CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 3 अपू के साथ ढाई साल Question Answers
Aapu Ke Saath Dhaai Saal Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 3 Aapu Ke Saath Dhaai Saal Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of the chapter, extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions.
सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी आरोह भाग-1 पुस्तक पाठ 3 अपू के साथ ढाई साल प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है।
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Aapu Ke Saath Dhaai Saal Question and Answers (अपू के साथ ढाई साल प्रश्न-अभ्यास)
प्रश्न 1 – पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?
उत्तर – ‘पथेर पांचाली’ फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक चला। इसके बहुत से कारण थे। जैसे लेखक को पैसे का अभाव था। पैसे इकट्ठे होने पर ही वह शूटिंग करता था। वह विज्ञापन कंपनी में काम करता था। इसलिए काम से फुर्सत होने पर ही लेखक तथा अन्य कलाकार फिल्म का काम करते थे। तकनीक के पिछड़ेपन के कारण पात्र, स्थान, दृश्य आदि की समस्याएँ आ जाती थीं। पैसों के अभाव के कारण शूटिंग को बार-बार रोकना पड़ता था। शूटिंग में होने वाली देरी के कारण कई स्थान और पात्र भी या तो बदल जाते थे या उनका देहांत हो जाता था जिस कारण लेखक को उनसे मिलते-झूलते पात्र व् स्थान ढूँढना कठिन हो जाता था।
प्रश्न 2 – अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी’ नदारद हो जाती-इस कथन के पीछे क्या भाव है?
उत्तर – किसी भी चीज़ में निरंतरता होनी चाहिए ताकि वह स्वाभाविक लगे। ‘उसमें से ‘कंटिन्युइटी’ नदारद हो जाती’ – इस कथन के पीछे भाव यह है कि कोई भी फिल्म हमें तभी प्रभावित कर पाती है जब उसमें निरंतरता हो। यदि एक दृश्य में ही एकरूपता नहीं होती तो फिल्म कैसे चल पाती। दर्शक भ्रमित हो जाता है। पथेर पांचाली फ़िल्म में काशफूलों के साथ शूटिंग पूरी करनी थी, परंतु एक दिन में पूरी शूटिंग होना संभव नहीं था और पैसों की भी कमी थी। इस कारण एक सप्ताह के अंतराल के बाद शूटिंग करना तय हुआ। परन्तु एक सप्ताह बाद काशफूलों को पशु खा गए। अत: उसी पृष्ठभूमि में दृश्य चित्रित करने के लिए एक वर्ष तक इंतजार करना पड़ा। यदि यह आधा दृश्य काशफूलों के बिना चित्रित किया जाता तो दृश्य में निरंतरता नहीं बन पाती।
प्रश्न 3 – किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
उत्तर – प्रथम दृश्य – इस दृश्य में ‘भूलो’ नामक कुत्ते को अपू की माँ द्वारा गमले में डाले गए भात को खाते हुए चित्रित करना था, परंतु सूर्य के अस्त होने तथा पैसे खत्म होने के कारण यह दृश्य चित्रित न हो सका। छह महीने बाद लेखक पुन: उस स्थान पर गया तब तक उस कुत्ते की मौत हो चुकी थी। काफी प्रयास के बाद उससे मिलता-जुलता कुत्ता मिला और उसी से भात खाते हुए दृश्य को फ़िल्माया गया। यह दृश्य इतना स्वाभाविक था कि कोई भी दर्शक उसे पहचान नहीं पाया।
दूसरा दृश्य – इस दृश्य में श्रीनिवास नामक व्यक्ति मिठाई वाले की भूमिका निभा रहा था। बीच में शूटिंग रोकनी पड़ी। दोबारा उस स्थान पर जाने से पता चला कि उस व्यक्ति का देहांत हो गया है, फिर लेखक ने उससे मिलते-जुलते व्यक्ति को लेकर बाकी दृश्य फ़िल्माया। पहला श्रीनिवास बाँस वन से बाहर आता है और दूसरा श्रीनिवास कैमरे की ओर पीठ करके मुखर्जी के घर के गेट के अंदर जाता है। इस प्रकार इस दृश्य में दर्शक अलग-अलग कलाकारों की पहचान नहीं पाते।
प्रश्न 4 – ‘भूलो’ की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया? उसने फिल्म के किस दृश्य को पूरा किया?
उत्तर – ‘भूलो’ की मृत्यु हो गई थी, इस कारण उससे मिलता-जुलता कुत्ता लाया गया। फ़िल्म का दृश्य इस प्रकार था कि अप्पू की माँ उसे भात खिला रही थी। अप्पू तीर-कमान से खेलने के लिए उतावला है। भात खाते-खाते वह तीर छोड़ता है तथा उसे लाने के लिए भाग जाता है। माँ भी उसके पीछे दौड़ती है। भूलो कुत्ता वहीं खड़ा सब कुछ देख रहा है। उसका ध्यान भात की थाली की ओर है। यहाँ तक का दृश्य पहले भूलो कुत्ते पर फ़िल्माया गया था। इसके बाद के दृश्य में अप्पू की माँ बचा हुआ भात गमले में डाल देती है और भूलो वह भात खा जाता है। परन्तु शाम हो जाने के कारण सही रोशनी न मिल पाने की वजह से दृश्य पूरा नहीं फिल्माया गया और पैसे न होने के कारण दृश्य कुछ समय बाद फिल्माया गया। परन्तु तब तक भूलो कुत्ता मर चूका था, बचा हुआ दृश्य दूसरे कुत्ते से पूरा किया गया।
प्रश्न 5 – फिल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस प्रकार फिल्माया गया?
उत्तर – फिल्म में श्रीनिवास की भूमिका मिठाई बेचने वाले की थी। उनका दृश्य भी किसी कारण वश समय रहते पूरा नहीं हो पाया। और जब उसे पूरा करने का समय आया तब तक श्रीनिवास की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का देहांत हो गया था और उनके देहांत के बाद उनकी जैसी कद-काठी का व्यक्ति ढूँढ़ा गया। उसका चेहरा तो अलग था, परंतु शरीर श्रीनिवास जैसा ही था। ऐसे में फ़िल्मकार ने तरकीब लगाई कि नया-आदमी कैमरे की तरफ पीठ करके मुखर्जी के घर के गेट के अंदर आएगा और इनकी तरक़ीब कामयाब रही , अत: कोई भी अनुमान नहीं लगा पाता कि यह अलग व्यक्ति है।
प्रश्न 6 – बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?
उत्तर – फ़िल्मकार के पास पैसे का अभाव था, अत: बारिश के दिनों में शूटिंग नहीं कर सके। अक्टूबर माह तक उनके पास पैसे इकट्ठे हुए तो बरसात के दिन समाप्त हो चुके थे। शरद ऋतु में बारिश होना भाग्य पर निर्भर था। लेखक हर रोज अपनी टीम के साथ गाँव में जाकर बैठे रहते और बादलों की ओर टकटकी लगाकर देखते रहते। एक दिन उनकी इच्छा पूरी हो गई। अचानक बादल छा गए और धुआँधार बारिश होने लगी। फिल्मकार ने इस बारिश का पूरा फायदा उठाया और दुर्गा और अप्पू का बारिश में भीगने वाला दृश्य शूट कर लिया। इस बरसात में भीगने से दोनों बच्चों को ठंड लग गई, परंतु दृश्य पूरा हो गया।
प्रश्न 7 – किसी फिल्म की शूटिंग करते समय फिल्मकार को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर – किसी फ़िल्म की शूटिंग करते समय फिल्मकार को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है –
(क) धन की कमी।
(ख) कलाकारों का चयन।
(ग) कलाकारों के स्वास्थ्य, मृत्यु आदि की स्थिति।
(घ) पशु-पात्रों के दृश्य की समस्या।
(ङ) बाहरी दृश्यों हेतु लोकेशन ढूँढ़ना।
(च) प्राकृतिक दृश्यों के लिए मौसम पर निर्भरता।
(छ) स्थानीय लोगो का हस्तक्षेप व असहयोग।
(ज) संगीत।
(झ) दृश्यों की निरंतरता हेतु भटकना।
(ञ) फ़िल्म के अनुकूल वातावरण का होना।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)
प्रश्न 1 – शूटिंग के लिए सत्यजित राय को कौन-सा गाँव सर्वाधिक उपयुक्त लगा तथा क्यों?
उत्तर – सत्यजित राय को बोडाल गाँव शूटिंग के लिए सबसे उपयुक्त लगा। बोडाल गांव बहुत ही सुंदर एवं हरियाली पूर्ण था। वहाँ सत्यजित को अपनी फ़िल्म के लिए अनुकूल सभी चीजें मिल गई थी जैसे – अप्पू एवं दुर्गा का घर, अप्पू का स्कूल, गांव के मैदान, खेत, आम के पेड़, पास के झुरमुट सभी चीजें देखने को मिली। जिस कारण उन्हें फ़िल्म के लिए अलग-अलग जगहों पर नहीं जाना पड़ा और इससे उनके फ़िल्म बजट में भी उन्हें सहायता मिलने वाली थी। इसीलिए शूटिंग के लिए उन्होंने बोडाल गाँव को ही चुना।
प्रश्न 2 – फिल्म की शूटिंग को पूरा होने में कितना समय लगा और क्यों?
उत्तर – पाथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग में पूरा ढाई साल का समय लगा था क्योंकि शूटिंग के दौरान अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा जैसे समय की कमी, पैसों का अभाव, कलाकारों का चयन एवं टेक्नोलॉजी की कमी। लेखक फिल्म की शूटिंग के पहले पैसे इकट्ठा करते उसके बाद शूटिंग करते थे जब पैसे खत्म हो जाते थे तो वापिस से फिल्म की शूटिंग रोक देते थे उसके बाद जो पैसे इकट्ठा होते तो फिर शूटिंग शुरू करते थे। एक कारण यह भी था कि फिल्म के लेखक विज्ञापन कंपनी में भी काम करते थे और वह अपना कार्य समाप्त होने के बाद ही शूटिंग कर पाते थे। कभी-कभी ऐसा होता था कि शूटिंग करनी होती थी लेकिन सलाहकारों के पास समय नहीं होता था। फिल्म से जुड़े सभी लोगों का एक सामान्य बनकर शूटिंग करने में समय लगता था और कभी-कभी ऐसे दृश्यों के लिए भी समय लगता था जिसमें सुबह की आवश्यकता हो या रात की आवश्यकता हो।
प्रश्न 3 – अप्पू नाम के लड़के के चयन के लिए सत्यजित ने क्या किया था और अप्पू के पात्र के लिए कैसे सही लड़का चुना गया?
उत्तर – अप्पू नाम के लड़के के पात्र के लिए 6 साल के लड़के की आवश्यकता थी। उस पात्र के लिए बच्चे की चयन के लिए सत्यजीत ने अखबार में विज्ञापन दिया एवं रासबिहारी में एक कमरा लेकर बच्चों का इंटरव्यू लिया। परंतु कोई भी उनके हिसाब से अप्पू के पात्र के लिए सही नहीं बैठ रहा था। सत्यजित जब अप्पू के पात्र के लिए बच्चों का इंटरव्यू ले रहा था तब उसी समय एक व्यक्ति अपनी बेटी के बाल कटवा कर उसे इंटरव्यू के लिए ले आया लेकिन सत्यजीत ने उसकी गर्दन पर लगे पाउडर से यह बात समझ ली थी वह बाल कटवा कर यहाँ आया है। एक दिन उनकी पत्नी के कहने पर उन्होंने सामने वाले घर के लड़के सुबीर बनर्जी का अप्पू के पात्र के लिए इंटरव्यू लिया और पहली बार में ही उसे पसंद कर लिया।
प्रश्न 4 – पाथेर पांचाली में इंदिरा ठकुरानी की भूमिका किसने निभाई थी तथा उन्होंने कितने समय तक काम किया था?
उत्तर – चुन्नी बाला देवी ने पाथेर पांचाली फिल्म में इंदिरा ठकुरानी की भूमिका निभाई थी। उन्होंने पूरे ढाई साल जब तक फिल्म का निर्माण समाप्त नहीं हो गया, फ़िल्म में काम किया था।
प्रश्न 5 – कुत्ते वाला दृश्य फ़िल्म में कैसे फिल्माया गया था?
उत्तर – फिल्म में कुत्ते वाला दृश्य ऐसा था कि अप्पू की माँ अप्पू को भात खिला रही है जबकि अप्पू तीर से खेलने के लिए भाग रहा है। माँ उसके पीछे दौड़ती है, भूलो कुत्ता वहां खड़ा है और सब कुछ देख रहा है। उसका ध्यान भात की थाली की ओर जाता है। इतना दृश्य पहले कुत्ते पर फिल्माया गया था। इसके बाद भी दृश्य में अप्पू की माँ बचे हुए चावल गमले में डाल देती है और भूलो वह भात खा जाता है। परन्तु यह दृश्य दूसरे कुत्ते के साथ फिल्माया गया क्योंकि पहले कुत्ते की मृत्यु हो गई है।
प्रश्न 6 – भूलो नामक कुत्ते के साथ शूटिंग में क्या परेशानी हुई थी?
उत्तर – भूलो नामक कुत्ते के साथ शूटिंग के दृश्य की शूटिंग के दौरान कुत्ते को भात खाते दिखाया जाना था परंतु उस दिन सूर्य के कारण दृश्य पूरा नहीं किया जा सका और पैसे की कमी के कारण दृश्य 6 महीने तक नहीं फिल्माया जा सका। 6 महीने बाद जब वापस से इस दृश्य को शूट किया जाना था तो पता चला के कुत्ता मर चुका था। बहुत ही मुश्किलों के साथ भूलो जैसे हूबहू दिखने वाले नए कुत्ते को ढूंढा गया एवं दृश्य को दोबारा फिल्माया गया और यह दृश्य इतना सही शूट हुआ कि कुत्तों के बदलाव का किसी को पता भी नहीं चला।
प्रश्न 7 – फिल्म में श्रीनिवास की भूमिका के लिए दूसरे व्यक्ति की जरूरत क्यों पड़ी और उस व्यक्ति के साथ ही फ़िल्म के दृश्य क्यों नहीं फिल्माए गए?
उत्तर – जिस समय फिल्म में श्रीनिवास की भूमिका की शूटिंग चल रही थी। उस समय पैसों की कमी के कारण कुछ समय के लिए फ़िल्म को रोका गया और उसी समय फिल्म में श्रीनिवास की भूमिका करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी और श्रीनिवास के किरदार की शूटिंग के लिए दूसरे व्यक्ति की जरूरत पड़ी लेकिन दूसरे व्यक्ति का चेहरा पहले श्रीनिवास के जैसा नहीं मिलता था। परन्तु उसकी कद-काठी बिलकुल हूबहू थी। फिल्मकारों ने तरकीब लगाईं कि नए व्यक्ति का चेहरा न दिखाकर केवल पीठ पीछे से दृश्य को फिल्माया गया जो कि एक सफल तरकीब साबित हुई और देखने वालों को इस बात का अंदाजा भी न हो सका।
प्रश्न 8 – कुत्ते को बच्चों के पीछे भगाने के लिए सत्यजित ने क्या योजना बनाई और क्या वह सफल रहे?
उत्तर – कुत्ते को अप्पू और दुर्गा का पालतू कुत्ता दिखाने के लिए कुत्ते को बच्चों के पीछे-पीछे मिठाई वाले की और दौड़ते हुए फिल्माया जाना था परन्तु कुत्ता बच्चों के पीछे नहीं भाग रहा था। इस कारण सत्यजित ने बच्चों के पीछे कुत्ते को भगाने के लिए दुर्गा को अपने हाथ में मिठाई ले कर और कुत्ते को दिखा कर भागने को कहा ताकि कुत्ता खाने की चीज यानी मिठाई को देखकर उनके पीछे पीछे दौड़े और यही हुआ। मिठाई देखकर कुत्ता बच्चों के पीछे दौड़ा और फ़िल्म का वह दृश्य सफलता पूर्वक फिल्माया जा सका।
प्रश्न 9 – फिल्म के किन्हीं तीन दृश्यों को लिखिए जिनसे निर्देशक की समझदारी का पता चलता है?
उत्तर – यह बात बिल्कुल उचित है कि फिल्म का निर्देशक बहुत ही समझदार एवं बुद्धिमान था जैसे कि पहली बात देखे तो फिल्म में जब श्रीनिवास का किरदार निभा रहे व्यक्ति की अकस्मात मृत्यु हो जाती है और हूबहू दिखने वाले व्यक्ति की खोज नहीं हो पाती, तब उसी के जैसे कद-काठी वाले व्यक्ति के साथ उसकी पीठ दिखाकर दृश्य को पूरा किया जाता है।
दूसरा जब अप्पू के पात्र के लिए इंटरव्यू लिया जा रहा था तो उनमें एक बच्चे की गर्दन पर लगे पाउडर से यह पता लगाना कि वह लड़का है या लड़की और तीसरा हम यह कह सकते हैं कि भूलो कुत्ते की मृत्यु के बाद दूसरे कुत्ते के साथ दृश्य को करना। इन तीनो दृश्यों से हमें ये पता लगता है की फिल्म के निर्देशक कितने समझदार थे। और किस तरह प्रत्येक प्रतिकूल परिस्थिति को फ़िल्म के अनुकूल बना देते थे।
प्रश्न 10 – फिल्म बनाते समय फिल्म के सदस्यों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा ?
उत्तर – फिल्म के सदस्यों को फिल्म बनाते समय निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ा था –
एक फिल्म बनाते समय अत्यधिक पैसों की जरूरत पड़ती है लेकिन फिल्म के दौरान पैसों की कमी हुई जिससे फ़िल्म को बार-बार बंद किया जाता था।
फिल्म के पात्रों का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण एवं कठिनाई पूर्ण कार्य है क्योंकि सही पात्र ही फिल्म को सफल बना सकता है।
बदलते मौसम, पर्यावरण समस्याएं, बाहर के क्षेत्रों में वह जगह ढूंढना जहां फिल्म की शूटिंग हो सके।
शूटिंग के दौरान सारी चीजों की व्यवस्थाओं को देखना।
प्रश्न 11 – काश के फूल वाले दृश्य को एक साल बाद क्यों फिल्माया गया?
उत्तर – काश के फूल वाले दृश्य को एक साल बाद फिल्माया गया क्योंकि पहली बार में पूरा दृश्य एक साथ शूट नहीं किया जा सका और अगले शूटिंग को एक हफ्ते के बाद शूट किया गया उस एक हफ्ते में पशुयों ने काश के सारे फूल खा लिए जिसके कारण दृश्य में निरंतरता लाने के लिए इस दृश्य को एक साल बाद तब फिल्माया गया जब फिर से उस मैदान में काश के फूल खिले।
प्रश्न 12 – दृश्य की निरंतरता फिल्म के लिए कितनी आवश्यक है? इस फिल्म के दृश्य में निरंतरता बनाए रखने के लिए क्या किया गया था?
उत्तर – फिल्म में दृश्य की निरंतरता फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। किसी फिल्म से दर्शक तभी प्रभावित होते हैं जब उसके दृश्यों में निरंतरता होती है, पाथेर पांचाली में दर्शक निरंतरता पर बहुत ही ज्यादा ध्यान दिया गया था। एक बार निर्देशक को काश के फूलों का दृश्य फिल्माना था। पहली बार में पूरा दृश्य एक साथ शुट नहीं किया जा सका और शूटिंग के दौरान एक हफ्ते का गैप आ गया और एक हफ्ते में जानवरों ने काश के फूल खा लिए इसी वजह से लेखक को इस दृश्य के एक भाग को दूसरे भाग से मिलाने के लिए कई महीनों का इंतजार करना पड़ा।
प्रश्न 13 – ‘निर्देशक की कुशलता के कारण एक ही पात्र के लिए दो व्यक्ति का प्रयोग किया और दर्शक दृश्य में अंतर समझ नहीं पाए’ पंक्ति का आशय क्या है?
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि फिल्म में श्रीनिवास नामक एक व्यक्ति मिठाई बेचने वाले की भूमिका निभा रहा था लेकिन कुछ समय के लिए शूटिंग रोक दी गई और दोबारा जब शूटिंग शुरू हुई तो उनकी मृत्यु हो गई थी। निर्देशक ने बड़ी कुशलता एवं समझदारी के साथ उस दृश्य के बाकी दृश्य को दूसरे व्यक्ति के साथ फिल्माया जिसकी कद-काठी पहले व्यक्ति के जैसी ही थी। उस व्यक्ति के चेहरे में बदलवा था परन्तु निर्देशक ने उसको इतनी बखूबी से शूट किया कि कोई भी नहीं समझ पाया कि यह दो अलग-अलग कलाकार थे। ऐसा ही कुत्ते की मृत्यु के दौरान हुआ था, उसमें भी कोई भी दोनों कुत्तों में अंतर नहीं बता पाया था। यही एक निर्देशक की कुशलता है।
प्रश्न 14 – बारिश के दृश्य को फिल्माने के लिए निदेशक ने किस प्रकार संघर्ष किया?
उत्तर – बारिश का दृश्य फिल्माने के लिए निर्देशक एवं कलाकार ने बहुत ही मेहनत एवं संघर्ष किया। बारिश के मौसम में पैसों की कमी के कारण शूटिंग नहीं हो पाई। पैसे आते-आते अक्टूबर का महीना आ गया और इस समय बारिश बहुत ही कम होती थी लेकिन फिर भी सत्यजित, अप्पू और दुर्गा की भूमिका करने वाले बच्चे एवं कैमरा और तकनीशियन सब प्रतिदिन गांव में जाकर बैठे रहते और बारिश आने का इंतजार करते रहते एक दिन बहुत ही तेज बारिश शुरू हुई और दृश्य को फिल्माया गया। यह दृश्य बहुत ही सुंदर एवं अद्भुत चित्रित हुआ ।
प्रश्न 15 – ‘ अप्पू के साथ ढाई साल ‘ संस्मरण का प्रतिपादय बताइए।
उत्तर – ‘अप्पू के साथ ढाई साल’ नामक संस्मरण पथेर पांचाली फ़िल्म के अनुभवों से संबंधित है जिसका निर्माण भारतीय फ़िल्म के इतिहास में एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज है। इससे फ़िल्म के सृजन और उनके व्याकरण से संबंधित कई बारीकियों का पता चलता है। यही नहीं, जो फ़िल्मी दुनिया हमें अपने ग्लैमर से चुधियाती हुई जान पड़ती है, उसका एक ऐसा सच हमारे सामने आता है, जिसमें साधनहीनता के बीच अपनी कलादृष्टि को साकार करने का संघर्ष भी है। यह पाठ मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया है जिसका अनुवाद विलास गिते ने किया है।
किसी फिल्मकार के लिए उसकी पहली फ़िल्म एक अबूझ पहेली होती है। बनने या न बन पाने की अमूर्त शंकाओं से घिरी। फ़िल्म पूरी होने पर ही फ़िल्मकार जन्म लेता है। पहली फ़िल्म के निर्माण के दौरान हर फ़िल्म निर्माता का अनुभव-संसार इतना रोमांचकारी होता है कि वह उसके जीवन में बचपन की स्मृतियों की तरह हमेशा जीवंत बना रहता है। इस अनुभव-संसार में दाखिल होना उस बेहतरीन फ़िल्म से गुजरने से कम नहीं है।
प्रश्न 16 – कमरे में साँप देखने पर साँप को उन्होंने क्यों नहीं मारा?
उत्तर – कमरे में साँप देखने पर उन्होंने उस को नहीं मारा क्योंकि गाँव वालो ने सत्यजित को साँप मारने से मना किया था। गाँव वालो का मानना था के वह साँप वहां बहुत दिनों से रह रहा है इसलिए वो उसे न मारे।
प्रश्न 17 – ‘वास्तुसर्प’ क्या होता है? इससे लेखक का कार्य कब प्रभावित हुआ?
उत्तर – ‘वास्तुसर्प’ वह होता है जो घर में रहता है। लेखक ने एक गाँव में मकान शूटिंग के लिए किराए पर लिया। इसी मकान के कुछ कमरों में शूटिंग का सामान था। एक कमरे में साउंड रिकार्डिग होती थी जहाँ भूपेन बाबू बैठते थे। वे साउंड की गुणवत्ता बताते थे। एक दिन लेखक के पूछने पर भी उन्होंने उत्तर नहीं दिया। जब लोग कमरे में पहुँचे तो साँप, कमरे की खिड़की से नीचे उतर रहा था। इसी डर से भूपेन बाबू ने जवाब नहीं दिया।
प्रश्न 18 – लेखक को धोबी के कारण क्या परेशानी होती थी?
उत्तर – लेखक बोडाल गाँव के जिस घर में शूटिंग करता था, उसके पड़ोस में एक धोबी रहता था। वह अकसर ‘भाइयो और बहनो!’ कहकर किसी राजनीतिक मामले पर लंबा-चौड़ा भाषण शुरू कर देता था। शूटिंग के समय उसके भाषण से साउंड रिकार्डिग का काम प्रभावित होता था। धोबी के रिश्तेदारों ने उसे सँभाला। नहीं तो फ़िल्म की शूटिंग में बहुत परेशानी हो जाती।
प्रश्न 19 – पुराने मकान में शूटिंग करते समय फिल्मकार को क्या-क्या कठिनाइयाँ आई?
उत्तर – पुराने मकान में शूटिंग करते समय फ़िल्मकार को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जैसे – पुराना मकान खंडहर था। उसे ठीक कराने में काफी पैसा खर्च हुआ और एक महीना का वक्त लगा। मकान के एक कमरे में साँप निकल आया जिसे देखकर आवाज रिकार्ड करने वाले की बोलती बंद हो गई। पड़ोस के धोबी को उसके रिश्तेदार न संभालते तो साउंड में काफी दिक्क्त आती।
प्रश्न 20 – ‘सुबोध दा’ कौन थे? उनका व्यवहार लेखक और फिल्मकारों के साथ कैसा था?
उत्तर – ‘सुबोध दा’ साठ-पैंसठ आयु का विक्षिप्त वृद्ध था। वह हर वक्त कुछ-न-कुछ बड़बड़ाता रहता था। पहले वह फ़िल्मवालों को मारने दौड़ता है, परंतु बाद में वह लेखक को वायलिन पर लोकगीतों की धुनें सुनाता था। वह आते-जाते व्यक्ति को रुजवेल्ट, चर्चिल, हिटलर, अब्दुल गफ्फार खान आदि कहता था। उसके अनुसार सभी पाजी और उसके दुश्मन थे।
बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 1 – “अपू के साथ ढाई साल” पाठ के लेखक कौन हैं –
(क) राम मोहन राय
(ख) प्रवीण राय
(ग) सत्यजित राय
(घ) सत्यप्रकाश राय
उत्तर – (ग) सत्यजित राय
प्रश्न 2 – भारत सरकार ने सत्यजित रॉय को किस सम्मान से सम्मानित किया?
(क) भारत रत्न
(ख) पद्म भूषण
(ग) पद्म विभूषण
(घ) भारत भूषण
उत्तर – (क) भारत रत्न
प्रश्न 3 – ‘पथेर पांचाली’ फिल्म की शूटिंग का काम कितने साल तक चला?
(क) एक
(ख) दो
(ग) डेढ़
(घ) ढ़ाई
उत्तर – (घ) ढ़ाई
प्रश्न 4 – ‘पथेर पांचाली’ की शूटिंग के समय लेखक के पास पर्याप्त ————– नहीं था –
(क) धन
(ख) समय
(ग) पात्र
(घ) उपकरण
उत्तर – (क) धन
प्रश्न 5 – इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली चुन्नी बाला देवी कितने वर्ष की थी –
(क) पच्चास
(ख) साठ
(ग) सत्तर
(घ) अस्सी
उत्तर – (घ) अस्सी
प्रश्न 6 – अप्पू की भूमिका किसने निभाई –
(क) सुबोध बनर्जी
(ख) सुबीर बनर्जी
(ग) सुधीर बनर्जी
(घ) सुभाष बनर्जी
उत्तर – (ख) सुबीर बनर्जी
प्रश्न 7 – काशफूलों का मैदान स्थित था –
(क) अप्पू के घर के पास
(ख) दुर्गा के घर के पास
(ग) रेल-लाइन के पास
(घ) गाँव के पास
उत्तर – (ग) रेल-लाइन के पास
प्रश्न 8 – शूटिंग के लिए कितनी रेलगाड़ियों का इस्तेमाल किया गया –
(क) पांच
(ख) एक
(ग) दो
(घ) तीन
उत्तर – (घ) तीन
प्रश्न 9 – गाड़ी के बॉयलर में क्या डालना जरूरी था जिससे काला धुंआ निकले –
(क) कोयला
(ख) पानी
(ग) रेत
(घ) तेल
उत्तर – (क) कोयला
प्रश्न 10 – भूलो कुत्ते की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया –
(क) क्योंकि भूलो अच्छे से सीन नहीं कर रहा था
(ख) क्योंकि भूलो कहीं भाग गया था
(ग) क्योंकि भूलो की मृत्यु हो गई थी
(घ) क्योंकि भूलो बीमार था
उत्तर – (ग) क्योंकि भूलो की मृत्यु हो गई थी
प्रश्न 11 – फिल्म में मिठाईवाले की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का क्या नाम था –
(क) श्रीनिवास
(ख) श्रीहरि
(ग) श्रीनिधि
(घ) श्रीदास
उत्तर – (क) श्रीनिवास
प्रश्न 12 – बरसात के मौसम में , फिल्म में बारिश का दृश्य चित्रित करने में मुश्किलें क्यों आई –
(क) अत्यधिक वर्षा होने के कारण
(ख) पैसे की कमी के कारण
(ग) बच्चों के बीमार पड़ जाने के कारण
(घ) मैदान अत्यधिक गीला होने के कारण
उत्तर – (ख) पैसे की कमी के कारण
प्रश्न 13 – फिल्म में वर्षा का सीन किस मास में लिया गया –
(क) अगस्त माह में
(ख) जून माह में
(ग) अक्टूबर माह में
(घ) सितंबर माह में
उत्तर – (ग) अक्टूबर माह में
प्रश्न 14 – सुबोध दा , लेखक को लोकगीतों की धुनें किसमें बजाकर सुनाते थे –
(क) वायलिन पर
(ख) डोल की ताल पर
(ग) डफली पर
(घ) बाँसुरी पर
उत्तर – (क) वायलिन पर
प्रश्न 15 – पागल धोबी किसी भी समय ————- मुद्दों पर भाषण देने लगता था –
(क) फिल्मी मुद्दों पर
(ख) राजकीय मुद्दों पर
(ग) सांस्कृतिक मुद्दों पर
(घ) लोक हित के मुद्दों पर
उत्तर – (ख) राजकीय मुद्दों पर
प्रश्न 16 – “पुकुर” का अर्थ है –
(क) पुकारना
(ख) बुलाना
(ग) पोखर
(घ) कुछ कहना
उत्तर – (ग) पोखर
प्रश्न 17 – शूटिंग के समय कमरे में किसे देखकर भूपेन बाबू डर गए –
(क) छिपकली
(ख) सांप
(ग) अजगर
(घ) मकड़ी
उत्तर – (ख) सांप
प्रश्न 18 – हिटलर कहाँ का तानाशाह था –
(क) इंग्लैंड
(ख) फ्रांस
(ग) इटली
(घ) जर्मनी
उत्तर – (घ) जर्मनी
प्रश्न 19 – राजकीय मुद्दों पर भाषण देने वाला उनका पडोसी था –
(क) नेता
(ख) धोबी
(ग) मानसिक रोगी
(घ) लेखक का मित्र
उत्तर – (ख) धोबी
प्रश्न 20 – फ़िल्म शूटिंग के दौरान लेखक कहाँ काम किया करते थे –
(क) दफ्तर में
(ख) होटल में
(ग) दूकान में
(घ) विज्ञापन कंपनी में
उत्तर – (घ) विज्ञापन कंपनी में
सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions
सार–आधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1 –
रासबिहारी एवेन्यू की एक बिल्डिंग में मैंने एक कमरा भाड़े पर लिया था, वहाँ पर बच्चे इंटरव्यू के लिए आते थे। बहुत से लड़के आए, लेकिन अपू की भूमिका के लिए मुझे जिस तरह का लड़का चाहिए था, वैसा एक भी नहीं था। एक दिन एक लड़का आया। उसकी गर्दन पर लगा पाउडर देखकर मुझे शक हुआ। नाग पूछने पर नाजुक आवाज़ में वह बोला-‘टिया’। उसके साथ आए उसके पिता जी से मैंने पूछा, ‘क्या अभी-अभी इसके बाल कटवाकर यहाँ ले आए हैं। वे सज्जन पकड़े गए। सच छिपा नहीं सके बोले, ‘असल में यह मेरी बेटी है। अपू की भूमिका मिलने की आशा से इसके बाल कटवाकर आपके यहाँ ले आया हूँ।
विज्ञापन देकर भी अपू की भूमिका के लिए सही तरह का लड़का न मिलने के कारण मैं तो बेहाल हो गया। आखिर एक दिन मेरी पत्नी छत से नीचे आकर मुझसे बोली, ‘पास वाले मकान की छत पर एक लड़का देखा, ज़रा उसे बुलाइए तो!’ आखिर हमारे पड़ोस के घर में रहने वाला लड़का सुबीर बनर्जी ही ‘पथेर पांचाली’ में ‘अपू’ बना।
प्रश्न 1 – बच्चे इंटरव्यू के लिए कहाँ आते थे?
(क) रामबिहारी एवेन्यू की बिल्डिंग में
(ख) रासबिहारी वेन्यू की बिल्डिंग में
(ग) रासबिहारी की बिल्डिंग में
(घ) रासबिहारी एवेन्यू की बिल्डिंग में
उत्तर – (घ) रासबिहारी एवेन्यू की बिल्डिंग में
प्रश्न 2 – बच्चे इंटरव्यू के लिए क्यों आते थे?
(क) अपू की भूमिका पाने के लिए
(ख) अपू के लिए
(ग) भूमिका पाने के लिए
(घ) फ़िल्म में भूमिका पाने के लिए
उत्तर – (क) अपू की भूमिका पाने के लिए
प्रश्न 3 – लखक की किस उम्र के बच्चे की तलाश थी?
(क) पाँच साल के
(ख) तीन साल के
(ग) छह साल के
(घ) चार साल के
उत्तर – (ग) छह साल के
प्रश्न 4 – फिल्मकार को किस बात पर शक हुआ?
(क) कहीं फ़िल्म के लिए कोई लड़का मिलेगा की नहीं
(ख) कहीं इंटरव्यू के लिए आया लड़का, लड़की तो नहीं है
(ग) कहीं फ़िल्म पूरी ही न हो
(घ) कहीं फ़िल्म की शूटिंग के लिए पैसे कम न हो
उत्तर – (ख) कहीं इंटरव्यू के लिए आया लड़का, लड़की तो नहीं है
प्रश्न 5 – ‘पथेर पांचाली’ में ‘अपू’ की भूमिका किसने निभाई –
(क) सुबीर बनर्जी
(ख) सुधीर बनर्जी
(ग) सुमीर बनर्जी
(घ) सुभाष बनर्जी
उत्तर – (क) सुबीर बनर्जी
2 –
फिल्म का काम आगे भी ढाई साल चलने वाला है, इस बात का अंदाज़ा मुझे पहले नहीं था। इसलिए जैसे-जैसे दिन बीतने लगे, वैसे-वैसे मुझे डर लगने लगा। अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे अगर ज्यादा बड़े हो गए, तो फिल्म में वह दिखाई देगा! लेकिन मेरी खुश किस्मती से उस उम्र में बच्चे जितने बढ़ते हैं, उतने अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे नहीं बढ़े। इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल उम्र की चुन्नीबाला देदी ढाई साल तक काम कर सकी यह भी मेरे सौभाग्य की बात थी।
प्रश्न 1 – फिल्मकार को किस बात का अदाज़ा नहीं था?
(क) कि उसकी फिल्म ढाई साल में पूरी होगी
(ख) कि उसकी फिल्म डेढ़ साल में पूरी होगी
(ग) कि उसकी फिल्म तीन साल में पूरी होगी
(घ) कि उसकी फिल्म दो साल में पूरी होगी
उत्तर – (क) कि उसकी फिल्म ढाई साल में पूरी होगी
प्रश्न 2 – फिल्मकार को कैसा डर सताने लगा था?
(क) अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे भाग न जाएँ
(ख) अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे बड़े न हो जाएँ
(ग) अपू की भूमिका निभाने वाला बच्चा बड़ा न हो जाएँ
(घ) दुर्गा की भूमिका निभाने वाली बच्ची बड़ी न हो जाएँ
उत्तर – (ख) अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे बड़े न हो जाएँ
प्रश्न 3 – चुन्नीबाला देदी कौन थी?
(क) उसने फिल्म में अप्पू की माँ की भूमिका निभाई
(ख) उसने फिल्म में दुर्गा की माँ की भूमिका निभाई
(ग) उसने फिल्म में इंदिरा ठाकरुन की भूमिका निभाई
(घ) उसने फिल्म में अप्पू की दादी की भूमिका निभाई
उत्तर – (ग) उसने फिल्म में इंदिरा ठाकरुन की भूमिका निभाई
प्रश्न 4 – लेखक के लिए सौभाग्य की बात क्या थी?
(क) ढाई साल तक फिल्म का काम चला और चुन्नीबाला देवी की मृत्यु हो गई
(ख) ढाई साल तक फिल्म का काम चला
(ग) चुन्नीबाला देवी की मृत्यु नहीं हुई
(घ) ढाई साल तक फिल्म का काम चला और चुन्नीबाला देवी की मृत्यु नहीं हुई
उत्तर – (घ) ढाई साल तक फिल्म का काम चला और चुन्नीबाला देवी की मृत्यु नहीं हुई
प्रश्न 5 – लेखक की खुशकिस्मती क्या थी?
(क) उस उम्र में बच्चे जितने बढ़ते हैं, उससे ज्यादा अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे बढ़े
(ख) उस उम्र में बच्चे जितने बढ़ते हैं, उतने अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे नहीं बढ़े
(ग) अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे नहीं बढ़े
(घ) अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे पूरी फ़िल्म में काम करते रहे
उत्तर – (ख) उस उम्र में बच्चे जितने बढ़ते हैं, उतने अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे नहीं बढ़े
3 –
शूटिंग की शुरुआत में ही एक गड़बड़ हो गई। अपू और दुर्गा को लेकर हम कलकत्ता’ से सत्तर मील पर पालसिट नाम के एक गाँव गए। वहाँ रेल-लाइन के पास काशफूलों से भरा एक मैदान था। अपू और दुर्गा पहली बार रेलगाड़ी देखते हैं- इस सीन की शूटिंग हमें करनी थी। यह सीन बहुत ही बड़ा था। एक दिन में उसकी शूटिंग पूरी होना नामुमकिन था। कम-से-कम दो दिन लग सकते थे। पहले दिन जगद्धात्री पूजा का त्योहार था। दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू काशफूलों के वन में पहुँचता है। सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित किया। निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुँचे। सात दिन बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए लगा. ये कहाँ आ गए हैं हम? कहाँ गए वे सारे काशफूल। बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे! अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मैल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी नदारद हो जाती!
प्रश्न 1 – पालसिट नाम का एक गाँव कलकत्ता’ से कितनी दूर था –
(क) सत्तर मील पर
(ख) पचहत्तर मील पर
(ग) साठ मील पर
(घ) पच्चास मील पर
उत्तर – (क) सत्तर मील पर
प्रश्न 2 – दुर्गा के पीछे-पीछे दौड़ते हुए अपू कहाँ पहुँचता है –
(क) काशफूलों में
(ख) वन में
(ग) मैदान में
(घ) काशफूलों के वन में
उत्तर – (घ) काशफूलों के वन में
प्रश्न 3 – पहले दिन सीन का केवल आधा भाग चित्रित क्यों हो पाया?
(क) फिल्मकार नया था। यह गाँव भी नया था
(ख) छायाकार, छोटे अभिनेता अभिनेत्री सभी नए थे
(ग) उन्हें अपने काम करने के स्थान का पता नहीं था
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – लेखक ने रेलगाड़ी के दृश्य पर क्या निर्णय लिया?
(क) लेखक ने शेष आधा सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लिया
(ख) लेखक ने पूरा सीन बाद में दुबारा चित्रित करने का निर्णय लिया
(ग) लेखक ने शेष आधा सीन बाद में न चित्रित करने का निर्णय लिया
(घ) लेखक ने शेष सीन किसी और फ़िल्म में चित्रित करने का निर्णय लिया
उत्तर – (क) लेखक ने शेष आधा सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लिया
प्रश्न 5 – काशफूलों के बिना शूटिंग करने में क्या कठिनाई थी?
(क) सीन में निरंतरता रहती
(ख) सीन में निरंतरता नहीं रह पाती
(ग) सीन में सुंदरता नहीं रह पाती
(घ) सीन में फूलों की कमी रह जाती
उत्तर – (ख) सीन में निरंतरता नहीं रह पाती
4 –
उस सीन के बाकी अंश की शूटिंग हमने उसके अगले साल शरद ऋतु में, जब फिर से वह मैदान काशपूलों से भर गया, तब की। उसी समय रेलगाड़ी के भी शॉट्स लिए। लेकिन रेलगाड़ी के इतने शॉट्स थे कि एक रेलगाड़ी से काम नहीं चला। एक के बाद एक तीन रेलगाड़ियों को हमने शूटिंग के लिए इस्तेमाल किया। सुबह से लेकर दोपहर तक कितनी रेलगाड़ियों उस लाइन पर से जाती हैं यह पहले ही टाइम-टेबल देखकर जान लिया था। हर एक ट्रेन एक ही दिशा में आने वाली थी। जिस स्टेशन से वे रेलगाड़ियों आने वाली थी, उस स्टेशन पर हमारी टीम के अनिल बाबू थे। रेलगाड़ी स्टेशन से निकलते समय अनिल बाबू भी इंजिन ड्राइवर की केबिन में चढ़ते थे, क्योंकि गाड़ी के शूटिंग की जगह के पास आते ही बॉयलर में कोयला डालना ज़रूरी था, ताकि काला धुओं निकले। सफ़ेद काशफूलों की पृष्ठभूमि पर अगर काला धूआँ नहीं आया, तो दृश्य कैसे अच्छा लगेगा?
प्रश्न 1 – लेखक ने आधे सीन की शूटिंग कब की?
(क) शरद ऋतु में
(ख) बसंत ऋतु में
(ग) वर्षा ऋतु में
(घ) ग्रीष्म ऋतु में
उत्तर – (क) शरद ऋतु में
प्रश्न 2 – लेखक ने आधे सीन की शूटिंग शरद ऋतु में क्यों की?
(क) इस समय मैदान पानी से भर गया था
(ख) इस समय मैदान काशफूलों से खाली हो गया था
(ग) इस समय मैदान पशुओं से भर गया था
(घ) इस समय मैदान काशफूलों से भर गया था
उत्तर – (घ) इस समय मैदान काशफूलों से भर गया था
प्रश्न 3 – अनिल बाबू कहाँ रुके थे? वे इंजिन ड्राइवर के केबिन में क्यों चढ़ते थे।
(क) अनिल बाबू उस स्टेशन पर रुके थे जहाँ से रेलगाड़ियाँ आने वाली थीं
(ख) अनिल बाबू रेलगाड़ियों में रुके हुए थे
(ग) अनिल बाबू स्टेशन पर ही रुके हुए थे
(घ) अनिल बाबू स्टेशन पर रुक कर रेलगाड़ियों का समय नोट कर रहे थे
उत्तर – (क) अनिल बाबू उस स्टेशन पर रुके थे जहाँ से रेलगाड़ियाँ आने वाली थीं
प्रश्न 4 – अनिल बाबू इंजिन ड्राइवर के केबिन में क्यों चढ़ते थे-
(क) क्योंकि उन्हें गाड़ी के शूटिंग की जगह के समीप पहुँचते ही गाडी को रोकना था
(ख) क्योंकि उन्हें इंजिन ड्राइवर पर भरोसा नहीं था
(ग) क्योंकि उन्हें गाड़ी के शूटिंग की जगह के समीप पहुँचते ही बॉयलर में कोयला डालना था ताकि काला धुआँ निकले
(घ) क्योंकि उन्हें गाड़ी के बॉयलर में कोयला डालना था ताकि गाड़ी तेजी से आगे बड़े
उत्तर – (ग) क्योंकि उन्हें गाड़ी के शूटिंग की जगह के समीप पहुँचते ही बॉयलर में कोयला डालना था ताकि काला धुआँ निकले
प्रश्न 5 – काले धुंए की जरूरत क्यों थी?
(क) क्योंकि सीन की पृष्ठभूमि सफेद काशफूलों की थी। ऐसी पृष्ठभूमि पर काले धुएँ से दृश्य अच्छा बनता है
(ख) क्योंकि सीन की पृष्ठभूमि सफेद थीऔर ऐसी पृष्ठभूमि पर काले रंग की आवश्यकता थी
(ग) क्योंकि सीन में सफेद और काले दोनों रंगो को दिखाना था
(घ) क्योंकि रेलगाड़ी का दृश्य बिना काले धुएँ के अच्छा कैसे बनता
उत्तर – (क) क्योंकि सीन की पृष्ठभूमि सफेद काशफूलों की थी। ऐसी पृष्ठभूमि पर काले धुएँ से दृश्य अच्छा बनता है
5 –
खबर मिली कि भूलो जैसा दिखने वाला और एक कुत्ता गाँव में है। अब लाओ पकड़ के उस कुत्ते को!
सचमुच यह कुत्ता भूलो जैसा ही दिखता था। वह भूलो से बहुत ही मिलता जुलता था। उसके शरीर का रंग तो भूलो जैसा बादामी था ही, उसकी दुम का छोर भी भूलों के दुम की छोर जैसा ही सफेद था। आखिर यह फैंका हुआ भात उसने खाया, और हमारे उस दृश्य की शूटिंग पूरी हुई। फिल्म देखते समय यह बात किसी के भी ध्यान में नहीं आती कि एक ही सीन में हमने ‘भूलो’ की भूमिका में दो अलग अलग कुत्तों से काम लिया है!
और सिफ़ कुत्ते के संदर्भ में ही नहीं, आदमी के संदर्भ से भी ऐसी ही समस्या से ‘पथेर पांचाली’ की शूटिंग के दौरान उलझना पड़ा था।
प्रश्न 1 – भूलो जैसे दिखने वाले कुत्ते की आवश्यकता क्यों थी?
(क) क्योंकि भूलो मर गया था
(ख) क्योंकि भूलो भाग गया था
(ग) क्योंकि भूलो कमजोर हो गया था
(घ) क्योंकि भूलो बीमार हो गया था
उत्तर – (क) क्योंकि भूलो मर गया था
प्रश्न 2 – भूल व दूसरे कुत्ते में क्या समानता थी?
(क) उसके शरीर का रंग भूलो जैसा बादामी था
(ख) उसकी दुम का छोर भी सफेद था
(ग) भूलो कुत्ते के शरीर की तरह उसमें काफी समानता थी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3 – भूलो की भूमिका में दो अलग-अलग कुत्तों से काम क्यों लेना पड़ा?
(क) क्योंकि फ़िल्म पूरी होने से पहले ही पहले कुत्ते की मृत्यु हो गई थी
(ख) क्योंकि फ़िल्म पूरी होने से पहले ही पहले कुत्ते को कोई बिमारी हो गई थी
(ग) क्योंकि फ़िल्म पूरी होने से पहले ही पहले कुत्ते को कोई ले कर चला गया था
(घ) क्योंकि फ़िल्म पूरी होने से पहले ही पहले कुत्ते की उम्र बहुत बड़ गई थी
उत्तर – (क) क्योंकि फ़िल्म पूरी होने से पहले ही पहले कुत्ते की मृत्यु हो गई थी
प्रश्न 4 – फिल्म देखने पर भी दर्शकों को किस बात का पता नहीं चला?
(क) कि सीन में कुत्ता बदल दिया गया है
(ख) कि सीन में अप्पू बदल दिया गया है
(ग) कि सीन में दुर्गा को बदल दिया गया है
(घ) कि सीन में कुत्ता भात नहीं खा रहा है
उत्तर – (क) कि सीन में कुत्ता बदल दिया गया है
प्रश्न 5 – कुत्ते जैसी समस्या फ़िल्म में और किसके साथ हुई –
(क) फूलों के साथ
(ख) पशुओं के साथ
(ग) आदमियों के साथ
(घ) किसी के साथ नहीं
उत्तर – (ग) आदमियों के साथ
6 –
इस श्रीनिवास के सीन में ही एक शॉट के वक्त हम बिलकुल तंग आ गए थे और वह भी उस भूलो कुत्ते की वजह से। छोटे से पुकुर के पार मिठाईवाला खड़ा है, और इस पार, अपने घर के पास अपू-दुर्गा मिठाईवाले की ओर ललचाई नज़र से देख रहे हैं। ‘क्यों, मिठाई खरीदेंगे?’ मिठाईवाले के इस सवाल का वे ‘ना’ में जवाब देते हैं, तब मिठाईवाला मुखर्जी के घर की ओर जाने लगता है। दुर्गा अपू से कहती है, ‘चल, हम भी जाएँगे।’ भाई-बहन दौड़ने लगते हैं और उसी समय पीछे झुरमुट में बैठा भूलो कुत्ता भी छलांग लगाकर उनके साथ दौड़ने लगता है। हमें ऐसा सीन लेना था, लेकिन मुश्किल यह कि यह कुत्ता कोई हॉलीवुड का सिखाया हुआ नहीं था। इसलिए यह बताना मुश्किल ही था कि वह अपू दुर्गा के साथ भागता जाएगा या नहीं। कुत्ते के मालिक से हमने कहा था, ‘अपू-दुर्गा जब भागने लगते हैं, तब तुम अपने कुत्ते को उन दोनों के पीछे भागने के लिए कहना।’ लेकिन शूटिंग के वक्त दिखाई दिया कि वह कुत्ता मालिक की आज्ञा का पालन नहीं कर रहा है। इधर हमारा कैमरा चालू ही था। कीमती फिल्म ज़ाया हो रही थी और मुझे बार-बार चिल्लाना पड़ रहा था-कट्! कट्!’ अब यहाँ धीरज रखने के सिवा दूसरा उपाय नहीं था। अगर कुत्ता बच्चों के पीछे दौड़ा, तो ही वह उनका पालतू कुत्ता लग सकता था। आखिर मैंने दुर्गा से अपने हाथ में थोड़ी मिठाई छिपाने के लिए कहा, और वह कुत्ते को दिखाकर दौड़ने को कहा। इस बार कुत्ता उनके पीछे भागा, और हमें हमारी इच्छा के अनुसार शॉट मिला।
प्रश्न 1 – अपू-दुर्गा किसकी ओर ललचाई नज़र से देख रहे हैं –
(क) मिठाईवाले की ओर
(ख) चूड़ीवाले की ओर
(ग) गोलगप्पेवाले की ओर
(घ) दुकानदार की ओर
उत्तर – (क) मिठाईवाले की ओर
प्रश्न 2 – लेखक को कैसे सीन लेना था –
(क) भाई-बहन के दौड़ने का सीन
(ख) भाई-बहन के भूलो कुत्ते को मिठाई खिलाने का सीन
(ग) भूलो कुत्ते के छलांग लगाकर दौड़ने का सीन
(घ) भूलो कुत्ते के छलांग लगाकर भाई-बहन के साथ दौड़ने का सीन
उत्तर – (घ) भूलो कुत्ते के छलांग लगाकर भाई-बहन के साथ दौड़ने का सीन
प्रश्न 3 – कुत्ता का हॉलीवुड का सिखाया हुआ नहीं था का आशय है –
(क) हॉलीवुड में जानवरों को प्रशिक्षित करके ही उनका प्रयोग किया जाता है
(ख) हॉलीवुड में जानवर ट्रेनर की आज्ञा का पालन करते हैं, परंतु लेखक के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं थी
(ग) लेखक को गाँव के स्थानीय कुत्ते से फिल्म की शूटिंग पूरी करनी थी और उस कुत्ते से इच्छित कार्य नहीं करवाया जा सकता
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – लेखक को बार-बार चिल्लाना क्यों पड़ रहा था?
(क) कुत्ता वांछित प्रतिक्रिया ही नहीं दिखा रहा था
(ख) कुत्ता वांछित प्रतिक्रिया दिखा रहा था
(ग) कुत्ता इधर-उधर दौड़ रहा था
(घ) कुत्ता कहीं दिखाई नहीं दे रहा था
उत्तर – (क) कुत्ता वांछित प्रतिक्रिया ही नहीं दिखा रहा था
प्रश्न 5 – लेखक ने अपनी इच्छा के अनुसार शॉट कैसे लिया?
(क) लेखक ने दुर्गा से अपने हाथ में थोड़ी मिठाई छिपाने तथा कुत्ते को दिखाकर दौड़ने को कहा
(ख) लेखक ने दुर्गा से अपने हाथ में थोड़ी मिठाई छिपाने को कहा
(ग) लेखक ने दुर्गा को कुत्ते को मिठाई दिखाते हुए दौड़ने को कहा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) लेखक ने दुर्गा से अपने हाथ में थोड़ी मिठाई छिपाने तथा कुत्ते को दिखाकर दौड़ने को कहा
7 –
शूटिंग की दृष्टि से गोपाल ग्राम की तुलना में बोडाल गाँव हमें अधिक उपयुक्त लगा। अपू-दुर्गा का घर, अपू का स्कूल, गाँव के मैदान, खेत, पुकुर, आम के पेड़,
बाँस की झुरमुट ये सभी बातें बोडाल गाँव में और आस-पास हमें मिलीं। अब उस गाँव में बिजली आ गई है, पक्के घर, पक्के रास्ते बने हैं। उस ज़माने में वे नहीं थे। उस गाँव में हमें बहुत बार जाना पड़ा। बहुत बार रहना भी पड़ा, इसलिए वहाँ के लोगों से भी हमारा परिचय हुआ। उन लोगों में एक बहुत अद्भुत सज्जन थे। उन्हें हम ‘सुबोध दा’ कहकर पुकारते थे। वे साठ-पैंसठ साल के थे। उनका माथा गंजा था। वे अकेले ही एक झोंपड़े में रहते और दरवाज़े पर बैठकर खुद ही से कुछ-न-कुछ बड़बड़ाते रहते थे। हम उस गाँव में एक फ़िल्म की शूटिंग करने वाले हैं यह जानकर वे गुस्सा हो गए। हमें देखने पर वे चिल्लाते-‘फ़िल्म वाले आए हैं, मारो उनको लाठियों से!’ पूछताछ करने पर लोगों ने बताया कि वे मानसिक रूप से बीमार थे। बाद में ‘सुबोध दा’ से हमारा अच्छा परिचय हुआ। वे हमें पास बुलाकर, दरवाज़े में बैठकर वायलिन पर लोकगीतों की धुनें बजाकर सुनाते थे। बीच-बीच में हमारे कानों में फुसफुसाते, ‘वो साइकिल पे जा रहा आदमी देख रहे हो न, वह कौन है, जानते हो? वह है रुजवेल्ट! पक्का पाजी उनके मत से दूसरा एक था चर्चिल, एक था हिटलर, तो एक था अब्दुल गफ्फर खान! सभी उनके मतानुसार पाजी थे, उनके दुश्मन थे।
प्रश्न 1 – शूटिंग की दृष्टि से कौन सा गाँव अधिक उपयुक्त लगा –
(क) गोपाल ग्राम
(ख) बोडाल गाँव
(ग) बोदाल गाँव
(घ) गौपाल ग्राम
उत्तर – (ख) बोडाल गाँव
प्रश्न 2 – बोडाल गाँव में और उसके आस-पास कौन सी चीजें फ़िल्म के लिए उपयुक्त मिलीं –
(क) अपू-दुर्गा का घर, अपू का स्कूल
(ख) गाँव के मैदान, खेत, पुकुर
(ग) आम के पेड़, बाँस की झुरमुट
(घ) उपयुक्त सभी
उत्तर – (घ) उपयुक्त सभी
प्रश्न 3 – गद्यांश में ‘सुबोध दा’ का परिचय कैसा है –
(क) साठ-पैंसठ साल के मानसिक रूप से बीमार
(ख) उनका माथा गंजा था, वे अकेले ही एक झोंपड़े में रहते थे
(ग) दरवाज़े पर बैठकर खुद ही से कुछ-न-कुछ बड़बड़ाते रहते थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4 – ‘सुबोध दा’ फिल्मकारों के कानों में क्या फुसफुसाते थे –
(क) ‘वो साइकिल पे जा रहा आदमी देख रहे हो न, वह कौन है, जानते हो?
(ख) दूसरा एक था चर्चिल, एक था हिटलर, तो एक था अब्दुल गफ्फर खान!
(ग) वह है रुजवेल्ट! पक्का पाजी
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5 – फ़िल्म की शूटिंग करने वालों को देखकर ‘सुबोध दा’ क्यों चिल्लाते थे कि -‘फ़िल्म वाले आए हैं, मारो उनको लाठियों से!’ –
(क) क्योंकि वे मानसिक रूप से बीमार थे
(ख) क्योंकि वे फ़िल्म वालों से नफ़रत करते थे
(ग) क्योंकि वे किसी को पसंद नहीं करते थे
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (क) क्योंकि वे मानसिक रूप से बीमार थे
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