Character Sketch of Lakhnavi Andaz

 

लेखक और नवाब का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Narrator and Nawab from CBSE Class 10 Hindi Chapter 9 लखनवी अंदाज़

 

लखनवी अंदाज यशपाल की कृति है। यह एक छोटा सा यात्रावृत्त है, जिसमें लेखक एक लखनवी नवाब के अंदाज और अपने साथ की यात्रा का अनुभव बताते हैं। 

 

लेखक का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Narrator)

  • प्रकृति प्रेमी: लेखक एक प्रकृति प्रेमी व्यक्ति थे तभी उन्होंने सेकंड क्लास का टिकट लिया था ताकि खिड़की की तरफ बैठकर आराम से प्रकृति का आनंद लिया जाए। 
  • आत्मसम्मान प्रेमी: लेखक को अपना आत्मसम्मान बड़ा प्रिय था। तभी एक बार मना करने के बाद दूसरी बार पूछने पर भी उन्होंने खीरा लेने के लिए मना कर दिया। 
  • चौकस: लेखक बड़ा ही चौकस प्रवृति का व्यक्ति है तभी वह जान पाया कि नवाब खिड़कियों की तरफ देखते हुए भी अपनी नजर लेखक की तरफ बनाए हुए हैं। 

 

लेखक के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Narrator)

  1. लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?
  2. लेखक ने नवाब से खीरा लेने को मना क्यों किया?

 

नवाब की बहू का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Nawab)

  • घमंडी: नवाब बड़े ही घमंडी प्रकृति के व्यक्ति थे। उन्होंने लेखक से बात करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाए। 
  • अजीब: नवाब बड़ा अजीब प्रकृति का इंसान था। उसने खीरा खाने के बजाय उसको सिर्फ सूंघ कर ही ट्रेन के बाहर बाहर फेंक दिया। 
  • आराम पसंद: नवाब बड़ा ही आराम पसंद व्यक्ति है। भीड़ होने के बावजूद वह एक सीट में आराम से फलथी मारे बैठा था और सामने वाली सीट में दो खीरा रखे हुए था। 

 

नवाब की बहू के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Nawab)

  1. पाठ के आधार पर नवाब का चरित्र चित्रण कीजिए? 
  2. नवाब ने खीरा को बाहर क्यों फेका? 

 

Lakhnavi Andaz Summary 

लेखक यशपाल कहते हैं कि उनको एक बार कहीं पास की ही सवारी करना था तो उन्होंने ट्रेन में सेकंड क्लास का टिकट ले लिया था क्योंकि उसमें भीड़ कम होती है लेकिन जैसे ही लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में घुसता है तो उनकी मुलाकात एक लखनवी नवाब से होती है। 

वह नवाब आराम से एक बड़ी सी सीट में बैठे हुए थे तथा सामने दो ताजे खीरे रखे थे। इस नवाब ने लेखक से बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई लेकिन लेखक कहते हैं कि वह अपनी कनखियों से लेखक की ओर बराबर देखे जा रहा था। 

अचानक से नवाब ने लेखक को खीरा लेने के लिए बोला लेकिन लेखक ने मना कर दिया। फिर उसके बाद नवाब ने खीरे में नमक और मिर्च डालकर सजाकर फिर से लेखक को एक खीरा लेने को बोला लेकिन फिर से लेखक ने पेट खराब होने का बहाना बनाते हुए खीरा लेने से मना कर दिया। 

फिर नवाब ने एक खीरा को उठाया और होंठों तक ले जाने के बाद उसको सूंघा और उसकी स्वाद का आनंद लेकर खीरे को ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इसी तरह करके नवाब ने सारे खीरो को सूंघकर उनको ट्रेन से बाहर फेंक दिया। 

सारे खीरो को फेंकने के बाद नवाब ने आराम से अपने हाथ और होठों को पोंछा और थक कर लेट गए। लेखक ने सोचा कि क्या खीरा खाने से भी किसी का पेट भर सकता है तभी नवाब ने एक बड़ी डकार लिया बोले कि खीरा होता तो लजीज है पर पेट पर बहुत भार डाल देता है। 

 

Related: 

 

Also See: