नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
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एकांत ढूँढने के कई सकारात्मक कारण हैं| एकांत की चाह किसी घायल मन की आह भर नहीं, जो जीवन के काँटों से बिंध कर घायल हो चुका है, एकांत सिर्फ उसके लिए शरण मात्र नहीं। यह उस इंसान की ख्वाइश भर नहीं, जिसे इस संसार में ‘फेंक दिया गया’ हो और वह फेंक दिये जाने की स्थिति से भयभीत होकर एकांत ढूंढ रहा हो। हम जो एकांत में होते हैं, वही वास्तव में होते हैं। एकांत हमारी चेतना की अंतर्वस्तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है।
अंग्रेजी का एक शब्द है-‘आइसोनोफिलिया’। इसका अर्थ है अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम। पर इस शब्द को गौर से समझें तो इसमें अलगाव की एक परछाई भी दिखती है। एकांत प्रेमी हमेशा ही अलगाव की अभेद्य दीवारों के पीछे छिपना चाह रहा हो, यह जरूरी नहीं। एकांत की अपनी एक विशेष सुरभि है और जो भीड़ के अशिष्ट प्रपंचों में फेस चुका हो, ऐसा मन कभी इसका सौंदर्य नहीं देख सकता। एकांत और अकेलेपन में थोड़ा फर्क समझना जरूरी है। एकांतजीवी में कोई दोष या मनोमालिन्य नहीं होता। वह किसी व्यक्ति या परिस्थिति से तंग आकर एकांत की शरण में नहीं जाता। न ही आतातायी नियति के विषैले बाणों से घायल होकर वह एकांत की खोज करता है। अंग्रेजी कवि लॉर्ड बायरन ऐसे एकांत की बात करते हैं। वे कहते हैं कि ऐसा नहीं कि वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज्यादा प्रेम करते हैं।
बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे जंगल में विचरण करते हुए गैंडे की सींग की तरह अकेले रहें। वे कहते हैं-‘प्रत्येक जीव जन्तु के प्रति हिंसा का त्याग करते हुए, किसी की भी हानि की कामना न करते हुए, अकेले चलो-फिरो, वैसे ही जैसे किसी गैंडे का सींग।’ हक्सले ‘एकांत के धर्म’ या ‘रिलीजन ऑफ सोलीट्यूड’ की बात करते हैं। वे कहते हैं जो मन जितना ही अधिक शक्तिशाली और मौलिक होगा, एकांत के धर्म की तरफ उसका उतना ही अधिक झुकाव होगा; धर्म के क्षेत्र में एकांत, अंधविश्वासों, मतों और धर्माधता के शोर से दूर ले जाने वाला होता है।
इसके अलावा एकांत धर्म और विज्ञान के क्षेत्र में नई अंतर्दष्टियों को भी जन्म देता है। ज्यां पॉल सातत्र इस बारे में बड़ी ही खूबसूरत बात कहते हैं। उनका कहना है- ईश्वर एक अनुपस्थिति है। ईश्वर है इंसान का एकांत।
क्या एकांत लोग इसलिए पसंद करते हैं कि वे किसी को मित्र बनाने में असमर्थ हैं? क्या वे सामाजिक होने की अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए एकांत को महिमामंडित करते हैं? वास्तव में एकांत एक दुधारी तलवार की तरह है। लोग कया कहेंगे इसका डर भी हमें अक्सर एकांत में रहने से रोकता है। यह बड़ी अजीब बात है, क्योंकि जब आप वास्तव में अपने साथ या अकेले होते हैं, तभी इस दुनिया और कुदरत के साथ अपने गहरे संबंध का अहसास होता है। इस संसार को और अधिक गहराई और अधिक समानुभूति के साथ प्रेम करके ही हम अपने दुखदाई अकेलेपन से बाहर हो सकते हैं। (जनसत्ता से साभार)
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