नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए

7

परिश्रम ‘कल्पवृक्ष’ है! जीवन की कोई भी अभिलाषा परिश्रम रूपी कल्पवृक्ष से पूर्ण हो सकती है। परिश्रम जीवन का आधार है, उज्जवल भविष्य का जनक और सफलता की कुंजी है। सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता और सर्वश्र उन्नति परिश्रम का परिणाम है। आज से लगभग पचास साल पहले कौन कल्पना कर सकात था कि मनुष्य एक दिन चाँद पर कदम रखेगा या अंतरिक्ष में विचरण करेगा पर निरंतर श्रम की बदौलत मनुष्य ने उन कल्पनाओं एवं संभावनाओं को साकार कर दिखाया है। मात्र हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहने से कदापि संभव नहीं होता।

किसी देश, राष्ट्र अथवा जाति को उस देश के भातिक संसाधन तब तक समृद्ध नहीं बना सकते जब तक कि वहाँ के निवासा उन संसाधनों का दोहन करने के लिए अथक परिश्रम नहीं करते। किसी भूभाग की मिटट्ी कितनी भी उपजाऊ क्यों न हो, जब तक विधिवत परिश्रमपूर्वक उसमें जुताई, बुआई, सिंचाई, निराई-गुड़ाई नहीं होगी, अच्छी फसल प्राप्त नहीं हो सकती। किसी किसान को कृषि संबंधी अत्पाधुनिक कितनी ही सुविधाएँ उपलब्ध करा दीजिए, यदि उसके उपयोग में लाने के लिए समुचित श्रम नहीं होगा, उत्पादन क्षमता में वृद्धि संभव नहीं है। परिश्रम से रेगस्तिन भी अन्न उगलने लगते हैं हमारे देश की स्वतंत्रता के पश्चात हमारी प्रगति की द्रुतगति भी हमारे श्रम का ही फल है। भाखड़ा नांगल का विशाल बाँध हो या थुंबा या श्री हरिकोटा के रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र, हरित क्रांति की सफलता हो या कोविड 19 की रोकथाम के लिए टीका तैयार करना, प्रत्येक सफलता हमारे श्रम का परिणाम है तथा प्रणाम भी है।

जीवन में सुख की अभिलाषा सभी को रहती है। बिना श्रम किए भौतिक साधनों को जुटाकर जो सुख प्राप्त करने के फेर में है, वह अधकार में है। उसे वास्तविक और स्थायी शांति नहीं मित्नती। गांधीजी तो कहते थे कि जो बिना श्रम किए भोजन ग्रहण करता है, वह चोरी का अन्न खाता है। ऐसी सफलता मन को शांति देने के बजाए उसे व्यथित करेगी। परिश्रम से दूर रहकर और सुखमय जीवन व्यतीत करने वाले विद्यार्थी को ज़ान कैसे प्राप्त होगा? हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं, लेकिन वे हवा के हल्के झोंके से दह जाते हैं। मन में मधुर कल्पनाओं के सँजोने मात्र से किसी कार्य की सिंदृधि नहीं होती। कार्य सिंदृधि के लिए उद्यम और सतत उद्यम आवश्यक है। तुलसीदास ने सत्य ही कहा है- सकल पदारथ है जग माहीं करमहीन न पावत नाहीं।।

अर्थात इस दुनिया में सारी चीजें हासिल की जा सकती हैं लेकिन वे कर्महीन व्यक्ति को कभी नहीं मित्रती हैं।

अगर आप भविष्य में सफलता की फसल काटना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए बीज आज ही बोने होंगे. आज बीज नहीं बोयेंगे, तो भविष्य में फ़सल काटने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? पूरा संसार कर्म और फल के सिंदृधांत पर चलता है इसलिए कर्म की तरफ आगे बढ़ना होगा।

यदि सही मायनों में सफल होना चाहते हैं तो कर्म में जुट जाएँ और तब तक जुटे रहें जब तक कि सफल न हो जाएँ। अपना एक-एक मिनट अपने लक्ष्य को समर्पित कर दें। काम में जुटने से आपको हर वस्तु मिलेगी जो आप पाना चाहते हैं- सफलता, सम्मान, धन, सुख या जो भी आप चाहते हों…।

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।

1. 'हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं, लेकिन ये हवा के हल्के झोंके से ढह जाते हैं।” इस कथन के द्वारा लेखक कहना चाहता है कि -
a.
b.
c.
d.

2. गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
a.
b.
c.
d.

3. कैसे व्यक्ति को अधकार में बताया गया है?
a.
b.
c.
d.

4. भारत के परिश्रम के प्रमाण क्या-क्या बताए गए हैं?
a.
b.
c.
d.

5. समुचित' शब्द का अर्थ है -
a.
b.
c.
d.

6. गद्यांश में परिश्रम को 'कल्पवृक्ष' के समान बताया गया है क्योंकि इससे
a.
b.
c.
d.

7. सतत उद्यम ! से क्या तात्पर्य है -
a.
b.
c.
d.

8. गद्यांश में अच्छी फ़सल प्राप्त करने के लिए कहे गए कथन से स्पष्ट होता है कि -
a.
b.
c.
d.

9. स्वतंत्रता शब्द में उपसर्ग व प्रत्यप अलग करने पर होगा -
a.
b.
c.
d.

10. किस अवस्था में प्राप्त सफलता मन को व्यथित करेगी ?
a.
b.
c.
d.


 

Also Check out Related CUET Hindi Reading Comprehension Test Links
CUET Hindi Reading Comprehension Test 1

CUET Hindi Reading Comprehension Test 2

CUET Hindi Reading Comprehension Test 3

CUET Hindi Reading Comprehension Test 4

CUET Hindi Reading Comprehension Test 5

CUET Hindi Reading Comprehension Test 6

CUET Hindi Reading Comprehension Test 8

CUET Hindi Reading Comprehension Test 9

CUET Hindi Reading Comprehension Test 10

CUET Hindi Reading Comprehension Test 11

CUET Hindi Reading Comprehension Test 12

CUET Hindi Reading Comprehension Test 13

CUET Hindi Reading Comprehension Test 14

CUET Hindi Reading Comprehension Test 15