CBSE Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 8 Bade Bhai Sahab Question Answers from previous years question papers (2019-2024) with Solutions
Bade Bhai Sahab Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course B) Sparsh Bhag 2 Book Chapter 8, “Bade Bhai Sahab”.
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ से उद्धृत पंक्ति – ‘तालीम जैसे महत्त्व के मामले में ज़ल्दबाज़ी से काम लेना पसंद नहीं करते थे।’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि शिक्षा प्राप्त करना कोई जल्दबाजी का कार्य नहीं है। शिक्षा को सही मायने में तभी हासिल किया जा सकता है जब विद्यार्थी पुस्तक में लिखी बातों को रटने के बजाए समझना प्रारम्भ करे और अपने जीवन में भी उसका सही उपयोग करे। शिक्षा जीवन का सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि बिना शिक्षा के मनुष्य का जीवन कोई मायने नहीं रखता।
प्रश्न 2 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी से उद्धृत पंक्ति – ‘बुनियाद ही पुख्ता न हो तो, मकान कैसे पायदार बने।’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि जिस प्रकार एक मकान को मजबूत तथा टिकाऊ बनाने के लिए उसकी नींव को गहरा तथा ठोस बनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार से जीवन को अच्छा व् सफल बनाने के लिए जीवन की नींव का मजबूत होना आवश्यक है और जीवन की नींव को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा रूपी भवन की नींव भी बहुत मज़बूत होनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना जीवन रूपी मकान पायेदार नहीं बन सकता।
प्रश्न 3 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी से उद्धृत इस पंक्ति – ‘सफल खिलाड़ी वह है जिसका कोई निशाना खाली न जाए।’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि जीवन में सफल व्यक्ति उसी को माना जाता है जो अपने सभी कार्य सफलतापूर्वक पूरे करता है। सफल बनने और सभी कार्यों को बिना किसी रुकावट से पूर्ण करने के लिए एक व्यक्ति को योजना व् अनुशासन की आवश्यकता होती है। सभी परेशानियों को पार करते हुए जब कोई व्यक्ति अपनी मंजिल को प्राप्त करता है तभी उसे एक सफल व्यक्ति माना जाता है।
प्रश्न 4 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के अनुसार एक जमाना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायक तहसीलदार हो जाते थे, वर्तमान में क्या स्थिति है और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के अनुसार एक जमाना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायक तहसीलदार हो जाते थे, उस समय की परिस्थितियाँ ही ऐसी होती थी कि हर कोई शिक्षा को महत्त्व नहीं देता था। इसका सबसे बड़ा कारण गरीबी था, जिसके कारण लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के बजाए काम काज सिखाते थे। ताकि वे अपने जीवनयापन का जरिया खोज सके। इस कारण उस जमाने में काम पढ़े-लिखे लोग भी ऊँचे दर्जे के पद हासिल कर लेते थे।
वर्तमान में भी कुछ हद तक परिस्थितियाँ समान ही हैं। कम काबलियत रखने के बावजूद भी कुछ व्यक्ति ऊँची जान-पहचान के कारण ऊँचे मुकाम हासिल कर लेते हैं। या फिर नकली डिग्रियाँ बनवाकर अथवा पैसों के बल पर ऊँचा पद हासिल करते हैं। इन सभी कारणों से राष्ट्र की उन्नति पर गलत असर होता है और गैरज़िम्मेदार व्यक्तियों के हाथों में शक्ति चली जाती है।
प्रश्न 5 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी का नायक पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ गुप्त रूप से करता था, क्यों? उसके द्वारा ऐसा किया जाना क्या आपको उचित लगता है? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी का नायक पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ गुप्त रूप से करता था क्योंकि –
पक्ष – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के नायक का पतंग टूर्नामेंट की तैयारियों को गुप्त रूप से करना उचित था क्योंकि उसके बड़े भाई साहब उसे खेलने से मना करते थे और केवल पढ़ाई पर ही ध्यान देने को कहते थे। अगर वह खेलते हुए पाया जाता तो उसकी पिटाई भी होती थी। पढ़ाई के साथ-साथ खेलना भी जरुरी होता है। खेल हमारे सर्वांगीण विकास में अहम् भूमिका निभाता है।
विपक्ष – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के नायक का पतंग टूर्नामेंट की तैयारियों को गुप्त रूप से करना अनुचित था क्योंकि वह अपने बड़े भाई की आज्ञा की अवहेलना करके खेलने जाता था। यहाँ पर वह अपने बड़े भाई को समझा कर और टाइम-टेबल का अनुसरण करके, खेलने के समय में पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ कर सकता था।
प्रश्न 6 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के अंत में बड़े भाई साहब पतंग की डोर थामे हॉस्टेल की ओर भागे जाते हैं। उनका इस तरह दौड़े जाना क्या सिद्ध करता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के अंत में बड़े भाई साहब पतंग की डोर थामे हॉस्टेल की ओर भागे जाते हैं। उनका इस तरह दौड़े जाना सिद्ध करता है कि भाई साहब का भी मन करता है कि वे भी पतंग उड़ाएँ। लेकिन वे सोचते हैं कि अगर वे ही सही रास्ते से भटक जाएंगे तो अपने छोटे भाई की रक्षा कैसे करेंगे? बड़ा भाई होने के नाते यह भी तो उनका ही कर्तव्य है। अपने छोटे भाई को सही राह पर रखने के लिए उन्होंने कई चीजों से अपने मन को हटा दिया, किन्तु थे तो वे भी बालक ही। इसी कारण जब कटी पतंग की डोर उनके ऊपर से निकली उन्होंने अपने अरमानों को हवा देते हुए पतंग को पकड़ा और हॉस्टल की ओर दौड़ पड़े।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – खेलों में रुचि होते हुए भी बड़े भाई साहब अपने शौक को पूरा क्यों नहीं कर पाते थे ?
उत्तर – ऐसा नहीं था कि बड़े भाई साहब को खेल-कूद में कोई शौक नहीं था। दूसरे बच्चों की ही तरह बड़े भाई साहब भी खेल-कूद का शौक रखते थे। परन्तु छोटे भाई की जिम्मेदारी व् घर की स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने शौक को कभी पूरा नहीं किया। उन्हें लगता था कि यदि वे ही गलत रास्ते पर चलने लगेंगे तो अपने छोटे भाई को कैसे सही रास्ता दिखाएंगे। कहने का तात्पर्य यह है कि बड़े भाई साहब घर की स्थिति व् भाई की जिम्मेदारियों के कारण अपने खेल में रूचि होते हुए भी अपने शौक पूरे नहीं कर पाते थे।
प्रश्न 2 – छोटा भाई अपना अधिकांश समय खेलने-कूदने और अपने शौक पूरे करने में लगाता था, जिसके लिए उसे अपने बड़े भाई साहब से डाँट भी पड़ती थी, फिर भी वह कक्षा में अव्वल दर्जे से पास कैसे हो जाता था ?
उत्तर – छोटा भाई अपना अधिकांश समय खेलने-कूदने और अपने शौक पूरे करने में लगाता था, जिसके लिए उसे अपने बड़े भाई साहब से डाँट भी पड़ती थी, फिर भी वह कक्षा में अव्वल दर्जे से पास हो जाता था। इसका कारण यह था कि खेल-कूद से छोटे भाई के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास भी हो रहा था। बड़े भाई साहब जहाँ लगातार जिम्मेदारी के बोझ तले व् तनाव की वजह से पढ़ाई में अच्छा नहीं कर पा रहे थे और एक ही अध्याय को तीन-चार बार पढ़ने पर भी अच्छे से याद नहीं रख पाते थे, वहीँ छोटा भाई तनाव से मुक्त था। जिस कारण वह कम पढ़ाई करने पर भी अध्यायों को याद रख पता था।
प्रश्न 3 – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर लिखिए कि परिश्रमी, जिम्मेदार और बुद्धिमान होने पर भी बड़े भाई साहब बार-बार असफल क्यों हो जाते थे ?
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर परिश्रमी, जिम्मेदार और बुद्धिमान होने पर भी बड़े भाई साहब बार-बार असफल हो जाते थे क्योंकि बड़े भाई साहब हर पल जिम्मेदारी व् अपने छोटे भाई को सही राह पर रखने के ख्यालों में ही डूबे रहते थे। वे हर पल यही सोचते रहते थे कि वे कोई ऐसा काम न करे जिससे उनके छोटे भाई को गलत सबक मिले। वे हर पल अपने पिता की मुसीबतों को कम करने पर भी ध्यान रखते थे। जिस कारण वे हमेशा तनाव से घिरे रहते थे। पढ़ाई में अच्छा करने के लिए वे रात भर जागते थे जिस कारण उनकी नींद भी पूरी नहीं होती थी। इन सभी कारणों के कारण ही बड़े भाई साहब परिश्रमी, जिम्मेदार और बुद्धिमान होने पर भी बार-बार असफल हो जाते थे।
प्रश्न 4 – बड़े भाई साहब के व्यवहार में छोटे भाई के प्रति नरमी क्यों आ गई थी ? ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – सालाना परीक्षा में छोटा भाई फिर से पास हो गया और भाई साहब इस बार फिर फेल हो गए। छोटे भाई ने बहुत अधिक मेहनत नहीं की थी लेकिन ना जाने कैसे वह इस बार भी अपनी कक्षा में प्रथम आ गया। भाई साहब ने बहुत अधिक कठोर परिश्रम किया था। छोटे भाई और भाई साहब के बीच अब केवल एक ही कक्षा का अंतर रह गया था। भाई साहब के मन में एक बुरा विचार आया कि अगर वे एक और बार फेल हो जाएँ तो वह और छोटा भाई एक ही कक्षा में होंगे। तब तो वो किसी भी आधार पर छोटे भाई को नहीं डांट सकते और न ही उसकी बेज्ज़ती कर सकते हैं। अब भाई साहब का स्वभाव कुछ नरम हो गया था। कई बार छोटे भाई को डाँटने का अवसर होने पर भी वे नहीं डाँटते थे, शायद उन्हें खुद ही लग रहा था कि अब उनके पास छोटे भाई को डाँटने का अधिकार नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम।
प्रश्न 5 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी का बड़ा भाई शिक्षा को ‘रटंत ज्ञान’ और ‘बे-सिर-पैर की बातें’ मानता है जिनका व्यावहारिक जीवन में कोई अर्थ नहीं ? इस संदर्भ में आपके क्या विचार हैं ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी का बड़ा भाई शिक्षा को ‘रटंत ज्ञान’ और ‘बे-सिर-पैर की बातें’ मानता है जिनका व्यावहारिक जीवन में कोई अर्थ नहीं। रटत प्रणाली को शिक्षा का नाम दे रखा है और इन बिना अर्थ की बातों को पढ़ने से आखिर फ़ायदा है क्या? लेकिन अगर परीक्षा में पास होना है तो जो किताबों में लिखा है उसे वैसे ही ज्यों का त्यों लिखना पड़ेगा और ये व्यर्थ की बातें याद करनी पड़ेंगी, जिनका कोई काम नहीं। जैसे परीक्षा में कहा जाता है कि -‘समय की पाबंदी’ पर निबंध लिखो, जो चार पन्नों से कम नहीं होना चाहिए। इस तरह के सवालों पर बड़े भाई साहब सोचते हैं कि समय की पाबंदी बहुत अच्छी बात है ये कौन नहीं जानता। लेकिन इतनी सी बात के लिए कोई चार पन्नें कैसे लिख सकते हैं? जो बात आप एक वाक्य में कह सकते हैं, उसके लिए चार पन्नें लिखने की क्या जरूरत? बड़े भाई साहब तो इसे बेवकूफ़ी मानते हैं।
हमारे विचार से भी विद्यार्थियों को यदि व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा तो वे ज्यादा ध्यान लगाकर पढ़ाई करेंगे। और जीवन में भी व्यवहारिक ज्ञान ही काम आता है।
प्रश्न 6 – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी में आपने पढ़ा कि छोटा भाई कक्षा में अव्वल दर्जे से पास हो रहा था और बड़े भाई साहब असफल, फिर भी वह बड़े भाई की नज़रों से बचकर अपने खेल संबंधी शौक पूरे करता था। इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे ?
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ कहानी में हमनें पढ़ा कि छोटा भाई कक्षा में अव्वल दर्जे से पास हो रहा था और बड़े भाई साहब असफल, फिर भी वह बड़े भाई की नज़रों से बचकर अपने खेल संबंधी शौक पूरे करता था। इसके पीछे का कारण उसका बड़े भाई साहब के प्रति सम्मान था। छोटा भाई जानता था कि उसके बड़े भाई साहब उसकी ही भलाई के लिए उसे डांटते हैं। छोटा भाई जानता था कि बड़े भाई साहब घर की जिम्मेदारी समझते हैं और वे अपने छोटे भाई को गलत रास्ते पर नहीं जाने देना चाहते इसलिए वे उसे समय बर्बाद करने व् खेलकूद में अधिक ध्यान लगाने से रोकते हैं।
प्रश्न 7 – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के संदर्भ में लिखिए कि तात्कालिक शिक्षा व्यवस्था में बड़े भाई साहब को क्या-क्या कमियाँ दिखाई देती थीं ?
उत्तर – तात्कालिक शिक्षा व्यवस्था में बड़े भाई साहब को निम्नलिखित कमियाँ दिखाई देती थीं –
- अध्यापक बच्चों को समझाने के बजाए रटत प्रणाली अपनाते थे।
- किताबों में बे-फजूल की बातें लिखी होती थी।
- बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान नहीं दिया जाता था।
- परीक्षक केवल किताबी उत्तर को ही सही मानते थे। यदि किसी ने उत्तर अलग लिखा तो उसके शून्य अंक मिलते थे।
प्रश्न 8 – छोटे भाई के कक्षा में अव्वल आने पर भी बड़े भाई साहब द्वारा उसके तिरस्कार के क्या कारण थे ? ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर – छोटा भाई भले ही कम पढ़ाई करने के बावजूद कक्षा में अव्वल आता था। किन्तु बड़े भाई साहब फिर भी उसको खेलने व् समय बर्बाद करने पर डाँट लगाते थे। क्योंकि उन्हें चिंता रहती थी कि कहीं उनका छोटा भाई गलत रास्ते पर न चल पड़े। छोटे भाई की सारी जिम्मेदारी बड़े भाई साहब पर थी, जिस कारण वे और भी ज्यादा सतर्क रहते थे। जब बार-बार कम पढ़ाई के बावजूद छोटा भाई अव्वल आ रहा था तो उसने बड़े भाई साहब से डरना बंद कर दिया था। इस पर बड़े भाई साहब छोटे भाई से कहते हैं कि यह घमंड जो अपने दिल में पाल रखा है कि बिना पढ़े भी पास हो सकते हो और उन्हें छोटे भाई को डाँटने और समझने का कोई अधिकार नहीं रहा, इसे निकाल डालो। बड़े भाई साहब के रहते वह कभी गलत रस्ते पर नहीं जा सकता। आशय यह है कि छोटे भाई के भविष्य की चिंता के कारण ही बड़े भाई साहब छोटे भाई की गलती पर उसे डाँटते थे।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या लाभ उठाया? आपके अभ्यास विचार से छोटे भाई का व्यवहार उचित था या नहीं, तर्क सहित उत्तर लिखिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – सालाना परीक्षा में जब छोटा भाई फिर से पास हो गया और भाई साहब इस बार फिर फेल हो गए तब भाई साहब का स्वभाव कुछ नरम हो गया था। कई बार छोटे भाई को डाँटने का अवसर होने पर भी वे उसे नहीं डाँटते थे, शायद उन्हें खुद ही लग रहा था कि अब उनके पास छोटे भाई को डाँटने का अधिकार नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम। इस कारण छोटे भाई की स्वतंत्रता और भी बढ़ गई थी। वह भाई साहब की सहनशीलता का गलत उपयोग कर रहा था। उसके अंदर एक ऐसी धारणा ने जन्म ले लिया था कि वह चाहे पढ़े या न पढ़े, वह तो पास हो ही जायेगा। छोटे भाई को पतंगबाज़ी का नया शौक हो गया था और अब उसका सारा समय पतंगबाज़ी में ही गुजरता था।
हमारे विचार से छोटे भाई का ऐसा व्यवहार बिलकुल अनुचित था। क्योंकि उसे अब घमंड हो रहा था और वह अब केवल किस्मत के भरोसे छोड़ कर पढ़ाई बंद कर चुका था। जिसका परिणाम बहुत गलत हो सकता था।
प्रश्न 2 – छोटे भाई ने टाइम-टेबिल बनाकर भी उसका पालन नहीं किया। इसका कारण समझाइए।(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – छोटे भाई ने अधिक मन लगाकर पढ़ने का निश्चय कर टाइम-टेबिल बनाया, जिसमें खेलकूद के लिए कोई स्थान नहीं था। पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय उसने यह सोचा कि टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है और बनाए गए टाइम-टेबिल पर अमल करना दूसरी बात है। यह टाइम-टेबिल का पालन न कर पाया, क्योंकि मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, वॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती उसे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही वह सब कुछ भूल जाता।
प्रश्न 3 – ‘अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा।’ बड़े भाई साहब ने यह वाक्य क्या समझाने के लिए कहा?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – ‘अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा।’ बड़े भाई साहब ने यह वाक्य छोटे भाई को यह समझाने के लिए कहा कि बड़े लोग छोटों को गलत रास्ते पर जाने से कभी भी रोक सकते हैं। फिर चाहे घर का छोटा सदस्य किसी भी बड़े पद पर हो। छोटे भाई को अपने लगातार अव्वल आने पर घमंड हो गया था और बड़े भाई के बार-बार फेल होने के कारण उनका डर भी छोटे भाई में समाप्त हो रहा था। जिस कारण बड़े भाई ने इस पंक्ति का उपयोग करके उसे यह समझाने का प्रयास किया कि उनके अम्मा-दादा भी तो पढ़े-लिखे नहीं है किन्तु वे बड़े हैं और उन्हें पता है क्या सही है और क्या गलत है अतः उनको हमेशा उन्हें समझाने व् सुधारने का अधिकार रहेगा।
प्रश्न 4 – फेल होने के बाद बड़े भाई साहब के व्यवहार में क्या अंतर आ गया?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – सालाना परीक्षा में जब छोटा भाई फिर से पास हो गया और भाई साहब इस बार फिर फेल हो गए। तब भाई साहब का स्वभाव कुछ नरम हो गया था। कई बार छोटे भाई को डाँटने का अवसर होने पर भी वे छोटे भाई को नहीं डाँटते थे, शायद उन्हें खुद ही लग रहा था कि अब उनके पास उनके छोटे भाई को डाँटने का अधिकार नहीं है और अगर है भी तो बहुत कम।
प्रश्न 5 – बड़े भाई साहब के अनुसार सफल खिलाड़ी कौन होता है?(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – बड़े भाई साहब के अनुसार सफल खिलाड़ी वही कहलाता है, जिसका निशाना कभी खाली नहीं जाता है। छोटे भाई को भी यह पता है कि वह कोई अपनी मेहनत से पास नहीं हुआ है, उसे बिना प्रयास के ही सफलता मिली है। बिना प्रयास के सफलता एक बार मिल सकती है बार – बार नहीं यह छोटा भाई अच्छी तरह जनता है। कभी – कभी अगर गुल्ली – डंडे में भी अनजाने में सही निशाना लग जाये तो इससे हम उस निशाने लगाने वाले को सफल खिलाडी नहीं मान सकते। सफल खिलाडी उसी को कहा जा सकता है जिसका एक भी निशाना खाली ना जाये। और बड़े भाई साहब अपने घर अर्थात अपनी शिक्षा को अपनी सफलता के आधार पर मजबूती प्रदान करना चाहते है चाहे उसके लिए कितना ही समय क्यों ना लगें।
प्रश्न 6 – खेलकर वापस आने पर छोटे भाई की क्या प्रतिक्रिया होती है? ‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर लिखिए।(लगभग 30-40 शब्दों में)
उत्तर – छोटे भाई का पढ़ाई में मन बिलकुल भी नहीं लगता था। अगर एक घंटे भी किताब लेकर बैठना पड़ता तो यह उसके लिए किसी पहाड़ को चढ़ने जितना ही मुश्किल काम था। जैसे ही उसे ज़रा सा मौका मिलता वह खेलने के लिए मैदान में पहुँच जाता था। लेकिन जैसे ही खेल ख़त्म कर कमरे में आता तो भाई साहब का वो गुस्से वाला रूप देखा कर उसे बहुत डर लगता था। जब भी वह खेल कर आता तो भाई साहब हमेशा एक ही सवाल,एक ही अंदाज से पूछते थे – ‘कहाँ थे’? और इसके जवाब में वह हमेशा चुप रह जाता था। पता नहीं क्यों वह कभी भाई साहब को ये जवाब नहीं दे पता था कि वह जरा बाहर खेल रहा था। उसके चुप रहने से भाई साहब समझ जाते थे कि वह अपनी गलती मानता है और भाई साहब छोटे भाई से प्यार करते थे इसलिए थोड़ा गुस्सा और प्यार के मिले जुले शब्दों में उसका स्वागत करते थे।
प्रश्न 7 – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप उनके विचारों से सहमत हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।(लगभग 80-100 शब्दों में)
उत्तर – ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया गया है। उस समय की शिक्षा प्रणाली में जिन कमियों की ओर संकेत किया है उनमें मुख्य हैं-एक ही परीक्षा द्वारा छात्रों का मूल्यांकन अर्थात् वार्षिक परीक्षा के परिणाम पर ही छात्रों का भविष्य निर्भर करता था। इस प्रणाली से रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता था। इसमें छात्रों के अन्य पहलुओं के मूल्यांकन की न तो व्यवस्था थी और न उन्हें महत्त्व दिया जाता था। इसके अलावा परीक्षकों का दृष्टिकोण भी कुछ ऐसा था कि वे छात्रों से उस तरह के उत्तर की अपेक्षा करते थे जैसा पुस्तक में लिखा है। किताब से उत्तर अलग होते ही शून्य अंक मिल जाते थे। लेखक के विचारों से काफ़ी हद तक हम सहमत हैं परन्तु आज की शिक्षा व्यवस्था में बहुत से बदलाव लाए गए हैं जिस आधार पर हम कह सकते हैं कि पहले की शिक्षा प्रणाली में बहुत सी कमियाँ थी जिन्हें समय के साथ बदला गया है और शिक्षा प्रणाली को सुधारा गया है।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – बड़े भाईसाहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
उत्तर – बड़े भाई साहब और छोटे भाई की उम्र में पांच साल का अंतर था। वे माता पिता से दूर हॉस्टल में रहते थे। बड़े भाई साहब का भी मन खेलने,पतंग उड़ाने और तमाशे देखने का करता था परन्तु वे सोचते थे की अगर वो बड़े होकर मनमानी करेंगे तो छोटे भाई को गलत रास्ते पर जाने से कैसे रोकेंगे। बड़े भाई साहब छोटे भाई का ध्यान रखना अपना कर्तव्य मानते थे इसीलिए उन्हें अपनी इच्छाएँ दबानी पड़ती थी।
प्रश्न 2 – बड़े भाई साहब के व्यक्तित्व की विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
उत्तर – बड़े भाई साहब अनुशासन प्रिय थे। वह अपने छोटे भाई को भी तरह-तरह के आदर्श उदाहरण देकर अनुशासन अपनाने के लिए सलाह देते रहते थे।
बड़े भाई साहब का स्वभाव भी गंभीर और सयंमी प्रवृत्ति का था।
बड़े बड़े भाई साहब यूं तो परिश्रमी थे, लेकिन अपनी कक्षा में तीन बार बाद फेल हो गए थे। फिर भी उन्होंने पढ़ाई से नाता नहीं तोड़ा।
बड़े भाई साहब बोलने में बड़े कुशल थे और वह अपने छोटे भाई को तरह-तरह के उदाहरण देकर अक्सर उपदेश देते रहते थे ताकि उनका छोटा भाई अपने रास्ते से नहीं भटके और पढ़ाई पर ध्यान दे।
बड़े भाई साहब के लिए अपने से बड़ों के प्रति सम्मान का भाव था।
बड़े भाई साहब फिजूलखर्ची पसंद नहीं थी। जब उनका छोटा भाई किसी तरह की फिजूलखर्ची करता अथवा पढ़ाई से ध्यान हटाकर खेलकूद में अपना ध्यान लगाता तो वह उसे डांटते रहते थे।
बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई से 5 साल उम्र में बड़े थे। इसीलिए वे अपने को ज्यादा अनुभवी समझ कर अपने अनुभव का ज्ञान अपने छोटे भाई को देते रहते थे।
प्रश्न 3 – “बड़े भाई साहब की डाँट-फटकार यदि न मिलती तो छोटा भाई कक्षा में प्रथम नहीं आता।” उक्त कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में अपने विचार उपयुक्त तर्क सहित लिखिए।
उत्तर – बड़े भाई साहब को अपनी जिम्मेदारिओं का आभास था। वे जानते थे कि अगर वह अनुशासनहीनता करेंगे तो छोटे भाई को गलत रास्ते पर जाने से नहीं रोक पाएंगे। छोटा भाई जब भी खेल कूद में ज्यादा समय लगाता तो बड़े भाई साहब उसे डाँट लगाते और पढ़ाई में ध्यान लगाने को कहते। यह बड़े भाई का ही डर था कि छोटा भाई थोड़ा बहुत पढ़ लेता था। अगर बड़े भाई साहब छोटे भाई को डाँट फटकार नहीं लगते तो छोटा भाई कभी कक्षा में अव्वल नहीं आता।
प्रश्न 4 – बड़े भाईसाहब ने ज़िन्दगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे महत्त्वपूर्ण कहा और क्यों?
उत्तर – बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को महत्वपूर्ण कहा है। उन्होंने पाठ में कई उदाहरणों से ये स्पष्ट किया है। अम्मा और दादा का उदाहरण और हेडमास्टर का उदाहरण दे कर बड़े भाई साहब कहते है कि चाहे कितनी भी बड़ी डिग्री क्यों न हो जिंदगी के अनुभव के आगे बेकार है। जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना अनुभव के आधार पर सरलता से किया जा सकता है।
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