लेखिका (मधु कांकरिया) और जितेन नार्गे का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Author (Madhu Kankaria) and Jiten Narge from CBSE Class 10 Hindi Kritika Book Chapter 2 साना साना हाथ जोड़ी
“साना साना हाथ जोड़ी” मधु कांकरिया का एक यात्रा वृतांत है। इसमें लेखिका ने सिक्किम से लेकर के हिमालय तक की अपनी यात्रा का बहुत ही सुंदर और सजीव वर्णन किया है।
लेखिका (मधु कांकरिया) का चरित्र-चित्रण | (Character Sketch of Author)
- प्रकृतिप्रेमी: लेखिका काफी प्रकृतिप्रेमी हैं। उनके सिक्किम घूमने का मकसद सिर्फ प्रकृति का गहराई से अनुभव करना था।
- आध्यात्मिक: लेखिका काफी आध्यात्मिक प्रकृति की इंसान हैं, तभी कटाओ पहुंचकर जब सभी लोग फोटो खीच रहे थे तब वह वहां के मनोरम दृश्य में अपनी आध्यात्मिक चेतना जगा रही थीं।
- गंभीर चिंतक: लेखिका काफी गंभीर चिंतक हैं। वह अपनी इस यात्रा के प्रत्येक बिंदु पर काफी चिंतन की हैं तभी हमारे समक्ष इतना सुंदर और सजीव वर्णन कर पाई।
- बहादुर: लेखिका काफी बहादुर इंसान हैं। तभी ऊंचे और कठिन पर्वत चट्टानों को वह बिना डरे पार कर लेती हैं।
- भावुक: लेखिका काफी भावुक प्रकृति की इंसान हैं। तभी थिंक ग्रीन के पास गरीब औरतों को देखकर वह सहम गई और यूमथांग से पहले सैन्य छावनी में सैनिकों को देखकर दुखी हो गई।
लेखिका (मधु कांकरिया) के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Author)
- लेखिका ने कटाओ को भारत का स्विट्जरलैंड क्यों कहा?
- लेखिका थिंक ग्रीन के पास जाकर क्यों सहम गई?
- लेखिका गंगटोक शहर को देखकर क्यों हैरान थी?
जितेन नार्गे का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Jiten Narge)
- बुद्धिमान: जितेन काफी बुद्धिमान व्यक्ति हैं। उन्होंने काफी बुद्धिमत्ता पूर्वक लेखिका के इस कठिन सफर को सुगम बनाया।
- आदर्श मार्गदर्शक: जितेन एक आदर्श मार्गदर्शक हैं। उन्होंने लेखिका को सभी जगहों पर आसानी से बिना रास्ता भटके पहुंचाया।
- सटीक वर्णन: जितेन एक आदर्श मार्गदर्शक होने के साथ साथ एक सटीक वर्णनकार भी हैं। वह लेखिका को सभी जगहों के बारे में इतनी आसान भाषा में बताते हैं कि लेखिका को कभी कोई परेशानी नहीं हुई।
- ईमानदार: जितेन एक ईमानदार गाइड हैं। वह जगहों का वैसा ही वर्णन करते हैं जैसे कि वे वास्तव में हैं। वह कोई गलत जानकारी नहीं देते हैं।
- अच्छे चालक: जितेन एक आदर्श मार्गदर्शक होने के साथ साथ एक अच्छे चालक भी हैं। मोड़दार पर्वतों और बर्फ से ढंकी चट्टानों के बीच बने रास्ते में लेखिका की जीप को वही चला रहे थे।
जितेन नार्गे के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Jiten Narge)
- जितेन की चारित्रिक विशेषताएं बताइए?
- जितेन ने यूमथांग के विषय में लेखिका को क्या बताया?
Saana Saana Hath Jodi Summary
लेखिका बताती है कि जब उन्होंने गंगटोक शहर में कदम रखा तो वह बिल्कुल हैरान हो गई क्योंकि उन्होंने देखा कि गंगटोक के लोग बड़े मेहनती हैं और लेखिका गंगटोक को “मेहनती बादशाहों का शहर” कहती हैं।
जब उन्होंने तारों से भरा गंगटोक का आसमान देखा तो उनको वह अपनी तरफ आकर्षित करने लगता है और लेखिका इसी आकर्षण में खो जाती हैं।
लेखिका आगे बताती है कि गंगटोक में उनको एक नेपाली युवती मिली, जिसने उनको “साना साना हाथ जोड़ी” नाम की एक प्रार्थना सिखाई।
लेखिका अपने यात्रा वृत्तांत की आगे की कहानी बताती हैं कि अगले दिन वह कंचनजंघा की चोटी में जाना चाहती थी लेकिन मौसम खराब होने की वजह से वहां नहीं जा पाई।
लेखिका कंचनजंघा की जगह उसी दिन अपने सहयात्री मणि और गाइड जितेन नारगे के साथ गंगटोक से 149 किलोमीटर दूर यूमथांग जाती हैं।
लेखिका को रास्ते में एक कतार से सफेद रंग की बौद्ध पताकाएं दिखाई देती हैं। यह पताकाएं ध्वज की तरह फहरा रही थी। उन पर कुछ बौद्ध मंत्र भी लिखे थे। जितेन नार्गे ने बताया कि जब किसी बौद्ध मतावलंबी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा की शांति हेतु सहित से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर 160 पताकाएं फहराई जाती हैं और इनको उतारा नहीं जाता। शुभ कार्य की शुरुआत में रंगीन पताकाएं फहराई जाती है।
कुछ दूरी पर लेखिका को एक कुटिया में घूमता हुआ चक्र दिखा, उसको प्रेयर व्हील कहा जाता है। गाइड ने बताया कि यह चक्र पाप धोने हेतु काम आता है।
लेखिका आगे कहती हैं कि उनका काफिला “सेवेन सिस्टर्स वाटर फॉल” में जाकर रुका। इसके पानी को छूकर लेखिका को ऐसा लगा कि जैसे यह वाटरफॉल उनकी सारी बुराइयां बहाकर ले गया।
लेखिका आगे बताती हैं कि जब वह थिंक ग्रीन के पास रुकी तो वहां का मनोरम दृश्य सचमुच जन्नत जैसे लग रहा था लेकिन उनको कुछ औरतें दिखी जो बेहद ही गरीब थी और उनके टोकरियों में उनके बच्चे थे। यह देखकर लेखिका सहम गई। वहां पर एक कर्मचारी ने बताया कि ये औरतें यहां सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य करती हैं।
लेखिका को आगे चलकर कुछ स्कूली बच्चे मिले। गाइड ने कहा कि ये बच्चे 3 किलोमीटर की ऊंचाई चढ़कर पढ़ने जाते हैं और वापस आकर घर का काम करते हैं। यहां का जीवन मैदानी इलाकों की अपेक्षा काफी कठिन है।
आगे चलकर लेखिका की गाड़ी चाय के बागान से रुकी। वहां पर सिक्किम कपड़ो में कुछ युवतियां चाय की पत्तियां तोड़ रही थी, चारो तरह इंद्रधनुष था।
अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहला उनका काफिला लायुंग में रुका। वहां के घर लकड़ी के बने थे और काफी छोटे थे। यहां के लोगों का प्रमुख साधन पहाड़ी आलू, धान और शराब थी।
एक युवक ने बताया कि प्रदूषण की वजह से स्नोफॉल बहुत कम हो गया है। लेखिका आगे कहती हैं कि अगर आपको खूबसूरत स्नोफॉल देखना है तो कटाओ आइए। कटाओ को भारत का स्विट्जरलैंड कहते हैं।
मणि ने बताया कि यह स्विट्जरलैंड से भी बेहतर है लेकिन वहां तक पहुंचने में करीब 2 घंटे लगते और रास्ता काफी खतरनाक।
कटाओ में पहुंचने के बाद लेखिका को लगा कि यहां के वातावरण की वजह से ऋषि मुनि ने वेदों की रचना की। एक अपराधी भी ऐसे प्राकृतिक सौंदर्य को देख ले तो उसका मन बदल जाए।
आगे चलकर लेखिका को सैन्य टुकड़ियों की छावनी मिली। लेखिका उनको देखकर काफी दुखी हो गई कि आखिर ये लोग अपने परिवार से दूर इतनी ठंड में कैसे हमारी रक्षा कर रहे हैं।
यूमथांग पहुंचने पर लेखिका को वह फीका लगा क्योंकि लेखिका के मन में कटाओ बस गया था। गाइड ने बताया कि यूमथांग में बंदर का मांस खाया जाता है क्योंकि इससे कैंसर नहीं होता।
यूमथांग के आगे उनको खेदुम नाम की एक जगह मिली। इस जगह को देवी देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। गाइड ने आगे बताया कि इंडियन आर्मी के कैप्टन शेखर दत्ता ने ही यहां के पर्यटक स्थल और रास्ते बनाने में काफी प्रयास किया।