CBSE Class 10 Hindi Chapter 3 Topi Shukla (टोपी शुक्ला) Question Answers (Important) from Sanchayan Book
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- टोपी शुक्ला NCERT Solutions
- टोपी शुक्ला सार-आधारित प्रश्न
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- टोपी शुक्ला बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर
- टोपी शुक्ला प्रश्न और उत्तर
- टोपी शुक्ला Extra Questions
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Topi Shukla NCERT Solutions
प्रश्न 1 – इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर – इफ़्फ़न टोपी का पहला दोस्त था। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते थे। टोपी का इफ़्फ़न की दादी से भी बहुत गहरा नाता था क्योंकि जो प्यार और अपनापन टोपी को उसके घर में नहीं मिला वह इफ़्फ़न और इफ़्फ़न की दादी से मिला। इसलिए कहा जा सकता है कि इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 2 – इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
उत्तर – इफ़्फ़न की दादी किसी इस्लामी आचार्य की बेटी नहीं थी बल्कि एक जमींदार की बेटी थी। दूध-घी खाती हुई बड़ी हुई थी परन्तु लखनऊ आ कर वह उस दही के लिए तरस गई थी। जब भी वह अपने मायके जाती तो जितना उसका मन होता, जी भर के खा लेती क्योंकि लखनऊ वापिस आते ही उन्हें फिर मौलविन बन जाना पड़ता। यही कारण था कि इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर जाना चाहती थीं।
प्रश्न 3 – दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?
उत्तर – दादी की शादी एक मौलवी परिवार में हुई थी और मौलवियों के घर में शादी-ब्याह के अवसर पर कोई गाना-बजाना नहीं होता। इसी वजह से दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाई।
प्रश्न 4 – ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर – अम्मी! यह शब्द सुनते ही खाने की मेज़ पर बैठे सभी लोग चौंक गए, उनके हाथ खाना खाते-खाते रुक गए। वे सभी लोग टोपी के चेहरे की ओर देखने लगे। ‘अम्मी’ शब्द उर्दू का था और टोपी हिन्दू था, उसके मुँह से यह शब्द सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे रीति-रिवाजों की दीवार हिलने लगी हो। टोपी की दादी सुभद्रादेवी तो उसी वक्त खाने की मेज़ से उठ गई और टोपी की माँ रामदुलारी ने टोपी को बहुत मारा।
प्रश्न 5 – दस अक्तूबर सन पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
उत्तर – दस अक्तूबर सन पैंतालीस का ऐसे तो कोई महत्त्व नहीं है परन्तु टोपी के जीवन के इतिहास में इस तारीख का बहुत अधिक महत्त्व है, क्योंकि इस तारीख को इफ़्फ़न के पिता बदली पर मुरादाबाद चले गए। इफ़्फ़न की दादी के मरने के थोड़े दिनों बाद ही इफ़्फ़न के पिता की बदली हुई थी। टोपी दादी के मरने के बाद तो अपनेआप को अकेला महसूस कर ही रहा था और अब इफ़्फ़न के चले जाने पर वह और भी अकेला हो गया था। इसीलिए टोपी ने दस अक्तूबर सन पैंतालीस को कसम खाई कि अब वह किसी भी ऐसे लड़के से कभी भी दोस्ती नहीं करेगा जिसके पिता कोई ऐसी नौकरी करते हो जिसमें बदली होती रहती हो।
प्रश्न 6 – टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर – इफ़्फ़न के घर में टोपी का सबसे अधिक मेलमिलाप उसकी दादी से था। दादी की बोली उसे बहुत पसंद थी और टोपी की माँ की बोली भी वही थी। टोपी को इफ़्फ़न की दादी का हर एक शब्द शक़्कर की तरह मीठा लगता था। पके आम के रस को सूखाकर बनाई गई मोटी परत की तरह मज़ेदार लगता। तिल के बने व्यंजनों की तरह अच्छा लगता और वह दादी की डाँट सुन कर चुपचाप उनके पास चला आता। टोपी को अपनी दादी बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती थी। इसीलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही।
प्रश्न 7 – पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर – इफ़्फ़न को अपनी दादी से बहुत ज्यादा प्यार था। प्यार तो उसे अपने अब्बू, अम्मी, बड़ी बहन और छोटी बहन नुज़हत से भी था परन्तु दादी से वह सबसे ज्यादा प्यार किया करता था। अम्मी तो कभी-कभार इफ़्फ़न को डाँट देती थी और कभी-कभी तो मार भी दिया करती थी। बड़ी बहन भी अम्मी की ही तरह कभी-कभी डाँटती और मारती थी। अब्बू भी कभी-कभार घर को न्यायालय समझकर अपना फैसला सुनाने लगते थे। नुजहत को जब भी मौका मिलता वह उसकी कापियों पर तस्वीरें बनाने लगती थी। बस एक दादी ही थी जिन्होंने कभी भी किसी बात पर उसका दिल नहीं दुखाया था। यही कारण था कि पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था।
प्रश्न 8 – इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर – टोपी और दादी में एक ऐसा सम्बन्ध हो चूका था जिसे शायद अगर इफ़्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले न समझ पाए थे। दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था। दोनों ही प्यार के प्यासे थे और एक ने दूसरे की इस प्यास को बुझा दिया था। दोनों अपने-अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। दोनों ने एक दूसरे के अकेलापन को दूर कर दिया था। दादी जितना प्यार इफ़्फ़न से करती थी उतना ही टोपी से भी करती थी। दादी दोनों को ही कहानियाँ सुनाया करती थी। इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा इसलिए भी लगा क्योंकि टोपी इफ़्फ़न के घर में केवल दादी से ही मिलने जाया करता था।
प्रश्न 9 – टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथा के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर – टोपी हिन्दू धर्म से था और इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम थी। परन्तु टोपी और दादी का रिश्ता इतना अधिक अटूट था कि टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने के लिए मार भी पड़ी थी परन्तु टोपी दादी से मिलने, उनकी कहानियाँ सुनाने और उनकी मीठी पूरबी बोली सुनने रोज इफ़्फ़न के घर जाता था। दादी रोज उसे कुछ-न-कुछ खाने को देती पर टोपी कभी नहीं खता था। उसे तो दादी का हर एक शब्द गुड़ की डली की तरह लगता था। टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। दोनों एक दूसरे को खूब समझते थे।
प्रश्न 10 – टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए –
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
उत्तर – वह पढ़ाई में बहुत तेज़ था परन्तु उसे कोई पढ़ने ही नहीं देता था। जब भी टोपी पढ़ाई करने बैठता, तो कभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू को कोई काम याद आ जाता या उसकी माँ को कोई ऐसी चीज़ मँगवानी पड़ जाती जो नौकरों से नहीं मँगवाई जा सकती थी। अगर ये सारी चीज़े न होती तो कभी उसका छोटा भाई भैरव उसकी कापियों के पन्नों को फाड़ कर उनके हवाई जहाज़ बना कर उड़ाने लग जाता। यह तो थी पहले साल की बात। दूसरे साल उसे टाइफ़ाइड हो गया था। जिसके कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाया और दूसरी साल भी फेल हो गया।
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर – मास्टरों ने उसकी ओर ध्यान देना बिलकुल ही छोड़ दिया था, कोई सवाल किया जाता और जवाब देने के लिए जब टोपी भी हाथ उठाता, तो कोई मास्टर उससे जवाब नहीं पूछता था। वहीद जो कक्षा का सबसे तेज़ लड़का था, उसने टोपी से कहा कि वह उन लोगों के साथ क्यों खेलता है। उसे तो आठवीं कक्षा वालों से दोस्ती करनी चाहिए क्योंकि वे लोग तो आगे दसवीं कक्षा में चले जाएँगे और टोपी को तो आठवीं वालों के साथ ही रहना है तो उनसे दोस्ती करना टोपी के लिए अच्छा होगा। टोपी ने किसी न किसी तरह एक साल को झेल लिया। परन्तु जब सन इक्यावन में भी उसे नवीं कक्षा में ही बैठना पड़ा तो वह बिलकुल गीली मिट्टी का पिंड हो गया, क्योंकि अब तो दसवीं में भी कोई उसका दोस्त नहीं रह गया था। जो विद्यार्थी सन उनचास में आठवीं कक्षा में थे वे अब दसवीं कक्षा में थे। जो सन उनचास में सातवीं कक्षा में थे, वे टोपी के साथ पहुँच गए थे। उन सभी के बीच में वह अच्छा-ख़ासा बूढ़ा दिखाई देने लगा था।
(ग) टोपी की भावनात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर – बच्चे फ़ेल होने पर मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं। वे उसी कक्षा में अपने से छोटे विद्यार्थियों के साथ बैठने में शर्म महसूस करते हैं। अध्यापको को चाहिए की वे फेल हुए बच्चों पर भी उतना ही ध्यान दें, जितना दूसरे बच्चों पर दिया जाता है। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान पर ही नहीं परखना चाहिए।
प्रश्न 11 – इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर – कस्टोडियन अर्थात सरकारी कब्ज़ा। इफ़्फ़न की दादी के मायके वाले जब कराची में रहने चले गए तो उनके पुराने घर की देखभाल के लिए कोई नहीं रह गया था। उनका उनके घर पर कोई मालिकाना हक़ भी नहीं रहा था। इसी कारण इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में चला गया।
Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Question Answers Lesson 3 – सार–आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार-आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1. “सोता है संसार जागता है पाक परवरदिगार। आँखों से देखी नहीं कहती। कानों की सुनी कहती हूँ कि एक मुलुक में एक बादशाह रहा…..”
दादी की भाषा पर वह कभी नहीं मुस्कराया। उसे तो अच्छी-भली लगती थी। परन्तु अब्बू नहीं बोलने देते थे। और जब भी वह दादी से इसकी शिकायत करता तो वह हँस पड़तीं,” अ मोरा का है बेटा! अनपढ़ गँवारन की बोली तूँ काहे को बोले लग्यो। तूँ अपने अब्बा की ही बोली बोलौ।” बात ख़त्म हो जाती और कहानी शुरू हो जाती-
“त ऊ बादशा का किहिस कि तुरंते ऐक ठो हिरन मार लियावा…. ”
यह बोली टोपी के दिल में उतर गई थी। इफ़्फ़न की दादी उसे अपनी माँ की पार्टी की दिखाई दीं। अपनी दादी से तो उसे नफ़रत थी, नफ़रत। जाने कैसी भाषा बोलती थीं। इफ़्फ़न के अब्बू और उसकी भाषा एक थी।
प्रश्न 1. इस कहानी के लेखक और पाठ का नाम बताएं-
उतर – लेखक का नाम – राही मासूम रज़ा
पाठ का नाम – टोपी शुक्ला
प्रश्न 2. इफ़्फ़न की दादी इफ़्फ़न को किस भाषा में कहानी सुना रही है?
उतर – पूरब की भाषा
प्रश्न 3. दादी के अनुसार जब सारा संसार सोता है तब कौन जागता है?
उतर – परमेश्वर
प्रश्न 4. टोपी के दिल में क्या उतर गई थी?
उतर – इफ़्फ़न की दादी की बोली
प्रश्न 5. टोपी को किससे नफ़रत थी?
उतर – अपनी दादी से
प्रश्न 6. इफ़्फ़न और टोपी के बीच क्या रिश्ता है?
उतर – दोस्ती का
Topi Shukla Important Question Answers Video
2. यह शब्द उसे अच्छा लगा। अम्माँ। वह इस शब्द को गुड़ की डाली की तरह चुभलाता रहा। अम्माँ। अब्बू। बाजी।
फिर एक दिन गज़ब हो गया।
डॉक्टर भृगु नारायण शुक्ला नीले तेल वाले के घर में भी बीसवीं सदी प्रवेश कर चुकी थी। यानी खाना मेज़-कुरसी पर होता था। लगती तो थालियाँ ही थीं परन्तु चौके पर नहीं।
उस दिन ऐसा हुआ कि बैंगन का भुरता उसे ज़रा ज्यादा अच्छा लगा। रामदुलारी खाना परोस रही थी। टोपी ने कहा-
“अम्मी, ज़रा बैंगन का भुरता।”
अम्मी!
मेज़ पर जितने हाथ थे रुक गए। जितनी आँखें थीं वो टोपी के चेहरे पर जम गईं।
प्रश्न 1. ‘अम्माँ’ शब्द किसको अच्छा लगा?
उतर – टोपी को
प्रश्न 2. चुभलाना का क्या अर्थ है-
उतर – मुँह में कोई खाद्य पदार्थ रखकर उसे जीभ से बार-बार हिलाकर इधर-उधर करना
प्रश्न 3. टोपी ने अपनी माँ से क्या कहकर बैंगन का भुरता मांगा?
उतर – अम्मी! (अम्माँ)
प्रश्न 4. टोपी के माँ का नाम क्या है?
उतर – रामदुलारी
प्रश्न 5. डॉक्टर भृगु नारायण शुक्ला टोपी के क्या लगते है?
उतर – पिता
Class 10 Hindi टोपी शुक्ला प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)
प्रश्न 1 बालमन किसी स्वार्थ या हिसाब से चलायमान नहीं होता। बचपन प्रेम के रिश्ते के अलावा किसी और रिश्ते को कबूल नहीं करता।
‘टोपी शुक्ला’ पाठ में टोपी अपने परिवार के एक सदस्य को बदलने की बात करता है। उसकी सोच के आधार पर उसकी मनोदशा का वर्णन कीजिए। (CBSE 2022-23)
उतर – प्रेम केवल अपनापन देखता है जाति या धर्म नहीं, टोपी शुक्ला को अपनेपन की तलाश थी जो उसे इफ़्फ़न की दादी में दिखी, टोपी को इफ़्फ़न की दादी बहुत अच्छी लगती थी उनकी हर एक शब्द शक़्कर की तरह मिठ्ठा लगता था। इसलिए इफ़्फ़न की दादी से टोपी का बहुत गहरा सम्बन्ध बन गया था। और अपनी दादी से नफ़रत थी क्योंकि स्वयं की दादी सदैव डांटती रहती और कभी भी उसके मनोभावों को समझने का प्रयास नहीं करती थी इसलिए टोपी ने अपनी दादी को इफ़्फ़न की दादी से बदलना चाहा । वह इफ़्फ़न की दादी के प्यार व अपनापन से वह बहुत प्रभावित था।
प्रश्न 2 वह तो जब डॉक्टर साहब की जमानत जब्त हो गई तब घर में ज़रा सन्नाटा हुआ और टोपी ने देखा कि इम्तहान सिर पर खड़ा है।
वह पढ़ाई में ‘जुट गया। परंतु ऐसे वातावरण में क्या कोई पढ़ सकता था? इसलिए उसका पास ही हो जाना बहुत था।
“वाह!” दादी बोलीं, “भगवान नज़रे-बद से बचाए। रफ़्तार अच्छी है। तीसरे बरस तीसरे दर्जे में पास तो हो गए।….”
टोपी ज़हीन होने के बावजूद कक्षा में दो बार फेल हो गया। जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों से हार मान लेना कहाँ तक उचित है? टोपी जैसे बच्चों के विषय में आपकी क्या राय है? (CBSE 2021-22)
उतर : – ज़हीन (बुद्धिमान) होने के बावजूद भी टोपी नौवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। उसकी पारिवारिक परिस्थितियाँ उसकी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करती थीं। जब भी वह पढ़ने बैठता तो बड़े भाई या माँ को कोई काम याद आ जाता, जो सिर्फ़ वही कर सकता था। छोटा भाई उसकी कॉपियां खराब कर दिया करता था। दूसरे साल उसे टाइफाइड हो गया। डॉक्टर भूगु नारायण चुनाव के लिए खड़े हो गए और घर में चुनावी माहौल छा गया परंतु फिर उसने दृढ़ निश्चय किया कि वह किसी भी तरह परीक्षा पास ज़रूर करेगा और उसने कर दिखाया। सच्ची लगन और दृढ़ निश्चय से जो काम उसने तीसरे साल में किया उसे पहले साल में भी कि जा सकता था। परिस्थितियां सदैव हमारे अनुकूल नहीं होती परंतु उनका सामना करके कर्तव्य पथ पर बढ़कर ही हम लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 3. रामदलुारी की मार से टोपी पर क्या प्रभाव पड़ा? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करें। (CBSE 2020-21)
उतर : – राम दुलारी की मार का टोपी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। एक दिन खाने की मेज पर टोपी ने अपनी मां (रामदुलारी) को ‘अम्मी’ कह कर पुकारा। टोपी के मुख से अम्मी शब्द सुनकर घरवालों के होश उड़ गए। सभी की आंखें टोपी पर जम गई। फिर दादी के पूछने पर टोपी ने बताया कि ‘अम्मी’ शब्द उसने अपने दोस्त इफ्फ़न के घर से सीखा है। जिस दिन सभी को पता चला कि टोपी ने मुस्लिम लड़के से दोस्ती कर रखी है। टोपी की माँ ने टोपी को बहुत मारा और एक ही बात बार-बार पूछ रही थी कि क्या अब वह इफ़्फ़न के घर जाएगा? इसके उत्तर में हर बार टोपी “हाँ” ही कहता था। टोपी की माँ टोपी को मारते-मारते थक गई परन्तु टोपी ने यह नहीं कहा कि वह इफ़्फ़न के घर नहीं जाएगा। वह इतना पिट गया था कि उसका सारा बदन दुख रहा था। जब टोपी की पिटाई हो रही थी, उसी समय मुन्नी बाबू एक और बात जोड़ कर बोल दिया कि टोपी को दुकान पर कबाब खाते देखा था। कबाब का नाम सुनते ही टोपी की माँ नफ़रत के साथ दो कदम पीछे हट गई और “राम, राम” कहने लगी। । टोपी बहुत उदास हो गया । क्योंकि मुन्नी बाबू झुठ बोल रहा था । वह बस यही सोचता रहा था। कि काश वह एक दिन के लिए मुन्नी बाबू से बड़ा हो पाता और उसे सबक सीखा पाता।
प्रश्न 4. ‘मित्रता और आत्मीयता जाति व भाषा के बंधनों से परे होते है’ – टोपी शुक्ला पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। (CBSE 2017-18)
उतर : – टोपी की मित्रता इफ़्फ़न नाम के लड़के से थी जो मुस्लिम धर्म से था। टोपी जब भी इफ़्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के ही पास बैठने की कोशिश करता था। उसे इफ़्फ़न की दादी से अपनापन महसूस होता था। वह ज्यादा से ज्यादा समय अपने मित्र की दादी के साथ बिताना चाहता था । उसकी दादी की बोली टोपी के दिल में उतर गई थी। दादी और पोते के मित्र के बीच लंबा उम्र का अंतराल परंतु दोनों के मन मिल गए, टोपी को जो प्यार अपने घर में नहीं मिलता था वह उसे मित्र, उसकी दादी और अपने घर की नौकरानी से पाने की कोशिश करता था।
प्रश्न 5. टोपी शुक्ला पाठ के आधार पर बच्चो की मनोवृत्ति पर किस प्रकार प्रकाश डाला गया है | (CBSE 2016-17)
उतर : – टोपी अपने भरे-पूरे घर में भी अकेलापन महसूस करता था उसकी भावनाओं को कोई नहीं समझता था । दादी भी हमेशा टोपी की छोटी – छोटी गलतियों पर गुस्सा करती थी। टोपी को जो प्यार इफ़्फ़न की दादी से मिला वो अपनी खुद की दादी से कभी नहीं मिला। टोपी के भाई मुन्नी बाबू और भैरव जो थे उनसे भी झगड़ा होता था । टोपी का अच्छा मित्र इफ़्फ़न था वह इफ़्फ़न के घर जाता था और इफ़्फ़न के दादी से कहानियां सुनता, टोपी को वहां अपनापन महसूस होता था परंतु इफ़्फ़न मुस्लिम होने के कारण उनके बीच मजहब की दीवार थी टोपी के घरवाले टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने से मना करते थे, फिर इफ़्फ़न की दादी के मरने के बाद तो अकेला महसूस कर ही रहा था और इफ़्फ़न के पिता बदली पर मुरादाबाद चले गए। मित्र के जाने के बाद टोपी स्कूल में भी अकेला हो गया । बुद्धिमान होने के बावजूद भी टोपी नौवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। जिस कारण अन्य साथियों ने मजाक बनाया और अंग्रेजी-साहित्य के मास्टर ने टोपी को कक्षा में बेइज्जत किया। जिसके कारण टोपी बहुत दुखी था।
प्रश्न 6 – इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर – इफ़्फ़न टोपी का पहला दोस्त था। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते थे। टोपी का इफ़्फ़न की दादी से भी बहुत गहरा नाता था क्योंकि जो प्यार और अपनापन टोपी को उसके घर में नहीं मिला वह इफ़्फ़न और इफ़्फ़न की दादी से मिला। इसलिए कहा जा सकता है कि इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 7 – इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
उत्तर – इफ़्फ़न की दादी किसी इस्लामी आचार्य की बेटी नहीं थी बल्कि एक जमींदार की बेटी थी। दूध-घी खाती हुई बड़ी हुई थी परन्तु लखनऊ आ कर वह उस दही के लिए तरस गई थी। जब भी वह अपने मायके जाती तो जितना उसका मन होता, जी भर के खा लेती क्योंकि लखनऊ वापिस आते ही उन्हें फिर मौलविन बन जाना पड़ता। यही कारण था कि इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर जाना चाहती थीं।
प्रश्न 8 – दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?
उत्तर – दादी की शादी एक मौलवी परिवार में हुई थी और मौलवियों के घर में शादी-ब्याह के अवसर पर कोई गाना-बजाना नहीं होता। इसी वजह से दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाई।
प्रश्न 9 – ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर – अम्मी! यह शब्द सुनते ही खाने की मेज़ पर बैठे सभी लोग चौंक गए, उनके हाथ खाना खाते-खाते रुक गए। वे सभी लोग टोपी के चेहरे की ओर देखने लगे। ‘अम्मी’ शब्द उर्दू का था और टोपी हिन्दू था, उसके मुँह से यह शब्द सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे रीति-रिवाजों की दीवार हिलने लगी हो। टोपी की दादी सुभद्रादेवी तो उसी वक्त खाने की मेज़ से उठ गई और टोपी की माँ रामदुलारी ने टोपी को बहुत मारा।
प्रश्न 10 – दस अक्तूबर सन पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
उत्तर – दस अक्तूबर सन पैंतालीस का ऐसे तो कोई महत्त्व नहीं है परन्तु टोपी के जीवन के इतिहास में इस तारीख का बहुत अधिक महत्त्व है, क्योंकि इस तारीख को इफ़्फ़न के पिता बदली पर मुरादाबाद चले गए। इफ़्फ़न की दादी के मरने के थोड़े दिनों बाद ही इफ़्फ़न के पिता की बदली हुई थी। टोपी दादी के मरने के बाद तो अपनेआप को अकेला महसूस कर ही रहा था और अब इफ़्फ़न के चले जाने पर वह और भी अकेला हो गया था। इसीलिए टोपी ने दस अक्तूबर सन पैंतालीस को कसम खाई कि अब वह किसी भी ऐसे लड़के से कभी भी दोस्ती नहीं करेगा जिसके पिता कोई ऐसी नौकरी करते हो जिसमें बदली होती रहती हो।
प्रश्न 11 – टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर – इफ़्फ़न के घर में टोपी का सबसे अधिक मेलमिलाप उसकी दादी से था। दादी की बोली उसे बहुत पसंद थी और टोपी की माँ की बोली भी वही थी। टोपी को इफ़्फ़न की दादी का हर एक शब्द शक़्कर की तरह मीठा लगता था। पके आम के रस को सूखाकर बनाई गई मोटी परत की तरह मज़ेदार लगता। तिल के बने व्यंजनों की तरह अच्छा लगता और वह दादी की डाँट सुन कर चुपचाप उनके पास चला आता। टोपी को अपनी दादी बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती थी। इसीलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही।
प्रश्न 12 – पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर – इफ़्फ़न को अपनी दादी से बहुत ज्यादा प्यार था। प्यार तो उसे अपने अब्बू, अम्मी, बड़ी बहन और छोटी बहन नुज़हत से भी था परन्तु दादी से वह सबसे ज्यादा प्यार किया करता था। अम्मी तो कभी-कभार इफ़्फ़न को डाँट देती थी और कभी-कभी तो मार भी दिया करती थी। बड़ी बहन भी अम्मी की ही तरह कभी-कभी डाँटती और मारती थी। अब्बू भी कभी-कभार घर को न्यायालय समझकर अपना फैसला सुनाने लगते थे। नुजहत को जब भी मौका मिलता वह उसकी कापियों पर तस्वीरें बनाने लगती थी। बस एक दादी ही थी जिन्होंने कभी भी किसी बात पर उसका दिल नहीं दुखाया था। यही कारण था कि पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था।
प्रश्न 13 – इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर – टोपी और दादी में एक ऐसा सम्बन्ध हो चूका था जिसे शायद अगर इफ़्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले न समझ पाए थे। दोनों अलग-अलग अधूरे थे। एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था। दोनों ही प्यार के प्यासे थे और एक ने दूसरे की इस प्यास को बुझा दिया था।
दोनों अपने-अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। दोनों ने एक दूसरे के अकेलापन को दूर कर दिया था। दादी जितना प्यार इफ़्फ़न से करती थी उतना ही टोपी से भी करती थी। दादी दोनों को ही कहानियाँ सुनाया करती थी। इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा इसलिए भी लगा क्योंकि टोपी इफ़्फ़न के घर में केवल दादी से ही मिलने जाया करता था।
प्रश्न 14 – टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथा के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर – टोपी हिन्दू धर्म से था और इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम थी। परन्तु टोपी और दादी का रिश्ता इतना अधिक अटूट था कि टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने के लिए मार भी पड़ी थी परन्तु टोपी दादी से मिलने, उनकी कहानियाँ सुनाने और उनकी मीठी पूरबी बोली सुनने रोज इफ़्फ़न के घर जाता था।
दादी रोज उसे कुछ-न-कुछ खाने को देती पर टोपी कभी नहीं खता था। उसे तो दादी का हर एक शब्द गुड़ की डली की तरह लगता था। टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। दोनों एक दूसरे को खूब समझते थे।
प्रश्न 15 – टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए –
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फ़ेल होने के क्या कारण थे?
उत्तर – वह पढ़ाई में बहुत तेज़ था परन्तु उसे कोई पढ़ने ही नहीं देता था। जब भी टोपी पढ़ाई करने बैठता, तो कभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू को कोई काम याद आ जाता या उसकी माँ को कोई ऐसी चीज़ मँगवानी पड़ जाती जो नौकरों से नहीं मँगवाई जा सकती थी। अगर ये सारी चीज़े न होती तो कभी उसका छोटा भाई भैरव उसकी कापियों के पन्नों को फाड़ कर उनके हवाई जहाज़ बना कर उड़ाने लग जाता। यह तो थी पहले साल की बात। दूसरे साल उसे टाइफ़ाइड हो गया था। जिसके कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाया और दूसरी साल भी फेल हो गया।
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर – मास्टरों ने उसकी ओर ध्यान देना बिलकुल ही छोड़ दिया था, कोई सवाल किया जाता और जवाब देने के लिए जब टोपी भी हाथ उठाता, तो कोई मास्टर उससे जवाब नहीं पूछता था। वहीद जो कक्षा का सबसे तेज़ लड़का था, उसने टोपी से कहा कि वह उन लोगों के साथ क्यों खेलता है। उसे तो आठवीं कक्षा वालों से दोस्ती करनी चाहिए क्योंकि वे लोग तो आगे दसवीं कक्षा में चले जाएँगे और टोपी को तो आठवीं वालों के साथ ही रहना है तो उनसे दोस्ती करना टोपी के लिए अच्छा होगा। टोपी ने किसी न किसी तरह एक साल को झेल लिया। परन्तु जब सन इक्यावन में भी उसे नवीं कक्षा में ही बैठना पड़ा तो वह बिलकुल गीली मिट्टी का पिंड हो गया, क्योंकि अब तो दसवीं में भी कोई उसका दोस्त नहीं रह गया था। जो विद्यार्थी सन उनचास में आठवीं कक्षा में थे वे अब दसवीं कक्षा में थे। जो सन उनचास में सातवीं कक्षा में थे, वे टोपी के साथ पहुँच गए थे। उन सभी के बीच में वह अच्छा-ख़ासा बूढ़ा दिखाई देने लगा था।
(ग) टोपी की भावनात्मक परेशानियों को मद्देनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर – बच्चे फ़ेल होने पर मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं। वे उसी कक्षा में अपने से छोटे विद्यार्थियों के साथ बैठने में शर्म महसूस करते हैं। अध्यापको को चाहिए की वे फेल हुए बच्चों पर भी उतना ही ध्यान दें, जितना दूसरे बच्चों पर दिया जाता है। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान पर ही नहीं परखना चाहिए।
प्रश्न 16 – इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर – कस्टोडियन अर्थात सरकारी कब्ज़ा। इफ़्फ़न की दादी के मायके वाले जब कराची में रहने चले गए तो उनके पुराने घर की देखभाल के लिए कोई नहीं रह गया था। उनका उनके घर पर कोई मालिकाना हक़ भी नहीं रहा था। इसी कारण इफ़्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में चला गया।
Class 10 Hindi टोपी शुक्ला अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)
प्रश्न 1 – टोपी एक दिन के लिए ही सही अपने बड़े भाई मुन्नी बाबू से क्यों बड़ा होना चाहता था?
उत्तर – इफ़्फ़न से दोस्ती करने के और इफ़्फ़न की ही तरह माँ को अम्मी कह देने के कारण जब टोपी की पिटाई हो रही थी तभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू ने दादी से शिकायत करते हुए कहा था कि उसने टोपी को एक दिन रहीम कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देखा था। यह झूठ था इसलिए टोपी को बहुत गुस्सा आया, क्योंकि वह कबाब को हाथ तक नहीं लगाता था। कबाब तो स्वयं मुन्नी बाबू ने खाया था। यह बात घर न बताने के लिए उसने इकन्नी रिश्वत दी थी। इसका मजा चखाने के लिए टोपी मुन्नी बाबू से बड़ा होना चाहता था। ताकि वह मुन्नी बाबू से बदला ले सके।
प्रश्न 2 – लेखक ने इफ़्फ़न और टोपी को दो आज़ाद व्यक्ति क्यों कहा हैं?
उत्तर – लेखक ने इफ़्फ़न और टोपी को दो आज़ाद व्यक्ति इसलिए कहा हैं क्योंकि भले ही इफ़्फ़न और टोपी हमेशा इकट्ठे रहते थे परन्तु दोनों का विकास एक-दूसरे से आज़ाद तौर पर हुआ अर्थात इन दोनों के विकास में एक-दूसरे का कोई योगदान नहीं है। इन दोनों को दो तरह के घरेलू रीती रिवाज़ मिले। इन दोनों ने ही जीवन के बारे में हमेशा से अलग-अलग सोचा।
प्रश्न 3 – प्रेम जाति और उम्र का बंधन नहीं मानता है। “टोपी शुक्ला” पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – टोपी और इफ्फ़न की दादी में घनिष्ठ प्रेम था। टोपी कट्टर हिंदूवादी ब्राहमण परिवार का था तो इफ्फ़न की दादी पक्की रोज़ा-नमाज़ रखने वाली। यह भेद भी इन दोनों को एक-दूसरे से प्रेम करने से न रोक सका। टोपी और दादी में एक ऐसा सम्बन्ध हो चूका था जिसे शायद अगर इफ़्फ़न के दादा जीवित होते तो वह भी बिलकुल उसी तरह न समझ पाते जैसे टोपी के घरवाले नहीं समझ पाए थे। दोनों अलग-अलग अधूरे थे।
एक ने दूसरे को पूरा कर दिया था। दोनों ही प्यार के प्यासे थे और एक ने दूसरे की इस प्यास को बुझा दिया था। दोनों अपने-अपने घरों में अजनबी और भरे घर में अकेले थे क्योंकि दोनों को ही उनके घर में कोई समझने वाला नहीं था। दोनों ने एक दूसरे का अकेलापन दूर कर दिया था। एक बहत्तर बरस की थी और दूसरा आठ साल का। इससे स्पष्ट होता है कि प्रेम जाति और उम्र का बंधन नहीं मानता है।
प्रश्न 4 – किन बातों से पता चलता है कि टोपी को इफ्फ़न की दादी बहुत प्रिय थीं?
उत्तर – टोपी जब भी इफ्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के पास ही बैठता था। वह दादी की पूरबी को सुनकर खुश होता था। दादी उसके दुख और उसकी भावनाओं को समझती थीं। इफ़्फ़न की अम्मी और बाजी जब टोपी की हँसी उड़ाती तो दादी बीच-बचाव करके उसे अपने पास बुला लेती थी। वे टोपी को कहानियाँ सुनाते हुए खुश रखती थी। उनके मरने की खबर सुनकर टोपी उदास हो जाता है और एक कोने में बैठकर रोने लगता है। यहाँ तक कि टोपी इफ़्फ़न को सहानुभूति देता हुआ कहता है कि इफ़्फ़न की दादी की जगह उसकी दादी मर गई होती तो ठीक हुआ होता। इन बातों से पता चलता है कि टोपी को इफ़्फ़न की दादी प्रिय थीं।
प्रश्न 5 – दसवीं कक्षा में पहुँचने में टोपी को दो साल क्यों लग गए?
उत्तर – नवीं कक्षा में तो टोपी सन उनचास ही में पहुँच गया था, परन्तु दसवीं कक्षा में पहुँचते-पहुँचते साल बावन हो चूका था। ऐसी बात नहीं थी कि वह मुर्ख या मन्दबुद्धि था। वह पढ़ाई में बहुत तेज़ था परन्तु उसे कोई पढ़ने ही नहीं देता था। जब भी टोपी पढ़ाई करने बैठता था तो कभी उसके बड़े भाई मुन्नी बाबू को कोई काम याद आ जाता था या उसकी माँ को कोई ऐसी चीज़ मँगवानी पड़ जाती जो नौकरों से नहीं मँगवाई जा सकती थी, अगर ये सारी चीज़े न होती तो कभी उसका छोटा भाई भैरव उसकी कापियों के पन्नों को फाड़ कर उनके हवाई जहाज़ बना कर उड़ाने लग जाता। यह तो थी पहले साल की बात। दूसरे साल उसे टाइफ़ाइड हो गया था। जिसके कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाया और दूसरी साल भी फेल हो गया।
प्रश्न 6 – जब अंग्रेजी-साहित्य के मास्टर ने टोपी को कक्षा में बेइज्जत किया तो अबदुल वहीद ने ऐसी कौन सी बात कही जिससे टोपी को गुस्सा आ गया?
उत्तर – जब अंग्रेजी-साहित्य के मास्टर ने टोपी को कक्षा में बेइज्जत किया तो अबदुल वहीद ने एक ऐसी बात कही जिससे टोपी को बहुत अधिक गुस्सा आ गया। अबदुल वहीद ने टोपी से कहा कि वह उन लोगों के साथ क्यों खेलता है। उसे तो आठवीं कक्षा वालों से दोस्ती करनी चाहिए क्योंकि वे लोग तो आगे दसवीं कक्षा में चले जाएँगे और टोपी को तो आठवीं वालों के साथ ही रहना है तो उनसे दोस्ती करना टोपी के लिए अच्छा होगा। यह बात टोपी को बहुत बुरी लगी और ऐसा लगा जैसे यह बात उसके दिल के आर-पार हो गई हो। और उसने उसी समय कसम खाई कि इस साल उसे टाइफ़ाइड हो या टाइफ़ाइड का बाप, वह पास होकर ही दिखाएगा।
प्रश्न 7 – इफ़्फ़न की दादी टोपी को अपने ही परिवार के सदस्यों के उपहास से किस तरह बचाती थी?
या
इफ़्फ़न की दादी टोपी को क्यों डाँटती थी और टोपी को उनकी डाँट कैसी लगती थी?
उत्तर – जब भी टोपी इफ़्फ़न के घर जाता था तो उसकी दादी के ही पास बैठने की कोशिश करता था। इफ़्फ़न की अम्मी और बड़ी बहन से तो वह बातचीत करने की कभी कोशिश नहीं करता था। क्योंकि वे दोनों ही टोपी की बोली पर हँसने के लिए उसे छेड़तीं थी परन्तु जब बात बढ़ने लगती थी तो दादी बीच-बचाव करवा देतीं थी और टोपी को डाँटते हुए कहती थी कि वो क्यों उन सब के पास जाता है उनके पास कोई काम नहीं होता उसे परेशान करने के आलावा। ये कह कर दादी टोपी को अपने पास बुला लेती थी। टोपी को इफ़्फ़न की दादी की डाँट का हर एक शब्द शक़्कर की तरह मीठा लगता था। पके आम के रस को सूखाकर बनाई गई मोटी परत की तरह मज़ेदार लगता। तिल के बने व्यंजनों की तरह अच्छा लगता और वह दादी की डाँट सुन कर चुपचाप उनके पास चला आता।
प्रश्न 8 – इफ़्फ़न और उसकी दादी के संबंधों पर प्रकाश डालिए और स्पष्ट कीजिए कि बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। वे उसी के बनकर रह जाते हैं जिनसे उन्हें प्यार मिलता है।
उत्तर – इफ़्फ़न के परिवार में उसकी दादी, उसके अब्बू-अम्मी और दो बहनें थीं। इफ़्फ़न को अपनी दादी से बहुत ज्यादा प्यार था। प्यार तो उसे अपने अब्बू, अम्मी, बड़ी बहन और छोटी बहन नुज़हत से भी था परन्तु दादी से वह सबसे ज्यादा प्यार किया करता था। अम्मी तो कभी-कभार इफ़्फ़न को डाँट देती थी और कभी-कभी तो मार भी दिया करती थी। बड़ी बहन भी अम्मी की ही तरह कभी-कभी डाँटती और मारती थी।
अब्बू भी कभी-कभार घर को न्यायालय समझकर अपना फैसला सुनाने लगते थे। नुजहत को जब भी मौका मिलता वह उसकी कापियों पर तस्वीरें बनाने लगती थी। बस एक दादी ही थी जिन्होंने कभी भी किसी बात पर उसका दिल नहीं दुखाया था। वह रात को भी उसे बहराम डाकू, अनार परी, बारह बुर्ज, अमीर हमज़ा, गुलबकावली, हातिमताई, पंच फुल्ला रानी की कहानियाँ सुनाया करती थी। इससे स्पष्ट होता है कि बच्चे प्यार के भूखे होते हैं। और वे उसी के होकर रह जाते हैं, जिनसे उन्हें प्यार मिलता है। जिस तरह इफ़्फ़न को भी अपनी दादी से सबसे ज्यादा प्यार था।
प्रश्न 9 – कुछ बच्चों को अपने माता-पिता के पद और हैसियत का कुछ ज्यादा ही घमंड हो जाता है। ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इफ़्फ़न के पिता कलेक्टर थे। उनका तबादला हो जाने के कारण उनके स्थान पर नए कलेक्टर हरनाम सिंह आए। वे उसी बँगले में रहने लगे जिसमें इफ़्फ़न का परिवार रहता था। जब इफ़्फ़न को याद करके टोपी उस बँगले में पहुँचा तो, माली और चपरासी टोपी को पहचानते थे, इसलिए चौकीदार ने उसे अंदर जाने दिया। वहाँ नए कलेक्टर के तीनों बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। उन्होंने टोपी से अभद्रता से बातचीत ही नहीं की बल्कि मारपीट भी की।
इतना ही नहीं, उन्होंने टोपी पर अपना अलसेशियन कुत्ता भी छोड़ दिया जिसके कारण टोपी को सात सुइयाँ लगवानी पड़ीं। ऐसा उन्होंने अपने कलेक्टर पिता के पद और हैसियत के घमंड में किया। क्योंकि उन्हें पता था कि वे चाहे कुछ भी करे कोई उन्हें कुछ नहीं कर सकता, उनके पिता उनकी सभी गलतियों पर पर्दा डाल सकते हैं इसलिए उनका जो मन चाहे वे कर सकते हैं या किसी को भी नुक्सान पहुँचा सकते हैं।
प्रश्न 10 – इफ़्फ़न की परदादी और दादी मुस्लिम होते हुए भी कौन से हिन्दू धर्म का अनुसरण करती थी?
उत्तर – इफ़्फ़न की परदादी नियमित रूप से नमाज पढ़ने वाली बीबी थीं। करबला, नजफ़, खुरासान, काज़मैन और न जाने कहाँ-कहाँ की यात्रा कर के आई थीं। परन्तु जब कोई घर से जाने लगता तो वह दरवाज़े पर पानी का एक घड़ा जरूर रखवातीं और माश का एक टोटका भी जरूर उतरवातीं। यह एक हिन्दू रीती-रिवाज़ के अंतर्गत आता है। इफ़्फ़न की दादी भी नमाज़-रोज़े का नियम के अनुसार पालन करने वाली थी।
परन्तु जब इकलौते बेटे को चेचक के दाने निकले तो वह चारपाई के पास एक टाँग पर खड़ी हुई और बोली कि माता मेरे बच्चे को माफ़ कर दो। ऐसा इसलिए कहा क्योंकि हिन्दू धर्म में चेचक को माता कहा जाता है। इसके अलावा जब उनके बेटे की शादी के दिन आए तो गाने बाजाने के लिए उनका दिल तड़पने लगा, परन्तु इस्लाम के आचार्यों के घर गाना-बजाना भला कैसे हो सकता था? बेचारी का दिल उदास हो गया। लेकिन इफ़्फ़न के जन्म के छठे दिन के स्नान/पूजन/उत्सव पर उन्होंने जी भरकर उत्सव मना लिया था।
प्रश्न 11 – ऐसी कौन सी बात हो गई थी, जिसने टोपी को मुसीबत में डाल दिया था?
उत्तर – एक दिन जब टोपी अपने परिवार के साथ खाना खा रहा था तो, उस दिन ऐसा हुआ कि टोपी को बैंगन का भुरता ज़रा ज्यादा अच्छा लगा। टोपी की माँ खाना परोस रही थी। टोपी ने कह दिया कि अम्मी, ज़रा बैंगन का भुरता। अम्मी! यह शब्द सुनते ही मेज़ पर बैठे सभी लोग चौंक गए, उनके हाथ खाना खाते-खाते रुक गए। वे सभी लोग टोपी के चेहरे की ओर देखने लगे। सभी यह सोच रहे थे कि यह “अम्मी” शब्द इस घर में कैसे आया।
ऐसा लग रहा था जैसे रीति-रिवाजों की दीवार हिलने लगी हो। टोपी की दादी ने टोपी से सवाल किया कि ये लफ़्ज़ उसने कहाँ से सीखा? टोपी ने उत्तर दिया कि यह उसने इफ़्फ़न से सीखा है। इफ़्फ़न का नाम सुनते ही टोपी की माँ बोल पड़ी कि कहीं किसी मियाँ यानि मुस्लिम के लड़के से तो दोस्ती नहीं कर ली है। उस दिन टोपी की बड़ी बुरी दशा हुई थी। टोपी की दादी तो उसी वक्त खाने की मेज़ से उठ गई थी और टोपी की माँ ने टोपी को फिर बहुत मारा था।
प्रश्न 12 – टोपी ने अपना कोट नौकरानी के बेटे को क्यों दिया और इसका खामयाज़ा टोपी को कैसे भुगतना पड़ा?
उत्तर – ठण्ड के दिन थे और मुन्नी बाबू के लिए कोट का नया कपड़ा आया और भैरव के लिए भी नया कोट बना लेकिन टोपी को मुन्नी बाबू का पुराना कोट मिला। वैसे कोट बिलकुल नया ही था क्योंकि जब वह बनाया गया तब वह मुन्नी बाबू को पसंद नहीं आया था। फिर भी बना तो उन्हीं के लिए था। भले ही वह उसे ना पहनते हो। इसी वजह से टोपी ने वह कोट उसी वक्त नौकरानी के बेटे को दे दिया। वह खुश हो गया। नौकरानी के बच्चे को दे दी गई कोई भी चीज़ वापिस तो ली नहीं जा सकती थी, इसलिए तय हुआ कि टोपी ठण्ड ही खाएगा।
टोपी छोटा था इसलिए ठण्ड खाने का अर्थ समझा नहीं और भोलेपन से बोला कि वह कोई ठण्ड नहीं खाएगा। वह तो भात खाएगा। इस पर टोपी की दादी बोली कि वह तो जूते खाएगा। टोपी उनकी इस बात पर झट से बोल पड़ा कि क्या उन्हें इतना भी नहीं पता कि जूता खाया नहीं जाता बल्कि पहना जाता है। टोपी के इस तरह बोलने पर मुन्नी बाबू गुस्से से टोपी को डाँटते हुए बोले कि वह दादी का अपमान क्यों कर रहा है? इस पर भी टोपी उल्टा जवाब देता हुआ बोला कि तो क्या वह उनकी पूजा करे? यह सुनते ही दादी ने बहुत अधिक शोर मचाना शुरू कर दिया और टोपी की माँ ने टोपी को पीटना शुरू कर दिया।
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