Katha Patkatha Question Answers

 

CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 10 कथा-पटकथा Question Answers 

 

Katha Patkatha Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Core Abhivyakti Aur Madhyam Book Chapter 10 Katha Patkatha Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter,  extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions. 

 

सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक पाठ 10 कथा-पटकथा प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर  तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है। 

 Also See : कथा-पटकथा पाठ सार Class 11 Chapter 10

Katha Patkatha Question and Answers (कथा-पटकथा प्रश्न-अभ्यास ) 

 

 

प्रश्न 1 – फ़्लैशबैक तकनीक और फ़्लैश फ़ॉरवर्ड तकनीक के दो-दो उदाहरण दीजिए। आपने कई फ़िल्में देखी होंगी। अपनी देखी किसी एक फ़िल्म को ध्यान में रखते हुए बताइए कि उनमें दृश्यों का बँटवारा किन आधारों पर किया गया।

उत्तर – फ़्लैशबैक तकनीक वह होती है जिसमें अतीत में घटी हुई किसी घटना को वर्तमान में दिखाया जाता है। फ़्लैश फ़ॉरवर्ड वह तकनीक है जिसमें भविष्य में होनी वाली किसी घटना को दर्शकों को पहले ही दिखा देते हैं। पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ की कहानी ‘गलता लोहा’ में मोहन जब अपने घर से हँसुवे की धार लगवाने के लिए शिल्पकार टोले की ओर जाने लगता है तो वह फ़्लैशबैक में चला जाता है और उसे अपने स्कूल के दिन याद आ जाते है कि किस तरह वह स्कूल में पढाई में अच्छा था और किस तरह लखनऊ में उसे पढाई के नाम पर `और घनश्याम और मोहन मास्टर त्रिकोक सिंह को याद करते हुए अपने बचपन में लौट आए थे।

‘गलता लोहा’ कहानी में ही मोहन को जब मास्टर त्रिलोक सिंह ने पूरे स्कूल का मॉनीटर बनाया था तो उन्होंने उस पर बहुत आशाएँ लगा रखी थीं। उस समय मोहन फ़्लैशफॉरवर्ड में जाकर सोच सकता है कि वह एक बहुत बड़ा अफ़सर बन गया है और उसके पास अनेक लोग अपना काम करवाने आये हैं। इसी कहानी में जब मोहन पढ़ाई के लिए लखनऊ जाता है तो वहाँ की भीड़-भाड़ देखकर फ़्लैशफॉरवर्ड में जाकर सोचता है कि वह भी अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर बस में बैठकर बहुत बड़े स्कूल में पढ़ने जा रहा है।

‘मदर इंडिया’ फ़िल्म में एक गरीब औरत का मुश्किलों से जूझना, अपने बच्चों का कठिनाई से पालन-पोषण करना, बुरे जागीरदार से बचना, अंत में भलाई के लिए अपने गुण्डे बेटे को स्वयं मारना आदि दृश्य घटनाओं के आधार पर बदल जाते हैं।

 

 

प्रश्न 2 – पटकथा लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है? और क्यों?

उत्तर – पटकथा लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • दृश्य संख्या के साथ दृश्य कहाँ घटित होने वाला है अर्थात दृश्य की लोकेशन या घटनास्थल लिखना चाहिए।
  • घटना किस समय घटित होने वाली है अर्थात समय क्या है-दिन/रात/सुबह/शाम।
  • घटना खुले में घट रही है या किसी बंद जगह में, अर्थात अंदर या बाहर?
  • प्रत्येक दृश्य के साथ होने वाली घटना के समय का संकेत भी दिया जाना चाहिए।
  • प्रत्येक दृश्य के प्रारंभ में पात्रों की गतिविधियों के संकेत भी देने चाहिए।
  •  दृश्य का बंटवारा किन आधारों पर किया जा रहा है यह भी ध्यान रखना चाहिए।
  • प्रत्येक दृश्य के बदलने के साथ उसके होने की सूचना देनी चाहिए।
  • पात्रों के वार्तालाप में बोलने के ढंग के निर्देश भी दिए जाने चाहिए; जैसे- (अपने में ही भुनभुनाते हुए), (खुश होते हुए), (दुखी मन से) इत्यादि।
  • पटकथा के शुरू में दिए गए संकेत फ़िल्म या टी.वी. के कार्यक्रम के निर्देशक, कैमरामैन, साउंडरिकॉडिस्ट, आर्ट डायरेक्टर, प्रोडक्शन मैनेजर तथा उनके सहायकों की अपने-अपने काम में काफी मदद करते हैं।
  • प्रत्येक दृश्य के अंत में डिज़ॉल्व, फ़ेड आउट, कटटू जैसी जानकारी आवश्य देनी चाहिए। इससे निर्देशक, अडीटर आदि निर्माण कार्य में लगे हुए व्यक्तियों को बहुत सहायता मिलती है। 

पटकथा लिखते समय इन बातों का ध्यान रखने से पटकथा एक सुचारु रूप से घटित प्रतीत होती है और दर्शकों को देखने में भी बोरियत महसूस नहीं होती। प्रत्येक दृश्य को समझने में भी आसानी रहती है।

 

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

 

प्रश्न 1 – पटकथा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – पटकथा दो शब्दों के मेल से बना है-‘पट’ और ‘कथा’। पट का अर्थ होता है-परदा! और कथा का अर्थ होता है-कहानी। अर्थात ऐसी कहानी जो परदे पर दिखाई जाए। चाहे वो परदा बड़ा हो या छोटा। सिनेमा और टेलीविज़न दोनों ही माध्यमों के लिए बनने वाली फिल्मों, धारावाहिकों आदि का मूल आधार पटकथा ही होती है। इसी पटकथा के अनुसार निर्देशक अपनी सारी शूटिंग की योजना बनाता है, अभिनेताओं को उनकी भूमिका की बारीकियाँ और संवादों की जानकारी इसी पटकथा से मिलती है तथा कैमरे के पीछे काम करने वाले तकनीशियनों और सहायकों को अपने-अपने विभागों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। कथानक तो पटकथा का एक अभिन्न हिस्सा होता ही है।

 

प्रश्न 2 – कथा को प्राप्त करने के कौन-कौन से स्त्रोत हो सकते हैं?
उत्तर – कथा या कहानी को प्राप्त करने के कई स्रोत हो सकते हैं-हमारे अपने साथ या हमारे आसपास की ज़िन्दगी में घटी हुई कोई घटना, अखबार में छपा कोई समाचार, हमारी अपनी कल्पना से रची हुई कोई कहानी, इतिहास से किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की जीवनी या कोई सच्चा किस्सा अथवा साहित्य की किसी दूसरी शैली की कोई रचना। मशहूर उपन्यासों और कहानियों पर बहुत पहले से ही फ़िल्म या सीरियल बनते आ रहे हैं। दूरदर्शन तो अधिकतर ही साहित्यिक-रचनाओं को आधार बना कर धरावाहिक, टेलीफिल्मों आदि का निर्माण करवाता रहता है। अमेरिका-यूरोप में तो जो ज़्यादातर कामयाब उपन्यास और नाटक होते हैं उन पर फ़िल्म बना दी जाती हैं।

 

प्रश्न 3 – पटकथा की संरचना या ढाँचा किस तरह तैयार होता है?
उत्तर – फ़िल्म या टी.वी. की पटकथा की संरचना भी नाटक की संरचना की ही तरह होती है। अंग्रेजी में इसे ‘स्क्रीनप्ले’ कहा जाता हैं। नाटक की तरह ही फ़िल्म या टी.वी. में भी पात्र-चरित्र, नायक-प्रतिनायक, अलग-अलग घटनास्थल व् दृश्य होते हैं, कहानी भी एक क्रम में आगे बढ़ती है, द्वंद्व-टकराहट होते हैं और फिर अंत में सभी मुश्किलों का समाधन किया जाता है। ये सब कुछ पटकथा के भी आवश्यक अंग माने जाते हैं।

 

प्रश्न 4 – नाटक और फ़िल्म की पटकथा में क्या अंतर होते हैं?
उत्तर – नाटक और फ़िल्म की पटकथा में निम्नलिखित अंतर होते हैं-

  • दृश्य की लंबाई है, नाटक के दृश्य अधिकतर काफी लंबे होते हैं और फिल्मों में दृश्य छोटे-छोटे होते हैं।
  • नाटक में आमतौर पर दृश्यों के लिए सीमित घटनास्थल होते हैं, जबकि फ़िल्म में इसकी कोई सीमा नहीं होती, हर दृश्य किसी नए स्थान पर घटित हो सकता है।
  • नाटक एक सजीव कला माध्यम है, जहाँ अभिनेता अपने ही जैसे जीते-जागते दर्शकों के सामने, अपनी कला को प्रस्तुत करते हैं। जबकि सिनेमा या टेलीविज़न में सबकुछ पहले से ही रिकॉर्डेड छवियाँ एवं ध्वनियाँ होती हैं।
  •  नाटक के जितने भी दृश्य होते हैं वे सभी एक ही मंच पर और एक निश्चित समय सिमा के अंदर घटित होते है। जबकि इसके विपरीत फ़िल्म या टेलीविज़न की शूटिंग अलग-अलग सेटों या अलग-अलग जगहों पर दो दिन से लेकर दो साल तक भी की जा सकती है।
  • नाटक में दृश्यों की संरचना और उसमें काम कर रहे पात्रों की संख्या आदि को सीमित रखना पड़ता है, लेकिन सिनेमा या टेलीविज़न में ऐसा कुछ नहीं होता, इनमें पात्रों की संख्या कितनी भी हो सकती है और दृश्य भी अनगिनत हो सकते हैं।
  • नाटक ‘लीनियर’ होता है, अर्थात नाटक का मंचन एक-रेखीय होता है, जो एक ही दिशा में आगे बढ़ता है। जबकि सिनेमा या टेलीविज़न में फ़लैशबैक या फ़लैश फॉरवर्ड तकनीकों का इस्तेमाल करके आप घटनाक्रम को किसी भी रूप में या किसी भी दिशा में प्रस्तुत कर सकते हैं।

 

प्रश्न 5 – फ़लैशबैक और फ़लैश फॉरवर्ड में क्या अंतर् है?
उत्तर – फ़लैशबैक वह तकनीक होती है, जिसमें आप अतीत में घटी किसी घटना को वर्तमान में दिखाते हैं और फ़लैश फॉरवर्ड में आप भविष्य में होने वाले किसी घटना या हादसे को पहले ही दर्शकों दिखा देते हैं।

 

प्रश्न 6 – पटकथा लिखने का विशेष तरीका कौन सा है?
उत्तर – पटकथा लिखने का विशेष तरीका है। हमेशा दृश्य संख्या के साथ दृश्य कहाँ घटित होने वाला है अर्थात दृश्य की लोकेशन या घटनास्थल लिखा जाता है फिर चाहे वो कमरा है, पार्क है, रेलवेस्टेशन है या शेर की माँद है। उसके बाद लिखा जाता है घटना किस समय घटित होने वाली है अर्थात समय क्या है-दिन/रात/सुबह/शाम। तीसरी जानकारी जो दृश्य के शुरू में दी जानी ज़रूरी होती है वह है कि घटना खुले में घट रही है या किसी बंद जगह में, अर्थात अंदर या बाहर? अधिकतर ये सूचनाएँ अंग्रेज़ी में लिखी जाती हैं और अंदर या बाहर के लिए अंग्रेज़ी शब्दों इंटीरियर या एक्सटीरियर के तीन शुरुआती अक्षरों का इस्तेमाल किया जाता है, मतलब INT.  या EXT. इस प्रारूप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पटकथा लिखने का स्वीकृत प्रारूप माना गया है।

 

प्रश्न 7 – वर्तमान में कंप्यूटर पटकथा लिखने में कैसे मदद कर रहे हैं?
उत्तर – वर्तमान में तो कंप्यूटर पर ऐसे सॉफ़टवेयर आ गए हैं, जिनमें पटकथा लेखन का प्रारूप पहले से बना बनाया होता है, साथ ही साथ वो आपको ये बताने में भी सक्षम होते हैं कि आपकी पटकथा में कहाँ-कहाँ पर गड़बड़ रही है।  ये सॉफ़टवेयर आपकी गलतियों को सुधरने के सुझाव भी आपको दे सकते हैं, परन्तु उन सुझावों को स्वीकार करना है या नहीं करना है, ये पूर्णतः आपकी सूझबूझ और इच्छा पर निर्भर करता है।

 

बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1 – पटकथा का क्या अर्थ है?
(क) ऐसी कथा जो सिनेमा पर दिखाई जाए
(ख) ऐसी कथा जो टी. वी. पर दिखाई जाए
(ग) ऐसी कथा जो परदे पर दिखाई जाए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) ऐसी कथा जो परदे पर दिखाई जाए

प्रश्न 2 – फिल्मों व् धारावाहिकों का मूल आधार क्या है?
(क) घटना
(ख) स्थान
(ग) पात्र
(घ) पटकथा
उत्तर – (घ) पटकथा

प्रश्न 3 – कथानक किसका अभिन्न हिस्सा है?
(क) पटकथा
(ख) फ़िल्म
(ग) कहानी
(घ) धारावाहिक
उत्तर – (क) पटकथा

प्रश्न 4 – मशहूर उपन्यासों और कहानियों पर क्या बनने की पुरानी परंपरा रही है?
(क) गीत
(ख) किताब
(ग) फ़िल्म
(घ) फ़िल्म और सीरियल
उत्तर – (घ) फ़िल्म और सीरियल

(क) अनारकली
(ख) देवदासप्रश्न 5 – किस उपन्यास को हिंदी में तीसरी बार फिल्माया गया?
(ग) चंद्रमुखी
(घ) मदर इंडिया
उत्तर – (ख) देवदास

प्रश्न 6 – अतीत में घटी किसी घटना को वर्तमान में दिखाना कौन सी तकनीक हैं?
(क) फ़लैशबैक
(ख) फ़लैशफॉरवर्ड
(ग) फ़लैशलाइट
(घ) फ़लैशकैमरा
उत्तर – (क) फ़लैशबैक

प्रश्न 7 – भविष्य में होने वाले किसी घटना या हादसे को पहले ही दर्शकों को दिखा देना कौन सी तकनीक है?
(क) फ़लैशबैक
(ख) फ़लैशफॉरवर्ड
(ग) फ़लैशलाइट
(घ) फ़लैशकैमरा
उत्तर – (ख) फ़लैशफॉरवर्ड

प्रश्न 8 – पटकथा की मूल इकाई क्या होती है?
(क) कहानी
(ख) परदा
(ग) दृश्य
(घ) घटना
उत्तर – (ग) दृश्य

प्रश्न 9 – कथा या कहानी को प्राप्त करने के स्रोत कौन से हैं?
(क) आसपास की ज़िन्दगी में घटी हुई कोई घटना, अखबार में छपा कोई समाचार
(ख) कल्पना से रची हुई कोई कहानी, इतिहास से किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की जीवनी या कोई सच्चा किस्सा
(ग) मशहूर उपन्यास और कहानियाँ
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 10 – नाटक में आमतौर पर दृश्यों के लिए कितने घटनास्थल निर्धारित होते हैं?
(क) सीमित
(ख) असीमित
(ग) लगभग 100
(घ) लगभग 1000
उत्तर – (क) सीमित

प्रश्न 11 – सिनेमा या टेलीविज़न में पात्रों की संख्या कितनी हो सकती हैं?
(क) सिमित
(ख) अनगिनत
(ग) लगभग नाटक जितनी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) अनगिनत

प्रश्न 12 – फ़लैशबैक और फ़लैश फॉरवर्ड दोनों ही तकनीकों का इस्तेमाल करने के बाद क्या ज़रूरी है?
(क) हमें वापस पटकथा में आना
(ख) हमें वापस मंच में आना
(ग) हमें वापस पात्र के चरित्र में आना
(घ) हमें वापस वर्तमान में आना
उत्तर – (घ) हमें वापस वर्तमान में आना

 

Also See  :

Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Book Question Answers

Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Book Lessons

Hindi Aroh Bhag 1 Book Lessons

Hindi Vitan Bhag 1 Book Lessons