CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन Question Answers
Miya Nasiruddin Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 2 Miya Nasiruddin Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी आरोह भाग-1 पुस्तक पाठ 2 मियाँ नसीरुद्दीन प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
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Miya Nasiruddin Question and Answers (मियाँ नसीरुद्दीन प्रश्न-अभ्यास)
प्रश्न 1 – मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा कहा गया है, क्योंकि वे मसीहाई अंदाज में रोटी पकाने की कला का बखान करते हैं। वे स्वयं भी छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका खानदान वर्षों से इस काम में लगा हुआ है। वे रोटी बनाने को कला मानते हैं तथा स्वयं को उस्ताद कहते हैं। उनका बातचीत करने का ढंग भी महान कलाकारों जैसा है। अन्य नानबाई सिर्फ रोटी पकाते हैं। वे नया कुछ नहीं कर पाते। उनका मानना था कि “काम करने से आता हैं नसीहतों से नहीं”।
प्रश्न 2 – लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?
उत्तर – लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास इसलिए गई थी क्योंकि वह रोटी बनाने की कारीगरी के बारे में जानकारी हासिल करके दूसरे लोगों को बताना चाहती थी। मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन तरह की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर थे। वह उनकी इस कारीगरी का रहस्य भी जानना चाहती थी। उन्होंने मियाँ नसीरुद्दीन के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था और एक पत्रकार होने के नाते वह उनकी कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे प्रकाशित करना चाहती थी।
प्रश्न 3 – बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?
उत्तर – लेखिका ने जब मियाँ नसीरुद्दीन से उनके खानदानी नानबाई होने का रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्ग बादशाह के लिए भी रोटियाँ बनाते थे। लेखिका ने उनसे बादशाह का नाम पूछा तो उनकी दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी। सच्चाई यह थी कि वे किसी बादशाह का नाम नहीं जानते थे और न ही उनके परिवार का किसी बादशाह से संबंध था। उन्होंने सारी बातें अपने बुजुर्गों से सुन राखी थी। बादशाह का बावची होने की बात उन्होंने अपने परिवार की बड़ाई करने के लिए कह दिया था। बादशाह का प्रसंग आते ही वे बेरुखी दिखाने लगे। और वे उस ख़ास पकवान का भी नाम नहीं बता पाए थे जिसका जिक्र उन्होंने किया था कि बादशाह के लिए उनके बुजुर्गों ने कोई ख़ास पकवान बनाया था।
प्रश्न 4 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फैसला किया’ – इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस कथन से पूर्व लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से पूछा था कि उनके दादा और वालिद मरहूम किस बादशाह के शाही बावर्चीखाने में खिदमत करते थे? इस पर मियाँ बिगड़ गए और उन्होंने खफा होकर कहा – क्या चिट्ठी भेजोगे? जो नाम पूछ रहे हो? इसी प्रश्न के बाद उनकी दिलचस्पी खत्म हो गई। अब उनके चेहरे पर ऐसा भाव उभर आया मानो वे किसी तूफान को दबाए हुए बैठे हैं। उसके बाद लेखिका के मन में आया कि पूछ लें कि आपके कितने बेटे-बेटियाँ हैं। किंतु लेखिका ने उनकी दशा देखकर यह प्रश्न नहीं किया। फिर लेखिका ने उनसे जानना चाहा कि कारीगर लोग आपकी शागिर्दी करते हैं? तो मियाँ ने गुस्से में उत्तर दिया कि खाली शगिर्दी ही नहीं, दो रुपए मन आटा और चार रुपए मन मैदा के हिसाब से इन्हें मजूरी भी देता हूँ। लेखिका द्वारा रोटियों का नाम पूछने पर भी मियाँ ने पल्ला झाड़ते हुए उसे कुछ रोटियों के नाम गिना दिए। इस प्रकार मियाँ नसीरुद्दीन के गुस्से के कारण लेखिका को लगा कि अगर कोई और प्रश्न पूछा तो वे उसे जाने के लिए कह देंगें इसलिए वे उनसे व्यक्तिगत प्रश्न न कर सकी।
प्रश्न 5 – पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्द-चित्र लेखिका ने कैसे खींचा है?
उत्तर – लेखिका ने खानदानी नानबाई नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का शब्द-चित्र खींचा है –
व्यक्तित्व – वे बड़े ही बातूनी और अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बननेवाले बुजुर्ग थे। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही साधारण-सा था, पर वे बड़े मसीहाई अंदाज़ में रोटी पकाते थे।
स्वभाव – उनके स्वभाव में रुखाई अधिक और स्नेह कम था। वे सीख और तालीम के विषय में बड़े स्पष्ट थे। उनका मानना था कि काम तो करने से ही आता है। वे सदा काम में लगे रहते थे। बोलते भी अधिक थे।
रुचियाँ – वे स्वयं को किसी पंचहजारी से कम नहीं समझते थे। बादशाह सलामत की बातें तो ऐसे बताते थे मानो अभी बादशाह के महल से ही आ रहे हों। उनकी रुचि उच्च पद, मान और ख्याति की ही थी। वे अपने हुनर में माहिर थे।
उदाहरण – (मियाँ चारपाई पर बैठे बीड़ी का मज़ा ले रहे हैं। मौसमों की मार से पका चेहरा, आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मॅजे हुए कारीगर के तेवर), इस प्रकार का शब्द चित्र पाठक के समक्ष नायक को साकार वर्णन करता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – मियाँ नसीरुद्दीन के पास जाने के पीछे लेखिका का क्या उद्देश्य था?
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन के पास लेखिका का जाने का उद्देश्य यह था कि वह एक जाने-माने नानबाई थे, जिन्हें छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनानी आती थी वह अपने पेशे को अपनी कला मानते थे। लेखिका रोटियाँ बनाने की कला के बारे में मियाँ नसीरुद्दीन से जानकारी प्राप्त करना चाहती थी और लोगों को उनकी कला के बारे में बताना चाहती थी इसलिए वह मियाँ नसीरुद्दीन के पास जानकारी लेने गई थी।
प्रश्न 2 – लेखिका जब मियाँ नसीरुद्दीन के पास जानकारी लेने पहुँची तो मियाँ ने उन्हें क्या समझ लिया था तथा उसके बाद क्या प्रतिक्रिया दी थी?
उत्तर – लेखिका जब मियाँ नसीरुद्दीन के पास पहुँची तो मियाँ के लगा कि वह उनकी रोटी खरीदने के लिए आए हैं। लेकिन जब लेखिका ने उन्हें बताया कि वह कुछ सवाल पूछने के लिए आई हैं तो मियाँ नसीरुद्दीन को लगा कि वह किसी अखबार की पत्रकार हैं। मियाँ नसीरुद्दीन का यह मानना था कि अखबार वाले कामचोर होते हैं और अखबार पढ़ने वाले भी कामचोर होते हैं। उनका कहना था जो लोग काम करते हैं उन्हें अखबार पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। लेकिन मियाँ नसीरुद्दीन ने कहा कि आप लोग इतनी दूर से आए ही हैं तो आप जो भी जानना चाहते हैं जान सकते हैं।
प्रश्न 3 – मियाँ, कहीं अखबार नवीस तो नहीं हो? वह तो खोजियों की खुराफ़ात है-अखबार तथा पत्रकार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।
उत्तर – अखबार में पत्रकार की प्रमुख भूमिका होती है। वह इधर-उधर घूम फिरकर समाचार एकत्र करता है। उसके लिए वह दिन रात एक करता है । वह निरंतर इसी खोज में लगा रहता है कि उसे कोई ताजा अनोखा समाचार मिले तो वह अपने अखबार में लिख सके। अपने समाचार की सच्चाई के लिए उसे कई लोगों से पूछताछ भी करनी पड़ती है। कई लोग तो उन्हें ठीक से सहयोग देते हैं तो कहीं उन्हें लोगों की दुत्कार भी सहन करनी पड़ती है। वे खुराफ़ाती न होकर समाज को उस का आईना दिखाने वाले सच्चे समाज सेवक होते हैं। और अखबार के जरिए लोगों को अपने आस-पास तथा दूर-दराज के सभी प्रमुख मुद्दों की खबर रख सकता है।
प्रश्न 4 – पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का परिचय कैसे कराया गया है?
उत्तर – पाठ में मियां नसीरुद्दीन का परिचय अलग–अलग तरीकों से कराया है। जब लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन की दूकान के अंदर झांका तो पाया, मियां चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा ले रहे थे। मौसमो की मार से पका चेहरा आंखों से काइयां भोलापन और परेशानी पर मंजे हुए कारीगर के तेवर। मियां नसीरुद्दीन की उम्र 70 वर्ष के आसपास लग रही थी।
नानबाई के संदर्भ में मियां नसीरुद्दीन की यह पहचान बताई गई कि वह कोई आम नानबाई नहीं थे बल्कि वह 56 प्रकार की रोटियां बनाना जानते थे और आम नानबाइयों को सिर्फ रोटी बनानी आती थी। उन्हे नानबाइयो का मशीहा कहा जाता था। वह एक खानदानी नानबाई थे और अपने पेशे को कला मानते थे।
प्रश्न 5 – अखबार बनाने वाले तथा अखबार पढ़ने वाले के लिए मियाँ के क्या विचार थे?
उत्तर – अखबार बनाने वाले व अखबार पढ़ने वालों के लिए मियाँ नसीरुद्दीन के विचार यह थे कि अखबार बनाने वाले व अखबार पढ़ने वाले दोनों ही लोग निठल्ले होते हैं। जो लोग काम करते हैं उन्हें अखबार पढ़ने की जरूरत नहीं होती। उनके पास इतना बेकार समय नहीं होता कि वे अखबार पढ़ने में अपना समय बर्बाद करे।
प्रश्न 6 – बच्चे को मदरसे भेजने के उदाहरण द्वारा मियाँ नसीरुद्दीन क्या समझाना चाहते थे?
उत्तर – ‘बच्चे को मदरसे भेजा जाए और वह कच्ची में न बैठे, न पक्की में, न दूसरी में और जा बैठा सीधा तीसरी में तो उन तीन किलासों का क्या हुआ?’ यह उदाहरण देकर मियाँ यह समझाना चाहते हैं कि उन्होंने भी पहले बर्तन धोना, भट्ठी बनाना और भट्ठी को आँच देना सीखा था, तभी उन्हें रोटी पकाने का हुनर सिखाया गया था। खोमचा लगाए बिना दुकानदारी चलानी नहीं आ सकती। अर्थात किसी भी कार्य को करने के लिए उससे सम्बन्धित छोटे से छोटे काम को सीखना आवश्यक होता है, वरना आप किसी भी कार्य में निपूर्ण नहीं हो सकते।
प्रश्न 7 – स्वयं को खानदानी तथा श्रेष्ठ नानबाई साबित करने के लिए मियाँ नसीरुद्दीन ने कौन-सा किस्सा सुनाया?
उत्तर – स्वयं को संसार के बहुत से नानबाइयों में श्रेष्ठ साबित करने के लिए मियाँ ने फरमाया कि हमारे बुजुर्ग बादशाह सलामत के बावर्ची खाने में काम किया करते थे और एक दिन हमारे बुजुर्गों से बादशाह सलामत ने कहा कि मियाँ नानबाई, कोई नई चीज़ खिला सकते हो ? जो न आग से पके, न पानी से बने! बस हमारे बुजुर्गों ने वह खास चीज़ बनाई, बादशाह ने खाई और खूब सराही। लेखिका ने जब उस चीज का नाम पूछा तो वे बोले कि ‘वो हम नहीं बताएँगे!’ मानो महज एक किस्सा ही था, पर मियाँ से जीत पाना बड़ा मुश्किल काम था।
प्रश्न 8 – मियाँ लेखिका की किस बात से नाराज होकर बेरुखी दिखने लगे तथा क्यों?
उत्तर – लेखिका ने मियां नसीरुद्दीन से बादशाह के बारे में सवाल पूछे तो मियाँ नसीरुद्दीन नाराज हो गए और बेरुखी दिखाने लगे। उनके पास किसी भी बात का प्रमाण नहीं था। वह केवल सुनी सुनाई बाते ही बता रहे थे। उनके पास इन बातों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था। मियाँ ने केवल इतना बताया उनके परिवार के लोग बादशाह के लिए खाना बनाते थे। परिवार के लोग बादशाह के बावर्ची थे। जब लेखिका ने बादशाह का नाम पूछा तो उन्हें बादशाह का नाम नहीं पता था उनके पास कोई भी प्रमाण नहीं था इसलिए उनकी दिलचस्पी जवाब देने में खत्म होने लगी और वह बेरुखी दिखाने लगे। वह बस डींगे हाक रहे थे तथा सुनी सुनाई बातें बता रहे थे।
प्रश्न 9 – बादशाह का नाम पूछे जाने पर मियाँ बिगड़ क्यों गए?
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन एक ऐसे बातूनी नानबाई थे जो स्वयं को सभी नानबाइयों से श्रेष्ठ साबित करने के लिए खानदानी और बादशाह के शाही बावर्ची खाने से ताल्लुक रखने वाले कहते थे। वे इतने काइयाँ थे कि बस जो वे कहें उसे सब मान लें, कोई प्रश्न न पूछे। ऐसे में बादशाह का नाम पूछने से पोल खुलने का अंदेशा था जो उन्हें नागवार गुजरा और वे उखड़ गए। उसके बाद उन्हें किसी भी सवाल का जवाब देना अखरने लगा।
प्रश्न 10 – मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर ‘दबे हुए अंधड़ के आसार’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन लेखिका के सवालों से बहुत खीझ चुके थे, पर उन्होंने अपनी खीझ किसी तरह दबा रखी थी। यदि और कोई गंभीर सवाल उन पर दागा जाए तो वे बिफर पड़ेंगे, ऐसा सोचकर ही लेखिका ने उनसे उनके बेटे-बेटियों के विषय में कोई सवाल नहीं पूछा। केवल इतना ही पूछा कि क्या ये कारीगर लोग आपकी शागिर्दी करते हैं? क्योंकि इस सवाल से तूफ़ान की आशंका न थी।
प्रश्न 11 – लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से पूछा कि बुजुर्गों की कौन सी नसीहत उन्हें याद है तब मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या कहा?
उत्तर – लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से जब पूछा कि उन्हें बुजुर्गों की कौन सी नसीहत याद है तो उन्होंने बुजुर्गों की नसीहत बताई कि काम करने से आता है किसी की नसीहत से नहीं। मियां ने रोटियां बनाना सीखने से पहले कई प्रकार के कार्य सीखे जैसे – बर्तन धोना, भट्टी बनाना , भट्टी को आंच देना आदि।
प्रश्न 12 – लेखिका ने जब मियांँ से पूछा कि कारीगर लोग “क्या आपकी शागिर्दी करते हैं?” तो मियाँ नसीरुद्दीन ने क्या जवाब दिया?
उत्तर – लेखिका ने जब मियांँ से पूछा कि कारीगर लोग “क्या आपकी शागिर्दी करते हैं” तो मियांँ नसीरुद्दीन में बताया कि “सिर्फ शागिर्दी ही नहीं करते हैं। मैं उन्हें दो रुपए मन आटा और चार रुपए मन मैदा के हिसाब से इन्हें गिन-गिन कर मजूरी भी देता हूं।” मियांँ नसीरुद्दीन के कहने का यह अर्थ था कि वह कारीगरों से सीखाने की आड़ में मुफ़्त में काम नहीं करवाते थे। वह एक खानदानी नानबाई थे और इसलिए उनसे लोग सीखने आते थे। वह लोगो से काम कराते थे काम कराते वक्त उचित मजदूरी भी दिया करते थे।
प्रश्न 13 – मियाँ नसीरुद्दीन का पत्रकारों के प्रति क्या रवैया था?
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन का मानना था कि अखबार पढ़ने और छापनेवाले दोनों ही बेकार होते हैं। आज पत्रकारिता एक व्यवसाय है जो नई से नई खबर बढिया से बढ़िया मसाला लगाकर पेश करते हैं। कभी-कभी तो खबरों को धमाकेदार बनाने के लिए तोड़-मरोड़ डालते हैं। मियाँ की नज़र में काम करना अखबार पढ़ने से कहीं अधिक जरुरी काम है। बेमतलब के लिखना, छापना और पढ़ना उनकी नज़र में निहायत निकम्मापन है। इसलिए उन्हें अखबार वालों से परहेज है।
प्रश्न 14 – “ ज्यादातर भट्टी पर कौन सी रोटियां पका करती है” इस सवाल के जवाब में मियाँ ने क्या जवाब दिया?
उत्तर – “ज्यादातर भट्टी पर कौन सी रोटी पका करती है” इस सवाल के जवाब में मियाँ ने बोला कि भट्टियों पर कई प्रकार की रोटियाँ बनती हैं ‘खमीरी, बाकरखानी, शीरमाल, ताफतान, बेसनी, तुनकी, गाशेबान, दीदा, रूमाली’ आदि रोटियाँ बनती हैं। इसके बाद मियाँ ने लेखिका को घूर कर देखा और बताया कि “तुनकी पापड़ से ज़्यादा महीन होती है। हाँ, किसी दिन खिलाएंगे ,आपको”। इसके बाद वह पूरानी यादो को याद करने लगे और कहा कि “उतर गए वे जमाने। और गए वे कद्रदान जो पकाने–खाने की कद्र करना जानते थे! मियाँ अब क्या रखा है….. निकाली तंदूर से, निगली और हजम।
प्रश्न 15 – मियाँ ने अपने बुजुर्गों के बारे में क्या बताया?
उत्तर – मियां ने अपने बुजुर्गों के बारे में कई बातें बताई। उन्होंने बताया उनके वालिद और वालिद के वालिद बहुत जाने-माने नानबाई थे। वह साधारण नानबाई नहीं, बहुत बड़े खानदानी नानबाई थे। उन्होंने कई कार्य अपने पूर्वजों से सीखें। जैसे अलग-अलग तरीकों की रोटी बनाना। मियां के वालिद की 80 वर्ष में मृत्यु हो गई। मियां के परिवार के बुजुर्गों को पकवान बनाने भी आते थे। वह बादशाहो के लिए पकवान भी बनाते थे। और बादशाह द्वारा हर प्रकार की, की गई मांग को पूरा करते थे। बादशाह ने उन्हें पकवान बनाने को कहा वो की आग व पानी का प्रयोग किए बिना बने। उन्होंने बादशाह को पकवान बनाकर खिलाएं थे।
प्रश्न 16 – मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आप को अच्छी लगीं?
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगी हैं –
- मियाँ नसीरुद्दीन का पंचहजारी अंदाज़ से सिर हिलाकर लेखिका के प्रश्नों का उत्तर देना।
- मियाँ नसीरुद्दीन का अखबार बनाने और पढ़ने वालों को निठल्ला कहना।
- लेखिका को नानबाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने का ढंग बताना।
- अपने पिता और दादा के नानबाई के रूप में प्रसिद्ध होने का वर्णन करते हुए भाव विभोर हो जाना।
- गुरु और शिष्य के उदाहरण द्वारा शिक्षा, प्रशिक्षण आदि का महत्त्व बताना ।
- अपने बुजुर्गों की प्रशंसा में बादशाह से संबंधित कथा सुनाना।
प्रश्न 17 – लेखिका के यह पूछने पर कि क्या यहाँ और भी नानबाई हैं – मियाँ ने क्या उत्तर दिया ?
उत्तर – लेखिका ने जब मियाँ नसीरुद्दीन से यह पूछा कि क्या यहाँ और भी नानबाइयों की दुकानें हैं तो मियाँ पहले तो उन्हें घूरने लगे कि लेखिका ने ऐसा प्रश्न क्यों पूछा फिर उत्तर दिया कि यहाँ बहुत से नानबाई हैं परंतु उन जैसा खानदानी नानबाई कोई नहीं है। अपने खानदानी नानबाई होने का सबूत देते हुए उन्होंने कहा कि उनके बुजुर्ग बादशाह के लिए भी रोटियाँ बनाते थे। एक बार हमारे एक बुजुर्ग से बादशाह ने कहा था कि मियाँ नानबाई कोई ऐसी चीज़ बनाओ जो न आग से पके और न पानी से बने। तब हमारे बुजुर्गों ने ऐसी ही चीज़ बनाई जिसे बादशाह ने खूब खाया और उस चीज़ की खूब प्रशंसा भी की। इस प्रकार उन्होंने स्वयं को इस क्षेत्र का सबसे अच्छा और खानदानी नानबाई सिद्ध किया।
प्रश्न 18 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र में लेखिका ने खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का वर्णन करते हुए यह बताया है कि मियाँ नसीरुद्दीन नानबाई का अपना काम अत्यंत ईमानदारी और मेहनत से करते थे। यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी। वे अपने इस कार्य को किसी भी कार्य से हीन नहीं मानते थे। उन्हें गर्व है कि वे अपने खानदानी व्यवसाय को अच्छी प्रकार से चला रहे हैं। वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बना सकते थे। वे काम करने में विश्वास रखते हैं। इस प्रकार मियाँ नसीरुद्दीन के माध्यम से लेखिका यह संदेश देना चाहती है कि हमें अपना काम पूरी मेहनत तथा ईमानदारी से करना चाहिए। कोई भी व्यवसाय छोटा-बड़ा नहीं होता है। हमें अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित होना चाहिए।
प्रश्न 19 – पाठ के अंत में मियाँ अपना दर्द कैसे व्यक्त करते हैं?
उत्तर – मियाँ ने लंबी साँस खींचकर कहा-‘उतर गए वे ज़माने और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे! मियाँ अब क्या रखा है….निकाली तंदूर से-निगली और हज़म!’ । मियाँ नसीरुद्दीन के इस कथन में गुम होती कला की इज्जत का दर्द बोल रहा है। वर्तमान युग में कला के पारखी और सराहने वाले नहीं हैं। भागदौड़ में न कोई ठीक से पकाता है और यदि कोई अच्छी रोटी पकाकर भी दे दे तो खानेवाले यूं ही दौड़ते-भागते खा लेते हैं, कला की इज्जत कोई नहीं करता। इसी दृष्टिकोण के चलते हमारे देश में अनेक पारंपरिक कलाएँ दम तोड़ रही हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ की लेखिका है –
(क) कृष्णा सोबती
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) कृष्णा वर्मा
(घ) सुभद्रा चौहान
उत्तर – (क) कृष्णा सोबती
प्रश्न 2 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ किसके लिए प्रसिद्ध थे –
(क) गुस्सा करने के लिए
(ख) बातें बनाने के लिए
(ग) रोटियाँ बनाने के लिए
(घ) भट्टी जलाने के लिए
उत्तर – (ग) रोटियाँ बनाने के लिए
प्रश्न 3 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ कैसे इंसान का प्रतिनिधित्व करते हैं –
(क) जो अपने काम को कला का दर्ज़ा देते हैं
(ख) जो अखबार प्रकाशित करना व् पढ़ना दोनों बेकार समझता है
(ग) जो दूसरों पर रौब जमाते हैं
(घ) जो दूसरों को नीचा दिखाते हैं
उत्तर – (क) जो अपने काम को कला का दर्ज़ा देते हैं
प्रश्न 4 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ कितने प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं –
(क) बत्तीस
(ख) छत्तीस
(ग) छयालीस
(घ) छप्पन
उत्तर – (घ) छप्पन
प्रश्न 5 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ ने लेखिका को देख कर क्या समझा था –
(क) अखबार नवीस
(ख) लेखिका
(ग) कवयित्री
(घ) व्यापारी
उत्तर – (क) अखबार नवीस
प्रश्न 6 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ को किनका मसीहा कहा गया है –
(क) रोटी पकाने वालों के
(ख) नानाबाईयों के
(ग) नानबाइयों के
(घ) दुकानदारों के
उत्तर – (ग) नानबाइयों के
प्रश्न 7 – अखबार बनाने वालों और पढ़ने वालों को मियाँ नसीरुद्दीन क्या समझते थे –
(क) बेकार
(ख) होशियार
(ग) निठ्ठला
(घ) समझदार
उत्तर – (ग) निठ्ठला
प्रश्न 8 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ पाठ की एक कहावत के अनुसार खानदानी नानबाई कहाँ रोटियाँ पका सकता है –
(क) चूल्हे में
(ख) भट्टी में
(ग) कुऍं में
(घ) पानी में
उत्तर – (ग) कुऍं में
प्रश्न 9 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ के बुजुर्ग उनके अनुसार बादशाह के महल में क्या काम करते थे –
(क) नानबाई का
(ख) दरबारी का
(ग) सैनिक का
(घ) सलाहकार का
उत्तर – (क) नानबाई का
प्रश्न 10 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ के पिता किस नाम से प्रसिद्ध थे –
(क) शाही नानबाई कानपुरवाले
(ख) शाही नानबाई गढ़ैयावाले
(ग) शाही नानबाई लखनाऊवाले
(घ) शाही नानबाई गढ़वालवाले
उत्तर – (ख) शाही नानबाई गढ़ैयावाले
प्रश्न 11 – पापड़ से भी महीन कौन सी रोटी होती है –
(क) बेसनी
(ख) तुनकी
(ग) शीरमाल
(घ) खमीरी
उत्तर – (ख) तुनकी
प्रश्न 12 – नानबाई का अर्थ है –
(क) रोटी बनाने वाला
(ख) रोटी खाने वाला
(ग) रोटी बेचने वाला
(घ) रोटी का आटा गुथने वाला
उत्तर – (क) रोटी बनाने वाला
प्रश्न 13 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ अपना उस्ताद मानते हैं –
(क) अपने दादा को
(ख) अपने बुजुर्गों को
(ग) अपने पिता को
(घ) अपने नाना को
उत्तर – (ग) अपने पिता को
प्रश्न 14 – ‘काम करने से आता है नसीहतों से नहीं’ कथन है –
(क) मियाँ नसीरुद्दीन के पिता का
(ख) मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का
(ग) बादशाह का
(घ) मियाँ नसीरुद्दीन का
उत्तर – मियाँ नसीरुद्दीन का
प्रश्न 15 – ‘तालीम की तालीम भी बड़ी चीज़ होती है’ इस वाक्य में प्रयुक्त दूसरी तालीम का अर्थ है –
(क) शिक्षा का व्यवहारिक ज्ञान
(ख) नसीहत
(ग) शिक्षा
(घ) ज्ञान
उत्तर – (क) शिक्षा का व्यवहारिक ज्ञान
प्रश्न 16 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ ने खोजियों की खुराफ़ात किसे कहा है –
(क) लेखकों को
(ख) अखबारनवीस को
(ग) आईनासाज़ को
(घ) नगीनासाज़ को
उत्तर – (ख) अखबारनवीस को
प्रश्न 17 – पेशानी कहते हैं –
(क) सर को
(ख) हाथों को
(ग) जुबान को
(घ) माथे को
उत्तर – (घ) माथे को
प्रश्न 18 – बेसनी है –
(क) बेसन की मिठाई
(ख) रोटी का प्रकार
(ग) बेसन का हलवा
(घ) बेसन की रोटी
उत्तर – (ख) रोटी का प्रकार
प्रश्न 19 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ के मन में कौन सा दर्द छिपा है –
(क) मियाँ नसीरुद्दीन की दूकान का न चलना
(ख) नानबाइयों की भरमार हो जाना
(ग) नानबाई कला के घटते कद्रदान
(घ) कला का मज़ाक उठाया जाना
उत्तर – (ग) नानबाई कला के घटते कद्रदान
प्रश्न 20 – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ का परिवार कितनी पीढ़ियों से अपना खानदानी काम कर रहा था –
(क) पाँच
(ख) दो
(ग) चार
(घ) तीन
उत्तर – (घ) तीन
सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1 –
साहबों, उस दिन अपन मटियामहल की तरफ से न गुज़र जाते तो राजनीति, साहित्य और कला के हज़ारों-हजार मसीहों के धूम-धड़के में नानबाइयों के मसीहा मियाँ नसीरुद्दीन को कैसे तो पहचानते और कैसे उठाते लुत्फ उनके मसीही अदाज़ का! हुआ यह कि हम एक दुपहरी जामा मस्जिद के आड़े पड़े मटियामहल के गद्वैया मुहल्ले की ओर निकल गए। एक निहायत मामूली अँधेरी-सी दुकान पर पटापट आटे का ढेर सनते देख ठिठके। सोचा, सेवइयों की तैयारी होगी, पर पूछने पर मालूम हुआ खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर खड़े हैं। मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
प्रश्न 1 – ‘हजारों-हज़ार मसीहों के धूम-धड़ाके’ से आशय हैं
(क) दिल्ली के साहित्य और कला में हजारों प्रतिभाशाली लोग
(ख) दिल्ली में राजनीति, साहित्य और कला में हजारों प्रतिभाशाली लोग
(ग) दिल्ली में राजनीति प्रतिभाशाली लोग
(घ) दिल्ली में कला के हजारों प्रतिभाशाली लोग
उत्तर – (ख) दिल्ली में राजनीति, साहित्य और कला में हजारों प्रतिभाशाली लोग
प्रश्न 2 – नानबाई किसे कहते हैं?
(क) जो कई तरह से बालों को काटने का काम करता है
(ख) जो कई तरह की सिलाई करने का काम करता है
(ग) जो कई तरह की रोटियाँ बनाने और बेचने का काम करता है
(घ) जो कई तरह की मिठाइयाँ बनाने और बेचने का काम करता है
उत्तर – (ग) जो कई तरह की रोटियाँ बनाने और बेचने का काम करता है
प्रश्न 3 – गद्यांश में किस नानबाई का जिक्र हुआ है?
(क) मियाँ सीरुद्दीन नामक खानदानी नानबाई का
(ख) मियाँ नसरुद्दीन नामक खानदानी नानबाई का
(ग) मियाँ नसीरुन नामक खानदानी नानबाई का
(घ) मियाँ नसीरुद्दीन नामक खानदानी नानबाई का
उत्तर – (घ) मियाँ नसीरुद्दीन नामक खानदानी नानबाई का
प्रश्न 4 – मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान कहाँ स्थित थी?
(क) जामा मस्जिद के पास
(ख) गद्वैया मुहल्ले में
(ग) जामा मस्जिद के गद्वैया मुहल्ले में
(घ) जामा मस्जिद के पास मटियामहल के गद्वैया मुहल्ले में
उत्तर – (घ) जामा मस्जिद के पास मटियामहल के गद्वैया मुहल्ले में
प्रश्न 5 – मियाँ मशहूर हैं ———————
(क) छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए
(ख) छत्तीस किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए
(ग) छियालीस किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए
(घ) तिरपन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए
उत्तर – (क) छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए
2 –
मियाँ नसीरुद्दीन ने पंचहजारी अंदाज़ से सिर हिलाया-‘निकाल लेंगे वक्त थोड़ा, पर यह तो कहिए, आपको पूछना क्या है? फिर घूरकर देखा और जोड़ा- मियाँ, कहीं अख़बारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफात है। हम तो अख़बार बनानेवाले और अखबार पढ़ने वाले दोनों को ही निठल्ला समझते हैं। हाँ-कामकाजी आदमी को इससे क्या काम है। खैर, आपने यहाँ तक आने की तकलीफ़ उठाई ही है तो पूछिए-क्या पूछना चाहते हैं।’
मियाँ नसीरुद्दीन ने आँखों के कंचे हम पर फेर दिए। फिर तरेरकर बोले- क्या मतलब? पूछिए साहब-नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा? क्या ननासाज़ के पास? क्या आईनासाज़ के पास? क्या मीनासाज़ के पास या रफूगर, अँगरेज़ या तैली-तंबोली से सीखने जाएगा? क्या । फरमा दिया साहब-यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा। हाँ, इल्म की बात पूछिए तो जो कुछ भी सीखा, अपने वालिद उस्ताद से ही। मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई पेशा अख्तियार करेंगे। जो बाप-दादा का हुनर था, वहीं उनसे पाया और वालिद मरहूम के उठ जाने पर बैठे उन्हीं के ठीये पर”
प्रश्न 1 – पंचहजारी अदाज से आशय है –
(क) मुगलों के समय में पचास हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे
(ख) मुगलों के समय में पचपन हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे
(ग) मुगलों के समय में पाँच हजार मुद्राओं के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे
(घ) मुगलों के समय में पाँच हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे
उत्तर – (घ) मुगलों के समय में पाँच हजार सिपाहियों के अधिकारी को पंचहजारी कहते थे
प्रश्न 2 – मियाँ ने लेखिका को घूरकर देखा, क्यों?
(क) मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका अखबार वाली तो नहीं हैं
(ख) मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका चित्रकार तो नहीं हैं
(ग) मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका उनकी रिश्तेदार तो नहीं हैं
(घ) मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका अखबार पढ़ने वाली तो नहीं हैं
उत्तर – (क) मियाँ नसीरुद्दीन को शक था कि कहीं लेखिका अखबार वाली तो नहीं हैं
प्रश्न 3 – अखबार वालों के बारे में मियाँ नसीरुद्दीन की क्या राय है –
(क) वे अखबार बनाने वालों के साथ साथ अखबार पढ़ने वालों को भी ईमानदार मानते हैं
(ख) वे अखबार बनाने वालों के साथ साथ अखबार पढ़ने वालों को भी मेहनती मानते हैं
(ग) वे अखबार बनाने वालों के साथ साथ अखबार पढ़ने वालों को भी बेकार मानते हैं
(घ) वे अखबार बनाने वालों के साथ साथ अखबार पढ़ने वालों को भी निठल्ला मानते हैं
उत्तर – (घ) वे अखबार बनाने वालों के साथ साथ अखबार पढ़ने वालों को भी निठल्ला मानते हैं
प्रश्न 4 – मियाँ ने लखिका को आँखें तरेरकर क्यों उत्तर दिया –
(क) जब लेखिका ने मियाँ से पूछा कि आपने नानबाई का काम किससे सीखा तो उन्हें क्रोध आ गया
(ख) मियाँ से जब लेखिका ने पूछा कि उन्हें अखबार वालों को निट्ठल्ला क्यों समझते हैं तो उन्हें क्रोध आ गया
(ग) मियाँ से जब लेखिका ने पूछा कि आपने चपातियाँ बनाने का काम किससे सीखा तो उन्हें क्रोध आ गया
(घ) मियाँ से जब लेखिका ने पूछा कि उनके पास कितने काम करने वाले हैं तो उन्हें क्रोध आ गया
उत्तर – (क) जब लेखिका ने मियाँ से पूछा कि आपने नानबाई का काम किससे सीखा तो उन्हें क्रोध आ गया
प्रश्न 5 – मियाँ ने किन-किन खानदानी व्यवसायों के उदाहरण दिए –
(क) नगीनाराज़, आईनासाज
(ख) मीनासाज़, रफूगर
(ग) रैंगरेज व तेली तंबोली
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
3 –
लगा, हमारा आना कुछ रंग लाया चाहता है। बेसब्री से पूछा-‘वह पकवान क्या था-कोई खास ही चीज होगी।’
मियाँ कुछ देर सोच में खोए रहे। सोचा पकवान पर रोशनी डालने को है कि नसीरुद्दीन साहिब बड़ी रुखाई से बोले-यह हम न बतायेंगे। बस, आप इत्ता समझ लीजिए कि एक कहावत है न कि खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है। कहावत जब भी गढ़ी गई हो, हमारे बुजुर्गों के करतब पर ही पूरी उतरती है।’ मज़ा लेने के लिए टोका-कहावत यह सच्ची भी है कि……. मियाँ ने तरेरा-‘और क्या झूठी है? आप ही बताइए, रोटी पकाने में झूठ का क्या काम झूठ से रोटी पकेगी? क्या पकती देखी है कभी रोटी जनाब पकती है आँच से, समझे।
प्रश्न 1 – लेखिका किस ख़ास पकवान के बारे में पूछ रही थी –
(क) मियाँ की दूकान की ख़ास चपाती
(ख) मियाँ के पूर्वजों द्वारा बनया गया राजदरबार का पकवान
(ग) मियाँ के पूर्वजों के ख़ास मसालों वाले पकवान
(घ) मियाँ के द्वारा चपातियों के साथ दिए जाने वाले पकवान के बारे में
उत्तर – (ख) मियाँ के पूर्वजों द्वारा बनया गया राजदरबार का पकवान
प्रश्न 2 – मियाँ नसीरुद्दीन ने किस चीज के लिए कहा कि यह हम न बतावेंगे?
(क) पुरखों के द्वारा बादशाह के लिए बनवाए ख़ास पकवान को जो न आग से और न पानी से पका था
(ख) अपनी छप्पन प्रकार की चपातियों के बारे में
(ग) अपने पुरखों की जानकारी के बारे में
(घ) पुरखों के द्वारा बादशाह के लिए बनवाए पकवानों के बारे में
उत्तर – (क) पुरखों के द्वारा बादशाह के लिए बनवाए ख़ास पकवान को जो न आग से और न पानी से पका था
प्रश्न 3 – मियाँ किस सोच में खो गए?
(क) मियाँ सोचने लगे कि क्या उन्हें लेखिका को अपनी चपातियों के बारे में बता देना चाहिए
(ख) मियाँ सोच में पड़ गए कि क्या उन्हें लेखिका को अपने पूर्वजों की जानकारी देनी चाहए
(ग) मियाँ से जब ख़ास पकवान के बारे में पूछा गया तो वे सोच में पड़ गए। वास्तव में मियाँ को ऐसी चीज के बारे में पता ही नहीं था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) मियाँ से जब ख़ास पकवान के बारे में पूछा गया तो वे सोच में पड़ गए। वास्तव में मियाँ को ऐसी चीज के बारे में पता ही नहीं था
प्रश्न 4 – गद्यांश में मियाँ किस बात का दावा करते हैं –
(क) कि खानदानी नानबाई पानी पर भी पका सकता है
(ख) कि खानदानी नानबाई कुँए में भी पका सकता है
(ग) कि खानदानी नानबाई कुछ भी पका सकता है
(घ) कि खानदानी नानबाई किसी को अपना राज नहीं बताता
उत्तर – (ग) कि खानदानी नानबाई कुछ भी पका सकता है
प्रश्न 5 – जब लेखिका ने मज़ा लेने के लिए मियाँ को टोका कि क्या यह काहवत कि खानदानी नानबाई कुएँ में भी रोटी पका सकता है-यह सच्ची भी है कि……. तो इस पर मियाँ ने क्या कहा –
(क) और क्या झूठी है?
(ख) रोटी पकाने में झूठ का क्या काम, झूठ से रोटी पकेगी?
(ग) क्या पकती देखी है कभी रोटी जनाब पकती है आँच से, समझे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
4 –
‘खाली शागिर्दी ही नहीं साहिब, गिन के मजूरी देता हूँ। दो रुपये मन आटे की मजूरी। चार रुपये मन मैदे की मजूरी! हाँ!
‘ज्यादातर भट्ट पर कौन-सी रोटियाँ पका करती हैं?’
मियाँ को अब तक इस मज़मून में कोई दिलचस्पी बाकी न रही थी, फिर भी हमसे छुटकारा पाने को बोले –
‘बाकरखानी-शीरमाल-ताफतान-बेसनी-खमीरी-रूमाली-गाव-दीदा-गाज़ेबान-तुनकी-’
फिर तेवर चढ़ा हमें घूरकर कहा ‘तुनकी पापड़ से ज्यादा महीन होती है, महीन। हाँ किसी दिन खिलाएँगे, आपको।’ एकाएक मियाँ की आँख के आगे कुछ कौंध गया। एक लंबी साँस भरी और किसी गुमशुदा याद को ताज़ा करने को कहा उतर गए वे ज़माने। और गए वे कद्रदान जो पकाने-खाने की कद्र करना जानते थे। मियाँ अब क्या रखा है…….. निकाली तंदूर से-निगली और हज़म!’
प्रश्न 1 – मियाँ अपने शागिर्दों को कियनि मजूरी देते थे –
(क) चार रुपये मन आटे की मजूरी। दो रुपये मन मैदे की मजूरी
(ख) चार रुपये मन आटे की मजूरी। चार रुपये मन मैदे की मजूरी
(ग) दो रुपये मन आटे की मजूरी। चार रुपये मन मैदे की मजूरी
(घ) दो रुपये मन आटे की मजूरी। दो रुपये मन मैदे की मजूरी
उत्तर – (ग) दो रुपये मन आटे की मजूरी। चार रुपये मन मैदे की मजूरी
प्रश्न 2 – मियाँ ने लेखिका से छुटकारा पाने के लिए भट्ट में पकने वाली कौन-कौन सी रोटियों के नाम बताए –
(क) बाकरखानी-शीरमाल-ताफतान
(ख) बाकरखानी-बेसनी-खमीरी-रूमाली-गाव-दीदा
(ग) रूमाली-गाव-दीदा-गाज़ेबान-तुनकी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – तुनकी क्या है –
(क) विशेष प्रकार की रोटी जो पापड़ से भी अधिक पतली होती है
(ख) विशेष प्रकार की रोटी जो पापड़ जैसी होती है
(ग) विशेष प्रकार की चपाती जो बहुत पतली होती है
(घ) विशेष प्रकार का पापड़
उत्तर – (क) विशेष प्रकार की रोटी जो पापड़ से भी अधिक पतली होती है
प्रश्न 4 – मियाँ के आगे क्या काँध गया –
(क) पुराने जमाने के लोग
(ख) पुराने जमाने के पकवान
(ग) पुराने जमाने की रोटियाँ
(घ) पुराने जमाने के दिन
उत्तर – (घ) पुराने जमाने के दिन
प्रश्न 5 – ‘उतर गए वे जमान।’ से आशय है –
(क) पहले जमाने में लोग कलाकारों की कद्र करते थे।
(ख) वे पकाने वालों की मेहनत, कलाकारी, योग्यता आदि का मान करते थे।
(ग) आज जमाना बदल गया। अब किसी के पास समय नहीं है। हर व्यक्ति केवल पेट भरने का काम करता है। उसे स्वाद की कोई परवाह नहीं है।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) आज जमाना बदल गया। अब किसी के पास समय नहीं है। हर व्यक्ति केवल पेट भरने का काम करता है। उसे स्वाद की कोई परवाह नहीं है।
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