CBSE Class 10 Hindi Chapter 2 Meera ke Pad (मीरा के पद) Question Answers (Important) from Sparsh Book
Class 10 Hindi Meera ke Pad Question Answers – Looking for Meera ke Pad question answers for CBSE Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 Book Lesson 2? Look no further! Our comprehensive compilation of important question answers will help you brush up on your subject knowledge.
सीबीएसई कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 पुस्तक पाठ 2 के लिए मीरा के पद प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 10 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से बोर्ड परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे मीरा के पद प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions.
Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.
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मीरा के पद NCERT Solutions
प्रश्न 1 -: पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ?
उत्तर -: पहले पद में मीरा कहती हैं कि जिस प्रकार हे ! प्रभु आप अपने सभी भक्तों के दुखों को हरते हो ,जैसे – द्रोपदी की लाज बचाने के लिए साड़ी का कपड़ा बढ़ाते चले गए ,प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का रूप धारण कर लिया और ऐरावत हाथी को बचाने के लिए मगरमच्छ को मार दिया उसी प्रकार मेरे भी सारे दुखों को हर लो अर्थात सभी दुखों को समाप्त कर दो।
प्रश्न 2 -: दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -: दूसरे पद में मीरा श्री कृष्ण की नौकर बनने की विनती इसलिए करती है क्यों कि वह श्री कृष्ण के दर्शन का एक भी मौका खोना नहीं चाहती है। वह कहती है कि मैं बगीचा लगाऊँगी ताकि रोज सुबह उठते ही मुझे श्री कृष्ण के दर्शन हो सकें।
प्रश्न 3 -: मीरा ने श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है ?
उत्तर -: मीरा श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उन्होंने सर पर मोर पंख का मुकुट धारण किया हुआ है ,पीले वस्त्र पहने हुए हैं और गले में वैजंत फूलों की माला को धारण किया हुआ है। मीरा कहती हैं कि जब श्री कृष्ण वृन्दावन में गाय चराते हुए बांसुरी बजाते है तो सब का मन मोह लेते हैं।
प्रश्न 4 -: मीरा की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -: मीरा को हिंदी और गुजरती दोनों की कवयित्री माना जाता है। इनकी कुल सात -आठ कृतियाँ ही उपलब्ध हैं। मीरा की भाषा सरल ,सहज और आम बोलचाल की भाषा है, इसमें राजस्तानी ,ब्रज, गुजरती ,पंजाबी और खड़ी बोली का मिश्रण है।पदों में भक्तिरस है तथा अनुप्रास ,पुनरुक्ति ,रूपक आदि अलंकारों का भी प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 5 -: वे श्री कृष्ण को पाने के लिया क्या – क्या कार्य करने को तैयार हैं ?
उत्तर -: मीरा श्री कृष्ण को पाने के लिए अनेक कार्य करने के लिए तैयार हैं – वे कृष्ण की सेविका बन कर रहने को तैयार हैं ,वे उनके विचरण अर्थात घूमने के लिए बाग़ बगीचे लगाने के लिए तैयार हैं ,ऊँचे ऊँचे महलों में खिड़कियां बनाना चाहती हैं ताकि श्री कृष्ण के दर्शन कर सके और यहाँ तक की आधी रात को जमुना नदी के किनारे कुसुम्बी रंग की साडी पहन कर दर्शन करने के लिए तैयार हैं।
(ख) निम्नलिखित पंक्तिओं का काव्य – सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए -:
1) हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी ,आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि ,धरयो आप सरीर।
काव्य -सौन्दर्य – इन पंक्तिओं में मीरा श्री कृष्ण के भक्ति -भाव को प्रकट कर रही है। इन पंक्तिओं में शांत रस प्रधान है। मीरा कहती है कि हे !श्री कृष्ण आप अपने भक्तों के कष्टों को हरने वाले हो। आपने द्रोपदी की लाज बचाई और साड़ी के कपडे को बढ़ाते चले गए। आपने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का रूप भी धारण किया।
2) बूढ़तो गजराज राख्यो ,काटी कुञ्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर , हरो म्हारी भीर।।
काव्य सौन्दर्य – इन पंक्तिओं में मीरा श्री कृष्ण से उनके दुःख दूर करने की विनती करती हैं। इन पंक्तिओं में तत्सम और तद्भव शब्दों का सुन्दर मिश्रण है। मीरा कहती हैं कि जिस तरह हे !श्री कृष्ण आपने हाथिओं के राजा ऐरावत को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था मुझे भी हर दुःख से बचाओ।
3) चाकरी में दरसन पास्यूँ ,सुमरन पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ ,तिन्नू बाताँ सरसी।।
काव्य सौन्दर्य – इन पंक्तिओं में मीरा श्री कृष्ण के प्रति अपनी भाव भक्ति दर्शा रही है। यहाँ शांत रस प्रधान है। यहाँ मीरा श्री कृष्ण के पास रहने के तीन फायदे बताती है। पहला -उसे हमेशा दर्शन प्राप्त होंगे ,दूसरा -उसे श्री कृष्ण को याद करने की जरूरत नहीं होगी और तीसरा -उसकी भाव भक्ति का साम्राज्य बढ़ता ही जायेगा।
प्रश्न 6 – मीरा के जिस पद में ” हिवड़ो ” शब्द प्रयुक्त हुआ है , उस पद को लिखिए तथा यह भी स्पष्ट कीजिए कि ” हिवड़ो ” का अर्थ क्या है।
उत्तर – आधी रात प्रभु दरसण ,दीज्यो जमनाजी रे तीरा।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर , हिवड़ो घणो अधीरा।
अर्थात मीरा कहती हैं कि हे ! मेरे प्रभु गिरधर स्वामी मेरा मन आपके दर्शन के लिए इतना बेचैन है कि वह सुबह का इन्तजार नहीं कर सकता। मीरा चाहती है की श्री कृष्ण आधी रात को ही जमुना नदी के किनारे उसे दर्शन दे दें।
इस पद में ” हिवड़ो ” का अर्थ ” हृदय यानि मन ” से लिया गया है। “हिवड़ो घणो अधीरा ” अर्थत हृदय या मन बहुत बैचेन हो रहा है।
प्रश्न 7 – लोग मीरा को बावरी कहते थे। स्पष्ट कीजिए क्यों ?
उत्तर – मीरा कृष्ण – भक्ति में अपनी सुध – बुध खो चुकी थी। उन्हें किसी परंपरा या मर्यादा का भी ध्यान नहीं रहता था। वह कृष्ण प्रेम में पागल होकर उनकी मूर्ति के सम्मुख नाचती रहती है। वह कृष्ण को अपना पति मानती थी। मीरा संतों की संगति में रहती थी। कृष्ण – भक्ति के लिए उन्होंने राज – परिवार छोड़ दिया , लोकनिंदा सही तथा मंदिरों में भजन गाए , नृत्य किया। उसके इन्हीं कार्यों के कारण लोगों ने उसकी भरपूर निंदा की परंतु मीरा तो सब सांसारिकता को त्याग कर कृष्ण की अनन्य भक्ति में रम चुकी थी। मीरा की अनन्य कृष्ण – भक्ति की इसी पराकष्ठा को बावलेपन की संज्ञा दी गई है। इसी कारण लोग उन्हें बावरी कहते थे।
प्रश्न 8 – मीरा जी के पदों की कौन सी भाषा है ?
उत्तर – मीरा जी के पदों में राजस्थानी और बृज भाषा का मिलाजुला प्रयोग मिलता है।
प्रश्न 9 – दुसरे पद में मीरा जी श्री कृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं ?
उत्तर – दूसरे पद में कवयित्री मीरा जी श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति भावना को उजागर करते हुए कहती हैं कि हे ! श्री कृष्ण मुझे अपना नौकर बना कर रखो अर्थात मीरा किसी भी तरह श्री कृष्ण के नजदीक रहना चाहती है फिर चाहे नौकर बन कर ही क्यों न रहना पड़े। दूसरे पद में मीरा श्री कृष्ण की नौकर बनने की विनती इसलिए करती है क्यों कि वह श्री कृष्ण के दर्शन का एक भी मौका खोना नहीं चाहती है। वह कहती है कि वे बगीचा लगाएँगी ताकि रोज सुबह उठते ही उन्हें श्री कृष्ण के दर्शन हो सकें।
Class 10 Hindi मीरा के पद Question Answers Lesson 2 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
1)
हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी , आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि , धरयो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो , काटी कुञ्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर , हरो म्हारी भीर।।
Q1. पद्यांश में किस रस की प्रधानता है –
(क) करुण रस
(ख) वीर रास
(ग) भक्ति रस
(घ) श्रृंगार रस
उत्तर – (ग) भक्ति रस
Q2. द्रोपदी की इज्जत प्रभु ने बचाई थी –
(क) कपड़े को बड़ा कर
(ख) दुःशासन को मार कर
(ग) चीर को समाप्त कर
(घ) द्रोपदी को दर्शन दे कर
उत्तर – (क) कपड़े को बड़ा कर
Q3. नरहरि का रूप धारण किया था –
(क) द्रोपदी को बचाने के लिए
(ख) ऐरावत को बचाने के लिए
(ग) प्रह्लाद को बचाने के लिए
(घ) मीरा का उद्धार करने के लिए
उत्तर – (ग) प्रह्लाद को बचाने के लिए
Q4. ‘काटी कुञ्जर’ में कौन सा अलंकार है ?
(क) उपमा अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) पुनरुक्ति अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर – (घ) अनुप्रास अलंकार
Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) प्रभु ने द्रोपदी की इज्जत को बचाया और साड़ी के कपडे को बढ़ाते चले गए
(ख) अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया
(ग) हाथियों के राजा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
2)
स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुंज गली में , गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसन पास्यूँ, सुमरन पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ , तीनूं बाताँ सरसी।
Q1. मीरा बाग़ क्यों लगाना चाहती हैं –
(क) क्योंकि मीरा को बाग़ बगीचे अच्छे लगते हैं
(ख) क्योंकि श्रीकृष्ण को बाग़ पसंद है
(ग) नित सवेरे उठकर अपने प्रभु के दर्शन प्राप्त करने के लिए
(घ) ताकि उस बाग़ से हमेशा अपने प्रभु के लिए फूल चुन सके
उत्तर – (ग) नित सवेरे उठकर अपने प्रभु के दर्शन प्राप्त करने के लिए
Q2. वृन्दावन की गलियों में मीरा क्या करना चाहती हैं?
(क) फूल बेचना
(ख) अपने आराध्य की लीलाओं का बखान करना
(ग) अपने आराध्य को ढूँढना
(घ) श्रीकृष्ण के बारे में पता लगाना
उत्तर – (ख) अपने आराध्य की लीलाओं का बखान करना
Q3. नौकर बन कर मीरा को क्या लाभ?
(क) उन्हें हमेशा कृष्ण के दर्शन प्राप्त होंगे
(ख) उन्हें अपने प्रिय की याद नहीं सताएगी
(ग) उनकी भाव भक्ति का साम्राज्य बढ़ता ही जायेगा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
Q4. ‘भाव भगती’ में कौन सा अलंकार है ?
(क) उपमा अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) पुनरुक्ति अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर – (घ) अनुप्रास अलंकार
Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) मीरा किसी भी तरह श्री कृष्ण के नजदीक रहना चाहती है फिर चाहे नौकर बन कर ही क्यों न रहना पड़े
(ख) नौकर बनकर मीरा बागीचा लगाएंगी ताकि सुबह उठ कर रोज अपने प्रभु के दर्शन पा सके
(ग) वृन्दावन की संकरी गलियों में मीरा अपने स्वामी की लीलाओं का बखान करेंगी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
3)
मोर मुगट पीताम्बर सौहे , गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे , मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बनावँ बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ ,पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसण ,दीज्यो जमनाजी रे तीरा।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर , हिवड़ो घणो अधीरा।
Q1. ‘मोर मुगट पीताम्बर सौहे , गल वैजन्ती माला।’ पंक्ति में किसका वर्णन किया गया है –
(क) मीरा का
(ख) श्रीकृष्ण का
(ग) मोर का
(घ) फूल का
उत्तर – (ख) श्रीकृष्ण का
Q2. ‘बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला’ का आशय है –
(क) श्रीकृष्ण ग्वाले हैं और मुरली बजाते हैं
(ख) श्रीकृष्ण द्वारा वृन्दावन में गाय चराई जाती हैं
(ग) श्रीकृष्ण गाय चराते हुए, मुरली बजाते श्रीकृष्ण सबका मन मोह लेते हैं
(घ) श्रीकृष्ण गाय चराते हुए मुरली बजाते हैं
उत्तर – (ग) श्रीकृष्ण गाय चराते हुए, मुरली बजाते श्रीकृष्ण सबका मन मोह लेते हैं
Q3. ‘ हिवड़ो घणो अधीरा’ से अभिप्राय –
(क) अपने प्रभु को प्राप्त करने के लिए हृदय बैचेन है
(ख) अपने प्रभु से मिलने के लिए हृदय अधीर हो रहा है
(ग) दिल बहुत घबराया हुआ है
(घ) दिल बैचेन है
उत्तर – (ख) अपने प्रभु से मिलने के लिए हृदय अधीर हो रहा है
Q4. ‘मोर मुगट’ और ‘मोहन मुरली’ में कौन सा अलंकार है ?
(क) उपमा अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) पुनरुक्ति अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर – (घ) अनुप्रास अलंकार
Q5. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पद्यांश से मेल खाते वाक्यों को चुनिए ?
(क) उन्होंने पीले वस्त्र धारण किये हुए हैं ,सर पर मोर के पंखों का मुकुट विराजमान है और गले में वैजन्ती फूल की माला को धारण किया हुआ है
(ख) नौकर बनकर मीरा बागीचा लगाएंगी ताकि सुबह उठ कर रोज अपने प्रभु के दर्शन पा सके
(ग) मीरा कहती है कि मैं बगीचों के बिच ही ऊँचे ऊँचे महल बनाउंगी और कुसुम्बी साड़ी पहन कर अपने प्रिय के दर्शन करुँगी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) और (ग)
Class 10 Hindi मीरा के पद प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)
In this post we are also providing important questions for CBSE Class 10 Boards in the coming session. These questions have been taken from previous years class 10 Board exams and the year is mentioned in the bracket along with the question.
Q1. कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु से क्या प्रार्थना की है? प्रथम पद के आधार पर लिखिए।
अथवा
पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है ? (CBSE 2010 , 2011 , 2016)
अथवा
मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना किस प्रकार की है ? (CBSE 2019)
उत्तर – कवयित्री मीरा ने अपने प्रभु श्रीकृष्ण से कहती हैं कि वे अपने भक्तों के सभी प्रकार के दुखों को हरने वाले हैं अर्थात दुखों का नाश करने वाले हैं। मीरा उदाहरण देते हुए कहती हैं कि जिस तरह उन्होंने द्रोपदी की इज्जत को बचाया और साडी के कपडे को बढ़ाते चले गए , जिस तरह उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए नरसिंह का शरीर धारण कर लिया और जिस तरह उन्होंने हाथियों के राजा भगवान इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी को मगरमच्छ के चंगुल से बचाया था , हे ! श्री कृष्ण उसी तरह अपनी इस दासी अर्थात भक्त के भी सारे दुःख हर लो अर्थात सभी दुखों का नाश कर दो। साथ ही साथ मीरा ने प्रभु से लोगों की पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की है। उनके प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी , प्रहलाद और गजराज की जिस तरह सहायता की थी और उन्हें विपदा से मुक्ति दिलाई उसी तरह मीरा अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना अपने प्रभु से की है।
Q2. भगवान को नरहरि का रूप क्यों धारण करना पड़ा?
उत्तर – हिरण्यकश्यप नामक एक अत्याचारी एवं अभिमानी राजा था। वह स्वयं को ही ईश्वर मानता था। परंतु उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को तरह-तरह से समझाया कि वह प्रभु भक्ति छोड़कर उसे अर्थात हिरण्यकश्यप को ही भगवान माने , पर प्रहलाद तैयार न हुआ। उसके पिता ने उसे तरह-तरह की यातना दी पर प्रहलाद का विश्वास प्रभु में बढ़ता ही गया। एक बार जब उसने प्रहलाद की जान लेनी चाही तो भगवान ने नरसिंह का रूप धारण कर प्रहलाद की रक्षा की और हिरण्यकश्यप को मार दिया।
Q3. ‘तीनू बाताँ सरसी’ के माध्यम से कवयित्री क्या कहना चाहती है? उसकी यह मनोकामना कैसे पूरी हुई ?
अथवा
कृष्ण की चाकरी करने से मीरा को कौन – कौन से तीन लाभ मिलेंगे ? (CBSE 2010)
उत्तर – कवयित्री मीरा अपने प्रभु श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। वह श्रीकृष्ण की चाकरी करके उनका सामीप्य पाना चाहती थी। इस चाकरी से उन्हें तीन लाभ मिलेंगे अर्थात उनकी तीन इच्छाएँ पूर्ण होगी। उनकी पहली इच्छा यह है कि श्रीकृष्ण के लिए बाग़ लगाकर वह नित्य अपने प्रभु के दर्शन कर पाएँ। उनकी दूसरी इच्छा यह है कि वह वृन्दावन की गलियों में कृष्ण की लीलाओं का यशोगान करे। उनका नाम स्मरण करने से स्मरण रूपी जेब खर्च मिल जाएगा और भक्तिभाव रूपी जागीर उन्हें मिल जाएगी। उनकी तीसरी और अंतिम इच्छा यह है कि किसी प्रकार उन्हें श्रीकृष्ण की भक्ति प्राप्त हो जाए। उन्होंने अपनी इन मनोकामना की पूर्ति कृष्ण की अनन्य और भक्ति के माध्यम से पूरी की।
Q4. पाठ में संकलित पदों के आधार पर मीरा की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – मीरा कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनकी भक्ति में दास्य भाव अधिक दिखाई देता है। इस पाठ में संकलित पदों को पढ़ने से उनकी भक्ति का दो रूप उभरकर सामने आता है –
दास्य रूप
रसिक रूप
प्रथम पद में कवयित्री अपने प्रभु से पहले लोगों का दुख दूर करने की प्रार्थना करती है। वह अपने प्रभु का गुणगान करती हुई उनकी क्षमताओं का स्मरण कराती है। इसी क्रम में वह अपने प्रभु को द्रौपदी, गजराज और प्रहलाद के प्रति किए गए कार्यों का दृष्टांत प्रस्तुत करती हुई अपनी पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करती है।
दूसरे पद में मीरा अपने प्रभु के रूप सौंदर्य पर मोहित होती हैं। वे उनका सान्निध्य पाने का प्रयास करती हैं और उनकी सेवा करते हुए उन्हें प्रसन्न करने का हर संभव उपाय करती है।
Q5. मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण का दर्शन और सामीप्य पाने के लिए क्या-क्या उपाय करती हैं?
अथवा
मीरा श्रीकृष्ण के समीप रहने के लिए क्या करने को तैयार है?(CBSE 2018)
उत्तर – कवयित्री मीरा अपने प्रभु की भक्ति में डूबकर उनका सामीप्य और दर्शन पाना चाहती हैं। इसके लिए वे चाहती हैं कि श्रीकृष्ण उन्हें अपना नौकर बना कर रख लें। मीरा बाग लगाना चाहती हैं ताकि श्रीकृष्ण वहाँ घूमने आएँ और उन्हें दर्शन मिल सके। वे श्रीकृष्ण का गुणगान ब्रज की गलियों में करती हुई घूमना – फिरना चाहती हैं। मीरा विशाल भवन में भी बगीचा बनाना चाहती हैं ताकि उस बगीचे में घूमते श्रीकृष्ण के दर्शन कर सके। वे श्रीकृष्ण का सामीप्य पाने के लिए लाल रंग की साड़ी पहनती हैं और अपने प्रभु से प्रार्थना करती हैं कि वे आधी रात में यमुना के किनारे मिलने की कृपा करें क्योंकि इस मिलन के लिए उनका मन बेचैन हो रहा है।
Q6. ” द्रोपदी री लाज राखी , आप बढ़ायो चीर। ” कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर – ” द्रोपदी री लाज राखी , आप बढ़ायो चीर। ” कथन का भाव यह है कि मीराबाई , द्रोपदी के उदाहरण के माध्यम से , श्रीकृष्ण से यह निवेदन करती हैं की वह अर्थात श्रीकृष्ण द्रोपदी की भाँति उनके अर्थात मीरा के भी सभी कष्टों का निवारण करें। वह कहती हैं कि जिस समय दुःशासन ने भरी सभा में द्रोपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया था , तब श्रीकृष्ण ने ही चीर बढ़ाकर द्रोपदी के स्वाभिमान की रक्षा की थी। इसी प्रकार श्रीकृष्ण मीरा के भी सभी कष्टों को दूर कर सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिला दीजिए।
Q7. मीरा ऊँचे – ऊँचे महलों और बीच – बीच में खिड़कियों की कल्पना क्यों करती हैं ? (CBSE 2015)
अथवा
दूसरे पद में मीरा ने श्रीकृष्ण के दर्शन पाने के लिए किस युक्ति का सहारा लिया ?
उत्तर – मीरा ऊँचे – ऊँचे महलों और बीच – बीच में खिड़कियों की कल्पना इसलिए करती हैं क्योंकि वृन्दावन में कृष्ण का भव्य और ऊँचा महल है। वह इस महल के बीचों बीच सुंदर फूलों से सजी फुलवारी बनाना चाहती हैं , ताकि जब कृष्ण अपनी गायों को चराने के लिए वहाँ आएँ , तो इन फूलों से सजी फुलवारी को देख कर वे खुश हो जाएँ और मीरा खिड़कियों में से उनके इस मोहित करने वाले रूप के दर्शन कर सकें।
Q8. मीरा की रचनाओं में भक्ति – भावना निहित है – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त है। उन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति करते हुए अपना सारा जीवन बिता दिया। वह उनकी भक्ति में इतनी दीवानी बन गईं कि उन्हें लोक – लाज , कुल – वंश , सामजिक मर्यादा आदि का भी ध्यान नहीं रहा। मीरा ने अपने आराध्य देव के गुणों का भरपूर बखान किया है। उनकी भक्ति में समर्पण की भावना है। उनके काव्य में अनुभूति की गहराई है। वह श्रीकृष्ण को अपना आराध्य भी मानती हैं और प्रियतम भी। वह उनसे प्रिया की भाँति भी मिलना चाहती हैं और एक सच्चे भक्त की भाँति भी। वह उनकी सेवा में समर्पित है। वह उनके दर्शन के लिए तीव्र अभिलाषा भी रखती हैं। उनके अनुसार , प्रभु का दर्शन , स्मरण और भक्ति , ये तीनों ही भक्तों की सच्ची जागीर होती है। उन्होंने श्रीकृष्ण को ही अपना सर्वस्व मानकर अपने आप को उनके चरणों समर्पित कर दिया। उनकी रचनाओं में भक्ति भावना की प्रधानता स्पष्ट रूप से दृष्टव्य है।
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