NCERT Class 9 Hindi Sparsh Book Chapter 3 Tum Kab Jaoge Atithi Important Question Answers for Term 2 exam
Tum Kab Jaoge Atithi Important Question Answers – Here are the Tum Kab Jaoge Atithi Question Answers for CBSE Class 9 Hindi Sparsh Book Chapter 3 for Term 2 exam. The important questions we have compiled will help the students to brush up on their knowledge about the subject.
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- Tum Kab Joage Atithi Short Question Answers
- Tum Kab Joage Atithi Long Question Answers
- Tum Kab Jaoge Atithi Extra Question Answers – 25 to 30 Words
- Extra Question Answers – 60 से 70 शब्दों में
- “तुम कब जाओगे अतिथि” Class 9 Hindi Chapter 3 Summary, Explanation, Notes, NCERT Solutions
- NCERT Class 9 Hindi Chapter 3 MCQs
Tum Kab Joage Atithi Short Question Answers – 25 से 30 शब्दों में
प्रश्न 1 – लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर – लेखक चाहता था कि अतिथि दूसरे दिन ही चला जाता तो अच्छा होता। फिर वह अतिथि को भावभीनी विदाई देता। वह अतिथि को स्टेशन तक छोड़ने भी जाता। परन्तु जब अतिथि पाँचवे दिन भी नहीं गया तो लेखक की उम्मीदें धरी की धरी रह गई।
प्रश्न 2 – पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए-
(क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
उत्तर – यह प्रसंग तब का है जब अतिथि का आगमन हुआ था। अतिथि के आने से उसके स्वागत सत्कार के खर्चे बढ़ जाते हैं। इससे एक मध्यम वर्गीय परिवार का पूरा बजट बिगड़ सकता है। इसलिए लेखक उस अनावश्यक खर्चे को लेकर चिंतित हो रहा था।
(ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
उत्तर – एक कहावत है, “अतिथि देवो भव”। इसका मतलब होता है कि अतिथि देवता के समान होता है। लेकिन जब लेखक के अतिथि ने तीसरे दिन कपड़े धुलवाने के बहाने यह इशारा कर दिया कि वह अभी और दिन रुकेगा तो लेखक की समझ में आया कि अतिथि हमेशा देवता नहीं होता।
लेखक को लगने लगा कि अतिथि एक मानव होता है जिसमें राक्षस की प्रवृत्ति भी दिखाई देती है। इसी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण अतिथि लंबे समय तक टिक जाता है और अलग-अलग तरीकों से मेजबान को दुखी करता रहता है।
(ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।
उत्तर – लेखक का अतिथि ऐसा व्यक्ति है जिसे दूसरे का घर बड़ा अच्छा लगता है। दूसरे के घर ठहरने पर एक व्यक्ति खर्चे जोड़ने की चिंता से मुक्त रहता है और अपनी सारी परेशानियों को भूलकर आतिथ्य का आनंद लेता है। लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इससे मेजबान के सुखी जीवन में खलल पड़ने लगता है। इसलिए लेखक का मानना है कि अपने घर की मधुरता का आनंद लेना चाहिए लेकिन किसी दूसरे के घर की सुख शांति में खलल नहीं डालना चाहिए।
(घ) मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
उत्तर – लेखक को उम्मीद है कि जब पाँचवे दिन का सूर्य निकलेगा तो वह अतिथि को इस बात के लिए जागृत कर देगा कि वह अपने घर वापस चला जाए। अन्यथा उस दिन लेखक की सहनशीलता टूट जाएगी। उसके बाद लेखक को मजबूरन अतिथि से जाने के लिए कहना पड़ेगा।
(ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
उत्तर – लेखक मन ही मन अतिथि से कहना चाहता है कि अतिथि और मेजबान अधिक दिनों तक साथ नहीं रह सकते। भगवान भी दर्शन देने के फौरन बाद चला जाता है। गणपति की पूजा में ग्यारह दिन के बाद गणपति का विसर्जन कर दिया जाता है। इसलिए अतिथी रूपी देवता को भी अधिक दिनों तक नहीं रुकना चाहिए।
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Tum Kab Joage Atithi Long Question Answers – 50 से 60 शब्दों में
प्रश्न 1 – कौन सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर – तीसरे दिन सुबह जब अतिथि ने कपड़े धुलवाने की बात की तो उसने परोक्ष रूप से यह बतला दिया कि वह इतनी आसानी से जाने वाला नहीं। यह आघात लेखक के लिए अप्रत्याशित था। उस समय लेखक की समझ में आया कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता, बल्कि एक इंसान होता है जिसमें राक्षस के भी अंश होते हैं। वह अतिथि ऐसे राक्षस की तरह बरताव करने लगा था जिससे मेजबान को असह्य पीड़ा होने लगे।
प्रश्न 2 – ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना’ – इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
उत्तर – इस पंक्ति का मतलब है कि संबंधों के अच्छे दौर समाप्त हो गये हैं और लोग किसी तरह से संबंधों को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं। लेखक और उसके अतिथि के बीच पहले दिन तो बड़े उल्लासपूर्ण माहौल में बातचीत चलती रही। उन दोनों ने लगभग हर उस विषय पर बातचीत कर ली जिन पर बातचीत की जा सकती थी। लेखक ने अतिथि के सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी। लेकिन जब अतिथि के प्रवास की अवधि खिंचती चली गई तो फिर लेखक उसके बोझे को ढ़ो रहा था। अब स्थिति ये हो गई थी कि मेजबान बस इस इंतजार में था कि अतिथि किसी तरह से उसका पीछा छोड़ दे।
प्रश्न 3 – जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर – जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में कई बदलाव आए। अब उसने अतिथि से बातचीत करना लगभग बंद कर दिया। उसकी पत्नी ने अच्छे खाने की जगह खिचड़ी परोसना शुरु कर दिया। दोनों पति पत्नी मन ही मन खिन्न हो रहे थे और भगवान से उस अतिथि के जाने की दुआ माँग रहे थे। यहाँ तक कि लेखक सोचने लगा था कि यदि अतिथि पाँचवे दिन भी नहीं गया तो उसे और उसकी पत्नी को उपवास करना पड़ेगा। लेखक को अतिथि थोड़ा-थोड़ा राक्षस तक प्रतीत होने लगा था। यहाँ तक कि लेखक का मन उसे गेट आउट कहने को करने लगा।
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Tum Kab Jaoge Atithi Extra Question Answers – 25 to 30 Words
प्रश्न 1 – लेखक के मन में यह प्रश्न बार-बार क्यों आ रहा था कि ‘तुम कब जाओगे, अतिथि?
उत्तर – अतिथि को लेखक के घर में आए हुए चार दिन हो गए थे और पिछले दो दिनों से वह अतिथि को कलैंडर दिखाकर तारीखें भी बदल रहा था क्योंकि लेखक अतिथि की सेवा करके थक गया था। पर चौथे दिन भी अतिथि के जाने की कोई संभावना नहीं लग रही थी। लेखक अपने मन में अतिथि को कहता है कि अब तुम लौट जाओ, अतिथि! तुम्हारे जाने के लिए यह उच्च समय अर्थात हाईटाइम बिल्कुल सही वक्त है।
प्रश्न 2 – अतिथि को आया देख लेखक की क्या दशा हुई और क्यों?
उत्तर – अतिथि को असमय आया देख पहले तो लेखक खुश हुआ लेकिन तुरंत ही लेखक ने सोचा कि यह अतिथि अब पता नहीं कितने दिन रुकेगा और इसके रुकने पर उसका आर्थिक बजट भी खराब हो जाएगा। इसका अनुमान लगाते ही लेखक का हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा।
प्रश्न 3 – लेखक का हृदय अतिथि के आने पर अनजान डर से क्यों धड़क उठा था ?
उत्तर – जब अतिथि लेखक के घर आया था , उस दिन लेखक का हृदय किसी अन्जान डर से धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं लेखक का बटुआ काँप गया था। क्योंकि लेखक को पता था कि अतिथि के सत्कार में उसकी सारी जमा पूँजी खर्च हो जाएगी और उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी।
प्रश्न 4 – हमारे देश में अतिथि को देवता माना जाता है।
लेखक ने घर आए अतिथि के साथ ‘अतिथि देवो भवः’ इस परंपरा का निर्वाह किस तरह किया?
उत्तर – लेखक ने जब अतिथि को अपने घर आया देखा तो लेखक ने स्नेह भीगी मुसकराहट के साथ उसका स्वागत किया और उस से गले मिला। उसने अतिथि को हमेशा के साधारण भोजन के स्थान पर उच्च मध्यम वर्ग का डिनर करवाया, जिसमें दो-दो सब्जियों के अलावा रायता और मिष्ठान भी था। इस तरह उसने ‘अतिथि देवो भव’ परंपरा का निर्वाह किया।
प्रश्न 5 – अपनी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाने के डर के बावजूद भी लेखक ने अतिथि के सत्कार में कोई कमी नहीं आने दी। पाठ के आधार पर समझाइए?
उत्तर – अपनी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाने के डर के बावजूद एक प्यार से भीगी हुई मुस्कराहट के साथ लेखक ने अतिथि को गले से लगाया था और लेखक की पत्नी ने अतिथि को सादर नमस्ते की थी। अतिथि के लिए लेखक ने उस दिन दो सब्ज़ियों और रायते के अलावा मीठा भी बनाया था। इस सारे उत्साह और लगन के मूल में लेखक को एक उम्मीद थी कि दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार अतिथि सत्कार की छाप अपने हृदय में ले कर अतिथि चला जायेगा।
प्रश्न 6 – ‘आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान’ कहकर लेखक ने किस ओर संकेत किया है?
उत्तर – ‘आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान’ कहकर अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति की ओर संकेत किया है। लेखक के घर आया अतिथि चौथे दिन भी अपने घर जाने के लिए कोई संकेत नहीं देता है, जबकि उसके इतने दिन रुकने से लेखक के घर का बजट और उसकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी थी।
प्रश्न 7 – लेखक अपने अतिथि को दिखाकर दो दिनों से कौन-सा कार्य कर रहा था और क्यों?
उत्तर – लेखक अपने अतिथि को दिखाकर दो दिनों से तारीखें बदल रहा था। ऐसा करके वह अतिथि को यह बताना चाह रहा था कि उसे यहाँ रहते हुए चौथा दिन शुरू हो गया है। तारीखें देखकर शायद उसे अपने घर जाने की याद आ जाए। और अतिथि लेखक के घर से चला जाए।
प्रश्न 8 – दूसरे दिन लेखक को क्या उम्मीद थी?
उत्तर – दूसरे दिन भी अतिथि मुस्कान बनाए लेखक के घर में ही बने रहे। लेखक ने अपने दुःख को पी लिया और प्रसन्न बने रहे। लेखक ने फिर दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि को अतिथि को सिनेमा दिखाया। लेखक के सत्कार का यह आखिरी छोर था, जिससे आगे लेखक कभी किसी के लिए नहीं बढे़ थे। इसके तुरंत बाद लेखक को अनुमान था कि विदाई का वह प्रेम से ओत-प्रोत भीगा हुआ क्षण आ जाना चाहिए था, जब अतिथि विदा होता और लेखक उसे स्टेशन तक छोड़ने जाता। पर अतिथि ने ऐसा नहीं किया। वह लेखक के घर पर ही रहा।
प्रश्न 9 – अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने किस आशा के साथ अतिथि का सत्कार किया? और, किस रूप में?
उत्तर – अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि में सिनेमा दिखाया। लेखक ने सोचा कि इसके बाद तुरंत भावभीनी विदाई होगी। वह अतिथि को विदा करने स्टेशन तक जाएँगे। इसी आशा के साथ लेखक ने दूसरे दिन भी अतिथि का सत्कार किया।
प्रश्न 10 – लेखक ने पाठ में एस्ट्रानॉट्स का उल्लेख किस संदर्भ में किया है?
उत्तर – लेखक ने एस्ट्रोनॉट्स का उल्लेख घर आए अतिथि के संदर्भ में किया है। लेखक अतिथि को यह बताना चाहता है कि लाखों मील लंबी यात्रा करने बाद एस्ट्रानॉट्स भी चाँद पर इतने समय नहीं रुके थे जितने समय से अतिथि उसके घर रुका हुआ है।
प्रश्न 11 – तीसरे दिन की सुबह जब अतिथि ने लेखक से कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है तब लेखक के मन में क्या विश्वास जागा था?
उत्तर – तीसरे दिन की सुबह जब अतिथि ने लेखक से कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है। तब लेखक अतिथि से कहता है कि कपड़ों को किसी लॉण्ड्री में दे देते हैं इससे वे जल्दी धुल जाएंगे, लेखक के मन में एक विश्वास पल रहा था कि शायद अतिथि को अब जल्दी जाना है। लॉण्ड्री पर दिए कपडे़ धुलकर आ गए और अतिथि अब भी लेखक के घर पर ही था।
Class 9 Hindi Sanchayan Book Chapter-wise Lesson Explanation
Extra Question Answers – 60 से 70 शब्दों में
प्रश्न 1 – अधिक दिन लेखक के घर में ही रहने के कारण अब अतिथि की ओर लेखक का रवैया कैसे बदल गया था?
उत्तर – अतिथि को देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब कही गायब हो गई थी। ठहाकों के रंगीन गुब्बारे, जो कल तक कमरे के आकाश में उड़ते थे, अब दिखाई नहीं पड़ते। परिवार, बच्चे, नौकरी, फिल्म, राजनीति, रिश्तेदारी, तबादले, पुराने दोस्त, परिवार-नियोजन, मँहगाई, साहित्य और यहाँ तक कि आँख मार-मारकर लेखक और अतिथि ने पुरानी प्रेमिकाओं का भी जिक्र कर लिया और अब एक चुप्पी थी। ह्रदय की सरलता अब धीरे-धीरे बोरियत में बदल गई थी। पर अतिथि जा नहीं रहा था। अब लेखक के मन में बार-बार यह प्रश्न उठ रहा था कि तुम कब जाओगे, अतिथि? लेखक की पत्नी ने धीरे से लेखक से पूछा भी था कि कब तक टिकेंगे ये? लेखक ने कंधे उचका कर कहा था कि वह क्या कह सकता है? लेखक की पत्नी ने अब गुस्से से कह दिया था कि वह अब खिंचड़ी बनाएगी क्योंकि वह खाने में हल्की रहेगी। लेखक अपने मन ही कहता है कि अतिथि के सत्कार करने की उसकी क्षमता अब समाप्त हो रही थी। डिनर से चले थे, खिचड़ी पर आ गए थे। अब भी अगर अतिथि नहीं जाता तो लेखक और उसकी पत्नी को उपवास तक जाना होगा। लेखक चाहता है कि अतिथि अब चला जाए।
प्रश्न 2 – बातचीत की उछलती गेंद चर्चा के क्षेत्र के सभी कोनों से टप्पे खाकर फिर सेंटर में आकर चुपचाप पड़ी हैं – तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेखक ने अतिथि से घर-परिवार, दोस्तों, नौकरी, राजनीति, फिल्म, साहित्य, परिवार नियोजन, महँगाई और यहाँ तक कि पुरानी प्रेमिकाओं तक के विषय में काफी बातें कर ली थीं। अब उनके सारे विषय खत्म हो चुके थे। बातचीत रूपी गेंद विषय रूपी कमरे के सारे कोनों को छू आई थी और अब वह शांत पड़ी थी। इस सबका कारण अतिथि का लेखक के घर लंबे समय तक रुकना था। लेखक को लगने लगा था कि यदि अतिथि का मन बातों में ज्यादा ही रम गया तो वह और ज्यादा समय के लिए लेखक के घर में रहेगा और फिर एक ही बात करते-करते उसे बोरियत भी होने लगी थी। अब लेखक और अतिथि चुप चाप पुस्तक और अखबार पकड़ के बैठे रहते थे और लेखक अतिथि को दिखा-दिखाकर क्लैंडर की तारीखें बदल रहा था, ताकि अतिथि को अपने घर की याद आए और वह चला जाए। इसलिए उनकी बातचीत पर विराम लगा हुआ था। यदि अतिथि समय से खुशी-खुशी चला जाता, तो यह स्थिति कभी उत्पन्न नहीं होती।
प्रश्न 3 – जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक और लेखक की पत्नी के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए? क्या यह परिवर्तन सही थे?
उत्तर – जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो अतिथि के सत्कार करने के उत्साह में कमी आई। लेखक और लेखक की पत्नी के व्यवहार में परिवर्तन आ गया। सौहार्द धीरे-धीरे बोरियत में बदल गया। शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा विषय खत्म हो गए। बढ़िया लंच और डिनर ने खिचड़ी का स्थान ले लिया। यहाँ तक कि लेखक सोचने लगा था कि यदि अतिथि पाँचवे दिन भी नहीं गया तो उसे और उसकी पत्नी को उपवास करना पड़ेगा। लेखक को अतिथि थोड़ा-थोड़ा राक्षस तक प्रतीत होने लगा था। यहाँ तक कि लेखक का मन उसे गेट आउट कहने को करने लगा। पाठ के आधार पर और महँगाई के इस दौर में अतिथि के कई दिन तक रुकने पर घर का बजट बिगड़ जाता है। महँगाई के जमाने में जब अपना परिवार पालना कठिन होता है तब अतिथि का खर्च उठाते-उठाते मेहमान के प्रति व्यवहार में परिवर्तन आना स्वाभाविक है।
प्रश्न 4 – ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ की प्रासंगिकता आधुनिक संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – बिना पूर्व सूचना के आने वाले व्यक्ति को अतिथि कहा जाता है और हमारी रीति के अनुसार अतिथि को देवता स्वरूप माना गया है। अतिथि का देवता के सामान ही सेवा सत्कार किया जाता है परन्तु ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ नामक पाठ में बिना पूर्व सूचना के आने वाले उस अतिथि का वर्णन है जो मेहमान नवाजी का आनंद लेने के चक्कर में लेखक की परेशानियों को नज़रअंदाज कर जाता है।
अतिथि देवता को नाराज़ न करने के चक्कर में लेखक हर परेशानी को झेलने के लिए विवश रहता है। वर्तमान समय और इस महँगाई के युग में जब मनुष्य अपनी ही ज़रूरतें पूरी करने में अपने आपको असमर्थ पा रहा है और उसके पास समय और साधन की कमी है तब ऐसे अतिथि का जो अपने घर जाने का नाम ही नहीं ले रहा है, उसका स्वागत सत्कार करना लेखक के लिए कठिन होता जा रहा है। अतः यह पाठ आधुनिक संदर्भो में पूरी तरह प्रासंगिक है।
प्रश्न 5 – अतिथि सदैव देवता नहीं होता’ वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है। तुम कब जाओगे, अतिथि? पाठ के आधार पर कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – यदि अतिथि थोड़ी देर तक टिकता है तो वह देवता रूप बनाए रखता है, पर फिर वह मनुष्य रूप में आ जाता है। उसका मान-सम्मान होता है, और ज्यादा दिन तक टिकने पर वह राक्षस का रूप ले लेता है क्योंकि तब वह राक्षस जैसा बुरा प्रतीत होता है। इस पाठ में भी लेखक का मानना है कि अतिथि देवता होता है , पर यह देवत्व उस समय समाप्त हो जाता है जब अतिथि एक दिन से ज्यादा किसी के यहाँ ठहर कर मेहमान नवाजी का आनंद उठाने लगता है।
उसका ऐसा करना मेजबान पर बोझ बनने लगता है। लेखक के घर आया अतिथि भी चार दिन बीत जाने के बाद भी अभी जाना नहीं चाहता है जबकि लेखक का कहना है कि देवता दर्शन देकर लौट जाते हैं। वे इतना दिन नहीं ठहरते। इसके अलावा वे मनुष्य को दुखी नहीं करते तथा उसकी हर परेशानी का ध्यान रखते हैं। अपने घर आए अतिथि का ऐसा व्यवहार देखकर लेखक को लगने लगता है कि हर अतिथि देवता नहीं होता है। अतिथि कभी – कभी मनुष्य भी हो जाता है और अगर लेखक के घर आए अतिथि की तरह मेजबान के घर जम जाए और मेजबान को वह अतिथि बुरा लगने लगे तो वह अतिथि राक्षस लगने लगता है। अतः अतिथि को अपना देवत्व संभाल कर रखना चाहिए और अगले दिन अपने घर चले जाना चाहिए।
Class 9 Hindi Sparsh Book Chapter wise Lesson Explanation