Class 9 NCERT Hindi (Course A) Kshitij Bhag-1 Chapter Wise difficult word meanings

 

Here, the difficult words and their meanings of all the Chapters of CBSE Class 9 Hindi (Course A) Kshitij Bhag-1  Book have been compiled for the convenience of the students. This is an exhaustive list of the difficult words and meanings of all the Chapters from the NCERT Class 9 Hindi Kshitij Bhag-1  Book. The difficult words’ meanings have been explained in an easy language so that every student can understand them easily.

 

 

Chapter 1 – Do Bailon Ki Katha (दो बैलों की कथा)

  1. परले दरजे का – ‘परले दर्जे का बेवकूफ़’ एक मुहावरा है जिसका मतलब है सबसे बड़ा बेवकूफ़
  2. पदवी – पहचान योग्य नाम या उपलब्धि 
  3. निरापद – सुरक्षित
  4. सहिष्णुता – सहनशीलता
  5. अनायास – बिना प्रयत्न के, सरलता से
  6. वैशाख – भारतीय कैलेंडर का दूसरा महीना
  7. कुलेल (कल्लोल) – क्रीड़ा
  8. विषाद – उदासी
  9. पराकाष्ठा – अंतिम सीमा
  10. दुर्दशा – दुर्गति, दुरावस्था
  11. सभ्य – शिष्ट, सुशील 
  12. कदाचित – कभी, शायद 
  13. गण्य – गणनीय, सम्मानित
  14. सर्वश्रेष्ठ – सब में अच्छा, सर्वोत्तम
  15. अड़ियल- अड़कर चलनेवाला, हठी 
  16. रीति– क़ायदा, नियम
  17. पछाई – पालतू पशुओं की एक नस्ल
  18. चौकस- ठीक, दुरुस्त
  19. डील– क़द, व्यक्तित्व
  20. मूक- भाषा- बिना शब्दों या उच्चारण की भाषा 
  21. गुप्त – छिपा हुआ, अपरिचित 
  22. विग्रह – अलगाव
  23. विनोद – मनोरंजन, क्रीड़ा
  24. आत्मीयता- अपनापन 
  25. घनिष्ठता – गहरी दोस्ती 
  26. धौल-धप्पा- दोस्ताना हाथा पाई
  27. चेष्टा – कोशिश 
  28. नाँद – गाय को चारा देने का पात्र 
  29. गोईं – जोड़ी
  30. हुँकार- ललकारने का शब्द
  31. पगहिया – पशु बाँधने की रस्सी
  32. ज़ालिम- ज़ुल्म करने वाला, अत्याचारी
  33. कनखी- तिरछी नज़र से देखना
  34. सोता पड़ गया- माहौल शान्त हो गया 
  35. पगहे- पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली रस्सी
  36. चरनी- पशुओं के चरने का स्थान
  37. गराँव– पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली दोहरी रस्सी।
  38. विद्रोहमय- उपद्रव युक्त
  39. प्रेमालिंगन- प्रेम में गले लगाना
  40. प्रतिवाद- विरोध
  41. नमकहराम- उपकार न माननेवाला
  42. आक्षेप- दोष लगाना 
  43. मजूर की कड़ी ताकीद- मजदूर को चौकन्ना करना 
  44. खाई- बहुत गहरा गड्ढा 
  45. चूनी- गेहूँ, चावल आदि का छोटा कण
  46. टिटकार – मुँह से निकलने वाला टिक-टिक का शब्द
  47. आहत- घायल, ज़ख्मी 
  48. व्यथा- आंतरिक क्लेश या दुःख
  49. मूक-भाषा- शब्द रहित भाषा, बिना उच्चारण की भाषा 
  50. व्यर्थ- बेकार, फालतू 
  51. ऐंठकर- घमंड दिखाकर 
  52. तेवर- क्रोध दिखाकर 
  53. टाल जाना– टरकाना, हटाना 
  54. मसलहत – हितकर
  55. आत्मीयता- अपनापन 
  56. बरकत- वृद्धि, लाभ 
  57. विद्रोह- उपद्रव, क्रांति
  58. मूक-भाषा- शब्द रहित भाषा, बिना उच्चारण के मन ही मन बातचीत 
  59. एकाध- गिनती में बहुत कम, एक आध।
  60. गराँव – फुँदेदार रस्सी जो बैल आदि के गले में पहनाई जाती है।
  61. बेतहाशा-बिना सोचे-समझे
  62. व्याकुल- बेचैन, परेशान
  63. ठेलने लगे– ढकेलने लगे 
  64. मूक-भाषा- जिसमें शब्द नहीं है न उच्चारण 
  65. आरजू- विनय, विनती 
  66. नौ-दो-ग्यारह- किसी जगह से तुरंत भाग जाना या तेज़ी से गायब हो जाना
  67. रगेदना – खदेड़ना
  68. जोखिम- खतरा, संकट
  69. लपके- अचानक तेजी से आगे बड़े 
  70. तजरबा– अनुभव 
  71. मल्लयुद्ध – कुश्ती
  72. रगेदा- बल प्रयोग करते हुए भगाना, खदेड़ना
  73. बेदम- दम रहित, जिसमें जान ही न बची हो 
  74. सांकेतिक भाषा- ऐसी भाषा जिसमें शब्दों का उपयोग नहीं किया गया हो 
  75. तिरस्कार- अपमान, अनादर
  76. बैरी- दुश्मन, शत्रु 
  77. ग्रास– कौर, निवाला 
  78. खुर- नख, सींगवाले पशुओं के पैरों का अगला सिरा
  79. कांजीहौस (काइन हाउस) – मवेशीखाना, वह बाड़ा जिसमें दूसरे का खेत आदि खाने वाले या लावारिस चौपाये बंद किए जाते हैं और कुछ दंड लेकर छोड़े या नीलाम किए जाते हैं।
  80. साबिका – वास्ता, सरोकार
  81. फाटक- बड़ा दरवाज़ा
  82. तृप्ति- आवश्यकता पूरी होने पर मिलनेवाली मानसिक शांति।
  83. विद्रोह- उपद्रव, क्रांति
  84. बूते पर– ताकत पर, बल पर 
  85. चिप्पड़- छोटा टुकड़ा, छाल 
  86. कांजीहौस- आवारा और लावारिस पशुओं को बंद करने की जगह
  87. उजड्डपन– असभ्यता, उद्दंडता
  88. बूते-भर- सामर्थ्य के अंदर या हदों के अंदर
  89. प्रतिद्वंद्वी- मुकाबला करनेवाला
  90. आज़माना- जाँचना, परखना
  91. अधमरा- लगभग मरने की स्थिति में पहुँचा हुआ
  92. चेत- होश, बोध 
  93. हरज- आपत्ति 
  94. स्वार्थी- अपना ही मतलब देखनेवाला 
  95. खलबली- हलचल होना, हल्ला होना 
  96. मरम्मत- बिगड़ी वस्तु को सुधारना, शारीरिक दण्ड 
  97. ठठरियाँ– बैलों का शरीर शव समान हो गया था, हड्डियाँ निकल आयीं थी 
  98. मृतक – मारा हुआ 
  99. मुद्रा- सिक्का, पैसा 
  100. अंतर्ज्ञान– मन का ज्ञान, बोध 
  101. भीत नेत्र– डरी हुई आँखें 
  102. नाहक- व्यर्थ, फालतू में 
  103. रेवड़ – पशुओं का झुंड
  104. पागुर- पागुर- जुगाली (पशुओं द्वारा थोड़ा-थोड़ा चारा चबाना)
  105. परिचित राह- जाना पहचाना रास्ता 
  106. प्रतिक्षण– हर एक पल 
  107. उन्मत्त – मतवाला
  108. कुलेलें- मजे में खेलना 
  109. थान – पशुओं के बाँधे जाने की जगह
  110. मवेशीखाना- पशुबंदी गृह
  111. शूर- बहादुर 
  112. उछाह – उत्सव, आनंद

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Chapter 2 – Lhasa Ki Or (ल्हासा की ओर)

  1. निम्नश्रेणी- नीचे स्तर का
  2. टोटीदार बर्तन– नल के जैसा मुँह वाला बर्तन
  3. मथना-  किसी तरल पदार्थ को लकड़ी आदि से हिलाना या चलाना जिससे वह पूरी तरह घुल जाए 
  4. परित्यक्त- जिसे छोड़ दिया गया हो
  5. थोङ्ला – तिब्बती सीमा का एक स्थान
  6. दोनों चिटें – जेनम्‌ गाँव के पास पुल से नदी पार करने के लिए जोङ्‌पोन्‌ (मजिस्ट्रेट) के हाथ की लिखी लमयिक्‌ (राहदारी) जो लेखक ने अपने मंगोल दोस्त के माध्यम से प्राप्त की।
  7. सुमति – लेखक को यात्रा के दौरान मिला मंगोल भिक्षु जिसका नाम लोब्ज़ङ् शेख था। इसका अर्थ है सुमति प्रज्ञ।  अत: सुविधा के लिए लेखक ने उसे सुमति नाम से पुकारा है।
  8. मनोवृत्ति- मन का सोचना
  9. निर्भर- आश्रित
  10. छङ्-  एक तरह का नशीला पेय
  11. परित्यक्त- जिसे छोड़ दिया गया हो
  12. राहदारी- रास्ते में लिया जाने वाला कर, टैक्स, शुल्क
  13. चिटें- यात्रा पास या अनुमति पत्र
  14. डाँड़ा – ऊँची ज़मीन
  15. थोङ्ला – तिब्बती सीमा का एक स्थान
  16. खुफ़िया-विभाग- ऐसा छुपा हुआ विभाग जो जानकारी रखता हो
  17. डकैत- डाकू, लुटेरा
  18. निर्जन- एकांत जगह, जहाँ लोग न हों
  19. गवाह- गवाह वह व्यक्ति होता है जो जानता है या जानने का दावा करता है। 
  20. थोङ्ला – तिब्बती सीमा का एक स्थान
  21. भीटे – टीले के आकार का-सा ऊँचा स्थान
  22. पिछड़- जो पीछे रह गया हो
  23. दोन्क्विक्स्तो – स्पेनिश उपन्यासकार सार्वेंतेज (17वीं शताब्दी) के उपन्यास ‘ डॉन क्विक्ज़ोट’ का नायक, जो घोड़े पर चलता था।
  24. मंगोलों- मंगोल लोग जो मंगोलिया के रहने वाले हैं
  25. कंडे – गाय-भैंस के गोबर से बने उपले जो ईंधन के काम में आते हैं।
  26. सत्तू – भूने हुए अन्न (जौ, चना) का आटा
  27. थुक्पा – सत्तू या चावल के साथ मूली, हड्डी और माँस के साथ पतली लेई की तरह पकाया गया खाद्य-पदार्थ
  28. यजमान- परिचित
  29. गंडा – मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ धागा या कपड़ा
  30. चिरी – फाड़ी हुई
  31. भरिया – भारवाहक
  32. कड़ी- तेज
  33. यजमान- यज्ञ करने वाला, यहाँ, बुद्ध धर्म को मानने वाले या अनुयायी
  34. भेष- दिखावट, रूप 
  35. कन्जुर- भगवान बुद्ध के वचनों की हाथ से लिखी गयी और  अनुवाद की गयीं पुस्तकें हैं।
  36. पोथियाँ- छोटी पुस्तकें
  37. सेर- सेर नापने की इकाई है, जिसका अर्थ 933 ग्राम के बराबर है, यानि एक किलोग्राम से थोड़ा कम।

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Chapter 3 – Upbhoktavad ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति)

  1. वर्चस्व – प्रधानता, श्रेष्ठ या मुख्य होने की अवस्था
  2. उपभोक्तावाद – ऐसी सामाजिक व्यवस्था जिसमें उपभोग करने की वरीयता दी जाती है
  3. शैली – ढंग, तरीका, रीति
  4. निरंतर – लगातार
  5. विज्ञापित – प्रचारित/सूचित
  6. सौंदर्य प्रसाधन – सुंदरता बढ़ाने वाली सामग्री
  7. चमत्कृत – आश्चर्यचकित
  8. संभ्रांत – प्रतिष्ठित, सम्मानित
  9. परिधान – वस्त्र
  10. अनंत – जिसका अंत न हो 
  11. सामंती संस्कृति – विशिष्ठ जनों की जीवन-शैली 
  12. अस्मिता – अस्तित्व, पहचान
  13. अवमूल्यन – मूल्य गिरा देना
  14. क्षरण – नाश
  15. दासता – गुलामी, बंधन
  16. उपनिवेश – वह विजित देश जिसमें विजेता राष्ट्र के लोग आकर बस गए हों
  17. प्रतिमान – मानदंड
  18. प्रतिस्पर्धा – होड़
  19. छ्द्म – बनावटी
  20. दिग्भ्रमित – रास्ते से भटकना, दिशाहीन
  21. वशीकरण – वश में करना 
  22. संसाधन – भरण-पोषण, विकास आदि की सामग्री, साधन-सामग्री
  23. बहुविज्ञापित – जिन वस्तुओं का विज्ञापनों के द्वारा अधिक प्रचार किया जाता है 
  24. शीतल पेयों – ठंडक देने वाली पीने की सामग्री जैसे – जूस इत्यादि 
  25. अपव्यय – फ़िजूलखर्ची
  26. सरोकार – परस्पर व्यवहार का संबंध, लगाव
  27. आक्रोश – क्रोध 
  28. अस्मिता – पहचान 
  29. ह्रास – पतन 
  30. लक्ष्य-भ्रम – अपने लक्ष्य या उद्देश्य से भटकना 
  31. तुष्टि – संतोष या तृप्ति 
  32. तात्कालिक – उसी समय का
  33. मर्यादा – सीमा, हद 
  34. नैतिक – निति के अनुसार होने वाला (व्यवहार या आचरण)
  35. मापदंड – मापने का पैमाना 
  36. परमार्थ – दूसरों की भलाई
  37. नींव – मूल, जड़, आधार 

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Chapter 4 – Sawle Sapno Ki Yaad (साँवले सपनों की याद)

  1. हुजूम – जनसमूह, भीड़
  2. वादी – घाटी
  3. परिंदों- पक्षी
  4. साँवले– हल्का काला
  5. अग्रसर – आगे बढ़ा हुआ
  6. सैलानी- सैर का शौकीन
  7. पलायन – दूसरी, जगह चले जाना, भागना
  8. विलीन – अदृश्य होना, लुप्त हो जाना
  9. हरारत – उष्णता या गर्मी, हल्का बुखार 
  10. आबशार – निर्झर, झरना
  11. उत्सुक – बेचैन
  12. भीतर– अंदर
  13. सोता फूटना – यह एक मुहाबरा है, जिसका अर्थ है आनंद की अनुभूति होना
  14. मिथक – प्राचीन पुराकथाओं का तत्व, जो नवीन स्थितियों में नए अर्थ का वहन करता है।
  15. रासलीला – कृष्ण और गोपियों की प्रेममयी लीलाएँ
  16. शोख – चंचल
  17. भाँड़े – बर्तन, बासन
  18. दूध-छाली – गर्म दूध के ठंडा होने पर ऊपर जमी मलाई की परत
  19. वाटिका- बागीचा
  20. विश्राम – आराम
  21. साँवला –  हल्का काला, श्यामवर्ण का
  22. हिदायत – रास्ता दिखाना
  23. मिथक – प्राचीन पुराकथाओं का तत्व, जो नवीन स्थितियों में नए अर्थ का वहन करता है।
  24. शती – सौ वर्ष का समय
  25. हिफ़ाज़त –  रक्षा करना
  26. दूरबीन – दूर तक देखनेवाला यंत्र 
  27. बर्ड वाचर (Bird Watcher) – जो व्यक्ति पक्षियों को देखता है या पक्षियों को देखना पसंद करता है।
  28. एकांत – अकेला, अलग
  29. क्षितिज – वह स्थान जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते दिखाई देते हैं।
  30. कायल – स्वीकार करने वाला
  31. गढ़ना – बनाना
  32. सहपाठी – साथ पढ़नेवाला।
  33. रोमांचकारी जीवन – रोंगटे खड़े कर देनेवाला, मजा आ जाने वाला
  34. साइलेंट वैली – साइलेंट वैली नेशनल पार्क पालक्कड जिले केरल में स्थित है।
  35. सोंधी – सुगंधित, मिट्टी पर पानी पड़ने से उठने वाली गंध
  36. संकल्प – दृढ़ निश्चय, विचार, इरादा
  37. वकालत –  प्रस्ताव का समर्थन करने की क्रिया
  38. आत्मकथा- अपनी खुद की कहानी
  39. अनुरोध – प्रार्थना
  40. असंभव – मुश्किल, जो हो न सके
  41. गोरैया – चिड़िया 
  42. जटिल– कठिन
  43. एयरगन – हवाई बन्दूक, जिसमें बारूद का उपयोग नहीं होता
  44. डिगना – हिलना, हटना
  45. नैसर्गिक – सहज, स्वाभाविक
  46. प्रतिरूप – प्रतिमा, मूर्ति
  47. यायावरी – यात्रा करने वाला, घुमक्कड़ी
  48. सुराग – निशान, सबूत 

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Chapter 5 – Premchand Ke Fate Joote (प्रेमचंद के फटे जूते)

  1. कनपटी – कान और आँख के बीच का स्थान
  2. उभरना – प्रकट होना, निकलना 
  3. बंद – फीता
  4. बेतरतीब – अव्यवस्थित
  5. पोशाक– कपड़े 
  6. साहित्यिक – साहित्य शास्त्र के विद्वान्
  7. पुरखे – पूर्वज
  8. लज्जा – शर्म
  9. विचित्र – अनोखी
  10. उपहास – खिल्‍ली उड़ाना, मज़ाक उड़ाने वाली हँसी
  11. आग्रह – पुनः पुनः निवेदन करना
  12. ट्रेजडी – दुखद घटना, दुर्भाग्यपूर्ण घटना
  13. क्लेश – दुख
  14. व्यंग्य – कटाक्ष, ताना
  15. आनुपातिक – अनुपात के विचार या दृष्टि से होने वाला, जो अनुपात की दृष्टि से ठीक या उचित हो
  16. विडंबना – अपेक्षित और घटित के बीच होने वाली असंगति
  17. पैनी – तेज़, तीखी
  18. ठाठ – वैभव, शोभा, सजावट, शान 
  19. हौसला – साहस, धैर्य
  20. पस्त होना – जो हार गया हो
  21. तगादा – किसी कार्य के लिए बार-बार कहना, तकाज़ा, अनुरोध, आग्रह
  22. कुम्भनदास – कुम्भनदास परम भगवद्भक्त, आदर्श गृहस्थ और महान विरक्त थे
  23. पन्हैया – देशी जूतियाँ
  24. बिसरना – भूल जाना
  25. होरी – होरी गोदान उपन्यास का नायक है। इसमें आदि से अंत तक होरी की दयनीय और संघर्षपूर्ण गाथा कही गई है। वह भारतीय कृषक वर्ग का प्रतिनिधि है।
  26. नेम – नियम
  27. धरम – कर्तव्य
  28. घृणित – निंदित, तिरस्कृत
  29. बरकाकर – बचाकर

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Chapter 6 – Mere Bachpan Ke Din (मेरे बचपन के दिन)

  1. स्मृतियों- यादों
  2. विचित्र-सा- अजीब सा
  3. आकर्षण- खिंचाव
  4. परिस्थितियाँ- हालात
  5. पीढ़ी- कुल, वंश परंपरा में क्रम–क्रम से बढ़नेवाली संतान की प्रत्येक कड़ी
  6. उत्पन्न- पैदा
  7. प्राय:- अक्सर
  8. परमधाम – स्वर्ग
  9. खातिर- सेवा करना
  10. वातावरण- माहौल
  11. पंचतंत्र- पंडित विष्णु शर्मा की रचना है, जिसमें कहानियाँ हैं। 
  12. विदुषी- विद्वान् स्त्री
  13. वश- काबू
  14. मौलवी- इस्लाम धर्म का आचार्य
  15. उपरांत- बाद में
  16. मिशन स्कूल- ईसाई द्वारा चलाए जाने वाले धार्मिक स्कूल
  17. मेस- भोजन करने का स्थान 
  18. छात्रावास- वह स्थान जहाँ छात्र रहते हैं, जिसे हॉस्टल भी कहते हैं।
  19. साथिन- सहेली
  20. दर्जे- श्रेणी या स्तर
  21. सीनियर- पद में बड़ा
  22. तुक- शब्दों के अंत में एक जैसी ध्वनि का मेल, जैसे कविता में तुकबंदी।
  23. पद- कविता का प्रकार
  24. विशेष रूप से- खास तौर पर
  25. प्रभाती- सवेरे गाया जाने वाला गीत
  26. ब्रजभाषा- ब्रज क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा
  27. आरंभ- शुरुआत
  28. प्रतिष्ठित- सम्मानित
  29. डेस्क- मेज
  30. अपराधी- जो व्यक्ति अपराध (गलत काम) करता है।
  31. होस्टल- छात्रावास, वह स्थान जहाँ छात्र रहते हैं। 
  32. पत्रिका- जिसमें लेख छपते हैं
  33. दर्पण– आइना
  34. कवि-सम्मेलन- कवियों की बैठक या आयोजन जहाँ वे अपनी कविताएँ सुनाते हैं
  35. प्रचार-प्रसार- किसी चीज़ या विचार का फैलाव
  36. सत्याग्रह- सत्य के प्रति आग्रह, गांधी जी द्वारा चलाया गया एक आंदोलन
  37. स्वतंत्रता- आज़ादी
  38. संघर्ष- कठिन मेहनत करना
  39. केंद्र- मुख्य स्थान
  40. अध्यक्ष- किसी सभा, बैठक, या संगठन का प्रमुख व्यक्ति
  41. पुरस्कार- ईनाम
  42. पदक – (प्रशंसासूचक पुरस्कार) सोने-चाँदी या अन्य धातु से बना हुआ गोल या चौकोर टुकड़ा जो किसी विशेष अवसर पर पुरस्कार के रूप में दिया जाता है।
  43. घटना- कुछ घटित होना, हादसा
  44. नक्काशीदार – बेल-बूटे के काम से युक्त
  45. पीतल- एक मिश्र धातु
  46. फूल – ताँबे और राँगे के मेल से बनी एक मिश्र धातु
  47. मराठी- महाराष्ट्र राज्य की मुख्य भाषा
  48. अवकाश- छुट्टी
  49. उस्तानी- एक महिला शिक्षक या गुरु
  50. इकड़े-तिकड़े- इधर-उधर (मराठी भाषा के शब्द)
  51. सांप्रदायिकता- विभिन्न धर्मों या समुदायों के बीच आपसी भेदभाव
  52. अवधी- अवध क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा
  53. बुंदेली- बुंदेलखंड क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा
  54. विवाद- झगड़ा
  55. विद्यापीठ- शिक्षा का स्थान
  56. संस्कार- व्यक्ति को अच्छे गुणों से सजाना
  57. नवाब- मुस्लिम रियासतों के शासक
  58. कंपाउंड- एक क्षेत्र जो दीवार से घिरा हो, जैसे किसी बंगले या स्कूल का प्रांगण।
  59. निराहार – बिना कुछ खाए-पिए
  60. लहरिया – रंग-बिरंगी धारियों वाली विशेष प्रकार की साड़ी जो सामान्यतः तीज, रक्षाबंधन आदि त्यौहारों पर पहनी जाती है।
  61. मुहर्रम- इस्लामी वर्ष का पहला महीना
  62. नेग- शगुन या पारंपरिक उपहार
  63. प्रोफ़ेसर- विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ाने वाला वरिष्ठ अध्यापक
  64. वाइस चांसलर – कुलपति
  65. निकट- पास 

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Chapter 7 – Sakhiyan, Sabad (साखियाँ, सबद)

साखियाँ

  1. मानसरोवर – मन रूपी सरोवर अर्थात हृदय
  2. सुभर – अच्छी तरह भरा हुआ
  3. जल – भक्तिभाव
  4. हंसा – हंस पक्षी, जीवात्मा
  5. केलि – क्रीड़ा, जीवन यापन
  6. कराहिं – करना
  7. मुकुताफल – मोती, मुक्ति
  8. उड़ि – उड़कर
  9. अनत – कहीं और
  10. जाहिं – जाते हैं
  11. प्रेमी – प्रेम करने वाला, प्रभु का भक्त
  12. ढूँढ़त – ढूँढ़ता है
  13. मैं – अहंकार
  14. फिरौं – घूमता है
  15. विष – जहर, दुःख
  16. अमृत – सुख
  17. होइ – हो जाता है
  18. हस्ती – हाथी, ज्ञान
  19. सहज – स्वाभाविक
  20. दुलीचा – कालीन, छोटा आसन, सहजता
  21. स्वान (श्वान) – कुत्ता, बिना मतलब के हस्तक्षेप करने वाले लोग
  22. भूँकन – भौंकना, निंदा करना
  23. झख मारि – मजबूर होना, वक्त बरबाद करना
  24. पखापखी – पक्ष-विपक्ष
  25. कारनै – कारण
  26. भुलान – भूला हुआ
  27. निरपख – निष्पक्ष
  28. भजै – भजन, याद करना
  29. सोई – वही
  30. सुजान – चतुर, ज्ञानी
  31. मूआ – मरना
  32. सो – वही
  33. जीवता – जीता है
  34. दुहुँ – दोनों
  35. निकटि – निकट, नज़दीक
  36. जाइ – जाना
  37. काबा – मुसलमानों का पवित्र तीर्थ स्थल
  38. कासी – हिंदुयों का पवित्र तीर्थ स्थल
  39. भया – हो गया
  40. मोट चून – मोटा आटा
  41. बैठि – बैठकर
  42. जीम – भोजन करना
  43. ऊँचे कुल – ऊँचा कुल, अच्छा खानदान
  44. जनमिया – जन्म लेकर
  45. करनी – कर्म
  46. सुबरन – सोने का
  47. कलस – घड़ा
  48. सुरा – शराब
  49. निंदा – बुराई
  50. सोइ – उसकी

सबद (पद) 

  1. मोकों – मुझे
  2. बंदे – व्यक्ति, मनुष्य
  3. देवल – मंदिर
  4. कौने – किसी
  5. क्रिया-कर्म – पूजा-पाठ
  6. खोजी – खोजना, ढूँढना
  7. होय तो – हो तो
  8. तुरतै – तुरंत, उसी समय
  9. मिलिहौं – मिल सकता हूँ
  10. तालास – तलाश, खोज
  11. साधो – सज्जन
  12. स्वाँसों – साँस लेने वाले
  13. स्वाँस – साँस 
  14. टाटी – परदे के लिए लगाए हुए बाँस आदि की फट्टियों का पल्ला
  15. उड़ाणी – उड़ गईं
  16. हित चित – चित्त की दो अवस्थाएँ
  17. थूँनी – स्तंभ, टेक
  18. गिरानी – गिर गई
  19. बलिंडा – छप्पर की मज़बूत मोटी लकड़ी
  20. त्रिस्ना – तृष्णा, चाह
  21. छाँनि – छप्पर
  22. कुबुधि – कुबुद्धि, कुविचार
  23. भाँडा – बर्तन
  24. जोग जुगति – सोच-विचार
  25. निरचू – थोड़ा भी
  26. चुवै – चूता है, रिसता है, टपकना
  27. पाणीं – पानी
  28. कूड़ – कूड़ा, छल-कपट
  29. काया – शरीर और मन
  30. निकस्या – निकल गया
  31. हरि की गति – ईश्वर का स्वरूप या कृपा
  32. बूठा – बरसा
  33. जन – भक्त
  34. भींनाँ – भीग गया, मग्न हो गया
  35. भाँन – सूर्य, ज्ञान
  36. तम – अंधकार, अज्ञान
  37. खीनाँ – क्षीण हुआ

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Chapter 8 – Vakh (वाख)

  1. वाख – वाणी, शब्द या कथन, यह चार पंक्तियों में बद्ध कश्मीरी शैली की गेय रचना है।
  2. रस्सी कच्चे धागे की – कमज़ोर और नाशवान सहारे
  3. कच्चे सकोरे – स्वाभाविक रूप से कमज़ोर
  4. नाव – जीवन रूपी नाव
  5. हूक- तड़प
  6. चाह- इच्छा।
  7. सम (शम) – अंत:करण तथा बाह्य-इंद्रियों का निग्रह
  8. समभावी – समानता की भावना
  9. खुलेगी साँकल बंद द्वार की – चेतना व्यापक होगी, मन मुक्त होगा
  10. गई न सीधी राह – जीवन में सांसारिक छ्ल-छद्मों के रास्ते पर चल रही
  11. सुषुम-सेतु – सुषुम्ना नाड़ी रूपी पुल, हठयोग में शरीर की तीन प्रधान नाड़ियों में से एक नाड़ी (सुषुम्ना), जो नासिक के मध्य भाग (ब्रह्मरंध्र) में स्थित है।
  12. जेब टटोली – आत्मालोचन किया
  13. कौड़ी न पाई – कुछ प्राप्त न हुआ
  14. माझी – ईश्वर, गुरु, नाविक
  15. उतराई – सद्कर्म रूपी मेहताना
  16. थल-थल – सर्वत्र
  17. शिव – ईश्वर
  18. साहिब – स्वामी, ईश्वर

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Chapter 9 – Savaiye (सवैये)

  1. मानुष – मनुष्य
  2. बसौं – बसना, रहना
  3. ग्वारन – ग्वाले
  4. पसु – पशु
  5. कहा बस – वश में न होना
  6. चरों – चरता रहूँ
  7. नित – हमेशा
  8. धेनु – गाय
  9. मँझारन – बीच में
  10. पाहन – पत्थर
  11. गिरि – पहाड़
  12. छत्र – छाता
  13. पुरंदर – इंद्र
  14. धारन – धारण किया
  15. खग – पक्षी
  16. बसेरो – निवास करना
  17. कालिंदी – यमुना
  18. कूल – किनारा
  19. कदंब – एक वृक्ष
  20. डारन – शाखाएँ, डाल
  21. या – इस
  22. लकुटी – लाठी
  23. कामरिया – छोटा कंबल
  24. तिहूँ – तीनों
  25. पुर – लोक
  26. तजि डारौं – त्याग दूँ
  27. नवौ निधि – नौ निधियाँ
  28. बिसारौं– भूलूँ
  29. तड़ाग – तालाब
  30. निहारौं – देखता हूँ
  31. कोटिक – करोड़ों
  32. कलधौत के धाम – सोने–चाँदी के महल
  33. करील – काँटेदार झाड़ियाँ
  34. कुंजन – लताओं से भरा स्थान
  35.  वारौं – न्योछावर करना  
  36. मोरपखा – मोर के पंखों से बना मुकुट
  37. राखिहौं – रखूँगी
  38. गुंज – एक जंगली पौधे का छोटा–सा फल
  39. गरें – गले में
  40. पहिरौंगी – पहनूँगी
  41. पितंबर – पीलावस्त्र
  42. गोधन – गाय रूपी धन
  43. ग्वारिन – ग्वालों के
  44. फिरौंगी – घूमूँगी
  45. भावतो – अच्छा लगना
  46. वोहि – जो कुछ
  47. स्वाँग – रूप धारण करना
  48. करौंगी – करूँगी
  49. मुरलीधर – कृष्ण
  50. अधरा – होंठों पर
  51. धरौंगी – रखूँगी
  52. काननि – कानों में
  53. दै – देकर।
  54. अँगुरी – उँगली
  55. रहिबो–रहूँगी
  56. धुनि – धुन
  57. मंद – मधुर स्वर में
  58. बजैहै – बजाएँगे
  59. मोहनी – मोहनेवाली
  60. तानन  सों – तानों / धुनों  से
  61. अटा  – अट्टालिका, ऊँचे भवन
  62. गोधन – गायों का समूह, गाय के रूप में होने वाली संपत्ति
  63. गैहै – गाते हैं
  64. टेरि – पुकारकर बुलाना
  65. सिगरे – सारे
  66. काल्हि – कल
  67. समुझैहै – समझाएँगे
  68. माइ री –हे माई / माँ
  69. वा – उस
  70. सम्हारी – सँभाली
  71. जैहै – नहीं जाएगी

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Chapter 10 – Kaidi Aur Kokila (कैदी और कोकिला)

  1. कोकिल- कोयल (यहाँ विद्रोह और क्रांति का प्रतीक)
  2. बटमार – रास्ते में यात्रियों को लूट लेने वाला
  3. तम- अन्धकार
  4. हिमकर – चंद्रमा
  5. कालिमामयी- काली
  6. आली- सखी 
  7. हूक- कसक या पीड़ा युक्त आवाज़
  8. वेदना- पीड़ा
  9. मृदुल- कोमल
  10. वैभव- समृद्धि
  11. बावली- पागल
  12. अर्द्धरात्रि- आधी रात
  13. दावानल – जंगल की आग
  14. ज्वालाएँ- आग की लपटें 
  15. जंजीर – बेड़ियाँ, हथकड़ियाँ
  16. गहना – आभूषण, जेवर
  17. हथकड़ी – हाथ में पहनाई जाने वाली जंजीर
  18. ब्रिटिश-राज – ब्रिटिश शासन
  19. कोल्हू – बैलों द्वारा चलाया जाने वाला तेल निकालने का यंत्र
  20. चर्रक-चूँ – कोल्हू की आवाज़
  21. तान – संगीत की धुन या स्वर
  22. गिट्टी – छोटे पत्थर
  23. अँगुली – हाथ की उंगली
  24. मोट – पुर चरसा (चमड़े का डोल जिससे कुँए आदि से पानी निकाला जाता है।)
  25. जूआ (जुआ) – बैलों के कंधों पर रखी जाने वाली लकड़ी
  26. अकड़ – घमंड, अभिमान
  27. कूँआ – कुआँ (जल स्रोत), यहाँ शोषण का प्रतीक
  28. करुणा – दया, संवेदना
  29. गज़ब ढाना – अत्याचार करना
  30. आली – रानी, शासक वर्ग
  31. अंधकार – अँधेरा, अज्ञान
  32. बेध – चीरना, पार करना
  33. मधुर विद्रोह-बीज – मीठे शब्दों में क्रांति का संदेश
  34. भाँति – प्रकार, तरीके
  35. काली – काला रंग
  36. रजनी – रात्रि, रात
  37. शासन – सरकार, सत्ता
  38. करनी – कर्म, कार्य
  39. लहर – तरंग, प्रभाव
  40. कल्पना – विचार, सोच
  41. काल कोठरी – अंधकारमय कारागार, जेल
  42. कमली – ऊनी चादर
  43. लौह-शृंखला – लोहे की जंजीरें, बेड़ियाँ
  44. पहरे – निगरानी, सुरक्षा
  45. हुंकृति – हुँकार
  46. ब्याली – सर्पिणी
  47. गाली – अपमानजनक शब्द
  48. संकट-सागर – कठनाईयों से भरा जीवन
  49. मरने की, मदमाती – मौत को गले लगाने की चाहत
  50. चमकीले गीत – क्रांति के प्रेरणादायक शब्द
  51. तैराना – बहाना, फैलाना
  52. हरियाली – हरा-भरा वातावरण
  53. डाली – पेड़ की शाखा
  54. नसीब – भाग्य
  55. कोठरी काली – अंधेरी जेल, कारागार
  56. नभ – आकाश
  57. संचार – गति, स्वतंत्रता
  58. दस फुट का संसार – जेल की छोटी सी कोठरी, सीमित जीवन
  59. गुनाह – अपराध
  60. विषमता – असमानता, भेदभाव
  61. रणभेरी – युद्ध का बिगुल, संघर्ष का आह्वान
  62. कृति – कार्य, कर्म
  63. मोहन – मोहनदास करमचंद गाँधी
  64. व्रत – संकल्प
  65. प्राणों के आसव – जीवन का सार, आत्मा
  66. भर दूँ – समर्पित कर दूँ, अर्पण कर दूँ

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Chapter 11 – Gram Shree (ग्राम श्री)

  1. तलक – तक
  2. रवि – सूर्य
  3. उजली – साफ़, स्वच्छ
  4. तन – शरीर
  5. हिल – हिलना
  6. हरित – हरा
  7. रुधिर – खून
  8. झलक – झलकना, गिरना
  9. श्यामल – साँवली
  10. भू – भूमि, मिट्टी
  11. नभ – आकाश
  12. चिर – हमेशा
  13. निर्मल – साफ़
  14. नील – नीला
  15. फलक – सतह
  16. वसुधा – धन देने वाला
  17. बाली – फली, फसल
  18. सनई – एक पौधा जिसकी छाल के रेशे से रस्सी बनाई जाती है
  19. किंकिंणी – वह करधनी जिसमें छोटे-छोटे घुँघरू लगे हों
  20. भीनी – हल्दी और मीठी (खुशबू)
  21. तैलाक्त – जिसमें तेल लगा हो, तैलयुक्त
  22. हरित – हरा
  23. धरा – पृथ्वी, धरती, जमीन
  24. नीलम – एक प्रकार का रत्न
  25. तीसी – अलसी
  26. रिलमिल – मिलझुल कर
  27. मखमली – कोमल
  28. पेटियों – संदूकों
  29. छीमियाँ – फलियाँ
  30. वृंत – डंठल
  31. रजत – चांदी
  32. स्वर्ण – सोना
  33. मंजरी – नया निकला हुआ कोमल पत्ता
  34. आम्र – आम
  35. तरु – पेड़
  36. ढाक – पलाश का वृक्ष
  37. कोकिला – कोयल
  38. मतवाली – मदमस्त
  39. मुकुलित – आधे पके – आधे कच्चे
  40. दाड़िम – अनार
  41. चित्तियाँ – दाग
  42. सुनहले – सुनहरे
  43. अँवली – छोटा आँवला
  44. महमह – सुगंध या ख़ुशबू के साथ
  45. मिरचों – मिर्च
  46. अंकित – निशान किया हुआ , दागदार , चिह्नित
  47. सतरंगी – सात रंग की
  48. सरपत – घास-पात
  49. सुरखाब – चक्रवाक पक्षी
  50. पुलिन – नदी आदि का तट, तीर, किनारा
  51. मगरौठी – एक जलपक्षी
  52. हिम-आतप – सर्दी की धूप
  53. अँधियाली – आधी रात का समा
  54. निशि – रात
  55. तारक – तारे
  56. मरकत – पन्ना नामक रत्न
  57. नीलम – ‘नीलम’ रूपी नीले रंग का रत्न
  58. आच्छादन – छाया हुआ
  59. निरुपम – जिसकी कोई उपमा न हो, अतुलनीय, बेजोड़
  60. हिमांत – शीत ऋतु का अंत
  61. स्निग्ध – सुंदर, सौम्य
  62. हरता – आकर्षित करना

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Chapter 12 – Megh Aaye (मेघ आए)

  1. मेघ – बादल
  2. बन-ठन के, सँवर के – सजे-धजे, सुंदर रूप में
  3. बयार – ठंडी हवा
  4. आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली – वर्षा के आगमन की खुशी में हवा बहने लगी, शहरी मेहमान के आगमन की खबर सारे गाँव में तेज़ी से फैल गई
  5. पाहुन – अतिथि (विशेष रूप से दामाद)
  6. पेड़ झुक झाँकने लगे – पेड़ हवा में झुककर बादलों को देखने लगे
  7. गरदन उचकाए – उत्सुकतापूर्वक सिर उठाना
  8. धूल भागी घाघरा उठाए – धूल तेज़ हवा में उड़ने लगी, जैसे स्त्रियाँ घाघरा संभालकर दौड़ रहीं हों
  9. बाँकी चितवन – बाँकपन लिए दृष्टि , तिरछी नज़र
  10. नदी ठिठकी – नदी का जल थम-सा गया
  11. घूँघट सरके – संकोचवश घूँघट थोड़ा हट गया
  12. बूँढ़े पीपल – पुराना (बूढ़ा) पीपल का पेड़
  13. जुहार करना – आदर के साथ झुककर नमस्कार करना
  14. बरस बाद सुधि लीन्हीं – कई वर्षों बाद याद किया
  15. अकुलाई लता – व्याकुल लता (बेल)
  16. ओट हो किवार की – दरवाजे की आड़ में छिपकर
  17. हरसाया ताल – प्रसन्न हुआ तालाब
  18. पानी परात भर के – पानी से भरी परात (बर्तन) लाया
  19. क्षितिज-अटारी गहराई – अटारी पर पहुँचे अतिथि की भाँति क्षितिज पर बादल छा गए
  20. दामिनी दमकी – बिजली चमकी , तन-मन आभा से चमक उठा
  21. क्षमा करो गाँव खुल गई अब भरम की – बादल नहीं बरसेगा का श्रम टूट गया, प्रियतम अपनी प्रिया से अब मिलने नहीं आएगा – यह श्रम टूट गया
  22. बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके – मेघ झर-झर बरसने लगे, प्रिया-प्रियतम के मिलन से खुशी के आँसू छलक उठे

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Chapter 13 – Bachche Kaam Par Ja Rahe Hain (बच्चे काम पर जा रहे हैं)

  1. कोहरा – धुंध
  2. विवरण – व्याख्या, स्पष्ट करना, वर्णन 
  3. अंतरिक्ष – पृथ्वी के वातावरण से बाहर
  4. दीमक –  चींटी की जाति का सफ़ेद रंग का एक छोटा कीड़ा जो समूह में रहता है और कागज़, लकड़ी, पौधों आदि को खा जाता है
  5. भूकंप – भूचाल, पृथ्वी की सतह का हिलना
  6. ढह – गिरना, नष्ट होना
  7. मदरसा – विद्यालय 
  8. हस्बमामूल – यथावत, हमेशा की तरह

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