने की कुचेष्टा की। इन लोगों ने अपने भाषणों द्वारा दोनों वर्गों को भड़काने का प्रयास किया। इनके त्योहारों पर भी एक – दूसरे को उकसाकर धार्मिक भावनाएँ भड़काने का प्रयास किया। वे मस्जिद के सामने बाजा बजाने और ताजिए के निकलते समय पीपल की डाल कटने पर संस्कृति खतरे में पड़ने की बात कहकर मानव संस्कृति विभाजित करने का प्रयास करते रहे।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
उत्तर – मानव – संस्कृति के मूल में कल्याण की भावना निहित है। इस संस्कृति में अकल्याणकारी तत्वों के लिए स्थान नहीं है। समय – समय पर लोगों ने अपने कार्यों से इसका प्रमाण भी दिया ; जैसे –
भूखे व्यक्ति को लोग अपने हिस्से का भोजन खिला देते हैं।
बीमार बच्चे को अपनी गोद में लिए माँ सारी रात गुजार देती है।
कार्ल मार्क्स ने आजीवन मजदूरों के हित के लिए संघर्ष किया।
लेनिन ने अपनी डेस्क पर रखी ब्रेड को भूखों को खिला दिया।
सिद्धार्थ मानव को सुखी देखने के लिए राजा के सारे सुख छोड़कर ज्ञान प्राप्ति हेतु जंगल की ओर चले गए।
प्रश्न 7 –
आशय स्पष्ट कीजिए –
( क ) मानव की जो योग्यता उससे आत्मविनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति ?
उत्तर – संस्कृति का कल्याण की भावना से गहरा नाता है। इसे कल्याण से अलग कर के नहीं देखा जा सकता। यह भावना मनुष्य को मानवता हेतु उपयोगी तथ्यों का आविष्कार करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में कोई व्यक्ति जब अपनी योग्यता का प्रयोग आत्मविनाश के साधनों की खोज करने में करता है और उससे आत्मविनाश करता है तब यह असंस्कृति बन जाती है। ऐसी संस्कृति में जब कल्याण की भावना नहीं होती है तब वह असंस्कृति का रूप ले लेती है।
Class 10 Hindi Sanskriti Lesson 12– Extract Based Questions (पठित गद्यांश)
1 –
जिस योग्यता , प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग का व सुई – धागे का आविष्कार हुआ , वह है व्यक्ति विशेष की संस्कृति ; और उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ , जो चीज़ उसने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की , उसका नाम है सभ्यता।
जिस व्यक्ति में पहली चीज़ , जितनी अधिक व जैसी परिष्कृत मात्र में होगी , वह व्यक्ति उतना ही अधिक व वैसा ही परिष्कृत आविष्कर्ता होगा।
एक संस्कृत व्यक्ति किसी नयी चीज़ की खोज करता है ; किन्तु उसकी संतान को वह अपने पूर्वज से अनायास ही प्राप्त हो जाती है। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया , वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है और उसकी संतान जिसे अपने पूर्वज से वह वस्तु अनायास ही प्राप्त हो गई है , वह अपने पूर्वज की भाँति सभ्य भले ही बन जाए , संस्कृत नहीं कहला सकता। एक आधुनिक उदाहरण लें। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था। आज के युग का भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण से तो परिचित है ही ; लेकिन उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा। ऐसा होने पर भी हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सके ; पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते।
प्रश्न 1 – जिस योग्यता , प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर आग का व सुई – धागे का आविष्कार हुआ , वह क्या है?
(क) व्यक्ति विशेष की सभ्यता
(ख) व्यक्ति विशेष की संस्कृति
(ग) व्यक्ति विशेष की बुद्धि
(घ) व्यक्ति विशेष की सामर्थ्यता
उत्तर – (ख) व्यक्ति विशेष की संस्कृति
प्रश्न 2 – संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ , जो चीज़ व्यक्ति ने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की, उसको क्या कहा जाता है?
(क) सुसंस्कृत आविष्कार
(ख) आविष्कार
(ग) सभ्यता
(घ) सभ्यता पूर्ण आविष्कार
उत्तर – (ग) सभ्यता
प्रश्न 3 – वास्तविक संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जाता है?
(क) जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया
(ख) जिस व्यक्ति ने अपनी संस्कृति को बचाने का भरसक प्रयास किया
(ग) जिस व्यक्ति के आविष्कार का फायदा उसकी संताने सदियों तक उठाए
(घ) जिस व्यक्ति ने समाज की भलाई के लिए कोई कार्य किया
उत्तर – (क) जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया
प्रश्न 4 – न्यूटन ने किसका आविष्कार किया?
(क) आत्माकर्षण के सिद्धांत का
(ख) संधर्ष के सिद्धांत का
(ग) अणु के वर्गीकरण के सिद्धांत का
(घ) गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का
उत्तर – (घ) गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का
प्रश्न 5 – हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सके ; पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते। क्यों?
(क) क्योंकि आज के युग का भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण से तो परिचित है ही ; लेकिन उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा
(ख) क्योंकि न्यूटन संस्कृत मानव था
(ग) क्योंकि न्यूटन ने अपनी बुद्धि व् विवेक से गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) क्योंकि न्यूटन ने अपनी बुद्धि व् विवेक से गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था
2 –
संसार के मज़दूरों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया। और इन सबसे बढ़कर आज नहीं , आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व सिद्धार्थ ने अपना घर केवल इसलिए त्याग दिया कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत लड़ती – कटती मानवता सुख से रह सके।
हमारी समझ में मानव संस्कृति की जो योग्यता आग व सुई – धागे का आविष्कार कराती है ; वह भी संस्कृति है जो योग्यता तारों की जानकारी कराती है , वह भी है ; और जो योग्यता किसी महामानव से सर्वस्व त्याग कराती है , वह भी संस्कृति है।
और सभ्यता ? सभ्यता है संस्कृति का परिणाम। हमारे खाने – पीने के तरीके , हमारे ओढ़ने पहनने के तरीके , हमारे गमना – गमन के साधन , हमारे परस्पर कट मरने के तरीके ; सब हमारी सभ्यता हैं। मानव की जो योग्यता उससे आत्म – विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है , हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति ? और जिन साधनों के बल पर वह दिन – रात आत्म – विनाश में जुटा हुआ है , उन्हें हम उसकी सभ्यता समझें या असभ्यता ? संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा तो वह असंस्कृति होकर ही रहेगी और ऐसी संस्कृति का अवश्यंभावी परिणाम असभ्यता के अतिरिक्त दूसरा क्या होगा?
संस्कृति के नाम से जिस कूड़े – करकट के ढेर का बोध होता है , वह न संस्कृति है न रक्षणीय वस्तु। क्षण – क्षण परिवर्तन होने वाले संसार में किसी भी चीज़ को पकड़कर बैठा नहीं जा सकता। मानव ने जब – जब प्रज्ञा और मैत्री भाव से किसी नए तथ्य का दर्शन किया है तो उसने कोई वस्तु नहीं देखी है , जिसकी रक्षा के लिए दलबंदियों की ज़रूरत है।
प्रश्न 1 – कार्ल मार्क्स ने किसके लिए अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया?
(क) संसार के मरीजों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए
(ख) संसार के पुरुषों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए
(ग) संसार के मज़दूरों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए
(घ) संसार के किसानों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए
उत्तर – (ग) संसार के मज़दूरों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए
प्रश्न 2 – सिद्धार्थ ने अपना घर किसलिए त्याग दिया?
(क) कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत लड़ती-कटती मानवता सुख से रह सके
(ख) कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत संसार को समाप्त किया जा सके
(ग) कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत व्यक्तियों को संसार से मुक्त कराया जा सके
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत लड़ती-कटती मानवता सुख से रह सके
प्रश्न 3 – संस्कृति क्या है?
(क) जो योग्यता आग व सुई-धागे का आविष्कार कराती है
(ख) जो योग्यता तारों की जानकारी कराती है
(ग) जो योग्यता किसी महामानव से सर्वस्व त्याग कराती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – सभ्यता क्या है?
(क) संस्कृति का परिणाम
(ख) हमारे खाने-पीने के तरीके, हमारे ओढ़ने पहनने के तरीके
(ग) हमारे गमना-गमन के साधन, हमारे परस्पर कट मरने के तरीके
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – असंस्कृति कब होकर रहेगी?
(क) संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा
(ख) संस्कृति का यदि आविष्कार से नाता टूट जाएगा
(ग) संस्कृति का यदि संसार से नाता टूट जाएगा
(घ) संस्कृति का यदि व्यक्तियों से नाता टूट जाएगा
उत्तर – (क) संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा
Class 10 Hindi Sanskriti Extra Question Answers (अतिरिक्त प्रश्न उत्तर)
प्रश्न 1 – किसी चीज़ के आविष्कार के लिए व्यक्ति विशेष की बुद्धि और विवेक अथवा योग्यता कैसे अहम भूमिका निभाती है?
उत्तर – आज तो हर घर में आग का प्रयोग होता है। परन्तु लेखक हमें सोचने के लिए कहते हैं कि सोचिए जिस आदमी ने पहली बार आग का आविष्कार किया होगा , वह कितना बड़ा आविष्कर्ता अर्थात कितना बड़ा आविष्कार करने वाला व्यक्ति होगा। क्योंकि आग के आविष्कार के बाद मनुष्य अधिक सरल जीवन जी पाया और अधिक सभ्य भी बन पाया। इसी तरह जब मानव को सुई – धागे के बारे में कुछ भी पता नहीं था और जिस व्यक्ति के दिमाग में यह बात आई होगी की कपडे के दो टुकड़ों को आपस में सुई – धागे की मदद से जोड़ कर एक अच्छा वस्त्र तैयार किया जा सकता है वह व्यक्ति एक बहुत अच्छा आविष्कर्ता रहा होगा। इन दोनों उदाहरणों में दो चीज़े हैं ; पहले उदाहरण में एक चीज़ है किसी व्यक्ति विशेष की आग का आविष्कार कर सकने की शक्ति और दूसरी चीज़ है आग का आविष्कार। इसी प्रकार दूसरे सुई – धागे के उदाहरण में एक चीज़ है सुई – धागे का आविष्कार कर सकने की शक्ति और दूसरी चीज़ है सुई – धागे का आविष्कार। कहने का तात्पर्य यह है कि लेखक समझाना चाहते हैं कि केवल किसी चीज़ के बारे में सोचने मात्र से उस चीज़ का आविष्कार नहीं हो जाता। उस चीज़ के आविष्कार के लिए व्यक्ति विशेष की बुद्धि और विवेक अथवा योग्यता एक अहम भूमिका निभाती है।
प्रश्न 2 – संस्कृति और सभ्यता को परिभाषित कीजिए?
उत्तर – जिस योग्यता , क्षमता या बुद्धिमानी से , अथवा जिस स्वभाव , आदत या आचार – व्यवहार के कारण अथवा जिस प्रेरणा या उमंग के बल पर आग का व सुई – धागे का आविष्कार हुआ है , वह किसी व्यक्ति विशेष की संस्कृति कही जाती है ; और उस संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ , अथवा जो चीज़ उस व्यक्ति ने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की है , उसका नाम है सभ्यता। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी व्यक्ति की योग्यता , स्वभाव या आचार – व्यवहार को उसकी संस्कृति कहा जाता है और उस योग्यता , स्वभाव अथवा आचार – व्यवहार के द्वारा जो सर्व कल्याण को ध्यान में रखते हुए आविष्कार किया जाता है वह सभ्यता कहा जाता है।
प्रश्न 3 – वास्तविक या यथार्थ संस्कृत व्यक्ति कौन है?
उत्तर – जिस व्यक्ति में योग्यता , स्वभाव अथवा आचार – व्यवहार जितनी अधिक व जैसी अलंकृत अथवा स्वच्छ मात्रा में होगी , वह व्यक्ति उतना ही अधिक व वैसा ही अलंकृत अथवा स्वच्छ आविष्कर्ता होगा। अर्थात वैसा ही बड़ा आविष्कर्ता होगा। एक संस्कृत व्यक्ति किसी नयी चीज़ की खोज करता है , किन्तु उसकी संतान या उसकी आने वाली पीढ़ी को वह चीज़ अपने परबाबा – बाबा – दादा आदि से बिना कोशिश के स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। अर्थात खोज़ एक व्यक्ति करता है और बाकी सभी व्यक्तियों को उस चीज़ का लाभ बिना किसी मेहनत के ही मिल जाता है। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक अथवा अच्छे – बुरे की परख ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया या आविष्कार किया , वह व्यक्ति ही वास्तविक या यथार्थ संस्कृत व्यक्ति है और उसकी संतान जिसे अपने पूर्वज से वह वस्तु बिना किसी मेहनत के ही प्राप्त हो गई है , वह अपने पूर्वज की ही तरह सभ्य अथवा शिष्ट , सामाजिक – राजनीतिक – शैक्षणिक आदि सभी दृष्टियों से उन्नत व उत्तम भले ही बन जाए , किन्तु उसे संस्कृत नहीं कहलाया जा सकता।
प्रश्न 4 – संस्कृत व्यक्ति कौन है? किसी उदाहरण से समझाइए?
उत्तर – न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण अर्थात ग्रैविटेशन के सिद्धांत अथवा प्रिंसिपल का आविष्कार किया। इसलिए वह संस्कृत मानव था। आज के युग का प्राकृतिक नियमों के सिद्धांतों के विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण को तो भली-भाँती समझता है ही, उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा। अर्थात आज के विद्यार्थी को भले ही गुर्त्वाकर्षण के साथ – साथ कई सिद्धांत और बातें पता हों लेकिन ऐसा होने पर भी हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सकते है पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते। क्योंकि न्यूटन ने अपनी योग्यता , स्वभाव या आचार – व्यवहार का इस्तेमाल करके नए तथ्य का आविष्कार किया जबकि आज के विद्यार्थियों को ये आविष्कार बिना किसी कोशिश के ही प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 5 – आवश्यकता के अनुसार किए गए आविष्कारों से क्या आशय है?
उत्तर – आवश्यकता के अनुसार किए गए आविष्कारों से अभिप्राय है कि आग के आविष्कार में संभवतः अथवा शायद पेट की ज्वाला की प्रेरणा एक कारण रही होगी। अर्थात आग का आविष्कार करने के लिए पेट की भूख कारण रही होगी जिस कारण अच्छा भोजन पका के खाने की इच्छा ही आग के आविष्कार का कारण रही होगी। उसी तरह सुई – धागे के आविष्कार में शायद ठंड और गरम मौसम से बचने तथा शरीर को सजाने की प्रवृति का विशेष हाथ रहा होगा। अर्थात ठण्ड के मौसम में शरीर को बचाने के लिए कपड़ों को जोड़ने और गर्मी के मौसम में शरीर को सजाने के लिए कपड़ों को अलग – अलग तरीके से जोड़ने के लिए सुई – धागे का आविष्कार किया गया होगा।
प्रश्न 6 – आपकी समझ में संस्कृति क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हमारी समझ में मानव संस्कृति की जो योग्यता आग व सुई – धागे का आविष्कार कराती है ; वह भी संस्कृति है और जो योग्यता तारों की जानकारी कराती है , वह भी संस्कृति है ; और जो योग्यता किसी महामानव से सब कुछ अर्थात सारी धन – संपत्ति , अमूल्य निधि या पदार्थ का त्याग कराती है , वह भी संस्कृति है। कहने का अभिप्राय यह है कि जो भी योग्यता दूसरों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए कोई आविष्कार करवाती है या किसी नए तथ्य की जानकारी उपलब्ध करवाती है वह संस्कृति है।
प्रश्न 7 – सभ्यता क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सभ्यता , संस्कृति का परिणाम है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे खाने – पीने के तरीके , हमारे ओढ़ने पहनने के तरीके , हमारे आने – जाने के साधन , हमारे परस्पर एक दूसरे के लिए कट मरने के तरीके ; यह सब हमारी सभ्यता हैं।
प्रश्न 8 – असंस्कृति और असभ्यता क्या है?
उत्तर – जिन साधनों का निर्माण व्यक्ति ने विनाश के लिए कर लिया है तथा जिनसे वह विनाश भी कर रहा है वह उसकी संस्कृति है या असंस्कृति और उसकी सभ्यता है या असभ्यता। संस्कृति का यदि कल्याण की भावना से नाता टूट जाएगा तो वह असंस्कृति होकर ही रहेगी और ऐसी संस्कृति का अवश्यंभावी अर्थात जिसके होने की पूरी संभावना हो ऐसा परिणाम असभ्यता के अतिरिक्त दूसरा क्या होगा ? कहने का अभिप्राय यह है कि यदि कल्याण भावना से कोई आविष्कार किया गया है तो वह संस्कृति है परन्तु यदि कल्याण की भावना निहित नहीं है तो वह असंस्कृति ही होगी।
Class 10 Hindi A Kshitij Lesson 12 Sanskriti Multiple choice Questions (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न 1 – किन शब्दों का उपयोग सबसे अधिक होता है ?
(क) सभ्यता और संस्कृति
(ख) मानवता और कल्याण
(ग) आज़ादी और क्रान्ति
(घ) बुद्धि और विवेक
उत्तर – (क) सभ्यता और संस्कृति
प्रश्न 2 – किसके आविष्कार के बाद मनुष्य अधिक सरल जीवन जी पाया और अधिक सभ्य भी बन पाया?
(क) सुई के आविष्कार के बाद
(ख) कपड़े के आविष्कार के बाद
(ग) आग के आविष्कार के बाद
(घ) हथियार के आविष्कार के बाद
उत्तर – (ग) आग के आविष्कार के बाद
प्रश्न 3 – किसी चीज़ के आविष्कार के लिए क्या अहम भूमिका निभाती है?
(क) व्यक्ति विशेष की बुद्धि और विवेक अथवा योग्यता
(ख) केवल किसी चीज़ के बारे में सोचना
(ग) व्यक्ति विशेष की बुद्धि
(घ) व्यक्ति विशेष की योग्यता
उत्तर – (क) व्यक्ति विशेष की बुद्धि और विवेक अथवा योग्यता
प्रश्न 4 – किसी व्यक्ति विशेष की संस्कृति क्या कही जाती है?
(क) जिस योग्यता, क्षमता या बुद्धिमानी से कोई आविष्कार हुआ है
(ख) जिस स्वभाव, आदत या आचार-व्यवहार के कारण कोई अविष्कार हुआ है
(ग) जिस प्रेरणा या उमंग के बल पर कोई आविष्कार हुआ है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – सभ्यता क्या है?
(क) योग्यता , स्वभाव अथवा आचार – व्यवहार के द्वारा जो सर्व कल्याण को ध्यान में रखते हुए आविष्कार किया जाता है
(ख) संस्कृति द्वारा जो आविष्कार हुआ
(ग) जो चीज़ किसी व्यक्ति ने अपने तथा दूसरों के लिए आविष्कृत की है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6 – कौन सा व्यक्ति वास्तविक या यथार्थ संस्कृत व्यक्ति है?
(क) जिस व्यक्ति की बुद्धि ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया
(ख) जिस व्यक्ति के विवेक अथवा अच्छे-बुरे की परख ने किसी भी नए तथ्य का आविष्कार किया
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 7 – संस्कृति क्या है?
(क) मानव संस्कृति की जो योग्यता आग व सुई-धागे का आविष्कार कराती है
(ख) जो योग्यता तारों की जानकारी कराती है
(ग) जो योग्यता किसी महामानव से सब कुछ अर्थात सारी धन-संपत्ति, अमूल्य निधि या पदार्थ का त्याग कराती है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8 – असंस्कृति क्या है?
(क) संस्कृति का कल्याण की भावना से जुड़ना
(ख) संस्कृति का सर्वकल्याण की भावना से नाता जुड़ना
(ग) संस्कृति का कल्याण की भावना से नाता टूट जाना
(घ) केवल (क)
उत्तर – (ग) संस्कृति का कल्याण की भावना से नाता टूट जाना
प्रश्न 9 – संस्कृति के नाम पर किसी भी वस्तु को संरक्षित कर के नहीं रखा जा सकता क्यों?
(क) क्योंकि हर पल बदलने वाले इस संसार में किसी भी चीज़ को पकड़कर बैठा नहीं जा सकता
(ख) क्योंकि हर पल बदलने वाले इस संसार में समय भी बदलता रहता है
(ग) क्योंकि हर पल बदलने वाले इस संसार में व्यक्ति की भावना भी बदलती है
(घ) क्योंकि हर पल बदलने वाले इस संसार में कोई किसी का समय पर साथ नहीं देता
उत्तर – (क) क्योंकि हर पल बदलने वाले इस संसार में किसी भी चीज़ को पकड़कर बैठा नहीं जा सकता
प्रश्न 10 – किसी भी हथियार या दल-बल की आवश्यकता किसे नहीं होती?
(क) जिस तथ्य का आविष्कार विशेष लोगों के कल्याण के लिए किया गया हो उसे सुरक्षित रखने के लिए
(ख) जिस तथ्य का आविष्कार अपनी पीढ़ी के कल्याण के लिए किया गया हो उसे सुरक्षित रखने के लिए
(ग) जिस तथ्य का आविष्कार सभी के कल्याण के लिए किया गया हो उसे सुरक्षित रखने के लिए
(घ) जिस तथ्य का आविष्कार दुश्मनों के अकल्याण के लिए किया गया हो उसे सुरक्षित रखने के लिए
उत्तर – (ग) जिस तथ्य का आविष्कार सभी के कल्याण के लिए किया गया हो उसे सुरक्षित रखने के लिए