CBSE Class 10 Hindi Chapter 9 Diary Ka Ek Panna (डायरी का एक पन्ना) Question Answers (Important) from Sparsh Book
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- डायरी का एक पन्ना प्रश्न उत्तर
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(क)निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25 -30 शब्दों में ) लिखिए
प्रश्न 1 -: 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या -क्या तैयारियाँ की गईं ?
उत्तर -: 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए काफ़ी तैयारियाँ की गयी थीं। केवल प्रचार पर ही दो हज़ार रूपए खर्च किये गए थे। कार्यकर्ताओं को उनका कार्य घर – घर जा कर समझाया गया था। कलकत्ता शहर में जगह – जगह झंडे लगाए गए थे। कई स्थानों पर जुलूस निकाले जा रहे थे और झंडा फहराया जा रहा था। टोलियाँ बना कर लोगो की भीड़ उस स्मारक के नीचे इकठ्ठी होने लगी थी ,जहाँ सुभाष बाबू झंडा फहराने वाले थे और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने वाले थे।
प्रश्न 2 -: ‘आज जो बात थी ,वह निराली थी ‘- किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -: आज का दिन निराला इसलिए था क्योंकि आज के ही दिन पहली बार सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और इस साल भी फिर से वही दोहराया जाना था। सभी मकानों पर हमारा राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और बहुत से मकान तो इस तरह सजाए गए थे जैसे हमें स्वतंत्रता मिल गई हो। स्मारक के निचे जहाँ शाम को सभा होने वाली थी, उस जगह को तो सुबह के छः बजे से ही पुलिस ने बड़ी संख्या में आकर घेर कर रखा था ,इतना सब कुछ होने के बावजूद भी कई जगह पर तो सुबह ही लोगों ने झंडे फहरा दिए थे। स्त्रियाँ अपनी तैयारियों में लगी हुई थी। अलग अलग जगहों से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने और सही जगह पर पहुँचने की कोशिश में लगी हुई थी।
प्रश्न 3 -: पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर है ?
उत्तर -: पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि अमुक – अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। यदि कोई सभा में जाता है तो उसे दोषी समझा जायेगा। कौंसिल की ओर से नोटिस निकला था कि स्मारक के निचे ठीक चार बजकर चैबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। इस तरह दोनों नोटिस एक दूसरे के विरुद्ध थे।
प्रश्न 4 -: धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया ?
उत्तर -: जब सुभाष बाबू को गिरफ्तार करके पुलिस ले गई तो स्त्रियाँ जुलूस बना कर जेल की और चल पड़ी परन्तु पुलिस की लाठियों ने कुछ को घायल कर दिया ,कुछ को पुलिस गिरफ्तार करके ले गई और बची हुई स्त्रियाँ पहले तो वहीँ धर्मतल्ले के मोड़ पर ही बैठ गई। बाद में उन्हें पुलिस पकड़ कर ले गई। इस कारण धर्मतल्ले के मोड़ पर आ कर जुलूस टूट गया।
प्रश्न 5 -: डॉ. दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख रेख तो कर ही रहे थे ,उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खिचवाने की क्या वजह हो सकती थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -: डॉ. दास गुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख रेख तो कर ही रहे थे ,उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खिचवाने की दो वजह हो सकती थी। एक तो यह कि अंग्रेजों के अत्याचारों का खुलासा किया जा सकता था कि किस तरह उन्होंने औरतो तक को नहीं छोड़ा। दूसरी वजह यह हो सकती है कि बंगाल या कलकत्ता पर जो कलंक था कि वहाँ स्वतंत्रता के लिए कोई काम नहीं हो रहा है, इस कलंक को कुछ हद तक धोया जा सकता था और साबित किया जा सकता था कि वहाँ भी बहुत काम हो रहा है।
(ख)निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में ) दीजिए
प्रश्न 1 -: सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी ?
उत्तर -: सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की बहुत महत्पूर्ण भूमिका थी। स्त्रियों ने बहुत तैयारियां की थी। अलग अलग जगहों से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने और सही जगह पर पहुँचाने की कोशिश में लगी हुई थी। स्मारक के निचे सीढ़ियों पर स्त्रियां झंडा फहरा रही थी और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ रही थी। स्त्रियाँ बहुत अधिक संख्या में आई हुई थी।सुभाष बाबू की गिरफ़्तारी के कुछ देर बाद ही स्त्रियाँ वहाँ से जन समूह बना कर आगे बढ़ने लगी।। धर्मतल्ले के मोड़ पर आते – आते जुलूस टूट गया और लगभग 50 से 60 स्त्रियाँ वही मोड़ पर बैठ गई। उन स्त्रियों को लालबाज़ार ले जाया गया। मदालसा जो जानकीदेवी और जमना लाल बजाज की पुत्री थी ,उसे भी गिरफ़्तार किया गया था। उससे बाद में मालूम हुआ की उसको थाने में भी मारा गया था। सब मिलकर 105 स्त्रियों को गिरफ्तार किया गया था।
प्रश्न 2 -: जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई ?
उत्तर –: जब सुभाष बाबू को गिरफ्तार करके पुलिस ले गई तो स्त्रियाँ जुलूस बना कर जेल की और चल पड़ी। उनके साथ बहुत बड़ी भीड़ भी इकठ्ठी हो गई। परन्तु पुलिस की लाठियों ने कुछ को घायल कर दिया, कुछ को पुलिस गिरफ्तार करके ले गई और बची हुई स्त्रियाँ वहीँ धर्मतल्ले के मोड़ पर बैठ गई।भीड़ ज्यादा थी तो आदमी भी ज्यादा जख्मी हुए। कुछ के सर फ़टे थे और खून बह रहा था।
प्रश्न 3 -: ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।’ यहाँ पर कौन ज़ोर किस के द्वारा लागू किये गए कानून को भंग करने की बात कही गई है ? क्या कानून भंग करना उचित था ? पाठ के सन्दर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर –: यहाँ पर अंग्रेज प्रशासन द्वारा सभा ना करने के कानून को भंग करने की बात कही है। ये कानून वास्तव में भारत वासियों की स्वतंत्रता को कुचलने वाला कानून था अतः इस कानून का उलंघन करना सही था। उस समय हर देशवासी स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ त्यागने के लिए तैयार था और अंग्रेजी हुकूमत ने सभा करने ,झंडा फहराने और जुलूस में शामिल होने को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। अंग्रेजी प्रशासन नहीं चाहता था कि लोगो में आज़ादी की भावना आये परन्तु अब हर देशवासी स्वतन्त्र होना चाहता था। उस समय कानून का उलंघन करना सही था।
प्रश्न 4 -:बहुत से लोग घायल हुए,बहुतों को लॉकअप में रखा गया ,बहुत सी स्त्रियाँ जेल गई ,फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार से यह सब अपूर्व क्यों है ?अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर -: सुभाष बाबू के नेतृत्व में कलकत्ता में लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मानाने की ऐसी तैयारियाँ की थी जैसी आज से पहले कभी नहीं हुई थी। पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकाला था कि कोई भी सभा में नहीं जायेगा यदि कोई जाता है तो उसे दोषी समझा जाएगा। परन्तु लोगो ने इसकी कोई परवाह नहीं की और अपनी तैयारियों में लागे रहे। पुलिस की लाठियों से कई लोग घायल हुए ,कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। स्त्रियों पर भी बहुत अत्याचार हुए ,इतिहास में कभी इतनी स्त्रियों को एक साथ गिरफ्तार नहीं किया गया था। इन्हीं बातों के कारण इस दिन को अपूर्व बताया गया।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -:
(1) आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है। वह आज बहुत अंश में धूल गया।
उत्तर -: कलकत्ते के लगभग सभी भागों में झंडे लगाए गए थे। जिस भी रास्तों पर मनुष्यों का आना – जाना था, वहीं जोश ,ख़ुशी और नया पन महसूस होता था।बड़े – बड़े पार्कों और मैदानों को सवेरे से ही पुलिस ने घेर रखा था क्योंकि वही पर सभाएँ और समारोह होना था। स्मारक के निचे जहाँ शाम को सभा होने वाली थी उस जगह को तो सुबह के छः बजे से ही पुलिस ने बड़ी संख्या में आकर घेर कर रखा था ,इतना सब कुछ होने के बाबजूद भी कई जगह पर तो सुबह ही लोगों ने झंडे फहरा दिए थे। जब से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कानून तोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ था तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे खुले मैदान में कभी नहीं हुई थी और ये सभा तो कह सकते हैं की सबके लिए ओपन लड़ाई थी।। पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकल दिया था कि अमुक -अमुक धारा के अनुसार कोई भी, कही भी, किसी भी तरह की सभा नहीं कर सकते हैं।लोगो की भीड़ इतनी अधिक थी कि पुलिस ने उनको रोकने के लिए लाठियां चलाना शुरू कर दिया। आदमियों के सर फट गए। पुलिस कई आदमियों को पकड़ कर ले गई।अलग अलग जगहों से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकालने और सही जगह पर पहुँचाने की कोशिश में लगी हुई थी।इतना सब कुछ होने पर भी लोगो के सहस और जोश में कमी नहीं आई।
(2) खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।
उत्तर -: जब से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कानून तोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ था तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे खुले मैदान में कभी नहीं हुई थी और ये सभा तो कह सकते हैं की सबके लिए ओपन लड़ाई थी। पुलिस कमिश्नर ने नोटिस निकल दिया था कि अमुक -अमुक धारा के अनुसार कोई भी, कही भी, किसी भी तरह की सभा नहीं कर सकते हैं। जो लोग भी काम करने वाले थे उन सबको इंस्पेक्टरों के द्वारा नोटिस और सुचना दे दी गई थी अगर उन्होंने किसी भी तरह से सभा में भाग लिया तो वे दोषी समझे जायेंगे।इधर परिषद् की ओर से नोटिस निकल गया था कि ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर स्मारक के निचे झंडा फहराया जायेगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सभी लोगो को उपस्थित रहने के लिए कहा गया था। प्रशासन को इस तरह से खुली चुनौती दे कर कभी पहले इस तरह की कोई सभा नहीं हुई थी।
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Class 10 Hindi डायरी का एक पन्ना Lesson 9 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
(1)
आज का दिन तो अमर दिन है। आज के ही दिन सारे हिदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। और इस वर्ष भी उसकी पुनरावृत्ति थी जिसके लिए काफ़ी तैयारियाँ पहले से की गयी थीं। गत वर्ष अपना हिस्सा बहुत साधारण था। इस वर्ष जितना अपने दे सकते थे ,दिया था। केवल प्रचार में दो हज़ार रूपया खर्च किया गया था। सारे काम का भार अपने समझते थे अपने ऊपर है ,और इसी तरह जो कार्यकर्ता थे उनके घर जा – जाकर समझाया था। बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था और कई मकान तो ऐसे सज़ाएँ गए थे कि ऐसा मालूम होता था कि मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ते के प्रत्येक भाग में ही झंडे लगाए गए थे। जिस रास्ते से मनुष्य जाते थे ,उसी रास्ते में उत्साह और नवीनता मालूम होती थी। लोगों का कहना था कि ऐसी सजावट पहले नहीं हुई। मोनुमेंट के निचे जहाँ शाम को सभा होने वाली थी उस जगह को तो भोर में छः बजे से ही पुलिस ने बड़ी संख्या में घेर लिया था ,पर तब भी कई जगह तो भोर में ही झंडा फहराया गया। श्रद्धानन्द पार्क में बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तो पुलिस ने उनको पकड़ लिया तथा और लोगों को मारा या हटा दिया। तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाज़ार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह झंडा फहराने गए पर वे भीतर न जा सके। वहाँ पर काफी मारपीट हुई और दो – चार आदमियों के सर फट गए। गुजरती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकला जिसमे बहुत सी लड़कियां थी उनको गिरफ्तार कर लिया।
Q1. गद्यांश के अनुसार किस दिन को अमर दिन कहा गया है –
(क) 2 अक्टूबर
(ख) 15 अगस्त
(ग) 26 जनवरी
(घ) 14 नवम्बर
उत्तर – (ग) 26 जनवरी
Q2. प्रचार में कितने रूपए खर्च किए गए थे –
(क) तीन हज़ार रूपया
(ख) दो हज़ार रूपया
(ग) पाँच हज़ार रूपया
(घ) एक हज़ार रूपया
उत्तर – (ख) दो हज़ार रूपया
Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – आज का दिन तो अमर दिन है। आज के ही दिन सारे हिदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था।
कारण (R) – लेखक 26 जनवरी को अमर दिन कह रहे हैं क्योंकि स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था और यहाँ पर भी लेखक स्वतंत्रता से पहले के इसी दिन का वर्णन कर रहे हैं।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q4. शाम की सभा कहाँ होनी थी –
(क) श्रद्धानन्द पार्क में
(ख) मोनुमेंट के निचे
(ग) बड़े बाज़ार में
(घ) तारा सुंदरी पार्क में
उत्तर – (ख) मोनुमेंट के निचे
Q5. झंडा फहराने की कोशिश में क्या धटनाएँ हुईं –
(क) बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तो पुलिस ने उनको पकड़ लिया
(ख) तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाज़ार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह झंडा फहराने गए पर वे भीतर न जा सके
(ग) गुजरती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकला जिसमे बहुत सी लड़कियां थी उनको गिरफ्तार कर लिया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
(2)
सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदास पर था पर वह प्रबंध कर चुका था। स्त्री समाज अपनी तैयारी में लगा था। जगह – जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकलने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रही थी। मोनुमेंट के पास जैसे प्रबंध भोर में था वैसे करीब एक बजे नहीं रहा। इससे लोगों को आशा होने लगी कि शायद पुलिस अपना रंग ना दिखलावे पर वह कब रुकने वाली थी। तीन बजे से ही मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना -बनाकर मैदान में घूमने लगे। आज जो बात थी वह निराली थी। जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चूका था कि अमुक – अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। जो लोग काम करने वाले थे उन सबको इंस्पेक्टरों के द्वारा नोटिस और सुचना दे दी गई थी कि आप यदि सभा में भाग लेंगें तो दोषी समझे जाएंगे। इधर कौंसिल की ओर से नोटिस निकल गया था कि मोनुमेंट के निचे ठीक चार बजकर चैबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। खुला चेलेंज देकर ऐसी सभा पहले कभी नहीं हुई थी। ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस ले कर आए। उनको चौरंगी पर ही रोका गया ,पर भीड़ की अधिकता के कारण पुलिस जुलूस को नहीं रोक सकी। मैदान के मोड़ पर पहुँचते ही पुलिस ने लाठियाँ चलना शुरू कर दी ,बहुत लोग घायल हुए ,सुभाष बाबू पर भी लाठियाँ पड़ी। सुभाष बाबू बहुत ज़ोर से वन्दे -मातरम् बोल रहे थे। ज्योतिर्मय गांगुली ने सुभाष बाबू से कहा ,आप इधर आ जाइए। पर सुभाष बाबू ने कहा आगे बढ़ना है।
Q1. ‘इससे लोगों को आशा होने लगी कि शायद पुलिस अपना रंग ना दिखलावे पर वह कब रुकने वाली थी।’ वाक्य का आशय है कि –
(क) पुलिस का रवैया देख कर लोग डर गए थे
(ख) पुलिस का रवैया देख कर लोगों को लगा कि पुलिस सख्ती से काम नहीं लेगी किन्तु लोगों का अंदाजा गलत था
(ग) पुलिस लोगों को देख कर रुकी नहीं और लाठी चलाने लगी
(घ) लोगों को आशा होने लगी कि पुलिस सभा भांग नहीं करेगी
उत्तर – (ख) पुलिस का रवैया देख कर लोगों को लगा कि पुलिस सख्ती से काम नहीं लेगी किन्तु लोगों का अंदाजा गलत था
Q2. पुलिस कमिश्नर ने कौन सा नोटिस निकाला था –
(क) अमुक – अमुक धारा के अनुसार सभी घरों में ही रहें
(ख) अमुक – अमुक धारा के अनुसार झंडा नहीं फहराया जा सकता
(ग) अमुक – अमुक धारा के अनुसार लोग इकठ्ठे नहीं हो सकते
(घ) अमुक – अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती
उत्तर – (घ) अमुक – अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती
Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – स्त्री समाज अपनी तैयारी में लगा था। जगह – जगह से स्त्रियाँ अपना जुलूस निकलने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की कोशिश कर रही थी।
कारण (R) – स्वतंत्रता की लड़ाई में स्त्रियों ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया था।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q4. कौंसिल की ओर से क्या नोटिस निकल गया था –
(क) मोनुमेंट के निचे ठीक चार बजकर चैबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा
(ख) स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी
(ग) सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q5. मैदान के मोड़ पर पहुंचते ही क्या हुआ –
(क) पुलिस ने लाठियाँ चलना शुरू कर दी
(ख) बहुत लोग घायल हुए ,सुभाष बाबू पर भी लाठियाँ पड़ी
(ग) सुभाष बाबू बहुत ज़ोर से वन्दे -मातरम् बोल रहे थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
(3)
यह सब तो अपने सुनी हुई लिख रहे हैं पर सुभाष बाबू का और अपना विशेष फासला नहीं था। सुभाष बाबू बड़े जोर से वन्दे -मातरम बोलते थे,यह अपनी आँख से देखा। पुलिस भयानक रूप से लाठियाँ चला रही थी। क्षितिज चटर्जी का फटा हुआ सिर देखकर तथा उसका बहता हुआ खून देखकर आँख मिंच जाती थी इधर यह हालत हो रही थी कि उधर स्त्रियाँ मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़ झंडा फहरा रही थी और घोषणा पढ़ रही थी। स्त्रियाँ बहुत बड़ी संख्या में पहुँच गई थी। प्रायः सबके पास झंडा था। जो वालेंटियर गए थे वे अपने स्थान से लाठियाँ पड़ने पर भी हटते नहीं थे। सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठा कर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया। कुछ देर बाद ही स्त्रियां जुलूस बना कर वहाँ से चलीं। साथ ही बहुत बड़ी भीड़ इकठ्ठी हो गई। बीच में पुलिस कुछ ठंडी पड़ी थी ,उसने फिर डंडे चलने शुरू कर दिए। अबकी बार भीड़ ज्यादा होने के कारण ज्यादा आदमी घायल हुए। धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया और करीब 50 -60 स्त्रियाँ वहीँ मोड़ पर बैठ गई। पुलिस ने उन्हें पकड़कर लालबाजार भेज दिया। स्त्रियों का एक भाग आगे बड़ा ,जिनका नेतृत्व विमल प्रतिभा कर रही थी। उनको बहू बाजार के मोड़ पर रोका गया और वे वहीँ मोड़ पर बैठ गई। आसपास बहुत बड़ी भीड़ इकठ्ठी हो गई। जिस पर पुलिस बीच – बीच में लाठी चलती थी। इस प्रकार करीब पौने घंटे के बाद पुलिस की लारी आई और उनको लालबाज़ार ले जाया गया। और भी कई आदमियों को पकड़ा गया। वृजलाल गोयनका जो कई दिन से अपने साथ काम कर रहा था और दमदम जेल में भी अपने साथ था, पकड़ा गया। पहले तो वह डंडा लेकर वन्दे -मातरम बोलता हुआ मोनुमेंट की और इतनी जोर से दौड़ा कि अपने आप ही गिर पड़ा और उसे एक अंग्रेजी घुड़सवार ने लाठी मारी फिर पकड़ कर कुछ दूर लेजाने के बाद छोड़ दिया। इस पर वह स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया और वह पर भी उसको छोड़ दिया। तब वह दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर लालबाज़ार गया और वहां पर गिरफ्तार हो गया।
Q1. ‘यह सब तो अपने सुनी हुई लिख रहे हैं पर सुभाष बाबू का और अपना विशेष फासला नहीं था। सुभाष बाबू बड़े जोर से वन्दे -मातरम बोलते थे,यह अपनी आँख से देखा।’ वाक्य का आशय है कि –
(क) सब कुछ लेखक सुनी सुनाई बातें लिख रहा है
(ख) जब सुभाष बाबू को लाठियाँ पड़ रही थी और वे बड़े जोर से वन्दे -मातरम बोलते थे यह सब लेखक ने अपनी आँखों से देखा था
(ग) लेखक और सुभाष बाबू के बीच का फासला अधिक नहीं था
(घ) लेखक ने सुभाष बाबू को वन्दे मातरम बोलते स्वयं देखा था
उत्तर – (ख) जब सुभाष बाबू को लाठियाँ पड़ रही थी और वे बड़े जोर से वन्दे -मातरम बोलते थे यह सब लेखक ने अपनी आँखों से देखा था
Q2. सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठा कर —————- में भेज दिया गया –
(क) जेल में
(ख) गाँधी जी के आश्रम में
(ग) लालबाज़ार लॉकअप
(घ) बड़े बाज़ार लॉकअप में
उत्तर – (ग) लालबाज़ार लॉकअप
Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – उधर स्त्रियाँ मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़ झंडा फहरा रही थी और घोषणा पढ़ रही थी।
कारण (R) – क्योंकि पुलिस की लाठीचार्ज के कारण पुरुष वहाँ समय से नहीं पहुँच पाए थे।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q4. स्त्रियों का जलूस कहाँ आ कर टूट गया –
(क) धर्मतल्ले के मोड़ पर
(ख) लालबाजार लॉकअप पर
(ग) बड़े बाज़ार के मोड़ पर
(घ) मॉन्युमेंट के पास ही
उत्तर – (क) धर्मतल्ले के मोड़ पर
Q5. वृजलाल गोयनका ने गिरफ़्तार होने के लिए क्या किया –
(क) वह डंडा लेकर वन्दे -मातरम बोलता हुआ मोनुमेंट की और इतनी जोर से दौड़ा
(ख) वह स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया
(ग) वह दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर लालबाज़ार गया और वहां पर गिरफ्तार हो गया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) वह दो सौ आदमियों का जुलूस बनाकर लालबाज़ार गया और वहां पर गिरफ्तार हो गया
(4)
मदालसा भी पकड़ी गई थी। उससे मालूम हुआ कि उसको थाने में भी मारा था। सब मिलाकर 105 स्त्रियाँ पकड़ी गयी थी। बाद में रात को नौ बजे सबको छोड़ दिया गया। कलकत्ता में आज तक इतनी स्त्रियाँ एक साथ गिरफ्तार नहीं की गई थी। करीब आठ बजे खादी भण्डार आए तो कांग्रेस ऑफिस से फ़ोन आया कि यहाँ बहुत आदमी चोट खा कर आये हैं और कई की हालत संगीन है उनके लिए गाड़ी चाहिए। जानकीदेवी के साथ वहां गए ,बहुत लोगो को चोट लगी हुई थी। डॉक्टर दासगुप्ता उनकी देखरेख और फ़ोटो उतरवा रहे थे। उस समय तक 67 वहाँ आ चुके थे। बाद में तो 103 तक आ पहुंचे। अस्पताल गए, लोगो को देखने से मालूम हुआ कि 160 आदमी तो अस्पतालों में पहुंचे और जो लोग घरों में चले गए ,वो अलग हैं। इस प्रकार दो सौ घायल जरूर हुए है। पकडे गए आदमियों की संख्या का पता नहीं चला। पर लाल बाजार के लॉकअप में स्त्रियों की संख्या 105 थी। आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है। वह आज बहुत अंश में धूल गया और लोग सोचने लग गए कि यहाँ भी बहुत सा काम हो सकता है।
Q1. ‘मदालसा भी पकड़ी गई थी। उससे मालूम हुआ कि उसको थाने में भी मारा था। सब मिलाकर 105 स्त्रियाँ पकड़ी गयी थी।’ वाक्य का आशय है कि –
(क) स्त्रियों ने बढ़चढ़ कर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था और उन पर भी बहुत अत्याचार हुए थे
(ख) मदालसा स्वतंत्रता सैनानी थी
(ग) स्त्रियाँ बड़ी संख्या में गिरफ़्तार हुई थीं
(घ) लेखक सब कुछ अपनी डायरी में लिखते थे
उत्तर – (क) स्त्रियों ने बढ़चढ़ कर स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था और उन पर भी बहुत अत्याचार हुए थे
Q2. गिरफ़्तार हुई स्त्रियों की संख्या कितनी थीं –
(क) 67
(ख) 103
(ग) 160
(घ) 105
उत्तर – (घ) 105
Q3. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुन कर लिखिए।
कथन (A) – अस्पताल गए, लोगो को देखने से मालूम हुआ कि 160 आदमी तो अस्पतालों में पहुंचे और जो लोग घरों में चले गए ,वो अलग हैं। इस प्रकार दो सौ घायल जरूर हुए है।
कारण (R) – उस दिन घायलों की संख्या का अंदाजा नहीं लगाया जा सका था क्योंकि पुलिस ने भयंकर लाठीचार्ज किया था और लोग भी टस से मस नहीं हुए थे।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है
(ग) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर – (घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
Q4. बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि –
(क) यहाँ काम नहीं हो रहा है
(ख) यहाँ काम हो रहा है
(ग) यहाँ काम करने वालों की कमी है
(घ) यहाँ काम हो ही नहीं सकता
उत्तर – (क) यहाँ काम नहीं हो रहा है
Q5. प्रस्तुत गद्यांश से क्या पता चलता है –
(क) स्वतंत्रता संग्राम में स्त्रियों ने भी पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर साथ दिया था
(ख) स्वतंत्रता के लिए सभी किसी भी हद तक जाने को तैयार थे
(ग) बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर जो कलंक था उसका बहुत अंश धूल गया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Class 10 Hindi डायरी का एक पन्ना प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)
In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.
Q1. बड़े बाज़ार के प्रायः माकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराने के क्या कारण थे?(CBSE 2019)
उत्तर – बड़े बाज़ार के प्रायः माकानों पर 26 जनवरी, 1931 के दिन राष्ट्रीय झंडा फहराया जा रहा था। उस दिन लोगों में उत्साह कोई भावना थी। सभी को देशभक्ति और नवीनता का अहसास था। उस दिन राष्ट्रीय झंडा फहराने का एक मुख्य कारण यह था कि लोगों को इससे स्वतंत्रता का अहसाह हो रहा था।
Q2. 26 जनवरी, 1931 के दिन बड़े बाज़ार का माहौल कैसा था? (CBSE 2011, 2016)
उत्तर – 26 जनवरी, 1931 के दिन बड़े बाज़ार की साज-सज़्ज़ा सबको उत्साहित कर रही थी। कई मकान तो इस प्रकार सजाए गए थे मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। कलकत्ता में हर जगह झंडे लगाए गए थे , जिन्हे देख कर लोग उत्साहित हो रहे थे। वस्तुतः लोग जिस रास्ते से भी जाते उसी रास्ते पर नवीनता तथा उत्साह दिखाई पड़ता था।
Q3. तारा सुंदरी पार्क में पुलिस ने लोगों को रोकने के लिए क्या किया?
उत्तर – तारा सुंदरी पार्क में बड़ा बाजार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद सिंह को झंडा फहराने भीतर न जाने दिया। पुलिस ने वहाँ काफ़ी मारपीट की जिसमें दो-चार आदमियों के सिर फट गए। गुजराती सेविका संघ की ओर से निकाले गए जुलूस में शामिल लड़कियों को गिरफ्तार कर उन्हें रोकने का प्रयास किया गया।
Q4. पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाली गई नोटिस का कथ्य स्पष्ट करते हुए बताइए कि यह नोटिस क्यों निकाली गई होगी?
उत्तर – पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाली गई नोटिस का कथ्य यह था कि अमुक-अमुक धारा के अंतर्गत सभा नहीं हो सकती है। यदि आप भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। यह नोटिस इसलिए निकाली गई होगी ताकि इस दिन झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा लेने के कार्यक्रम को विफल बनाया जा सके।
Q5. कौंसिल की तरफ़ से निकाली गर्ट नोटिस का प्रकट एवं उद्देश्य क्या था?
उत्तर – कौंसिल द्वारा निकाली गई नोटिस का मूलकथ्य यह था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्वसाधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। इस नोटिस का उद्देश्य था स्वतंत्रता दिवस मनाने की पुनरावृत्ति करना तथा पूर्ण आजादी की माँग करना।
Q6. सुभाष बाबू ने कब और कैसे जुलुस निकाला? यह दिन किस अमर दिन की स्मृति में था? (CBSE 2010)
उत्तर – सुभाष बाबू ने 26 जनवरी 1931 को कोलकाता में जुलुस निकाला। यह जुलुस सरकारी कानूनों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक रूप से निकाला गया। यह दिन 26 जनवरी 1930 को सम्पूर्ण भारत में मनाए गए प्रथम स्वतंत्रता दिवस की अमर स्मृति में था।
Q7. ‘ओपन लड़ाई’ किसे कहा गया है? यह अपूर्ण क्यों थी? (CBSE 2019)
उत्तर – अंग्रेजी सरकार द्वारा विभिन्न धाराओं के तहत सार्वजानिक सभाओं को ग़ैर-कानूनी ठहरा दिया गया था और पुलिस सरकार के आदेश पालन को तत्पर थी। इन सबके बावजूद कैंसिल द्वारा नोटिस निकाला गया कि मोनुमेंट के निचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इसे ही ओपन लड़ाई कहा गया। यह अपूर्ण थी क्योंकि इससे पूर्ण कभी इतना बड़ा जुलूस नहीं निकाला गया था।
Q8. “एक संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं जो वह न कर सके।” ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के सम्बन्ध में कहे गए उक्त कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर – ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ क्रांतिकारियों की कुर्बानियों की याद दिलाते हुए तथ्य की पुष्टि करता है कि यदि एक संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं, जो वह न कर सके। 26 जनवरी, 1931 के दिन कलकत्ता में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए हजारों की संख्या में स्त्री-पुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अंग्रेजी प्रशासकों ने इसे उनका अपराध मानते हुए उन पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया, जिसमें अधिक संख्या में लोग घायल हुए, किन्तु फिर भी अंग्रेजों के क्रूर अत्याचारों को सहन करते हुए भी कलकत्तावासियों ने संगठित होकर अपूर्ण उत्साह, साहस एवं बलिदान का परिचय दिया। साथ ही अपने संकल्प को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
Q9. 26 जनवरी, 1937 को कोलकाता के स्तों पर उत्साह और नवीनता देखते ही बनती थी। इसके कारणों एवं नएपन का वर्णन कीजिए।
उत्तर – 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस मनाये जाने की पुनरावृत्ति होनी थी। इस दृष्टि से इस महत्त्वपूर्ण दिन को अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाना था। इस बार का उत्साह भी देखते ही बनता था। इसके प्रचार मात्र पर ही दो हज़ारे रुपये खर्च किए गए थे। कार्यकर्ताओं को झंडा देते हुए उन्हें घर-घर जाकर समझाया गया था कि आंदोलन की सफलता उनके प्रयासों पर ही निर्भर करती है। ऐसे में आगे आकर उन्हें ही सारा इंतजाम करना था। इसे सफल बनाने के लिए घरों और रास्तों पर झंडे लगाए गए थे। इसके अलावा जुलूस में शामिल, लोगों का उत्साह चरम पर था। उन्हें पुलिस की लाठियाँ भी रोक पाने में असमर्थ साबित हो रही थीं।
Q10. 26 जनवरी, 1931 को सुभाष बाबू का एक नया रूप एवं सशक्त नेतृत्व देखने को मिला। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना था। गतवर्ष इसी दिन पूर्ण स्वराज्य पाने के लिए झंडा तो फहराया गया था पर इसका आयोजन भव्य न बन सका था। आज झंडा फहराने और प्रतिज्ञा लेने के इस कार्यक्रम में सुभाषचंद्र के क्रांतिकारी रूप का दर्शन हो रहा था। वे जुलूस के साथ असीम उत्साह के साथ मोनुमेंट की ओर बढ़ रहे थे। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने लाठियाँ भाँजनी शुरू कर दी थी फिर भी वे चोट की परवाह किए बिना निडरता से आगे ही आगे बढ़ते जा रहे थे और ज़ोर-ज़ोर से ‘वंदे मातरम्’ बोलते जा रहे थे। पुलिस की लाठियाँ उन पर भी पड़ी।
यह देख ज्योतिर्मय गांगुली ने उन्हें पुलिस से दूर अपनी ओर आने के लिए कहा पर सुभाषचंद्र ने कहा, आगे बढ़ना है। उनका यह कथन जुलूस को भी प्रेरित कर रहा था।
Q11. वृजलाल गोयनका कौन थे? झंडा दिवस को सफल बनाने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – वृजलाल गोयनका स्वतंत्रता सेनानी थे, जो कई दिनों से लेखक के साथ काम कर रहे थे। वे दमदम जेल में भी लेखक के साथ थे। वे झंडा दिवस 26 जनवरी, 1931 को सभास्थल की ओर जाते हुए पकड़े गए। पहले तो वे झंडा लेकर ‘वंदे मातरम्’ बोलते हुए इतनी तेज गति से भागे कि अपने आप गिर गए। एक अंग्रेज घुड़सवार ने उन्हें लाठी मारी और पकड़ा परंतु थोड़ी दूर जाने के बाद छोड़ दिया। इस पर वे स्त्रियों के झुंड में शामिल हो गए, तब पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया। तब वे दो सौ आदमियों का जुलूस लेकर लालबाजार गए जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
Q12. ‘डायरी का एक पन्ना’ नामक पाठ के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है? (CBSE 2013, 2018)
अथवा
‘डायरी का एक पन्ना’ के माध्यम से आपने गुलाम भारत के स्वतंत्रता दिवस के आयोजन के विषय में जाना। आज हम आजाद भारत में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
देश के प्रति अपने कर्तव्यों को बताते हुए पाठ से प्राप्त सिख का वर्णन कीजिए। (CBSE 2022)
उत्तर – ‘डायरी का एक पन्ना’ नामक पाठ स्वतंत्रता का मूल्य समझाने एवं देश प्रेम व राष्ट्रभक्ति को जगाने तथा प्रगाढ़ करने का संदेश छिपाए हुए है। पाठ में सन् 1931 के गुलाम भारत के लोगों की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत की गई है कि किस प्रकार निहत्थे किंतु संगठित भारतवासियों के मन में स्वतंत्रता पाने की भावना बलवती हुई और इसे पाने के लिए लोगों ने न लाठियों की चिंता की और न जेल जाने की। वे आत्मोत्सर्ग के लिए तैयार रहते थे। यह पाठ हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने की जहाँ प्रेरणा देता है, वहीं यह संदेश भी देता है कि क्रांतिकारियों की कुर्बानियों को याद करके संगठित होकर काम करने से कोई काम असाध्य नहीं रह जाता है।
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