CBSE Class 11 Hindi Vitan Bhag 1 Book Chapter 3 आलो आँधारि Question Answers
Aalo Aandhari Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Vitan Bhag-1 Chapter 3 Aalo Aandhari Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी वितान भाग-1 पुस्तक पाठ 3 आलो आँधारि प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
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Aalo Aandhari Question and Answers (आलो आँधारि प्रश्न-अभ्यास )
प्रश्न 1 – पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों कि इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर – हमारे समाज में ऐसा माना जाता है कि पुरुष के बिना, महिला का कोई अस्तित्व नहीं है। समाज की यह सच्चाई, पाठ के निम्नलिखित भागो से पता चलती है –
लेखिका को घर में बच्चों के साथ अकेला रहते देखकर, सभी लोग पूछते थे कि, क्या वह घर में अकेले रहती हैं?, उसके पति कहां रहते हैं?, वह उस घर में कितने समय से है?, उसके पति उसके साथ क्यों नहीं रहते हैं?, वह वहाँ क्या करती हैं?, क्या लेखिका अकेले रह पाएंगी?, ऐसी बातों को सुनकर, कोई भी आवाज उठाना नहीं चाहेगा। इसलिए वह बच्चों को साथ लेकर उसी वक्त काम खोजने निकल गई।
अगर किसी दिन लेखिका को काम से लौटने में देर हो जाती, तो हर कोई उसकी तरफ ऐसे देखता कि मानो वह कोई अपराध करके आ रही हो। यहां तक कि यदि लेखिका को बाजार में कोई भी वस्तु खरीदने जाना होता था तो मकान मालिक की महिला उसे ताने देती हुई कहती थी कि वह हर दिन कहां जाती है?, उसका तो पति है नहीं, वह तो अकेली है। उसे इतना घूमने की आवश्यकता क्यों है? लेखिका सोचती थी कि अगर उसका पति उसके साथ नहीं है, तो क्या वह अकेले घूम भी नहीं सकती? क्योंकि पति के साथ रहने के बावजूद भी उसे शांति तो नहीं मिली।
यदि किसी दिन काम से घर पहुंचने में देरी हो जाती तो मकान मालिक की महिला उसका कारण पूछने लगती। मकान मालकिन का बड़ा बेटा उसके द्वार पर आकर बैठ जाता है और इस तरह की बातें कहता है जिनका अर्थ था कि यदि वह चाहे तभी बेबी उस घर में रह सकती है।
जब लेखिका काम पर जाती थी, तो आसपास के लोग एक दूसरे से कहते थे कि, इस लड़की का पति यहां नहीं रहता, यह बच्चों के साथ अकेली रहती है।, दूसरे लोग उनकी बातें सुनकर लेखिका को बताना चाहते थे। वह लेखिका से बात करने की कोशिश करते थे। वह पानी पीने के बहाने से लेखिका के घर आ जाते थे।
जब लेखिका बच्चों के साथ कहीं बाहर जाती थी, तो लोग बहुत सी बातें करते थे। लेखिका को देखकर न जाने कितने लोग सिटी बजाते थे और ताना मारा करते थे।
लेखिका को कभी-कभी लगता था कि क्या यह सब इतना आसान है? घर में कोई आदमी नहीं है, तो क्या इसलिए लेखिका को सब से सब कुछ स्वीकार करना पड़ेगा?
जब झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया गया तो सभी अपना सामान समेटकर दूसरे घरों में चले गए, पर वह अकेली बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे बैठी रही।
उपर्युक्त अंशों से स्पष्ट होता है कि पुरुष स्त्री पर ज्यादती करे तो भी पूरे समाज की ज्यादतियों से बचने के लिए पुरुष स्त्री का एक सुरक्षा कवच तो है ही।
वर्तमान समय में स्त्रियों की स्थिति में काफी बदलाव आया है। शिक्षा व् कानूनों के कारण स्त्रियों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। अब वे अकेली रहकर भी जीवन यापन कर सकती हैं। वह अपने पैरों पर खड़ी है और कई तरह के काम करती है। महानगरों में तो कितनी अविवाहित महिला अकेले रह कर अपना जीवन खुशी से जीती है।
प्रश्न 2 – अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफर में, बेबी के सामने, रिश्तो की कौन सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर – बेबी के अपने परिवार में माता-पिता, भाई-भाभी, बहन आदि सभी थे, पर नाम के ही थे। बिना सोचे-समझे, एक तेरह वर्ष की लड़की को अधेड़ पुरुष के साथ बाँध दिया गया। पति से अपना रिश्ता टूटने के बाद, अपनों से लेकर तातुश के घर तक, बेबी ने रिश्ते की सच्चाई जानी। उसने जाना की रिश्ते दिल से जुड़े होते हैं, अन्यथा रिश्तो में दरार पड़ जाती है। पति के चले जाने के बाद, वह अकेली और असहाय हो गई थी। वह बच्चों के साथ किराए के घर में अकेले रहने लगी थी। हालांकि, भाई और रिश्तेदार उसके घर के पास ही रहते थे, परंतु फिर भी कोई उसकी मदद नहीं करता था। कोई उससे मिलने भी नहीं आया। यहां तक कि उसे अपनी मां की मृत्यु की खबर 6 महीने के बाद अपने पिता से मिली। बाहरी लोगों ने ही उसकी ज्यादातर सहायता की। सुनील नामक एक युवक ने उसे तातुश के घर में काम दिलवाया। तातुश ने उसे अपनी बेटी की तरह माना और उसकी बहुत सहायता की। उन्हीं के प्रोत्साहन के कारण, वह एक लेखिका बन गई। वास्तव में, उन्होंने जैसा व्यवहार किया ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं। ये बताते हैं करुणा, दया और स्नेह के संबंध खून के रिश्तों से कहीं बढ़कर होते हैं।
प्रश्न 3 – इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं के बारे में पता चलता है। घरेलू नौकरों को, और किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार कीजिए।
उत्तर – इस पाठ से हमें घर में काम करने वाले नौकरों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। कुछ परेशानियाँ, जिसका उन्हें सामना करना पड़ता है, निम्नलिखित है:-
घरेलू नौकरी में वित्तीय सुरक्षा नहीं मिलती है। उन्हें नौकरी पर से कभी भी निकाला जा सकता है।
उन्हें गंदे एवं सस्ते घरों में रहना पड़ता है क्योंकि वह ज्यादा किराया देकर अच्छा मकान लेने में सक्षम नहीं होते हैं।
मालिक के घरों में इनका शारीरिक शोषण भी होता है। ज्यादातर, लड़कियाँ शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं।
दूसरों के घर में काम करने वाली औरतों के प्रति दूसरे लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक होता है।
किसी पर्व-त्योहार में, उनका काम दोगुना हो जाता है। मालिक अपने नौकरों को घर की साफ सफाई में लगा देते हैं। घर के मालिक नौकरों के पर्व के बारे में नहीं सोचते।
दूसरों के घर में काम करने वाली औरतों के बच्चों को पर्याप्त भोजन एवं शिक्षा नहीं मिल पाती। यहां तक कि बच्चों को भी कम उम्र से ही काम करना पड़ता है।
इनके काम के घंटे भी अधिक होते हैं।
चिकित्सा सुविधा व खाने के अभाव में ये अशिक्षित रहते हैं।
प्रश्न 4 – आलो-अंधारी रचना, बेबी के व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे हुए हैं। किन्हीं दो समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर – ‘आलो- आंधारि’, लेखिका की आत्मकथा है। लेखिका की आत्मकथा होने के साथ लेखिका हमें एक अनोखी दुनिया के दर्शन करवाती है। इस पाठ में हमें एक ऐसी दुनिया देखने को मिलती है, जो हमारे पड़ोस में ही है परंतु उसमें ताक झाक करना असंवेदनशील माना जाता है। इस पाठ के दो प्रमुख समस्याएं निहित है –
(क) परित्यक्त महिला की समाज में स्थिति – यह पुस्तक एक परित्यक्ता स्त्री की कहानी कहती है और इस रचना में वह परित्यक्त महिला बेबी है। वह एक किराए के घर में रहती है और अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए दूसरों के घर में घरेलू नौकरानी का काम करती है। उसके प्रति अन्य लोगों का व्यवहार बहुत ही खराब प्रतीत होता है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा उसका शोषण करना चाहता है। उसे सदा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। एक अकेली औरत को हर कोई असहाय समझता है। इस पाठ में भी, बेबी का मानसिक और आर्थिक रुप से शोषण किया गया है। बेबी के सहायता के लिए कोई भी आगे नहीं आता। सहायता के नाम पर उसका मजाक उड़ाया जाता है।
(ख) स्वच्छता का अभाव और गंदी बस्तियां – इस पाठ में, मलिन बस्तियों और उसके आसपास के गंदे क्षेत्रों की खुलकर चर्चा की गई है। यह बस्तियां, नीचे तबके में रहने वाले लोगों के लिए है। इन बस्तियों में गरीब लोग रहते हैं और यहां शौचालय की भी सुविधा नहीं है। महिलाओं को इस मामले में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे गंदे इलाके में बसी हुई इन बस्तियों में कई बीमारियों का भी खतरा होता है। सरकारें भी इन सब चीजों के प्रति अपनी आंखें बंद कर कर रखती है।
प्रश्न 5 – “तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो।” जेठू का यह कथन, रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
उत्तर – रचना संसार और इसमें रहने वाले लोगों की अपनी एक अलग ही जीवन-शैली है। ये लोग लेखन कार्य के लिए सारी सारी रात जाग सकते हैं, या यूँ कहें कि जागते हैं। ‘तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’ जेठू के इस कथन से, यह समझा जा सकता है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों ना हो, मनुष्य की इच्छा शक्ति यदि प्रबल हो तो वह अपनी इच्छाशक्ति से कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।
आशापूर्णा देवी एक सामान्य गृहिणी थी जो पूरे दिन घर के कामों में व्यस्त रहा करती थी। उन्हें लिखने का बहुत शौक था। जब पूरा परिवार सोता था, तब वह लिखा करती थी। वह स्वयं लिख लिख कर एक बहुत ही प्रसिद्ध कथाकार बन गई। हां, यह बात सत्य है कि उनकी अपेक्षा बेबी की स्थिति बहुत खराब है। बेबी वित्तीय संकट से जूझ रही है। लेकिन, यदि वह हमेशा लिखते रहेगी तो अपने लेखन शैली को और बेहतर बना सकती है। यदि बेबी खुद को व्यस्त जीवन से निकाल पाए तो वह अपने आप एक प्रसिद्ध लेखिका बन सकती है। यह सच है रचना संसार में लेखन का एक नशा होता है, जैसा मुंशी प्रेमचंद को भी था, जो कई मील पैदल चलकर आते, खाने-पीने का ठिकाना न था, फिर भी डिबरी की रोशनी में कई-कई घंटे बैठकर लेखन कार्य करते थे। ऐसी ही बेबी हालदार ने भी किया। जब सारी झुग्गी बस्ती सो जाती तो वह लेखन कार्य करती रहती थी।
प्रश्न 6 – बेबी की जिंदगी में, तातुश का परिवार ना आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करके लिखिए।
उत्तर – बेबी के जीवन मे बहुत परेशानियां थी। पति के जाने के पश्चात उस पर मानव दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बेबी ने बहुत परेशानियां झेली। उसके साथ-साथ उसके बच्चे भी थे। सभी बहुत बुरी स्थिति में थे। बेबी के जीवन में तातुश एक सौभाग्य की भाँति हैं। तातुश जैसे लोग सबको नहीं मिलते। जब से बेबी तातुश के परिवार से मिली, उसे भोजन, आवास आदि समस्याओं से मुक्ति मिल गई। उसके बच्चों का पालन पोषण भी अच्छे तरीके से होने लगा। यदि तातुश का परिवार उसके जीवन में ना आया होता, तो उसका जीवन नरक के समान हो जाता। उसके बच्चों को भी अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती। उसके बच्चों को भी छोटी उम्र में ही कहीं काम करना पड़ता। बेबी का समाज में रहना बहुत मुश्किल हो जाता। उसे लोगों के द्वारा आपत्तिजनक बातें सुनने को मिलती। उसका बड़ा बेटा शायद ही उसे मिल पाता। उसके पिता भी उसे याद नहीं करते और इसी तरह उसे अपनी मां के मृत्यु की खबर भी नहीं मिलती। उसका और उसके बच्चों का जीवन चुनौतीपूर्ण एवं धूमिल हो जाता। यदि तातुश बेबी के जीवन में न आते तो बेबी स्वयं कभी अपनी क्षमता को पहचान न पाती। वह भी घृणास्पद अज्ञात कुचक्र के-से जीवन में कहीं खोकर रह जाती। हमें उसकी आत्मकथा पढ़ने का अवसर न मिल पाता।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – ‘बेबी के लिए तातुश के हृदय में माया (ममता) है’-ऐसा किन बातों से बेबी को महसूस होता था?
उत्तर – तातुश ने बेबी को उसके बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा दी। मदद करके उन्हें स्कूल में प्रवेश दिलवाया। उसे दूसरी कोठी में काम न करने की सलाह देकर उसकी और सहायता करने का आश्वासन दिया। वे कहते तो कुछ न थे, पर कुछ ऐसा करते थे कि बेबी को महसूस होता था कि वे बेबी के प्रति माया (ममता) रखते हैं, जैसे कभी-कभी जब वह काम करने जाती तो तातुश बरतन पोंछ रहे होते, कभी जाले ढूँढ़ रहे होते थे।
प्रश्न 2 – ‘बेबी के अँधेरे जीवन में आलोक फैलाने का श्रय तातुश को क्यों दिया जाना चाहिए ’ तर्क सहित लिखिए।
उत्तर – तातुश जैसे सहृदय लोग सौभाग्य से ही मिलते हैं। उन्होंने बेबी को अपने घर में घरेलू काम के लिए रखा, पर सदा उसका ध्यान रखते हुए यह सोचा कि उसका भी मन है, उसकी भी इच्छाएँ हैं, उसे भी अच्छी तरह जीने का अवसर मिलना चाहिए।
एक झुग्गी में रहने वाली बेबी लेखिका बनना तो दूर अपने बच्चों की पढ़ाई, पेट पालने, आवास आदि सुविधाओं की व्यवस्था भी नहीं कर पा रही थी। झुग्गी बस्ती की घिनौनी मानसिकता और समाज की संकीर्ण सोच के कारण उसे दिन-रात उलटी-सीधी बातें सुननी पड़ती थीं। कभी बस्ती और मकान बदलना पड़ता तो कभी बुलडोजर उसका मकान गिरा जाता। इस निराशाजनक माहौल में तातुश ने उसे पढ़ने के लिए किताबें दीं और लेखन के लिए बाध्य किया और कहा कि लेखन को वह तातुश का काम समझकर करे, जैसा भी हो गलती हो तो भी लिखे। वह अपना ही जीवन-परिचय लिख सकती है। वे बेबी को समझाते कि जो बुरे हैं वे ऐसे क्यों हैं? उन्हें माफ करने का प्रयास करो। उसके लिखे हुए की वे केवल तारीफ़ ही नहीं करते वरन् उसे अपने सभी मित्रों में प्रसारित करते। इस उत्साहजनक व्यवहार से ही बेबी को यह मुकाम हासिल हुआ।
अतः यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि बेबी के अँधेरे जीवन में तातुश ने ही उजाला (आलोक) फैला दिया।
प्रश्न 3 – बेबी की तबियत ख़राब होने पर तातूश क्या करते थे?
उत्तर – बेबी की तबियत ख़राब होने पर तातूश चिंता में पड़ जाते थे और बेबी का कुछ काम स्वयं करने लग जाते थे। वह बेबी को ज़बरदस्ती पड़ोस के डॉक्टर के पास भेज देते थे। डॉक्टर से बेबी की दवा लिखवा देते और फिर तातूश पर्ची पर लिखी दवाई जल्दी से जाकर ले आते। तातूश सिर्फ़ दवा लाते ही नहीं बल्कि जिस समय जो दवा खानी है उसे निकालकर बेबी को देते भी थे। दवा के लिए बेबी जब आना-कानी करने लगती तो भी वह ज़बरन उसे दवाई खिला देते। अतः बेबी जब तक ठीक नहीं हो जाती थी तातूश उसका पूरी तरह से ख़्याल रखते थे।
प्रश्न 4 – परिवार से लेकर तातूश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन सी सच्चाई सामने आयी?
उत्तर – अपने परिवार से व अपने पति से रिश्ता टूटने के बाद अपनो से लेकर तातूश के घर तक, बेबी ने सभी रिश्तों को क़रीब से देखा और उन रिश्तों की सच्चाई भी जानी। पति के घर को छोड़कर वह पूरी तरह से अकेली हो गयी। वह अपने बच्चों के साथ किराए के घर में रहने लगी और काम खोजने लगी। उसके भाई व कुछ रिश्तेदार उसके घर के पास ही रहते थे फिर भी उन लोगों ने उसकी किसी प्रकार की मदद नहीं की और ना ही उनसे मिलने आए। बेबी को अपनी माँ की मृत्यु की ख़बर भी छह महीने बाद अपने पिता से मिली। इसके अलावा बाहरी लोगों ने बेबी की बहुत मदद की। सुनील नाम के एक युवक ने बेबी को काम दिलवाया, घर टूट जाने के बाद भोला दा पूरी रात बेबी के साथ खुले आसमान में बैठे रहे, तो कही तातूश ने बेबी तो अपनी बेटी की तरह माना और उसकी हर तरह से मदद की। तातूश के प्रोत्साहन से बेबी लेखिका बन गयी। इस तरह बाबी ने समझा कि रिश्ते दिल से होते है।
प्रश्न 5 – ‘बेबी हालदार का जीवन क्या संदेश देता है?
उत्तर – बेबी हालदार का जीवन इस बात की जीती-जागती मिसाल है कि मनुष्य संघर्ष कर हर मुकाम को पा सकता है। पति की ज्यादतियों को सहने वाली लाखों स्त्रियाँ हमारे समाज में रहती हैं। जो निम्न, मध्यम और उच्च-तीनों ही वर्गों में समान रूप से हैं। असल में बेबी जैसी स्त्रियाँ बहुत कम हैं जो अपने ऊपर विश्वास करके अत्याचारी पति को ठुकराकर बाहर निकल सकें। उसके बाद समाज में ओछी बातों पर ध्यान न देकर चुपचाप जीवन-जीना, अपने बच्चों को पालना ये सभी बातें हमें प्रेरित करती हैं कि अन्याय को सहन मत करो, स्वयं में विश्वास रखो और सदा मेहनत करते रहो। मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। इसी शिक्षा को ग्रहण कर हमें सदा मेहनत और संघर्ष के साथ अन्याय को ठुकराना है।
प्रश्न 6 – लेखिका किसी के पास खड़े होकर बात क्यों नहीं करती थी ?
उत्तर – लेखिका जब भी किसी के पास खड़े होकर बात करने जाती लोग उससे उसके पति और निजी जीवन से सम्बंधित सवाल करने लगते थे। इसी कारण से लेखिका किसी के पास खड़े होकर बात नहीं करती थी।
प्रश्न 7 – लेखिका को बच्चों के साथ अकेला रहते देख आस-पास के लोग उनसे क्या कहते थे?
उत्तर – लेखिका को बच्चों के साथ अकेला रहते देख आस-पास के लोग उनसे बहुत सवाल करते थे। सभी लोग उनसे पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा पति कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा पति वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा पति क्यों नहीं आता?
प्रश्न 8 – परिवार से लेकर तातूश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन सी सच्चाई सामने आयी?
उत्तर – अपने परिवार से व अपने पति से रिश्ता टूटने के बाद अपनो से लेकर तातूश के घर तक, बेबी ने सभी रिश्तों को क़रीब से देखा और उन रिश्तों की सच्चाई भी जानी। पति के घर को छोड़कर वह पूरी तरह से अकेली हो गयी। वह अपने बच्चों के साथ किराए के घर में रहने लगी और काम खोजने लगी। उसके भाई व कुछ रिश्तेदार उसके घर के पास ही रहते थे फिर भी उन लोगों ने उसकी किसी प्रकार की मदद नहीं की और ना ही उनसे मिलने आए। बेबी को अपनी माँ की मृत्यु की ख़बर भी छह महीने बाद अपने पिता से मिली। इसके अलावा बाहरी लोगों ने बेबी की बहुत मदद की। सुनील नाम के एक युवक ने बेबी को काम दिलवाया, घर टूट जाने के बाद भोला दा पूरी रात बेबी के साथ खुले आसमान में बैठे रहे, तो कही तातूश ने बेबी तो अपनी बेटी की तरह माना और उसकी हर तरह से मदद की। तातूश के प्रोत्साहन से बेबी लेखिका बन गयी। इस तरह बाबी ने समझा कि रिश्ते दिल से होते है।
प्रश्न 9 – बेबी के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – ‘आलो आँधारि’ बेबी की आत्मकथा है। बेबी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(क) साहसी – बेबी को एक साहसी महिला के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वह अपने पति से अलग होकर अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रहती है और लोगों के घर में काम-काज करके अपना तथा अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है। एक जगह काम छूट जाने पर भी घबराती नहीं है बल्कि दूसरा काम ढूंढना शुरू कर देती है। तातुश के घर में काम करते हुए जब उसका घर तोड़ दिया जाता है तो वह सारी रात खुले में अपने बच्चों और सामान के साथ प्रत्येक स्थिति का साहसपूर्वक सामना करती है।
(ख) परिश्रमी – बेबी बहुत ही परिश्रमी महिला है। तातुश के घर का सारा काम-काज वह थोड़े-से समय में ही निपटा देती थी। तातुश उससे पूछते हैं कि वह इतना ढेर सारा काम इतने कम समय में और इतनी अच्छी तरह कैसे कर लेती है तो बेबी कहती है कि उसे बचपन से ही घर के काम-काज करने का अभ्यास है, इसलिए उसे यह कार्य करते हुए कोई असुविधा नहीं होती है। बेबी सुबह-सवेरे ही तातुश के घर काम करने आ जाती थी। उसे लगातार काम करते देख कर तातुश उसकी सहायता करने के लिए कभी बर्तन पोंछने लगते थे तो कभी झाड़ लेकर जाले निकालने लगते थे। बेबी उन्हें यह सब करने से रोकती थी और कहती थी कि उन्हें यह सब नहीं करना चाहिए, वह कर देगी।
(ग) अध्ययनशीला – बेबी को इस बात का दुःख है कि वह बचपन में पढ़-लिख नहीं सकी थी। तातुश के घर अलमारियाँ साफ़ करते हुए उनमें रखी हुई पुस्तकों को खोलकर देखती थी और सोचती थी कि इन्हें कौन पढ़ता होगा। वह स्वयं छठी कक्षा तक पढ़ी थी। तातुश के पूछने पर उसने रवींद्रनाथ ठाकुर, काजी नज़रूल इस्लाम, शरतचंद्र आदि के नाम भी गिना दिए थे। तब तातुश ने उसे तसलीमा नसरिन की ‘आमार मेये बेला’ पुस्तक पढ़ने के लिए दी और बाद में कॉपी और पेन भी दिया कि इसमें वह अपने बारे में कुछ-कुछ लिखती रहा करे। इस प्रकार तातुश की प्रेरणा से वह पढ़ने लगी और उसने अपनी आत्मकथा लिखना भी शुरू कर दिया।
(घ) ममतामयी – बेबी को अपने बच्चों के भविष्य की बहुत चिंता रहती है। वह उन्हें पढ़ा-लिखाकर सभ्य नागरिक बनाना चाहती है। तातुश की सहायता से वह दो बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिला देती है। उसका बड़ा लड़का कहीं नौकरी करता था। उसका उसे पता नहीं चलता तो वह व्याकुल हो उठती है। तातुश उसे उसके बड़े लड़के से मिलवाते हैं और बाद में किसी अच्छे घर में उसे काम भी दिलवा देते हैं। वह पूजा के अवसर पर अपने बड़े लड़के को भी तातुश के घर ले आती है। बच्चों के सुखद भविष्य के लिए वह कठोर परिश्रम करती है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि बेबी एक परिश्रमी, साहसी, ममतामयी स्वाभिमानिनी एवं अध्ययनशीला महिला थी।
प्रश्न 10 – बेबी को पता होता कि तातुश के घर पहले से कोई औरत काम कर रही है तो वह क्या करती ?
उत्तर – जब पहले दिन बेबी तातुश के घर काम करने आई तो उसने देखा कि उस घर काम करने के लिए पैंतीस-चालीस वर्ष की कोई विधवा जा रही है। साहब बाहर पेड़ों में पानी दे रहे थे। बेबी को देखते ही वे भीतर गए और उस औरत की काम से छुट्टी कर दी। वह औरत भी बंगाली थी और उसने बाहर आते ही बेबी को गालियाँ देनी शुरू कर दी। बेबी ने उसे कहा कि वह नहीं जानती थी कि यहाँ पहले से कोई काम कर रहा है, जानती तो वह यहाँ आती ही नहीं।
प्रश्न 11 – तातुश ने बेबी को कौन-सी चीज़ देकर उन्हें इस्तेमाल करने के लिए कहा ?
उत्तर – तातुश ने बेबी को एक पेन और एक कॉपी देकर कहा कि तुम लिखना सीखो। होश संभालने के बाद से अब तक की जितनी भी बातें तुम्हें याद आएँ सब इस कॉपी में रोज़ थोड़ा-थोड़ा लिखना। पेन और कॉपी हाथ में लिए बेबी सोचने लगी कि इसका तो कोई ठिकाना नहीं कि जो लिखूँगी वह कितना गलत या सही होगा। तातुश ने पूछा, क्यों, क्या हुआ ? क्या सोचने लगी ? बेबी चौंक पड़ी। फिर बोली, सोच रही थी कि लिख सकूँगी या नहीं। तातुश बोले कि ज़रूर लिख सकोगी। लिख क्यों नहीं सकोगी ! जैसे बने वैसे लिखना। लिखते रहने से ही लिखने का अभ्यास हो जाएगा।
प्रश्न 12 – जब बेबी का घर तोड़ दिया गया तो उसकी दशा का वर्णन करें?
उत्तर – टूटे हुए घर और बिखरे हुए घरेलू सामान को देख कर बेबी रो पड़ी। उसे रोता देख कर उसके बच्चे भी रोने लगे। बेबी के दो-दो भाई पास में ही रहते थे, परंतु उसकी सहायता करने कोई भी नहीं आया। वह सोचने लगी कि न जाने उसके भाग्य में और कितना दुःख भोगना लिखा है। तभी पास में रहने वाले भोलादा ने आकर उसे सांत्वना दी। बिखरा हुआ सामान एकत्र किया और उसी खुली, गंदी जगह में ओस में भीगते हुई उन्होंने रात गुजारी।
प्रश्न 13 – ‘आलो-आँधारि’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘आलो-आँधारि’ पाठ के माध्यम से लेखिका ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी को थोड़ा-सा सहारा और उचित मार्गदर्शन मिल जाता है तो वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपना और अपने परिवार का भविष्य उज्ज्वल बना लेता है। इस पाठ की नायिका बेबी एक घरेलू नौकरानी है। वह पति से अलग रहती है। उसके बच्चे उसके साथ है। इनका पालन-पोषण करने के लिए वह लोगों के घर में काम करती है। जहाँ वह काम करती थी वहाँ से काम छूट जाने पर उसे सुनील की सहायता से तातुश के घर काम मिल जाता है। तातुश उसकी बहुत सहायता करते हैं। उसे बच्चों के साथ रहने के लिए अपनी छत पर कमरा दे देते हैं। उसके बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिला देते हैं। उसे लिखने-पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। तातुश के घर रहते हुए उसके बच्चों का भविष्य संवर जाता है और वह एक लेखिका बन जाती है। उसकी रचना बंगाली पत्रिका में प्रकाशित हो जाती है। इस प्रकार एक भले आदमी का सहारा और प्रेरणा उसके जीवन की दिशा ही बदल देते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – आलो आँधारि किसकी आत्मकथा हैं –
(क) लेखिका बेबी हालदार की
(ख) लेखिका के साहब तातुश की
(ग) लेखक प्रमोद कुमार की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) लेखिका बेबी हालदार की
प्रश्न 2 – आलो आँधारि मूल रूप से किस भाषा में लिखी गई हैं –
(क) उड़िया भाषा
(ख) मराठी भाषा
(ग) गुजराती भाषा
(घ) बांग्ला भाषा
उत्तर – (घ) बांग्ला भाषा
प्रश्न 3 – आलो आँधारि का अर्थ क्या है –
(क) अंधेरे में प्रकाश
(ख) अंधेरे का उजाला
(ग) अंधेरे का खतरा
(घ) अंधेरे का रहस्य
उत्तर – (ख) अंधेरे का उजाला
प्रश्न 4 – बेबी हालदार कौन सी कक्षा तक पढ़ी थी –
(क) आठवीं
(ख) नवीं
(ग) सातवीं
(घ) पांचवीं
उत्तर – (ग) सातवीं
प्रश्न 5 – घर टूटने पर बेबी हालदार की मदद किसने की –
(क) तातुश
(ख) भोला दा
(ग) भाइयों ने
(घ) पड़ोसियों ने
उत्तर – (ख) भोला दा
प्रश्न 6 – भोला दा किस धर्म से संबंधित थे –
(क) मुस्लिम
(ख) हिन्दू
(ग) सिख
(घ) ईसाई
उत्तर – (क) मुस्लिम
प्रश्न 7 – बेबी हालदार को तातुश के घर काम दिलवाने में किसने मदद की –
(क) सुशील ने
(ख) भोला दा ने
(ग) सुनील ने
(घ) अर्जुन ने
उत्तर – (ग) सुनील ने
प्रश्न 8 – बेबी हालदार से पहले तातुश के घर में काम करने वाली महिला को कितना वेतन मिलता था –
(क) 800 रुपया प्रति माह
(ख) 700 रुपया प्रति माह
(ग) 900 रुपया प्रति माह
(घ) 1000 रुपया प्रति माह
उत्तर – (क) 800 रुपया प्रति माह
प्रश्न 9 – बेबी हालदार से पहले तातुश के घर में काम करने वाली विधवा महिला की उम्र लगभग कितनी थी –
(क) 45 से 50 वर्ष
(ख) 25 से 30 वर्ष
(ग) 55 से 60 वर्ष
(घ) 35 से 40 वर्ष
उत्तर – (घ) 35 से 40 वर्ष
प्रश्न 10 – तातुश को लेखिका के बच्चे क्या कहकर बुलाते थे –
(क) साहब
(ख) दादा
(ग) तातुश
(घ) मालिक
उत्तर – (ग) तातुश
प्रश्न 11 – तातुश का क्या अर्थ हैं –
(क) भाई समान व्यक्ति
(ख) ताऊ समान व्यक्ति
(ग) चाचा समान व्यक्ति
(घ) पिता समान व्यक्ति
उत्तर – (घ) पिता समान व्यक्ति
प्रश्न 12 – जेठू कौन थे –
(क) तातुश के पिता
(ख) तातुश के मित्र
(ग) तातुश के बेटे
(घ) तातुश के नौकर
उत्तर – (ख) तातुश के मित्र
प्रश्न 13 – जेठू का अर्थ क्या होता है –
(क) पिता का बड़ा भाई
(ख) पिता का छोटा भाई
(ग) पिता का बड़ा बेटा
(घ) पिता का मित्र
उत्तर – (क) पिता का बड़ा भाई
प्रश्न 14 – बेबी हालदार के बड़े लड़के को कौन ले गए थे –
(क) तातुश के लोग
(ख) बेबी के परिवार वाले
(ग) भोला दा के लोग
(घ) पड़ोस के लोग
उत्तर – (घ) पड़ोस के लोग
प्रश्न 15 – बेबी हालदार को पार्क में जो लड़की मिली, उसका क्या नाम था –
(क) सुशीला
(ख) सुनीति
(ग) सुनिधि
(घ) सुनैना
उत्तर – (ख) सुनीति
प्रश्न 16 – जेठू ने कौन सी लेखिका के बारे में बता कर बेबी हालदार को लिखने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की –
(क) आनापूर्णा देवी
(ख) आशापूर्णा देवी
(ग) आशापूर्णा शर्मा
(घ) आशापूर्णा राठौर
उत्तर – (ख) आशापूर्णा देवी
प्रश्न 17 – बेबी हालदार अपना ज्यादा लेखन किस समय करती थी –
(क) रात में
(ख) दिन में
(ग) दोपहर में
(घ) काम ख़त्म करके
उत्तर – (क) रात में
प्रश्न 18 – पत्रिका में बेबी हालदार की रचना किस शीर्षक से छपी थी –
(क) आलो आधरि
(ख) अलो आँधारि
(ग) आलो आँधारि
(घ) अलो आधारि
उत्तर – (ग) आलो आँधारि
प्रश्न 19 – सजने सँवरने के बारे में बेबी की क्या राय थी –
(क) उन्हें बचपन से ही संजने संवरने का शौक नही था
(ख) उन्हें बचपन से ही संजने संवरने का शौक था
(ग) बचपन से ही संजने संवरने का शौक कभी पूरा नही हुआ
(घ) बचपन से ही संजने संवरने का उन्हें मौका नही मिला
उत्तर – (क) उन्हें बचपन से ही संजने संवरने का शौक नही था
प्रश्न 20 – तातुश लेखिका के आने पर खुश क्यों हो जाते थे –
(क) क्योंकि वो लेखिका को बेटी की तरह मानने लगे थे
(ख) क्योंकि लेखिका उनका सारा काम कर देती थी
(ग) क्योंकि वो लेखिका को अपने मित्र की तरह मानने लगे थे
(घ) क्योंकि वो लेखिका को पढ़ते हुए देखकर खुश होते थे
उत्तर – (क) क्योंकि वो लेखिका को बेटी की तरह मानने लगे थे
सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार-आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
1 –
मैं अब अपने किराये के घर में थी। सब समय सोचती रहती कि काम न मिला तो बच्चों को क्या खिलाऊँगी, कैसे उन्हें पालूँगी-पोसूँगी! मैं स्वयं एक घर से दूसरे घर काम खोजने जाती और दूसरों से भी काम जुटाने के लिए कहती। मुझे यह चिंता भी थी कि महीना खत्म होने पर घर का किराया देना होगा। पता नहीं इससे कम किराये में कोई घर मिलेगा या नहीं! काम के साथ मैं घर भी ढूँढ़ रही थी। डेढ़ सप्ताह हुए जा रहे थे और काम कहीं मिल नहीं रहा था। मुझे बच्चों के साथ उस घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? ऐसी बातें सुन मेरी किसी के पास खड़े होने की इच्छा नहीं होती, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती। बच्चों को साथ ले मैं उसी समय काम खोजने निकल पड़ती। कुछ घंटों बाद जब मैं घर लौटती तब फिर पड़ोस की औरतें आकर पूछतीं, क्यों, काम मिला? फिर मेरे चेहरे का भाव देख कोई-कोई मुँह से चुक-चुक आवाज़ निकाल कहती, मिल जाएगा। इधर-उधर ढूँढ़ने-ढाँढ़ने से मिल ही जाएगा। मैं उनकी बातें अनसुनी कर अपने बच्चों की बातें करने लगती।
प्रश्न 1 – गद्यांश में कौन अपने बारे में बता रहा है? –
(क) काम वाली बाई
(ख) काम ढूंढने वाली महिला
(ग) बेबी हालदार
(घ) समाज से परेशान महिला
उत्तर – (ग) बेबी हालदार
प्रश्न 2 – लेखिका अपने पति को छोड़कर कहाँ रह रही थी? –
(क) शहर में
(ख) गाँव में
(ग) अपने रिश्तेदार के पास
(घ) किराए के मकान में
उत्तर – (घ) किराए के मकान में
प्रश्न 3 – लेखिका को हर समय क्या चिंता सताती थी? –
(क) काम न मिला तो बच्चों को क्या खिलाऊँगी
(ख) काम न मिला तो बच्चों को कैसे पालूँगी-पोसूँगी
(ग) महीना खत्म होने पर घर का किराया कैसे देगी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – लेखिका को बच्चों के साथ उस घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग उससे क्या पूछते थे? –
(क) क्या वह यहाँ अकेली रहती है? उसका स्वामी कहाँ रहता है?
(ख) वह कितने दिनों से वहाँ है? उसका स्वामी वहाँ क्या करता है?
(ग) क्या वह वहाँ अकेली रह सकोगी? उसका स्वामी क्यों नहीं आता?
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – काम खोज कर जब लेखिका घर लौटती तब पड़ोस की औरतें उससे क्या प्रश्न पूछतीं? –
(क) क्यों, काम मिला?
(ख) उसका पति कब आएगा
(ग) वह अपने बच्चों का पालन-पोषण कैसे करेगी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) क्यों, काम मिला?
2 –
मुझे सबेरे जल्दी उठकर, बिना कुछ खाए-पिए, काम पर आना पड़ता था। खाना-वाना बनाकर मैं घर जाती और वही सब काम वहाँ जाकर करती। साहब कहते तो कुछ नहीं लेकिन कभी-कभी ऐसा कुछ कर बैठते जिससे मैं जान जाती कि उनके मन में मेरे लिए माया है। सबेरे उनके यहाँ जाने पर कभी देखती कि वह बर्तन पोंछ रहे हैं तो कभी उन्हें झाड़ू लेकर जाले ढूँढ़ते देखती। मैं पूछती कि उन्हें यह सब करने की क्या दरकार है तो वह इधर-उधर का कोई बहाना बनाकर बात को टाल देते। उनके यहाँ काम करने में मुझे बहुत सुख मिलता। वहाँ कोई भी मेरे काम को लेकर कुछ नहीं कहता। कोई यह तक नहीं देखता कि मैं कुछ कर भी रही हूँ या नहीं। मुझे सबेरे देखते ही साहब का चेहरा खिल उठता लेकिन वह बोलते कुछ भी नहीं। वह जिस तरह से मुझे देखते उससे मुझे लगता जैसे सोच रहे हों कि इस बेचारी को किस अपराध के पीछे अपना घर-परिवार छोड़ बच्चों के साथ यहाँ अकेले रहने को बाध्य होना पड़ा! उन्हें तब तक जितना मैं जान सकी थी उससे मुझे लगता कि कहीं मुझे दुख न पहुँचे, इस डर से वह मुझसे इस तरह की कोई बात नहीं करते थे। वह कुछ कहना शुरू करते फिर अचानक चुप हो जाते।
प्रश्न 1 – लेखिका कौन-सा काम साहब और अपने घर दोनों जगह करती थी? –
(क) खाना बनाने का काम
(ख) पढ़ाई का काम
(ग) लिखाई का काम
(घ) कपड़े धोने का काम
उत्तर – (क) खाना बनाने का काम
प्रश्न 2 – साहब के कामों को देखकर लेखिका को कैसा लगता? –
(क) जैसे साहब को काम करने में मज़ा आता हो
(ख) जैसे साहब के मन में लेखिका के लिए माया (ममता) हो
(ग) जैसे साहब कंजूस किसम के व्यक्ति हों
(घ) जैसे साहब लेखिका का काम आसान करना चाहते हों
उत्तर – (ख) जैसे साहब के मन में लेखिका के लिए माया (ममता) हो
प्रश्न 3 – कई बार साहब के घर जा कर लेखिका क्या देखती? –
(क) कभी साहब बर्तन पोंछ रहे होते
(ख) कभी साहब झाड़ू लेकर जाले ढूँढ़ रहे होते
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों
प्रश्न 4 – जिस तरह से साहब लेखिका को देखते उससे लेखिका को क्या लगता था? –
(क) जैसे सोच रहे हों कि इस बेचारी को किस अपराध के पीछे अपना घर-परिवार छोड़ बच्चों के साथ यहाँ अकेले रहने को बाध्य होना पड़ा
(ख) जैसे सोच रहे हों कि इस बेचारी को उसके पति ने कितना सताया होगा
(ग) जैसे सोच रहे हों कि इस बेचारी को किस अपराध की सजा मिली होगी
(घ) जैसे सोच रहे हों कि इस बेचारी को इसके घर-परिवार वाले क्यों नहीं ढूंढते
उत्तर – (क) जैसे सोच रहे हों कि इस बेचारी को किस अपराध के पीछे अपना घर-परिवार छोड़ बच्चों के साथ यहाँ अकेले रहने को बाध्य होना पड़ा
प्रश्न 5 – लेखिका के काम पर साहब और साहब के परिवार वाले क्यों ध्यान नहीं देते थे? –
(क) क्योंकि साहब और उनके परिवार वाले बहुत व्यस्त रहते थे
(ख) क्योंकि साहब और उनके परिवार वाले घर पर नहीं रहते थे
(ग) क्योंकि साहब और उनके परिवार वाले लेखिका के काम से बहुत खुश थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) क्योंकि साहब और उनके परिवार वाले लेखिका के काम से बहुत खुश थे
3 –
जब मेरे स्वामी के सामने वहाँ के लोगों के मुँह बंद नहीं होते थे तो यहाँ तो बच्चों को लेकर मैं अकेली थी! यहाँ तो वैसी बातें और भी सुननी पड़तीं। मैं काम पर आती-जाती तो आस-पास के लोग एक-दूसरे को बताते कि इस लड़की का स्वामी यहाँ नहीं रहता है, यह अकेली ही भाड़े के घर में बच्चों के साथ रहती है। दूसरे लोग यह सुनकर मुझसे छेड़खानी करना चाहते। वे मुझसे बातें करने की चेष्टा करते और पानी पीने के बहाने मेरे घर आ जाते। मैं अपने लड़के से उन्हें पानी पिलाने को कह कोई बहाना बना बाहर निकल आती। इसी तरह मैं जब बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग ज़बरदस्ती न जाने कितनी तरह की बातें करते, कितनी सीटियाँ मारते, कितने ताने मारते! लेकिन मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं उनसे बचकर निकल जाती। तातुश के यहाँ जब पहुँचती और वह बताते कि उनके किसी बंधु ने उनसे फिर मेरे पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा है तो खुशी में मैं वह सब भूल जाती जो रास्ते में मेरे साथ घटता। तातुश के कुछ बंधु कोलकाता और दिल्ली में थे जिन्हें वह मेरे पढ़ने-लिखने के बारे में बताते रहते थे। वे लोग भी चिट्ठियाँ लिखकर या फोन पर तातुश से मेरे संबंध में जब-तब पूछते रहते थे।
प्रश्न 1 – “जब मेरे स्वामी के सामने वहाँ के लोगों के मुँह बंद नहीं होते थे तो यहाँ तो बच्चों को लेकर मैं अकेली थी! यहाँ तो वैसी बातें और भी सुननी पड़तीं। ” वाक्य किस कड़वी सच्चाई को दिखाता है? –
(क) पति का होना या न होना कोई मायने नहीं रखता
(ख) एक अकेली लड़की का समाज में रहना आसान नहीं है
(ग) बच्चों के साथ अकेले रहना आसान नहीं है
(घ) किसी की बातें सुनना बहुत मुश्किल होता है
उत्तर – (ख) एक अकेली लड़की का समाज में रहना आसान नहीं है
प्रश्न 2 – लेखिका के बारे में कुछ लोगों की बातें सुन कर दूसरे लोग क्या चेष्टा करते? –
(क) लेखिका के साथ छेड़खानी करने की कोशिश करते
(ख) लेखिका को सान्त्वना देने का प्रयास करते
(ग) लेखिका के लिए काम ढूंढने का प्रयास करते
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) लेखिका के साथ छेड़खानी करने की कोशिश करते
प्रश्न 3 – जब लेखिका बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग क्या करते? –
(क) ज़बरदस्ती तरह-तरह की बातें करते
(ख) सीटियाँ मारते
(ग) ताने मारते
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – लेखिका तातुश के घर पहुँच कर अपने साथ हुई सारी बातों को क्यों भूल जाती? –
(क) जब तातुश बताते कि उनके घर में आज कोई काम नहीं है लेखिका केवल आराम करे तो खुशी में मैं वह सब भूल जाती
(ख) जब तातुश बताते कि उनके किसी बंधु ने उनसे फिर लेखिका की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा है तो खुशी में मैं वह सब भूल जाती
(ग) जब तातुश बताते कि उनके किसी बंधु ने उनसे फिर लेखिका के बारे काम के बारे में पूछा है तो खुशी में मैं वह सब भूल जाती
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ख) जब तातुश बताते कि उनके किसी बंधु ने उनसे फिर लेखिका की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा है तो खुशी में मैं वह सब भूल जाती
प्रश्न 5 – कौन चिट्ठियाँ लिखकर या फोन पर तातुश से लेखिका के संबंध में जब-तब पूछते रहते थे? –
(क) तातुश के कुछ बंधु
(ख) तातुश के कुछ कोलकाता वाले बंधु
(ग) तातुश के कुछ दिल्ली वाले बंधु
(घ) तातुश के कुछ बंधु जो कोलकाता और दिल्ली में रहते थे
उत्तर – (घ) तातुश के कुछ बंधु जो कोलकाता और दिल्ली में रहते थे
4 –
अगले दिन मैं आई तो मुझे देख वह हँसने लगे। वैसे भी उनके चेहरे पर सब समय हँसी रहती थी, देखकर लगता कि उनके मन में गुस्सा है ही नहीं। बोलते भी वह बहुत आहिस्ता-आहिस्ता थे। उन्हें देख मुझे श्री रामकृष्ण याद आ जाते थे। मैं उनसे बातें करने लगती तो फिर वहाँ से उठने की मेरी इच्छा नहीं होती और एक बार बातें शुरू हुईं नहीं कि वह इधर-उधर की न जाने कितनी बातें मुझे बताने लगते। मैं तातुश के पास खड़ी यही सब सोच रही थी कि हठात् वह बोले, अच्छा, बेबी, तुम्हें किसी लेखक का नाम याद है? मैंने उनकी ओर देख हँसते हुए झट से कहा, हाँ, कई तो हैं, जैसे, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, काशी नज़रुल इस्लाम, शरत्चंद्र, सत्येंद्र नाथ दत्त, सुकुमार राय। मैंने इन लोगों के नाम लिए तो पता नहीं क्यों, तातुश मेरे सिर पर हाथ रख मुझे आश्चर्य से ऐसे देखने लगे जैसे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा हो। कुछ क्षण बाद वह बोले, तुम्हें लिखने-पढ़ने का शौक है? मैंने कहा, शौक होने से भी क्या! लिखना-पढ़ना तो अब होने से रहा। उन्होंने कहा, होगा क्यों नहीं? मुझी को देखो, अभी तक पढ़ता हूँ। तुम्हें क्या पता नहीं मैंने इतनी किताबें क्यों रख छोड़ी हैं? मैं पढ़ सकता हूँ तो तुम क्यों नहीं पढ़ सकतीं? उन्होंने फिर कहा, तुम ज़रा मेरे साथ ऊपर चलो। मुझे ऊपर ले जाकर उन्होंने आलमारी से एक किताब निकाली और कहा, बताओ तो यह क्या लिखा है? मैंने देखकर सोचा, पढ़ तो ठीक ही लूँगी। फिर सोचा, लेकिन गलती हो गई तो? तो क्या, मैंने फिर सोचा, कह दूँगी मुझे पढ़ना-लिखना एकदम नहीं आता। तातुश मेरे मुँह की ओर देखे ही जा रहे थे। उन्होंने कहा, पढ़ो न, कुछ तो पढ़ो! मैंने तब बोल ही दिया, आमार मेये बेला, तसलीमा नासरिन। तातुश बोले, तुम यही सोच रही थीं न कि कहीं गलती तो नहीं हो जाएगी? मैं हँसने लगी। वह बोले, यह किताब तुम ले जाओ। घर पर समय मिले तो पढ़ना।
प्रश्न 1 – तातुश के चेहरे पर हँसी देखकर लेखिका को क्या लगता था? –
(क) जैसे उनके मन में गुस्सा ही है
(ख) जैसे उनके मन में गुस्सा है ही नहीं
(ग) जैसे वे अपना गुस्सा अपने मन में रखे हुए है
(घ) जैसे उनके जीवन में भी ख़ुशी ही है
उत्तर – (ख) जैसे उनके मन में गुस्सा है ही नहीं
प्रश्न 2 – तातुश को देखकर लेखिका को कौन याद आते थे? –
(क) श्री राम
(ख) श्री कृष्ण
(ग) श्री रामकृष्ण
(घ) श्री राधाकृष्ण
उत्तर – (ग) श्री रामकृष्ण
प्रश्न 3 – तातुश द्वारा लेखिका से किसी लेखक का नाम पूछने पर लेखिका ने किसके नाम बताए? –
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर, काशी नज़रुल इस्लाम
(ख) शरत्चंद्र, सत्येंद्र नाथ दत्त
(ग) सुकुमार राय
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – लेखिका में पढ़ने-लिखने का हौसला जगाने के लिए तातुश ने क्या किया?
(क) लेखिका को किताबे पढ़ने को कहा
(ख) लेखिका को कुछ भी लिखने के लिए कहा
(ग) लेखिका को बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा ताकि साथ में वह भी पढ़ सके
(घ) अपना उदाहरण दे कर समझाया कि इस उम्र में जब वह पढ़ सकता है तो लिखिका क्यों नहीं
उत्तर – (घ) अपना उदाहरण दे कर समझाया कि इस उम्र में जब वह पढ़ सकता है तो लिखिका क्यों नहीं
प्रश्न 5 – तातुश द्वारा आलमारी से निकाली किताब पर लिखे हुए को लेखिका क्यों नहीं पढ़ रही थी?
(क) क्योंकि लेखिका को पढ़ना नहीं आता था
(ख) क्योंकि लेखिका को गलत पढ़ लेने का डर था
(ग) क्योंकि लेखिका पढ़ना नहीं चाहती थी
(घ) क्योंकि लेखिका को लगा कि अगर वह पढ़ लेगी तो तातुश उसे और पढ़ने को कहेंगे
उत्तर – (ख) क्योंकि लेखिका को गलत पढ़ लेने का डर था
5 –
उन्होंने सिर्फ मेरा ही घर नहीं तोड़ा था, आस-पास जो और घर थे उन्हें भी तोड़ डाला था। लेकिन उन घरों में कोई न कोई मर्द-बड़ा लड़का, स्वामी, ज़रूर था जबकि मेरे यहाँ होते हुए भी कोई नहीं था। इसीलिए मेरा सामान अभी तक उसी तरह बिखरा पड़ा था जबकि दूसरे घरों के लोग अपना सामान एक जगह सहेजकर नया घर खोजने निकल गए थे। हमें छोड़ वहाँ बस कुछ ही लोग और बचे थे। वे इसलिए रुक गए थे क्योंकि मेरे बच्चों से उन्हें मोह था और घर की वैसी हालत में वे उन्हें अकेले नहीं छोड़ना चाहते थे। मैं रो रही थी और मुझे रोते देख मेरे बच्चे भी रोने लगे थे। ऐसे समय में मेरी मदद को सामने आने वाला मेरा अपना कोई नहीं था। पास ही मेरे दो-दो भाई रहते थे। उन्हें मालूम था कि मैं कहाँ रहती हूँ। उन्हें यह भी मालूम था कि वहाँ के सभी घर तोड़ दिए गए हैं। फिर भी वे मेरी खोज-खबर लेने नहीं आए! मैंने सोचा मा होती तो देखती मैं आज किस हाल में हूँ! पता नहीं मेरे भाग्य में अभी और कितना कष्ट, और कितना दुख भोगना लिखा है!
उस दिन फिर कहीं घर खोजना-खाजना नहीं हुआ। रात सात-आठ बजे भोला दा आया। वह मुसलमान था और पास ही में रहता था। उसका घर भी तोड़ दिया गया था। वह हम लोगों की तरफ का रहने वाला था और मेरे भाइयों और मेरे बाबा को भी जानता था। मेरे बच्चों से उसे बहुत लगाव था। भोला दा ने कहा, इस तरह बच्चों के साथ रात में तुम अकेली कैसे रहोगी? इतना कहकर वह वहीं हम लोगों के पास बैठ गया। उस हालत में क्या किसी को नींद आ सकती थी! उस खुली, गंदी जगह में हम सब ने ओस में वह रात किसी तरह काट दी। सबेरे भोला दा ने कहा, तुम जहाँ काम करती हो वहाँ के साहब से बात करके देखो न! मैंने सोचा, ठीक ही तो कह रहा है। तातुश ने तो पहले ही कहा था कि रहने के लिए वह मुझे जगह भी दे सकते हैं, एक बार बात कर देख ही लूँ!
प्रश्न 1 – घर टूटने के बावजूद कुछ लोग वहीँ क्यों रुक गए थे? –
(क) क्योंकि उनका कोई और ठिकाना नहीं था
(ख) क्योंकि वे लेखिका के बच्चों को अकेले नहीं छोड़ना चाहते थे
(ग) क्योंकि वे अपना सामान इकठ्ठा कर रहे थे
(घ) क्योंकि वे वहाँ से जाना नहीं चाहते थे
उत्तर – (ख) क्योंकि वे लेखिका के बच्चों को अकेले नहीं छोड़ना चाहते थे
प्रश्न 2 – ‘ऐसे समय में मेरी मदद को सामने आने वाला मेरा अपना कोई नहीं था’ – लेखिका ने ऐसा क्यों कहा? –
(क) क्योंकि लेखिका के भाई और रिश्तेदार भी उसके मुसीबत के समय काम नहीं आए
(ख) क्योंकि लेखिका इस दुनिया में अकेली थी
(ग) क्योंकि वहाँ लेखिका किसी को नहीं जानती थी
(घ) क्योंकि लेखिका स्वाभिमानी थी किसी की मदद नहीं चाहती थी
उत्तर – (क) क्योंकि लेखिका के भाई और रिश्तेदार भी उसके मुसीबत के समय काम नहीं आए
प्रश्न 3 – भोला दा किस धर्म से सम्बन्ध रखता था?
(क) हिन्दू
(ख) सिख
(ग) मुस्लिम
(घ) ईसाई
उत्तर – (ग) मुस्लिम
प्रश्न 4 – भोला दा रात में लेखिका के साथ ही क्यों रुक गया?
(क) वह लेखिका की तरफ का रहने वाला था
(ख) लेखिका के भाइयों और बाबा को जानता था
(ग) लेखिका के बच्चों से उसे बहुत लगाव था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – भोला दा ने लेखिका को क्या सुझाव दिया? –
(क) कि लेखिका जहाँ काम करती है, वहाँ के साहब से बात करके देखे
(ख) कि लेखिका अपने पति के पास वापिस लौट जाए
(ग) कि लेखिका अपने भाइयों के पास मदद के लिए जाए
(घ) कि लेखिका अपने बाबा को अपनी परिस्थिति बताए
उत्तर – (क) कि लेखिका जहाँ काम करती है, वहाँ के साहब से बात करके देखे
6 –
सुनीति के न रहने से पार्क में अब मेरा मन नहीं लगता। मैंने वहाँ जाना छोड़ दिया। जितना समय मैं वहाँ बिताती थी उतना अब मैं लिखने-पढ़ने में बिताने लगी। अब तक जितना मैं लिख चुकी थी उसे तातुश ने फोटो-कॉपी करा के अपने एक बंधु के पास कोलकाता भेज दिया था। तातुश हठात् एक दिन मुझसे बोले, बेबी, तुम्हारी चिट्ठी आई है। मैं अवाक हो उनकी ओर देखती रही और फिर बोली, मेरी चिट्ठी! मुझे चिट्ठी भेजने वाला तो कोई नहीं! उन्होंने बताया कि चिट्ठी कोलकाता से उनके एक बंधु ने भेजी है। मैंने कहा, सुनाइए न, देखूँ क्या लिखा है उन्होंने! तातुश ने मुझसे बैठ जाने को कहा और फिर चिट्ठी पढ़कर सुनाने लगे, प्रिय बेबी, मैं बता नहीं सकता तुम्हारी डायरी पढ़कर मुझे कितना अच्छा लगा! मैं जानना चाहता हूँ कि इतना अच्छा लिखना तुमने कैसे सीखा। तुम्हारा लेखन उत्कृष्ट है। तुम्हारे तातुश ने सचमुच ही एक हीरा खोज निकाला है! मैं बहुत लज्जित हूँ कि तुम्हें बांग्ला में नहीं लिख सकता। मैं बांग्ला पढ़ सकता हूँ, लिख नहीं सकता। मैं तुम्हारे तातुश से एक वर्ष बड़ा हूँ। इस वयस में भी तुम्हें चिट्ठी लिखने के लिए बांग्ला लिपि सीखने की इच्छा होती है पर वह अब संभव नहीं। तुम कुछ किताबें पढ़ो और तातुश के पास से बांग्ला अभिधान लेकर रोज़ उसे पलटा करो। तुम्हारी कहानी जानने की मेरी बहुत इच्छा होती है। यहाँ मेरे जिन-जिन बंधु-बांधवों ने तुम्हारी डायरी पढ़ी है वे सभी उसे चमत्कार लेखन मानते हैं। मेरे एक बंधु ने कहा है कि वह तुम्हारी रचना को किसी पत्रिका में छपाने की व्यवस्था करेंगे लेकिन उसके पहले तुम्हें अपनी कहानी को किसी एक मोड़ तक पहुँचाना होगा। आशा करता हूँ तुम कभी लिखना नहीं छोड़ोगी। यह बात किसी भी दिन मत भूलना कि भगवान ने इस पृथ्वी पर तुम्हें लिखने को भेजा है। आशीर्वाद के साथ यहीं समाप्त करता हूँ। चिट्ठी सुन कर मैं अवाक रह गई मैंने ऐसा क्या लिखा है जो उन लोगों को इतना अच्छा लगा! उसमें अच्छा लगने की तो कोई बात नहीं! फिर मेरी लिखावट भी खराब है और लिखने में भूलें इतनी कि उसका कोई ठिकाना नहीं! फिर भी उन्हें अच्छा लगा तो क्यों! मेरी कुछ समझ में नहीं आया।
प्रश्न 1 – पार्क में लेखिका को कौन मिलता था?
(क) सुनीत
(ख) सुनीति
(ग) सुनीता
(घ) सुशीला
उत्तर – (ख) सुनीति
प्रश्न 2 – सुनीति के पार्क में न आने पर लेखिका उस समय को किस तरह उपयोग में लाती थी? –
(क) पढ़ने-लिखने में
(ख) खाना बनाने में
(ग) बच्चों की देखभाल में
(घ) पार्क में घूम कर
उत्तर – (क) पढ़ने-लिखने में
प्रश्न 3 – बेबी को किसने चिट्ठी लिखी थी?
(क) बंधु ने
(ख) तातुश ने
(ग) तातुश के कलकत्ता वाले बंधु ने
(घ) इनमें से किसी ने नहीं
उत्तर – (ग) तातुश के कलकत्ता वाले बंधु ने
प्रश्न 4 – चिट्ठी में लिखी बातों को जान कर लेखिका किस सोच में पड़ गई? –
(क) कि उसने ऐसा क्या लिखा है जो उन लोगों को इतना अच्छा लगा!
(ख) कि उसके लिखे हुए में अच्छा लगने की तो कोई बात नहीं! फिर उसकी लिखावट भी खराब है
(ग) कि उसने लिखने में भूलें इतनी कि उसका कोई ठिकाना नहीं! फिर भी उन्हें अच्छा लगा तो क्यों!
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – कलकत्ता वाले बंधु ने लेखिका को क्या सलाह दी? –
(क) तुम कुछ किताबें पढ़ो और तातुश के पास से बांग्ला अभिधान लेकर रोज़ उसे पलटा करो।
(ख) तुम्हें अपनी कहानी को किसी एक मोड़ तक पहुँचाना होगा
(ग) यह बात किसी भी दिन मत भूलना कि भगवान ने इस पृथ्वी पर तुम्हें लिखने को भेजा है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
7 –
जेठू इसी तरह मेरा उत्साह बढ़ाते थे। अकेले जेठू ही ऐसा करते हों, यह बात नहीं थी। और भी कई लोग थे। दिल्ली में जेठू और तातुश के एक बंधु रमेश बाबू थे। मैं जो-जो लिखती वह सब तातुश उन्हें फोन पर सुनाते। एक दिन फोन पर बात करने के बाद वह मुझसे बोले, देखो, तुमने यह जो लिखा है वह मेरे बंधु को बहुत-बहुत अच्छा लगा, ऐनि फ्रैंक की डायरी की तरह! मैंने पूछा, यह ऐनि फ्रैंक कौन है? तातुश ने तब मुझे उसके बारे में बताया और एक पत्रिका निकालकर उसमें से उसकी डायरी के कुछ अंश पढ़कर सुनाए। सुनकर उस लड़की से मुझे बहुत माया हुई।
शर्मिला दी भी मेरा उत्साह बढ़ाती थीं। वह मेरी ही वयस की थीं और जेठी की बंधु थीं। वह कोलकाता ही में कहीं पढ़ाती थीं। उनकी चिट्ठियों से मालूम पड़ता कि वह मुझसे कितना स्नेह करती थीं। वैसा स्नेह मुझे और किसी से नहीं मिला। मैं सोचती कि सचमुच इतने दिनों बाद मुझे एक सहेली मिली। मैंने उन्हें तब तक देखा नहीं था। उनकी चिट्ठियाँ पढ़कर बार-बार इच्छा होती कि उनके साथ बातें करूँ, हँसूँ, खेलूँ, यह करूँ, वह करूँ! उनसे पूछूँ, शर्मिला दी, हम एक-दूसरे से कब मिल सकेंगे? कभी मिल भी सकेंगे या नहीं? मिलने पर मैं तुम्हें धन्यवाद कैसे दूँगी?
प्रश्न 1 – बेबी का उत्साह कौन बढ़ाता था? –
(क) जेठू
(ख) रमेश बाबू
(ग) शर्मिला दी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2 – लेखिका जो-जो लिखती वह सब तातुश किसे फोन पर सुनाते थे? –
(क) जेठू को
(ख) रमेश बाबू को
(ग) जेठू और तातुश के एक बंधु रमेश बाबू
(घ) शर्मीला दी को
उत्तर – (ग) जेठू और तातुश के एक बंधु रमेश बाबू
प्रश्न 3 – तातुश के बंधु ने बेबी के लेखन को किसके समान बताया?
(क) ऐनि फ्रैंक की डायरी की तरह
(ख) ऐनि फ्रैंक की कहानी की तरह
(ग) ऐनि फ्रैंक के अनुच्छेदों की तरह
(घ) ऐनि फ्रैंक के काव्य की तरह
उत्तर – (क) ऐनि फ्रैंक की डायरी की तरह
प्रश्न 4 – बेबी को किसके रूप में अपनी सहेली मिल गई थी? –
(क) शर्मीशा दी
(ख) शर्मीला दी
(ग) सर्मीला दी
(घ) तातुश की बहन
उत्तर – (ख) शर्मीला दी
प्रश्न 5 – शर्मीला दी और बेबी किस तरह आपस में बात करते थे? –
(क) फ़ोन पर
(ख) तार द्वारा
(ग) चिठ्ठियों द्वारा
(घ) मिल कर
उत्तर – (ग) चिठ्ठियों द्वारा
8 –
यहाँ मैं रोज़ सबेरे अखबार देखती थी। अंग्रेज़ी न जानने से उसका सिर-पैर कुछ भी समझ नहीं पाती फिर भी तसवीरें देखकर तातुश से उनके बारे में पूछती।
तातुश कहते, तसवीरों के नीचे बड़े-बड़े अक्षरों में जो लिखा है, उसे पढ़ने की कोशिश करो। मैं एक-एक अक्षर बोलती जाती और तातुश हूँ-हूँ करते जाते। जब
सारे अक्षर खतम हो जाते तो तातुश पूरे शब्द का उच्चारण कर देते और उसका मतलब भी बता देते। बार-बार पूछने पर कभी-कभी वह उकता जाते क्योंकि वह अपना प्रिय अखबार द हिंदू ठीक से पढ़ नहीं पाते। शायद इसीलिए अखबार हाथ में लिए-लिए वह कहते, बेबी, जाओ, बच्चों को स्कूल नहीं भेजोगी? मैं कहती, हाँ, हाँ, भेजूँगी, अभी टाइम है। वह फिर कहते, कब भेजोगी? देर नहीं हो जाएगी! जाओ। मैं घड़ी की तरफ देखकर उठ पड़ती। बच्चों को स्कूल भेजना ही तो कोई अकेला काम था नहीं। अर्जुन दा के उठने पर उसके लिए कुछ खाना-वाना भी तो बनाना होता। ठंडी रोटी वह खाता नहीं था इसलिए गरम-गरम बनाकर देनी होती। उसे अच्छी-अच्छी चीज़े खाने का शौक था। चिकेन-विकेन, बिरयानी, पुलाव, कबाब, आलू-पराठा, पुदीना-पराठा, यह सब उसे अधिक पसंद था। साथ में टोमाटो सूप, चिकेन सूप, प्याज सूप जैसा कुछ हो तो और भी अच्छा। मैं उसका खाना उससे पूछकर ही बनाती। लोगों को कुछ बना-बनाकर खिलाना मुझे हमेशा से अच्छा लगता रहा है। मैं जब अपने स्वामी के पास थी तब भी कभी कुछ नया बनाती तो आस-पास के लोगों को भी खिलाती और इस पर से मेरा स्वामी मुझ पर बहुत गुस्सा करता।
प्रश्न 1 – बेबी कौन सा अखबार देखती थी? –
(क) द हिंदू
(ख) अंग्रेजी
(ग) बंगाली
(घ) हिन्दुस्तान टाइम्स
उत्तर – (ख) अंग्रेजी
प्रश्न 2 – जब लेखिका अंग्रेजी अखबार की तस्वीरें देखकर तातुश से उसके बारे में पूछती तो तातुश क्या करते? –
(क) उसे टाल देते
(ख) उसे हिंदी अखबार पकड़ा देते
(ग) उसे खुद पढ़ने की कोशिश करने को कहते
(घ) उसे अखबार छोड़ काम करने को कहते
उत्तर – (ग) उसे खुद पढ़ने की कोशिश करने को कहते
प्रश्न 3 – बेबी के बार-बार प्रश्न पूछने पर कभी-कभी तातुश क्यों उकता जाते थे? –
(क) क्योंकि वह अपना प्रिय अखबार द हिंदू ठीक से पढ़ नहीं पाते थे
(ख) क्योंकि वह अपने काम में अच्छे से ध्यान नहीं दे पाते थे
(ग) क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बेबी अच्छी तरह पढ़ना जाने
(घ) क्योंकि वह बेबी को हिंदी अखबार पढ़वाना चाहते थे
उत्तर – (क) क्योंकि वह अपना प्रिय अखबार द हिंदू ठीक से पढ़ नहीं पाते थे
प्रश्न 4 – अर्जुन दा को खाने में क्या पसंद था? –
(क) चिकेन, बिरयानी, पुलाव
(ख) कबाब, आलू-पराठा, पुदीना-पराठा
(ग) टोमाटो सूप, चिकेन सूप, प्याज सूप
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – बेबी का स्वामी उस पर क्यों गुस्सा करता था?
(क) क्योंकि जब भी वह कुछ नया और अच्छा खाना बनाती सब को खिलाती
(ख) क्योंकि जब भी वह कुछ नया और अच्छा पहनती सब को दिखाती
(ग) क्योंकि जब भी वह कही बाहर खाना खाती सब को बताती
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) क्योंकि जब भी वह कुछ नया और अच्छा खाना बनाती सब को खिलाती
9 –
पैकेट में एक पत्रिका थी। वह उसे पलटने लगी तो उसमें एक जगह उसने अपना नाम देखा। आश्चर्य से फिर देखा। सचमुच ही उसमें लिखा था, आलो-आँधारि, बेबी हालदार! खुशी से उसका मन हिलोरें मारने लगा। मन की ऐसी उथल-पुथल में भी जेठू की वह बात याद आ गई कि आशापूर्णा देवी दिन भर के काम निबटाकर उस समय लिखने-पढ़ने बैठती थीं जब सब लोग सो चुके होते थे। उसने सोचा, जेठू ठीक ही कहते हैं कि घर के काम करते हुए भी लिखना-पढ़ना हो सकता है। हठात् उसकी नज़र चाय के लिए चढ़ाए पानी पर पड़ी जो उबलते-उबलते काफी कम रह गया था। उसने जल्दी-जल्दी चाय बनाकर अर्जुन दा को दी और तब वह नीचे से ही देखो, देखो, एक चीज़! बोलती-बोलती ऊपर अपने बच्चों के पास पहुँची। दोनों बच्चे दौड़कर उसके पास आ गए। उसने उनसे कहा, बताओ तो यह क्या लिखा है! उसकी लड़की ने एक-एक कर सभी अक्षर पढ़े और बोली, बेबी हालदार! मा, तुम्हारा नाम किताब में! दोनों बच्चे हँसने लगे। उन्हें हँसता देख उसका मन खुशी से और भी भर गया। उसने प्यार से उन्हें अपने पास खींच लिया। उन्हें प्यार करते-करते हठात्, जैसे उसे कुछ याद आ पड़ा। वह बच्चों से, छोड़ो, छोड़ो, छोड़ो, मैं अभी आती हूँ कहकर उठ खड़ी हुई नीचे आते-आते उसने सोचा वह कितनी बुद्धू है! पत्रिका में अपना नाम देख सभी कुछ भूल गई! जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ उतर वह तातुश के पास आई और उनके पैर छू प्रणाम किया। उन्होंने उसके सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया।
प्रश्न 1 – पैकेट में क्या था? –
(क) पत्र
(ख) पैसे
(ग) पत्रिका
(घ) चिट्ठी
उत्तर – (ग) पत्रिका
प्रश्न 2 – पत्रिका पर क्या लिखा था जिसे देखकर लेखिका ख़ुशी से पागल हो गई? –
(क) आलो-आँधारि, बेबी हालदार!
(ख) आलो-आँधारि
(ग) बेबी हालदार!
(घ) लेखिका की कहानी
उत्तर – (क) आलो-आँधारि, बेबी हालदार!
प्रश्न 3 – मन की उथल-पुथल में भी लेखिका को जेठू की कौन सी बात याद आ गई –
(क) कि आशापूर्णा देवी दिन भर के काम निबटाकर लिखने-पढ़ने बैठती थीं
(ख) कि तुम भी एक दिन आशापूर्णा देवी की तरह बनोगी
(ग) कि आशापूर्णा देवी दिन भर के काम निबटाकर उस समय लिखने-पढ़ने बैठती थीं जब सब लोग सो चुके होते थे
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (ग) कि आशापूर्णा देवी दिन भर के काम निबटाकर उस समय लिखने-पढ़ने बैठती थीं जब सब लोग सो चुके होते थे
प्रश्न 4 – पत्रिका में अपने नाम की पुष्टि करने लेखिका किसके पास भागी? –
(क) जेठू के पास
(ख) तातुश के पास
(ग) अपने बच्चों के पास
(घ) शर्मीला दी के पास
उत्तर – (ग) अपने बच्चों के पास
प्रश्न 5 – अपना नाम की पत्रिका के छपने पर जब लेखिका ने तातुश के पैर छुएँ तब तातुश ने क्या किया? –
(क) लेखिका को बधाई दी
(ख) लेखिका के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया
(ग) लेखिका को कुछ मीठा बनाने को कहा
(घ) लेखिका को काम से छुट्टी दे दी
उत्तर – (ख) लेखिका के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया
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