CBSE Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 1 Surdas Ke Pad Question Answers from previous years question papers (2019-2024) with Solutions
Surdas Ke Pad Previous Year Questions with Answers – Question Answers from Previous years Question papers provide valuable insights into how chapters are typically presented in exams. They are essential for preparing for the CBSE Board Exams, serving as a valuable resource.They can reveal the types of questions commonly asked and highlight the key concepts that require more attention. In this post, we have shared Previous Year Questions for Class 10 Hindi (Course A) Kshitij Bhag 2 Book Chapter 1, “Surdas Ke Pad”.
Questions which came in 2024 Board Exam
प्रश्न 1 – सूरदास के ‘पद’ के अनुसार गोपियों को ऐसा क्यों लगा कि कृष्ण ने राजनीति पढ़ ली है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – सूरदास के ‘पद’ के अनुसार गोपियों को ऐसा लगता है कि कृष्ण ने राजनीति पढ़ ली है क्योंकि वे उद्धव के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश वापिस भी भेज देते हैं। गोपियाँ मानती हैं श्री कृष्ण पहले से ही बहुत चतुर चालाक थे, अब मथुरा पहुँचकर शायद उन्होंने राजनीति शास्त्र भी पढ़ लिया है, जिस के कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं, जो उन्होंने उद्धव के द्वारा जोग (योग) का संदेश भेजा है। क्योंकि अगर श्रीकृष्ण स्वयं आते तो गोपियाँ उन्हें कभी वापिस नहीं जाने देतीं।
प्रश्न 2 – गोपियों ने उद्धव द्वारा बताए गए योग को व्याधि क्यों कहा है? सूरदास के ‘पद’ के आधार पर बताइए। (लगभग 25-30 शब्दों में )
उत्तर – श्री कृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ पहले से विरहाग्नि में जल रही थीं। वे श्री कृष्ण के प्रेम – संदेश और उनके आने की प्रतीक्षा कर रही थीं। जब श्री कृष्ण मथुरा वापस नहीं आते और उद्धव के द्वारा मथुरा यह संदेश भेजा देते हैं कि वह वापस नहीं आ पाएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट – सी गईं और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई। वे अब तक इसी कारण जी रहीं थी कि श्री कृष्ण जल्द ही वापिस आ जाएंगे और वे सिर्फ़ इसी आशा से अपने तन – मन की पीड़ा को सह रही थीं कि जब श्री कृष्ण वापस लौटेंगे, तो वे अपने प्रेम को कृष्ण के समक्ष व्यक्त करेंगी। उनके हृदय में श्री कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम है, जो कि किसी योग – संदेश द्वारा कम होने वाला नहीं है। बल्कि इससे उनका प्रेम और भी दृढ़ हो जाएगा।
प्रश्न 3 – सूरदास के ‘पद’ में उद्धव के व्यवहार की तुलना किनसे और क्यों की गई है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – उद्धव के व्यवहार की तुलना दो वस्तुओं से की गई है –
कमल के पत्ते से – जो पानी में रहकर भी गीला नहीं होता है।
तेल में डूबी गागर से – जो तेल के कारण पानी से गीली नहीं होती है।
क्योंकि जिस प्रकार कमल के पत्ते हमेशा जल के अंदर ही रहते हैं , लेकिन उन पर जल के कारण कोई दाग दिखाई नहीं देता अर्थात् वे जल के प्रभाव से अछूती रहती हैं और इसके अतिरिक्त जिस प्रकार तेल से भरी हुई मटकी पानी के मध्य में रहने पर भी उसमें रखा हुआ तेल पानी के प्रभाव से अप्रभावित रहता है , उसी प्रकार श्री कृष्ण के साथ रहने पर भी उद्धव के ऊपर श्रीकृष्ण के प्रेम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
प्रश्न 4 – उद्धव ने गोपियों को समझाने के लिए कौन-सा उपदेश दिया और गोपियों को वह पसंद क्यों नहीं आया? (लगभग 25-30 शब्दों में )
उत्तर – उद्धव गोपियों के पास श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों को दिए योग साधना का संदेश लेकर गए थे। उद्धव ने गोपियों को सलाह दी कि वे अपने मन में नियंत्रण रखें। गोपियों ने इस योग संदेश के स्थान पर प्रेम सन्देश की कल्पना की थी। इस योग संदेश से उनकी सहनशक्ति टूट गई। इस योग संदेश ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम किया। उद्धव गोपियों को योग मार्ग पर चलने का उपदेश देने लगे, जिससे गोपियों को उद्धव का यह योग संदेश पसंद नहीं आया। क्योंकि वे तो श्रीकृष्ण के वापिस आने की आशा में ही जी रही थी।
प्रश्न 5 – सूरदास की गोपियों ने उद्धव को ‘बड़भागी’ किस उद्देश्य से कहा है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – गोपियों ने उद्धव को इसलिए बड़भागी कहा है क्योंकि उद्धव श्रीकृष्ण के प्रेम से दूर हैं। गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती हैं। क्योंकि सुनने में तो उनकी बातें प्रशंसा लग रही हैं किंतु वास्तव में वे कहना चाह रही हैं कि उद्धव बड़े अभागे हैं क्योंकि वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी , श्री कृष्ण के प्रेम का अनुभव नहीं कर सके। न तो वे श्री कृष्ण के हो सके, न श्री कृष्ण को अपना बना सके। क्योंकि जो कोई भी श्री कृष्ण के साथ एक क्षण भी व्यतीत कर लेता है वह कृष्णमय हो जाता है। उन्हें कृष्ण का प्रेम अपने बंधन में न बाँध सका। ऐसे में उद्धव को प्रेम की वैसी पीड़ा नहीं झेलनी पड़ रही है जैसी गोपियाँ झेलने को विवश हैं।
Questions that appeared in 2023 Board Exams
प्रश्न 1 – सूर की गोपियाँ सच्चा राजधर्म किसे बता रही हैं? उनके अनुसार कृष्ण किस प्रकार राजधर्म का पालन नहीं कर रहे हैं? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – सूर की गोपियों के अनुसार राजधर्म तो यही कहता है कि राजा को प्रजा के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए और न ही प्रजा को सताना चाहिए। उनके अनुसार कृष्ण राजधर्म का पालन नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि श्री कृष्ण पहले से ही बहुत चतुर चालाक थे, और अब मथुरा पहुँचकर शायद उन्होंने राजनीति शास्त्र भी पढ़ लिया है, जिस के कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं, जो उन्होंने उद्धव के द्वारा जोग (योग) का संदेश भेजा है। गोपियों के अनुसार मथुरा जाते समय उनका मन श्री कृष्ण अपने साथ ले गए थे, जो अब उन्हें वापस चाहिए। वे तो दूसरों को अन्याय से बचाते हैं, वे गोपियों के लिए योग का संदेश भेजकर उन पर अन्याय कर रहे हैं। गोपियाँ चाहती हैं कि श्री कृष्ण को योग का संदेश वापस लेकर स्वयं दर्शन के लिए आना चाहिए।
प्रश्न 2 – सूरदास की गोपियाँ व्यंग्यपूर्वक उद्धव को ‘बड़भागी’ क्यों कहती हैं? ‘पद’ में आए दो दृष्टांतों से स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – सूरदास की गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती हैं। उनकी बातों में वक्रोक्ति है। क्योंकि सुनने में तो उनकी बातें प्रशंसा लग रही हैं किंतु वास्तव में वे कहना चाह रही हैं कि उद्धव बड़े अभागे हैं क्योंकि वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी , श्री कृष्ण के प्रेम का अनुभव नहीं कर सके। न तो वे श्री कृष्ण के हो सके, न श्री कृष्ण को अपना बना सके। उन्होंने प्रेम का आनंद जाना ही नहीं। यह उद्धव का दुर्भाग्य है क्योंकि जो कोई भी श्री कृष्ण के साथ एक क्षण भी व्यतीत कर लेता है वह कृष्णमय हो जाता है।
प्रश्न 3 – ‘सूरदास’ के पद के आधार पर लिखिए कि ‘हारिल पक्षी’ के उदाहरण से गोपियाँ अपने बारे में क्या बताना चाहती हैं। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘हारिल पक्षी’ के उदाहरण से गोपियाँ बताना चाहती हैं कि उनके लिए श्री कृष्ण हारिल पक्षी की लकड़ी के समान हैं। जिस तरह हारिल पक्षी अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है, उसे कहीं भी गिरने नहीं देता, उसी प्रकार गोपियों ने भी मन, वचन और कर्म से नंद पुत्र श्री कृष्ण को अपने ह्रदय के प्रेम-रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है अर्थात दृढ़तापूर्वक अपने हृदय में बसाया हुआ है।
प्रश्न 4 – ‘ऊधौ, तुम हो अति बड़भागी’ पद में वर्णित गुड़ और चींटी के उदाहरण के माध्यम से गोपियों की किस मनोदशा का वर्णन हुआ है? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – गोपियाँ उद्धव अर्थात श्री कृष्ण के मित्र से व्यंग कर रही हैं, वे उद्धव को भाग्यशाली कहती हैं क्योंकि वे श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम के बंधन से अछूते रहे हैं जबकि गोपियाँ श्री कृष्ण के मोहजाल में ऐसी फस गई हैं जैसे चींटियाँ गुड़ से चिपक जाती हैं। वे खुद को अभागिन अबला नारी समझती हैं, जिस प्रकार चींटियाँ गुड़ से चिपक जाती हैं, ठीक उसी प्रकार गोपियाँ भी श्रीकृष्ण के प्रेम में उलझ गई हैं, उनके मोहपाश में लिपट गई हैं। वे श्रीकृष्ण के प्रेम से खुद को दूर नहीं रख पा रही है।
प्रश्न 5 – ‘ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी’ पद के आधार पर लिखिए कि गोपियों ने किन उदाहरणों से सिद्ध किया है कि उद्धव कृष्ण के समीप रहकर भी उनके प्रेम से वंचित ही रहे। किन्हीं दो उदाहरणों से अपने उत्तर को स्पष्ट कीजिए। (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – गोपियाँ उद्धव पर व्यंग करते हुए कह रही हैं कि वे बहुत भाग्यशाली हैं, जो अभी तक श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम के बंधन से अछूते हैं और न ही उनके मन में श्रीकृष्ण के प्रति कोई प्रेम-भाव उत्पन्न हुआ है। गोपियाँ उद्धव की तुलना कमल के पत्तों व तेल के मटके के साथ करती हुई कहती हैं कि जिस प्रकार कमल के पत्ते हमेशा जल के अंदर ही रहते हैं, लेकिन उन पर जल के कारण कोई दाग दिखाई नहीं देता अर्थात् वे जल के प्रभाव से अछूती रहती हैं और इसके अतिरिक्त जिस प्रकार तेल से भरी हुई मटकी पानी के मध्य में रहने पर भी उसमें रखा हुआ तेल पानी के प्रभाव से अप्रभावित रहता है, उसी प्रकार श्री कृष्ण के साथ रहने पर भी उद्धव के ऊपर श्रीकृष्ण के प्रेम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
प्रश्न 6 – ‘सूर के पद’ में गोपियों के माध्यम से सूरदास की भक्ति-भावना सामने आती है। इस कथन के आलोक में सूरदास की भक्ति-भावना पर टिप्पणी कीजिए। (किन्हीं दो बिंदुओं को उत्तर में अवश्य शामिल करें) (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘सूर के पद’ में गोपियों के माध्यम से सूरदास की भक्ति-भावना सामने आती है।
गोपियाँ उद्धव को भाग्यशाली कहती हैं क्योंकि वे श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम के बंधन से अछूते रहे हैं जबकि गोपियाँ श्री कृष्ण के मोहजाल में ऐसी फस गई हैं जैसे चींटियाँ गुड़ से चिपक जाती हैं।
गोपियाँ श्री कृष्ण और अपने सम्बन्ध को हारिल पक्षी और उसकी लकड़ी के समान मानती हैं। जिस तरह हारिल पक्षी अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है, उसे कहीं भी गिरने नहीं देता, उसी प्रकार गोपियों ने भी मन, वचन और कर्म से नंद पुत्र श्री कृष्ण को अपने ह्रदय के प्रेम-रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है अर्थात दृढ़तापूर्वक अपने हृदय में बसाया हुआ है।
प्रश्न 7 – ‘सूर के पद’ में प्रेम की मर्यादा का निर्वाह किसने और किस प्रकार नहीं किया? (लगभग 25-30 शब्दों में)
उत्तर – ‘सूर के पद’ में प्रेम की मर्यादा का निर्वाह श्री कृष्ण ने नहीं किया क्योंकि वे जब मथुरा वापस नहीं आते और उद्धव के द्वारा मथुरा यह संदेश भेज देते हैं कि वह वापस नहीं आ पाएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट-सी जाती हैं और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ जाती है। मथुरा जाते समय श्री कृष्ण गोपियों का मन अपने साथ ले गए थे। गोपियों के अनुसार श्री कृष्ण तो दूसरों को अन्याय से बचाते हैं, लेकिन गोपियों के अनुसार वे उन पर अन्याय कर रहे हैं। राजधर्म तो यही कहता है कि प्रजा के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए अथवा न ही सताना चाहिए। परन्तु श्रीकृष्ण वापिस न आ कर प्रेम की मर्यादा का निर्वाह नहीं कर रहे हैं।
Questions from the Chapter in 2020 Board Exams
प्रश्न 1 – ‘हरि हैं राजनीति पढ़ि आए’ – में राजनीति से कृष्ण की किस नीति की ओर गोपियों ने व्यंग्य किया है और क्यों ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – सूरदास के ‘पद’ के अनुसार गोपियों को ऐसा लगता है कि कृष्ण ने राजनीति पढ़ ली है क्योंकि वे उद्धव के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश वापिस भी भेज देते हैं। गोपियाँ मानती हैं श्री कृष्ण पहले से ही बहुत चतुर चालाक थे, अब मथुरा पहुँचकर शायद उन्होंने राजनीति शास्त्र भी पढ़ लिया है, जिस के कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं, जो उन्होंने उद्धव के द्वारा जोग (योग) का संदेश भेजा है। क्योंकि अगर श्रीकृष्ण स्वयं आते तो गोपियाँ उन्हें कभी वापिस नहीं जाने देतीं।
प्रश्न 2 – गोपियों के मन की व्यथा क्या है ? वह मन में ही क्यों रह गई ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – जब श्री कृष्ण के मथुरा वापस नहीं आने का संदेश गोपियाँ सुनती हैं तो गोपियाँ उद्धव से अपनी पीड़ा बताते हुए कह रही हैं कि हमारे मन की इच्छाएँ हमारे मन में ही रह गईं , क्योंकि हम श्री कृष्ण से यह कह नहीं पाईं कि हम उनसे प्रेम करती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि श्री कृष्ण के गोकुल छोड़ कर चले जाने के उपरांत, उनके मन में स्थित श्री कृष्ण के प्रति प्रेम-भावना मन में ही रह गई है। जब उन्हें श्री कृष्ण का जोग अर्थात् योग-संदेश मिला, जिसमें उन्हें पता चला कि वे अब लौटकर नहीं आएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट-सी गईं, जिस कारण उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई।
प्रश्न 3 – गोपियों के माध्यम से सूरदास ने निर्गुण भक्ति पर कृष्ण-भक्ति को बेहतर साबित किया है – इस पर टिप्पणी कीजिए । (30-40 शब्दों में)
उत्तर – गोपियों के माध्यम से सूरदास ने निर्गुण भक्ति पर कृष्ण-भक्ति को बेहतर साबित किया है। उनके अनुसार गोपियों का श्री कृष्ण जी के प्रति अनन्य प्रेम है। गोपियों के हृदय में श्री कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम है , जो कि किसी योग – संदेश द्वारा कम होने वाला नहीं है। बल्कि इससे उनका प्रेम और भी दृढ़ हो जाता है। सूरदास ने निर्गुण भक्ति को कड़वी ककड़ी जैसा बताकर कृष्ण-भक्ति को एकनिष्ठ प्रेम में दृढ़ विश्वास प्रकट करने वाला माना है।
प्रश्न 4 – ‘धो तुम हो अति बड़भागी’ – में उद्धव को बड़भागी कहने का क्या तात्पर्य है ? गोपियाँ ख़ुद को उद्धव से कैसे अलग मानती हैं ? (30-40 शब्दों में)
उत्तर – गोपियों ने उद्धव को इसलिए बड़भागी कहा है क्योंकि उद्धव श्रीकृष्ण के प्रेम से दूर हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी श्री कृष्ण के प्रेम का अनुभव नहीं कर सके। न तो वे श्री कृष्ण के हो सके, न श्री कृष्ण को अपना बना सके। क्योंकि जो कोई भी श्री कृष्ण के साथ एक क्षण भी व्यतीत कर लेता है वह कृष्णमय हो जाता है। उन्हें कृष्ण का प्रेम अपने बंधन में न बाँध सका। जबकि गोपियाँ श्री कृष्ण के मोहजाल में ऐसी फस गई हैं जैसे चींटियाँ गुड़ से चिपक जाती हैं। वे खुद को अभागिन अबला नारी समझती हैं, जिस प्रकार चींटियाँ गुड़ से चिपक जाती हैं, ठीक उसी प्रकार गोपियाँ भी श्रीकृष्ण के प्रेम में उलझ गई हैं, उनके मोहपाश में लिपट गई हैं। वे श्रीकृष्ण के प्रेम से खुद को दूर नहीं रख पा रही है।
2019 Exam Question and Answers from the chapter
प्रश्न 1 – “राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।” – भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – “राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।” पंक्ति का भाव यह है कि राजधर्म तो यही कहता है कि प्रजा के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए अथवा न ही सताना चाहिए। गोपियों के अनुसार मथुरा जाते समय श्री कृष्ण उनका मन अपने साथ ले गए थे, जो अब उन्हें वापस चाहिए। गोपियाँ कहती हैं कि श्रीकृष्ण तो दूसरों को अन्याय से बचाते हैं , फिर गोपियों पर अन्याय क्यों कर रहे हैं? क्योंकि राजधर्म तो यही कहता है कि प्रजा के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए अथवा न ही सताना चाहिए। इसलिए श्री कृष्ण को योग का संदेश वापस लेकर स्वयं दर्शन के लिए आना चाहिए।
प्रश्न 2 – आशय स्पष्ट कीजिए :
“हरि हैं राजनीति पढ़ि आए ।”
उत्तर – “हरि हैं राजनीति पढ़ि आए ।” पंक्ति का आशय यह है कि गोपियाँ उद्धव को ताना मारती हैं कि श्री कृष्ण ने अब राजनीति पढ़ ली है। जिसके कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं और अंत में गोपियों द्वारा उद्धव को राजधर्म (प्रजा का हित) याद दिलाया जाना सूरदास की लोकधर्मिता को दर्शाता है। गोपियाँ व्यंग्यपूर्वक उद्धव से कहती हैं कि श्री कृष्ण ने राजनीति का पाठ पढ़ लिया है। जो कि मधुकर अर्थात उद्धव के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश भी भेज देते हैं।
प्रश्न 3 – ‘ऊधो, तुम हौ अति बड़भागी’ कह कर गोपियों ने उद्धव के स्वभाव पर क्या-क्या व्यंग्य किए हैं ?
उत्तर – गोपियाँ उद्धव पर व्यंग करते हुए कह रही हैं कि वे बहुत भाग्यशाली हैं, जो अभी तक श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके प्रेम के बंधन से अछूते हैं और न ही उनके मन में श्रीकृष्ण के प्रति कोई प्रेम-भाव उत्पन्न हुआ है। गोपियाँ उद्धव की तुलना कमल के पत्तों व तेल के मटके के साथ करती हुई कहती हैं कि जिस प्रकार कमल के पत्ते हमेशा जल के अंदर ही रहते हैं, लेकिन उन पर जल के कारण कोई दाग दिखाई नहीं देता अर्थात् वे जल के प्रभाव से अछूती रहती हैं और इसके अतिरिक्त जिस प्रकार तेल से भरी हुई मटकी पानी के मध्य में रहने पर भी उसमें रखा हुआ तेल पानी के प्रभाव से अप्रभावित रहता है, उसी प्रकार श्री कृष्ण के साथ रहने पर भी उद्धव के ऊपर श्रीकृष्ण के प्रेम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
प्रश्न 4 – उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर – उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया क्योंकि जब श्री कृष्ण मथुरा वापस नहीं आते और उद्धव के द्वारा मथुरा यह संदेश भेजा देते हैं कि वह वापस नहीं आ पाएंगे, तो इस संदेश को सुनकर गोपियाँ टूट-सी गईं और उनकी विरह की व्यथा और बढ़ गई। वे उद्धव से शिकायत करती हैं कि अब वे अपनी यह व्यथा / यह पीड़ा किसे जाकर कहें ? उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है। वे अब तक इसी कारण जी रहीं थी कि श्री कृष्ण जल्द ही वापिस आ जाएंगे और वे सिर्फ़ इसी आशा से अपने तन-मन की पीड़ा को सह रही थीं कि जब श्री कृष्ण वापस लौटेंगे , तो वे अपने प्रेम को कृष्ण के समक्ष व्यक्त करेंगी।
प्रश्न 5 – गोपियाँ उद्धव से क्यों कहती हैं – “हरि हैं राजनीति पढ़ि आए”?
उत्तर – गोपियाँ व्यंग्यपूर्वक उद्धव से कहती हैं कि श्री कृष्ण ने राजनीति का पाठ पढ़ लिया है। जो कि मधुकर अर्थात उद्धव के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश भी भेज देते हैं। श्री कृष्ण पहले से ही बहुत चतुर चालाक थे, अब मथुरा पहुँचकर शायद उन्होंने राजनीति शास्त्र भी पढ़ लिया है, जिस के कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं, जो उन्होंने तुम्हारे द्वारा जोग (योग) का संदेश भेजा है । हे उद्धव ! पहले के लोग बहुत भले थे, जो दूसरों की भलाई करने के लिए दौड़े चले आते थे। यहाँ गोपियाँ श्री कृष्ण की ओर संकेत कर रही हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अब श्री कृष्ण बदल गए हैं।
प्रश्न 6 – गोपियाँ कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम रखती हैं। इस बात को उन्होंने उद्धव के सामने कैसे रखा ?
उत्तर – गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि हमारे श्री कृष्ण तो हमारे लिए हारिल पक्षी की लकड़ी के समान हैं। जिस तरह हारिल पक्षी अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है , उसे कहीं भी गिरने नहीं देता , उसी प्रकार हमने भी मन , वचन और कर्म से नंद पुत्र श्री कृष्ण को अपने ह्रदय के प्रेम – रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है अर्थात दृढ़तापूर्वक अपने हृदय में बसाया हुआ है। हम तो जागते सोते , सपने में और दिन – रात कान्हा – कान्हा रटती रहती हैं। इसी के कारण हमें तो जोग का नाम सुनते ही ऐसा लगता है , जैसे मुँह में कड़वी ककड़ी चली गई हो।
प्रश्न 7 – गोपियाँ कृष्ण को हारिल की लकड़ी क्यों मानती हैं ?
उत्तर – गोपियाँ कृष्ण को हारिल की लकड़ी इसलिए मानती हैं क्योंकि जिस तरह हारिल पक्षी अपने पंजों में लकड़ी को बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़े रहता है , उसे कहीं भी गिरने नहीं देता , उसी प्रकार गोपियों ने भी मन , वचन और कर्म से नंद पुत्र श्री कृष्ण को अपने ह्रदय के प्रेम – रूपी पंजों से बड़ी ही ढृढ़ता से पकड़ा हुआ है अर्थात दृढ़तापूर्वक अपने हृदय में बसाया हुआ है।
प्रश्न 8 – गोपियों को उद्धव से क्यों कहना पड़ा – “हरि हैं राजनीति पढ़ि आए” ?
उत्तर – सूरदास के ‘पद’ के अनुसार गोपियों को ऐसा लगता है कि कृष्ण ने राजनीति पढ़ ली है। क्योंकि वे उद्धव के द्वारा सब समाचार प्राप्त कर लेते हैं और उन्हीं को माध्यम बनाकर संदेश वापिस भी भेज देते हैं। गोपियाँ मानती हैं श्री कृष्ण पहले से ही बहुत चतुर चालाक थे, अब मथुरा पहुँचकर शायद उन्होंने राजनीति शास्त्र भी पढ़ लिया है , जिस के कारण वे और अधिक बुद्धिमान हो गए हैं , जो उन्होंने तुम्हारे द्वारा जोग (योग) का संदेश भेजा है। क्योंकि अगर श्रीकृष्ण स्वयं आते तो गोपियाँ उन्हें कभी वापिस नहीं जाने देतीं।
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