बूढ़ी औरत, संभ्रांत महिला और लेखक (यशपाल) का चरित्र-चित्रण |
Character Sketch of Poor Old Woman, Rich Woman and Author from CBSE Class 9 Hindi Chapter 1 दुख का अधिकार
दुख का अधिकार नामक यह पाठ यशपाल जी की एक कृति है। इस पाठ में लेखक ने बताया है कि चाहे अमीर हो या गरीब, दुखी होने का अधिकार सभी को है।
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बूढ़ी औरत का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Poor Old Woman)
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- दुःखी और पीड़ित: बूढ़ी औरत का जीवन दुःख और पीड़ा से भरा है। वह अपने बेटे की मृत्यु के कारण अत्यंत दुःखी है और उसकी आँखों में लगातार आँसू बने रहते हैं। उसका यह दुःख उसके जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है।
- सहनशीलता: बूढ़ी औरत अत्यंत सहनशील है। उसने अपने जीवन में कई कठिनाइयों और दुखों का सामना किया है, फिर भी वह अपने दर्द को सहन करती है और अपनी भावनाओं को संयमित रखती है। यह उसकी सहनशीलता को दर्शाता है।
- प्रेम और ममता: बूढ़ी औरत के चरित्र में प्रेम और ममता का भाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। वह अपने बेटे से अत्यधिक प्रेम करती थी और उसकी मृत्यु के बाद भी उसके प्रति उसकी ममता कम नहीं हुई है। वह अपने बेटे की यादों में खोई रहती है और उसे भुला नहीं पाती।
- समर्पण और सेवा भाव: बूढ़ी औरत का चरित्र समर्पण और सेवा भाव से भरा हुआ है। वह अपने परिवार और समाज के प्रति समर्पित है और हमेशा दूसरों की सेवा करने के लिए तत्पर रहती है। यह उसकी सेवा भावना को दर्शाता है।
- आस्था और धार्मिकता: बूढ़ी औरत के चरित्र में आस्था और धार्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान है। वह भगवान में अटूट विश्वास रखती है और अपने दुःख को भगवान की इच्छा मानकर सहन करती है। उसकी धार्मिकता उसे मानसिक शांति प्रदान करती है।
- संवेदनशीलता: बूढ़ी औरत अत्यंत संवेदनशील है। वह दूसरों के दुःख-दर्द को भी महसूस करती है और उनके प्रति सहानुभूति रखती है। उसकी संवेदनशीलता उसे एक मानवीय और सहृदय व्यक्ति बनाती है।
- मौन और संतोष: बूढ़ी औरत मौन और संतोष की मूर्ति है। वह अपने दुःख को लेकर बहुत अधिक बोलती नहीं है, बल्कि मौन रहकर अपने दुख को सहन करती है। यह उस बूढ़ी औरत का संतोष और सहनशीलता को दर्शाता है।
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- अपने बेटे की मृत्यु के पश्चात वह बूढ़ी औरत दो दिन बाद ही बाजार में खरबूज बेचने क्यों आ गई?
- लोग बूढ़ी औरत को उल्टा सीधा क्यों बोल रहे थे?
संभ्रांत महिला का चरित्र-चित्रण (Character sketch of the Rich Woman)
कमजोर हृदय वाली: लेखक के अनुसार संभ्रांत महिला काफी कमजोर हृदय वाली थी तभी पुत्र की मृत्यु के अढ़ाई महीना बाद भी वह बिस्तर से नहीं उठ पाई। उसके आंसू नहीं रुक रहे थे।
धैर्य की कमी: संभ्रांत महिला में धैर्य की काफी कमी थी तभी पुत्र वियोग से हर 15 मिनट बाद वह बेहोश हो जाती थी।
सामाजिक प्रतिष्ठा: संभ्रांत महिला एक उच्च सामाजिक वर्ग से संबंधित है। उसकी जीवनशैली, रहन-सहन और व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि वह समाज में एक विशिष्ट स्थान रखती है। उसके पास भौतिक साधनों की कमी नहीं है, लेकिन वह पुत्र वियोग से टूट जाती है।
सामाजिक भेदभाव: संभ्रांत महिला का चरित्र सामाजिक भेदभाव का प्रतीक है। समाज उसके पुत्र वियोग से दुखी होता है जबकि बूढ़ी औरत के पुत्र वियोग पर दुखी होने के बजाय बुरा भला कहता है।
Topसंभ्रांत महिला के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Rich Woman)
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- लेखक को संभ्रांत महिला की याद क्यों आ गई?
- संभ्रांत महिला अढ़ाई महीना तक बिस्तर से क्यों न उठ पाई?
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लेखक (यशपाल)) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Author)
बेहतर अवलोकनकर्ता: लेखक एक बेहतर अवलोकनकर्ता हैं। तभी वह बीच बाजार में रोती हुई स्त्री को बेहतर तरीके से अवलोकित कर पाएं।
दयालु: लेखक बेहद ही दयालु प्रवृत्ति के हैं। उन्होंने उस रोती हुई स्त्री को देखकर उसकी सहायता करने को तत्पर हुए लेकिन उस लेखक की पोशाक ने उनको उस बूढ़ी औरत की सहायता नहीं करने दी।
भावुक: लेखक बेहद ही भावुक इंसान थे। सारे व्यक्तियों के बुरा भला कहने के बावजूद लेखक फुटपाथ पर बैठी रोती हुई स्त्री को देखकर भावुक हो गए और उसकी सहायता को तत्पर हुए।
संवेदनशीलता और सहानुभूति: यशपाल अत्यंत संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण है। वह समाज में व्याप्त दुख और पीड़ा को गहराई से महसूस करते हैं। बूढ़ी औरत के दुःख को समझने और उसके प्रति सहानुभूति रखने की उनकी भावना उनके संवेदनशील और दयालु स्वभाव को दर्शाती है।
मानवीयता: यशपाल बूढ़ी औरत के दुःख-दर्द को समझने और उन्हें सहानुभूति प्रदान करने का प्रयास करते हैं।
विचारशीलता: यशपाल विचारशील और चिंतनशील व्यक्ति हैं। वह समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार करते हैं और उनके लेखन में उनके विचारों की गहराई और गंभीरता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उनकी विचारशीलता उन्हें एक प्रभावशाली लेखक बनाती है।
Topलेखक (यशपाल) के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Author)
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- लेखक ने रोती हुई स्त्री को देखकर क्या किया?
- लेखक ने मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व बताया?
Dukh Ka Adhikar summary
लेखक कहते हैं कि यह पोशाक ही है, जो मनुष्य को भिन्न-भिन्न श्रेणियां में बांट देती है। प्राय: पोशाक इस समाज में आपका दर्जा और सम्मान निश्चित करती है।
हम जब भी किसी दुखी व्यक्ति या निचली श्रेणी के व्यक्ति की भावनाओं को समझना चाहते हैं तो हमारी पोशाक ही इसमें अड़चन बन जाती है।
लेखक आगे कहते हैं कि उन्होंने देखा कि बाजार में एक औरत कपड़ों से मुंह छुपाए, अपने सिर को घुटने में रखकर रो रही थी। उसके ठीक सामने 5-6 खरबूजे रखे हुए थे। आसपास के लोग उसको बेहद ही घृणा की नजरों से देख रहे थे और बुरा भला भी कह रहे थे।।
लेखक जब पास की दुकान में उस औरत के बारे में पूछता है तो दुकान वाले बताते हैं कि परसों इस औरत का 23 साल का लड़का मर गया है। उसकी मृत्यु की वजह एक सांप है।
इस बेचारी औरत के घर में जो कुछ भी था उसके दाह संस्कार में लगा दिया। अब घर में केवल इसकी बहू और भूख से रोते हुए पोते और पोतियां हैं।
यह बूढ़ी औरत इसी वजह से खरबूजे बेचने आई है ताकि जो पैसा मिले, उससे अपने पोते-पोतियां और बहू को कुछ खिला सके लेकिन जब सब लोग इसको देखकर इसकी निंदा करने लगे तो यह रोने लगी।
लेखक को इस औरत को देखकर अपने पड़ोस की एक अमीर महिला कि याद आ गई, जिनके पुत्र के मरने से पूरे शहर भर के लोग द्रवित हो गए थे और आज इस गरीब महिला के पुत्र के मरने से सारे लोग द्रवित होने के बजाय उसको बुरा भला कह रहे हैं। लेखक यह कहता है कि चाहे अमीर हो या गरीब दुखी होने का अधिकार सभी को है।
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