लेखक ( शरद जोशी) औरअतिथि का चरित्र-चित्रण | Character Sketch of Author and Atithi from CBSE Class 9 Hindi Chapter 3 तुम कब जाओगे अतिथि
“तुम कब जाओगे अतिथि” शरद जोशी की एक कृति है। इसमें लेखक ने अपने घर आए अतिथि के बारे में अपनी मनो: स्थिति का बड़ा ही संजीव तरीके से वर्णन किया है।
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लेखक ( शरद जोशी) का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of the Author)
- सहनशीलता और धैर्य: लेखक के घर में अतिथि का आगमन होता है और वह लंबे समय तक रुक जाता है। लेखक इस स्थिति को सहन करता है और धैर्यपूर्वक अतिथि की सभी मांगों को पूरा करता है, भले ही इससे उसकी निजी और पारिवारिक जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- संवेदनशीलता: लेखक अपने अतिथि की भावनाओं का ख्याल रखता है और उसे अपमानित नहीं करना चाहता। वह अतिथि को यह एहसास नहीं होने देता कि उसकी उपस्थिति से कोई असुविधा हो रही है।
- विनम्रता और शिष्टता: लेखक विनम्र और शिष्ट है। वह अतिथि का स्वागत करता है और उसकी सेवा में तत्पर रहता है। उसकी शिष्टता उसे अतिथि को सीधे-सीधे घर छोड़ने के लिए कहने से रोकती है।
- वास्तविकता से जुड़ा हुआ: लेखक का चरित्र यथार्थवादी है। वह समझता है कि अतिथि का लंबा ठहराव किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन वह इस स्थिति को हल करने के लिए व्यावहारिक समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करता है।
- व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण: लेखक का चरित्र व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है। कहानी में हास्य और व्यंग्य का पुट लेखक की सोच और उसकी स्थिति को दर्शाने के लिए उपयोग किया गया है। लेखक के व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि वह अतिथि की स्थिति से परेशान है, लेकिन फिर भी उसे अपनी हंसी में परिवर्तित करता है।
6.आत्मसंयम: लेखक आत्मसंयमी है। वह अपने गुस्से और असंतोष को नियंत्रित करता है और अतिथि को आदर और सम्मान देता है, जो उसके आत्मसंयम को दर्शाता है।
लेखक के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Author)
- लेखक का बटुआ अतिथि को देखकर क्यों कांप गया?
- लेखक ने किस प्रकार अथिति के देवत्व की व्यंगात्मक तुलना खुद से की?
अतिथि का चरित्र-चित्रण (Character Sketch of Atithi)
- अधिकार जताने वाला: अतिथि घर में ऐसे रहता है जैसे वह उसका अपना घर हो। वह किसी भी प्रकार का संकोच या झिझक नहीं दिखाता और घर के संसाधनों का मुक्त उपयोग करता है। इससे स्पष्ट होता है कि वह अधिकार जताने वाला स्वभाव रखता है।
- असंवेदनशील: अतिथि घर में रहते हुए गृहस्वामी और उसके परिवार की असुविधाओं के प्रति असंवेदनशील है। वह यह नहीं समझता कि उसकी उपस्थिति से दूसरों को परेशानी हो रही है। उसकी असंवेदनशीलता इस बात से प्रकट होती है कि वह बिना किसी कारण के लंबे समय तक ठहरता है।
- आरामपसंद: अतिथि का चरित्र आलसी है। वह अपने दिन का अधिकांश समय आराम करते हुए, सोते हुए, या टीवी देखते हुए बिताता है। उसके आलस्य से यह स्पष्ट होता है कि वह किसी प्रकार की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है।
- मांग करने वाला: अतिथि गृहस्वामी से विभिन्न प्रकार की मांगें करता है, चाहे वह भोजन की हो या किसी अन्य सुविधा की। वह अपने मेजबानों को परेशान करने में कोई झिझक महसूस नहीं करता और अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए अड़े रहता है।
- निर्लज्ज: अतिथि में निर्लज्जता का गुण भी है। वह यह सोचकर परेशान नहीं होता कि उसकी उपस्थिति से दूसरों को असुविधा हो रही है। उसकी निर्लज्जता इस बात से प्रकट होती है कि वह बिना बुलाए लंबे समय तक ठहरता है और अपनी उपस्थिति को सही ठहराता है।
- आत्मकेंद्रितता: अतिथि का चरित्र आत्मकेंद्रित है। वह केवल अपनी सुविधाओं और इच्छाओं के बारे में सोचता है और दूसरों की भावनाओं और आवश्यकताओं की उपेक्षा करता है। उसकी आत्मकेंद्रितता से यह स्पष्ट होता है कि वह केवल अपने आराम की परवाह करता है।
अतिथि के चरित्र सम्बंधित प्रश्न (Questions related to Character of Atithi)
- लेखक के अनुसार अतिथि के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।
- अतिथि ने लेखक से किस किस विषय में चर्चा की?
Tum Kab Jaoge Atithi Summary
लेखक घर पर आए अतिथि का बड़ा ही व्यंग्यात्मक तरीके से वर्णन करते हुए कहते हैं कि हे! अतिथि जब मैंने तुमको देखा तो मेरा बटुआ कांप गया था, फिर भी मैं और मेरी पत्नी ने बेहद ही भर्षक मुस्कान से आपका स्वागत किया।
कुछ समय बाद अतिथि का ठहराव लंबा होता जाता है। अतिथि की लंबी उपस्थिति से परिवार के सदस्यों का धैर्य खत्म होने लगता है और उनकी दिनचर्या में बाधा उत्पन्न होती है।
लेखक कई तरीकों से अतिथि को यह संकेत देने की कोशिश करता है कि अब उसे जाना चाहिए, लेकिन अतिथि इन संकेतों को समझने या मानने के मूड में नहीं होता। वे कभी जानबूझकर व्यस्त होने का दिखावा करते हैं, तो कभी आर्थिक तंगी का बहाना बनाते हैं, लेकिन अतिथि पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।
अंत में, कहानी यह संदेश देती है कि अतिथि का समय पर चले जाना ही सबसे अच्छा होता है। अतिथि चाहे कितना भी प्रिय क्यों न हो, उसकी लंबी उपस्थिति मेजबानों के लिए असुविधा का कारण बन सकती है।
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