CBSE Class 9 Hindi Chapter 6 Raidas Ke Pad (रैदास के पद) Question Answers (Important) from Sparsh Book
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रैदास के पद NCERT Solutions
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1 – पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर – पहले पद में भगवान् की तुलना चंदन से और भक्त की तुलना पानी से, भगवान् की तुलना बादल से और भक्त की तुलना मोर से, भगवान् की तुलना चाँद से और भक्त की तुलना चकोर से, भगवान् की तुलना मोती से और भक्त की तुलना धागा से, भगवान् की तुलना दीपक से और भक्त की तुलना बाती से और भगवान् की तुलना सोने से और भक्त की तुलना सुहागे से की गई है।
प्रश्न 2 – पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे: पानी, समानी, आदि। इस पद में अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर – इस पद में अन्य तुकांत शब्द मोरा-चकोरा, बाती-राती, धागा-सुहागा, दासा-रैदासा हैं।
प्रश्न 3 – पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए: उदाहरण: दीपक – बाती
उत्तर – पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं जैसे – चंदन-पानी, घन-बनमोरा, चंद-चकोरा, सोनहि-सुहागा।
प्रश्न 4 – दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – दूसरे पद में भगवान को ‘गरीब निवाजु’ कहा गया है क्योंकि भगवान गरीबों और दीन-दुःखियों पर दया करने वाले हैं।
प्रश्न 5 – दूसरे पद की ‘जाकी छोती जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढ़रै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भगवान के छूने से अछूत मनुष्यों का भी कल्याण हो जाता है क्योंकि भगवान अपने प्रताप से किसी नीच जाति के मनुष्य को भी ऊँचा बना सकते हैं अर्थात भगवान् मनुष्यों के द्वारा किए गए कर्मों को देखते हैं न कि किसी मनुष्य की जाति को। अछूत से अभी भी बहुत से लोग बच कर चलते हैं और अपना धर्म भ्रष्ट हो जाने से डरते हैं। अछूत की स्थिति समाज में दयनीय है। ऐसे लोगों का उद्धार भगवान ही करते हैं।
प्रश्न 6 – रैदास ने अपने स्वामी को किन किन नामों से पुकारा है?
उत्तर – रैदास ने अपने स्वामी को गुसईआ (गोसाई) और गरीब निवाजु (गरीबों का उद्धार करने वाला) पुकारा है।
प्रश्न 7 – निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए – मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, छोति, तुहीं, गुसईआ।
उत्तर – मोरा – मोर
चंद – चाँद
बाती – बत्ती
जोति – ज्योति
बरै – जलना
राती – रात
छत्रु – छाता
छोति – छूने
तुहीं – तुम्हीं
गुसईआ – गोसाई
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1 – जाकी अँग-अँग बास समानी।
उत्तर – भगवान उस चंदन के समान हैं जिसकी सुगंध अंग-अंग में समा जाती है।
प्रश्न 2 – जैसे चितवन चंद चकोरा।
उत्तर – जैसे चकोर हमेशा चांद को देखता रहता है वैसे कवि भी भगवान् को देखते रहना चाहता है।
प्रश्न 3 – जाकी जोति बरै दिन राती।
उत्तर – भगवान यदि एक दीपक हैं तो भक्त उस बाती की तरह है जो प्रकाश देने के लिए दिन रात जलती रहती है।
प्रश्न 4 – ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।
उत्तर – भगवान इतने महान हैं कि वह कुछ भी कर सकते हैं। भगवान के बिना कोई भी व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता।
प्रश्न 5 – नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै।
उत्तर – भगवान यदि चाहें तो निचली जाति में जन्म लेने वाले व्यक्ति को भी ऊँची श्रेणी दे सकते हैं। क्योंकि भगवान् कर्मों को देखते हैं जाति को नहीं।
Class 9 Hindi रैदास के पद Question Answers Lesson 6 – सार-आधारित प्रश्न (Extract Based Questions)
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
पद्यांश को पढ़कर पूंछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
1)
अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रेदासा॥
i. प्रस्तुत पद्यांश में रैदास किसकी भक्ति कर रहे हैं?
(क) श्री कृष्ण
(ख) राम
(ग) प्रेम
(घ) देवी मां
उत्तर: (ख) राम
ii. रैदास ने खुद को पानी तो भगवान को क्या बोला?
(क) बर्फ
(ख) चंदन
(ग) अमृत
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (ख) चंदन
iii. रैदास ने खुद को मोर तो भगवान को क्या बोला?
(क) बादल
(ख) मोरनी
(ग) बसंत
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: (क) बादल
iv. रैदास ने खुद को चकोर तो भगवान को क्या बोला?
(क) सूरज
(ख) चंद्रमा
(ग) बादल
(घ) बसंत
उत्तर: (ख) चंद्रमा
2)
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।
गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥
जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै।
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै॥
नामदेव कबीरू तिलोचनु सधना सैनु तरे।
कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै॥
i. प्रस्तुत पद्यांश में रैदास जी ने “गरीब निवाजु” किसको कहा है?
(क) श्री कृष्ण
(ख) राम
(ग) प्रेम
(घ) देवी मां
उत्तर: (क) श्री कृष्ण
ii. रैदास ने खुद को दास तो भगवान को क्या बोला?
(क) राजा
(ख) मालिक
(ग) पिता
(घ) बड़ा भाई
उत्तर: (ख) मालिक
iii. रैदास किसकी तरह अपने प्रभु की भक्ति करते हैं?
(क) दास
(ख) सेवक
(ग) भिक्षुक
(घ) बेटा
उत्तर: (क) दास
iv. रैदास के अनुसार उनके प्रभु गरीब लोगों पर किस प्रकार की कृपा करते हैं?
(क) धन धान्य से समृद्ध कर देते हैं
(ख) उनकी सारी ख्वाहिश पूरी करते हैं
(ग) उनको सद्बुद्धि देते हैं
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी
Class 9 Hindi रैदास के पद प्रश्न और उत्तर (including questions from Previous Years Question Papers)
1.प्रस्तुत पाठ में रैदास ने अपनी और भगवान की तुलना किससे किससे की है?
उत्तर: प्रस्तुत पाठ में रैदास ने अपनी और भगवान की तुलना निम्न चीजों से की है;
भगवान | रैदास |
चंदन | पानी |
बादल | मोर |
दीपक | बाती |
मोती | धागा |
स्वामी | दास |
2. रैदास “गरीब निवाजु” किसको कहा है?
उत्तर: रैदास ने गरीब निवाजु अर्थात गरीबों पर दया कृपा बरसाने वाले भगवान श्री कृष्ण को कहा है।
3. “जाकी अँग-अँग बास समानी” पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रैदास जी कह रहे हैं कि वह अपने प्रभु की भक्ति में इस तरह से रम गए हैं जैसे कि चंदन पानी के संपर्क में आने से रम जाता है और पानी उसके अंग अंग में बस जाता है ठीक उसी प्रकार रैदास के लाल के संपर्क में आने से रैदास उनके प्रेम में और भक्ति में इस तरह से रम गए हैं कि अब प्रभु रैदास के अंग अंग में बस गए हैं।
4. “जैसे चितवत चंद चकोरा” पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रैदास जी अपने प्रभु से विनती करते हुए कहते हैं कि हे प्रभु आप बादल हैं तो हम मोर हैं। जिस प्रकार मोर बादलों को देखकर खुशी से नाचने लगता है और चकोर नामक पंछी चंद्रमा को देखकर नाचने लगता है ठीक उसी प्रकार हे प्रभु अगर आप दर्शन दे देते तो मेरा यह जीवन धन हो जाता और मेरी आत्मा भी इस मोर और चकोर की भांति नृत्य करने लगती।
5. “जाकी जोति बरै दिन राती” पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: रैदास जी कह रहे हैं कि हे प्रभु! आपकी कृपा और भक्ति की ज्योति दिन रात मेरे मन और जीवन में जल रही है और मेरे जीवन को प्रज्वलित कर रही है।
6. “ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करे” पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हे स्वामी! जो अगर प्रसन्न हो जाए तो गरीब के सिर में छत्र धारण करवा देता है अर्थात् गरीब को भी राजा के समान अमीर बना देता है और जो नीच से नीच व्यक्ति को भी ऊपर उठा देता है ऐसी कृपा मेरे लाल के अलावा कोई नहीं कर सकता है।
7. “नीचहु ऊच करे मेरा गोबिंदु काहू ते न डरे” पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हे स्वामी! आप निम्न श्रेणी के साधक को भी समाज में उच्च पद प्राप्त करवाते हैं और आपकी कृपा प्राप्त करने वाले वह निम्न प्राणी भी किसी से ना डरते हुए निर्भीक और सुखी जीवन जीता है।
8. रैदास ने अपने स्वामी को किन किन नामों से बुलाया है?
उत्तर: रैदास ने अपने स्वामी को चंदन, बादल, दीपक, मोती और स्वामी नाम से बुलाया है।
9. रैदास को किसके नाम की रट लगी है?
उत्तर: रैदास को अपने प्रभु की रट लगी हुई है। वह अपने प्रभु से इस तरह घुल मिल गए हैं जैसे चंदन पानी से घुल मिल जाता है और वह कह रहे हैं कि अब उनको अपने प्रभु से कोई अलग नहीं कर सकता है।
10. दूसरे पद में रैदास ने किसका वर्णन किया है?
उत्तर: दूसरे पद में रैदास जी कह रहे हैं कि जो अगर प्रसन्न हो जाए तो गरीब के सिर में छत्र धारण करवा देता है अर्थात् गरीब को भी राजा के समान अमीर बना देता है और जो नीच से नीच व्यक्ति को भी ऊपर उठा देता है ऐसी कृपा मेरे लाल के अलावा कोई नहीं कर सकता है।
रैदास जी आगे कह रहे हैं कि हे! दुनिया के सभी संतो अगर आप मेरे लाल की ही पूजा करेंगे तभी आपका कल्याण हो सकता है।
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