Kabir Ke Pad Question Answers

 

CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book Chapter 9 कबीर के पद Question Answers

Kabir Ke Pad Class 11 – CBSE Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 9 Kabir Ke Pad Question Answers. The questions listed below are based on the latest CBSE exam pattern, wherein we have given NCERT solutions of  the chapter,  extract based questions, multiple choice questions, short and long answer questions. 

सीबीएसई कक्षा 11 हिंदी आरोह भाग-1 पुस्तक पाठ 9 कबीर के पद प्रश्न उत्तर | इस लेख में NCERT की पुस्तक के प्रश्नों के उत्तर  तथा महत्वपूर्ण प्रश्नों का व्यापक संकलन किया है। 

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Kabir Ke Pad Question and Answers (कबीर के पद प्रश्न-अभ्यास )

प्रश्न 1 – कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?
उत्तर – कबीर ने एक ही ईश्वर के समर्थन में अनेक तर्क दिए हैं, जो निम्नलिखित हैं –
प्रत्येक कण-कण में ईश्वर है।
भले ही सभी प्राणी अलग अलग हों मगर सभी प्राणियों के हृदय में एक ही ईश्वर विद्यमान है।
संसार में सब जगह एक ही पवन व जल है।
सभी में एक ही ईश्वरीय ज्योति है।
कुमार एक ही मिट्टी से सभी बर्तनों का निर्माण करता है।
एक ही परमात्मा का अस्तित्व सभी प्राणों में है।

प्रश्न 2 – मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है?
उत्तर – मानव शरीर का निर्माण निम्नलिखित पाँच तत्वों से हुआ है-
अग्नि
वायु
पानी
मिट्टी
आकाश

प्रश्न 3 – जैसे बाढ़ी काष्ट ही कार्ट अगिनि न कार्ट कोई।
सब छटि अंतरि तूही व्यापक धरे सरूपै सोई।
इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों का अर्थ है कि लकड़ी के भीतर आग हर वक्त मौजूद रहती है जो सिर्फ लकड़ी के जलने पर ही दिखाई देती हैं।कबीरदास कहते हैं कि जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को तो काट सकता है लेकिन उसके भीतर की आग को काट नहीं सकता है। ठीक उसी प्रकार मनुष्य का शरीर भले ही मर जाता है क्योंकि वह नश्वर हैं लेकिन उसके भीतर की आत्मा अमर है क्योंकि वह परमात्मा का अंश है। अर्थात परमात्मा सभी जीवों के अंदर आत्मा के रूप में बसता है।यहाँ कबीर का आध्यात्मिक पक्ष मुखर हो रहा है कि आत्मा (ईश्वर का रूप) अजर-अमर, सर्वव्यापक है। आत्मा को न मारा जा सकता है, न यह जन्म लेती है, इसे अग्नि जला नहीं सकती और पानी भिगो नहीं सकता। यह सर्वत्र व्याप्त है।

प्रश्न 4 – कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?
उत्तर – कबीरदासजी जान चुके हैं कि आत्मा परमात्मा एक हैं और सभी उसी परमात्मा की संतान हैं। इसीलिए वो संसार के सभी माया मोह के बंधनों से मुक्त होकर एकदम निर्भय हो चुके हैं। अब उन्हें न कुछ खोने का डर हैं और न कुछ सांसारिक वस्तु पाने की इच्छा। अब वो एक दीवाने की तरह सिर्फ प्रभु भक्ति में लीन हैं। इसीलिए वो अपने आप को “दीवाना” कहते हैं।

 

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर – (Important Question Answers)

प्रश्न 1 – ‘हम तो एक एक करि जामा’– पद का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर – इस पद में कबीर ने परमात्मा को सृष्टि के कण-कण में देखा है, ज्योति रूप में स्वीकारा है तथा उसकी व्याप्ति चराचर संसार में दिखाई है। इसी व्याप्ति को अद्वैत सत्ता के रूप में देखते हुए विभिन्न उदाहरणों के द्वारा रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है। कबीरदास ने आत्मा और परमात्मा को एक रूप में ही देखा है। संसार के लोग अज्ञानवश इन्हें अलग-अलग मानते हैं। कवि पानी, पवन, प्रकाश आदि के उदाहरण देकर उन्हें एक जैसा बताता है। बाढ़ी लकड़ी को काटता है, परंतु आग को कोई नहीं काट सकता। परमात्मा सभी के हृदय में विद्यमान है। माया के कारण इसमें अंतर दिखाई देता है।

प्रश्न 2 – कबीर ईश्वर के स्वरूप के विषय में क्या कहते हैं?
उत्तर – कबीरदास कहते हैं कि ईश्वर एक है। और उसका कोई निश्चित रूप या आकार नहीं है। वह सर्वव्यापी है। अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए उन्होंने कई तर्क दिए हैं; जैसे-संसार में एक जैसी हवा बहती है, एक जैसा पानी है तथा एक ही प्रकार का प्रकाश सबके अंदर समाया हुआ है। यहाँ तक कि एक ही प्रकार की मिट्टी से कुम्हार अलग-अलग प्रकार के बर्तन बनाता है। आगे कहते है कि बढ़ई लकड़ी को काटकर अलग कर सकता है परंतु आग को नहीं। यानी मूलभूत तत्वों (धरती, आसमान, जल, आग, और हवा) को छोड़कर शेष सबको काट कर आप अलग कर सकते हो। इसी तरह से शरीर नष्ट हो जाता है किंतु आत्मा सदैव बनी रहती। आत्मा परमात्मा का ही अंश है जो अलग-अलग रूपों में सबमें समाया हुआ है। अत: ईश्वर एक है उसके रूप अनेक हो सकते हैं।

प्रश्न 3 – कबीरदास जी किसकी भक्ति में दीवाने हो गए हैं?
उत्तर – ईश्वर की भक्ति में कबीरदास जी दीवाने हो गए हैं।

प्रश्न 4 – कबीर के अनुसार ईश्वर क्या हैं?
उत्तर – कबीर जी के अनुसार संसार में एक ही जल और एक पवन और सभी के अंदर एक ही ज्योति स्माई हुई हैं। उनके अनुसार ईश्वर एक ही हैं।कबीर अपनी बात की पुष्टि में कहते हैं कि सभी बर्तन एक ही मिट्टी से बने हैं एक ही कुम्हार इस सानता हैं। सभी मनुष्यों के अंदर एक ही ईश्वर विद्यमान हैं चाहे रूप कोई भी हो। सभी को एक ही ईश्वर बनाता है और अंत में सब उसके पास ही चले जाते है। इस लिए जब तक जीवित हो तब तक सभी से एक ही व्यवहार और मित्रवत तरीके से रहे।

प्रश्न 5 – कबीर ने ईश्वर के शरीर की व्याख्या कैसे की है?
उत्तर – कबीरदास जी कहते हैं कि ईश्वर अविनाशी हैं। उन्होंने अपने निम्न पद में ईश्वर की व्याख्या कि हैं –
जैसे बाढी काष्ट ही काटै अगिनी न काटै न कोई।
सब घटि अंतरि तू ही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
– कबीरदास जी बताते हैं कि सभी के अंदर ईश्वर का वास आत्मा के स्वरूप में होता है। जैसे लकड़ी के अंदर अग्नि होती है। ईश्वर सर्वव्यापक, अजर अमर हैं और अविनाशी हैं।बढई लकड़ी को अनेक रूपों में चीर सकता हैं परन्तु उसमें ब्सी अग्नि को नष्ट नहीं कर सकता। ठीक इसी प्रकार ईश्वर अनश्वर हैं और आत्मा अमर।

प्रश्न 6 – कबीर के अनुसार कैसे लोग ईश्वरीय तत्वों से दूर रहते हैं?
उत्तर – कबीर जी के अनुसार वह लोग ईश्वरीय तत्वों से दूर रहते हैं जो आडंबर, पीर – ओलिया, और पाखंड में अंधविश्वास रखते हैं। परंतु इन लोग में से कोई भी धर्म के वास्तविक स्वरूप को नहीं पहचानता और आत्मज्ञान से वंचित रह जाता है।इस बात से सभी लोग अनजान है कि ईश्वर उनके हृदय में विद्यमान हैं।

प्रश्न 7 – कबीर ईश्वर की भक्ति में किस तरह खोए हुए है?
उत्तर – दीवानों की तरह कबीर ईश्वर की भक्ति में खोए हैं। कबीर जी का खुद को दीवाना कहना का अर्थ पागल कहना हैं। कबीर जी ने ईश्वर का वास्तविक स्वरूप प्राप्त कर लिया है। बाहरी दुनिया आडंबरों में ईश्वर को खोज रही हैं। अपनी भक्ति कि आम विचारधारा से अलग होने के कारण वह खुद को पागल कहते हैं। वह ईश्वरीय भक्ति में कुछ इस प्रकार खो गए हैं कि उन्हें सामाजिक सुख दुख का ज्ञान ही नहीं रहता।

प्रश्न 8 – परमात्मा को यदि पाना है तो कबीर जी के अनुसार किन दोषों से दूर रहना चाहिए?
उत्तर – परमात्मा को पाने के लिए कबीर मोह, माया, अज्ञान, घमंड आदि से दूर रहने की सलाह देते हैं। वे जीवन-यापन के भय से मुक्ति की चेतावनी भी देते हैं। क्योंकि मोह, माया, अज्ञान, घमंड तथा भय आदि परमात्मा को पाने में बाधक हैं। कबीर दास के अनुसार असली साधक में इन दुर्गुणों का समावेश नहीं होता है।

 

बहुविकल्पीय प्रश्न और उत्तर (Multiple Choice Questions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) एक प्रकार का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन है जिसमें एक व्यक्ति को उपलब्ध विकल्पों की सूची में से एक या अधिक सही उत्तर चुनने के लिए कहा जाता है। एक एमसीक्यू कई संभावित उत्तरों के साथ एक प्रश्न प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 1 – कबीरदासजी के अनुसार, किसकी सत्ता इस पूरी सृष्टि के कण-कण में व्याप्त है –
(क) गुरु की
(ख) माता की
(ग) ईश्वर की
(घ) पिता की
उत्तर – (ग) ईश्वर की

प्रश्न 2 – कुम्हार कितने प्रकार की मिट्टी को मिलाकर बर्तनों का निर्माण करता है –
(क) अलग-अलग प्रकार की
(ख) एक ही प्रकार की
(ग) लगभग एक ही प्रकार की
(घ) विपरीत तरह की
उत्तर – (ख) एक ही प्रकार की

प्रश्न 3 – “एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै काेंहरा सांनां” , इस पंक्ति में “काेंहरा” शब्द का क्या अर्थ हैं –
(क) कुम्हार
(ख) ईश्वर
(ग) कोहरा
(घ) धुंधला
उत्तर – (क) कुम्हार

प्रश्न 4 – कबीरदासजी ने प्रकृति के किन रूपों को एकाकार करना चाहा –
(क) आकाश और धरती को
(ख) पानी और मिट्टी को
(ग) अग्नि और हवा को
(घ) पानी और हवा को
उत्तर – (घ) पानी और हवा को

प्रश्न 5 – कबीरदासजी के अनुसार , जो लोग ईश्वर को अलग-अलग मानते हैं , वो किस जगह के अधिकारी हैं –
(क) स्वर्ग के
(ख) नर्क के
(ग) परलोक के
(घ) भूलोक के
उत्तर – (ख) नर्क के

प्रश्न 6 – “दोजग” का अर्थ हैं –
(क) दो गज़ ज़मीन
(ख) दो जगह
(ग) स्वर्ग
(घ) नर्क
उत्तर – (घ) नर्क

प्रश्न 7 – “तदवीर” का अर्थ हैं –
(क) उपाय
(ख) तस्वीर
(ग) प्रतिबिम्ब
(घ) तक़दीर
उत्तर – (क) उपाय

प्रश्न 8 – “हम तौ एक एक करि जांनां”, में कौन सा अलंकार है –
(क) रूपक अलंकार
(ख) अतिश्योक्ति अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) मानवीकरण अलंकार
उत्तर – (ग) यमक अलंकार

प्रश्न 9 – मानव शरीर का निर्माण कितने तत्वों से हुआ है –
(क) तीन
(ख) छः
(ग) पांच
(घ) सात
उत्तर – (ग) पांच

प्रश्न 10 – “जैसे बाढी काष्ट ही काटै”, में “बाढी” का क्या अर्थ हैं –
(क) लकड़ी
(ख) बढ़ई
(ग) कुमार
(घ) बड़ा
उत्तर – (ख) बढ़ई

प्रश्न 11 – बढ़ई लकड़ी को तो काट सकता है लेकिन क्या नहीं काट सकता है –
(क) उसके भीतर के पानी को
(ख) उसके भीतर के जीव को
(ग) उसके भीतर की आग को
(घ) उसके भीतर की राख को
उत्तर – (ग) उसके भीतर की आग को

प्रश्न 12 – “काष्ट ही काटै” , में अलंकार है –
(क) मानवीकरण अलंकार
(ख) अतिश्योक्ति अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर – (ग) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 13 – “सरूपै सोई” , में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) श्लेष अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 14 – “कहै कबीर” , में कौन सा अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) श्लेष अलंकार
(घ) उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर – (क) अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 15 – गुमाना शब्द का अर्थ है –
(क) गुम हो जाना
(ख) घूमना
(ग) अहंकार
(घ) अधिकार
उत्तर – (ग) अहंकार

 

सार-आधारित प्रश्न Extract Based Questions

सारआधारित प्रश्न बहुविकल्पीय किस्म के होते हैं, और छात्रों को पैसेज को ध्यान से पढ़कर प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प का चयन करना चाहिए। (Extract-based questions are of the multiple-choice variety, and students must select the correct option for each question by carefully reading the passage.)

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

हम तौ एक करि जांनानं जांनां।
दोइ कहें तिनहीं को दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां।
एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समांनां।
एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै र्कोहरा सांनां।
जैसे बढ़ी काष्ट ही कार्ट अगिनि न काटे कोई।।
सब घटि अंतरि तूही व्यापक धरै सरूपै सोई।
माया देखि के जगत लुभांनां कह रे नर गरबांना
निरभै भया कळू नहि ब्यापै कहैं कबीर दिवांनां।।

प्रश्न 1 – कबीरदास परमात्मा के विषय में कहते हैं कि –
(क) परमात्मा एक है
(ख) वह हर प्राणी के हृदय में समाया हुआ है भले ही उसने कोई भी स्वरूप धारण किया हो
(ग) उसने इस सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की हैं
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2 – नर्क के भागी कौन होते हैं
(क) जो परमात्मा के इस सत्य को नहीं जान पाये हैं
(ख) जो लोग ईश्वर को अलग-अलग मानते हैं
(ग) केवल (क)
(घ) (क) और (ख) दोनों
उत्तर – (घ) (क) और (ख) दोनों

प्रश्न 3 – कबीर ने किन उदाहरण दवारा सिदध किया है कि जग में एक सत्ता है?
(क) संसार में एक जैसी पवन, एक जैसा पानी बहता है
(ख) हर प्राणी में एक ही ज्योति समाई हुई है
(ग) सभी बर्तन एक ही मिट्टी से बनाए जाते हैं, भले ही उनका स्वरूप अलग-अलग होता है।
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4 – ‘जैसे बाढी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई ‘ पंक्ति द्वारा कवि क्या समझाना चाहते हैं –
(क) बढ़ई लकड़ी को तो काट सकता है लेकिन उसके भीतर की आग को नहीं काट सकता
(ख) मनुष्य का शरीर भले ही मर जाता है क्योंकि वह नश्वर हैं लेकिन उसके भीतर की आत्मा अमर है क्योंकि वह परमात्मा का अंश है
(ग) बढ़ई आग जलाने के लिए लकड़ी काटता है
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ख) मनुष्य का शरीर भले ही मर जाता है क्योंकि वह नश्वर हैं लेकिन उसके भीतर की आत्मा अमर है क्योंकि वह परमात्मा का अंश है

प्रश्न 5 – कबीर प्रभु भक्ति में लीन होने के लिए क्या छोड़ गए हैं –
(क) वो इस सांसारिक मोह को छोड़ चुके हैं
(ख) वो अपना घर-बार छोड़ चुके हैं
(ग) वो अपने माँ-पिता को छोड़ चुके हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (क) वो इस सांसारिक मोह को छोड़ चुके हैं

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