CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 8 Balgobin Bhagat Question Answers from previous years question papers (2019-2024) with Solutions
Balgobin Bhagat Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 8, “Balgobin Bhagat”.
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – “बालगोबिन भगत के स्वरों में एक विशेष प्रकार का आकर्षण था।” पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – बालगोबिन भगत सुमधुर कंठ से इस तरह गाते थे कि कबीर के सीधे – सादे पद भी उनके मुँह से निकलकर सजीव हो उठते थे। उनके गीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे , स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते थे और काम करने वालों के कदम लय – ताल से उठने लगते थे। इसके अलावा भादों की अर्धरात्रि में उनका गान सुनकर उसी तरह चौंक उठते थे , जैसे अँधेरी रात में बिजली चमकने से लोग चौंक कर सजग हो जाते हैं।
प्रश्न 2 – गंगा-स्नान के लिए आने-जाने के दौरान चार-पाँच दिनों तक बालगोबिन भगत उपवास क्यों रखते थे? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – बालगोबिन भगत प्रतिवर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे। इस यात्रा में चार-पाँच दिन लग जाते थे। भगत इतने स्वाभिमानी थे कि पैदल आते-जाते किंतु किसी का सहारा न लेते। वे मानते थे कि साधु को संबल लेने का के या हक। इसी प्रकार वे रास्ते में उपवास कर लेते पर किसी से माँगकर न खाते क्योंकि वे कहते थे कि गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे। इस प्रकार उन्होंने साधु और गृहस्थ होने के स्वाभिमान को बनाए रखा।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – बालगोबिन भगत के प्रति लेखक क्यों आकृष्ट था? – पाठ के आधार पर किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – बालगोबिन भगत के प्रति लेखक के आकृष्ट होने के दो मुख्य कारण थे –
पहला था उनका संगीत। बालगोबिन भगत के गाने में एक विशेष प्रकार की माधुर्यता और दिव्यता थी, जो लेखक को बहुत प्रभावित करती थी। उनकी आवाज में एक जादू था, जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता था। और उनकी आवाज सुनकर लेखक उनकी और खींचा चला जाता था।
दूसरा कारण था उनका धार्मिक समर्पण। बालगोबिन भगत अपने पुरे साल भर की सारी फसल कबीर को भेंट कर देते थे और प्रसाद में जो फसल वापिस मिलती थी उसी से जीवन यापन करते थे। उनके इसी धार्मिक समर्पण और निष्ठा के कारण बालगोबिन भगत के प्रति लेखक आकृष्ट थे।
प्रश्न 2 – लेखक की आँखों से देखा गया बालगोबिन भगत की ‘प्रभाती’ का दृश्य कैसा था? अपने शब्दों में लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लेखक की आँखों से देखा गया बालगोबिन भगत की प्रभाती का दृश्य बहुत ही मनमोहक था। सुबह-सुबह, पोखरे के ऊँचे भिंडे पर बैठकर, बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी बजाते हुए गा रहे थे। तारे की छाँव में उनका मस्तक चमक रहा था। ठंडी हवा और कुहासे के बीच, उनका संगीत और गाना सारा वातावरण मोहक और रहस्यमय बना रहा था।
प्रश्न 3 – ‘बालगोबिन भगत’ शीर्षक पाठ में किन सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है? अपने शब्दों में लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘बालगोबिन भगत’ शीर्षक पाठ में कई सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है जैसे –
पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं को चुनौती – बालगोबिन भगत ने गृहस्थ होते हुए भी साधु की तरह जीवन बिताया और कबीर की भक्ति को प्रमुखता दी। यह पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देता है, जो गृहस्थ और साधु जीवन के बीच स्पष्ट विभाजन मानती हैं।
पारंपरिक शोक विधियों की उपेक्षा – अपने इकलौते बेटे की मृत्यु पर बालगोबिन भगत ने पारंपरिक शोक विधियों को अपनाने के बजाय अपने विश्वास और संगीत को प्राथमिकता दी, जिससे समाज की सामान्य शोक-प्रक्रिया की परंपराओं पर प्रश्न उठता है।
विधवा विवाह का समर्थन – बालगोबिन भगत ने अपनी पतोहू को उसके भाई के साथ भेज दिया और उसकी दूसरी शादी करवाने का आदेश भी दिया। यह समाज में विधवाओं के साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध उठाया हुआ एक कदम है।
प्रश्न 4 – बालगोबिन भगत की ‘गर्मियों की संझा’ के दृश्य का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – गर्मियों की उमसभरी शाम में बालगोबिन भगत अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से, धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच उठते थे और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठते थे। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाता था।
प्रश्न 5 – बालगोबिन भगत गृहस्थी के भीतर भी संन्यासी किस तरह थे? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – बालगोबिन भगत बेटा – पतोहू से युक्त परिवार , खेतीबारी और साफ़ – सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
प्रश्न 6 – भगत की पुत्र-वधू भी उनकी उतनी ही चिंता करती थी जितनी भगत उसकी करते थे। – ‘बालगोबिन भगत’ पाठ से उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – भगत की पुत्रवधू भी उनकी उतनी ही चिंता करती थी जितनी भगत उसकी करते थे। वह उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत की सेवा करना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी। परन्तु भगत भी जानते थे कि उनकी पतोहू का अभी पूरा जीवन पड़ा है वह नया घर बसा कर खुश रह सकती है इसलिए उन्होंने उसे उसके भाई के साथ भेज दिया और उसकी दूसरी शादी करवाने का आदेश दिया ताकि वह बाकि का जीवन सुख से जी सके।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – “बालगोबिन भगत गृहस्थ जीवन में भी संन्यासी थे।” सोदाहरण टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर – बालगोबिन भगत बेटा – पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़ – सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
प्रश्न 2 – ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर धान की रोपनी के दृश्य का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – बालगोबिन भगत का पूरा शरीर कीचड़ में लिपटा हुआ है और वे भी अपने खेत में धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक – एक धान के पौधे को , एक सीध में , खेत में बिठा रही है। उनका गला संगीत के एक – एक शब्द को जुबान पर चढ़ाकर कुछ शब्दों को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर भेज रहा है ! अर्थात बालगोबिन भगत के संगीत के स्वर चारों ओर गूँज रहे हैं। बच्चे खेलते हुए जब बालगोबिन भगत का संगीत सुनते हैं तो वे झूम उठते हैं; खेतों के किनारे पर खड़ी औरतों के होंठ भी काँप उठते हैं, अर्थात वे भी बालगोबिन भगत के स्वरों के साथ गुनगुनाने लगती हैं; हल चलाने वाले लोगों के पैर भी उन स्वरों के ताल से उठने लगते हैं; धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम करने वालों की अँगुलियाँ भी एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं।
प्रश्न 3 – ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर पुष्टि कीजिए कि भगत सच्चे कबीर पंथी थे ।
उत्तर – बालगोबिन सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
प्रश्न 4 – “भगत की पुत्रवधू और भगत दोनों एक-दूसरे की हित-चिंता में ज़िद्द पर अड़े थे” – पुष्टि कीजिए ।
उत्तर – भगत की पुत्रवधू भी उनकी उतनी ही चिंता करती थी जितनी भगत उसकी करते थे। वह उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत की सेवा करना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी। परन्तु भगत भी जानते थे कि उनकी पतोहू का अभी पूरा जीवन पड़ा है वह नया घर बसा कर खुश रह सकती है इसलिए उन्होंने उसे उसके भाई के साथ भेज दिया और उसकी दूसरी शादी करवाने का आदेश दिया ताकि वह बाकि का जीवन सुख से जी सके। इस प्रकार कहा जा सकता है कि दुःख की घड़ी में भगत की पुत्रवधू और भगत दोनों एक-दूसरे की हित-चिंता में ज़िद्द पर अड़े थे।
प्रश्न 5 – बालगोबिन भगत के गीतों का खेतों में काम करते हुए और आते-जाते नर-नारियों पर क्या प्रभाव पड़ता था?
उत्तर – बालगोबिन भगत के संगीत के स्वर चारों ओर गूँज रहे हैं। बच्चे खेलते हुए जब बालगोबिन भगत का संगीत सुनते हैं तो वे झूम उठते हैं; खेतों के किनारे पर खड़ी औरतों के होंठ भी काँप उठते हैं, अर्थात वे भी बालगोबिन भगत के स्वरों के साथ गुनगुनाने लगती हैं ; हल चलाने वाले लोगों के पैर भी उन स्वरों के ताल से उठने लगते हैं ; धान के पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम करने वालों की अँगुलियाँ भी एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं।
प्रश्न 6 – गर्मियों की उमस भरी शाम को भी बालगोबिन भगत किस प्रकार शीतल और मनमोहक बना देते थे?
उत्तर – गर्मियों की उमसभरी शाम में बालगोबिन भगत अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच उठते थे और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठते थे। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाता था।
प्रश्न 7 – “ ‘बालगोबिन भगत’ अपनी सब चीज़ें साहब की मानते थे”, उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – “ ‘बालगोबिन भगत’ अपनी सब चीज़ें साहब की मानते थे”, उदाहरण के लिए – बालगोबिन भगत सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – गर्मियों की उमसभरी शामें बालगोबिन भगत प्राय: कैसे बिताते थे?
उत्तर – गर्मियों की उमसभरी शाम में बालगोबिन भगत अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। गाँव के उनके कुछ प्रेमी भी जुट जाते। खँजड़ियों और करतालों की भरमार हो जाती। एक पद बालगोबिन भगत कह जाते, उनकी प्रेमी-मंडली उसे दुहराती, तिहराती। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होने लगता-एक निश्चित ताल, एक निश्चित गति से। धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता। होते-होते, एक क्षण ऐसा आता कि बीच में खँजड़ी लिए बालगोबिन भगत नाच उठते थे और उनके साथ ही सबके तन और मन नृत्यशील हो उठते थे। सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाता था।
प्रश्न 2 – बालगोबिन भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर – भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्धावस्था में हैं। वे नेम – धर्म का पालन करने वाले इंसान हैं , जो अपने स्वास्थ्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। वह वृद्धावस्था में अकेले पड़े भगत की सेवा करना चाहती थी और उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती थी।
प्रश्न 3 – बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोधे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?
उत्तर – बालगोबिने भगत का इकलौता बेटा कुछ सुस्त और बोदा-सा था। बालगोबिन भगत का मानना था कि ऐसे व्यक्तियों को अधिक प्यार और स्नेह की आवश्यकता होती है। जो लोग मानसिक रूप से सुस्त और बोदा होते हैं माता पिता के उनके प्रति कर्तव्य और भी बढ़ जाते हैं। उनका मानना था कि ऐसे लोग निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। वे प्रेम और ममता के अधिकारी सामान्य लोगों से ज्यादा होते हैं। यदि ऐसे बच्चों का तिरस्कार किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
प्रश्न 4 – बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण क्यों थी?
उत्तर – बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी , सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था , उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में न लाते थे। इस नियम का वे अत्यधिक बारीकी से पालन करते थे , वे दूसरे के खेत में शौच के लिए भी न बैठते थे। इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सर्दियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना , उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी।
प्रश्न 5 – बालगोबिन भगत के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर – बालगोबिन भगत सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
प्रश्न 6 – दो उदाहरण दीजिए जिनसे आपको लगा हो कि बालगोबिन भगत सामाजिक रूढ़ियों से न बँधकर प्रगतिशील विचारों का परिचय देते हैं ।
उत्तर – ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में बालगोबिन भगत सामाजिक रूढ़ियों से न बँधकर प्रगतिशील विचारों का परिचय देते हैं। इसके दो उदाहरण निम्नलिखित हैं –
पहला उदाहरण, जब बालगोबिन भगत के इकलौते बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी पतोहू को उसका जीवन सवारने के लिए दूसरा विवाह करने की आज्ञा दी। और दूसरा उदाहरण, बालगोबिन भगत ने अपने इकलौते बेटे का अंतिम संस्कार अपनी पतोहू के हाथों से करवाया।
प्रश्न 7 – बालगोबिन भगत को किन विशेषताओं के कारण साधु कहा जाता था?
उत्तर – बालगोबिन भगत बेटा – पतोहू से युक्त परिवार , खेतीबारी और साफ़ – सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी – खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।
प्रश्न 8 – बालगोबिन भगत की पतोहू भाई के साथ क्यों नहीं जाना चाहती थी? अंतत: उसे क्यों जाना पड़ा?
उत्तर – जैसे ही पितरों अथवा मृत व्यक्तियों के लिए किया जाने वाला धार्मिक कर्मकांड , पिंडदान, अन्नदान आदि का समय पूरा हुआ , वैसे ही अपनी बहु के भाई को बुलाकर उसे उसके साथ कर दिया , और यह आदेश दिया कि इसकी दूसरी शादी कर देना। किन्तु उनकी बहु रो – रोकर कहती रही कि वह चली जाएगी तो बुढ़ापे में कौन बाल गोबिन भगत के लिए भोजन बनाएगा , यदि कभी बीमार पड़े , तो कोई उन्हें चुल्लू भर – पानी देने वाला भी नहीं होगा। वह बाल गोबिन भगत के पैर पड़ती रही कि वह उसे अपने चरणों से अलग न करे ! लेकिन भगत का निर्णय अटल था। उन्होंने अपनी बहस का अंत करते हुए कहा कि वह चली जाए , नहीं तो वे ही इस घर को छोड़कर चले जाएंगे। अब इस तरह की बात के आगे बेचारी पतोहू की एक न चली। कहने का तात्पर्य यह है कि न चाहते हुए भी बाल गोबिन भगत की बहु को उन्हें बुढ़ापे में अकेले छोड़ कर जाना पड़ा।
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