Manushyta Question Answers
 

CBSE Class 10 Hindi Chapter 3 Manushyta (मनुष्यता) Question Answers (Important) from Sparsh Book

Class 10 Hindi Manushyta Question Answers – Looking for Manushyta question answers for CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Book Lesson 3? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.

 सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 3 के लिए मनुष्यता प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे मनुष्यता प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

 The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions

 Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams. 

 

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मनुष्यता NCERT Solutions 

क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये –

प्रश्न 1 -: कवि ने कैसी मृत्यु को समृत्यु कहा है?
उत्तर-:
कवि ने ऐसी मृत्यु को समृत्यु कहा है जिसमें मनुष्य अपने से पहले दूसरे की चिंता करता है और परोपकार की राह को चुनता है जिससे उसे मरने के बाद भी याद किया जाता है।

प्रश्न 2 -: उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उत्तर -:
उदार व्यक्ति परोपकारी होता है, वह अपने से पहले दूसरों की चिंता करता है और लोक कल्याण के लिए अपना जीवन त्याग देता है।

प्रश्न 3 -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर ‘मनुष्यता ‘ के लिए क्या उदाहरण दिया है?
उत्तर -:
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर ‘मनुष्यता ‘ के लिए यह सन्देश दिया है कि परोपकार करने वाला ही असली मनुष्य कहलाने योग्य होता है। मानवता की रक्षा के लिए दधीचि ने अपने शरीर की सारी अस्थियां दान कर दी थी,कर्ण ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना कवच दे दिया था जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। कवि  इन उदाहरणों के द्वारा यह समझाना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है।

प्रश्न 4 -: कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व – रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर -:
कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों में गर्व रहित जीवन व्यतीत करने की बात कही है-:
रहो न भूल के कभी मगांघ तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अर्थात सम्पति के घमंड में कभी नहीं रहना चाहिए और न ही इस बात पर गर्व करना चाहिए कि आपके पास आपके अपनों का साथ है क्योंकि इस दुनिया में कोई भी अनाथ नहीं है सब उस परम पिता परमेश्वर की संतान हैं।

प्रश्न 5 -: ‘ मनुष्य मात्र बन्धु है ‘ से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -:
‘ मनुष्य मात्र बन्धु है ‘ अर्थात हम सब मनुष्य एक ईश्वर की संतान हैं अतः हम सब भाई – बन्धु हैं। भाई -बन्धु होने के नाते हमें भाईचारे के साथ रहना चाहिए और एक दूसरे का बुरे समय में साथ देना चाहिए।

प्रश्न 6 -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है ?
उत्तर -:
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है ताकि आपसी समझ न बिगड़े और न ही भेदभाव बड़े। सब एक साथ एक होकर चलेंगे तो सारी बाधाएं मिट जाएगी और सबका कल्याण और समृद्धि होगी।

प्रश्न 7 -: व्यक्ति को किस तरह का जीवन व्यतीत करना चाहिए ?इस कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर -:
मनुष्य को परोपकार का जीवन जीना चाहिए ,अपने से पहले दूसरों के दुखों की चिंता करनी चाहिए। केवल अपने बारे में तो जानवर भी सोचते हैं, कवि के अनुसार मनुष्य वही कहलाता है जो अपने से पहले दूसरों की चिंता करे।

प्रश्न 8 -: ‘ मनुष्यता ‘ कविता के द्वारा कवि क्या सन्देश देना चाहता है ?
उत्तर -:
‘मनुष्यता ‘ कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।

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ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये-

1)सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धभाव बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा ?
उत्तर -:
कवि इन पंक्तियों में कहना चाहता है कि मनुष्यों के मन में दया व करुणा का भाव होना चाहिए, यही सबसे बड़ा धन है। स्वयं ईश्वर भी ऐसे लोगों के साथ रहते हैं । इसका सबसे बड़ा उदाहरण महात्मा बुद्ध हैं जिनसे लोगों का दुःख नहीं देखा गया तो वे लोक कल्याण के लिए दुनिया के नियमों के विरुद्ध चले गए। इसके लिए क्या पूरा संसार उनके सामने नहीं झुकता अर्थात उनके दया भाव व परोपकार के कारण आज भी उनको याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

2) रहो न भूल के कभी मदांघ तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीन बन्धु के बड़े विशाल हाथ हैं।
उत्तर -:
कवि इन पंक्तियों में कवि  कहना चाहता है कि भूल कर भी कभी संपत्ति या यश पर घमंड नहीं करना चाहिए। इस बात पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए कि हमारे साथ हमारे अपनों का साथ है क्योंकि कवि कहता है कि यहाँ कौन सा व्यक्ति अनाथ है ,उस ईश्वर का साथ सब के साथ है। वह बहुत दयावान है उसका हाथ सबके ऊपर रहता है।

3) चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति,विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
उत्तर -:
कवि इन पंक्तियों में कहना चाहता है कि मनुष्यों को अपनी इच्छा से चुने हुए मार्ग में ख़ुशी ख़ुशी चलना चाहिए,रास्ते में कोई भी संकट या बाधाएं आये उन्हें हटाते  चले जाना चाहिए। मनुष्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी समझ न बिगड़े और भेद भाव न बड़े। बिना किसी तर्क वितर्क के सभी को एक साथ ले कर आगे बढ़ना चाहिए तभी यह संभव होगा कि मनुष्य दूसरों की उन्नति और कल्याण के साथ अपनी समृद्धि भी कायम करे।

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Class 10 Hindi मनुष्यता Lesson 3 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –

1)
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सुमृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मारा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु- प्रवृति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

Q1. पद्यांश में किस चीज़ को निश्चित कहा गया है –
(क) मृत्यु को
(ख) यादों को
(ग) डर को
(घ) पशु- प्रवृति को
उत्तर – (क) मृत्यु को

Q2. कवि ने कैसी मृत्यु को ‘समृत्यु’ कहा है –
(क) पशु समान जीवन जीने वाले व्यक्ति की
(ख) शांति से मृत्यु को प्राप्त करने वाले व्यक्ति की
(ग) दूसरों का बुरा करने वाले व्यक्ति की
(घ) परोपकार के लिए जीने वाले व्यक्ति की
उत्तर – (घ) परोपकार के लिए जीने वाले व्यक्ति की

Q3. ‘आप आप’ कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) मानवीकरण अलंकार
उत्तर – (ख) पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार

Q4. पद्यांश में असली मनुष्य किसे कहा गया है ?
(क) जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे
(ख) जो केवल अपने बारे में चिंता करे
(ग) जो मनुष्य दूसरों की चिंता करे
(घ) जो दूसरों को कष्ट पहुंचाए
उत्तर – (क) और (ग)

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) मृत्यु का होना निश्चित है, हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए
(ख) हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग हमें मरने के बाद भी याद रखे
(ग) जो मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सकें, उनका जीना और मरना दोनों बेकार है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

 

2)
उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

Q1. ‘सदा सजीव’ ‘समस्त सृष्टि’ आदि में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

Q2. ‘सजीव कीर्ति कूजती’ में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) मानवीकरण अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (ग) मानवीकरण अलंकार

Q3. प्रस्तुत काव्यांश में कौन सा रस है –
(क) श्रृंगार रस
(ख) वीर रस
(ग) करुण रस
(घ) रौद्र रस
उत्तर – (ख) वीर रस

Q4. पद्यांश में किस मनुष्य को असली मनुष्य कहा गया है ?
(क) जो व्यक्ति पुरे संसार को समान दृष्टि से देखता है
(ख) जो व्यक्ति अपने अंदर अखण्ड भाव और भाईचारे की भावना जगाता है
(ग) जो व्यक्ति पुरे संसार में क्रोध की भावना फैलाता है
(घ) जो व्यक्ति पुरे संसार को अखण्ड भाव और भाईचारे की भावना में बाँधता है
उत्तर – (घ) जो व्यक्ति पुरे संसार को अखण्ड भाव और भाईचारे की भावना में बाँधता है

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) जो मनुष्य अपने पूरे जीवन में दूसरों की चिंता करता है उस महान व्यक्ति की कथा का गुण गान सरस्वती अर्थात पुस्तकों में किया जाता है
(ख) जो व्यक्ति पुरे संसार को अखण्ड भाव और भाईचारे की भावना में बाँधता है वह व्यक्ति सही मायने में मनुष्य कहलाने योग्य होता है।
(ग) मनुष्य वही कहलाता है जो दूसरों के लिए अपने आप को त्याग देता है।
(घ) पौराणिक कथाएं ऐसे व्यक्तिओं के उदाहरणों से भरी पड़ी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया
उत्तर – (क) और (ख)

3)
क्षुधार्त रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर-चर्म भी दिया।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्या डरे?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

Q1. समस्त काव्यांश में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) दृष्टांत अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (ग) दृष्टांत अलंकार

Q2. प्रस्तुत काव्यांश में कौन सा रस है –
(क) वीर रस
(ख) करुण रस
(ग) शांत रस
(घ) रौद्र रस
उत्तर – (क) वीर रस

Q3. कवि ने परोपकार की महत्ता को समझाने के लिए क्या किया है –
(क) अत्यधिक कठिन शब्दों का प्रयोग
(ख) पौराणिक प्रसंगों का उल्लेख
(ग) महान व्यक्तियों का गुणगान
(घ) शास्त्रों की कथाओं का वर्णन
उत्तर – (ख) पौराणिक प्रसंगों का उल्लेख

Q4. पद्यांश में कौन से महान व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है ?
(क) रतिदेव और महर्षि दधीचि
(ख) श्री कृष्ण और इंद्र
(ग) राजा शिबि और वीर कर्ण
(घ) केवल (क)
उत्तर – (क) और (ग)

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) भूख से परेशान रतिदेव ने अपने हाथ की आखरी थाली भी दान कर दी थी
(ख) महर्षि दधीचि ने तो अपने पूरे शरीर की हड्डियाँ वज्र बनाने के लिए दान कर दी थी
(ग) उशीनर देश के राजा शिबि ने कबूतर की जान बचाने के लिए अपना पूरा मांस दान कर दिया था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

4)
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धभाव बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा ?
अहा ! वही उदार है परोपकार जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

Q1. दया-प्रवाह में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (ग) रूपक अलंकार

Q2. प्रस्तुत काव्यांश में कौन सा रस है –
(क) वीर रस
(ख) करुण रस
(ग) शांत रस
(घ) रौद्र रस
उत्तर – (क) वीर रस

Q3. किसके आगे सभी नतमस्तक हो जाते हैं –
(क) सुंदरता
(ख) दया-प्रवाह
(ग) उदारता , विनम्रता
(घ) परोपकार
उत्तर – (ग) उदारता , विनम्रता

Q4. कवि ने महाविभूति किसे कहा है ?
(क) दूसरों के दुःख को अपनाने को
(ख) सहानुभूति और परोपकार की भावना को
(ग) हिंसा की भावना को
(घ) विरुद्धवाद को
उत्तर – (ख) सहानुभूति और परोपकार की भावना को

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) मनुष्यों के मन में दया व करुणा का भाव होना चाहिए ,यही सबसे बड़ा धन है
(ख) महान उस को कहा जाता है जो परोपकार करता है
(ग) वही मनुष्य ,मनुष्य कहलाता है जो मनुष्यों के लिए जीता है और मरता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

5)
रहो न भूल के कभी मदांघ तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीन बन्धु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

 

Q1. ‘दयालु दीन बन्धु’ में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

Q2. कवि ने किस पर घमंड न करने की बात कही है –
(क) त्रिलोकनाथ पर
(ख) अपनों के होने पर
(ग) मदांध पर
(घ) धन – दौलत पर
उत्तर – (घ) धन – दौलत पर

Q3. कवि ने किसी को भी अनाथ नहीं माना है, ऐसा क्यों –
(क) क्योंकि सबके साथ उनके अपने हैं
(ख) क्योंकि ईश्वर का साथ सब के साथ है
(ग) सबके माता – पिता हैं
(घ) सभी भाग्यवान हैं
उत्तर – (ख) क्योंकि ईश्वर का साथ सब के साथ है

Q4. पद्यांश में भाग्यहीन किसे कहा गया है ?
(क) जो धन-दौलत पर घमंड करता है
(ख) जो त्रिलोकनाथ को नहीं मानता
(ग) जिस मनुष्य के मन में अधीरता है
(घ) जो अपनों का साथ पाने पर गर्व करता है
उत्तर – (ग) जिस मनुष्य के मन में अधीरता है

Q5. पद्यांश में सच्चा मनुष्य किसे कहा गया है ?
(क) जो गर्व न करे
(ख) जो घमंड न करे
(ग) जो उतावलापन न दिखाए
(घ) जो दूसरों के काम आए
उत्तर – (घ) जो दूसरों के काम आए

6)
अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े,
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े।
परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी,
अभी अमर्त्य-अंक में अपंक हो चढ़ो सभी।
रहो न यां कि एक से न काम और का सरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

Q1. ‘अनंत अंतरिक्ष’ , ‘अमर्त्य-अंक’ में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

Q2. ‘बड़े-बड़े’ में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार
उत्तर – (घ) पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार

Q3. प्रस्तुत पद्यांश में कवि क्या प्रेरणा दे रहे है –
(क) देवताओं के समान
(ख) कलंक रहित जीवन जीने की
(ग) सभी के काम आते हुए जीने की
(घ) गर्व रहित और घमंड रहित जीवन जीने की
उत्तर – (ख) कलंक रहित जीवन जीने की

Q4. आकाश में असंख्य देवता किसके स्वागत में भुजाएँ खोले खड़े है ?
(क) दूसरों का हित करने वालों के
(ख) गर्वरहित जीवन जीने वालों के
(ग) परोपकारी व दयालु मनुष्यों के
(घ) दया भाव रखने वालों के
उत्तर – (ग) परोपकारी व दयालु मनुष्यों के

Q5. इस मरणशील संसार में किसे मनुष्य कहा गया है ?
(क) जो मनुष्यों का साथ दे
(ख) जो मनुष्यों का भला करे
(ग) जो मनुष्यों पर दयाभाव रखे
(घ) जो मनुष्यों का कल्याण करे व परोपकार करे
उत्तर – (घ) जो मनुष्यों का कल्याण करे व परोपकार करे

7)
‘मनुष्य मात्र बन्धु हैं’ यही बड़ा विवेक है,
पुराणपुरुष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है।
फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं,
परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं।
अनर्थ है कि बन्धु ही न बन्धु की व्यथा हरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

Q1. ‘मनुष्य मात्र’ , ‘पुराणपुरुष’ , ‘ पिता प्रसिद्ध’ में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

Q2. प्रस्तुत काव्यांश में कौन सा रस है –
(क) वीर रस
(ख) करुण रस
(ग) शांत रस
(घ) रौद्र रस
उत्तर – (क) वीर रस

Q3. कवि ने इस पद्यांश के माध्यम से क्या सन्देश दिया है –
(क) मिल-जुलकर यात्रा करने का
(ख) मिल-जुलकर एक दूसरे का सझयोग करने का
(ग) मिल-जुलकर प्रभु को याद करने का
(घ) मिल-जुलकर सबका कल्याण करने का
उत्तर – (ख) मिल-जुलकर एक दूसरे का सझयोग करने का

Q4. सबसे बड़ी विवेकशीलता किसे माना गया है ?
(क) स्वयंभू की प्रार्थना को
(ख) परोपकार को
(ग) दयाभावना को
(घ) बंधुत्व की भावना को
उत्तर – (घ) बंधुत्व की भावना को

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे के भाई – बन्धु हैं
(ख) पुराणों में जिसे स्वयं उत्पन्न पुरुष मना गया है, वह परमात्मा या ईश्वर हम सभी का पिता है
(ग) मनुष्य वही कहलाता है जो बुरे समय में दूसरे मनुष्यों के काम आता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

8)
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति,विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

Q1. ‘विपत्ति, विघ्न’ में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

Q2. कवि इस काव्यांश के माध्यम से क्या उजागर करना चाहते है –
(क) दया भावना
(ख) विश्वबंधुत्व की भावना
(ग) करुण भावना
(घ) परोपकारी तथा कल्याणकारी भावना
उत्तर – (ख) विश्वबंधुत्व की भावना

Q3. पद्यांश में मनुष्य को किस बात का ध्यान रखने को कहा गया है –
(क) आपसी समझ न बिगड़े
(ख) सबका कल्याण करता चले
(ग) भेद भाव न बड़े
(घ) (क) और (ग)
उत्तर – (घ) (क) और (ग)

Q4. बिना किसी तर्क वितर्क के सभी को एक साथ ले कर आगे बढ़ना कैसे संभव होगा?
(क) जब मनुष्य दूसरों की उन्नति करे
(ख) जब मनुष्य दूसरों का कल्याण करे
(ग) जब मनुष्य दूसरों की उन्नति और कल्याण के साथ अपनी समृद्धि भी कायम करे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) जब मनुष्य दूसरों की उन्नति और कल्याण के साथ अपनी समृद्धि भी कायम करे

Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) मनुष्यों को अपनी इच्छा से चुने हुए मार्ग में ख़ुशी ख़ुशी चलना चाहिए
(ख) मनुष्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी समझ न बिगड़े और भेद भाव न बड़े
(ग) बिना किसी तर्क वितर्क के सभी को एक साथ ले कर आगे बढ़ना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

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Class 10 Hindi मनुष्यता प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)

In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.

Q1. कवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, मनुष्य कब अहंकारी हो जाता है और क्यों? (CBSE 2019)
उत्तर – कवि मैथिलीशरण गुप्त का मानना है कि मनुष्य धन-सम्पति आने पर अहंकारी हो जाता है। क्योंकि वह इस तुच्छ धन-संपत्ति की प्राप्ति होने पर स्वयं को बड़ा महत्पूर्ण समझने लगता है। उसे अपनी सम्पति का अभिमान हो जाता है। वह सम्पत्तिविहीन लोगों को तुच्छ एवं व्यर्थ समझने लगता है। धन के बल पर अपने आप को सुरक्षित अनुभव करके वह व्यर्थ घमंड करने लगता है तथा धन-सम्पति को ही अपना सर्वस्व मानने लगता है। वह यह भूल जाता है कि सम्पूर्ण विश्व के मनुष्यों की रक्षा करने वाला ईश्वर ही सर्वशक्तिशाली है तथा वही सबका नाथ अथवा स्वामी है।

Q2. कवि किसके जीने और मरने को एक समान बताता है?
उत्तर – इस नश्वर संसार में हजारों-लाखों लोग प्रतिदिन मरते हैं। इनकी मृत्यु को लोग थोडे ही दिन बाद भूल जाते हैं। ये लोग अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए ही जीते हैं। उन्हें दूसरों के दुख-पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं होता है। दूसरों के बारे में न सोचने के कारण ऐसे लोगों की मृत्यु से कुछ लेना-देना नहीं होता है। आत्मकेंद्रित होकर अपनी स्वार्थ हित-साधना में लगे रहने वालों के जीने और मरने को एक समान बताया है।

Q3. अखंड आत्मभाव भरने के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर – अखंड आत्मभाव भरने के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि लोग एक-दूसरे से वैमनस्य, ईष्र्या, द्वेष आदि भाव न रखें और सारी दुनिया के लोगों के साथ एकता अखंडता बनाए रखने हेतु सभी को अपना भाई मानें। प्रायः लोग जाति-धर्म, भाषा क्षेत्रवाद, संप्रदाय आदि की संकीर्णता में फँसकर मनुष्य को भाई समझना तो दूर मनुष्य भी नहीं समझते हैं। कवि इसी संकीर्णता का त्याग करने और सभी के साथ आत्मीयता बनाने की बात कर रहा है।

Q4. ‘मनुष्यता’ कविता में ‘अभीष्ट मार्ग’ किसे कहा गया है और क्यों? (CBSE 2012)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में ‘अभीष्ट मार्ग’ ऐसे मार्ग को कहा गया है, जिसके माध्यम से सभी व्यक्तियों की इच्छाओं को पूरा किया जा सके , जिससे समस्त समाज का कल्याण हो, उसका लाभ हो। क्योंकि ऐसे मार्ग पर चलते हुए मनुष्य किसी भी संकट एवं बाधाओं को पार करता हुआ, निरंतर निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ता रहता है। इस मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति मित्रता और एकता का भाव बनाए रखते हुए जनकल्याण हित के कार्य करता रहता है।

Q5. हमें किसी को अनाथ क्यों नहीं समझना चाहिए?
उत्तर – हमें किसी को इसलिए अनाथ नहीं समझना चाहिए क्योंकि जिस ईश्वर से शक्ति और बल पाकर हम स्वयं को सनाथ समझते हुए दूसरों को अनाथ समझते हैं वही ईश्वर दूसरों की मदद के लिए भी तैयार रहता है। उसके लंबे हाथ मदद के लिए सदैव आगे बढ़े रहते हैं। वह अपनी अपार शक्ति से सदा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता है, इसलिए हमें दूसरों को अनाथ नहीं समझना चाहिए।

Q6. उशीनर कौन थे? उनके परोपकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर – उशीनर गांधार के राजा थे। उन्हें शिवि के नाम से भी जाना जाता है। एक बार जब वे बैठे थे तभी एक कबूतर बाज़ से भयभीत होकर शिवि की गोद में आ दुबका। इसी बीच बाज़ शिवि के पास आकर अपना शिकार वापस माँगने लगा। जब राजा ने कबूतर को वापस देने से मना किया तो उसने राजा से कबूतर के वजन के बराबर माँस माँगा। राजा ने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया। एक कबूतर पर दया करने के कारण राजा प्रसिद्ध हो गए।

 Q7. कवि ने महाविभूति किसे कहा है और क्यों?
उत्तर – कवि ने मनुष्य की सहनशीलता को महाविभूति कहा है। इसका कारण यह है कि सहानुभूति के कारण मनुष्य दूसरों के दुख की अनुभूति करता है और उसे परोपकार करने की प्रेरणा मिलती है। यदि मनुष्य के भीतर सहानुभूति न हो तो कोई व्यक्ति चाहे सुखी रहे या दुखी वह उदासीन रहेगा और वह परोपकार करने की सोच भी नहीं सकता है।

Q8. ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर किन्हीं तीन मानवीय गुणों के बारे में लिखिए। (CBSE 2018)
उत्तर – राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘मनुयषयता’ कविता के आधार पर हमें मानवीय गुणों पर चलने की सलाह दी है। कवि के अनुसार, जीना मरना उसी का सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीता मरता है। परोपकार, दयालुता और उदारता ; ये तीन मानवीय गुण ऐसे हैं, जो मानव जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम है। केवल अपने लिए जीना पशु-प्रवृति है, जबकि दूसरों के लिए जीना ही सच्चे अर्थों में मनुष्यता है।

Q9. मनुष्यता कविता का प्रतिपादन अपने शब्दों में लिखिए। (CBSE 2018)
अथवा
‘मनुष्यता’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाइए। (CBSE 2020)
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मनुष्य मात्र के बंधुत्व को परिभाषित करते हुए, हमें मनुष्यता से आवृत गुणों के मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार, जीना मरना उसी का सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीता मरता है। परोपकार, दयालुता और उदारता ; ये तीन मानवीय गुण ऐसे हैं, जो मानव जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम है। दूसरों का हित-चिंतन भी अपने और अपनों के हित-चिंतन की तरह महत्पूर्ण होना चाहिए। केवल अपने लिए जीना पशु-प्रवृति है, जबकि दूसरों के लिए जीना ही सच्चे अर्थों में मनुष्यता है।

Q10. ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य के किस कृत्य को अनर्थ कहा है और क्यों ?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य को यह बताने का प्रयास किया है कि सभी मनुष्य आपस में ई ई हैं। इस सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि सबको जन्म देने वाला ईश्वर एक है। पुराणों में भी इस बात के प्रमाण हैं कि सृष्टि का रचनाकार वही एक है। वह सारे जगत का अजन्मा पिता है। फिर मनुष्य-मनुष्य में थोड़ा-बहुत जो भेद है। वह उसके अपने कर्मों के कारण है परंतु एक ही ईश्वर या आत्मा का अंश उनमें समाए होने के कारण सभी एक हैं। इतना जानने के बाद भी कोई मनुष्य दूसरे मनुष्य की अर्थात् अपने भाई की मदद न करे और उसकी व्यथा दूर न करे तो वह सबसे बड़े अनर्थ हैं। इसका कारण यह है कि ऐसा न करके मनुष्य अपनी मनुष्यता को कलंकित करता है।

 Q11. ‘मनुष्यता’ कविता की वर्तमान में प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मनुष्यता कविता हमें सच्चा मनुष्य बनने की राह दिखाती है। मनुष्य को इस कविता द्वारा सभी मनुष्यों के अपना भाई मानने, उनकी भलाई करने और एकता बनाकर रखने की सीख दी गई है। कविता के अनुसार सच्चा मनुष्य वही है जो सभी को अपना समझते हुए दूसरों की भलाई के लिए ही जीता और मरता है। वह दूसरों के साथ उदारता से रहता है और मानवीय एकता को दृढ़ करने के लिए प्रयासरत रहता है। वह खुद उन्नति के पथ पर चलकर दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। वर्तमान में इस कविता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि आज दुनिया में स्वार्थवृत्ति, अहंकार, लोभ, ईर्ष्या, छल-कपट आदि बढ़ रहा है जिससे मनुष्य-मनुष्य में दूरी बढ़ रही है।

Q12. ‘मनुष्यता’ कविता में वर्णित उशीनर, दधीचि और कर्ण के उन कार्यों का उल्लेख कीजिए जिससे वे मनुष्य को मनुष्यता की राह दिखा गए।
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में वर्णित उशीनर, दधीचि और कर्ण द्वारा किए गए कार्य इस प्रकार हैं –
उशीनर – इन्हें राजा शिवि के नाम से भी जाना जाता है। राजा उशीनर ने अपनी शरण में आए एक कबूतर की रक्षा के लिए अपने शरीर से उसके वजन के बराबर माँस बाज़ को दे दिया। इस तरह दयालुता का अनुकरणीय कार्य किया।
दधीचि – महर्षि दधीचि ने दानवों को पराजित करने के लिए अपने शरीर की हड्डयाँ दान दे दीं जिनसे बज्र बनाकर दानवों को युद्ध में हराया गया और मानवता की रक्षा की गई।
कर्ण – कर्ण अत्यंत दानी वीर एवं साहसी योद्धा था। उसने ब्राह्मण वेशधारी इंद्र को अपना कवच-कुंडल दान दे दिया। यह दान बाद में उसके लिए जानलेवा सिद्ध हुआ।
इस प्रकार उक्त महापुरुषों ने अनूठे कार्य करके मानवता की रक्षा की और त्याग एवं परोपकार करके मनुष्य को मनुष्यता की राह दिखाई।

Q13. ‘मनुष्यता’ कविता से हमें जीवन की क्या सीख मिलती है और कैसे ? (CBSE 2019)
अथवा
मनुष्यता कविता के माध्यम से कवि क्या सन्देश देना चाहते हैं। (CBSE 2017)
उत्तर – राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने बंधुत्व की भावना को सबसे बड़ी विवेकशीलता माना है। ‘मनुष्यता’ कविता के अनुसार , इस संसार में कोई भी व्यक्ति पराया नहीं है। मनुष्य मानवतावाद का पक्षधर होना चाहिए। सब मनुष्य भाई-भाई हैं; प्रत्येक मनुष्य के प्रति यही दृष्टिकोण उसकी विवेकशीलता का परिचायक है।
कवि ने सर्वधर्म समभाव की चेतना को उभारते हुए, सृष्टि को ईश्वर की संरचना माना है। मनुष्य को अपने – अपने कर्मानुसार विभिन्न जीवन व् जन्म मिलते हैं। बाह्य रूप से इस कर्मफल की विभिन्नता के दर्शन होते हैं। परन्तु प्रत्येक प्राणी में उस परमात्मा का अंश विध्यमान है। इसलिए जीना-मरना उसी का सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीता – मरता हैं।
परोपकार , दयालुता ,उदारता आदि गुण जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम है। दूसरों का हित चिंतन अपनों के हिट चिंतन की तरह ही महत्पूर्ण है। केवल अपने लिए जीना पशु-प्रवृति है , जबकि दूसरों के लिए मनुष्यता है।

प्रश्न 14 – ‘मनुष्यताकविता में कवि ने क्यों कहा है कि हमें मृत्यु से नहीं डरना चाहिए?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने कहा है कि मृत्यु से नहीं डरना चाहिए क्योंकि मृत्यु तो निश्चित है इसे कोई भी टाल नहीं सकता। जिसने इस धरती पर जन्म लिया है उसे एक न एक दिन मरना ही है।

प्रश्न 15 – कैसे मनुष्यों का जीना और मरना दोनों बेकार है और क्यों?
उत्तर – जो मनुष्य दूसरों के लिए कुछ भी ना कर सकें, उनका जीना और मरना दोनों बेकार है । वह मनुष्य मर कर भी कभी नहीं मरता जो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीता है, क्योंकि अपने लिए तो जानवर भी जीते हैं। कवि के अनुसार मनुष्य वही है जो दूसरे मनुष्यों के लिए मरे अर्थात जो मनुष्य दूसरों की चिंता करे वही असली मनुष्य कहलाता है।

प्रश्न 16 – ‘मनुष्यताकविता के आधार पर असली या सच्चा मनुष्य कौन है?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर असली मनुष्य वही है जो दूसरों के लिए जीना व मरना सीख ले। मनुष्य वही कहलाता है जो दूसरों की चिंता करे। सच्चा मनुष्य वही है जो त्याग का भाव जान ले। अतः हमें दूसरों का परोपकार व कल्याण करना चाहिए। सभी मनुष्य भाई – बंधु हैं और मनुष्य वही है जो दुःख में दूसरे मनुष्यों के काम आये।
जो मनुष्य आपसी समझ को बनाये रखता है और भेदभाव को बढ़ावा नहीं देता , ऐसी सोच वाला मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण और उद्धार कर सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जो अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि सभी के कल्याण के लिए सोचता है वही मनुष्य सच्चा मनुष्य कहलाता है।

प्रश्न 17 – मनुष्य को उदार क्यों बनना चाहिए?
उत्तर – मनुष्य को सदा उदार बनना चाहिए क्योंकि उदार मनुष्यों का हर जगह गुण गान होता है। उदार व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है। पूरी धरती उस महान व्यक्ति की आभारी रहती है। उस व्यक्ति की बातचीत उसके मरने के बाद भी हमेशा जीवित व्यक्ति की तरह की जाती है और पूरी सृष्टि उसकी पूजा करती है।

प्रश्न 18 – पुराणों में किन लोगों के उदाहरण हैं?
उत्तर – पुराणों में उन लोगों के बहुत उदाहरण हैं। जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। भूख से परेशान रतिदेव ने अपने हाथ की आखरी थाली भी दान कर दी थी और महर्षि दधीचि ने तो अपने पूरे  शरीर की हड्डियाँ वज्र बनाने के लिए दान कर दी थी। उशीनर देश के राजा शिबि ने कबूतर की जान बचाने  के लिए अपना पूरा मांस दान कर दिया था। वीर कर्ण ने अपनी ख़ुशी से अपने शरीर का कवच दान कर दिया था।

प्रश्न 19 – मनुष्यों के मन में कैसे भाव होने चाहिए?
उत्तर – मनुष्यों के मन में दया व करुणा का भाव होना चाहिए ,यही सबसे बड़ा धन है। स्वयं ईश्वर भी ऐसे लोगों के साथ रहते हैं । इसका सबसे बड़ा उदाहरण महात्मा बुद्ध हैं जिनसे लोगों का दुःख नहीं देखा गया तो वे लोक कल्याण के लिए दुनिया के नियमों के विरुद्ध चले गए। इसके लिए क्या पूरा संसार उनके सामने नहीं झुकता अर्थात उनके दया भाव व परोपकार के कारण आज भी उनको याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

प्रश्न 20 – कवि के अनुसार कभी संपत्ति या यश पर घमंड क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर – कवि के अनुसार भूल कर भी कभी संपत्ति या यश पर घमंड नहीं करना चाहिए। इस बात पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए कि हमारे साथ हमारे अपनों का साथ है क्योंकि कवि कहता है कि इस धरती और कोई भी व्यक्ति अनाथ नहीं है ,उस ईश्वर का साथ सब के साथ है। वह बहुत दयावान है और उसका हाथ सबके ऊपर रहता है।
कवि के अनुसार वह व्यक्ति भाग्यहीन है जो इस प्रकार का उतावलापन रखता है क्योंकि मनुष्य वही व्यक्ति कहलाता है जो इन सब चीजों से ऊपर उठ कर सोचता है। क्योंकि हम सब उस एक ईश्वर की संतान हैं। हमें भेदभाव से ऊपर उठ कर सोचना चाहिए।

प्रश्न 21 – ‘मनुष्यताकविता के आधार पर समझाइए कि देवता कैसे मनुष्यों का स्वागत करते हैं?
उत्तर – ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर उस कभी न समाप्त होने वाले आकाश में असंख्य देवता खड़े हैं, जो परोपकारी व दयालु मनुष्यों का सामने से खड़े होकर अपनी भुजाओं को फैलाकर स्वागत करते हैं। इसलिए कविता में बताया गया है कि दूसरों का सहारा बनो और  सभी को साथ में लेकर आगे बड़ो।
कवि कहता है कि सभी कलंक रहित हो कर देवताओं की गोद में बैठो अर्थात यदि कोई बुरा काम नहीं करोगे तो देवता तुम्हे अपनी गोद में ले लेंगे। अपने मतलब के लिए नहीं जीना चाहिए अपना और दूसरों का कल्याण व उद्धार करना चाहिए क्योंकि इस मरणशील संसार में मनुष्य वही है जो मनुष्यों का कल्याण करे व परोपकार करे।

प्रश्न 22 – सुमृत्यु किसे कहते हैं?
उत्तर – मानव जीवन तभी सार्थक होता है जब वह दूसरों के काम आये और ऐसे इंसान की मृत्यु को भी सुमृत्यु माना जाता है जो मानवता की राह में परोपकार करते हुए आती है। ऐसे मनुष्य को भी लोग उसकी मृत्यु के पश्चात श्रद्धा से याद करते हैं।

प्रश्न 23 –  इस कविता में महापुरुषों जैसे कर्ण, दधीचि, सीबी ने मनुष्यता को क्या सन्देश दिया है?
उत्तर – दधीचि, कर्ण, सीबी आदि महान व्यक्तिओं ने  ‘मनुष्यता ‘ के लिए यह सन्देश दिया है कि परोपकार करने वाला ही असली मनुष्य  कहलाने योग्य होता है। मानवता की रक्षा के लिए दधीचि ने अपने शरीर की सारी अस्थियां दान कर दी थी, कर्ण ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना कवच दे दिया था जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। कवि इन उदाहरणों के द्वारा यह समझाना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है।

प्रश्न 24 – यह कविता व्यक्ति को किस प्रकार जीवन जीने की प्रेरणा देता है?
उत्तर – हमें दूसरों के लिए कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी लोग हमें याद रखें। इंसान को आपसी भाईचारे से काम करना चाहिए। मानव जीवन तभी सार्थक होता है जब वह दूसरों के काम आए।

प्रश्न 25 – “हमें गर्वरहित जीवन जीना चाहिएमनुष्यता कविता के आधार पर कवि द्वारा दिए गए तर्कों से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर मनुष्यता कविता में कवि ने गर्वरहित जीवन जीने की बात कही है और इसके लिए कवि ने कई तर्क दिए हैं। कवि के अनुसार पहला तर्क अत्यधिक धनवान होने पर भी मनुष्य को कभी घमंड नहीं करना चाहिए। दूसरा तर्क यह दिया है कि मनुष्य को कभी अपने सनाथ होने पर गर्व नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस धरती पर कोई भी अनाथ और दरिद्र नहीं है। वह ईश्वर सम्पूर्ण सृष्टि के नाथ तथा संरक्षक हैं। वे अपने अपार साधनों से सबकी रक्षा और पालन करने में समर्थ हैं।

प्रश्न 26 – दधीचि, रंतिदेव और राजा शिबि द्वारा किए गए मानव कल्याण कार्यों का उल्लेख कीजिए?
उत्तर पौराणिक कथाएं ऐसे व्यक्तिओं के उदाहरणों से भरी पड़ी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के सुख और मानव कल्याण लिए त्याग दिया , जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। स्वयं भूख से परेशान ही होने पर भी रतिदेव ने अपने हाथ की आखरी थाली भी भूखे भिक्षुक को दान कर दी थी और महर्षि दधीचि ने तो अपने पूरे  शरीर की हड्डियाँ देवताओं को वज्र बनाने के लिए दान कर दी थी , ताकि वे असुरों पर विजय प्राप्त कर सकें। इसी प्रकार उशीनर देश के राजा शिबि ने भी कबूतर की जान बचाने  के लिए अपना पूरा मांस चील को दान कर दिया था , ताकि उसकी भूख शांत हो सके और वह कबूतर को न मारे।

प्रश्न 27 – मनुष्यता कविता के आधार पर मानव जाति के लिए सबसे बड़ा अनर्थ क्या है और क्यों?
उत्तर ‘मनुष्यता’ कविता के अनुसार मानव जाति के लिए सबसे बड़ा अनर्थ एक भाई का दूसरे भाई को कष्ट में देखते हुए भी उसकी मदद न करना है। क्योंकि सभी मनुष्य आपस में भाई – भाई हैं। इस सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि सबको जन्म देने वाला ईश्वर एक है। पुराणों में भी इस बात के प्रमाण हैं कि सृष्टि का रचनाकार वही एक है। इतना जानने के बाद भी कोई मनुष्य दूसरे मनुष्य की अर्थात् अपने भाई की मदद न करे और उसकी दुःख – वेदना को दूर न करे तो वह सबसे बड़ा अनर्थ हैं। ऐसा करके मनुष्य अपनी मनुष्यता को कलंकित करता है।

प्रश्न 28 – कवि द्वारा कविता में राजा रतिदेव, उशीनर राजा शिबि आदि महानुभावों के उल्लेख से क्या तात्पर्य है और इनके द्वारा किए गए कार्यों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर कवि ने हमें प्रेरणा देने के लिए रतिदेव, उशीनर राजा शिबि , कर्ण और कई महानुभावों के उदाहरण दे कर उनके अतुल्य त्याग के बारे में बताया है। इस कविता के माध्यम से कवि हमें मानवता , सद्भावना , भाईचारा , उदारता , करुणा और एकता का सन्देश दे रहे हैं। इस कविता से हमें प्रेरणा मिलती है कि हर मनुष्य को पूरे संसार में अपनेपन की अनुभूति करनी चाहिए। हमें जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने में भी पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें अभिमान , अधीरता और लालच का त्याग करना चाहिए। हमें सुख का जीवन जीना चाहिए और मेलजोल बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 29 – मनुष्यता कविता में कवि ने अभिष्ट मार्ग किसे कहा है और क्यों?
उत्तर मनुष्यता कविता में कवि ने अभिष्ट मार्ग एक दूसरे की बाधाओं को दूर करके आगे बढ़ने को कहा है। मनुष्यों को अपनी इच्छा से चुने हुए मार्ग में ख़ुशी ख़ुशी चलना चाहिए ,रास्ते में कोई भी संकट या बाधाएं आये , उन्हें हटाते  चले जाना चाहिए। मनुष्यों को यह ध्यान रखना चाहिए कि आपसी समझ न बिगड़े और भेद भाव न बड़े। बिना किसी तर्क – वितर्क के सभी को एक साथ ले कर आगे बढ़ना चाहिए तभी यह संभव होगा कि मनुष्य दूसरों की उन्नति और कल्याण के साथ अपनी समृद्धि भी कायम करे क्योंकि मनुष्य वही कहलाता है जो अपने से पहले दूसरों के कष्टों की चिंता करता है।

प्रश्न 30 – मनुष्यता कविता में दी गई सिख को आप आधुनिक समय में कितना महत्पूर्ण मानते हैं?
उत्तर मनुष्यता कविता हमें सच्चा मनुष्य बनने की राह दिखाती है। मनुष्य को इस कविता द्वारा सभी मनुष्यों के अपना भाई मानने , उनकी भलाई करने और एकता बनाकर रखने की सीख दी गई है। कविता के अनुसार सच्चा मनुष्य वही है जो सभी को अपना समझते हुए दूसरों की भलाई के लिए ही जीता और मरता है। वह दूसरों के साथ उदारता से रहता है और मानवीय एकता को दृढ़ करने के लिए प्रयासरत रहता है। वह खुद उन्नति के पथ पर चलकर दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। आधुनिक समय में इस कविता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि आज दुनिया में स्वार्थवृत्ति, अहंकार, लोभ, ईर्ष्या, छल-कपट आदि बढ़ रहा है जिससे मनुष्य – मनुष्य में दूरी बढ़ रही है।

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