लेखिका (बचेंद्री पाल ), कर्नल खुल्लर और अंगदोरजी का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of the Writer (Bachendri Pal), Colonel Khullar and Angdorji from CBSE Class 9 Hindi Chapter 2 एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा
एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा बछेंद्री पाल का एक यात्रावृत्त है। इसमें बछेंद्री पाल ने अपनी एवरेस्ट यात्रा का बड़ा ही सुन्दर वर्णन किया है।
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लेखिका (बचेंद्री पाल ) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Writer)
- बहादुर: लेखिका काफी बहादुर प्रकृति की इंसान हैं। तभी खुंभू हिमपात के हादसे और काफी सारी चुनौतियों को पार करके उन्होंने एवरेस्ट फतह किया।
- साहसी: लेखिका काफी साहसी हैं। तभी हिमपात और बर्फ खिसकने जैसे काफी घटनाओं के बाद भी एवरेस्ट फतह का उनका सपना टूटा नहीं।
- दृढ़ निश्चय वाली: लेखिका ने बर्फ के नीचे दबने के बाद भी हार न मानी और कुछ दिनों बाद ही एवरेस्ट फतह कर ली।
- आध्यात्मिक: लेखिका काफी आध्यात्मिक प्रकृति की इंसान हैं। तभी एवरेस्ट फतह के बाद फोटो खींचने के बजाय उन्होंने दुर्गा मां और हनुमान चालीसा को कपड़े में लपेटकर बर्फ में दबा दिया।
- विनम्र: लेखिका काफी विनम्र प्रकृति की व्यक्ति है। तभी एवरेस्ट फतह करने के बाद अपने से छोटे उम्र के अंगदोरजी की यात्रा में उनकी सहायता करने के लिए सिर झुकाकर उनका अभिवादन किया।
लेखिका (बचेंद्री पाल ) के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of the Writer)
- लेखिका क्यों सहम गई?
- लेखिका की किस बात को सुनकर कर्नल खुल्लर सहम गए?
कर्नल खुल्लर का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Colonel Khullar)
- साहस और दृढ़ संकल्प: कर्नल खुल्लर का चरित्र साहस और दृढ़ संकल्प से भरा हुआ है। एवरेस्ट की ऊँचाइयों को छूने का उनका संकल्प और इस कठिन यात्रा के दौरान दिखाया गया साहस उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं। कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किया।
- नेतृत्व क्षमता: कर्नल खुल्लर एक उत्कृष्ट नेता हैं। उन्होंने अपनी टीम का नेतृत्व किया और सभी को प्रेरित किया। उनकी नेतृत्व क्षमता से पूरी टीम में एकजुटता और अनुशासन बना रहा, जो कि इस कठिन यात्रा के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।
- प्रेरणादायक व्यक्तित्व: कर्नल खुल्लर का व्यक्तित्व प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने साहस, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व क्षमता से अपने साथियों को प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से पूरी टीम ने कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही।
- धैर्य और सहनशीलता: कर्नल खुल्लर धैर्य और सहनशीलता के प्रतीक हैं। एवरेस्ट की चुनौतीपूर्ण यात्रा के दौरान उन्होंने धैर्य और सहनशीलता का परिचय दिया। उनकी यह विशेषताएँ उन्हें एक महान पर्वतारोही और नेता बनाती हैं।
- सहयोग और सामंजस्य: कर्नल खुल्लर सहयोग और सामंजस्य में विश्वास करते हैं। उन्होंने टीम के हर सदस्य के साथ मिलकर काम किया और सभी के सुझावों और विचारों का सम्मान किया। उनकी यह विशेषता टीम के भीतर एकता और सामंजस्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण रही।
- व्यावहारिकता: कर्नल खुल्लर व्यावहारिक सोच के व्यक्ति हैं। उन्होंने एवरेस्ट की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों और ज्ञान का सही उपयोग किया और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समस्याओं का समाधान किया। उनकी यह विशेषता उन्हें एक सक्षम और प्रभावी नेता बनाती है।
- मानवीयता और संवेदनशीलता: कर्नल खुल्लर का चरित्र मानवीयता और संवेदनशीलता से भरा है। उन्होंने अपनी टीम के हर सदस्य की भावनाओं और आवश्यकताओं का ध्यान रखा और कठिन परिस्थितियों में भी मानवीयता का परिचय दिया।
कर्नल खुल्लर के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Colonel Khullar)
- कर्नल खुल्लर के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए?
- कर्नल खुल्लर का लेखिका से किस प्रकार का नाता था?
अंगदोरजी का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Angdorji)
- साहस और धैर्य: अंगदोरजी का साहस और धैर्य उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी टीम का मनोबल बनाए रखा। उनके साहस ने टीम को प्रेरित किया और उन्हें कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति दी।
- कुशलता और अनुभव: अंगदोरजी एक अनुभवी शेरपा हैं। उनके पास पर्वतारोहण का गहरा अनुभव है और उन्होंने इस यात्रा में अपनी कुशलता का पूरा उपयोग किया। उनकी जानकारी और अनुभव ने टीम को सुरक्षित और सफलतापूर्वक एवरेस्ट की चढ़ाई में मदद की।
- सेवा भावना और निष्ठा: अंगदोरजी का चरित्र सेवा भावना और निष्ठा से ओत-प्रोत है। उन्होंने निस्वार्थ भाव से अपनी टीम की सेवा की और हर संभव सहायता प्रदान की। उनकी निष्ठा और समर्पण ने टीम के सभी सदस्यों का विश्वास और सम्मान जीता।
- सहयोग और सामंजस्य: अंगदोरजी का सहयोगी और सामंजस्यपूर्ण स्वभाव उनकी विशेषताओं में से एक है। उन्होंने टीम के साथ मिलकर काम किया और हर सदस्य के साथ सामंजस्य बनाए रखा। उनके सहयोगी स्वभाव ने टीम को एकजुट और संगठित रखा।
- साहसिकता और संकल्प: अंगदोरजी में अदम्य साहसिकता और संकल्प है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपने संकल्प को डिगने नहीं दिया और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। उनकी साहसिकता ने टीम को प्रेरित किया और एवरेस्ट की चढ़ाई को सफल बनाया।
- विनम्रता और संवेदनशीलता: अंगदोरजी विनम्र और संवेदनशील व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने अनुभव और कुशलता के बावजूद कभी अहंकार नहीं दिखाया और सभी के साथ समानता और आदर के साथ व्यवहार किया। उनकी संवेदनशीलता और विनम्रता ने टीम में एक सकारात्मक माहौल बनाया।
अंगदोरजी के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Angdorji)
- लेखिका ने आदर पूर्वक अंगदोरजी को क्यों प्रणाम किया?
- दक्षिणी शिखर चढ़ने में अंगदोरजी ने किस प्रकार मदद की।
Everest: Meri Shikhar Yatra Summary
प्रस्तुत पाठ में बछेंद्री पाल अपने एवरेस्ट अभियान का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उनका दल 7 मार्च को दिल्ली से एवरेस्ट फतह करने हेतु काठमांडू के लिए निकला। निकलते समय लेखिका में नमचे बाजार से माउंट एवरेस्ट को बड़े ध्यान से देखा। लेखिका आगे बताती है कि उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर एक बहुत बड़ा और भारी बर्फ का फूल देखा।
लेखिका कहती है कि यह बर्फ का फूल तेज हवा के कारण बनता है । जब 26 मार्च को उनका दल पेरिच पहुंचा तो पता चला कि कुलियों में से एक कुली की बर्फ खिसक जाने के कारण मृत्यु हो गई तथा 4 लोग घायल हो गए।
जब लेखिका का दल बेस कैंप पहुंचा तो खराब जलवायु के कारण रसोइए सहायक की भी मृत्यु हो गई।
29 अप्रैल को उनका दल 7900 मी स्थित ऊंचाई पर एक बेस कैंप में पहुंचा तो वहां पर उपस्थित तेनजिंग नोर्गे ने उन लोगों का हौसला बढ़ाया।
लेखिका आगे बताती है कि यह 15-16 मई 1984 का समय था। जब अचानक रात को 12:30 बजे उनके कैंप पर ग्लेशियर जाकर टूट गया, जिससे उनका काम तबाह हो गया और प्रत्येक व्यक्ति को चोट आ गई। इस हादसे में लेखिका बर्फ के नीचे दब गई थी।
लेखिका आगे बताती है कि कुछ दिनों बाद ही वह आज तक परिश्रम के बाद एवरेस्ट शिखर के कैंप पर पहुंच गए। यह 23 मई 1984 दोपहर 1:07 का समय था। इस तरह से लेखिका एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई।
लेखिका ने एवरेस्ट फतह करने के बाद सागरमाथे के ताज को चूमा और दुर्गा मां तथा हनुमान चालीसा को कपड़े में लपेटकर बर्फ में दबा दिया। सभी ने उनको बधाइयां दी।
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