Parvat Pravesh Mein Pavas Question Answers
 

CBSE Class 10 Hindi Chapter 4 Parvat Pravesh Mein Pavas (पर्वत प्रदेश में पावस) Question Answers (Important) from Sparsh Book

Class 10 Hindi Parvat Pradesh Mein Pavas Question Answers – Looking for Parvat Pradesh Mein Pavas question answers for CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Book Lesson 4? Look no further! Our comprehensive compilation of important question Answers will help you brush up on your subject knowledge..

 

सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 4 के लिए पर्वत प्रदेश में पावस प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे पर्वत प्रदेश में पावस प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

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पर्वत प्रदेश में पावस NCERT Solutions

(क ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -:
प्रश्न 1-: पावस ऋतु में प्रकृति में कौन -कौन से परिवर्तन आते हैं ? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-:
वर्षा ऋतु में मौसम हर पल बदलता रहता है। कभी तेज़ बारिश आती है तो कभी मौसम साफ हो जाता है। पर्वत अपनी पुष्प रूपी आँखों से अपने चरणों में स्थित तालाब में अपने आप को देखता हुआ प्रतीत होता है। बादलों के धरती पर आ जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान धरती पर आ गया हो और कोहरा धुएं की तरह लग रहा है जिसके कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई हो।

प्रश्न  2-: ‘मेखलाकार ‘ शब्द का क्या अर्थ है ?कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
उत्तर -:
‘मेखलाकार ‘ शब्द का अर्थ है – करघनी अर्थात कमर का आभूषण। कवि ने यहाँ इस शब्द का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि वर्षा ऋतु में पर्वतों की श्रृंखला करघनी की तरह टेडी मेडी लग रही है। अतः कवि ने पर्वतों की श्रृंखला की तुलना करघनी से की है।

प्रश्न 3-: ‘सहस्र दृग – सुमन ‘ से क्या तात्पर्य है ?कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा ?
उत्तर-: ‘
सहस्र दृग – सुमन ‘ से कवि का तात्पर्य पहाड़ों पर खिले हजारों फूलों से है। कवि को ये फूल पहाड़ ही आंखों के समान लग रहे हैं अतः कवि ने इस पद का प्रयोग किया है।

प्रश्न 4-: कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों ?
उत्तर-:
कवि ने तालाब की समानता आईने के साथ दिखाई है क्योंकि तालाब पर्वत के लिए आईने का काम कर रहा है वह स्वच्छ और निर्मल दिखाई दे रहा है।

प्रश्न 5 -: पर्वत के ह्रदय से उठ कर ऊँचे ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं ?
उत्तर-:
पर्वत पर उगे ऊँचे ऊँचे वृक्ष चिंता में डूबे हुए लग रहें हैं जैसे वे शांत आकाश को छूना चाहते हों। ये वृक्ष मनुष्यों की सदा ऊपर उठने और आगे बढ़ने की और संकेत कर रहे हैं।

प्रश्न 6 -: शाल के वृक्ष भयभीत हो कर धरती में क्यों धस गए हैं ?
उत्तर-:
घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं।

प्रश्न 7-: झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं ?बहते हुए झरने की तुलना किस से की गई है ?
उत्तर-:
झरने पर्वतों के गौरव का गान कर रहे हैं और बहते हुए झरनों की तुलना चमकदार मोतियों से की गई है।

(ख )निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए :-

1-: है टूट पड़ा भू पर अम्बर !
भाव-:
घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है।

2-:-यों जलद -यान में विचर -विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
भाव-:
चारों और धुँआ होने के कारण लग रहा है कि इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।

3-: गिरिवर के उर से उठ -उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
है झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष ,अटल कुछ चिंतापर।
भाव-:
पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँच्चा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों। अर्थात वे हमें निरन्तर ऊँच्चा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं। ये वृक्ष मनुष्यों की सदा ऊपर उठने और आगे बढ़ने की ओर संकेत कर रहे हैं।

Extra Questions

1-: इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-:
इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग जगह जगह किया गया है जिसके कारण प्राकृति सजीव प्रतीत हो रही है। जैसे – पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। और पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँच्चा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों।

2-: आपकी दृष्टि में इस कविता का सौन्दर्य इसमें से किस पर निर्भर करता है ?
(क ) अनेक शब्दों की आवृति पर
(ख ) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
(ग ) कविता की संगीतात्मकता पर
उत्तर-
(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
क्योंकि इस कविता में चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए प्रकृति का सुंदर और सजीव वर्णन किया गया है।

3-: कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है ऐसे स्थलों को छाँट कर लिखिए।
उत्तर-:
1- अपने सहस्र दृग- सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार बार ,
2- गिरि का गौरव गाकर झर- झर
3- धँस गए धारा में सभय शाल !
4- गिरिवर के उर से उठ -उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
है झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष ,अटल कुछ चिंतापर।

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Class 10 Hindi पर्वत प्रदेश में पावस Lesson 4 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सार-आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

1)
पावस ऋतु थी ,पर्वत प्रवेश ,
पल पल परिवर्तित प्रकृति -वेश।

 

प्रश्न 1. यहां पर्वत प्रवेश में किस ऋतु का वर्णन किया गया है?
A) शरद ऋतु
B) वसंत ऋतु
C) वर्षा ऋतु
D) ग्रीष्म ऋतु
उतर – C) वर्षा ऋतु

प्रश्न 2. प्रकृति प्रतिपल अपना रूप क्यों बदल रही है?
A) बादल के कारण
B) धूप के कारण
C) क्योंकि यह प्रकृति का नियम है
D) बादलों और धूप की आँख मिचौली के कारण
उतर – D) बादलों और धूप की आँख मिचौली के कारण

2)
मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्त्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार,
-जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण सा फैला है विशाल!

 

प्रश्न 1. मेखलाकार शब्द से क्या अर्थ है?
A) धरती के समान गोल
B) करघनी के आकार की पहाड़ की ढाल
C) आकाश के समान गोल
D) चाद के समान गोल
उतर – B) करघनी के आकार की पहाड़ की ढाल

प्रश्न 2. अपने सहस्त्र दृग- सुमन फाड़ में दृग की तुलना किससे की गई है।
A) ऋतुओं से
B) हिरणो से
C) पुष्पों से
D) मोतियों से
उतर – C) पुष्पों से

प्रश्न 3. पर्वत दूर से देखने पर कैसे लग रहे हैं ?
A) धनुषाकार
B) मेखलाकार
C) वृत्ताकार
D) आयताकार
उतर – B) मेखलाकार।

प्रश्न 4. ‘दर्पण सा फैला है विशाल’ पंक्ति में निहित अलंकार बताइए।
A) अनुप्रास अलंकार
B) उत्प्रेक्षा अलंकार
C) उपमा अलंकार
D) यमक अलंकार
उतर – C) उपमा अलंकार

 

3)
गिरि का गौरव गाकर झर- झर
मद में नस -नस उत्तेजित कर
मोती की लड़ियों- से सुन्दर
झरते हैं झाग भरे निर्झर !
गिरिवर के उर से उठ -उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
है झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष ,अटल कुछ चिंतापर।

 

प्रश्न 1. ‘मद में नस -नस उत्तेजित कर’ से क्या तात्पर्य है?
A) झरने ऊँची-ऊँची आवाज़ में पर्वत का गुणगान कर रहे हैं
B) झरने मस्ती में उत्तेजित होकर गा रहे हों
C) झरनों की नस-नस में मस्ती भरी है
D) झरने की ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।
उतर – D) झरने की ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।

प्रश्न 2. ‘उच्चाकांक्षा’ का अर्थ बताएं |
A) बादल
B) ऊँचा उठने की कामना
C) बादल की ओर बढ़ने की कामना
D) निचे उतरने की कामना
उतर – B) ऊँचा उठने की कामना

प्रश्न 3. ‘तरुवर’ मन में क्या भाव लिये ऊपर उठ रहे हैं ?
A) निराशा का भाव
B) उच्चाकांक्षाओं का भाव
C) प्रतिस्पर्धा का भाव
D) नफरत का भाव
उतर – B) उच्चाकांक्षाओं के भाव।

4)
उड़ गया,अचानक लो, भूधर
फड़का अपार पारद के पर !
रव-शेष रह गए हैं निर्झर !
है टूट पड़ा भू पर अम्बर !
धँस गए धारा में सभय शाल !
उठ रहा धुआँ,जल गया ताल !
-यों जलद -यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।

 

प्रश्न 1. कविता और कवि का नाम बताइए।
उतर – कविता का नाम – पर्वत प्रदेश में पावस
कवि का नाम – सुमित्रानंदन पंत

प्रश्न 2. शाल – वृक्षों के डरने का कारण स्पष्ट करो।
उतर – ऊंचे इलाकों में अक्सर बादल छाए रहते हैं और बारिश होती है, इसलिए आप पहाड़ों, झरनों, पेड़ों और आसमान को नहीं देख सकते। ऐसा लगता है जैसे आसमान धरती पर गिर पड़ा हो। इससे भय के कारण शाल के पेड़ जमीन में धंस गए हैं।

प्रश्न 3. कवि ने ‘रव -शेष रह गए हैं निर्झर’ क्यों कहा है। स्पष्ट करें।
उतर – ‘रव -शेष रह गए हैं निर्झर’ कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कुछ भी देख पाना मुश्किल है क्योंकि चारों तरफ बादल और बारिश है, लेकिन झरनों की आवाज सुनाई दे रही है।

प्रश्न 4. इंद्र जादूगरी का खेल कैसे खेल रहा है?
उतर – आसमान में चारों ओर बादल छाए हुए हैं। कुछ काले हैं, और कुछ भूरे हैं। कुछ बादल एक साथ जमकर बरस रहे हैं तो कुछ बादल आपस में टकराकर गड़गड़ाहट और बिजली पैदा कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे भगवान इंद्र मेघ रूपी वाहन में बैठकर कोई जादू कर रहे हों।

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Class 10 Hindi पर्वत प्रदेश में पावस प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)

In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.

प्रश्न 1. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पर्वत द्वारा अपना प्रतिबिंब तालाब में देखना पर्वत के किन मनोभावों को स्पष्ट करना चाहता है? (CBSE 2021-22)
उत्तर – पर्वत में मनुष्य की भाँति भावनाएँ हैं। तालाब या दर्पण एक संकेतक है कि पर्वत क्या महसूस कर रहा है। वह स्वयं को निहारकर अपने अंतर्निहित भावों को समझने का प्रयास करता है। विशाल आकार को देखकर गर्वित होता है और अपने ऊपर खिले फूलों की शोभा को देखकर प्रसन्न हो रहा है।

प्रश्न 2. सुमित्रानंदन पंत जी कल्पना के सुकुमार कवि है। स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2017-18)
उत्तर – सुमित्रानंदन पंत बचपन में प्राकृतिक दुनिया के बहुत करीब थे । उन्होने अपनी कविता में प्रकृति को मनुष्य की भांति कल्पित किया है। पहाड़ द्वारा तालाब के दर्पण में आपसी सूरत निहारना, झरनों को मोती स्वरूप, पेड़ों का भय से धसना बादलों व बिजली का रथ पर सवार होना इत्यादि।
पंत ने जितनी बारीकी से प्रकृति के बारे में कविताएँ लिखी हैं, उतनी किसी और कवि ने नहीं लिखी हैं। यही कारण है कि पंत प्रकृति के सौम्य कवि माने जाते हैं।

प्रश्न 3. पर्वत अपना प्रतिबिंब तालाब में क्यों देख रहा है?
उतर – जब पावस ऋतु आती है तो पहाड़ की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है। वहां हजारों फूल खिले हैं, जिससे ऐसा लगता है कि पहाड़ अपनी सुंदरता से मुग्ध हो गया है। वह तालाब के साफ पानी में अपना प्रतिबिंब देख रहा है, जो कि एक दर्पण की तरह है क्योंकि पानी इतना साफ है। जल में पर्वत का प्रतिबिम्ब ही बहुत स्पष्ट होता है और वहाँ खिले हुए फूलों को देखकर वह प्रसन्न होता है।

प्रश्न 4. पावस (वर्षा) ऋतु में पर्वत प्रदेश का रूप क्यों परिवर्तित हो जाता है?
उतर – बारिश के मौसम में पहाड़ों में मौसम बहुत जल्दी बदल जाता है। उदाहरण के लिए, कभी-कभी बादल बारिश में बदल जाते हैं, और फिर धूप निकल आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पहाड़ ऊँचे होते हैं, और ग्रीष्म से पतझड़ में परिवर्तन वहाँ तेजी से होता है।

प्रश्न 5. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर ‘है टूट पड़ा भू पर अंबर!’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उतर – सुमित्रानंदन पंत जी ने इस पंक्ति में पर्वत प्रदेश के मूसलाधार वर्षा का वर्णन किया है। कि जब आकाश में चारों तरफ़ असंख्य बादल छा जाते हैं, तो वातावरण धुंधमय हो जाता है और केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।

प्रश्न 6. कविता “पर्वत प्रदेश में पावस” की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उतर – “पर्वत प्रदेश में पावस कविता में, लेखक वर्णन करता है कि कैसे प्रकृति लगातार अपना रूप बदलती है। प्रकृति का सबसे सुंदर रूप सुंदर और शांतिपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह खतरनाक और विनाशकारी भी हो सकता है। हमें प्रकृति का ध्यान रखना चाहिए, और इसे प्रदूषित या संकटग्रस्त नहीं होने देना चाहिए। यह हमारी अपनी सुरक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 7. पर्वत प्रदेश में पावस” कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उतर – सुमित्रानंदन पंत की कविता, “पर्वत प्रदेश में पावस”, पर्वत प्रदेश पर्वत श्रृंखला में स्थित एक हिल स्टेशन की कहानी प्रस्तुत किया है। जिसे लेखक ने अपनी आँखों से देखा है। वह इसका वर्णन इस तरह से करता है कि पाठक वहाँ होने की कल्पना कर सकता है, पहाड़ों को देख सकता है। बरसात के मौसम में आप पहाड़ी क्षेत्र में कई अलग-अलग नजारे देख सकते हैं। पर्वतों की तलहटी में निर्मल जल से भरी झील में पर्वतों की श्रंखला तथा उनकी हिमाच्छादित तथा कुछ मेघो से आच्छादित शिखर स्पष्ट दिखाई देते हैं। झील एक दर्पण की तरह दिखती है। झरनों के गिरने की आवाज खूबसूरत होती है और पानी की बूंदें मिलकर मोतियों की माला सी लगती हैं। पहाड़ों पर उगे ऊँचे-ऊँचे वृक्ष ऐसे लगते हैं जैसे कोई आकाश की ओर देख रहा हो और कोई चिंता के कारण झुक गया हो।

बादल आए और पर्वत पर बरसने लगे। बारिश में आप केवल झरने की आवाज ही सुन सकते हैं। भारी वर्षा के कारण ऊँचे साल के वृक्ष दिखाई नहीं देते। चारों ओर धुएँ का साया है मानो तालाब से भाप उठ रही हो। पर्वतीय क्षेत्र में बदलते इन सभी दृश्यों को देखकर ऐसा लगता है कि यह कोई जादू की चाल है।

प्रश्न 8. वर्षा ऋतु में इंद्र की जादूगरी के दो उदाहरण दीजिए।
उतर – पहाड़ों में एक ऐसा खास नजारा होता है जो बारिश के मौसम में हर पल बदल जाता है। यह इंद्र देव का जादू है। बादल इतने नीचे उतरते हैं कि वे पहाड़ को ढक लेते हैं, और गरज और बिजली के साथ भारी बारिश होने लगती है। ऐसा लगता है मानो पहाड़ पंखों से उड़ गए हों। जब आसमान में बादल इकट्ठा होते हैं, तो यह भारी बारिश के कारण होता है, और ऐसा लगता है जैसे आसमान जमीन पर टूट रहा हो।

प्रश्न 9. “पर्वत प्रदेश में पावस” का केंद्रीय भाव लगभग बीस शब्दों में लिखो।
उतर – इस कविता में कवि एक पर्वतीय प्रदेश के सौन्दर्य का वर्णन करता है जो वर्षा ऋतु में प्रतिक्षण बदलता रहता है। बादल जब भी आते हैं, हर पल नज़ारा अपना रूप बदलता है।

प्रश्न 10. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के कविता के आधार पर पर्वतीय क्षेत्रों में क्या – क्या परिवर्तन होते है। स्पष्ट कीजिए।
उतर – बरसात के मौसम में यहां के पहाड़ हर पल नया रूप धारण कर लेते हैं। उन पर बहुत से फूल खिले हुए हैं, और पहाड़ के नीचे एक तालाब है जहाँ आप पहाड़ का प्रतिबिंब देख सकते हैं। पर्वत पर उगने वाले सहस्त्र पुष्प पर्वत के सहस्त्र नेत्रों के समान दिखते हैं और पर्वत पर उगने वाले शाल के वृक्ष आकाश की ओर देखकर चिन्तित और उदास प्रतीत होते हैं। प्रकृति पल भर में अपना रूप बदलती है और चारों ओर घने काले बादल छा जाते हैं। भारी बारिश से पहाड़ों, नदियों और यहां तक ​​कि आकाश को भी देखना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, झरने की आवाज अभी भी साफ सुनाई दे रही है। जब बारिश बहुत तेज होती है तो ऐसा लगता है जैसे आसमान फट गया हो और शाल के पेड़ (एक प्रकार का पेड़) जमीन में धंस गए हों। बादल तालाब से उठने वाले धुएँ का आभास करा सकते हैं। इससे ऐसा लगता है जैसे तालाब में आग लगी हो। हर पल दृश्य बदलता है और यह बताना मुश्किल है कि क्या हो रहा है। ऐसा लगता है कि भगवान इंद्र अपने जादू का उपयोग बादल में बैठने के लिए कर रहे हैं।

प्रश्न 11. “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में तालाब की समानता किसके साथ की गई है? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उतर – सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविता “पर्वत प्रदेश में पावस” में एक तालाब और एक दर्पण के बीच समानता दिखाई है। तालाब का जल अत्यंत निर्मल एवं स्वच्छ होता है तथा पर्वत और उस पर उगने वाले सहसनो के पुष्पों का प्रतिबिम्ब स्पष्ट दिखाई देता है। दर्पण से तालाब की यह तुलना बड़ी सटीक है।

प्रश्न 12. ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में झरने पर्वत का गौरव-गान कैसे करते हैं ?
उतर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के अनुसार पहाड़ झरनों से भरे हुए हैं जो लगातार बहते हैं। झरनों का पानी साफ और ठंडा होता है, और पहाड़ों से नीचे गिरने पर यह एक सुंदर आवाज करता है। यह ऐसा है जैसे झरने पहाड़ों का सम्मान करने के लिए एक विशेष गीत गा रहे हों। गिरने की आवाज गिरने की लय के समान है।

प्रश्न 13 – कवि ने “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में पहाड़ और तालाब की तुलना किससे की है?
उत्तर – कवि ने “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में पहाड़ों के आकार की तुलना करघनी अर्थात कमर में बांधने वाले आभूषण से की है । कवि कहता है कि करघनी के आकर वाले पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है।

प्रश्न 14 – कवि ने “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में झरनों का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में झरनों का वर्णन करते हुए कवि कहता है कि मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर झरने झर झर की आवाज करते हुए बह रहे हैं ,ऐसा लग रहा है की वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है। 

प्रश्न 15 – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में पेड़ हमें क्या प्रेरणा दे रहे हैं?
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँचा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं, मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों। अर्थात वे हमें निरन्तर ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।

प्रश्न 16 – कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?
उत्तर – तालाब में या किसी भी अन्य जल युक्त चीज में आस पास की चीजों का प्रतिबिंब दिखाई देता है, जैसे किसी दर्पण में दिखाई पड़ता है, इसलिए कवि ने तालाब की तुलना किसी विशाल दर्पण से की है क्योंकि तालाब में भी विशाल पर्वत का प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ रहा है। 

प्रश्न 17 – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पहाड़ को कौन-सा मानवीय कार्य करते हुए दर्शाया गया है?
उत्तर – ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में पहाड़ अत्यंत ऊँचा और विशालकाय है। पहाड़ पर हज़ारों फूल खिले हुए हैं। करघनी के आकर वाला पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल से भरे तालाब में अपने विशाल आकार को देख रहा हैं। उसका यह कार्य किसी मनुष्य के कार्य के समान है।

प्रश्न 18 – पर्वत से गिरने वाले झरनों की विशेषता लिखिए।
उत्तर – पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु में पर्वत के सीने पर झर-झर करते हुए झरने गिर रहे हैं। इन झरनों की ध्वनि सुनकर ऐसा लगता है, जैसे ये पर्वतों का गौरवगान कर रहे हों। इनकी करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है। ये पर्वतीय झरने झागयुक्त हैं जिन्हें देखकर लगता है कि ये सफ़ेद मोतियों की लड़ियाँ पहने हुए हैं।

प्रश्न 19 – पर्वतों पर उगे पेड़ कवि को किस तरह दिख रहे हैं?
उत्तर – पर्वतों पर उगे पेड़ देखकर लगता है कि ये पेड़ पहाड़ के सीने पर उग आए हैं जो मनुष्य की ऊँची-ऊँची इच्छाओं की तरह हैं। ये पेड़ अत्यंत ध्यान से अपलक और अटल रहकर शांत आकाश की ओर निहार रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि शायद ये भी अपनी उच्चाकांक्षा को पूरा करने का उपाय खोजने के लिए चिंतनशील हैं और स्थिर हो कर उपाय खोज रहे हैं। 

प्रश्न 20 – तेज बारिश के बाद मौसम में क्या-क्या बदलाव आया है?
उत्तर – तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं। चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखाता हुआ घूम रहा है।

प्रश्न 21 – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किस प्रकार किया गया है? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में कवि ने प्रकृति को मानव के सभी अंगों से परिपूर्ण माना है। कवि ने इस कविता में प्रकृति का ऐसा वर्णन किया है कि लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी है। उन्होंने पर्वत, बादल , झरने, तालाब, पेड़ आदि को मानवीय चेतना से पूर्ण माना है तथा उनकी तुलना मानव के गुणों से की है।

पर्वतों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे है जैसे पर्वतों की आँखे हो और वो इन आँखों के सहारे अपने आपको अपने चरणों ने फैले दर्पण रूपी तालाब में देख रहे हों। पर्वतो से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों। इस प्रकार कवि ने मानवीकरण अलंकार का प्रयोग सुन्दरता के साथ किया है। 

प्रश्न 22 – पर्वतीय प्रदेश में उड़ते बादलों को देखकर कवि ने क्या कल्पना की है?
उत्तर – पर्वतीय प्रदेश में उड़ते बादलों के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं। चारों ओर बादल होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखाता हुआ घूम रहा है। कवि की यह कल्पना अत्यधिक मनोरम है।

प्रश्न 23 – पर्वतीय प्रदेश में कुछ पेड़ पहाड़ पर उगे हैं तो कुछ शाल के पेड़ पहाड़ के पास। इन दोनों स्थान के पेड़ों के सौंदर्य में अंतर कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए
उत्तर – पर्वतों पर उगे पेड़ देखकर लगता है कि ये पेड़ पहाड़ के सीने पर उग आए हैं जो मनुष्य की ऊँची-ऊँची इच्छाओं की तरह हैं। ये पेड़ अत्यंत ध्यान से अपलक और अटल रहकर शांत आकाश की ओर निहार रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि शायद ये भी अपनी उच्चाकांक्षा को पूरा करने का उपाय खोजने के लिए चिंतनशील हैं और स्थिर हो कर उपाय खोज रहे हैं।

दूसरी ओर पर्वतीय प्रदेश में उड़ते बादलों के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। ऐसा लगता है कि चानक होने वाली मूसलाधार वर्षा और धुंध से भयभीत होकर शाल के ये पेड़ धरती में धंस गए हों।

प्रश्न 24 – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता पर्वतीय सौंदर्य को व्यक्त करने वाली कविता है। प्रकृति का यह सौंदर्य वर्षा में और भी बढ़ जाता है। कवि ने इस कविता में प्रकृति का ऐसा वर्णन किया है कि लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी है। कवि वर्णन करता है कि वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप हर पल बदल रहा है कभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है।

पर्वतों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे है जैसे पर्वतों की आँखे हो और वो इन आँखों के सहारे अपने आपको अपने चरणों ने फैले दर्पण रूपी तालाब में देख रहे हों। पर्वतो से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों। बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों,चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।

प्रश्न 25 – पर्वत प्रदेश में पावस कविता में कवि ने उच्चाकांक्षा पर किस प्रकार व्यंग्य किया है ?
उत्तर – कवि ने उच्चाकांक्षा पर रखने वालों पर यह व्यंग्य किया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में ऊँचा उठने की इच्छा रखते हैं वे उसी तरह हमेशा चिंतित , मौन तथा अपने आप में खोये हुए से रहते हैं जैसे पर्वतीय क्षेत्र में पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँच्चा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को देखते हुए से प्रतीत होते हैं। 

प्रश्न 26 – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में कवि ने झरनों के सौंदर्य को किस प्रकार दर्शाया है ?
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस ” कविता में कवि झरनों के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जब पहाड़ों पर झरने बहते हैं तो उनके झागदार पानी को देखकर ऐसा लगता है मनो उन्होंने मोतियों की लड़ियाँ पहन रखी हों , उनकी कल – कल की ध्वनि को सुन कर ऐसा लगता है जैसे वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल ध्वनि नस – नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है। 

प्रश्न 27 – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में धुंआँ कहाँ नजर आ रहा है ?
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में कवि तेज बारिश के बाद मौसम में घनी धुंध के कारण धुँआ होने से लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है और वह धुंध तालाब से उठते धुएँ के समान लग रही है। 

प्रश्न 28 – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता द्वारा किस अनुभव की प्राप्ति होती है?
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता द्वारा प्राकृतिक सौंदर्य के अनुभव की प्राप्ति होती है। 

प्रश्न 29 – “पर्वत प्रदेश में पावस ” कविता में पर्वत की महानता का गुणगान कौन कर रहे है ?
उत्तर – “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में झरनों की करतल ध्वनि मन को प्रसन्नता देने वाली कही गई हैं और उस करतल ध्वनि को सुन कर ऐसा लगता है जैसे वे पर्वत की महानता का गुणगान कर रहे हों। 

प्रश्न 30 – “झर झर , नस नस , उठ उठ ” में कौन सा अलंकार है?
उत्तर – “झर झर , नस नस , उठ उठ ” में ‘ पुनरुक्ति ’ अलंकार है क्योंकि जहाँ एक ही शब्द की उत्पत्ति एक से अधिक बार हुई हो वहाँ ‘ पुनरुक्ति ’ अलंकार होता है। 

प्रश्न 31 – “दर्पण सा फैला है विशाल” पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
उत्तर – “दर्पण सा फैला है विशाल ” पंक्ति में ‘ उपमा ’ अलंकार है क्योंकि जहाँ उपमेय की उपमान से तुलना की गयी हो तथा जहाँ सा , से , सी , जैसे , इत्यादि शब्दों का प्रयोग हो वहाँ ‘ उपमा ‘ अलंकार होता है। 

प्रश्न 32 – जादू का खेल कौन खेल रहा है ?
उत्तर – बारिश के मौसम के बाद चारों ओर फैली घनी धुंध के कारण ऐसा लग रहा है जैसे इस मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर – उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।

प्रश्न 33 – ऊँचे वृक्ष किस प्रकार आसमान की ओर देख रहे हैं ?
उत्तर – पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँच्चा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं, मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों।

प्रश्न 34 – कवि ने तालाब की समानता किससे की है? (2018-19)
उत्तर – तालाब की समानता दर्पण के साथ दिखाई गई है ।

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