- Himalaya ki Betiyan Class 7 Hindi Chapter 3 Summary, Explanation, Question Answers
- Class 7 Hindi Chapter 3 Himalaya ki Betiyan MCQs
- Class 7 Hindi Chapter Wise Word Meanings
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 हिमालय की बेटियाँ Important Question Answers Lesson 3
Class 7 Hindi Himalaya ki Betiyan Question Answers- Looking for Himalaya ki Betiyan question answers for CBSE Class 7 Hindi Vasant Bhag 2 Book Chapter 3? Look no further! Our comprehensive compilation of important questions will help you brush up on your subject knowledge.
सीबीएसई कक्षा 7 हिंदी वसंत भाग 2 पुस्तक पाठ 3 के लिए हिमालय की बेटियाँ प्रश्न उत्तर खोज रहे हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! महत्वपूर्ण प्रश्नों का हमारा व्यापक संकलन आपको अपने विषय ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगा। कक्षा 7 के हिंदी प्रश्न उत्तर का अभ्यास करने से परीक्षा में आपके प्रदर्शन में काफी सुधार हो सकता है। हमारे समाधान इस बारे में एक स्पष्ट विचार प्रदान करते हैं कि उत्तरों को प्रभावी ढंग से कैसे लिखा जाए। हमारे हिमालय की बेटियाँ प्रश्न उत्तरों को अभी एक्सप्लोर करें उच्च अंक प्राप्त करने के अवसरों में सुधार करें।
The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions to the chapter’s extract based questions, multiple choice questions, short answer questions, and long answer questions.
Also, practicing with different kinds of questions can help students learn new ways to solve problems that they may not have seen before. This can ultimately lead to a deeper understanding of the subject matter and better performance on exams.
Class 7 Hindi हिमालय की बेटियाँ Question Answers Lesson 3 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1) अभी तक मैंने उन्हें दूर से देखा था। बड़ी गंभीर, शांत, अपने आप में खोई हुई लगती थीं। संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं। उनके प्रति मेरे दिल में आदर और श्रद्धा के भाव थे। माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता। परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थी। मैं हैरान था कि यही दुबली – पतली गंगा, यही यमुना, यही सतलुज समतल मैदानों में उतरकर विशाल कैसे हो जाती हैं !
प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम बताएं।
(क) कठपुतली
(ख) पापा खो गए
(ग) हिमालय की बेटियाँ
(घ) पानी की कहानी
उत्तर – (ग) हिमालय की बेटियाँ
प्रश्न 2. बड़ी गंभीर, शांत, अपने आप में खोई हुई कौन लगती थी?
(क) नदियाँ
(ख) सागर
(ग) पानी
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (क) नदियाँ
प्रश्न 3. नदियों के प्रति किसके दिल में आदर और श्रद्धा के भाव थे?
(क) लेखक के
(ख) सागर के
(ग) हिमालय के
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (क) लेखक के
प्रश्न 4. संभ्रांत महिला की भाँति कौन प्रतीत होती थीं?
(क) हिमालय
(ख) नहरें
(ग) नदियाँ
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (ग) नदियाँ
प्रश्न 5. समतल मैदानों में उतरकर नदियाँ कैसे हो जाती हैं?
(क) सुंदर
(ख) विशाल
(ग) मनमोहक
(घ) छोटी
उत्तर – (ख) विशाल
2) कहाँ ये भागी जा रही हैं ? वह कौन लक्ष्य है जिसने इन्हें बेचैन कर रखा है ? अपने महान पिता का विराट प्रेम पाकर भी अगर इनका हृदय अतृप्त ही है तो वह कौन होगा जो इनकी प्यास मिटा सकेगा ! बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ , छोटे – छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, बंधुर अधित्यकाएँ , सरसब्ज उपत्यकाएँ – ऐसा है इनका लीला निकेतन ! खेलते – खेलते जब ये जरा दूर निकल जाती हैं तो देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा , कैल के जंगलों में पहुँचकर शायद इन्हें बीती बातें याद करने का मौका मिल जाता होगा। कौन जाने, बुड्ढा हिमालय अपनी इन नटखट बेटियों के लिए कितना सिर धुनता होगा ! बड़ी – बड़ी चोटियों से जाकर पूछिए तो उत्तर में विराट मौन के सिवाय उनके पास और रखा ही क्या है ?
प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश के लेखक का नाम बताएं।
(क) वेदव्यास
(ख) रामचंद्र तिवारी
(ग) निर्मल वर्मा
(घ) नागार्जुन
उत्तर – (घ) नागार्जुन
प्रश्न 2. कौन भागी जा रही हैं ?
(क) नदियाँ
(ख) नहरें
(ग) हिमालय
(घ) समुद्र
उत्तर – (क) नदियाँ
प्रश्न 3. ‘उपत्यकाएँ’ शब्द का सही अर्थ ___है।
(क) घाटियाँ
(ख) चोटियाँ
(ग) उत्पात
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (क) घाटियाँ
प्रश्न 4. लेखक ने नदियों का पिता किसे कहा है?
(क) मैदानों को
(ख) पहाड़ को
(ग) बुढ्ढे हिमालय को
(घ) समुद्र को
उत्तर – (ग) बुढ्ढे हिमालय को
प्रश्न 5. हिमालय की बेटियाँ कैसी है?
(क) गंभीर
(ख) चंचल और शरारती
(ग) क्रूर
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ख) चंचल और शरारती
3) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किन्तु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख लें तो क्या हर्ज है ? और थोड़ा आगे चलिए… इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसा रहेगा ? ममता का एक और भी धागा है , जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने इन नदियों को दिया है। एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो – लिङ् ( तिब्बत ) की बात है। मन उचट गया था , तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उस प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया।
प्रश्न 1. नदियों को लोकमाता किसने कहा है?
(क) रहीम
(ख) लेखक
(ग) नागार्जुन
(घ) काका कालेलकर ने
उत्तर – (घ) काका कालेलकर ने
प्रश्न 2. सतलुज के किनारे कौन जाकर बैठ गया?
(क) हिमालय
(ख) लेखक
(ग) कालेलकर जी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (ख) लेखक
प्रश्न 3. सतलुज के किनारे लेखक किस समय बैठा था?
(क) दोपहर के समय
(ख) रात के समय
(ग) शाम के समय
(घ) प्रात:काल के समय
उत्तर – (क) दोपहर के समय
प्रश्न 4. किसका मन उचट और तबीयत ढीली हो गई थी?
(क) हिमालय की
(ख) काका की
(ग) लेखक की
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ग) लेखक की
प्रश्न 5. लेखक का तन और मन कैसे ताजा हो गया?
(क) नहाने से
(ख) पानी में पैर लटका कर बैठने से
(ग) पानी में तैरने से
(घ) पानी में डुबकी लगाने से
उत्तर – (ख) पानी में पैर लटका कर बैठने से
3) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। किन्तु माता बनने से पहले यदि हम इन्हें बेटियों के रूप में देख लें तो क्या हर्ज है ? और थोड़ा आगे चलिए… इन्हीं में अगर हम प्रेयसी की भावना करें तो कैसा रहेगा ? ममता का एक और भी धागा है , जिसे हम इनके साथ जोड़ सकते हैं। बहन का स्थान कितने कवियों ने इन नदियों को दिया है। एक दिन मेरी भी ऐसी भावना हुई थी। थो – लिङ् ( तिब्बत ) की बात है। मन उचट गया था , तबीयत ढीली थी। सतलज के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। पैर लटका दिए पानी में। थोड़ी ही देर में उस प्रगतिशील जल ने असर डाला। तन और मन ताज़ा हो गया।
प्रश्न 1. नदियों को लोकमाता किसने कहा है?
(क) रहीम
(ख) लेखक
(ग) नागार्जुन
(घ) काका कालेलकर ने
उत्तर – (घ) काका कालेलकर ने
प्रश्न 2. सतलुज के किनारे कौन जाकर बैठ गया?
(क) हिमालय
(ख) लेखक
(ग) कालेलकर जी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (ख) लेखक
प्रश्न 3. सतलुज के किनारे लेखक किस समय बैठा था?
(क) दोपहर के समय
(ख) रात के समय
(ग) शाम के समय
(घ) प्रात:काल के समय
उत्तर – (क) दोपहर के समय
प्रश्न 4. किसका मन उचट और तबीयत ढीली हो गई थी?
(क) हिमालय की
(ख) काका की
(ग) लेखक की
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ग) लेखक की
प्रश्न 5. लेखक का तन और मन कैसे ताजा हो गया?
(क) नहाने से
(ख) पानी में पैर लटका कर बैठने से
(ग) पानी में तैरने से
(घ) पानी में डुबकी लगाने से
उत्तर – (ख) पानी में पैर लटका कर बैठने से
Class 7 Hindi Vasant Lesson 3 हिमालय की बेटियाँ बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1. ‘हिमालय की बेटियाँ’ पाठ के लेखक का नाम बताएं।
(क) भवानी प्रसाद मिश्र
(ख) प्रेमचंद
(ग) नागार्जुन
(घ) शिवप्रसाद सिंह
उत्तर – (ग) नागार्जुन
प्रश्न 2. लेखक नदियों की तुलना किससे किया है ?
(क) बहनों से
(ख) संभ्रांत महिला से
(ग) माता से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) संभ्रांत महिला से
प्रश्न 3. लेखक ने नदियों की धारा में डुबकियाँ लगाने की तुलना किसकी गोदी से की है ?
(क) मौसी
(ख) मामी
(ग) माँ और दादी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4. पर्वतराज हिमालय की दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय किसको मिला है?
(क) समुद्र को
(ख) मनुष्य को
(ग) नदियों को
(घ) किनारे को
उत्तर – (क) समुद्र को
प्रश्न 5. लेखक ने किसको बूढ़ा कहा है ?
(क) धरती को
(ख) हिमालय को
(ग) सागर को
(घ) नदियों को
उत्तर – (ख) हिमालय को
प्रश्न 6. लेखक के अनुसार नदियाँ समतल मैदानों में कैसी दिखाई देती है ?
(क) लंबी
(ख) चौड़ी
(ग) विशाल
(घ) छोटी
उत्तर – (ग) विशाल
प्रश्न 7. लेखक को दूर से नदियाँ कैसी दिखाई देती हैं ?
(क) शांत
(ख) बड़ी गंभीर
(ग) अपने आप में खोई हुई
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 8. लेखक ने नदियों और हिमालय के बीच क्या रिश्ता बताया है?
(क) माँ-बेटे का
(ख) पिता-पुत्र का
(ग) पिता-पुत्री का
(घ) माँ-बेटी का
उत्तर – (ग) पिता-पुत्री का
प्रश्न 9. लेखक के अनुसार हिमालय किसकी नटखटता को झेलता है ?
(क) फूलों की
(ख) नदियों की
(ग) पेड़ों की
(घ) पत्थरों की
उत्तर – (ख) नदियों की
प्रश्न 10. कहाँ के लोग हमेशा से नदियों के चंचल और नटखट रूप को देखते आ रहे है?
(क) खेतीहारो के लोग
(ख) समतल मैदानों के लोग
(ग) गाँव के लोग
(घ) पहाड़ के लोग
उत्तर – (घ) पहाड़ के लोग
प्रश्न 11. लेखक नदियों को हिमालय की क्या कह कर संबोधित किया है?
(क) बेटियाँ
(ख) सहेलियाँ
(ग) बहने
(घ) बहुए
उत्तर – (क) बेटियाँ
प्रश्न 12. लेखक ने हिमालय को किसका ससुर कहा है ?
(क) समुद्र का
(ख) वृक्षों का
(ग) धरती का
(घ) नदियों का
उत्तर – (क) समुद्र का
प्रश्न 13. लेखक के अनुसार नदियाँ कहाँ अठखेलियाँ करती हुई दिखाई पड़ती है?
(क) सागर की गोद में
(ख) घाटियों की गोद में
(ग) हिमालय के मैदानी इलाकों में
(घ) हिमालय की गोद में
उत्तर – (घ) हिमालय की गोद में
प्रश्न 14. लेखक किस नदी के किनारे बैठा था?
(क) यमुना
(ख) गंगा
(ग) सतलुज
(घ) गोदावरी
उत्तर – (ग) सतलुज
प्रश्न 15. बेतवा नदी को किसकी प्रेयसी के रूप चित्रित किया गया है?
(क) हिमालय की
(ख) मेघदूत की
(ग) यक्ष की
(घ) कालिदास की
उत्तर – (ख) मेघदूत की
प्रश्न 16. काका कालेलकर ने नदियों को क्या कहा है ?
(क) लोकमाता
(ख) जननी
(ग) मां
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (क) लोकमाता
प्रश्न 17. लेखक किस देश में सतलुज के किनारे बैठा था?
(क) नेपाल
(ख) पाकिस्तान
(ग) भारत
(घ) तिब्बत
उत्तर – (घ) तिब्बत
प्रश्न 18. लेखक सतलुज के किनारे किस समय बैठा था?
(क) दोपहर के समय
(ख) शाम के समय
(ग) दिन के समय
(घ) सुबह के समय
उत्तर – (क) दोपहर के समय
प्रश्न 19. लेखक ने हिमालय का दामाद किसको बोला है?
(क) तालाबों को
(ख) जलाशयों को
(ग) समुद्र को
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर – (ग) समुद्र को
प्रश्न 20. ____ विरही यक्ष ने अपने मेघदूत से कहा था ?
(क) राम के
(ख) रहीम के
(ग) कबीर दास के
(घ) कालिदास के
उत्तर – (घ) कालिदास के
Class 7 Hindi हिमालय की बेटियाँ प्रश्न और उत्तर Questions Answers
लेख से
प्रश्न 1. नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं ?
उत्तर – नदियों को माँ स्वरूप में मानने की परंपरा तो हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेखक भी नदियों को माँ के स्वरूप में अवश्य मानता है लेकिन लेखक नदियों को माँ मानने की परंपरा से पहले इन नदियों को स्त्री के सभी रूपों में देखता है, जिसमें लेखक माँ से पहले नदियों को वो बेटी के समान बताता है। इसीलिए तो लेखक नदियों को हिमालय की बेटी कहता है। कभी लेखक नदियों की तुलना प्रेयसी से करता है , तभी तो लेखक ने वर्णन किया है कि जिस तरह से एक प्रेयसी अपने प्रियतम से मिलने के लिए बेताब होती है, उसी तरह ये नदियाँ भी सागर से मिलने को आतुर होती हैं, कभी लेखक को ये नदियाँ ममता के दूसरे रूप यानी बहन के समान प्रतीत होती है, जिसके सम्मान में वो हमेशा हाथ जोड़े शीश झुकाए खड़ा रहता है। क्योंकि लेखक के निजी अनुभव में लेखक ने सतलुज नदी को एक बहन की तरह उसकी सारी थकान को दूर करते पाया है।
प्रश्न 2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं ?
उत्तर – सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली प्रमुख और बड़ी महानदियाँ हैं। इन दो महानदियों के बीच से अन्य कई छोटी – बड़ी नदियों का संगम होता है। ये दोनों महानदियाँ दयालु हिमालय के पिघले दिल की एक – एक बूंद इकट्ठा होकर बनी है यानी हिमालय पर स्थित बर्फ के पिघलने से इन नदियों का निर्माण हुआ है। ये नदियाँ सुंदर एवं लुभावनी लगती हैं। ये दोनों ही पौराणिक नदियों के रूप में विशेष पूज्यनीय व महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 3. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है ?
उत्तर – नदियों को लोकमाता कहने के पीछे काका कालेलकर का नदियों के प्रति सम्मान है। हम सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है। ये नदियाँ हमें जल प्रदान कर जीवनदान देती हैं। ये नदियाँ हमारा आदि काल से ही माँ की भांति भरण – पोषण करती आ रही है। ये नदियाँ लोगों के लिए कल्याणी एवं माता के समान पवित्र हैं। एक ओर तो ये नदियाँ हमें पीने के लिए पानी देती है , तो दूसरी तरफ इसके द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी खेती के लिए बहुत उपयोगी होती है। ये मछली पालन में भी बहुत उपयोगी है अर्थात् ये नदियाँ सदियों से हमारी जीविका का साधन रही है। हिन्दू धर्म में तो ये नदियाँ पौराणिक आधार पर भी विशेष पूजनीय है। क्योंकि हिन्दू धर्म में तो जीवन की अंतिम यात्रा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक अस्थियों को इनमें न बहाया जाए। सही मायने में मनुष्य के लिए ही नहीं, बल्कि पशु – पक्षी , पेड़ – पौधों आदि के लिए भी नदियाँ बहुत जरूरी है। इस प्रकार नदियाँ हम सभी प्राणियों के लिए माता के समान है जो सबका कल्याण ही करती है। यही कारण है कि काका कालेलकर ने उन्हें लोकमाता कहा है।
प्रश्न 4. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन – किन की प्रशंसा की है ?
उत्तर – हिमालय की यात्रा में लेखक ने हिमालय की अनुपम छटां की , हिमालय से निकले वाली नदियों की, बर्फ से ढकी पहाड़ियों की सुंदरता की, हरी – भरी घाटियों की, देवदार, चीड़, सरो, चिनार , सफैदा , कैल से भरे जंगलों की तथा महासागरों की बहुत ही अद्भुत प्रशंसा की है।
लेख से आगे
प्रश्न 1. नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर – डॉ. परशुराम शुक्ल अपनी कविता ‘नदी’ में सहनशील, संघर्षशील, समर्पण भावना से प्रेरित, कठिनाइयों का डटकर सामना करने वाली स्त्री के रूप में देखते है।
सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपनी कविता ‘हिमालय’ में हिमालय का विवरण भारत के मुकुट और सम्मान के रूप में किया है।
लेखक नागार्जुन इस पाठ में हिमालय को एक पिता के रूप में देखते हैं।
लेखक नागार्जुन इस पाठ में नदी को माँ, बेटी, प्रेयसी व बहन के रूप में देखते है।
प्रश्न 2. गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर –
रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘हिमालय’
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
साकार, दिव्य, गौरव विराट्,
पौरुष के पुंजीभूत ज्वाला!
मेरी जननी के हिम-किरीट!
मेरे भारत के दिव्य भाल!
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त,
युग-युग गर्वोन्नत, नित महान्,
निस्सीम व्योम में तान रहा
युग से किस महिमा का वितान?
कैसी अखंड यह चिर-समाधि?
यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान?
तू महाशून्य में खोज रहा
किस जटिल समस्या का निदान?
उलझन का कैसा विषम जाल?
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
ओ, मौन, तपस्या-लीन यती!
पल भर को तो कर दृगुन्मेष!
रे ज्वालाओं से दग्ध, विकल
है तड़प रहा पद पर स्वदेश।
सुखसिंधु, पंचनद, ब्रह्मपुत्र,
गंगा, यमुना की अमिय-धार
जिस पुण्यभूमि की ओर बही
तेरी विगलित करुणा उदार,
जिसके द्वारों पर खड़ा क्रांत
सीमापति! तूने की पुकार,
‘पद-दलित इसे करना पीछे
पहले ले मेरा सिर उतार।’
उस पुण्य भूमि पर आज तपी!
रे, आन पड़ा संकट कराल,
व्याकुल तेरे सुत तड़प रहे
डँस रहे चतुर्दिक विविध व्याल।
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
कितनी मणियाँ लुट गयीं? मिटा
कितना मेरा वैभव अशेष!
तू ध्यान-मग्न ही रहा; इधर
वीरान हुआ प्यारा स्वदेश।
किन द्रौपदियों के बाल खुले?
किन-किन कलियों का अंत हुआ?
कह हृदय खोल चित्तौर! यहाँ
कितने दिन ज्वाल-वसंत हुआ?
पूछे सिकता-कण से हिमपति!
तेरा वह राजस्थान कहाँ?
वन-वन स्वतंत्रता-दीप लिये
फिरनेवाला बलवान कहाँ?
तू पूछ, अवध से, राम कहाँ?
वृंदा! बोलो, घनश्याम कहाँ?
ओ मगध! कहाँ मेरे अशोक?
वह चंद्रगुप्त बलधाम कहाँ ?
पैरों पर ही है पड़ी हुई
मिथिला भिखारिणी सुकुमारी,
तू पूछ, कहाँ इसने खोयीं
अपनी अनंत निधियाँ सारी?
री कपिलवस्तु! कह, बुद्धदेव
के वे मंगल-उपदेश कहाँ?
तिब्बत, इरान, जापान, चीन
तक गये हुए संदेश कहाँ?
वैशाली के भग्नावशेष से
पूछ लिच्छवी-शान कहाँ?
ओ री उदास गंडकी! बता
विद्यापति कवि के गान कहाँ?
तू तरुण देश से पूछ अरे,
गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग?
अंबुधि-अंतस्तल-बीच छिपी
यह सुलग रही है कौन आग?
प्राची के प्रांगण-बीच देख,
जल रहा स्वर्ण-युग-अग्निज्वाल,
तू सिंहनाद कर जाग तपी!
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
रे, रोक युधिष्ठिर को न यहाँ,
जाने दे उनको स्वर्ग धीर,
पर, फिरा हमें गांडीव-गदा,
लौटा दे अर्जुन-भीम वीर।
कह दे शंकर से, आज करें
वे प्रलय-नृत्य फिर एक बार।
सारे भारत में गूँज उठे,
‘हर-हर-बम’ का फिर महोच्चार।
ले अँगड़ाई, उठ, हिले धरा,
कर निज विराट् स्वर में निनाद,
तू शैलराट! हुंकार भरे,
फट जाय कुहा, भागे प्रमाद।
तू मौन त्याग, कर सिंहनाद,
रे तपी! आज तप का न काल।
नव-युग-शंखध्वनि जगा रही,
तू जाग, जाग, मेरे विशाल!
उपरोक्त कविता की तुलना यदि नागार्जुन द्वारा लिखित निबंध से करें तो हम जान पाते हैं कि रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘हिमालय’ में उन्होंने भारत व हिमालय के गहरे सम्बन्ध का, विशाल व शक्तिशाली रूप एवं हिमालय का मूल उत्तर से दक्षिण तक फैले होने का विवरण किया है। इस कविता में दर्शाया है कि हिमालय का भारतवासियों से प्राचीन काल से अत्यंत घनिष्ठ संबंध है।
वहीं लेखक नागार्जुन ने इस पाठ में हिमालय को पिता यानी नदियों के पिता के रूप में प्रस्तुत किया है।
अधिक जानकारी के लिए छात्र स्वयं पुस्तकालय की सहायता से करें।
प्रश्न 3. यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलने वाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर – 1947 के बाद से आजतक नदियाँ उसी प्रकार हिमालय से बह रही हैं लेकिन अब हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अपनी पवित्रता और मूल रूप को प्रदूषण व मानव हानि के कारण खो चुकी हैं | मैदानी क्षेत्रों में आते – आते शहरों की गंदगी नदियों में इस तरह मिल जाती है कि स्वच्छता के नामों निशान मिट जाते है।
प्रश्न 4. अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर – हिमालय पर्वत पर देवताओं का वास माना जाता है। पहले ऋषि-मुनि यहाँ तपस्या करते थे इसलिए कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा है। आज भी हिमालय भगवान शिव का वास स्थान माना जाता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
उत्तर – नदियाँ एक बच्चे के समान हमारा पालन – पोषण करती हैं। इसलिए हम नदियों को माँ कहना चाहेंगे। नदियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार अनेक योजनाएँ चला रही हैं। परंतु उनकी योजनाएँ पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहीं हैं। इसलिए नदियों को प्रदूषित और सूखने से बचाने के लिए हम सबको एकजुट होकर इस पर काम करना चाहिए। हमें नदियों के पानी में कूड़ा कचरा, शवों और मृत जानवरों को को न बहाए, गंदे नालों को नदी में न बहाए, नदी किनारे मल-मूत्र त्याग करने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, कारखानों और उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ को नदी में न छोड़े, पेंट और केमिकल वाली मूर्तियों को नदियों में विसर्जित न करे। नदियों को साफ रखना बहुत ही जरूरी है। इसलिए आज प्रत्येक मनुष्यों की जिम्मेदारी बनती है कि वह नदियों को बचाये और उसका संरक्षण करें।
प्रश्न 2. नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों को एक निबंध लिखिए।
उत्तर – नदियों से होने वाले लाभ निम्नलिखित है।
- नदियाँ खेतों की सिंचाई करने में मदद करती हैं।
- नदियाँ इंसानों से लेकर जानवरों, पक्षियों और जानवरों तक सभी के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
- नदियों से हमारा जीवन हरा भरा है। नदियों के पानी से हम अपनी निज़ी जीवन के सभी कार्य करते है।
- नदियों के पानी से डैम बनाये जाते है और पानी को एकत्रित किया जाता है।
- नदियाँ जंगल में रहने वाले जानवरों का सहारा है।
- नदियों में पाई जाने वाली मछलियों को खाद्य पदार्थ के लिए उपयोग किया जाता है।
- नदियों को पवित्र स्थान भी माना गया है और नदियों की पूजा भी की जाती है|
- नदियों को मनोरंजन व आनंद के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे- बोटिंग, रिवर राफ्टिंग आदि।
- नदियों के पानी से विद्युत उत्पन्न करने एवं अन्य औद्योगिक कामों के लिए उपयोग में लाया जाता है।
- नदियाँ हमारे जीवन का आधार है।
- नदियों के होने से वातावरण की खूबसूरती बढ़ती है जिससे पर्यटकों का रुझान बढ़ता है।
- नदियों से जीवन में शांति, सुख और पवित्रता की भावना आती है।
- नदियाँ मछुआरे, किसान, नाविक आदि अनेक लोगों की आजीविका का साधन है।
- पानी में रहने वाले अनेक जीवों का घर है नदियाँ ।
- नदियों के कारण ही वहां का आस-पास का क्षेत्र उपजाऊ होता है।
- सदियों से नदियाँ एक देश से दूसरे देश में व्यापार करने और आने जाने का माध्यम है।
- नदी से मिलने वाले मजबूत चट्टानों और रेत का उपयोग मकान, भवन बनाने में किया जाता है।
- नदियों से हमें कई सारे लाभ मिलते है, इसलिए नदियों का हमारे जीवन में होना बहुत आवश्यक है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण –
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी थारा में डुबकियाँ लगाया करता।
अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर –
i) उन्होंने संदूक खोलकर एक चमकती-सी चीज़ निकाली।
ii) बच्चे ऐसे सुन्दर जैसे सोने के सजीव खिलौने।
iii) हरी लकीर वाले सफेद गोल कंचे।
iv) सचमुच दादी माँ शापश्चष्ट देवी-सी लगी।
v) लाल किरण-सी चोंच खोल, चुगते तारक अनार के दाने।
vi) इन्हें देखकर तो ऐसा लग रहा है मानो बहुत-सी छोटी-छोटी बालूशाही रख दी गई हो।
प्रश्न 2. निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे –
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
- पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूंढिए।
उत्तर –
i) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
ii) बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।
iii) हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।
iv) जितना की इन बेटियों की बाल लीला देखकर।
v) इनका उछलना और कूदना, खिलखिलाकर लगातार हँसते जाना, इनकी भाव – भंगी यह उल्लास कहाँ गायब हो जाता है।
vi) माँ – बाप की गोद में नंग – धड़ंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं का रूप।
प्रश्न 3. पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं।
नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए-
उत्तर –
संभ्रांत – महिला
चंचल – नदियाँ
समतल – आंगन
घना – आँगन
मूसलाधार – वर्षा
प्रश्न 4. द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वन्द्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर – द्वन्द्व समास के उदाहरण:-
- छोटी-बड़ी
- दुबली-पतली
- सास-ससुर
- राम-सीता
- माता-पिता
- भाई-बहन
- पति-पत्नी
- भाव-भंगी
प्रश्न 5. नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)।
उत्तर –
ii) नव-वन (जातिवाचक)
ii) धारा-राधा (व्यक्तिवाचक)
iii) नामी-मीना (व्यक्तिवाचक)
iv) जाता-ताजा (भाववाचक)
v) राम-मरा (भाववाचक)
vi) तप-पत (भाववाचक)
vii) राज-जरा (भाववाचक)
viii) राही-हीरा (द्रव्यवाचक)
प्रश्न 6. समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे-बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढकर इन नामों के अन्य रूप लिखिए-
उत्तर –
सतलुज – शतद्रुम
रोपड़ – रूपपुर
झेलम – वितस्ता
चिनाब – विपाशा
अजमेर – अजयमेरु
बनारस – वाराणसी
प्रश्न 7. ‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’
- उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
- इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर –
वाक्य | विश्लेषण |
बापू को कौन नहीं जानता। | हर कोई बापू को जानता है। |
उन्हें शायद ही इस घटना की जानकारी हो। | शायद उन्हें घटना की जानकारी न हो। |
उन्हें शायद ही इस बात पर विश्वास हो। | उन्हें शायद इस बात पर विश्वास न हो। |
हर कौन नहीं जानता। | हर कोई उन्हें जानता है। |
वे शायद ही यह काम पूरा करें। | वे शायद यह काम पूरा न करें। |
Class 7 Hindi हिमालय की बेटियाँ अतिरिक्त प्रश्न उत्तर (Extra Question Answers)
प्रश्न 1. किसका विराट प्रेम पाकर भी नदियों का हृदय अतृप्त ही रहता है?
उत्तर – महान पिता हिमालय का विराट प्रेम पाकर भी अगर नदियों का हृदय अतृप्त ही रहता है।
प्रश्न 2. हिमालय पर नदियों का रूप और स्वभाव कैसा होता है?
उत्तर – हिमालय पर नदियाँ दुबली पतली होती हैं और उनका स्वभाव चंचल होता है।
प्रश्न 3. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किस-किस की प्रशंसा की है?
उत्तर – हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, सागर, बर्फ नंगी पहाड़ियाँ, छोटे-छोटे पौधों से भरी घाटियाँ, देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफ़ेदा, कैल के जंगलों की प्रशंसा की है।
प्रश्न 4. कालिदास के विरही यक्ष ने अपने मेघदूत से क्या कहा था?
उत्तर – कालिदास के विरही यक्ष ने अपने मेघदूत से कहा था कि वेत्रवती (बेतवा) नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना, तुम्हारी वह प्रेयसी तुम्हें पाकर अवश्य ही प्रसन्न होगी।
प्रश्न 5. लेखक समुद्र को सौभाग्यशाली क्यों मानता है?
उत्तर – लेखक समुद्र को बहुत ही अधिक सौभाग्यशाली मानता है क्योंकि उसे पर्वतों का राजा हिमालय की दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला है। सिंधु और ब्रह्मपुत्र इन दो महान नदियों का कल्याण करने के कारण समुद्र भाग्यशाली है।
प्रश्न 6. लेखक ‘हिमालय की बेटियाँ’ पाठ में किन-किन नदियों का ज़िक्र किया है और उनके अस्तित्व के विषय में क्या कहा है?
उत्तर – लेखक ‘हिमालय की बेटियाँ’ पाठ में सिंधु, ब्रह्मपुत्र, रावी, व्यास, झेलम, सतलुज, काबुल (कुभा), कपिशा, चनाब, गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि नदियों का ज़िक्र है। लेखक कहता है कि वास्तव में ये नदियाँ दयावान हिमालय के पिघले हुए बर्फ की एक-एक बूँद से इकट्ठा हो-होकर बनी हैं और अंत में समुद्र की ओर प्रवाहित होती हैं।
प्रश्न 7. लेखक के मन में नदियों को बहन का स्थान देने की भावना कब उत्पन्न हुई?
उत्तर – लेखक के अनुसार न जाने कितने कवियों ने इन नदियों को माता, प्रेमिका के आलावा बहन का भी स्थान दिया है। लेखक को भी इन नदियों के लिए बहन की भावना उजागर हुई। बात उस समय की है जब लेखक तिब्बत में थे। एक दिन लेखक का मन किसी भी काम में नहीं लग रहा था और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही थी। लेखक सतलुज नदी के किनारे जाकर बैठ गया। दोपहर का समय था। लेखक ने अपने पैर सतलुज नदी के पानी में लटका दिए। थोड़ी ही देर में लेखक को लगा कि उनका तन और मन ताज़ा हो गया है। इसी ख़ुशी में लेखक नदियों को बहन मान कर एक कविता रच दी और उसे गुनगुनाने लगे- “जय हो सतलज बहन तुम्हारी, लीला अचरज बहन तुम्हारी……..”।
प्रश्न 8. सतलुज नदी के किनारे बैठकर लेखक नागार्जुन कौन सी पंक्ति गुनगुनाते हैं?
उत्तर – “जय हो सतलज बहन तुम्हारी
लीला अचरज बहन तुम्हारी
हुआ मुदित मन हटा खुमारी
जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी
तुम बेटी यह बाप हिमालय
चिंतित पर, चुपचाप हिमालय
प्रकृति नदी चित्रित पट पर
अनुपम अद्भुत छाप हिमालय
जय हो सतलज बहन तुम्हारी!”
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