CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 2 Ram Lakshman Parshuram Samvad Question Answers from previous years question papers (2019-2024) with Solutions

 

Ram Lakshman Parshuram Samvad Previous Year Questions with Answers –  Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 2, “Ram Lakshman Parshuram Samvad”.

 

Questions which came in 2024 Board Exam

 

प्रश्न 1 – परशुराम ने किसकी तुलना सहस्रबाहु से की और क्यों? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – परशुराम जी ने शिव जी के धनुष को तोड़ने वाले की तुलना सहस्रबाहु से की। क्योंकि परशुराम जी शिव जी के बहुत बड़े भक्त थे। उनके अनुसार शिव जी के धनुष को तोड़ना अर्थात शिव जी का अपमान करना है। एक सेवक न तो अपने प्रभु का अपमान करता है और न ही किसी के द्वारा अपने प्रभु के अपमान को सहन करता है। परशुराम जी ने सहस्रबाहु द्वारा उनके पिता के अपमान व् कामधेनु को चुराने के दंड स्वरूप उसका वध किया था और वे चाहते थे कि जिसने भी शिव जी का धनुष तोडा है वह स्वयं ही सामने आ जाए ताकि वे उसे भी सज़ा दे सकें। 

प्रश्न 2 – ‘रामलक्ष्मण परशुराम संवाद’ कविता के आधार पर लिखिए कि रघुकुल में किस-किस पर वीरता का प्रदर्शन नहीं किया जाता और क्यों? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘रामलक्ष्मण परशुराम संवाद’ कविता के आधार पर रघुकुल की यह परंपरा है कि वे देवता , ब्राह्मण , भगवान के भक्त और गाय , इन सभी पर वीरता नहीं दिखाया करते , क्योंकि इन्हें मारने से पाप लगता है और इनसे हार जाने पर अपकीर्ति अथवा अपयश ( बदनामी ) होता है। इसीलिए यदि इनमें से कोई मारें तो भी , रघुकुल की परंपरा के अनुसार इनके पैर पकड़ने चाहिए। 

प्रश्न 3 – ‘लक्ष्मण द्वारा परशुराम को चुनौती देने के क्या कारण थे?’ अपने शब्दों में पाठ के आधार पर लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण का चरित्र श्रीराम के चरित्र के बिलकुल विपरीत था। जहाँ श्री राम का स्वभाव शांत, सरल व् विनम्र था वहीँ दूसरी ओर लक्ष्मण का स्वभाव उग्र एवं उद्दंड था। लक्ष्मण द्वारा परशुराम जी को चुनौती देने का मुख्य कारण परशुराम जी का शिव धनुष तोड़ने वाले को दंड देने की बात करना था। उनके अनुसार श्री राम ने धनुष नहीं तोड़ा था बल्कि वो तो उनके छूने मात्र से ही टूट गया था इसमें श्रीराम की कोई गलती नहीं थी। 

Questions that appeared in 2023 Board Exams

 

प्रश्न 1 – परशुराम शिव धनुष टूटने पर इतने अधिक क्रोधित क्यों हो गए? शिव धनुष तोड़ने वाले के प्रति उनकी प्रतिक्रिया क्या थी? ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ प्रसंग के आधार पर लिखिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – श्री राम जी के द्वारा शिव धनुष तोड़े जाने के कारण परशुराम जी क्रोधित हो जाते हैं क्योंकि उस धनुष के साथ परशुराम जी के भाव जुड़े थे। उन्हें क्रोध में देखकर जब जनक के दरबार में सभी लोग भयभीत हो गए तो श्री राम ने आगे बढ़कर परशुराम जी से कहा कि भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला उनका ही कोई एक दास होगा। श्री राम के वचन सुनकर क्रोधित परशुराम जी उनसे बोले कि सेवक वह कहलाता है , जो सेवा का कार्य करता है। शत्रुता का काम करके तो लड़ाई ही मोल ली जाती है। जिसने भगवान शिव जी के इस धनुष को तोड़ा है , वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु है। फिर वे राजसभा की तरफ देखते हुए कहते हैं कि जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद इस समाज से अलग हो जाए , नहीं तो सभा में उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे।

प्रश्न 2 – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ प्रसंग के आधार पर परशुराम के स्वभाव और व्यक्तित्व की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – राम, लक्ष्मण, परशुराम संवाद में परशुराम जी अपना परिचय अत्यधिक क्रोधी स्वभाव वाले व्यक्ति के रूप में देते हैं और बताते हैं कि वे पूरे विश्व में क्षत्रिय कुल के घोर शत्रु के रूप में प्रसिद्ध हैं।वे लक्ष्मण जी को अपना फरसा दिखाते हैं और कहते हैं कि शायद उन्होंने परशुराम जी के स्वभाव के विषय में नहीं सुना है। वे केवल बालक समझकर लक्ष्मण जी का वध नहीं कर रहे हैं। लक्ष्मण जी उन्हें केवल एक मुनि समझने की भूल न करें। वे बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति हैं। उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को कई बार राजाओं से रहित करके उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया था। अपने फरसे से उन्होंने सहस्रबाहु अर्थात हजारों लोगों की भुजाओं को काट डाला था।

प्रश्न 3 – ‘लक्ष्मण की बातें परशुराम के गुस्से को और बढ़ा रही थीं।’ – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ कविता के आलोक में इस कथन की पुष्टि कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – जब सीता स्वयंवर में श्री राम द्वारा शिव – धनुष के तोड़े जाने के बाद मुनि परशुराम जी को यह समाचार मिला तो वे क्रोधित होकर वहाँ आते हैं। फिर वे राजसभा की तरफ देखते हुए कहते हैं कि जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद इस समाज से अलग हो जाए, नहीं तो सभा में उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे। परशुराम जी के इन क्रोधपूर्ण वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुराए और परशुराम जी का अपमान करते हुए बोले कि बचपन में उन्होंने ऐसे छोटे – छोटे बहुत से धनुष तोड़ डाले थे , किंतु ऐसा क्रोध तो कभी किसी ने नहीं किया। लक्ष्मण जी की व्यंग्य भरी बातें सुनकर परशुराम जी और अधिक क्रोधित हो जाते हैं। 

प्रश्न 4 – ‘इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं’ – पंक्ति के द्वारा लक्ष्मण परशुराम से क्या कह रहे हैं? उन्होंने अपने व्यवहार को उचित ठहराते हुए क्या तर्क दिया? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं’ – पंक्ति में लक्ष्मण जी वीरता और साहस का परिचय देते हुए परशुराम जी से कहते हैं कि हम भी कोई ऐसे ही नहीं है जो कुछ भी देख कर डर जाएँ और मैंने फरसे और धनुष – बाण को अच्छी तरह से देख लिया है इसलिए मैं ये सब आप से अभिमान सहित ही बोल रहा हूँ अर्थात हम कोई एक कोमल फल नहीं है जो हाथ लगाने भर से टूट जाएँ। हम बालक जरूर हैं लेकिन फरसे और धनुष – बाण भी बहुत देखे हैं इसलिए हमें नादान बालक न समझे।

प्रश्न 5 – राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में परशुराम के क्रोध का क्या कारण था? उन्होंने आते ही क्रोध में क्या माँग की? क्या आपको उनका क्रोध उचित प्रतीत होता है? तर्क संगत उत्तर दीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में परशुराम के क्रोध का कारण शिव धनुष का तोड़ा जाना था। श्री राम जी के द्वारा शिव धनुष तोड़े जाने के कारण जब परशुराम जी क्रोधित हो जाते हैं और सभा में सभी को ललकारते हुए कहते हैं कि जिसने भगवान शिव जी के इस धनुष को तोड़ा है , वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु है। फिर वे राजसभा की तरफ देखते हुए कहते हैं कि जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद इस समाज से अलग हो जाए , नहीं तो सभा में उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे।

प्रश्न 6 – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में लक्ष्मण ने अपने कुल की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है? (किन्हीं दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।) (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण अपने कुल की विशेषता का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि उनके कुल की परंपरा है कि वे देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय , इन सभी पर वीरता नहीं दिखाया करते, क्योंकि इन्हें मारने से पाप लगता है और इनसे हार जाने पर अपकीर्ति अथवा अपयश (बदनामी) होता है। इसीलिए आप मारें तो भी, हमें आपके पैर पकड़ने चाहिए।

प्रश्न 7 – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम’ के तीनों मुख्य पात्रों में से किससे आप सर्वाधिक प्रभावित होते हैं और क्यों?(लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण जी के उत्तरों ने, परशुराम जी के क्रोध रूपी अग्नि में आहुति का काम किया। जिससे उनका क्रोध अत्यधिक बढ़ गया। जब श्री राम ने देखा कि परशुराम जी का क्रोध अत्यधिक बढ़ चुका है। अग्नि को शांत करने के लिए जैसे जल की आवश्यकता होती हैं। वैसे ही क्रोध रूपी अग्नि को शांत करने के लिए मीठे वचनों की आवश्यकता होती हैं। श्री राम ने भी वही किया। श्री राम ने अपने मीठे वचनों से परशुराम जी का क्रोध शांत करने का प्रयास किया। जितने क्रोधित स्वभाव के लक्ष्मण जी थे उसके बिलकुल विपरीत श्री राम का स्वभाव अत्यंत शांत था। इसी कारण राम जी के व्यवहार ने हमें सबसे अधिक प्रभावित किया। 

प्रश्न 8 – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के अंतर्गत लक्ष्मण वीरों और कायरों की कौन-सी विशेषताएँ बताते हैं और क्यों? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएं बताई है –

  • वीर पुरुष अपनी महानता का गुणगान खुद नहीं करते।
  • युद्धभूमि में शूरवीर युद्ध करते हैं न की अपने प्रताप का गुणगान करते हैं।
  • स्वयं किए गए प्रसिद्ध कार्यों पर कभी अभिमान नहीं करते।
  • वीर पुरुष किसी के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते।
  • वह अन्याय के विरुद्ध हमेशा खड़े रहते हैं।
  • वीर योद्धा शांत , विनम्र , और साहसी हृदय के होते हैं।

 

Questions from the Chapter in 2020 Board Exams

 

प्रश्न 1 – परशुराम के प्रति लक्ष्मण के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए। (30-40 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण एक परम वीर योद्धा हैं पर परशुराम भी अत्यधिक बलशाली हैं। वीर लोग निडर होते हैं, परन्तु वीरता का अर्थ उग्र होना नहीं है। एक वीर योद्धा हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है। परन्तु परशुराम और लक्ष्मण के मध्य वाद-विवाद में परशुराम का अत्यधिक क्रोधित होना तथा लक्ष्मण जी का अत्यधिक उग्र होना, दोनों ही बातें सही नहीं हैं। क्योंकि हर चीज़ की अति बुरी होती है। हमारे विचार से लक्ष्मण जी को क्रोध की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए था क्योंकि हमारे संस्कारों में हमेशा बड़ों का सम्मान करना सिखाया गया है। 

प्रश्न 2 – परशुराम विश्वामित्र से लक्ष्मण की शिकायत किन शब्दों में करते हैं ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण जी की व्यंग्य भरी बातों को सुनकर परशुराम जी को और क्रोध आ गया और वह विश्वामित्र से बोले कि हे विश्वामित्र ! यह बालक (लक्ष्मण) बहुत कुबुद्धि और कुटिल लगता है और यह काल (मृत्यु) के वश में होकर अपने ही कुल का घातक बन रहा है। यह सूर्यवंशी बालक चंद्रमा पर लगे हुए कलंक के समान है। यह बालक मूर्ख, उदंण्ड, निडर है और इसे भविष्य का भान तक नहीं है। अभी यह क्षणभर में काल का ग्रास हो जाएगा अर्थात् मैं क्षणभर में इसे मार डालूँगा। मैं अभी से यह बात कह रहा हूँ , बाद में मुझे दोष मत दीजिएगा। यदि तुम इस बालक को बचाना चाहते हो तो, इसे मेरे प्रताप, बल और क्रोध के बारे में बता कर अधिक बोलने से मना कर दीजिए।

प्रश्न 3 – लक्ष्मण ने अपने कुल की किस विशेषता का उल्लेख किया है ? क्यों ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण अपने कुल की विशेषता का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि उनके कुल की परंपरा है कि वे देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय, इन सभी पर वीरता नहीं दिखाया करते, क्योंकि इन्हें मारने से पाप लगता है और इनसे हार जाने पर अपकीर्ति अथवा अपयश (बदनामी) होता है। इसीलिए आप मारें तो भी, हमें आपके पैर पकड़ने चाहिए।

प्रश्न 4 – “अल्पवयस बालक बुज़ुर्गों को छेड़कर आनंदित होते हैं” – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (30-40 शब्दों में)
उत्तर – “अल्पवयस बालक बुज़ुर्गों को छेड़कर आनंदित होते हैं” – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर स्पष्ट होता है क्योंकि लक्ष्मण भी परशुराम जी को छेड़ते हुए उनपर व्यग्यात्मक बातों की बौछार करते हैं। परशुराम जी की हर बात को लक्ष्मण जी मजाक में उड़ाते हैं और उनके क्रोध को व्यर्थ बतलाते हैं। बात-बात पर परशुराम जी को कायर कहकर चिढ़ाते हैं।

प्रश्न 5 – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में संवाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच चल रहा था जबकि राम मूकदर्शी थे । राम का मौन उनके स्वभाव की कौन-सी विशेषताओं को उजागर करता है ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में संवाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच चल रहा था जबकि राम मूकदर्शी थे। लक्ष्मण जी के उत्तरों ने, परशुराम जी के क्रोध रूपी अग्नि में आहुति का काम किया। जिससे उनका क्रोध अत्यधिक बढ़ गया। जब श्री राम ने देखा कि परशुराम जी का क्रोध अत्यधिक बढ़ चुका है। अग्नि को शांत करने के लिए जैसे जल की आवश्यकता होती है। वैसे ही क्रोध रूपी अग्नि को शांत करने के लिए मीठे वचनों की आवश्यकता होती है। श्री राम ने भी वही किया। श्री राम ने अपने मीठे वचनों से परशुराम जी का क्रोध शांत करने का प्रयास किया। भाव यह है कि जितने क्रोधित स्वभाव के लक्ष्मण जी थे उसके बिलकुल विपरीत श्री राम का स्वभाव अत्यंत शांत था। इन सभी बातों से श्री राम के कोमल व् विनम्र स्वभाव का पता चलता है।

प्रश्न 6 – लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़ बतिया’ का दृष्टांत क्यों दिया है ? इसके द्वारा वे मुनि और सभा को क्या संदेश देना चाहते हैं ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़बतिया’ का दृष्टांत तब दिया जब परशुराम लक्ष्मण को तुक्छ समझ कर बार-बार उँगली दिखा रहे थे। लक्ष्मण जी ने परशुराम जी को ‘कुम्हड़बतिया’ का उदाहरण तब दिया जब वे उन्हें बार-बार अपने क्रोध, पराक्रम और प्रतिष्ठा के विषय में बताते हुये उन्हें अपने फरसे की तीक्ष्णता से भी अवगत करा रहे थे जिसे बार-बार सुन कर लक्ष्मण जी अपना नियंत्रण खो बैठे और प्र्त्युत्तर में बोले कि बार-बार ये फरसा दिखा कर आप मानो फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हो तो यहाँ कोई कुम्हड बतिया अर्थात कमजोर नहीं हैं जो आपकी तर्जनी देख कर डर जाए। इस उदाहरण के द्वारा लक्ष्मण जी परशुराम जी को सचेत करना चाहते है कि उनकी बातों से वे थोड़ा सा भी नहीं डरे है, लक्ष्मण जी को अपनी शक्ति और क्षमता पर पूरा विश्वास है और वे परशुराम जी का घमंड तोड़ने का पूरा साहस रखते हैं। वे तो उन्हें एक ऋषि, महात्मा समझ कर छोड़ रहे थे। और रघुकुल वीर ब्राह्मण और ऋषि, महात्माओं के साथ युद्ध नहीं करते।

प्रश्न 7 – परशुराम का क्रोध अकारण नहीं था, न ही निरर्थक था – क्यों और कैसे ? स्पष्ट कीजिए । (30-40 शब्दों में)
उत्तर – परशुराम का क्रोध अकारण नहीं था, न ही निरर्थक था क्योंकि श्री राम के द्वारा शिव धनुष को तोड़ देने पर परशुराम जी क्रोधित हो जाते हैं। परशुराम जी इतने क्रोधित हो जाते हैं कि धनुष तोड़ने वाले को अपना शत्रु तक मान लेते हैं। परशुराम जी को इतना अधिक क्रोध करता देख कर अनजाने में ही लक्ष्मण जी उनका उपहास करने लगते हैं। जिस पर परशुराम जी और अधिक क्रोधित हो जाते हैं। लक्ष्मण जी परशुराम जी के क्रोध को बेमतलब का मान रहे थे क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि उस धनुष के साथ परशुराम जी के क्या भाव जुड़े थे।

 

2019 Exam Question and Answers from the chapter

 

प्रश्न 1 – परशुराम क्यों क्रुद्ध थे ? लक्ष्मण ने अंतत: ऐसा क्या कह दिया जिसने क्रोध की आग में आहुति का काम किया ?
उत्तर – जब सीता स्वयंवर में श्री राम द्वारा शिव – धनुष के तोड़े जाने के बाद मुनि परशुराम जी को यह समाचार मिला तो वे क्रोधित होकर वहाँ आते हैं। फिर वे राजसभा की तरफ देखते हुए कहते हैं कि जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह व्यक्ति खुद बखुद इस समाज से अलग हो जाए, नहीं तो सभा में उपस्थित सभी राजा मारे जाएँगे। परशुराम जी के इन क्रोधपूर्ण वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुराए और परशुराम जी का अपमान करते हुए बोले कि बचपन में उन्होंने ऐसे छोटे – छोटे बहुत से धनुष तोड़ डाले थे , किंतु ऐसा क्रोध तो कभी किसी ने नहीं किया। लक्ष्मण जी की व्यंग्य भरी बातें सुनकर परशुराम जी और अधिक क्रोधित हो जाते हैं। 

प्रश्न 2 – लक्ष्मण ने वीर पुरुष और कायर में क्या अंतर बताया है ?
उत्तर – लक्ष्मण ने वीर पुरुष के बारे में बताया है कि वीर योद्धा युद्ध-भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया करते हैं, वे बिना बात के अपने बल की डींग नहीं हाँकते। वीर पुरुष में पराक्रम के साथ-साथ सहनशीलता भी होनी चाहिए। उनमें अहंकार नहीं होना चाहिए। और युद्ध भूमि में शत्रु को सामने पाकर अपनी वीरता की प्रशंसा करने वाले पुरुष कायर कहलाते हैं।

प्रश्न 3 – लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं ?
उत्तर – लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएं बताई है –

  • वीर पुरुष अपनी महानता का गुणगान खुद नहीं करते।
  • युद्धभूमि में शूरवीर युद्ध करते हैं न की अपने प्रताप का गुणगान करते हैं।
  • स्वयं किए गए प्रसिद्ध कार्यों पर कभी अभिमान नहीं करते।
  • वीर पुरुष किसी के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते।
  • वह अन्याय के विरुद्ध हमेशा खड़े रहते हैं।
  • वीर योद्धा शांत , विनम्र , और साहसी हृदय के होते हैं।

प्रश्न 4 – लक्ष्मण ने किन तर्कों से सिद्ध करना चाहा कि धनुष टूट जाने में राम का दोष नहीं है?
उत्तर – परशुराम जी का शिव धनुष की ओर इतना प्रेम देखकर और उसके टूट जाने पर अत्यधिक क्रोधित होता हुआ देख कर लक्ष्मण जी हँसकर परशुराम जी से बोले कि हे देव ! सुनिए , मेरी समझ के अनुसार तो सभी धनुष एक समान ही होते हैं। लक्ष्मण श्रीराम की ओर देखकर बोले कि इस धनुष के टूटने से क्या लाभ है तथा क्या हानि , यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही है। श्री राम जी ने तो इसे केवल छुआ था , लेकिन यह धनुष तो छूते ही टूट गया । फिर इसमें श्री राम जी का क्या दोष है ? मुनिवर ! आप तो बिना किसी कारण के क्रोध कर रहे हैं।

प्रश्न 5 – परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?
उत्तर – राम, लक्ष्मण, परशुराम संवाद में परशुराम जी अपना परिचय अत्यधिक क्रोधी स्वभाव वाले व्यक्ति के रूप में देते हैं और बताते हैं कि वे पूरे विश्व में क्षत्रिय कुल के घोर शत्रु के रूप में प्रसिद्ध है।वे लक्ष्मण जी को अपना फरसा दिखाते हैं और कहते हैं कि शायद उन्होंने परशुराम जी के स्वभाव के विषय में नहीं सुना है। वे केवल बालक समझकर लक्ष्मण जी का वध नहीं कर रहे हैं। लक्ष्मण जी उन्हें केवल एक मुनि समझने की भूल न करें। वे बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति हैं। उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से पृथ्वी को कई बार राजाओं से रहित करके उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया था। अपने फरसे से उन्होंने सहस्रबाहु अर्थात हजारों लोगों की भुजाओं को काट डाला था।

प्रश्न 6 – परशुराम को लक्ष्मण ने वीर योद्धा के क्या लक्षण बताए है?
उत्तर – परशुराम को लक्ष्मण वीर योद्धा के लक्षण बताते हुए कहते हैं कि जो शूरवीर होते हैं वे व्यर्थ में अपनी बड़ाई नहीं करते, बल्कि युद्ध भूमि में अपनी वीरता को सिद्ध करते हैं। शत्रु को युद्ध में उपस्थित पाकर भी अपने प्रताप की व्यर्थ बातें करने वाला कायर ही हो सकता है।

प्रश्न 7 – लक्ष्मण ने धनुष टूटने के किन कारणों की संभावना व्यक्त करते हुए राम को निर्दोष बताया?
उत्तर – परशुराम जी का शिव धनुष की ओर इतना प्रेम देखकर और उसके टूट जाने पर अत्यधिक क्रोधित होता हुआ देख कर लक्ष्मण जी हँसकर परशुराम जी से बोले कि हे देव ! सुनिए , मेरी समझ के अनुसार तो सभी धनुष एक समान ही होते हैं। लक्ष्मण श्रीराम की ओर देखकर बोले कि इस धनुष के टूटने से क्या लाभ है तथा क्या हानि, यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही है। श्री राम जी ने तो इसे केवल छुआ था, लेकिन यह धनुष तो छूते ही टूट गया। इसमें श्री राम जी का कोई दोष नहीं है। इस तरह के तर्क दे कर लक्ष्मण जी ने परशुराम जी के क्रोध को अकारण बताया। 

प्रश्न 8 – लक्ष्मण के किन तर्कों ने परशुराम के क्रोध की आग को भड़काया ?
उत्तर – परशुराम जी के क्रोधपूर्ण वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुराकर और परशुराम जी का अपमान करते हुए बोले कि बचपन में उन्होंने ऐसे छोटे – छोटे बहुत से धनुष तोड़ डाले थे , किंतु ऐसा क्रोध तो कभी किसी ने नहीं किया। लक्ष्मण जी की व्यंग्य भरी बातें सुनकर परशुराम जी के क्रोध की आग और अधिक भड़क जाती है।

 

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