नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़ कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए

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विज्ञान प्रकृति को जानने का महत्वपूर्ण साधन है। भौतिकता आज आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का स्तर निर्धारित करती है। विज्ञान केवल सत्य, अर्थ और प्रकृति के बारे में उपयोग ही नहीं बल्कि प्रकृति की खोज का एक क्रम है। विज्ञान प्रकृति को जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह प्रकृति को जानने के विषय में हमें महत्वपूर्ण और विश्वसनीय ज़ान देता है। व्यक्ति जिस बात पर विश्वास करता है वही उसका ज़ान बन जाता है। कुछ लोगों के पास अनुचित ज़ान होता है और वह उसी ज़ान को सत्य मानकर उसके अनुसार काम करते हैं। वैज़ानिकता और आलोचनात्मक विचार उस समय जररी होते हैं जब वह विश्वसनीय ज़ान पर आधारित हों। वैज्ञानिक और आल्रोचक अक्सर तर्क संगत विचारों का प्रयोग करते हैं। तर्क हमें उचित सोचने पर प्रेरित करते हैं। कुछ लोग तर्क संगत विचारधारा नहीं रखते क्योंकि उन्होंने कभी तर्क करना जीवन में सीखा ही नहीं होता।

प्रकृति वैज्ञानिक और कवि दोनों की ही उपास्या है। दोनों ही उससे निकटतम संबंध स्थापित करने की चेष्टा करते है, किंतु दोनों के दृष्टिकोण में अतर है। वैज्ञानिक प्रकृति के बाह्य रूप का अवलोकन करता है और सत्य की खोज करता है, परंतु कवि बाह्य रूप पर मुग्ध होकर उससे भावों का तादात्म्य स्थापित करता है। वैज्ञानिक प्रकृति की जिस वस्तु का अवलोकन करता है, उसका सूक्ष्म निरीक्षण भी करता है। चंद्र को देखकर उसके मस्तिष्क में अनेक विचार उठते हैं उसका तापक्रम क्या है, कितने वर्षो में वह पूर्णत: शीतल हो जाएगा, ज्वार-भाटे पर उसका क्या प्रभाव होता है, किस प्रकार और किस गति से वह सौर मंडल में परिक्रमा करता है और किन तत्वों से उसका निर्माण हुआ है? वह अपने सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से उसको एक लोक ठहराता है और उस लोक में स्थित ज्वालामुखी पर्वतों तथा जीवनधारियों की खोज करता है। इसी प्रकार वह एक प्रफुल्लित पुष्प को देखकर उसके प्रत्येक अग का विश्लेषण करने को तैयार हो जाता है। उसका प्रकृति-विषयक अध्ययन वस्तुगत होता है। उसकी दृष्टि में विश्लेषण और वर्ग विभाजन की प्रधानता रहती है। वह सत्य और वास्तविकता का पुजारी होता है। कवि की कविता भी प्रत्यक्षावलोकन से प्रस्फुटित होती है वह प्रकृति के साथ अपने भावों का संबंध स्थापित करता है। वह उसमें मानव चेतना का अनुभव करके उसके साथ अपनी आंतरिक भावनाओं का समन्वय करता है। वह तथ्य और भावना के संबंध पर बल देता है। उसका वस्तु वर्णन हृदय की प्रेरणा का परिणाम होता है, वैज्ञानिक की भाँति मस्तिष्क की यांत्रिक प्रक्रिया नहीं। कवियों द्वारा प्रकृति -चित्रण का एक प्रकार ऐसा भी है जिसमें प्रकृति का मानवीकरण कर लिया जाता है अर्थात प्रकृति के तत्त्वों को मानव ही मान लिया जाता है।

प्रकृति में मानवीय क्रियाओं का आरोपण किया जाता है। हिंदी में इस प्रकार का प्रकृति-चित्रण छायावादी

कवियों में पाया जाता है। इस प्रकार के प्रकृति-चित्रण में प्रकृति सर्वया गौण हो जाती है। इसमें प्राकृतिक

वस्तुओं के नाम तो रहते हैं परंतु झंकृत चित्रण मानवीय भावनाओं का ही होता है। कवि लहलहाते पौधे का चित्रण न कर खुशी से झूमते हुए बच्चे का चित्रण करने लगता है।

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए।

1. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है
a.
b.
c.
d.

2. लहलहाते पौधे का चित्रण न कर झूमते बच्चे का चित्रण करना दर्शाता है कि -
a.
b.
c.
d.

3. 'प्रकृति का मानवीकरण! दर्शाता है कि -
a.
b.
c.
d.

4. कवि के संबंध में इनमें से सही तथ्य है-
a.
b.
c.
d.

5. सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से तात्पर्य है-
a.
b.
c.
d.

6. 'वैज्ञानिक प्रकृति के बाह्य रूप का अवलोकन करते हैं' यह कथन दर्शाता है कि वे
a.
b.
c.
d.

7. कौन अनवरत चिंतन करता है?
a.
b.
c.
d.

8. कवि की कविता किससे प्रस्फुटित होती है?
a.
b.
c.
d.

9. कौन वास्तविकता का पुजारी होता है?
a.
b.
c.
d.

10. विज़ान प्रकृति को जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है क्योंकि यह-
a.
b.
c.
d.


 

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