Atamtran Question Answers
 

CBSE Class 10 Hindi Chapter 7 Atamtran (आत्मत्राण) Question Answers (Important) from Sparsh Book

 
Class 10 Hindi Atamtran Question Answers – Looking for Atamtran question answers for CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Book Lesson 7? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 7 के लिए आत्मत्राण प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे आत्मत्राण प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

 Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

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आत्मत्राण NCERT Solutions

(क ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1 – कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है ?
उत्तर
– कवि करुणामय ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है की उसे भले ही दुःख दर्द और कष्ट दे परन्तु उन सबसे लड़ने की शक्ति भी दे। चाहे दुःख हो या ख़ुशी वो ईश्वर को कभी न भूले। उसके मन में कभी ईश्वर के प्रति संदेह न हो इतनी शक्ति की माँग कवि कर रहा है।

प्रश्न 2 – ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’- कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर
– कवि इस पंक्ति में ईश्वर से प्रार्थना करता है कि मैं ये नहीं कहता की मुझ पर कोई विपदा न आये और कोई दुःख न आये। बस मैं ये चाहता हूँ कि मुझे उन विपदाओं और कष्टों को झेलने की शक्ति या ताकत देना।

प्रश्न 3 – कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है ?
उत्तर
– कवि सहायक के न मिलने पर  प्रार्थना करता है कि उसके पुरुषार्थ में कोई कमी न आये ,यदि संसार में उसे कोई हानि हो और कोई लाभ भी ना हो तो भी उसके मन की शक्ति का नाश नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 4 – अंत में कवि क्या अनुनय करता है ?
उत्तर
– अंत में कवि अनुनय करता है कि चाहे सब लोग उसे धोखा दें , उसके बुरे समय में कोई उसका साथ ना दे और सब दुःख दर्द उसे घेर लें फिर भी उसका विश्वास ईश्वर पर कभी कम नहीं होगा। ईश्वर के प्रति उसकी आस्था कभी कम नहीं होगी।

प्रश्न 5 – ‘आत्मत्राण ‘ शीर्षक की सार्थकता कविता के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
– ‘आत्मत्राण’ का अर्थ है आत्मा का त्राण अर्थात आत्मा या मन के भय का निवारण या भय की मुक्ति। कवि ईश्वर से यह प्रार्थना नहीं कर रहा है कि उसे दुःख ना मिले बल्कि वह मिले हुए दुःखों को सहने और झेलने की शक्ति ईश्वर से मांग रहा है। अतः यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।

प्रश्न 6 – अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना के अतिरिक्त आप और क्या – क्या प्रयास करते हैं ? लिखिए।
उत्तर
– अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना के अतिरिक्त परिश्रम ,संघर्ष ,सहनशीलता और कठिनाई से परेशानिओं का सामना करना जैसे प्रयास आवश्यक हैं। धैर्य पूर्वक हम इन प्रयासों के जरिये अपनी इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 7 – क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है। यदि हाँ, तो कैसे ?
उत्तर –
यह प्रार्थना गीत अन्य प्रार्थना गीतों से भिन्न है क्योंकि अन्य गीतों में ईश्वर से दुःख दर्द ,कष्टों को दूर करने और सुख शांति की कामना की जाती है। परन्तु इस गीत में ईश्वर से दुःख दर्द और कष्टों को दूर करने के लिए नहीं बल्कि उन दुःख दर्द और कष्टों को सहने की और झेलने की शक्ति देने के लिए कहा है।

(ख ) निम्नलिखित अंशों के भाव स्पष्ट कीजिए –

(1) नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
उत्तर
– इन पंक्तियों में कवि  कह रहे हैं कि सुख के दिनों में भी ईश्वर को एक क्षण के लिए भी ना भूलूँ अर्थात हर क्षण ईश्वर को याद करता रहूं। मेरे प्रभु मेरे मन में आपके प्रति कोई संदेह न हो इतनी मुझे शक्ति देना।

(2) हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
उत्तर
– इन पंक्तियों में कवि  कह रहे हैं कि उन्हें अगर इस संसार में हानि भी उठानी पड़े और लाभ से हमेशा वंचित ही रहना पड़े तो भी कोई बात नहीं पर उनके मन की शक्ति का कभी नाश नहीं होना चाहिए अर्थात उनका मन हर परिस्थिति में आत्मविश्वास से भरा रहना चाहिए।

(3) तरने की हो शक्ति अनामय।
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
उत्तर
– इन पंक्तियों में कवि  कह रहे हैं कि हे प्रभु ! आप केवल मुझे निरोग अर्थात  स्वस्थ रखें ताकि मैं अपनी शक्ति के सहारे इस संसार रूपी सागर को पार कर सकूँ। मेरे कष्टों के भार को भले ही कम ना करो और न ही मुझे तसल्ली  दो। आपसे केवल इतनी प्रार्थना है की मेरे अंदर निर्भयता भरपूर डाल दें ताकि मैं सारी परेशानियों का डट कर सामना कर सकूँ।

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Class 10 Hindi आत्मत्राण Lesson 7 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

1)
विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो (करुणामय)
कभी न विपदा में पाऊँ भय।
दुःख-ताप से व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे (करुणामय)
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरुष न हिले;
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।।

 

प्रश्न 1. कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है?
(क) कवि ईश्वर से दुखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है
(ख) कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उसके दुखों को कम कर दे
(ग) कवि चाहता है कि ईश्वर उसे सांत्वना के दो शब्द कहे
(घ) उपरोक्त सभी
उतर – (क) कवि ईश्वर से दुखों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति के लिए प्रार्थना करता है

प्रश्न 2. दुख से पीड़ित होने पर कवि क्या चाहता है?
(क) दुख सहने की शक्ति
(ख) सुख मिलते रहने का वरदान
(ग) दुख दूर करने का उपाय
(घ) दुखों को जीत सकने का वरदान
उतर – (घ) दुखों को जीत सकने का वरदान

प्रश्न 3. सहायक न मिलने पर कवि क्या चाहता है?
(क) सांत्वना मिलती रहे
(ख) दुख को सहता रहे
(ग) वह अकेला न रहे
(घ) बल-पौरुष कम न हो
उतर – (घ) बल-पौरुष कम न हो

प्रश्न 4. कविता में ‘करुणामय’ शब्द किसके लिए आया है?
(क) लेखक
(ख) कवि
(ग) ईश्वर
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उतर – (ग) ईश्वर

प्रश्न 5. ‘क्षय’ शब्द से कवि क्या कहना चाहता है?
(क) दुख
(ख) सांत्वना
(ग) सुख
(घ) प्रसन्नता
उतर – (क) दुख

प्रश्न 6. कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है?
(क) मानव को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए
(ख) आत्मबल की रक्षा करनी चाहिए
(ग) विपत्तियां सहनी चाहिए
(घ) ईश्वर की प्रार्थना करते रहना चाहिए
उतर – (क) मानव को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए

 

 2)
मेरा त्राण करो अनुदिन तुम यह मेरी प्रार्थना नहीं
बस इतना होवे (करुणायम)
तरने की हो शक्ति अनामय।
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
केवल इतना रखना अनुनय-
वहन कर सकूँ इसको निर्भय।
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
दुःख-रात्रि में करे वंचना मेरी जिस दिन निखिल मही
उस दिन ऐसा हो करुणामय,
तुम पर करूँ नहीं कुछ संशय।।

प्रश्न 1. कवि ईश्वर से क्या चाहता है?
(क) निर्भीकता
(ख) भार वहन करने की शक्ति
(ग) भार हलका करना
(घ) सांत्वना
उतर – (ख) भार वहन करने की शक्ति

प्रश्न 2. “नत शिर” का क्या अर्थ है-
(क) अहंकार से सिर उठाकर
(ख) सिर ऊँचा करके
(ग) झुककर
(घ) सिर झुका कर
उतर – (घ) सिर झुका कर

प्रश्न 3. “तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में” से कवि का क्या भाव है?
(क) सुख के दिनों में भी सदा ईश्वर को याद करता रहूं।
(ख) विपत्ति आने पर पल-पल ईश्वर को याद करू।
(ग) दुख के दिनों में ईश्वर को याद करता रहूं।
(घ) सुख के दिनों में ईश्वर को न याद करूँ।
उतर – (क) सुख के दिनों में भी सदा ईश्वर को याद करता रहूं।

प्रश्न 4. कवि सुख के दिनों में क्या कामना करता है?
(क) कवि सुख के दिनों में हर क्षण प्रभु को याद रखना चाहता है।
(ख) कवि सुख के दिनों में हर क्षण सुख भोगना चाहता है।
(ग) वह सुख के क्षणों को बनाए रखे
(घ) कवि सुख के दिनों में सुख कम न होने की कामना करता है।
उतर – (क) कवि सुख के दिनों में हर क्षण प्रभु को याद रखना चाहता है।

प्रश्न 5. “निखिल मही” से यहाँ तात्पर्य है-
(क) कवि के सगे-संबंधी
(ख) पृथ्वी के अन्य प्राणी
(ग) संपूर्ण संसार
(घ) उसके अपने कर्म
उतर – (ग) संपूर्ण संसार

प्रश्न 6. ‘तुम पर करूँ नहीं कुछ संशय’ से क्या तात्पर्य है ?
(क) किसी भी स्थिति में कवि ईश्वर पर शक नहीं करना चाहता
(ख) कवि ईश्वर पर शक करता है
(ग) कवि ईश्वर को शक्ति प्रदान करने को कहता है
(घ) कवि फूंक फूंक कर कदम रखना चाहता है
उतर – (क) किसी भी स्थिति में कवि ईश्वर पर शक नहीं करना चाहता

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Class 10 Hindi आत्मत्राण प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)

In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.

 

प्रश्न 1. ‘आत्मत्राण’ कविता का संदेश अपने शब्दों में लिखिए। (CBSE 2019-20)
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास बनाए रखने का संदेश देता है। कवि कहते हैं कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, कितना भी कठिन समय क्यों ना हो, जीवन में लाख विपदाएं आए परंतु हमें भगवान के प्रति अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए और सदैव भगवान के प्रति अपनी आस्था मजबूत रखनी चाहिए। कभी-कभी हमारे साथ कुछ बुरा हो जाता है और हमारा ईश्वर से विश्वास उठ जाता है। लेकिन यह भगवान की गलती नहीं है। यह हमारे दुख की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। जो हो रहा है उसके लिए हमें भगवान को दोष नहीं देना चाहिए। भगवान हमें छोटी-छोटी चुनौतियाँ और दुःख देकर हमारे धैर्य और विश्वास की परीक्षा लेता है। यदि हम ईश्वर में विश्वास रखते हैं, तो ईश्वर इन चुनौतियों और दुखों में हमारी सहायता करेंगे। ईश्वर हमें इन कठिनाइयों से पार पाने की शक्ति देता है। हमारा विश्वास हमारे मन की आस्था ही हमारा भगवान है। यदि हमारा विश्वास मजबूत रहेगा तो हम असंभव कार्य को भी संभव बना सकते हैं। कवि का आशय यह है कि भगवान पर सदैव विश्वास बनाए रखना ही मनुष्य का धर्म है।

प्रश्न 2. ‘आत्मत्राण’ कविता अन्य प्रार्थनाओं से किस प्रकार अलग है ? (CBSE 2018-19)
उत्तर – आत्मत्राण कविता में कवि न तो ईश्वर से कठिनाइयों को कम करने की प्रार्थना करते हैं, न किसी प्रकार की सहायता की मांग करते हैं वह स्वयं प्रत्येक कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना स्वयं करना चाहते हैं | वह स्वयं स्वस्थ रहकर धैर्यवान बनकर केवल भलाई एवं ईश्वर के प्रति धन्यवाद रखने में विश्वास रखते हैं ।

प्रश्न 3. ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की प्रार्थना सबसे भिन्न क्यों है? (CBSE 2016-17)
उत्तर – प्रत्येक व्यक्ति जीवन के संघर्षों में छुटकारा चाहता है परंतु इस कविता में कवि किसी भी प्रकार की सहायता की इच्छा नहीं करता, उसकी कामना केवल निर्भय, स्वस्थ व अविजित होने की है वह ईश्वर को दुख की घड़ी में भी याद रखना चाहता है, वह सदैव आत्मविश्वास, धैर्य शक्ति पुरुषार्थ और हिम्मत बनाए रखने व निर्भय होकर जीवन जिने की प्रार्थना करते है। 

प्रश्न 4. “आत्मत्राण” कविता में कवि किससे और क्या प्रार्थना करता है?
उतर – “आत्मत्राण” कविता में कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है। वह चाहता है कि भले ही भगवान दैनिक जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में उसकी मदद न करें, परंतु वह अपने प्रभु से इतना अवश्य चाहता है कि वह इन विपदाओं से घबराए नहीं और इन पर विजय प्राप्त कर सके। कवि अपने बल-पौरुष पर भरोसा करता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है ताकि वह निडर हो सके और जीवन के बोझ को आसानी से उठा सके। कवि चाहता है कि प्रभु में उसकी आस्था हमेशा दृढ़ रहे और किसी भी परिस्थिति में वह उन पर कभी संदेह न करे।

प्रश्न 5. सहायक न मिलने पर कवि ने ईश्वर से क्या प्रार्थना की है ? “आत्मत्राण” कविता के आधार पर लिखिए।
उतर – सहायक न मिलने पर कवि प्रार्थना करता है कि यदि विपत्ति के समय उसे कोई सहायक न मिले तो भी मेरा पौरुष बल न डगमगाए। उसका अपना बल और पौरुष ही उसका सहायक बन जाए। उसमें संघर्ष करने की शक्ति होनी चाहिए।

प्रश्न 6. “आत्मत्राण” कविता की पंक्ति “तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में” का भाव अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उतर – “तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में” पंक्ति द्वारा कवि रवींद्रनाथ ठाकुर कहना चाहते हैं कि वे सुख के समय में भी प्रभु का स्मरण बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन सामान्य व्यक्ति भगवान को केवल तभी स्मरण करते हैं जब वे दुख में होते हैं और सुख प्राप्त होने पर ईश्वर को भूल जाते हैं। कवि सुख-दुख को समभाव से वहन करने हेतु ईश्वर की कृपा दृष्टि चाहते हैं।

प्रश्न 7. “आत्मत्राण” कविता में चारों ओर से दुखों से घिरने पर कवि परमेश्वर में विश्वास करते हुए भी अपने से क्या अपेक्षा करता है?
उतर – “आत्मत्राण” कविता में चारों ओर से दुखों से घिरने पर भी कवि ईश्वर में विश्वास करते हुए अपने से यह अपेक्षा करता है कि ऐसे समय में ईश्वर उसे इतना संयम, विवेक व धैर्य प्रदान करें कि वह उनके अस्तित्व पर बिल्कुल भी संदेह न करे अर्थात उसके मन में ईश्वर के प्रति पहले के समान आस्था बनी रहे।

प्रश्न 8. “आत्मत्राण” कविता में कवि यह क्यों नहीं चाहता कि प्रभु उसकी विपत्तियों को दूर करें?
उतर – “आत्मत्राण” कविता का कवि जानता है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है और सब कुछ करने में समर्थ है, लेकिन वह उनसे अपने जीवन की विपत्तियों को दूर करने के लिए नहीं कहता है। बल्कि उनसे वह निर्भयता, आत्मविश्वास, संयम और विवेक जैसे गुणों की माँग करता है, ताकि जीवन में आने वाली कठिनाइयों का स्वयं सामना करके वह उन्हें अपने अनुकूल बना सके।

प्रश्न 9. ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर बताइए कि दुख और कष्टों के आने पर कवि ईश्वर से क्या चाहता है?
उत्तर – कवि ईश्वर से यही प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसे कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करने की शक्ति दें। विपत्ति के समय उसमें इतनी शक्ति दें कि वह सभी परेशानियों का सामना कर सकें। वह प्रार्थना करता है कि उसको आत्मबल, पौरुष बल, आस्थाबल, निर्भयता, विजयशीलता और प्रबल आस्था मिले जिनके बल पर वह दुखों पर विजय पा सके। उसकी मानसिक शक्ति बनी रहे। अपने जीवन के संघर्षों को अपने दम पर दूर कर सके।

प्रश्न 10. मनुष्य किन दिनों में ईश्वर को भूल जाता है?
उत्तर – मनुष्य सुख के दिनों में ईश्वर को भूल जाता है। कवि मनुष्य के इसी स्वभाव का वर्णन करते हुए कहा है कि दुख के दिनों में तो सभी ईश्वर को याद करते हैं। किंतु सुख आने पर कोई नहीं।

प्रश्न 11. इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर – ‘आत्मत्राण’ कविता से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि विपत्ति या दुख के समय हमें नहीं घबराना चाहिए बल्कि धैर्य और निर्भीकता के साथ उसका डटकर सामना करना चाहिए। और ईश्वर से उस कष्ट को सहन करने की शक्ति की कामना करनी चाहिए।

प्रश्न 12. कवि को परमात्मा से क्या-क्या अपेक्षाएँ नहीं है?
उत्तर – कवि को परमात्मा से यह अपेक्षा नहीं है कि ईश्वर उसके दुख का भार कम करें। वह स्वयं ही अपने दुखों का हल ढूंढना चाहता है। वह अपने पौरुष बल को डगमगाने नहीं देना चाहता। वह नहीं चाहता कि ईश्वर हर मार्ग में हर विपत्ति को सरल बना दें। दुख के समय में ईश्वर उसको इतनी शक्ति भर दे कि सभी दुखों का सामना कर सके। यदि जीवन संग्राम में धोखा-उठाना पड़े तब भी वह हार न माने।

प्रश्न 13. हमें संकटों का सामना किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर – हमें संकटों का सामना पूरी शक्ति से करना चाहिए हमें इससे डरना नहीं चाहिए। हमारी शक्ति और पुरुषार्थ न डगमगाए, आत्मविश्वास सदा कायम रहे । और संकट में भी ईश्वर के प्रति आस्था एवं विश्वास बनाए रखना चाहिए। जिससे हमारी मन की शक्ति क्षय न होने पाए।

प्रश्न 14. जीवन में विजय पाने का कवि ने कौन-सा मार्ग सुझाया है?
उत्तर – कवि चाहता है कि जीवन में विजय पाने के लिए सबसे पहले दुख पर विजय पाना चाहिए। अपना आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। मन की शक्ति तथा पुरुषार्थ बना रहे। दुखों को सहन करना तथा उन पर नियंत्रण करने की हिम्मत तथा ताकत बनाए रखना चाहिए। दुख की घड़ी में भी भयभीत न होकर। निर्भय होकर आगे बढ़ें। यदि कोई सहायक न हो-तो अपने बल और पौरुष के सहारे विजयी होने का प्रयास करें।

प्रश्न 15. कवि ईश्वर से कैसी शक्ति प्राप्त करना चाह रहा है?
उत्तर – कवि ईश्वर से दुखों को झेलने की शक्ति पाने की प्रार्थना कर रहा है। वह अच्छे स्वास्थ्य और रोग रहित रहने की कामना कर रहा है जिससे जीवन में किसी भी परेशानी दुख मुसीबत का सामना कर सके।

प्रश्न 16. कवि ईश्वर से विश्वास बनाए रखने की प्रार्थना किस स्थिति के आने पर कर रहा है?
उत्तर – कवि ईश्वर से माँग रहा है कि सुख के दिनों में भी अपना सिर झुकाकर उन्हें याद करता रहे। भले ही दुख की रात में पूरी दुनिया उसके खिलाफ हो जाए, लेकिन ईश्वर में उसका विश्वास अटूट रहे।

प्रश्न 17. कवि किन परिस्थितियों में बल-पौरुष बनाए रखने की कामना करता है?
उत्तर – कवि प्रार्थना करता है कि कैसी भी विपदा आ जाए या कैसी भी संकटपूर्ण स्थिति हो, उसका शक्ति व पुरुषार्थ न डगमगाए। उसका आत्मविश्वास और बल पौरुष सदा बना रहे। ताकि वह कठिन परिस्थितियों का सामना डटकर कर सके।

प्रश्न 18. जीवन में विजय पाने का कवि ने कौन-सा मार्ग सुझाया है?
उत्तर – कवि कहता है कि यदि हमें जीवन में सफल होना है तो हमें ईश्वर से शक्ति और सामर्थ्य की कामना करनी चाहिए। संघर्ष स्वयं ही करना चाहिए। ईश्वर को दुख में ही नहीं बल्कि सुख में भी याद करना चाहिए। हमारे मन में कभी भी तरह का कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

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