Khanpan Ki Badalti Tasveer question answers

 

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 खानपान की बदलती तसवीर Important Question Answers Lesson 14

Class 7 Hindi Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answers- Looking for Khanpan Ki Badalti Tasveer question answers for CBSE Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Book Chapter 14? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी वसंत भाग 2 पुस्तक पाठ 14 के लिए खानपान की बदलती तसवीर प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 7 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे खानपान की बदलती तसवीर प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions.

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.

 

 

Class 7 Hindi खानपान की बदलती तसवीर Question Answers Lesson 14 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सार-आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

(1) पिछले दस – पंद्रह वर्षों में हमारी खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इडली – डोसा – बड़ा – साँभर – रसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये उत्तर भारत के भी हर शहर में उपलब्ध हैं और अब तो उत्तर भारत की ‘ ढाबा ’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। अब आप कहीं भी हों , उत्तर भारतीय रोटी – दाल – साग आपको मिल ही जाएँगे। ‘ फ़ास्ट फ़ूड ‘ ( तुरंत भोजन ) का चलन भी बड़े शहरों में खूब बढ़ा है। इस ‘ फ़ास्ट फ़ूड ‘ में बर्गर , नूडल्स जैसी कई चीजें शामिल हैं।

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए।
(क) गद्यांश के पाठ का नाम- बस की यात्रा , लेखक का नाम- हरिशंकर परसाई
(ख) गद्यांश के पाठ का नाम- खानपान की बदलती तसवीर, लेखक- प्रयाग शुक्ल
(ग) गद्यांश के पाठ का नाम- मिठाईवाला, लेखक- भगवती प्रसाद वाजपेयी
(घ) गद्यांश के पाठ का नाम- दादी माँ , लेखक का नाम- शिव प्रसाद सिंह
उतर – (ख) गद्यांश के पाठ का नाम- खानपान की बदलती तसवीर, लेखक- प्रयाग शुक्ल

प्रश्न 2. इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम भारत के किस प्रांत का स्थानिय व्यंजन हैं?
(क) दक्षिण भारत का
(ख) उत्तर भारत का
(ग) पश्चिमी भारत का
(घ) इनमें से कोई नही
उतर – (क) दक्षिण भारत का

प्रश्न 3. भारत के किस प्रांत की ‘ढाबा’ संस्कृति अब लगभग पूरे देश में फैल चुकी है?
(क) पश्चिमी भारत की
(ख) पूर्वी भारत की
(ग) दक्षिण भारत की
(घ) उत्तर भारत की
उतर – (घ) उत्तर भारत की

प्रश्न 4. तुरंत भोजन निम्नलिखित में से कौन सा है?
(क) बर्गर
(ख) नूडल्स
(ग) पिज्जा
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर – (घ) उपर्युक्त सभी

 

(2) आज़ादी के बाद उद्योग – धंधों , नौकरियों – तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है , उसके कारण भी खानपान की चीज़े किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। बड़े शहरों के मध्यमवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के ‘ टिफ़िन ’ के वक्त बच्चों के टिफ़िन – डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है।
हम खानपान से भी एक – दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खानपान की नयी संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। बीज भलीभाँति तभी अंकुरित होंगे जब हम खानपान से जुड़ी हुई दूसरी चीज़ो की ओर भी ध्यान देंगे।

प्रश्न 1. किसके बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों – तबादलों का एक नया विस्तार हुआ?
(क) नयी संस्कृति अपनाने के बाद
(ख) खानपान बदलने के बाद
(ग) आज़ादी के बाद
(घ) इनमें से कोई नही
उतर – (ग) आज़ादी के बाद

प्रश्न 2. बड़े शहरों के मध्यमवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के वक्त बच्चों के टिफ़िन के डिब्बे खुलते हैं तो क्या होता है?
(क) नये – नये व्यंजनों के बारे में पता चलता है।
(ख) विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है।
(ग) विभिन्न प्रदेशों के व्यंजन खाने को मिलते है।
(घ) इनमें से कोई नही
उतर – (ख) विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है।

प्रश्न 3. हम किसके द्वारा भी एक – दूसरे को जानते हैं?
(क) खानपान के द्वारा
(ख) संस्कृति के द्वारा
(ग) परिधानों के द्वारा
(घ) इनमें से कोई नही
उतर – (क) खानपान के द्वारा

प्रश्न 4. ‘भलीभाँति’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) परिपूर्ण, संतुष्ट
(ख) पूरी तरह से
(ग) भरपूर
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर – (घ) उपर्युक्त सभी

 

(3) स्थानीय व्यंजनों को हमने तथाकथित आधुनिकता के चलते छोड़ दिया है और पश्चिम की नकल में बहुत सी ऐसी चीज़े अपना ली हैं , जो स्वाद , स्वास्थ्य और सरसता के मामले में हमारे बहुत अनुकूल नहीं हैं।
हो यह भी रहा है कि खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ो का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अकसर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीज़े रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीज़े चुनने का अवसर देती है ।

प्रश्न 1. हमने स्थानीय व्यंजनों को किसके चलते छोड़ दिया है?
(क) आधुनिकता
(ख) एथनिक
(ग) संस्कृति
(घ) फ़ास्ट फ़ूड
उतर – (क) आधुनिकता

प्रश्न 2. ‘गड्डमड्ड’ शब्द का अर्थ ___ है?
(क) मिली-जुली
(ख) बेमेल
(ग) बिना किसी क्रम के
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर – (घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3. खानपान की मिश्रित संस्कृति ने हमें किस चीज का मौका दिया है?
(क) नये – नये व्यंजन चुनने का
(ख) अलग स्वाद चखने का
(ग) अलग-अलग जगहों के व्यंजनों के बारे में जानने का
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर – (घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4. ‘तथाकथित’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) तथाकथ्य
(ख) नाम भर का
(ग) कहने भर का
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर – (घ) उपर्युक्त सभी

 

(4) स्थानीय व्यंजन भी तो अब घटकर कुछ ही चीजों तक सीमित रह गए हैं। बंबई की पाव – भाजी और दिल्ली के छोले – कुलचों की दुनिया पहले की तुलना में बड़ी ज़रूर है , पर अन्य स्थानीय व्यंजनों की दुनिया में छोटी हुई है। जानकार ये भी बताते हैं कि मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे – नमकीन में अब वह बात कहाँ रही ! यानी जो चीज़े बची भी हुई हैं , उनकी गुणवत्ता में फ़र्क पड़ा है।

प्रश्न 1. पाव – भाजी भारत के किस प्रांत का स्थानीय व्यंजन है?
(क) दिल्ली
(ख) बंबई
(ग) गुजरात
(घ) आगरा
उतर – (ख) बंबई

प्रश्न 2. दिल्ली का स्थानीय व्यंजन है?
(क) इडली
(ख) छोले – भटूरे
(ग) छोले – कुलचे
(घ) लस्सी
उतर – (ग) छोले – कुलचे

प्रश्न 3. खानपान की चीजों में किस बात का फ़र्क आया है?
(क) असली स्वाद में
(ख) गुणवत्ता में
(ग) क और ख दोनों में
(घ) इनमें से कोई नही
उतर – (ग) क और ख दोनों में

 

Class 7 Hindi Vasant Lesson 14 खानपान की बदलती तसवीर बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1. ‘खानपान की बदलती तसवीर’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) प्रयाग शुक्ल
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) सूर्यकांत त्रिपाठी
(घ) जैनेंद्र प्रसाद
उतर – (क) प्रयाग शुक्ल

प्रश्न 2. कौन से भोजन मुख्य रूप से दक्षिण भारत के हैं?
(क) बड़ा-सांभर
(ख) इडली-डोसा
(ग) रसम
(घ) उपर्युक्त सभी
उतर – (घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से गुजरात की कौन-सी खाद्य-सामग्री प्रसिद्ध है?
(क) ढोकला-गाठिया
(ख) साग-रोटी
(ग) दाल-बाटी
(घ) दाल-चावल
उतर – (क) ढोकला-गाठिया

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से बंबई का कौन-सा व्यंजन प्रसिद्ध है?
(क) ढोकला
(ख) दही बड़ा
(ग) पाव-भाजी
(घ) रसगुल्ला
उतर – (ग) पाव-भाजी

प्रश्न 5. ‘खानपान की बदलती तसवीर’ पाठ की साहित्यिक विधा है?
(क) नाटक
(ख) निबंध
(ग) रेखाचित्र
(घ) कहानी
उतर – (ख) निबंध

प्रश्न 6. कितने वर्षों में हमारे खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है?
(क) दस-ग्यारह
(ख) दस-बारह
(ग) दस-पंद्रह
(घ) दस-तेरह
उतर – (ग) दस-पंद्रह

प्रश्न 7. मथुरा का क्या चीज प्रसिद्ध है?
(क) पेठा
(ख) रसगुल्ला
(ग) पेड़ा
(घ) ढोकला
उतर – (ग) पेड़ा

प्रश्न 8. ‘विविधता’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) अनेकरूपता
(ख) अनेकता
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) विधाता
उतर – (ग) (क) व (ख) दोनों

प्रश्न 9. छोले-कुलचे कहाँ के प्रसिद्ध है?
(क) आगरा
(ख) दिल्ली
(ग) कोलकाता
(घ) मुंबई
उतर – (ख) दिल्ली

प्रश्न 10. विज्ञापित रूप से तेज़ी से घर-घर में अपनी जगह बनाते जा रहे हैं ?
(क) भजिया
(ख) आलू-चिप्स
(ग) बर्गर
(घ) ब्रेड
उतर – (ख) आलू-चिप्स

प्रश्न 11. किन व्यंजनों का पुनरुद्धार आवश्यक है ?
(क) सामुदायिक व्यंजनों का
(ख) स्थानीय व्यंजनों का
(ग) उतर भारत के व्यंजनों का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर – (ख) स्थानीय व्यंजनों का

प्रश्न 12. स्थानीय व्यंजनों को क्या कहकर पुकारने का चलन बढ़ा है?
(क) इथोलोजी
(ख) व्यावहारिक भोजन
(ग) एथनिक
(घ) भोज व्यवहार
उतर – (ग) एथनिक

प्रश्न 13. बंद पैकेट के रूप में मिलनेवाली नूडल्स (मैगी) कितने मिनट में तैयार होती है?
(क) दो मिनट में
(ख) एक मिनट में
(ग) तीन मिनट में
(घ) चार मिनट में
उतर – (क) दो मिनट में

प्रश्न 14. किसकी मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे हैं ?
(क) सभ्यता
(ख) खानपान
(ग) विविध
(घ) इनमें से कोई नही
उतर – (ख) खानपान

प्रश्न 15. ‘निखालिस’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) अशुद्ध, बुरा
(ख) खालिद
(ग) निखिल
(घ) अच्छा
उतर – (क) अशुद्ध, बुरा

प्रश्न 16. खानपान की कौन-कौन-सी संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है?
(क) मिश्रित
(ख) विविध
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) सामाजिक
उतर – (ग) (क) व (ख) दोनों

प्रश्न 17. इनमें से कौन सा खाद्य पदार्थ दक्षिण भारत का व्यंजन है ?
(क) पूरन पोली
(ख) दाल-रोटी-साग
(ग) वड़ा सांभर
(घ) ढोकला
उतर – (ग) वड़ा सांभर

प्रश्न 18. खानपान की बदलती संस्कृति से सबसे अधिक कौन प्रभावित हुआ है ?
(क) बड़े
(ख) बूढ़े
(ग) युवा पीढ़ी
(घ) नयी पीढ़ी
उतर – (घ) नयी पीढ़ी

प्रश्न 19. गृहणियों या कामकाजी महिलाओं के लिए कौन-सी चीजों से व्यंजन तैयार करना सचमुच दुसाध्य हो गया है ?
(क) स्थानीय भोजन तैयार करना
(ख) खरबूजे के बीज सुखाना-छिलना फिर उनसे व्यंजन तैयार करना
(ग) पारंपरिक भोजन तैयार करना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उतर – (ख) खरबूजे के बीज सुखाना-छिलना फिर उनसे व्यंजन तैयार करना

प्रश्न 20. आजादी के बाद किन-किन चीजों में एक नया विस्तार हुआ ?
(क) उद्योग-धंधों में
(ख) तबादले में
(ग) नौकरियों में
(घ) उपरोक्त सभी
उतर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 21. कौन सी चीज अब लाखों करोड़ों भारतीय घरों में सेंकी और तली जाती है ?
(क) ब्रेड
(ख) पकोड़े
(ग) रोटी
(घ) पापड़
उतर – (क) ब्रेड

 

 

Class 7 Hindi खानपान की बदलती तसवीर प्रश्न और उत्तर Questions Answers

निबंध से

प्रश्न 1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है ? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।
उत्तर – खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब है – स्थानीय अन्य प्रांतों तथा विदेशी व्यंजनों के खानपान का आनंद उठाना यानी स्थानीय व्यंजनों के खाने – पकाने में रुचि रखना , उसकी गुणवत्ता तथा स्वाद को बनाए रखना। इसके अलावे अपने पसंद के आधार पर एक – दूसरे प्रांत को खाने की चीजों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है। जैसे आज दक्षिण भारत के व्यंजन इडली – डोसा, साँभर इत्यादि उत्तर भारत में चाव से खाए जाते हैं और उत्तर भारत के ढाबे के व्यंजन सभी जगह पाए जाते हैं। यहाँ तक पश्चिमी सभ्यता का व्यंजन बर्गर , नूडल्स का चलन भी बहुत बढ़ा है। हमारे घर में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों प्रकार के व्यंजन तैयार होते हैं। मसलन मैं उत्तर भारतीय हूँ , हमारा भोजन रोटी – चावल – दाल है लेकिन इन व्यंजनों से ज्यादा इडली साँभर , चावल , चने – राजमा , पूरी, आलू, बर्गर अधिक पसंद किए जाते हैं। यहाँ तक कि हम यह बाजार से ना लाकर घर पर ही बनाते हैं। इतना ही नहीं विदेशी व्यंजन भी बड़ी रुचि से खाते हैं। लेखक के अनुसार यही खानपान की मिश्रित संस्कृति है।

प्रश्न 2. खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं ? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है ?
उत्तर – खानपान में बदलाव से निम्न फ़ायदे हैं –
एक प्रदेश की संस्कृति का दूसरे प्रदेश की संस्कृति से मिलना।
राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलना।
गृहिणियों व कामकाजी महिलाओं को जल्दी तैयार होने वाले विविध व्यंजनों की विधियाँ उपलब्ध होना।
बच्चों व बड़ों को मनचाहा भोजन मिलना।
देश-विदेश के व्यंजन मालूम होना।
स्वाद, स्वास्थ्य व सरसता के आधार पर भोजन का चयन कर पाना।
खानपान में बदलाव से होने वाले फ़ायदों के बावजूद लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित है क्योंकि उसका मानना है कि आज खानपान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से नुकसान भी हो रहे हैं जो निम्न रूप से हैं
स्थानीय व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है जिससे नई पीढी स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानती ही नहीं
खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है।
उत्तर भारत के व्यंजनों का स्वरूप बदलता ही जा रहा है।

प्रश्न 3. खानपान के मामले में स्वाधीनता का क्या अर्थ है ?
उत्तर – खानपान के मामले में स्वाधीनता का अर्थ है किसी विशेष स्थान के खाने – पीने का विशेष व्यंजन। जिसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक हो। मसलन मुंबई की पाव भाजी , दिल्ली के छोले कुलचे , मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे , नमकीन आदि। पहले स्थानीय व्यंजनों का प्रचलन था। हर प्रदेश में किसी न किसी विशेष स्थान का कोई-न-कोई व्यंजन अवश्य प्रसिद्ध होता था। भले ही ये चीजें आज देश के किसी कोने में मिल जाएँगी लेकिन ये शहर वर्षों से इन चीजों के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन आज खानपान की मिश्रित संस्कृति ने लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प दे दिए हैं कि स्थानीय व्यंजन प्रायः लुप्त होते जा रहे हैं। आज की पीढ़ी तो कई व्यंजनों से भलीभाँति अवगत/परिचित भी नहीं है। दूसरी तरफ़ महँगाई बढ़ने के कारण इन व्यंजनों की गुणवत्ता में कमी होने से भी लोगों का रुझान इनकी ओर कम होता जा रहा है। हाँ, पाँच सितारा होटल में इन्हें ‘एथनिक’ कहकर परोसने लगे हैं।

निबंध से आगे

प्रश्न 1. घर से बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं। इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके-माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर – मै उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। हमारे घर में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं तथा कई तरह के बाजार से लाया जाता है। घर में बनने वाली चीजें एवं बाजार से आने वाली चीजों की तालिका नीचे दी गई है।

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बाज़ार से आने वाली चीजें जैसे-नमकीन, समोसे, ब्रेड पकौड़े हमारे माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं।

प्रश्न 2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और उनका वर्गीकरण कीजिए-

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उत्तर –

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प्रश्न 3.

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इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।

उत्तर – छौंक, चावल और कढ़ी में निम्न अंतर है जैसे छौंक किसी चटनी, रायता या दाल का स्वाद बढ़ाने के लिए लगाया जाता है, चावल सब्जी, दाल या दही के साथ खाया जाता है, कढ़ी एक प्रकार की सब्जी है जिसे चावल या रोटी के साथ खाया जाता है।
इन्हें बनाने के तरीके निम्नलिखित है।
छौंक – छौंक अक्सर दाल, चटनी, रायता, कढ़ी आदि में स्वाद बढ़ाने के लिए लगाया जाता है।
सबसे पहले कढ़ाई या किसी छोटे आकार के बर्तन में घी या तेल गर्म करके जीरा, राई, कड़ी पत्ता आदि मसाले डालकर छौंक तैयार किया जाता है। कई बार आवश्यकतानुसार छौंक में बारीक कटा हुआ हरी मिर्च, लहसुन, प्याज, टमाटर तथा अन्य मसाले आदि भी डाले जाते है। छौंक जितना चटपटा बनाया जाए व्यंजन उतनी ही स्वादिष्ट बनती है।
चावल – चावल कई प्रकार से बनते हैं। जैसे – सादा चावल, जीरा चावल, मटर चावल, पुलाव, खिचड़ी आदि और इसके अलावा मीठे चावल भी बनाया जाता है ।
सादा(उबले) चावल – एक भाग चावल व तीन भाग पानी डालकर उबालकर बनाया जाता है । चावल पकने पर फालतू पानी निकाल दिया जाता है।
जीरा चावल – सबसे पहले बर्तन में घी या तेल गर्म करके उसमें जीरा, साबुत मसाले (दालचीनी, लौंग और इलायची) डाल हल्का सा भूना जाता है फिर भीगे हुए चावल, आवश्यकतानुसार पानी और नमक डालकर पकाया जाता है।
सब्जियां मिलाकर बनाने से पुलाव बनता है, दाल मिलाकर बनाने से खिचड़ी बनती है।
मीठे चावल – सबसे पहले बर्तन में दूध में थोड़ा सा चावल डालकर पकाया जाता है फिर इसमें आवश्यकतानुसार चीनी या गुड़ और इलायची डाला जाता है।
कढ़ी – सबसे पहले बेसन और दही मिलाकर फेटा जाता है फिर इसमें ज्यादा पानी डालकर उबाला जाता है फिर उसमें बेसन के पकौड़े या प्याज के पकौड़े बनाकर डाले जाते हैं। पकने पर इसमें स्वादानुसार मसाले से छौंक लगाया जाता है।

प्रश्न 4. पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचे तो इस प्रकार होगा-

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इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए।

उतर –

class 7 hindi chapter 14.3

प्रश्न 5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर – सबसे पहले तो मेहमानों को कोल्ड ड्रिंक, चाय या कॉफी के साथ बिस्कुट, नमकीन, मिठाइयां आदि परोसेंगें । फिर मुख्य भोजन के लिए अपना पारंपरिक भोजन प्रस्तुत करेंगे जैसे –

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अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. ‘फ़ास्ट फ़ूड’ यानी तुरंत भोजन के नफ़े-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।
उत्तर – ‘फ़ास्ट फ़ूड’ अर्थात तुरंत भोजन के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
फायदे – आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में फ़ास्ट फ़ूड का चलन काफी बढ़ गया है क्योंकि फ़ास्ट फ़ूड जैसे – मैगी, पास्ता, नूडल्स, बर्गर, सैंडविच आदि जल्दी बन जाते हैं साथ ही साथ स्वादिष्ट भी होते हैं। इसके अलावा इन फूड आइटम्स को खाने में भी कम समय लगता है। आजकल महिलाएं बाहर काम करने जाती हैं तो ऐसे में कुछ भी झटपट फ़ास्ट फ़ूड बना देती है। और आजकल के ब्च्चों को भी फ़ास्ट फ़ूड काफी पसंद आता है।
नुकसान – फ़ास्ट फ़ूड में उच्च मात्रा में कैलोरी, शर्करा और प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट होता हैं। फ़ास्ट फ़ूड ज्यादा खाने से शारीरिक दिक्कतें खासकर मोटापा, उच्च रक्तचाप, कब्जियत और डायबिटीज आदि कई अन्य तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

प्रश्न 2. हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए।
उत्तर – कुछ शहरों के उदाहरण निम्नलिखित है।

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प्रश्न 3. खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफ़ी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फ़िल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर – खानपान के मामले में शुद्धता होना अति आवश्यक है क्योंकि अशुद्धता से अनेक बीमारियों का जन्म होता है। आजकल खाने-पीने वाले पदार्थों में मिलावट बढ़ती जा रही है। उदाहरण के तौर पर मशाले, दूध, पनीर, गुड़, मिठाइयां आदि ऐसे कई पदार्थ हैं। जिसमें मिलावट आम तौर पर देखी जाती है। हल्दी में मिट्टी व काली मिर्च में पपीते के बीज का मिश्रण होता है। इसके अलावे दूध में भी पानी मिलाना तो आम बात हो गई है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। सब्जियों में डाले जाने वाले केमिकल्स से हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आज के मुनाफ़ाखोरी के युग में लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। आजकल के लोगों को स्वास्थ्य की फ़िक्र जरा भी नहीं है। मिलावटी खाने-पीने की चीजों को ग्रहण करने से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं जैसे रक्तचाप, आँखों की रोशनी कम हो जाना, लीवर की खराबी, साँस संबंधी रोग, पीलिया आदि रोगों को जन्म होता है। मिलावटखोरों के प्रति सजग होकर खाद्य पदार्थों में किसी तरह की मिलावट का विरोध करना चाहिए।

भाषा की बात

प्रश्न 1. खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए –

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उतर –
सीना-पिरोना (सिलाई और उससे जुड़े काम) – रीटा सीने-पिरोना अभी सीख रही है।
भला-बुरा (अपना हित-अहित) – उसने मुझे काफी भला-बुरा कहा।
चलना-फिरना (घूमना-टहलना) – चलना-फिरना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है।
लंबा-चौड़ा (विशाल आकार वाला) – वैभव काफी लंबा-चौड़ा लड़का है।
कहा-सुनी (नाराज़गी भरी बातचीत) – सास-बहू में आजकल खूब कहा-सुनी होती है।
घास-फूस (बेकार/कमजोर वस्तुएँ) – यह झोपड़ी घास-फूस का बना है।

प्रश्न 2. कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए।
कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है-
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम्‌ – त्योहार – छुट्टी – आराम…
उतर –
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम्‌ – त्योहार – छुट्टी – आराम – नींद – स्वप्न ।
सिनेमा हॉल – पिक्चर – पॉपकॉर्न – कोल्डड्रिक।
पेड़ा – मथुरा – पेठा – आगरा – ताजमहल – आगरा – भुजिया – बीकानेर – लाल किला – दिल्ली – साड़ियाँ-बनारसी आदि।

कुछ करने को

प्रश्न 1. उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफ़ाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है।
उत्तर – छात्र स्वयं करें ।

 

 

 

Class 7 Hindi खानपान की बदलती तसवीर अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1. हमारी खानपान की संस्कृति में बड़ा बदलाव कब से आना शुरु हुआ?
उत्तर – हमारी खानपान की संस्कृति में पिछले दस-पंद्रह वर्षों से बदलाव आने शुरू हुए है।

प्रश्न 2. दक्षिण भारत का मुख्य व्यंजन क्या है ?
उत्तर – दक्षिण भारत का मुख्य व्यंजन इडली-ढोसा-बड़ा-सांभर-रसम इत्यादि है।

प्रश्न 3. गुजराती व्यंजन का नाम बताइए जिसका जिक्र लेखक ने पाठ में किया है ?
उत्तर – लेखक ने पाठ में ढोकला-गठिया का जिक्र किया है जो एक गुजराती व्यंजन है।

प्रश्न 4. उत्तर भारत में खानपान में उपयोग किये जाने वाले व्यंजनों के बारे में बताये।
उत्तर – उत्तर भारत के लोगो को खाने में दाल-रोटी-साग अधिक पसंद है और यहाँ की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पुरे देश में फ़ैल चुकी है।

प्रश्न 5. मुंबई और दिल्ली के पुराने मुख्य व्यंजनों के नाम बताइये।
उत्तर – मुंबई की पाव-भाजी, वड़ा पाव और दिल्ली का छोला-कुलचा पुराने व मुख्य व्यंजन में से है।

प्रश्न 6. अंग्रेजी राज में कौन-सी चीज साहबी ठिकानों तक ही सीमित था ?
उत्तर – ब्रेड को सेक कर खाने का रिवाज़ अंग्रेजी राज में केवल साहबी ठिकानों तक ही सीमित था।

प्रश्न 7. आजकल बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ गया है?
उत्तर – आजकल बड़े शहरों में फ़ास्ट फ़ूड, चाइनीज नूडल्स, बर्गर, रोल्स, मोमोज, पिज्जा, आलू-चिप्स आदि का प्रचलन बढ़ गया है।

प्रश्न 8. ‘एथनिक’ से आप क्या समझते है ?
उत्तर – आधुनिक पॉंच सितारा होटलों में पुराने समय से बनते आ रहे स्थानीय व्यंजनों को ‘एथनिक’ नाम से पुकारा जाता है।

प्रश्न 9. बंगाली मिठाइयों के बारे में बताइये।
उत्तर – बंगाली मिठाइयाँ रस से भरी मीठी मिठाइयाँ होती है जिनका प्रचलन अब न केवल बंगाल में है बल्कि पूरे भारत में हो गया है।

प्रश्न 10 . गृहणियों और महिलाओं को खानपान में आये आधुनिकीकरण से क्या लाभ हुआ ?
उत्तर – खानपान में आये आधुनिकीकरण से गृहणियों और महिलाओं को काफ़ी राहत मिली है अब उन्हें घंटो रसोई में समय नहीं बिताना पड़ता है वह फ़ास्ट फ़ूड या जल्दी तैयार होने वाले व्यंजनों को पका कर दूसरा काम भी कर लेती है।

प्रश्न 11. भागमभाग की स्थिति से क्या चीज़े स्वाभाविक लगने लगी है ?
उत्तर – शहरों की तेज़ रफ़्तार वाली ज़िन्दगी में समय का अभाव होने की वजह से जल्दी और तुरंत तैयार होने वाले व्यंजनों का प्रचलन में आजाने से यह स्थिति स्वाभाविक ही प्रतीत होती है।

प्रश्न 12. दोपहर का टिफ़िन विभिन्न प्रदेशो को कैसे जोड़ देता है?
उत्तर – शहरों के मध्यमवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के ‘ टिफ़िन ’ के वक्त बच्चों के टिफ़िन के डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है तो इस तरह कई राज्यों के व्यंजनों की खुशबू आपस में मिलकर मिश्रित रूप से सभी प्रदेशो को जोड़ती है।

प्रश्न 13. ‘ढाबा’ संस्कृति से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर – ढाबा संस्कृति से लेखक का यह आशय है कि सड़कों के किनारे बने ढाबों पर मिलने वाला खाना। हर जगह के ढाबों पर अलग संस्कृति का खाना मिलता है। इसमें तंदूर की रोटियाँ, पराठे, दाल, राजमा, कढ़ी, चावल, बिरयानी, साग, छोले-भटूरे, कुलचे, अचार आदि होते हैं। तंदूर की रोटियों का अपना अलग ही स्वाद होता है।

प्रश्न 14. निम्नलिखित शब्दों का अर्थ बताइए – गड्डमड्ड, एथनिक, प्रचारार्थ, दुःसाध्य, विविध, निखालिस ।
उत्तर –
गड्डमड्ड का अर्थ – अव्यवस्थित , बिना किसी क्रम के , बेमेल , बेतरतीब, मिली-जुली
एथनिक का अर्थ – सामान्य नस्लीय , राष्ट्रीय , भाषाई , या सांस्कृतिक मूल या पृष्ठभूमि
प्रचारार्थ का अर्थ – प्रचार करने वाला , विस्तार करने वाला , फैलाने वाला , प्रसारित करने वाला
दुःसाध्य का अर्थ – दुष्कर , कठिन काम जिसे करना कठिन हो , जो मुश्किल से हो सके , जो बहुत दूर हो , जो बात अनुमान में न आ सके
विविध का अर्थ – कई तरह के , भिन्न-भिन्न प्रकार के , विभिन्न , भाँति-भाँति के , मिला-जुला , अनेक
निखालिस का अर्थ – अशुद्ध , बुरा

प्रश्न 15. स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?
उत्तर – स्थानीय व्यंजन अब धीरे-धीरे घरों और बाजारों से गायब होते चले जा रहे हैं। इससे हमारे खाने की पुरानी पहचान मिटती चली जा रही है। यह सच है कि कई स्थानीय व्यंजनों को हमने केवल नाम मात्र की आधुनिकता के चलते छोड़ दिया है पॉंच सितारा होटलो में कभी-कभार मिल जाते है तधा इन्ही स्थानीय व्यंजनों को ‘ एथनिक ’ कहकर पुकारने का चलन बढ़ गया है। अब इन्हें पुनः प्रचलित करने की आवश्यकता है।

 

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