Neelkanth question answers

 

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 नीलकंठ Important Question Answers Lesson 15

Class 7 Hindi Neelkanth Question Answers- Looking for Neelkanth question answers for CBSE Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Book Chapter 15? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.

सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी वसंत भाग 2 पुस्तक पाठ 15 के लिए नीलकंठ प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 7 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे नीलकंठ प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।

The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions.

Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.

 

 

 

 

Class 7 Hindi नीलकंठ Question Answers Lesson 15 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)

सार-आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

(1) बड़े मियाँ चिड़ियावाले की दुकान के निकट पहुँचते ही उन्होंने सड़क पर आकर ड्राइवर को रुकने का संकेत दिया। मेरे कोई प्रश्न करने के पहले ही उन्होंने कहना आरंभ किया , “सलाम गुरु जी ! पिछली बार आने पर आपने मोर के बच्चों के लिए पूछा था। शंकरगढ़ से एक चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया है, एक मोर है, एक मोरनी। आप पाल लें। मोर के पंजों से दवा बनती है, सो ऐसे ही लोग खरीदने आए थे। आखिर मेरे सीने में भी तो इनसान का दिल है। मारने के लिए ऐसी मासूम चिड़ियों को कैसे दूँ ! टालने के लिए मैंने कह दिया – गुरु जी ने मँगवाए हैं।

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ के रचयिता कौन है?
(क) प्रयाग शुक्ल
(ख) जैनेंद्र कुमार
(ग) अरुंधति रॉय
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर – (घ) महादेवी वर्मा

प्रश्न 2. शंकरगढ़ से कौन दो मोर के बच्चे को पकड़ लाया ?
(क) एक चिड़ीमार
(ख) एक व्यापारी
(ग) एक किसान
(घ) एक दुक़ानदार
उत्तर – (क) एक चिड़ीमार

प्रश्न 3. किस पक्षी के पंजों से दवा बनती है?
(क) कोयल के
(ख) कबूतर के
(ग) मयूर के
(घ) गौरैया के
उत्तर – (ग) मयूर के

प्रश्न 4. उपर्युक्त गद्यांश किस शैली में लिखी गई है?
(क) कहानी
(ख) रेखाचित्र
(ग) नाटक
(घ) संस्मरण
उत्तर – (ख) रेखाचित्र

(2) सब जीव – जंतु भागकर इधर – उधर छिप गए , केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। निगलने के प्रयास में साँप ने उसका आधा पिछला शरीर तो मुँह में दबा रखा था , शेष आधा जो बाहर था , उससे चीं – चीं का स्वर भी इतना तीव्र नहीं निकल सकता था कि किसी को स्पष्ट सुनाई दे सके। नीलकंठ दूर ऊपर झूले में सो रहा था। उसी के चौकन्ने कानों ने उस मंद स्वर की व्यथा पहचानी और वह पूँछ – पंख समेटकर सर से एक झपट्टे में नीचे आ गया। संभवतः अपनी सहज चेतना से ही उसने समझ लिया होगा कि साँप के फन पर चोंच मारने से खरगोश भी घायल हो सकता है। उसने साँप को फन के पास पंजों से दबाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया।

प्रश्न 1. सभी जीव – जंतु भागकर इधर – उधर क्यों छिप गए?
(क) लेखिका के डर से
(ख) नीलकंठ के डर से
(ग) साँप के डर से
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ग) साँप के डर से

प्रश्न 2. खरगोश के बच्चे को किसने पकड़ लिया?
(क) राधा ने
(ख) साँप ने
(ग) नीलकंठ ने
(घ) कबूतर ने
उत्तर – (ख) साँप ने

प्रश्न 3. अपने चौकन्ने कानों से खरगोश के बच्चे के मंद स्वर की व्यथा को किसने पहचानी?
(क) नीलकंठ ने
(ख) कबूतर ने
(ग) खरगोश ने
(घ) राधा ने
उत्तर – (क) नीलकंठ ने

प्रश्न 4. साँप के फन को अपने पंजों से किसने दबाया ?
(क) राधा ने
(ख) कबूतर ने
(ग) तोते ने
(घ) नीलकंठ ने
उत्तर – (घ) नीलकंठ ने

(3) एक दिन मुझे किसी कार्य से नखासकोने से निकलना पड़ा और बड़े मियाँ ने पहले के समान कार को रोक लिया। इस बार किसी पिंजड़े की ओर नहीं देखूँगी , यह संकल्प करके मैंने बड़े मियाँ की विरल दाढ़ी और सफ़ेद डोरे से कान में बंधी ऐनक को ही अपने ध्यान का केंद्र बनाया। पर बडे़ मियाँ के पैरों के पास जो मोरनी पड़ी थी उसे अनदेखा करना कठिन था। मोरनी राधा के समान ही थी। उसके मूँज से बँधे दोनों पंजों की उँगलियाँ टूटकर इस प्रकार एकत्रित हो गई थीं कि वह खड़ी ही नहीं हो सकती थी।

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम बताएं।
(क) चिड़िया की बच्ची
(ख) नीलकंठ
(ग) अपूर्व अनुभव
(घ) हम पक्षी उन्मत्त गगन के
उत्तर – (ख) नीलकंठ

प्रश्न 2. नखासकोने से किसे निकलना पड़ा?
(क) लेखिका को
(ख) ड्राइवर को
(ग) बडे़ मियाँ को
(घ) नीलकंठ को
उत्तर – (क) लेखिका को

प्रश्न 3. ‘नखास’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) बाज़ार
(ख) प्राचीन काल में पशुओं एवं दासों के क्रय – विक्रय का स्थान
(ग) क और ख दोनों
(घ) खास जगह
उत्तर – (ग) क और ख दोनों

प्रश्न 4. देखने में मोरनी किसके समान थी?
(क) चित्रा के समान
(ख) राधा के समान
(ग) नीलकंठ के समान
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ख) राधा के समान

(4) वसंत में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे , अशोक नए लाल पल्लवों से ढँक जाता था , तब जालीघर में वह इतना अस्थिर हो उठता कि उसे बाहर छोड़ देना पड़ता।
नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतू तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूँज – अनुगूँज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूँदों के उतरने के लिए सोपान – पंक्ति बनने लगती थी। मेघ के गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता। और फिर मेघ जितना अधिक गरजता , बिजली जितनी अधिक चमकती , बूँदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती , नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसकी केका का स्वर उतना ही मंद्र से मंद्रतर होता जाता।

प्रश्न 1. आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से कब लद जाते थे ?
(क) चैत में
(ख) पतझर में
(ग) वसंत में
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ग) वसंत में

प्रश्न 2. सभी जानवरों में से वर्षा ऋतु किसे प्रिय था?
(क) चित्रा और राधा को
(ख) नीलकंठ और राधा को
(ग) कुब्जा और कबूतर को
(घ) कजरी और राधा को
उत्तर – (ख) नीलकंठ और राधा को

प्रश्न 3. किसके ताल पर नीलकंठ का तन्मय नृत्य आरंभ होता था?
(क) बादलों की गड़गड़ाहट के ताल पर
(ख) ढोलक के ताल पर
(ग) सितार के ताल पर
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (क) बादलों की गड़गड़ाहट के ताल पर

प्रश्न 4. नीलकंठ के नृत्य का वेग किससे बढ़ता था?
(क) बादलों की गड़गड़ाहट जितनी अधिक होती
(ख) बिजली जितनी अधिक चमकती
(ग) बूँदों की रिमझिमाहट जितनी तेज़ होती
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (घ) उपर्युक्त सभी

 

Class 7 Hindi Vasant Lesson 15 नीलकंठ बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन ‘नीलकंठ’ शीर्षक पाठ के रचयिता है?
(क) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सुभद्रा कुमारी चौहान
(घ) उषा वर्मा
उत्तर – (ख) महादेवी वर्मा

प्रश्न 2. लेखिका ने अपने ड्राइवर को कहाँ चलने का आदेश दिया?
(क) कपड़े वाले की दुकान पर
(ख) बड़े मियाँ चिड़िया वाले की दुकान पर
(ग) पान की दुकान पर
(घ) फल वाले की दुकान पर
उत्तर – (ख) बड़े मियाँ चिड़िया वाले की दुकान पर

प्रश्न 3. लेखिका के घर दोनों पक्षी-शावकों ने आरंभ में कहाँ रहना शुरू किया?
(क) पिंजरे में
(क) मेज़ के नीचे
(ग) अलमारी के पीछे
(घ) रद्दी की टोकरी में
उत्तर – (घ) रद्दी की टोकरी में

प्रश्न 4. चिड़ीमार दो मोर के बच्चों को कहाँ से पकड़कर लाया था?
(क) नारायणगढ़ से
(ख) शंकरगढ़ से
(ग) रामगढ़ से
(घ) रायगढ़ से
उत्तर – (ख) शंकरगढ़ से

प्रश्न 5. लेखिका ने दो मोर के बच्चों को कितने रुपए में खरीदा?
(क) चालीस रुपए में
(ख) पैंतीस रुपए में
(ग) तीस रुपए में
(घ) पच्चीस रुपए में
उत्तर – (ख) पैंतीस रुपए में

प्रश्न 6. लेखिका ने दो कटोरों में मोर के दोनों बच्चों के लिए क्या रख दिया?
(क) सत्तू की छोटी – छोटी गोलियाँ और पानी
(ख) आटे की छोटी – छोटी गोलियाँ और पानी
(ग) दानों की छोटी – छोटी गोलियाँ और पानी
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (क) सत्तू की छोटी – छोटी गोलियाँ और पानी

प्रश्न 7. लेखिका के पालतू कबूतर का नाम क्या था?
(क) लक्की
(ख) लक्खा
(ग) लक्का
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ग) लक्का

प्रश्न 8. नई मोरनी का नाम क्या रखा गया?
(क) राधा
(ख) कुब्जा
(ग) लक्का
(घ) चित्रा
उत्तर – (ख) कुब्जा

प्रश्न 9. साँप ने किसका आधा पिछला शरीर अपने मुँह में दबा रखा था ?
(क) चूहे का
(ख) बिल्ली का
(ग) कबूतर का
(घ) एक शिशु खरगोश का
उतर – (घ) एक शिशु खरगोश का

प्रश्न 10. खरगोश के बच्चे को साँप से किसने बचाया?
(क) राधा ने
(ख) नीलकंठ ने
(ग) कुब्जा ने
(घ) बिल्ली ने
उतर – (ख) नीलकंठ ने

प्रश्न 11. कुब्जा का स्वभाव कैसा था?
(क) परोपकारी
(ख) चंचल
(ग) ईर्ष्यालु
(घ) दयालु
उतर – (ग) ईर्ष्यालु

प्रश्न 12. किसने अपनेआप को चिड़ियाघर के निवासी जीव – जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया?
(क) राधा
(ख) कजली
(ग) नीलकंठ
(घ) कुब्जा
उतर – (ग) नीलकंठ

प्रश्न 13. नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु कौन सी थी?
(क) गर्मी ऋतु
(ख) वर्षा ऋतु
(ग) बसंत ऋतु
(घ) शरद ऋतु
उतर – (ख) वर्षा ऋतु

प्रश्न 14. किसको साथ में देखते ही कुब्जा उन्हें मारने दौड़ती थी?
(क) कबूतर और राधा को
(ख) खरगोश और बिल्ली को
(ग) नीलकंठ और खरगोश को
(घ) नीलकंठ और राधा को
उतर – (घ) नीलकंठ और राधा को

प्रश्न 15. राधा के अंडे को किसने फोड़ डाले?
(क) कबूतर ने
(ख) कुब्जा ने
(ग) नीलकंठ ने
(घ) खरगोश ने
उतर – (ख) कुब्जा ने

प्रश्न 16. भूखा – प्यासा आम की शाखाओं में कौन छिपा बैठा रहता था?
(क) नीलकंठ
(ख) कुब्जा
(ग) राधा
(घ) कबूतर
उतर – (क) नीलकंठ

प्रश्न 17. कजली (अल्सेशियन कुत्ती) ने अपने दो दाँत किसके गर्दन पर गडा दिए?
(क) राधा के
(ख) नीलकंठ के
(ग) कुब्जा के
(घ) खरगोश के
उतर – (ग) कुब्जा के

प्रश्न 18. लेखिका किसे अपने शाल में लपेटकर संगम ले गई?
(क) कुब्जा को
(ख) राधा को
(ग) कबूतर को
(घ) नीलकंठ को
उतर – (घ) नीलकंठ को

प्रश्न 19. लेखिका ने नीलकंठ को किस नदी में प्रवाहित किया?
(क) गंगा
(ख) कावेरी
(ग) सतलुज
(घ) यमुना
उतर – (क) गंगा

प्रश्न 20. विदेशी महिलाओं ने नीलकंठ को किसकी उपाधि दे डाली थी?
(क) सजीला जेंटलमैन की
(ख) परफेक्ट मोर की
(ग) परफेक्ट जेंटिलमैन की
(घ) परफेक्ट मयूर की
उतर – (ग) परफेक्ट जेंटिलमैन की

 

 

Class 7 Hindi नीलकंठ प्रश्न और उत्तर Questions Answers

निबंध से

प्रश्न 1. मोर – मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए ?
उत्तर – मोर की गर्दन का पिछला भाग नीला था जिस कारण उसका कंठ नीला दिखाई पड़ता था इसी कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया और उसकी छाया के समान उसके साथ रहने के कारण मोरनी का नामकरण राधा हुआ।

प्रश्न 2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ ?
उत्तर – मोर के दोनों शावकों को जब जाली के बड़े घर में लाया गया तब वहाँ पहले से रहने वाले पशु – पक्षियों में वैसा ही कुतूहल जगा जैसा नयी दुल्हन के आने पर परिवार में आमतौर पर होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम – घूमकर गुटरगूँ – गुटरगूँ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान एक पंक्ति में बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभाँति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। कहने का तात्पर्य यह है कि मोर के दोनों बच्चे नयी नवेली दुल्हन की तरह जाली के बड़े घर में आए थे और जाली के घर में पहले से रहने वाले पशु – पक्षियों ने परिवार के सदस्य होने के नाते उन दोनों का अच्छे से स्वागत किया था।

प्रश्न 3. लेखिका को नीलकंठ की कौन – कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं ?
उत्तर – नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था। नीलकंठ में उसकी जातिगत विशेषताएँ तो थीं ही और उसकी हर चेष्टा अपने आप में आकर्षक थी लेकिन महादेवी वर्मा को नीलकंठ की और भी कई चेष्टाएँ भाती थीं जैसे –
गर्दन ऊँची करके देखना।
विशेष भंगिमा के साथ गर्दन नीची कर दाना चुगना।
सतर्क हो कर पानी पीना।
गर्दन को टेढ़ी करके शब्द सुनना।
मेघों की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य करना।
जिस नुकीली पैनी चोंच से वह भयंकर विषधर को खंड – खंड कर सकता था , उसी से महादेवी वर्मा की हथेली पर रखे हुए भुने चने बड़ी ही कोमलता से हौले – हौले उठाना।
महादेवी के सामने पंख फैलाकर खड़े होना।

प्रश्न 4. ‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’ – वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है ?
उत्तर – “इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा” , यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा गया क्योंकि पैरों की चोट के ठीक हो जाने के बाद भी वह ठीक से नहीं चल पाती थी। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं पसंद नहीं आता था। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने ईर्ष्या के कारण एक बार राधा के अंडे तोड़कर बिखेर दिए थे। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया था क्योंकि उसकी राधा से दूरी बढ़ गई थी। कुब्जा ने नीलकंठ के शांतिपूर्ण जीवन में ऐसा कोलाहल मचाया कि दुःख सहन न कर पाने के कारण बेचारे नीलकंठ का अंत ही हो गया।

प्रश्न 5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था ?
उत्तर – नीलकंठ और राधा को वसंत ऋतु सबसे अधिक प्रिय थी। वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढक जाते थे तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में बंदी होकर नहीं रह सकता था उसे फल वाले वृक्षों से कही अच्छे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष लगते थे। तब उसे बाहर छोड़ देना पड़ता था।

प्रश्न 6. जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक – दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया ?
उत्तर – जालीघर में रहने वाले सभी जीव – जंतु एक – दूसरे के मित्र बन गए थे , पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाया , क्योंकि कुब्जा किसी से मित्रता करना नहीं चाहती थी। वह सबसे लड़ती रहती थी , उसे केवल नीलकंठ के साथ रहना पसंद था। वह और किसी को उसके पास नहीं जाने देती थी। किसी को उसके साथ देखते ही वह चोंच से मारना शुरू कर देती थी। उसके इसी आक्रामक स्वभाव के कारण कोई उसे पसंद नहीं करता था और न ही कोई उसका मित्र बन सका।

प्रश्न 7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया ? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – एक बार एक साँप जालीघर के भीतर आ गया। सब जीव – जंतु साँप को देख कर भागकर इधर – उधर छुप गए , केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। साँप ने उसे निगलना चाहा और उसका आधा पिछला शरीर मुँह में दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे – धीरे चीं – चीं कर रहा था। सोए हुए नीलकंठ ने दर्द भरी व्यथा सुनी तो वह अपने पंख समेटता हुआ झूले से नीचे आ गया। अब उसने बहुत सतर्क होकर साँप के फन के पास पंजों से दबाया , क्योंकि उसके प्रहार से नन्हें खरगोश को भी चोट आ सकती थी और फिर अपनी चोंच से सतर्कता के साथ इतने प्रहार उस साँप पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया।
इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की निम्न विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं –
सतर्कता – जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश के नन्हे बच्चे की धीमी – धीमी चीं – चीं की आवाज सुनाई पड़ी और उसे यह शक हो गया कि कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से झूले से नीचे उतरा। वहाँ की स्थिति को देखते ही बड़ी सावधानी से साँप पर प्रहार किया ताकि नन्हें बच्चे को हानि न पहुंचे।
वीरता – नीलकंठ एक कलाप्रिय प्राणी होने के साथ – साथ वीर प्राणी भी है। अकेले ही उसने साँप से खरगोश के बच्चे को बचाया और साँप के दो खंड (टुकड़े) करके अपनी वीरता का परिचय दिया।
कुशल संरक्षक – खरगोश को मृत्यु के मुँह से बचाकर उसने सिद्ध कर दिया कि वह कुशल संरक्षक है। उसके संरक्षण में किसी प्राणी को कोई भय न था।

निबंध से आगे

प्रश्न 1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर – रेखाचित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं।
रेखाचित्र एक सीधी कहानी न होकर जीवन के कुछ मुख्य अंश प्रस्तुत करती है।
रेखाचित्र एक सीधी सादी कहानी नहीं होती, बल्कि संपूर्ण जीवन की छोटी बड़ी घटनाओं का समावेश होता है।
रेखाचित्र में भावनात्मक और संवेदना होती है। ये अत्यंत स्वाभाविक और सरल होते हैं।
इनमें बनावट लेशमात्र भी नहीं होती।
छात्र महादेवी के रेखाचित्र संग्रह से गिल्लू (गिलहरी), गौरा (गाय) या अन्य रेखाचित्र को स्वयं पढ़िए।

प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3. पुस्तकालयों से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर – दो कविताएं निम्नलिखित है-

नरेंद्र वर्मा की कविता
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।
उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।

चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।
गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।

ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।
बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।

मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।
कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।

मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।
बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।

कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।
मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।

बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।
सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।

वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।।

निधि अग्रवाल की कविता
इंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित,
वर्षा ऋतु को शोभायमान करता।
भारत वर्ष का गौरव,
सबके हृदय को प्रफुल्लित करता।

विहगों में सर्वोत्तम और विशिष्ट,
पवित्र जीवन बनाता इसको उत्कृष्ट।
श्याम चित्त की शोभा की गरिमा,
कर देता है इसको देवनिर्दिष्ट।

नंदन और उपवन को,
गुंजायमान कर, करता आकर्षित।
नृतकप्रिय, मनमोहक है,
सबके मन को करता हर्षित।

मयूर, मोर नाम है इसके,
नीलकंठ नाम से भी है प्रचलित।
कृष्ण प्रिय ये कहलाता,
अपनी कला से उपवन को करता सुशोभित।

छात्र पुस्तकालयों से वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं- ‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा के बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा को चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’ – इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए मोर पंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
उत्तर – जब गंगा के बीच धार में नीलकंठ को प्रवाहित किया गया, तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा। गंगा के श्वेत-श्याम जल प्रात:काल के सूर्य की किरणों से जब सतरंगी दिखाई देता है तो दूर-दूर तक किसी मयूर के नृत्य का दृश्य प्रस्तुत करता है। लेखिका को यह लगा कि घाट नीलकंठ की तरह अपने सुंदर पंखों को फैलाकर नृत्य कर रही है। जब गंगा में मचलती लहरें आती है, तो वह मोर के नृत्य की तरह लुभावनी, मनमोहक तथा आकर्षक होती है।

प्रश्न 2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर – मेघों के उमड़ आने से पहले ही नीलकंठ हवा में उसकी सजल आहट को पा लेता था फिर वह अपने पंखों का सतरंगी मंडलाकार छाता तानकर नृत्य की भंगिमा में खड़ा हो जाता था। मेघ के गर्जन के ताल पर उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूँदों की रिमझिमाहट जितनी तीव्र होती जाती, नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बढ़ता जाता और उसकी केका का स्वर उतना ही मंद्र से मंद्रतर होता जाता।

भाषा की बात

प्रश्न 1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-

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उत्तर –
i) गंध – सुगंध, दुर्गंध, गंधक,
ii) रंग – बेरंग, रंगबिरंगा, रंगरोगन
iii) फल – विफल, सफल, असफल
iv) ज्ञान – अज्ञान, विज्ञान, सदज्ञान

प्रश्न 2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे क् + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (T) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे–मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए

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उत्तर

class 7 chapter 15

कुछ करने को

प्रश्न 1. चयनित व्यक्ति/पशु/पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।

 

Class 7 Hindi नीलकंठ अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)

प्रश्न 1. शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार किसको पकड़ लाया था?
उत्तर – शंकरगढ़ से एक चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया था, एक मोर है , एक मोरनी।

प्रश्न 2. लेखिका दो मोर के बच्चे को कहाँ से लाई ?
उत्तर – लेखिका दो मोर के बच्चे को बड़े मियाँ चिड़ियावाले की दुकान से लिया था।

प्रश्न 3. मोरनी को मोर की सहचारिणी क्यों कहा गया?
उत्तर – मोरनी को मोर का सहचारिणी इसलिए कहा गया क्योंकि वह हमेशा मोर के साथ उसकी छाया के समान रहती थी।

प्रश्न 4. दोनों मोर शावकों को देखकर लेखिका के घरवालों ने क्या कहा?
उत्तर – दोनों मोर शावकों को देखकर लेखिका के घरवाले कहने लगे, “तीतर है, मोर कहकर ठग लिया है”।

प्रश्न 5. लेखिका ने ड्राइवर को किस ओर चलने का आदेश दिया और क्यों ?
उत्तर – लेखिका महादेवी जी ने स्टेशन से लौटते समय ड्राइवर को बड़े मियाँ की दुकान की ओर चलने का आदेश दिया। क्योंकि उन्हें चिड़ियों और खरगोशों की दुकान का स्मरण आया।

प्रश्न 6. मोर-मोरनी का नामकरण किस आधार पर किया गया?
उत्तर – नीलाभ ग्रीवा के कारण मोर का नाम रखा गया नीलकंठ और उसकी छाया के समान रहने के कारण मोरनी का नामकरण हुआ राधा।

प्रश्न 7. नीलकंठ अन्य जीव – जंतुओं के प्रति अपना प्रेम किस प्रकार व्यक्त करता था?
उत्तर – जीव – जंतुओं के प्रति नीलकंठ का प्रेम भी असाधारण था। वह प्रायः मिट्टी में पंख फैलाकर बैठ जाता था और सभी जीव उसकी लंबी पूँछ और घने पंखों में छुआ – छुऔअल – सा खेलते रहते थे।

प्रश्न 8. नीलकंठ लेखिका को देखकर अपनी प्रसन्नता कैसे प्रकट करता था?
उत्तर – लेखिका को देखकर नीलकंठ उनके सामने मंडलाकार रूप में अपने पंख फैलाकर खड़ा होकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करता था।

प्रश्न 9. लेखिका के अनुसार भगवान कार्तिकेय ने मयूर को अपना वाहन क्यों चुना?
उत्तर – लेखिका के अनुसार भगवान कार्तिकेय ने मयूर को अपना वाहन इसलिए चुना होगा क्योंकि मयूर में मानवीय गुण विद्यमान हैं। मयूर एक कलाप्रिय वीर पक्षी है।

प्रश्न 10. लेखिका नीलकंठ को प्रवाहित करने के लिए संगम क्यों गई?
उत्तर – नीलकंठ की मृत्यु के बाद महादेवी उसे अपने शाल में लपेटकर संगम ले गई और नीलकंठ को गंगा की बीच धार में प्रवाहित किया। ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे अपने घर में पलने वाले प्रत्येक जीव को घर का सदस्य मानती थी।

प्रश्न 11. कुब्जा कौन थी और उसका स्वभाव कैसा था?
उत्तर – कुब्जा एक मोरनी थी, जिसे लेखिका ने सात रुपये में बड़े मियाँ चिड़ियावाले के यहाँ से खरीदा था। पैरों की उँगलियाँ टूटी होने के कारण उसका नाम कुब्जा रखा गया और जालीघर के किसी भी जीव – जंतुओं से उसकी मित्रता नहीं थी।

प्रश्न 12. “जब मैंने वह पिंजड़ा कार में रखा तब मानो वह जाली के चौखटे का चित्र जीवित हो गया।”-
इस पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें ।
उत्तर – पिंजड़ा इतना संकीर्ण था कि दोनों मोर-शावकों का हिलना-डुलना भी मुश्किल था। वे उसमें जाली के गोल फ्रेम में किसी जड़े चित्र जैसे लग रहे थे, परंतु जब लेखिका ने वह छोटा पिंजड़ा कार में रखा तब मानो वह जाली के चौखटे का चित्र जीवित हो गया। दोनों पक्षी – शावकों के छटपटाने से लगा कि मानो पिंजड़ा ही सजीव और उड़ने योग्य हो गया है।

प्रश्न 13. विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को ‘परफेक्ट जेंटिलमैन’ की उपाधि क्यों दी?
उत्तर – देशी – विदेशी जब अतिथि के रूप में महादेवी के साथ आते तो उनके प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु नीलकंठ अपने पंखों का सतरंगी मंडलाकार छाता तानकर नृत्य की भंगिमा में खड़ा हो जाता था तो अतिथि नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मान समझकर विस्मयाभिभूत हो उठते थे । इसलिए विदेशी महिलाओं ने उसे ‘परफेक्ट जेंटिलमैन’ की उपाधि दे डाली।

प्रश्न 14. जब दोनों मोरों को जाली के बड़े घर में पहुँचाया गया तब अन्य जीव – जंतुओं की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर – दोनों नवागंतुकों ने पहले से रहने वालों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में स्वाभाविक है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम – घूमकर गुटरगूँ – गुटरगूँ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभाँति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

प्रश्न 15. राधा को नीलकंठ से द्वर करने के लिए कुब्जा ने उसके के साथ क्या किया?
उत्तर – कुब्जा राधा और नीलकंठ को एक साथ देखते ही उन्हें मारने दौड़ती थी । उसने अपनी चोंच से मार – मारकर राधा की कलगी और पंख नोच डाले। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी पर नीलकंठ उससे दूर भागता था। न किसी जीव – जंतु से कुब्जा की मित्रता थी और न वह किसी को नीलकंठ के समीप आने देना चाहती थी। उसी बीच राधा ने दो अंडे दिए , जिनको वह पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार – मारकर राधा को ढकेल दिया और फिर अंडे फोड़कर ठूँठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए। इस कलह – कोलाहल से राधा और नीलकंठ दूर हो गए ।

प्रश्न 16. कुब्जा के जीवन का अंत कैसे हुआ?
उत्तर – नीलकंठ की मृत्यु के बाद कुब्जा भी कोलाहल के साथ उसे ढूँढ़ना शुरू कर दिया। वह आम, अशोक कचनार की शाखाओं में ढूंढती रहती। एक दिन जब वह नीलकंठ को आम के पेड़ पेड़ ढूंढते हुए निचे उतरी ही थी कि कजली यानि लेखिका की अल्सेशियन कुत्ती उसके सामने आ गई। अपने स्वभाव के अनुसार कुब्जा ने कजली पर भी चोंच से हमला किया। जिसके परिणाम स्वरूप कजली के दो दाँत कुब्जा की गरदन पर लग गए। परिणामतः कुब्जा की मृत्यु हो गई। इस प्रकार उसके कलह-कोलाहल तथा द्वेष-प्रेम भरे जीवन का अंत हुआ।

प्रश्न 17. निम्नलिखित शब्दों का अर्थ बताइए – कमबख्त, मुनासिब, आश्वस्त, आविर्भूत, मेघाच्छन्न, नखास, मूँज।
उत्तर –
कमबख्त का अर्थ – कम किस्मत वाला , बुरी किस्मत वाला
मुनासिब का अर्थ – उचित , परिमित , न्यायी , ज्ञानवान , सहनीय , नियत , यथोचित , ठीक
आश्वस्त का अर्थ – निश्चित , धैर्यपूर्ण , विश्वस्त
आविर्भूत का अर्थ – प्रकाश , प्राकटय , उत्पति
मेघाच्छन्न का अर्थ – बादलों से ढका हुआ , बादलों से छाया (घिरा) हुआ
नखास का अर्थ – बाज़ार , प्राचीन काल में पशुओं एवं दासों के क्रय – विक्रय का स्थान
मूँज का अर्थ – सरकंडे का पौधा , सरकंडों का छिलका जिससें रस्सी तैयार की जाती है

प्रश्न 18. नीलकंठ चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का मित्र भी था और संरक्षक भी। वह कैसे? लिखिए।
उत्तर – लेखिका कहती है कि उन्हें पता नहीं चला कि कब नीलकंठ ने अपने आपको चिड़ियाघर के निवासी जीव – जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया। सवेरे ही वह सब खरगोश , कबूतर आदि की सेना एकत्र कर उस ओर ले जाता जहाँ दाना दिया जाता है और घूम – घूमकर मानो सबकी रखवाली करता रहता। किसी ने कुछ गड़बड़ की और वह अपने तीखे चंचु – प्रहार से उसे दंड देने दौड़ पड़ता। खरगोश के छोटे बच्चों को वह चोंच से उनके कान पकड़कर ऊपर उठा लेता था और जब तक वे आर्तक्रंदन न करने लगते उन्हें अधर में लटकाए रखता। कभी – कभी उसकी पैनी चोंच से खरगोश के बच्चों का कर्णवेध संस्कार हो जाता था , पर वे फिर कभी उसे क्रोधित होने का अवसर न देते थे। दंडविधान के समान ही उन जीव – जंतुओं के प्रति उसका प्रेम भी असाधारण था। एक बार साँप ने खरगोश के बच्चे का आधा हिस्सा अपने मुँह में दबा लिया। वह चीख नहीं सकता था। लेकिन नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सुन लिया और उसने नीचे उतरकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और चोंच-चोंच मारकर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा उसके मुँह से निकल आया। नीलकंठ ने रातभर उसे पंखों के नीचे रखकर उष्णता देता रहा।

 

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