Vachan Question Answers

 

CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 14 वचन Question Answers

Vachan Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 14 Vachan Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.

सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी आरोह भाग-1 पुस्तक पाठ 14 वचन प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।

Also See : वचन पाठ सार और व्याख्या Class 11 Chapter 14

Vachan Question and Answers (वचन प्रश्न-अभ्यास )

प्रश्न 1 – लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं – इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।
उत्तर – इंद्रियां सबसे महत्वूर्ण तत्व हैं जिसके बिना मनुष्य की परिकल्पना असंभव है। इंद्रियाँ मनुष्य को भ्रमित करती हैं तथा उसे कर्महीनता की तरफ प्रेरित करती हैं। इसके लिए इंद्रियों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। किसी लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब मन में एकाग्रता हो तथा इंद्रियों को वश में रखकर परिश्रम किया जाए। प्रत्येक लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं। मनुष्य की इंद्रियों का कार्य है-स्वयं को तृप्त करना। इनकी तृप्ति के चक्कर में मनुष्य जीवन भर भटकता रहता है। विशेष रूप से ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में इंद्रियां सबके बड़ी बाधा बन जाती हैं। यह साधक को संसार के मोह में उलझाए रखती है और उसे भक्ति के मार्ग बढ़ने नहीं देती। इस समय भूख, प्यास, लालसा, कामना, प्रेम आदि का अनुभव लक्ष्य से भटका देता है। इन सबका अनुभव इंद्रियाँ करवाती हैं। अतः वे ही बाधक हैं।

प्रश्न 2 – ओ चराचर! मत चूक अवसर – इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मानव – जन्म सौभग्य की बात है। जन्म – मरण एक चक्र है जो निरंतर चलता रहता है। इस चक्र से मुक्ति का एकमात्र उपाय भगवान की भक्ति है। यह पंक्ति अक्कमहादेवी अपने प्रथम वचन में उस समय कहती हैं जब वे अपने समस्त विकारों को शांत हो जाने के लिए कह चुकी हैं। इसका आशय है कि इंद्रियों के सुख के लिए भाग-दौड़ बंद करने के पश्चात् ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सरल हो जाता है। अतः चराचर (जड़-चेतन) को संबोधित कर कहती हैं कि तू इस मौके को मत खोना। विकारों की शांति के पश्चात् ईश्वर प्राप्ति का अवसर तुम्हारे हाथ में है, इसका सदुपयोग करो। इस पंक्ति में अक्क महादेवी का कहना है कि प्राणियों ने जो जीवन प्राप्त किया है, उसे यदि वे शिव की भक्ति में लगाएँ तो उनका कल्याण हो जाएगा। समय बीत जाने के बाद कुछ नहीं मिलता। जीव इंद्रियों के वश में होकर सांसारिक मोह-माया में उलझा रहता है। वह इन चक्करों में उलझा रहा तो ईश्वर-प्राप्ति का अवसर चूक जाएगा। अत: समय रहते इसका मानव को लाभ उठा लेना चाहिए।

प्रश्न 3 – ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
उत्तर – कविता में कवयित्री ईश्वर को अपने आराध्य मानती है। ईश्वर से अपना सब कुछ छीन लेने को कहती है जिससे कवयित्री का अंधरूनी अहंकार नष्ट हो सके। कवयित्री ने ईश्वर के लिए जूही के फूल का दृष्टांत दिया गया है। जूही का फूल कोमल, सात्विक, सुगंधित व श्वेत होता है। यह लोगों का मन मोह लेता है। वह बिना किसी भेदभाव के सबको खुशबू बाँटता है। इसी तरह ईश्वर भी सभी प्राणियों को आनंद देता है। वह कोई भेदभाव नहीं करता तथा सबका कल्याण करता है।

प्रश्न 4 – अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर – अपना घर से तात्पर्य सांसारिक मोह-माया से है। व्यक्ति इस घर में सभी से लगाव महसूस करता है। वह इसे बनाने व बचाने के लिए निन्यानवे के फेर में पड़ा रहता है। संसार की वह चीजें जो हमें अपने-आप में उलझा लेती हैं, जिनसे हम प्रेम करते हैं वे हमारे ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधक होती हैं। क्योंकि भगवान की प्राप्ति के लिए इस मोह – माया के जीवन को त्यागना होगा। यह भगवान की भक्ति में सबसे बड़ी बाधा है।अपने घर से निकलने के बाद ही भगवान के घर में क़दम रखा जा सकता है। कवयित्री का मानना है कि मनुष्य को इस मोह – माया की दुनिया से दूर रहना चाहिए और भगवान की भक्ति करनी चाहिए ।भगवान की प्राप्ति के लिए इस मोह – माया के संसार का त्याग करना होगा तभी उसका जीवन सफल रहेगा ।

प्रश्न 5 – दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
उत्तर – दूसरे वचन में ईश्वर से सब कुछ छीन लेने की कामना की गई है। कवयित्री ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वह उससे सभी तरह के भौतिक साधन, संबंध छीन ले। वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे कि वह भीख माँगने के लिए मजबूर हो जाए। इससे उसका अहभाव नष्ट हो जाएगा। दूसरे, भूख मिटाने के लिए जब वह झोली फैलाए तो उसे भीख न मिले। अगर कोई देने के लिए आगे आए तो वह भीख नीचे गिर जाए। जमीन पर गिरी भीख को भी कुत्ता झपटकर ले जाए। वस्तुत: कवयित्री ईश्वर से सांसारिक लगाव को समाप्त करने के लिए कामना करती है ताकि वह ईश्वर में ध्यान एकाग्र भाव से लगा सके।

 

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

प्रश्न 1 – पहले वचन का प्रतिपादय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रथम वचन में इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश दिया गया है। यह उपदेशात्मक न होकर प्रेम-भरा मनुहार है। वे चाहती हैं कि मनुष्य को अपनी भूख, प्यास, नींद आदि वृत्तियों व क्रोध, मोह, लोभ, अह, ईष्र्या आदि भावों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। वे लोगों को समझाती हैं कि इंद्रियों को वश में करने से शिव की प्राप्ति संभव है।

प्रश्न 2 – प्रस्तुत वचन में मनुष्य के कौन-कौन से स्वाभाविक विकारों का उल्लेख किया गया है?
उत्तर – प्रत्येक मनुष्य में स्वाभाविक रूप से लोभ, मोह, काम, क्रोध, मद, ईष्र्या, नींद आदि विकार होते हैं। अक्कमहादेवी द्वारा प्रथम वचन में इनका उल्लेख किया गया है।

प्रश्न 3 – सभी विकारों की शांति क्यों आवश्यक है?
उत्तर – मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ है, इसे हम तृष्णाओं के पीछे भागते हुए गवाँ देते हैं और अंत तक तृष्णाएँ शांत नहीं हो पातीं, जिससे हम ईश्वर प्राप्ति की ओर नहीं बढ़ पाते। इसलिए इन्हें शांत करना आवश्यक है।

प्रश्न 4 -‘मत चूक अवसर’ का क्या आशय है?
उत्तर – मानव-जीवन दुर्लभ है, इसमें रहकर हम ईश्वर को प्राप्त करने का कार्य बड़ी सरलता से कर सकते हैं। कवयित्री अपने आराध्य के संदेश के रूप में यह बात हमें समझा रही हैं कि ईश्वर की ओर बढ़ो! संसार में उलझकर मौके को खो देना ठीक नहीं।

प्रश्न 5 – दूसरे वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – दूसरा वचन एक भक्त का ईश्वर के प्रति समर्पण है। चन्नमल्लिकार्जुन की अनन्य भक्त अक्कमहादेवी उनकी अनुकंपा के लिए हर भौतिक वस्तु से अपनी झोली खाली रखना चाहती हैं। वे ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती हैं जिससे उनका अहम् या अहंकार पूरी तरह से नष्ट हो जाए। वह ईश्वर को जूही के फूल के समान बताती हैं, वह कामना करती हैं कि ईश्वर उससे ऐसे काम करवाए जिनसे उसका अहकार समाप्त हो जाए। वह उससे भीख मैंगवाए, भले ही उसे भीख न मिले। वह उससे घर की मोह-माया छुड़वा दे। जब कोई उसे कुछ देना चाहे तो वह गिर जाए और उसे कोई कुत्ता छीनकर ले जाए। कवयित्री का एकमात्र लक्ष्य अपने परमात्मा की प्राप्ति है।

प्रश्न 6 – अक्क महादेवी भीख माँगने की कामना करती हैं। क्यों?
उत्तर – हम और हमारा मन सांसारिक आकर्षणों में लीन रहना चाहते हैं, जबकि अक्क महादेवी संसार से विरक्त होकर ईश्वर को पाना चाहती हैं। इसलिए वे सभी भौतिक वस्तुओं और मोह-बंधन को त्यागकर स्वयं के दंभ को चूर-चूर का निस्पृह स्थिति में पहुँचना चाहती हैं।

प्रश्न 7 – इन्द्रियाँ ईश्वर प्राप्ति में बाधक है। स्पष्ट करें?
उत्तर – ईश्वर एक ऐसी अनुभूति है जिसमें हम स्वयं को भूलकर, अपने अस्तित्व को खोकर ईश्वर में ही लीन हो जाते हैं। यदि हम में अहं-भाव है तो विनम्र-भाव नहीं हो सकता और इस दशा में हम ईश्वर में लीन होना तो दूर, उसके समक्ष झुक भी नहीं सकते। ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में इंद्रियां सबके बड़ी बाधा बन जाती हैं। यह साधक को संसार के मोह में उलझाए रखती है और उसे भक्ति के मार्ग बढ़ने नहीं देती। इस समय भूख, प्यास, लालसा, कामना, प्रेम आदि का अनुभव लक्ष्य से भटका देता है। इन सबका अनुभव इंद्रियाँ करवाती हैं। अतः ईश्वर के साथ एकाकार होने के लिए अहं का त्याग व् इन्द्रियों पर नियंत्रण जरूरी है।

प्रश्न 8 – कवयित्री मनोविकारों को क्यों दुत्कारती है?
उत्तर – कवयित्री मनोविकारों को बंधन का कारण मानती है। मनोविकार मनुष्य को सांसारिक मोहमाया में लिप्त रखते हैं। मोह से संग्रह, क्रोध से विवेक खोना, लोभ से गलत कार्य, अहंकार से मदहोश आदि प्रवृत्तियों का उदय होता है। इस कारण मनुष्य स्वयं को महान समझता है। इसी अहंभाव के कारण मानव ईश्वर भक्ति से दूर हो जाता है।

प्रश्न 9 – कवयित्री शिव का क्या संदेश लेकर आई है?
उत्तर – कवयित्री शिव की अनन्य भक्त है। वह संसार में शिव का संदेश प्रचारित करना चाहती है कि ईशभक्ति में ही प्राणी की मुक्ति है। शिव करुणामयी हैं तथा संसार का कल्याण करने वाले हैं। जो प्राणी सच्चे मन से उनकी भक्ति करता है, वे उसे मुक्ति प्रदान करते हैं। प्राणी को जीतन में ऐसा अवसर बार-बार नहीं मिलता। अत: उसे इस अवसर को छोड़ाना नहीं चाहिए।

बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1 – प्रथम पद में कवयित्री अक्क महादेवी ———— पर नियंत्रण का संदेश देती है –
(क) इंद्रियों पर
(ख) लोभ पर
(ग) अहंकार पर
(घ) ईर्ष्या पर
उत्तर – (क) इंद्रियों पर

प्रश्न 2 – कवयित्री किससे कहती है कि – ‘तू मचलकर मुझे मत सता’ –
(क) भक्ति
(ख) प्यास
(ग) भूख
(घ) ईर्ष्या
उत्तर – (ग) भूख

प्रश्न 3 – कवयित्री किससे कहती है कि – ‘तू उथल-पुथल मत मचा’ –
(क) भक्ति
(ख) क्रोध
(ग) भूख
(घ) ईर्ष्या
उत्तर – (ख) क्रोध

प्रश्न 4 – कवयित्री मोह से क्या कहती हैं –
(क) कि वह अपने बंधन में उसे बाँध दे
(ख) कि वह अपने बंधन कस दे
(ग) कि वह अपने बंधन ढीले कर दे
(घ) इन में से कोई नहीं
उत्तर – (ग) कि वह अपने बंधन ढीले कर दे

प्रश्न 5 – कवयित्री किसका सन्देश लेकर आई है –
(क) प्रकृति का
(ख) शिव का
(ग) जड़-चेतन का
(घ) इन्द्रियों का
उत्तर – (ख) शिव का

प्रश्न 6 – दूसरे पद में कवयित्री क्या व्यक्त करती है –
(क) ईश्वर के प्रति समर्पण
(ख) ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव
(ग) समर्पण का भाव
(घ) पूर्ण समर्पण का भाव
उत्तर – (ख) ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव

प्रश्न 7 – कवयित्री ने ईश्वर को किसके सामान बताया है –
(क) जूही के फूल के सामान
(ख) किसी कोमल फूल के सामान
(ग) कमल के फूल के सामान
(घ) गुलाब के फूल के सामान
उत्तर – (क) जूही के फूल के सामान

प्रश्न 8 – सांसारिक चक्र में उलझने का सबसे बड़ा कारण है –
(क) अहम् का मोह
(ख) भोग-विलास का मोह
(ग) पुत्र का मोह
(घ) घर का मोह
उत्तर – (घ) घर का मोह

प्रश्न 9 – जब कवयित्री भीख माँगने के लिए झोली फैलाए तो वह ईश्वर से क्या प्रार्थना करती है –
(क) उसे भीख में ईश्वर मिल जाएँ
(ख) उसे कोई भीख न दे
(ग) उसे हर कोई भीख दे
(घ) वह केवल ईश्वर के आगे झोली फैलाए
उत्तर – (ख) उसे कोई भीख न दे

प्रश्न 10 – अंततः कवयित्री क्या चाहती है –
(क) कवयित्री त्याग की पराकाष्ठा को प्राप्त करना चाहती है
(ख) कवयित्री मान-अपमान के दायरे से बाहर निकलकर ईश्वर में विलीन होना चाहती है
(ग) कवयित्री सारे मोह-बंधनों से मुक्त होना चाहती हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions

सार-आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

 

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

हे भूख’ मत मचल
प्यास तड़प मत हे
हे नींद मत सता
क्रोध मचा मत उथल पुथल
हे मोह’ पाश अपने ढील
लोभ मत ललचा
मदमत कर मदहोश
ईष्य जला मत
ओ चराचर मत चूक अवसर
आई हूँ संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का

प्रश्न 1 – कवयित्री ने कविता में किन-किन को संबोधित किया है –
(क) भूख, प्यास और चराचर
(ख) नींद, मोह और ईष्या
(ग) मद
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – कवयित्री क्या प्रार्थना करती है तथा क्यों?
(क) कि वे उसे सांसारिक कष्ट न दें, क्योंकि इससे उसकी भक्ति बाधित होती है
(ख) कि वे उसे सांसारिक कष्ट न दें, क्योंकि इससे उसकी शांति बाधित होती है
(ग) कि वे उसे मानसिक कष्ट न दें, क्योंकि इससे उसकी भक्ति बाधित होती है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) कि वे उसे सांसारिक कष्ट न दें, क्योंकि इससे उसकी भक्ति बाधित होती है

प्रश्न 3 – कवयित्री चराचर जगत् को क्या प्रेरणा देती है?
(क) कि वे इस अवसर को न चूकें
(ख) सांसारिक मोह को छोड़कर प्रभु की भक्ति करें
(ग) वह भगवान शिव का संदेश लेकर आई है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – कवयित्री किसकी भक्त है?
(क) शिव की
(ख) विष्णु की
(ग) चराचर जगत की
(घ) ईश्वर की
उत्तर – (क) शिव की

प्रश्न 5 – अपने आराध्य को प्राप्त करने का कवयित्री ने क्या उपाय बताया है?
(क) अपनी आकांक्षाओं को वश में करना
(ख) अपनी इच्छाओं को वश में करना
(ग) अपनी इंद्रियों को वश में करना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) अपनी इंद्रियों को वश में करना

2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

हे मेरे जुही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो।
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि में झुकू उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।

प्रश्न 1 – कवयित्री आराध्य से क्या प्रार्थना करती है?
(क) कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे जिससे संसार से उसका लगाव समाप्त हो जाए
(ख) कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे जिससे संसार से उसका लगाव बना रहे
(ग) कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे जिससे संसार से उसकी आकांक्षाएँ समाप्त हो जाए
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे जिससे संसार से उसका लगाव समाप्त हो जाए

प्रश्न 2 – ‘भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह’ से आशय है –
(क) गृहस्थी के सांसारिक झंझट को भूलना
(ख) अपने परिवार वालों को भूलना
(ग) अपने घर की सारी चीज़ो को भूलना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) गृहस्थी के सांसारिक झंझट को भूलना

प्रश्न 3 – ईश्वर को जूही के फूल की उपमा क्यों दी गई है –
(क) क्योंकि ईश्वर भी जूही के फूल के समान कोमल है
(ख) क्योंकि ईश्वर भी जूही के फूल के समान सुगन्ध फैलता है
(ग) कि ईश्वर भी जूही के फूल के समान लोगों को आनंद देता है, उनका कल्याण करता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) कि ईश्वर भी जूही के फूल के समान लोगों को आनंद देता है, उनका कल्याण करता है

प्रश्न 4 – अक्क महादेवी भीख माँगने की कामना क्यों करती हैं –
(क) क्योंकि कवयित्री संसार से विरक्त होकर ईश्वर को पाना चाहती हैं
(ख) क्योंकि कवयित्री संसार के कामों को करते हुए थक जाती है
(ग) ताकि कवयित्री संसार में बिना किसी कष्ट के रह सके
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) क्योंकि कवयित्री संसार से विरक्त होकर ईश्वर को पाना चाहती हैं

प्रश्न 5 – प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री का एकमात्र लक्ष्य क्या है।
(क) मोह माया की समाप्ति
(ख) अपने परमात्मा की प्राप्ति
(ग) मानसिक शांति की प्राप्ति
(घ) शारीरिक सुख की प्राप्ति
उत्तर – (ख) अपने परमात्मा की प्राप्ति

 

Also See  :

Hindi Aroh Bhag 1 Question Answers

Hindi Aroh Bhag 1 Book Lessons

Hindi Vitan Bhag 1 Book Lessons

Hindi Abhivyakti Aur Madhyam Book Lessons