लेखक, लेखक के अभिभावक, प्रधानाध्यापक और प्रीतम सिंह का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Author, Author’s Guardians, Headmaster and Preetam Singh from CBSE Class 10 Hindi Chapter 2 सपनों के से दिन
सपनों के से दिन गुरु दयाल सिंह की एक कहानी है। यह गुरु दयाल सिंह जी की स्कूल के दिनों की कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने अपने स्कूल के दिन, आजादी के पहले की भारत की शिक्षा तथा भारतीय अभिभावको की मानसिकता को उजागर किया है।
लेखक का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Author)
- शरारती: लेखक अपने अन्य साथियों की तरह बचपन में बड़ी शरारत करता था और उनका भी पढ़ने में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था इसी शरारत के कारण उसके परिवार वाले उसको बहुत पीटते थे।
- अच्छा वर्णनकार: लेखक वास्तव में एक बहुत ही अच्छा कहानीकार तथा वर्णनकार है उन्होंने इस कहानी को इतने अच्छे तरीके से वर्णित किया है कि पाठक इस कहानी में डूब कर खुद को प्राप्त कर सकता है। चाहे अपने दोस्त ओमा के अपने स्कूल के दोनों को बहुत ही अच्छी तरीके से वर्णित किया है।
- ग्रामीण परिवेश का सुंदर वर्णन: लेखक ने इस कहानी में ग्रामीण परिवेश का बेहद सुंदर वर्णन किया है फिर चाहे वह फूलो की क्यारियों का वर्णन हो या तालाब का।
लेखक के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of the Author)
- लेखक ने सपनो के से दिन में ग्रामीण परिवेश का कैसा वर्णन किया है?
- लेखक के अनुसार स्वतंत्रता पूर्व भारतीय समाज में शिक्षा का क्या महत्व था?
- लेखक का उसके मित्रों के साथ कैसा संबंध है?
लेखक के अभिभावक का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Author’s Guardians)
- शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी: लेखक कहते हैं कि उनके समय में अभिभावक बिल्कुल भी शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं थे वह बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कभी जबरदस्ती नहीं करते थे और ना ही बच्चों की शिक्षा के लिए पैसे ही देते थे।
- कठोर: लेखक कहते हैं कि जब वह और उनके साथी खेलने के बाद चोटिल होकर घर आते थे तो उनकी मरहम पट्टी करने के बजाए उनके घर वाले उनको और मारते थे कभी-कभी तो इतना मरते थे कि बच्चों के नाक से खून बहने लगता था।
लेखक के अभिभावक के चरित्र सम्बंधित प्रश्न Questions related to Character of Author’s Guardians
- लेखक के अनुसार, भारतीय अभिभावकों का शिक्षा के प्रति क्या नजरिया है?
- लेखक तथा उसके मित्र जब चोट खाकर आते थे तो उसके घरवाले क्या करते थे?
प्रधानाध्यापक मदन मोहन शर्मा का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Headmaster Madanmohan Sharma)
- शांत: लेखक कहते हैं कि हेड मास्टर मदन मोहन शर्मा को बहुत ही विरले ही लोगों ने देखा होगा कि वह किसी बच्चे को डांटे या मारे हो।
- लेखक को चाहने वाले: मदन मोहन शर्मा जी लेखक को बहुत चाहते थे तभी वह है जी आमिर बच्चों को पढ़ते थे उसकी पुस्तक लेखक को लाकर दे देते थे जिससे कि लेखक पढ़ सके।
- सरल: मदन मोहन शर्मा जी बिहारी सरल स्वभाव के थे उनको कभी भी गुस्सा नहीं आता था जब भी वह बाहर प्रार्थना के समय बच्चों की एक सीधी लाइन देखते थे तो वह अपने आप ही खुश हो जाते थे।
- बच्चो के हितकारी: मदन मोहन शर्मा जी बच्चों के हितकारी थे तभी जब वह प्रीतम सिंह को बच्चों को मारते देखा तब उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने प्रीतम सिंह को सीधे सस्पेंड कर दिया।
प्रधानाध्यापक के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Headmaster Madanmohan Sharma)
- मदनमोहन शर्मा के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- मदनमोहन शर्मा ने प्रीतम सिंह को क्यों सस्पेंड किया?
- मदनमोहन शर्मा का लेखक से कैसा संबंध था?
प्रीतम सिंह का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Preetam Singh)
- कठोर स्वभाव; लेखक के अनुसार उनके पीटी टीचर प्रीतम सिंह बड़े ही कठोर स्वभाव के थे अगर कोई बच्चा अच्छे से पीटी न कर पाए तो उसको बहुत ज्यादा मारते थे।
- दयालु हृदय: प्रीतम सिंह बस स्कूल के समय में ही अनुशासिक और कठोर थे बाकी वह बड़े ही दयालु हृदय वाले थे और अपने पालतू तोते का खूब ज्यादा ख्याल रखा करते थे। यही बात लेखक और उसके मित्रों को बिल्कुल भी समझ में नहीं आती थी।
- अनुशासन प्रिय: प्रीतम सिंह बड़े ही अनुशासन प्रिय थे। अगर स्कूल या पीटी के समय कोई बच्चा अनुशासन का पालन करता था तो वह उसको बहुत ही गर्व के साथ शाबाशी देते थे और अगर कोई बच्चा शैतानी या गलती कर दे तो उसको खूब ज्यादा मारते थे।
प्रीतम सिंह के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Preetam Singh)
- लेखक के अनुसार प्रीतम सिंह के स्वभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रीतम सिंह को हेड मास्टर मदन मोहन शर्मा ने क्यों सस्पेंड किया?
- लेखक तथा उसके दोस्तों को प्रीतम सिंह के विषय में क्या बात सुनकर आश्चर्य लगा?
Sapno Ke Se Din Summary
इस कहानी में लेखक कहता है कि उसके स्कूल के दिनों में बच्चे बिना किसी चप्पल, फटी मैली कच्छे, फटे कुर्ते जिनके बटन नहीं होते पहनके स्कूल जाया करते थे। उस समय इन बच्चों के माता पिता भी इनकी पढ़ाई में कोई रुचि नहीं लेते थे न ही बच्चे पढ़ाई में रुचि लेते थे। ये बच्चे कभी कभी तो अपना बैग तालाब में फेक आते थे।
दिन भर बस खेल खेलते थे और छिले हुए शरीर लेकर जब घर पहुंचते थे तो इनके घरवाले इनकी दवा करने के बजाय इनको उल्टा मारते थे। कभी कभी इतना मारते थे कि बच्चो के नाक से खून तक बह आता था।
लेखक कहता है कि जब वह पढ़ते थे तो स्कूल शुरू होते ही एक दो महीने के बाद कुछ दिन की छुट्टी हो जाया करती थी और छुट्टी में लेखक और उसके साथी नानी के घर जाया करते थे और बढ़िया-बढ़िया पकवान खाया करते थे लेकिन जैसे ही छुट्टी खत्म होने के दिन आते थे लेखक और उसके साथियों का दिल भारी होने लगता था।
लेखक कहता है कि उनके ग्रुप में एक ओमा नाम का लड़का रहता था । वह था तो ढाई फीट का लेकिन उसका सर किसी घड़े जैसा बड़ा था ओमा की बातें और व्यवहार सबसे अलग था। वह लड़ाई झगडे में हाथ पैर की बजाए सिर का इस्तेमाल करता था।
लेखक की स्कूल में कुल मिलाकर 9 छोटे-छोटे कमरे थे और उसे स्कूल के हेड मास्टर श्री मदन मोहन शर्मा थे जो अंग्रेजी पढ़ाया करते थे। वह बहुत ही सीधे थे तथा लेखक को बहुत मानते थे क्योंकि मदन मोहन शर्मा जी एक अमीर घर के लड़के को ट्यूशन पढ़ाया करते थे और उस लड़के की पुरानी किताबें लेखक को दे दिया करते थे। लेखक कहते हैं कि उसे समय अभिभावक बच्चों की पढ़ाई में बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया करते थे और अगर हेड मास्टर श्री मदन मोहन शर्मा जी ना होते तो लेखक तीसरे दर्जे तक ही पढ़ाई कर पाता।
लेखक आगे अपने पीटी टीचर श्री प्रीतम सिंह की बात बताते हुए कहता है कि वह बहुत ही कठोर और अनुशासित टीचर थे। पीटी में जैसा ही कोई बच्चा अच्छे से लेफ्ट राइट न कर पाया तो उसकी खूब धुनाई करते थे।
प्रीतम सिंह थे तो पतले से लेकिन उनका शरीर बड़ा ही पुष्ट था। एक दिन ऐसे ही प्रीतम सिंह फारसी की क्लास ले रहे थे और अगले दिन एक फारसी शब्द को याद करने के लिए बोले। जब कोई भी बच्चा उस फारसी शब्द को नहीं सुन पाया तो उन्होंने बड़ी ही कठोरता से बच्चों को पीटना शुरू कर दिया । जैसे ही मदन मोहन शर्मा जी ने यह देखा तो उन्होंने गुस्से से प्रीतम सिंह को सस्पेंड कर दिया लेकिन लेखक के मुताबिक प्रीतम सिंह को इस बात का बिल्कुल भी मलाल ना था।
वह अपने कमरे में दिनभर अपने पालतू तोते को बादाम के छोटे-छोटे टुकड़े खिलाया करते थे। लेखक और उसके दोस्तों के लिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक पल था क्योंकि जो व्यक्ति इतना कठोर है वह किसी जानवर को इतना प्यार कैसे कर सकता है?
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